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Part 11B in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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तो मैं उससे प्यार नहीं है । उसने दौर आया हूँ, इस बार देख क्रोधित थी और मुझे अलग हो गई । मैं तो अरब हूँ, शॅल नहीं है । मैंने भी कुछ उत्तेजित होते हुए कहा फिट तुरंत ही शांत हो गया । सलीना अगर मेरे अच्छा दिन होते तो मैं तुमसे प्यार करने का साहस आवश्य करता हूँ, लेकिन तुम जानती होगी मेरा निरंतर पीछा किया जा रहा है । ऐसी अवस्था में यह पागल पहन हैं तो अभी नवयुवती हो और सुन्दर हो कोई भी तुम्हारे कबीले का भला पुरुष तुमसे विवाह घर लेगा जबकि मैं तुम कह लो । उसने गहरी सांस लेते हुए कहा तो किसी अन्य स्त्री से विभाग करोगे जिसकी सुन्दर नीली आंखे हूँ और तुम्हारे देश की हो । शायद ऐसा हो, शायद ऐसा नहीं भी हो । परन्तु जहाँ तक मैं समझता हूँ ऐसा नहीं होगा तो फॅमिली ना कोई व्यक्ति अपना भविष्य नहीं जानता हूँ और पीछा किए जाने वाले व्यक्ति के भविष्य का क्या ठिकाना, जिसकी हड्डियाँ शीघ्र ही रहेगी, स्थान में कहीं फैली हुई पडी होंगी, मुझे अपने साथ ले चलो । मैं बोली मैं भी तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ ताकि हम दोनों एक साथ मर जाएँ । मैं ऐसा ये मेरे लिए ज्यादा खुशी की बात होगी बजाए इसके कि तुम चले जाओ और मुझे तुम्हारे बारे में पता ही ना चले की तुम्हारा क्या हुआ? उस ने ठंडी सांस भरते हुए कहा, यह संभव है । मैंने दृढता से कहा शलीना तो में एक विख्यात लडाकू कबीले की युवती हो और तुम जानती हो कि युद्ध क्या होता है । हमें समय युद्धकाल में है और जीवन, प्रसन्नता और प्रेम की इस समय कोई गारंटी नहीं है । पर युद्धकाल में क्या प्रेम नहीं होता? उसने निराश होकर कहा हूँ, मुझे ज्ञात हो गया की है । समस्या तरफ से हाल नहीं हो सकती हटा हमें शीघ्रता से अपना सामान उठाने के लिए मुडा जोकि कोने में पडा हुआ था । जब मैंने अपना झोला खोलकर देखा तो एक विचार मेरे मस्तिष्क में आया । मैंने नोटों का एक बंडल उठा लिया जिसको मैंने और फॅसने पे मास्टर के तंबू से उडाया था । शायद मंडल में बीस हजार ले रहे थे । मेरे पास ट्रक में चालीस हजार ले रहे और थे जो कि मेरी आगामी यात्रा के लिए काफी थे । ले रहे मेरे लिया आवश्यक भी नहीं थे क्योंकि मैं कोई भी वस्तु छीन हो सकता था । मौल नहीं रह सकता था इसलिए मैंने सोचा कि ये ली रहें । सलीना के लिए कुछ उपयोगी हो सकेंगे क्योंकि उसका घर बाढ से नगर में था और वह कभी अपने लिए कोई चीज खरीद सकती थी । सलीना मैंने कहा मैं तो मैं उपहार स्वरूप इन लीडरों को भेज देना चाहता हूँ ताकी तुम अपने लिए मेरी ओर से एक उपहार खरीदकर मुझे याद रक्षा करूँ । मैंने नोटों का बंडल जबरदस्ती उसके हाथ में थमा दिया । उस ने ले लिया और देखने लगी लेकिन उसकी आंखों में करो स्पष्ट दिखाई दे रहा था और तब एका एक उसने मुझे खोलते हुए कहा क्या तो मुझे आवारा औरतो की तरह रुपया दे रहे हो? फॅमिली ना ये बात नहीं है, मेरा ऐसा विचार नहीं है । पर ऐसे समय इसके अलावा तो मैं भेज देने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है । तो मुझे नौकरी की तन्खा देना चाहते हो तो और भी क्रोधित हो नहीं । मैं सकते में आ गया । मेरे शुद्ध विचारों का उस पर उल्टा प्रभाव पडा था । सुनो तो फॅमिली ना । मैंने कहा मैं तुम्हारी प्रिया सलीना नहीं । उसने तुरंत उत्तर दिया । उसके क्रोध को रोकना मेरे वर्ष की बात नहीं थी । मैंने उसके प्रेम को ग्रहण नहीं किया था । इस है उसका वही प्रेम घटना में परिवर्तित हो चुका था । अब उसको शांत करने का मेरे पास और कोई उपाय नहीं था । ध्यानपूर्वक उसकी और देख रहा था और सोच रहा था कहीं भी अपनी टीम से छुरा निकाल करना बहुत देखती हूँ । घृणा में बदल चुका था हूँ । मैं तुम्हारा धन नहीं चाहती । टेनिस को उसकी आंखों से क्रोध की ज्वाला निकल रहे थे । मैं तुम्हारे प्रेम की प्यासी हूँ फिर रखने लगे और मैं जान भी नहीं सका की का वो उसने लीडरों का बंडल उठाकर जलती अंगेठी में डाल दिया और ली रोकी लाओ ऊपर उठने लगी । जैसे ये नोट चल रहे थे वैसे ही मेरा प्रेम भी राख में परिवर्तित हो गया । मैंने सोचा ॅ को तुम एक विदेशी हो, यूरोप के निवासी हो और तुम लोग समझते होगी । कागज के नोटों का कुछ मूल्य हैं परन्तु हमारी दृष्टि में ये नोट लाल आज के प्रतीक है और तुम लोग समझते हो कि रूपये सिर्फ सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है । जब मैं बीस हजार ली रोके नोटों को जलता देख रहा था तो मुझे ध्यान आया कि जो वस्तु सहज में प्राप्त होती है वो सहज में निकल जाती है । मैंने एक मिनट में इन को प्राप्त किया था और अब एक ही मिनट में ये चले भी गए थे । सलीना ने कहा तो तुम्हें रुपये की चिंता नहीं और तुम्हें मेरे प्रेम की भी चिंता नहीं है तो केवल लडने की चिंता है । ये ड्रीम की आवाज नहीं बाधा उत्पन्न कर दी । वह पडने के पीछे से पूछ रहा था अम्मी को तैयार हो गए । एक मिनट मित्र मैंने उत्तर दिया सलीना मच्छर लिपटी हुई थी उसके । हाँ मेरे होटल से लगे थे हमारी अंतिम भेंटी । यह अत्यंत दुखद है । कहती हुई महम्मद से अलग हो गए और भागकर कमरे से निकल गए । मैंने उसको फिर कभी नहीं देखा हूँ ।

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अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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