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Part 11 in Hindi

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4 K Listens
AuthorNitin Sharma
क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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उसने साइकिल का रुख उसकी तरफ कर दिया । जैदी भी जमीन पर बैठ कर उसका इंतजार करने लगा । उसने बीडी सुलगा ली । किसान ने उसके पास पहुंचते ही दुआ सलाम की जगह सीधे कहा और एक कौन है तो बाब रे पता भी है किस तरफ जा रहा है । जैदी बोला मेरा कोई घर नहीं है । बाढ में सब आ गया था तो मैं यहाँ कुछ दिन के लिए ठहरा हुआ हूँ । कहाँ से है तू? राजकिशोर नामक उस किसान ने पूछा, बिहार से ही तो कोई चोर डाकू तो नहीं जो यहाँ पुलिस के डर से छुपा हुआ है । अरे क्या बात कर रहे हो? मैं मुसीबत का मारा हूँ, मेरा विश्वास करो । पर राजकिशोर भी जिद्दी किस्म का इंसान था । उसने उसकी कोई दलील नहीं सुनी । उसने कहा अगर वह वाकई मुसीबत का मारा है तो उसके साथ गांव चले । वहाँ पर वह कुछ काम भी कर सकता है । उस की जरूरत नहीं है । जयदीप ने कहा, मैं वक्त का मारा हूँ । मेरा पूरा परिवार खत्म हो गया । अपने गम को मिटाने मैं यहाँ अकेले रह रहा हूँ । सब सही होने के बाद मैं वापस लौट जाऊंगा । तब तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ । अरे ऐसे वक्त में तो अकेले बिल्कुल भी नहीं रहना चाहिए । कहीं तुम कुछ गलत ना कर लो । यहाँ खानों में मर गए तो तुम्हारी इलाज के बारे में भी किसी को पता नहीं चलेगा । ऐसे भी मेरे आगे पीछे अब कोई कहाँ रह गया है । राजकिशोर ने उसकी कोई बात नहीं सुनी । इस कारण से जयदीप तो नहीं पर राजकिशोर को जरूर लाश बनना पडा । जयदीप ने शिकारी चाकू से राजकिशोर की गर्दन काट दी और फिर उसकी लाश खींचते हुए खान के मुख की तरफ बढ गया । जयदीप को यकीन था कि राजकिशोर को पूछता हुआ इस तरफ कोई भी नहीं आएगा । उसकी बातों से उसे पता चल गया था कि वह आम तौर पर इस रास्ते से नहीं आता था पर आज शायद उसकी मौत ही उसे इधर खींच लाई थी । उसके इलाज खान के अंदर ले जाने के बाद जयदीप उसकी साइकिल को वहाँ से काफी दूर एक नदी किनारे इस तरह फेंक आया था जिसे जब गांव वालों ने पाया तो उन्हें यही लगा कि राजकिशोर साइकिल सहित नदी किनारे बने कच्चे रास्ते से गिर गया और नदी में बह गया । साइकिल का नसीब राजकिशोर से अच्छा था जो पीछे रह गई । इस तरह की परेशानी पहली बार जयदीप को झेलनी पडी थी । वैसे तो वो अब करीब दो साल से खान में रह रहा था । कान का मुख देखकर ऐसा लगता था जैसे कोई भयानक पिशाच मुंह खोले लेटा हुआ अपने आहार का इंतजार कर रहा है । मूवी के अंदर दो पटरियां जाती दिखाई दे रही थी जिनपर बाहर दो जन खाए वैगन खडे थे । वक्त की बेरहम मार उन पर साफ दिखाई दे दी थी । वैगन के पास से गुजरते हुए जयदीप खान के अन्दर प्रविष्ट हो गया । वो अंदर करीब सौ मीटर पटरी के ऊपर चलता गया । अंधेरा अंदर अंधेरा था । वह जहाँ रुका वहाँ से आगे जाने का रास्ता बडे बडे पत्थरों के कारण बंद था । वह बाई तरफ परिवार में पत्थरों के बीच कुछ टटोलने लगा । फिर उसने एक पत्थर को सरकाया और उसके नीचे के पत्थर को भी हटा दिया । अब वहाँ एक बडा सुराख उत्पन्न हो गया । उसने लाश अंदर सरकारी और खुद भी उस सुराख के अंदर घुस गया । एक तरह से वो दीवार के अंदर घुस गया था । अंदर आकर उसने पत्थरों को पहले की तरह लगा दिया और फिर एकदम घुप्प अंधेरे में आगे बढने लगा है । बाहर से देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि खान की उस दीवार के अंदर सुरंग हो सकती है । सुरंग के अंदर चलता हुआ वह काफी आगे निकल आया । करीब दस मिनट निरंतर चलने के