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मदन बाबू चक्कर खाने वाली कुर्सी पर बैठा हुआ था । मैं इस पर रखी शराब की बोतलें सुशोभित दे रही थी । खटकड की आवाज सुनकर चौंक पडे । आवाज गंभीर थी । शायद युगल सिंह ने कुंडी खटखटाई । युगल सिंह फाटक खोलते हुए युगल सिंह को देखकर मदन बाबू बोले जी हाँ । प्रणाम करते हुए युगल सिंह बोला और मुस्कुराते हुए उसने कहा उस कमी नहीं लडकी को लाया हूँ मुझे तुम पर पूरा यकीन था । युगल सिंह तो अवश्य है । उसे जाल में फंसा लाओ । मेज पर रखी शराब की बोतल का कार खोलकर एवं विभाग की ओर मुखातिब होकर नशे से लडखडाते हुए मदन बाबू बोले विभाग मैं तुम्हारा हूँ और मेरी है । विभाग बेचैन हो गई । उसे कुछ उपाय नहीं सूझा । मदन बाबू विभाग की तरफ भी बढ रहे थे । दूरी बहुत कम बच गई । पापी दूर है तू मेरे सामने से ऐसा जलाती हुई विभाग बोली घबराओ मत था । मदन बाबू बोले बगल में पलंग था, सोफा बिछा हुआ था । मुलायम सुकोमल सोफा था । रात्रि की बेला थी । मदन बाबू ने स्विच ऑफ कर दिया । जो मैं नीरज छा गई । विभाग लाये । मदन बाबू ने उसकी बाहों को पकड लिया था । बचाओ बचाओ विभाग चलाई शायद मदद बाबू उसके मुंह को बांधना चाह रहे थे । विभाग ने पूरी ताकत लगाई पर उनके चंगुल से निकलना चाहिए । वो बेहोश होकर फर्श पर गिर गई । अब तुम नहीं मानोगी । तमंचा दिखाते हुए मदन बाबू बोले और आगे की ओर बढे । कुत्ते आगे बढने की कोशिश न करो । आवाज ब्रजकिशोर की थी । रूम में सन्नाटा छा गया । मदन बाबू चौंक उठे । कोई भी कहीं नजर नहीं आ रहा था । ब्रजकिशोर उसकी खुली खिडकी की ओर से प्रवेश कर गया । पर मदद बाबू से देखना सका । अब क्या था वहाँ उसके पीछे से कलाई को पकड लिया । ऐसा तमंचा नीचे गिर गया । मदन बाबू घबरा गए । विभाग होश में आ गई । नहीं भैया भैया क्या कर वर रोती हुई स्वर्ग में हर बढाती हुए बोली । ब्रजकिशोर तमंचे को उठा चुका था । वह बाई हाथ से तमंचे को मदन बाबू पर दिखाते हुए एवं दायें हाथ से विभाग की बाप को पकडते हुए निकल गया । शिकार निकल चुका था । फिर भी शिकारी ने पीछा किया । थोडी ही देर में दोनों को गुंडों ने खेल दिया । गुंडों की संख्या काफी थी । फिर भी उसने सबों का कान काट लिया । पर वह काफी घायल हो गया था । विभाग हो रही थी । सभी भाग चुके थे । विभिन्न जीर्णशीर्ण अवस्था में ब्रजकिशोर को देखा । उसके घुटने से खून बह रहा था । भैया भैया कहकर बच्चे लाओगी घबराऊं था । ढाडा दिलाते हुए ब्रजकिशोर बोला । विभाग को देखकर उसकी मां आठ आठ सुबह आई । भीमा की गले से चिपक गई और वह भी रोने लगी । पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर भर दंग रह गई हूँ । उसकी चेतना सुन हो गई । पिता जी पिता जी कह फॅमिली की तरह रोने लगी । अपने माथे को जमीन पर पटक नहीं लगी । इस से क्या फायदा? शरीर नश्वर है । जो जन्म लेता है, वह मारता भी अवश्य ही है । ब्रश किशोर ने उसे समझाया । विभाग चुप हो गई । उसे कुछ शांति मिली, पर भूख काफी थी । ज्वाला धीरे धीरे तेज हो रही थी । बेटा कुछ खाली थाली में सूखी रोटी और नमक लेटी हुई । माँ बोली खाने लगा । वह महसूस कर रहा था कि उसकी जिंदगी जानवर की भांति है, पर वाला चार था । विभाग भी खाने आई । रात काफी हो चुकी थी । सब हो गए ।
Writer
Sound Engineer