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लंबू चांदीराम एक नौजवान नाविक से कह रहा था, लगता है भागे इस बार हमारा साथ देगा । कुछ बार जब हम लोग इस टाइप की और रवाना हुए थे तो कप्तान मैं नहीं हुआ था । वही फुलवाडा को जिसके नाम से सारे लोग काम करते थे, तब मैं खुलवा काम आता था । इस बार की यात्रा में चली टोलियों से पीलूराम कि आखिर चली गई और मेरी टांग जाती रही थी । वही पीलूराम आगे चलकर कीरो कांदा सरदार बना था । मैंने उस जहाज को खून मैं नहाते सोने के भंडार के साथ समुद्र में डूबते हुए देखा था, लेकिन मैं बच निकला हूँ । मैंने सोने के नौ सौ सिक्के भी अपने लिए बचा लिया है । तो आज भी बैंक में सुरक्षित । इस बीच नौजवान नाविक ने पूछा हूँ पुलवामा हीरो के बाकी लोग कहाँ है? तेलूराम और कप्तान तो मारे गए । कुछ और मर खप गए । जो बच गए उसे बहुत सारे किसी जहाज पर सवार है । देखिए इस बार क्या क्या करतब दिखाते हैं ये सब हाँ दूसरा मैं कहूंगा कि इस काम में अपनी जी जान लगा देना । मैंने तो खास तौर पर चुना है । मेरे कहने पर चलोगे जीवन भर सुखी रहो गए । चांदीराम ने उस नौजवान से कहा, उनकी बातें सुनकर मेरे तनबदन में आग लग गई । लेकिन उस समय मैं बहुत असहाय था । मनमोहन सिंह उसका चुप रहेंगे । मैं अगर कुछ भी गया था तो वो मुझे वही मार डालते हैं । थोडी देर बाद चांदीराम फिर से कहने लगा देखो जहाज पर सवार नाविकों की जिंदगी बडी कठिन और कठोर होती है । इनका भाग्य भी समुद्र मैं रहते जहाज की तरह डावाडोल रहता है । समुद्र की यात्रा के दौरान ये लडाकू मुर्गों की तरह खाने पीने और मेहनत मशक्कत में जुटे रहते हैं । यात्रा पूरी करके लौटते हैं तो इन है अच्छा पैसा मिलता है पर ज्यादातर लोगों से माडॅल उठा देते हैं । जब जेब खाली हो जाती है फिर किसी मुहिम पर निकल पडते हैं । लेकिन मैं और लोगों की तरह नहीं करता । मैं पैसे बचाकर रखता हूँ । अब मैं पचास वर्ष का हो गया हूँ । इस बार की यात्रा के बाद मेरे पास इतना धन हो जाएगा की सारी उम्र में किस सरदार आदमी की तरह जिंदगी बिता सकते होगा । मैं समय बहुत आराम से रह रहा हूँ । अच्छा खाना सकता हूँ, अच्छे कपडे पहनता हूँ, गरम बिस्तर पर होता हूँ । आप जब समुद्र यात्रा पर रहता हूँ ये सारी सुविधाएं नहीं मिलती कुछ कठोर तब करना पडता है । मैंने जीवन में काफी संघर्ष किया है । शुरुआत मैंने एक साथ नाविक के रूप में की थी । बस समझ लोग ठीक उसी तरह से जिस तरह तुम अपनी शुरुआत आज कर रहे हो । नौजवान ने जवाब में कहा, सच पूछिए तो ये काम मुझे बिलकुल पसंद नहीं है । लेकिन अब आपने जो कुछ मुझे बताया, उस से लगता है कि आप के साथ जुडकर मेरा भी बेडा पार हो जाएगा । मैं जी जान लगाकर काम में जुट जाऊंगा । मैं आपको वचन देता हूँ कि आप के एक इशारे पर जान भी लगा दूंगा । लंबू चांदीराम ने खुश होते हुए था शाहबाज नौजवान तुम पर मुझे पूरा भरोसा है । मुझे विश्वास है कि तुम एक सफल व्यक्ति बंद हो गए तो बहुत दूर के साथ साथ होशियार भी हो । चांदीराम और उस नौजवान ने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया । उनकी बातचीत से मुझे भनक लग गई की दाल में कुछ काला है । मुझे विश्वास हो गया कि ये दोनों नाविक नहीं, समुद्री लुटेरे हैं । उनकी बातचीत से भी मालूम हो गया कि कुछ और लोग हैं । उनके साथ हो सकता है कि उनमें पहले भी इस तरह की बातचीत हुई हूँ । ये तो संयोग है कि इस बार उनकी बातचीत मुझे सुनाई पड गई । इस बीच चांदीराम ने सीटी बजाई तो एक आदमी दौडता हुआ इन दोनों के पास आ पहुंचा । चांदीराम ने उस आदमी की ओर इशारा करते हुए कहा, यह है दिन इस जहाज का रस भैया ये अपना खाना साथ नहीं है । युवक में रसोई से पूछा, अच्छा तो ये बताइए कि हम लोग