बाद एक दरवाजा आया । वो लकडी का दरवाजा था, जो कि कई जमानों पुराना प्रतीत होता था । उसने दरवाजा खोला और अंदर आ गया । अब वह चेंबर में था, जिसमें चारों तरफ लकडियों का बॉक्स बना था । चेंबर के अंत में एक और दरवाजा था । उसने उस दरवाजे पर दस्तक दी । कुछ पल सन्नाटा रहा । उसके बाद दूसरी तरफ से दरवाजा खुल गया । दरवाजे के उस पार एक लंबा सा रास्ता था, जिस पर जगह जगह बल्ब लगे थे । उनसे वहाँ पर्याप्त रोशनी हो रही थी । दरवाजे पर दो काली वर्दी पहने आदमी खडे थे । लाश देख कर उन दोनों ने उससे कुछ सवाल किए, फिर अंदर जाने दिया । कुछ और दूर जाने के बाद वहाँ कई वर्दीधारी चहलकदमी करते हुए नजर आए । कुछ के पास हथियार थे तो कुछ योगी घूम रहे थे । एक दो लोगों ने उसे इस तरह देखा जैसे काफी अरसे से जानते हो । लाश पर सभी की नजर गई, पर किसी ने उसे टोका नहीं । एक आदमी उसके पास आकर रुका और बोला, अलग चर्चा । दंगल तो हाँ बेटा बाहर गर्मी बहुत है । बहुत लंबा चलना पडा । आज सामान भी बहुत था । ऊपर से ये काम और बढ गया । सामान तो बाहर ही छूट गया । किसी को भेजकर मंगवाना पडेगा कहकर उसने लाश वही लिटा दी । उसने उसे नाजुक से देखा । ये है कौन? गांव वाला भाई चक्कर आ गया था कहकर उसने पूरी बात बताई अफजल और हैदर साहब को बताना पडेगा क्या पता ये कोई पुलिस का आदमी हो मैं बता दूंगा । उसके बाद इसे खान के अंदर कहीं फेंक आएंगे । कहकर वह एक तरफ पड गया । खान के अंदर उन लोगों ने रहने के लिए सभी प्रकार का इंतजाम कर रखा था । कुछ और अंदर जाने पर वहाँ कम से कम दो सौ के करीब लोग दिखाई पड रहे थे । जिनमें वर्दीधारियों के अलावा और थे और बच्चे भी थे । हर कोई अपने अपने काम में लगा हुआ था । वहीं पर एक कोने में एक बंकरनुमा कमरा था जिसमें एक भी खिडकी नहीं थी । सिर्फ एक फलादि दरवाजा था जिसके बाहर दो सात फीट के राक्षस सामान वर्दीधारी खडे थे जिन्होंने सर पर धातु का हेलमेट और शरीर पर धातु का कवच पहना हुआ था । उनके कंधों पर मशीनगन थी और कमर पर दो दो पिस्टल देंगे । थे । बंकर के अंदर का नजारा किसी कंट्रोल रूम जैसा था । वहाँ बडी बडी स्क्रीनें लगी हुई थी और एक बडा सा डैशबोर्ड था जिसपर तरह तरह के बटन थे । एक स्क्रीन पर भारत का नक्शा नजर आ रहा था । वहाँ प्लास्टिक की कुर्सियों पर दो लंबे चौडे व्यक्ति बैठे थे । एक के हो अप्रत्याशित रूप से फूले हुए थे और दूसरे की आंखें इतनी बडी थी कि मानव कटोरों से बाहर निकल आएंगी । दोनों ने कुर्ता पजामा पहना हुआ था और उनके सर पर साथ में थे । उनमें से एक बोला हूँ, मुझे विश्वास नहीं होता । फूले होटल वाला बोला यकीन करना मुश्किल है अफजल बडी आंखों वाले ने कहा लेकिन अगर ये हकीकत है वहाँ का ये हम लोगों की खुशकिस्मती होगी । हाँ, वो जोर खुद यहाँ पर हमें फ्रिज मत का मौका दे रहे हैं । कब तक आएंगे? हैदर ने जैसे खुद से पूछा उनका प्लेयर हमेशा सीक्रेट रहता है । उनके नजदीकी लोगों को भी नहीं पता रहता है । इसी तरह तो उनको महसूस रखा जाता है । यानी हमें हर वक्त तैयार रहना होगा । बिल्कुल अचानक ही हैदर के सामने मेज पर रखी एक उपकरण में लाल रंग का बल्ब चलने लगा । कहीं उसकी जुबान लडखडाई बडी बडी आंखें और फैल गई नहीं है । अफजल उठाना । हैदर भी उसके साथ उठा और दोनों बनकर के बाहर निकले । वो तेजी से माइंड के और अंदरूनी हिस्से की तरफ बढ गए । वहाँ हर जगह रोशनी थी और कुछ फैसले पर हथियारों से लैस कार्ड मौजूद थे । उन दोनों को देखकर वह सभी सेल्यूट मार रहे थे । आखिरकार वो एक दरवाजे पर पहुंचे जहां एक गार्ड खडा था । जोर आ गए क्या आपको सिंगल मिला होगा? उसने पूछा हाँ ठहरिये । फिर उसने जेब से एक वॉकीटॉकी निकाला और दूसरी तरफ कुछ बात की तो उसने दरवाजा खोल दिया । उसने दरवाजा खोला और उनके अन्दर प्रविष्ट होते ही दोबारा बंद कर लिया । अब सामने एक सुरंग दिखाई दे रही थी जिसमें जगह जगह बल्ब लगे हुए थे । वहाँ ताजी हवा के कुछ होंगे भी आ रहे थे । सुरंग में पटरी थी जो कि ज्यादा पुरानी प्रतीत नहीं हो रही थी । हैदर और अफजल सामने देखते हुए खडे हो गए । कुछ मिनटों के इंतजार के बाद सामने से रोशनी उत्पन्न हुई । फिर आवाज आने लगी । फिर पटरी पर सामने से चार बैगन आते दिखाई दिए जिसके आगे बाल भी लगे थे । हर एक वैगन में चार लोग खडे थे । सिवाय तीसरे बैगन की जिसमें कि सिर्फ एक व्यक्ति मौजूद था । उसने स्लेटी रंग का चोगा पहना हुआ था । सर पर साफ आ था उसके चेहरे पर सलीके से रखी दारी मुझे थी । उसकी आंखें बडी थी और उनमें वैसी चमक थी । धीरे धीरे सभी वैगन उनके पास आकर रुक गए और उसमें से आगंतुक उतर आए । सबसे अंत में चोगे वाला व्यक्ति उतरा जिसके लिए सभी अदब से खडे इंतजार कर रहे थे । आप के दीदार बागर जैसे जन्नत नसीब हो गया हो । जो अफजल बोला वो मुस्कुराया । फिर बोला हम अपने सभी बहादुर जंगलू से मिलने के लिए बेकरार हैं । इस तरफ आइये हुजुर हैदर ने इशारा किया सभी उनके रैनबसेरे की तरफ बढ गए । दरवाजे को पार करके वह अंदर आ गए । खान के अंदर लोग अपने कामों में मशगूल थे । धीरे धीरे उनकी नजर आगंतुक की तरफ पडी । एक एक करके वो लोग सब रह गए और फिर दौडते हुए उस की तरफ आए और पास पहुंचकर घुटनों के बल बैठकर झुक गए । ज्यादा बुजुर्ग, आधा बुजुर्ग वालेकुम अस्सलाम सभी उठकर खडे हो जाओ । उसने आदेश दिया । लोगों ने आदेश का पालन किया, वो उठे । हालांकि उनके सिर अभी भी झुके हुए थे । मेरे बहादुर जंगजू मिशन का दिन नजदीक आ रहा है । सब तैयार हैं जी जरूर जरूर जरूर । लोगों ने बुलंद नारा लगाया, बहुत हूँ हमारा मिशन दुनिया बदलने वाला मिशन होगा । आज तक ऐसा हमला कभी किसी ने नहीं किया होगा । हिंदुस्तान के लोगों और हुक्मरानों के लिए ये बहुत बडा सबक होगा । और पूरी दुनिया के लिए बडी चेतावनी हमें भी इसके लिए कुछ कुर्बानियाँ देने पडेंगे । क्या आपको कब बोला है? तो बोले हैं लोगों का एक मत जवाब खान की दीवारों से टकराकर गूंज उठा मालिक नाम का वो अधेड भी एक कोने में खडा था । उसका सिर भी झुका हुआ था और सभी की तरह उसका ध्यान हुजूर की बातों की तरफ न हो के हाथ में पकडे मोबाइल फोन की बिना रोशनी वाली स्क्रीन पर था । तनवीर सीक्रेट सर्विस के हेडक्वॉर्टर से दूर एक गुप्त फेसिलिटी में बंद था । अमर ने चीज को उसका पॉलीग्राफी टेस्ट कराकर बयान लेने की मौखिक अनुमति लेनी थी । नियमानुसार उसकी जानकारी पुलिस को भी होनी चाहिए थी । पर अमर का मानना था कि तनवीर का पकडा जाना इस केस में अब तक की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी । वो उनके गुप्त मिशन में एक बडा आधा रखता है और इससे जितनी जल्दी हो सके राज उगल वाले ना जरूरी था । अगर नियम से चलते तो पुलिस को ये टेस्ट करने की अनुमति लेने में न जाने कितना वक्त लगता तो अबतक शायद बहुत देर हो चुकी होती । इसलिए अभय कुमार ने गुप्त रूप से पूरी कार्यवाही करने का निर्देश दे दिया । तनवीर से हासिल हुई मिनाज और साहनी से ताल्लुक रखती सभी जानकारी अमर ने जावेद को पहुंचा दी थी । उसे यकीन था जावेद अब साहनी को शीर्ष में उतारकर जल्द ही जेल से बाहर होगा । अभी वो तनवीर के बयान की प्रतिक्रिया में ही लगा था । दवाओं के असर से बीच बीच में वह गहरी नींद में चला जाता था । इस बीच अमर को रिंकी का फोन आया । उसे अटेंड करने वो बाहर आया । हलो क्या चल रहा है? अमर ने संक्षिप्त में बताया, तो मैं बहुत यानी मेरी जानकारी सही निकली । खाली भारत आने वाला है । ये लोग ऐसा क्या करने वाले हैं