कब तक इस तरह प्रतीक्षा करते रहेंगे । इस कप्तान सोमनाथ को मैं अब और ज्यादा वक्त नहीं हो । मैं जल्द से जल्द उसके केबिन में दाखिल होने वाला हूँ ताकि उसके पास सके बढिया खाने के सामान और महंगी शराब पर हाथ साफ कर सकता हूँ । चांदीराम ने उसे डांटते हुए कहा, तुम केवल सुनोगे और जैसा मैं कहता हूँ, ऐसा करोगे तो अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करोगे । कप्तान सोमनाथ को हम सबसे आखिर में हार लगाएंगे । मैं कुशल कप्तान है । जल यान को सुरक्षित चलाने का होना उसके पास है । सुना जहाँ पर सवाल डॉक्टर और जमीदार के पास के जाने का नक्शा है । यदि उन्हें संदेह हो गया तो रक्षा कहीं गायब कर देंगे । शायद नष्ट भी कर दे । इसलिए नक्शे के सहारे उन्हें खजाने तक पहुंचने दो । जब खजाना जहाज में लाभ दिया जाए और लोटने की यात्रा आधी तय हो जाए तब हम अपना काम शुरू करेंगे । उन सब पर हम लोग एक साथ धावा बोलेंगे । इस आक्रमण का नेतृत्व मैं करुंगा । सारा काम सोच समझकर और योजनाबद्ध तरीके से करना होगा । रसोई कम हो जाते हुए था तो हम लौटते वक्त उन सबको मानकर जहाज में छोड देंगे । चांदीराम ने तुनक कर उत्तर दिया यह सब तो मुझ पर छोड दो । मैं फुलवाडा को जैसा मूर्ख नहीं कि सब कुछ जिंदा छोड दो । इनमें से किसी को भी जिंदा नहीं छोडूंगा । सब के सब मौत के घाट उतार दिए जाएंगे । तब और कैसे यह सब से ही वक्त आने पर बताउंगा । तब तक अच्छा करोड चुप रहो । अपना बंद रखो । आंखें और कान खुले रखो दिन और उस नौजवान ने चांदीराम को मक्खन लगाते हुए कहा आप असली मध्य सरदार चांदीराम । चांदीराम ने गर्व से सीना फुलाते हुए कहा हूँ बस तुम लोग देखते जाओ । मेरी तो बस एक इच्छा है मुझे वो मुच्छड जमीदार चाहिए । उसकी हत्या तो मैं हाथों से करूंगा हूँ और उसकी मुझे उखाडकर उससे अपने छोटे पूछूंगा हूँ । बडा खाओ देता रहता है अपनी मुझे हूँ अच्छा अब तो मतलब करजा और मेरे लिए सेब लेकर आओ ये सुनकर तो मुझे जैसे साफ किया, आप समझ सकता है कि उस वक्त में कितना डर गया था । दिन उठकर खडे होने को तैयार हुआ था । फिर ठीक उसी वक्त किसी ने उसे रोक दिया । नौजवान ने कहा गोली मारो रूम सडे हुए सेब को इस वक्त बढिया शराब आनी चाहिए । चांदीराम ने दस को आदेश दिया, देखो मुझे तुम पर पूरा भरोसा है । यह लोग शराब स्टोर की चाबी जाओ और फौरन रन की बोतल लेकर वापस आ जाऊँ । मेरे मैंने उसी समय ख्याल आया है कि जहाँ में जो लोग शराब पीकर झूमते नजर आते हैं, उनको शराब चांदीराम के इसको स्टोर से ही मिलती है । मेरे सामने शराब के नशे में धुत अमर सिंह का चेहरा हो क्या? अब मुझे विश्वास हो गया कि उसे चांदीराम भी शराब खिला पिलाकर बर्बाद कर रहा है । दिनु शराब लाने के लिए चला गया । कुछ देर की चुप्पी के बाद उस नौजवान ने चांदीराम के काम के पास अपना मूल ले जाकर कुछ कहा हूँ । उसमें पूरी तरह सुन नहीं पाया और दो चार शब्द जरूर मेरे कानून पढ लीजिए । अच्छा उनसे । मुझे लगा कि जहाँ पर ऐसे लोग भी हैं जो चांदीराम के साथ नहीं चांदीराम को उन पर कोई भरोसा नहीं है । मुझे जानकर अच्छा लगा कि इस अभाग्य जहाज पर कुछ अच्छे और ईमानदार लोग भी हैं । दीनू शराब की तीन बोतले साथ लेकर लौट सब मिलकर शराब के घूम पर हूँ । अपने गले के नीचे उतार नहीं लगे । एक्जाम उन्होंने अपने भाग्य के नाम हो रहा हूँ । दूसरा खुलवाना काकू के नाम और तीसरा बंदे सरदार हूँ । आखिर में नए सरदार लंबू ध्यान दे रहा हूँ । उधर शराब का दौर चल ही रहा था कि आकाश में ऐसा प्रकाश फैल गया हूँ । बादलों की ओर से निकले चंद्रवाल चांदी जैसी होती है । लगभग उसी समय जहाँ पर बहुत सारे लोग एक साथ मिल लो आ गया तापू हूँ ।
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