जिसके लिए वो खुदियां आने का रिस्क ले रहा है । देखो अभी तक तो इसने मिशन के बारे में कुछ नहीं उगला । दवाओं के असर में भी है । फिर तो इससे भी ज्यादा नहीं पता होगा तुम कहाँ हूँ । होटल में नाम भूल गई मेरे घर में । अब तुम्हारा एक परमानेंट कमरा है । धान और उसकी वजह से क्या हुआ, वो भी नहीं भूलेंगे । ऍम मैं तुम्हारे और मंदिरा के बीच नहीं आना चाहती । देखो तुम ये सब मत सोचो । मैं तुम से मिलना चाहता हूँ । ऍम क्या चीज मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है । ट्रीस सिर्फ आधा घंटा जिनकी शांत हो गयी हलो । रिंकी ने गहरी सांस छोडी हैं । ओके होटल अवध रूम नंबर एक हजार सडसठ मैं अभी पहुंचता हूँ कहकर अमर ने फोन काटा और वापस अंदर गया । अंदर कुनाल और जॉन तनवीर के होश में आने का इंतजार कर रहे थे । मैं आधे घंटे में अमर बोला किधर जा रहा है? जॉन ने पूछा, ग्रुप में भी चलता हूँ? नहीं । मुझे अकेले कुछ काम निपटाना है । जॉन ने उसे घूर के देखा । अमर अपनी कोई बात जॉन से छुपाए ऐसा कभी नहीं होता था । अमर उस पर ध्यान दिए बगैर बाहर निकल गया । कार में बैठकर उसने पहले मोबाइल पर नजर डाली । उसने मंदिरा को कई वट्सऐप मैसेज और एसएमएस किए हुए थे । उस की तरफ से आखिरकार एक जवाब आ ही गया था । उसने अंग्रेजी में जो मैसेज डाला था, उसका हिंदी रूपांतर को छह था । मुझे नफरत है उस दिन और उस पल से जब मैं तुमसे मिली । अब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है । अब मुझे और मैसेज नहीं करना वरना मुझे नंबर बदलना पडेगा । अमर ने फोन एक तरफ रखा और फिर चाभी एडमिशन में घुमाकर इंजन स्टार्ट किया और फिर कार तेजी से आगे बढा दी । दस मिनट में वह अटल अवध पहुंच गया और लिफ्ट से एक हजार सडसठ नंबर कमरे के सामने पहुंचा । बेल बजाते ही अंदर से आहत हुई और फिर दरवाजा खुला । खोलने वाली रिंकी ही थी । उसने पिंक रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और लाल रंग के शॉर्ट्स पहने हुए थे । बाल खुले हुए थे और चेहरे पर मोटे फ्रेम का चश्मा था । चेहरे पर कुछ उदासी जरूर थी फिर भी वह बहुत आकर्षक दिख रही थी । अमर को देखते हुए वह कुछ मुझे से स्वर में बोली हाय अमर बोला और बिना इजाजत लिए अंदर आ गया । बैठ पर अमर को उसका लैप्टॉप दो मोबाइल और तीन और तरह के डिवाइस दिखाई दिए जिनके बारे में अमर को भी जानकारी नहीं थी । वाकिंग अमर ने पूछा जिनकी ने जवाब नहीं दिया और टहलते हुए बैठ के पास खडी हुई बैठो, कुछ भी होगी कॉफी । रिंकी ने फोन करके दो कॉफी का ऑर्डर दिया । फिर अमर की तरफ पलटी तनवीर से और क्या पता चला इस बार अमर ने पूरे विवरण के साथ जानकारी दी । सुनकर रिंकी की आंखों में चमक आ गई । अब जाकर तुम्हें काम का आदमी मिला । तुम्हारी बदौलत कम ऑन मैंने क्या किया? तुम्हारी दी जानकारी का इस्तेमाल करके ही मैं उसे फंसा सका तो तुम्हें जैसा कहा था मैं वैसा ही दर्शाने लगा कि मैं भी आतंकवादी हूँ और खाली ले के आदेश पर उसे बचाने आया हूँ । अब देखो ये बात तो तुम से ही पता चले कि ये खलीली को हुजूर बोलते हैं । उसने मिशन के बारे में कुछ नहीं कहा । उगलवाने की कोशिश तो बहुत की पर ऐसा लग रहा है उसे मिशन के बारे में कुछ पता ही नहीं । ऐसा कैसे हो सकता है । तो मैं कहा था कि खुद खाली यहाँ आ रहा है । हो सकता है बहुत बडा मिशन हूँ । इसलिए उसकी कामयाबी के लिए उसने खुद अभी तक आपने सभी आदमियों को सब कुछ नहीं बताया हूँ । ऐसा हो सकता है खाली जैसे इंसान नहीं । फ्रांस और लंडन में बम धमाकों को प्लान किया था । वहीं मास्टरमाइंड था उन आतंकी हमलों के पीछे । पर वहाँ भी वो खुद मौजूद नहीं था । अमर बोला यही तो समझ नहीं आ रहा । तभी कॉलबेल बजी । वेटर कॉफी ले आया था । दोनों कॉफी सिर्फ करने लगे । कुछ देर कमरे में शांति का माहौल कायम रहा करेंगे । अमर बोला कम ऑन अमर रिंकी कॉफी का कप टेबल पर रखते हुए बोली इस सब के बीच तुम्हें इश्क सूझ रहा है । मैंने तो बस तुम्हारा नाम लिया था । मुझे पता है तुम्हारे मन में क्या चल रहा है । क्या इतना आसान है मेरे मन को पढना जिनकी चुप चाप दरवाजे की तरफ देखने लगी या तुम्हारे लिए आसान हो गया है । जिनकी शांत खडी रही वो नजरें चुराने लगी । अमर कॉफी मग एक तरफ रखकर उसके नजदीक आ गया करेंगे अमर पीस तुम बस एक सवाल का जवाब होंगे । रिंकी ने अमर की आंखों में देखा अमर के चेहरे पर आए ऐसे भावुक भाव उसने पहले कभी नहीं देखे थे । क्या तुम्हारे मन में मेरे लिए सॉफ्ट फिलिंग नहीं? रिंकी चुप रही । उसके होट हल्के से भर भर आए तो मैं मेरे साथ अपनापन नहीं लगता । क्या तुम मेरे नजदीक आकर खुद को से फील नहीं करती? खुशी हासिल नहीं करती । अमर अगर तुम्हें यही सब बात करनी है तो मुझे नहीं मंदिरा से जाकर करूँ । जिनकी चीख पडी और फिर जैसे बांध फट पडा । वह चेहरा हाथों में छिपाकर फफक फफककर रोने लगी । अमर सब रह गया । उसने रिंकी से इस तरह के इमोशनल आउट बस की अपेक्षा नहीं की थी । रिंकी अमर ने उसके सर की तरफ हाथ बढाया तो वह ओराई ट्राॅफी अमर कुछ पल उसे देखता रहा । फिर धीरे से वापस पालता और भारी मन से दरवाजे की तरफ बढ गया । डोल नौ घुमाकर उसने दरवाजा खोला ही था कि रिंकी के कोमल स्वरूपे मैं आदतन फ्लाइट रही हूँ । ठीक तुम्हारी तरह सच कहती हूँ । शुरू से मैं तुम्हारे साथ सिर्फ फ्लर्ट कर रही थी । पर पर यू नो जैसे जैसे तुम्हारे साथ वक्त बिताया, न जाने कब तुमने मेरे दिल में जगह बना ली है । ये जानते हुए भी कि तुम किसी और के हो । मैं अपने जज्बातों को कंट्रोल नहीं कर पाई । तुम्हारे साथ बिताया हर लंबा मुझे खुद के साथ बिताए वक्त की तरह महसूस होने लगा तो उनसे बात करती हूँ तो लगता है अपने आप से बातें कर रही हूँ । शायद तुम मेरी सोलमेट हूँ पर मुझे हक नहीं है । तुमसे प्यार करूँ पर क्यों? क्योंकि तुम किसी और के हो । अगर मैं कहूँ कि जिस तरह मेरे बारे में तुम सोचती हूँ वही फीलिंग्स मेरे दिल में भी तुम्हारे ली हैं । अगर कोई और लडकी होती तो शायद अब तक मैं इंटीमेट होने का प्रयास कर चुका होता है । पर तुम्हारे फ्लर्ट करते रहने के बावजूद मेरे मन में तुम्हारे लिए ऐसे खयाल नहीं आए । फॅमिली ये सब बोल कर तो मुझे और दुख मत पहुंचाओ । नहीं मैं सच कह रहा हूँ ऍम की आई लव यू अमर । उसकी आंखों में झांकते हुए गंभीर स्वर में बोला रिंकी सिर्फ उसे देखती रही । देखो मुझे कोई जल्दबाजी नहीं । मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार करूंगा । कहकर अमर ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गया । रनवीर पलंग पर लेटा हुआ था । कमरे में अमर जॉन राशिद और अभय कुमार मौजूद थे । नारकोटिक्स के प्रभाव के कारण वो काफी व्याकुल दिखाई दे रहा था । उसके बयान के आधार पर सीक्रेट सर्विस को उसके पुराने ठिकानों के बारे में पता चल गया था । वहाँ तुरंत छापा मारा गया और कई ऐसे सबूत हासिल हुए जिनसे पता चला कि दलवीर आईएसआई का एजेंट था । इनमें शामिल थे उसका पाकिस्तानी पासपोर्ट और जाली भारतीय पासपोर्ट और पैन कार्ड । कुछ मोबाइल फोन्स, ढेरों सिम कार्ड, कुछ छोडे हुए कुछ सही सलामत । तनवीर अब है बोला हमें तुम्हारे खिलाफ काफी सबूत मिल गए जिनसे साफ साबित होता है कि तुम पाकिस्तानी एजेंट हूँ और आतंकी हरकतों में शामिल हैं । तुम्हारे ऊपर बहुत से कम साबित होंगे जिनमें भारत के खिलाफ युद्ध छेडने का संगीन इल्जाम भी शामिल होगा । इसकी सजा जानते हो तनवीर उसे एक तक देखता रहा हूँ । इस की सजा सिर्फ एक है फांसी जिससे तुम है दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा सकते हैं सर अमर धीरे से बोला वैसे भी ये कोर्ट में कुछ नहीं मानने वाला । हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट में जाएगा, इससे अच्छा तो इसका कोई एक्सीडेंट हो जाए । नहीं । हमारे हम सीक्रेट सर्विस में काम करते हैं ना कि किसी गैंग में । हमें इसका मूंग खुलवाना होगा । बेना नारकोटिक्स के ताकि इसकी दी हुई इन्फॉर्मेशन इसके बाकी साथियों को पकडने में काम आ सके कहकर अब है । तनवीर से बोला अगर तुम हमारा साथ देते और मिशन के बारे में बताओ गे तो हम कोशिश करेंगे कि तो मैं फांसी की जगह उम्रकैद मिल सके । मैं मिशन के बारे में कुछ नहीं जानता तो मैं सीधे खाली से निर्देश मिल रहे थे । ऐसा हो ही नहीं सकता ये सच है पर उससे ज्यादा मुझे कभी कुछ नहीं बताया गया । देखो तुम झूठ बोल रहा हूँ । क्या नार्को टेस्ट में मैंने इस बारे में कुछ बताया? कोई कुछ नहीं बोला । नहीं बताया होगा जो आत्मविश्वास के साथ हो रहा है । क्योंकि मैं नहीं जानता हमारे हुजूर बहुत बडे औदे पर हैं । ये मेरी खुशकिस्मती है की मैं उनसे सीधे संपर्क में रहा । पर मेरी थी औकात नहीं की वो अपना प्लान मुझे बतायेंगे । प्लैन नहीं भी बताया होगा । फिर भी पता तो चल ही जाता है । तो हम लोग लखनऊ में भारी मात्रा में हथियार क्यों ल रहे थे और वो स्टॉक कहाँ जमा किया गया है? ये सच है कि सहानी की कंपनी के ट्रांसपोर्ट से हम हथियार मंगवा रहे थे पर उन्हें हम अपनी पुरानी सरकार से धोकर दूसरी टीम को दे देते थे । फिर वो उसे कहा ले जाते थे, उसका क्या करते थे ये हमें कभी नहीं बताया गया । जॉन ने कहा सर हमने इस से ये सब सवाल पूछते टेस्ट के दौरान पर ये कुछ नहीं बता पाया था । शायद ये सच कह रहा है । अच्छा खाली, खुद यहाँ क्यों आ रहा है? अब मैंने तनवीर से पूछा मुझे नहीं पता तुम कोर्ट में अपना बयान देने के लिए तैयार हो । क्या गारंटी है कि मुझे फांसी नहीं होगी? अगर मोटा बकरा मिल जाए तो फिर मेम ने के शिकार की जरूरत नहीं पडती है । हम तुम्हारे हुजूर को फांसी पर चढाना चाहते हैं । इसलिए तुम हमारा साथ देते रहो तो उन्हें फांसी नहीं होगी । देखिए मैं हुजूर के खिलाफ नहीं जा सकता । अब तुम खुद को उससे आजाद समझो । अब न तो तुम उसके लिए काम करने जा पाओगे और न ही आईएसआई के लिए । तो मैं जेल में ही पूरा जीवन बिताना है । जहाँ तो मैं कुछ नहीं होने वाला । बीस साल बाद तो निकलूंगा ही वो मुस्कुराया धम आपने कल की सोच हूँ, बीस साल बाद की नहीं तो हमारे हुजूर कितनी लंबी उम्र नहीं है कि तब तक तुम्हें मारने के लिए खुद जिंदा रह सकें । वो चुप हो गया । जवाब दो वरना तुम्हारे बयान के बिना भी सबूतों के आधार पर तो मैं फांसी दिलाने में कुछ खास परेशानी नहीं आने वाली । वो चुप रहा तो अब है वहाँ से चलने का उपक्रम करते हुए बोला ये नहीं मानेगा तो लोग इस पर और नार्को करना चाहो तो करूँ मैं चलता हूँ उसकी फांसी का इंतजाम करवाते हैं मैं । तैयार । मौत के भाई ने तनवीर का मोह खुलवाया । शाम के चार बज गए थे । जावेद आज साहनी के सेल में था । साहनी ने अपने वीआईपी स्टेटस का इस्तेमाल करके इस मुलाकात का प्रबंध किया था । जावेद उसके सामने कुर्सी पर बैठा था । उसने सहानी से पूछा, अब पहले ये बताओ तुम आईएसआई वालों के साथ कब से काम कर रहे हो और उन्हें किस हद तक जानते हो? दो साल पहले जब मुझे अपनी गर्लफ्रेंड यानी मिनाज पर शक हुआ कि वो किसी और आदमी के चक्कर में हैं तो पहले मैंने उसके पीछे प्राइवेट जासूस लगाए । फिर जब मुझे इस बात के पुख्ता सबूत मिल गए कि वो दूसरे मर्द के साथ संबंध बनाए हुए थी तो मैं उससे से पागल हो गया और मैंने ठान लिया कि मैं उसे और उसके दोस्त को मौत के घाट उतार हुआ । मैंने उसे मारने के कई तरीके सोचे, कई स्कीम बनाई पर फिर उन्हें भुला दिया । फिर मेरा ध्यान हमारे देश में हुए एक हाई लेवल मर्डर पर गया, जहां एक मंत्री की बीवी को पोलोनियम पहुँच देकर मारा गया था । ऐसा रेडियो ऍम जो कि आम फॉरेंसिक जांच में किसी को पता भी नहीं चलता है । भारत में तो वैसे भी इसके बारे में फोरेंसिक जानकारी ना के बराबर थी । बस ये आईडिया मुझे पसंद आ गया और मैंने पोलोनियम जहर प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन ढूँढना शुरू कर दिया । पहले तो मुझे ये लगा कि भारत जैसे देश में ऐसा जहर कहाँ मिलेगा हूँ । मुझे लगा इससे मुझे विदेश से ही मंगाना पडेगा । पर मैं उस वक्त हैरान रह गया जब ऑनलाइन एक व्यक्ति ने मुझे पोलोनियम दिलवाने का वादा किया । वो भी भारत में रहेगा तो मैं से आराम से नेट पर सब कुछ ढूंढ रहे थे तो मैं पता नहीं है । आईपी एड्रेस वगैरा के इस्तेमाल से तुम्हें ट्रेस किया जा सकता था तो फंस सकते थे । आजकल भारतीय पुलिस और जासूस इतने भी गए गुजरे नहीं रहे हैं कि मैं ऑर्डर में इन बॉल लोगों की इंटरनेट हिस्ट्री चकना करें । देखो चाहे तो मुझे इतना भी मोर, कुमार समझाऊँ टेक्निकल मामलों में मेरी समझ उतनी भी बुरी नहीं है जो नेट में इस्तेमाल करता हूँ । उसके आईपी एड्रेस को अगर कोई ढूढने जाएगा भी तो उसे भारत का एड्रेस लोकेशन नहीं बल्कि यहाँ से हजारों मील दूर किसी और देश का ड्रेस मिलेगा तो वो मुझ तक किसी भी हालत में नहीं पहुंच पाएगा । इतना जुगाड तो मैंने कर ही रखा है । फिर आगे क्या हुआ? बस पर एक मुलाकात हुई जिसमें चेहरे पर मुखौटा लगाए एक आदमी मुझ से मिला । उसने मुझे जहर सप्लाई किया और बदले में कैश हासिल किया । उसके बाद जहर मेरे पास घर में रखा रहा, पर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि उसका प्रयोग मिनास पर करूँ । शायद यही फर्क है पेशेवर मुजरिम और आम इंसान में मैं इलाज के लिए असीमित नफरत से भरे होने के बावजूद मैं उसका मैं ऑर्डर करने का हौसला नहीं जुटा पाया । मैंने यही सोचा कि एक दिन उसे सब बोल दूंगा कि मुझे उसकी सभी करतूतों के बारे में पता चल गया है और उसे छोड भी दूंगा । पर मुझे क्या पता था मिनाज आईएसआई वालों के इशारों पर नाच रही थी और उनके दिमाग में क्या भयानक पहन चल रहा था? मुझे तो ये भी नहीं पता चला कि वह जहर जो कि मेरी समझ में किसी अफ्रीकन के जरिए मिला था । दरअसल आईएसआई नहीं मुझे हासिल करवाया था और उस पूरी प्रक्रिया का वीडियो भी बना लिया था । फिर क्या हुआ? जावेद ने पूछा । फिर अचानक एक शाम मैं मिनाज को डिनर पर लेकर गया और उसी रात उसका मर्डर हो गया । दूसरे दिन मुझे जब उस दूसरे दिन जब मुझे खबर हुई तो मुझे समझ नहीं आया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? मुझे इस बात पर तो यकीन था कि उसने सुसाइड नहीं की होगी क्योंकि ऐसी तो कोई वजह मेरी समझ में नहीं थी यानि उसका । मगर आईएसआई वालों नहीं किया बिल्कुल । तनवीर और सलीम ने उसके फ्लैट में घुसकर पहले उसे ड्रिंक में नींद की गोली और पोलोनियम दिया फिर बेहोशी में उसकी कलाइयों की नहीं काटी । आईएसआई वालों से ये सब मुझे बाद में पता चला । जब पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन शुरू की तब आईएसआई वालों ने मुझे वो वीडियो भेजा और धमकी दी कि वह पुलिस को सब बता देंगे कि कैसे मैं उसके मर्डर का प्लान कर रहा था । उन्होंने कहा कि अगर पुलिस अभी मिनाज के ब्लड और विसरा सैंपल की जांच करेगी तो पोलोनियम का रिजल्ट सही आएगा और फिलहाल पुलिस दूर दूर तक ऐसा नहीं सोच रही थी क्योंकि एक आम ॉडल का मर्डर कोई पोलोनियम जैसे जहर देकर कोई पोलोनियम जैसा जहर देकर क्यों करेगा? ऊपर से आत्महत्या का केस साफ दिखाई दे रहा था, पर अगर आईएसआई वाले ऐसी टिप् पुलिस को दे देते तो यह मुमकिन हो जाता है और उसके बाद मेरा फंसना और फिर फांसी पर चढना तय था । यानी आईएसआई वालों ने तुम्हें ब्लैकमैल किया । तनवीर मुझ से मिला था । मैं पूरी तरह घबरा गया । मैंने उस से पूछा कि क्या उन्हें पैसे चाहिए? तनवीर ने कहा कि पैसा तो चाहिए ही साथ में उन्हें मेरा इस्तेमाल करना है । वो कैसे? मेरी कंपनी आरती ट्रेडर्स के कारोबार में हमें भारत के कई शहरों से सप्लाई मंगानी पडती है और आईएसआई वालों को चाहिए था कि वह हमारे ट्रांसपोर्ट को अपने हथियार ट्रांसपोर्ट करने के लिए प्रयोग करें और मैंने उनकी बात मान ली । पिछले दो सालों से आईएसआई वाले अपने हथियार कई बार मेरी कंपनी के ट्रांसपोर्ट के जरिए शहर में पहुंचा चुके हैं । क्या नहीं सहनी तुम जानती हूँ तुम्हें कितनी बडी मूर्खता की तो मैं कितने बडे डाॅट में सहयोग दिया । मेरे पास कोई और चारा नहीं था । तुम बताओ मैं क्या करता हूँ । तुम पुलिस को सब बता देते । वो तुम्हारे साथ रियायत भरते हैं । आखिर खून तो तुमने नहीं किया था ना । अगर पुलिस को पूरी जानकारी मिलती तो वो इन्वेस्टीगेशन करके आराम से तनवीर और सलीम तक पहुंचाते हैं । पर पोलोनियम हासिल करने के चक्कर में तो मुझे जेल जाना ही पडता है शायद पर बहुत कम समय के लिए । अब उससे बचने के चक्कर में जो कारनामे तुम कर बैठे हो । साहनी ने आंखों में दयनीय भाव लिये जावेद को देखा । मैं अपने वादे का पक्का तुम साथ दोगे तो मैं तुम पर आंच नहीं आने दूंगा । साहनी ने राहत की साथ जहाँ पे बोला पोलोनियम रेडियो होता है, वैसे भी कुछ समय बाद उसे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है । यानी अगर आज उसके ब्लड या विसरा सैंपल को जांच एक तो पोलोनियम का रिजल्ट ठीक से आना बहुत मुश्किल है । मुझे पता है मैंने नेट पर इसकी पूरी रिसर्च की थी । तभी तो उसे मॉडर में इस्तेमाल करने के लिए सिलेक्ट किया था । मुझे तो लगता नहीं आईएसआई वालों ने वाकई में उसे मारने के लिए पोलोनियम का इस्तेमाल किया होगा । पोलोनियम से इंसान की हालत कैंसर के अंतिम स्टेज में मर रहे व्यक्ति जैसी हो जाती है या नहीं । अनगिनत उल्टियाँ, बालों का झडना ऑर्गन फेल होना । उन्होंने उसे सीडेटिव के साथ पोलोनियम भी जरूर दिया होगा ताकि जरूरत पडने पर मुझे फंसा सकें । वो तो बेचारी कैंसर वाले सिम्टम्स तक पहुंच ही नहीं पाई । उस से पहले ही उन्होंने बेहोशी में उसकी नस इकार्डी आगे बताओ जावेद बोला तो तनवीर नहीं, मेरे खिलाफ साजिश रचने को कहा होगा । हाँ, उसी ने मुझे कहा की घडी का नाटक करके तो मैं हूँ । पूरा प्लॉट उन्हीं का बनाया हुआ था । मैं तो सिर्फ उसमें कभी नेता था । पंकज का मर्डर उन्होंने प्लान किया था । वैसे तो पंकज उन लोगों का साथ ही था । खुद एक आईएसआई एजेंट था । मॉडर किसने किया था? सलीम नहीं । प्लान के हिसाब से सलीम पहले से उस दिन मेरे घर पर छिपा था । प्लैन के हिसाब से सलीम पहले से उस दिन मेरे घर पर छिपा था और उसी ने पंकज को मारा था । उन्होंने अपने ही साथी को क्यों मारा? वो मैं नहीं जानता हूँ । मैं जान गया हूँ । पंकज मेरी नजर में आ गया था इसलिए वो मुझे मारने के लिए आमादा था । पर जब मुझे मारने में सफल न हो सका तो उन लोगों ने उसको मारकर मुझे बता दिया । एक तीर से दो निशाने साहनी छुट रहा मेरा चाकू तुम नहीं चुराया था ना मेरे घर से । जिस रोज तो मुझसे मिलने आए थे । हाँ, टॉयलेट का बहाना करके मैं अंदर गया और किचन से तुम्हारा चाकू चुरा लिया । तनवीर ने मुझसे कहा था कि तुम्हारे घर से कोई ऐसा हथियार लाने को जिस पर तुम्हारे फिंगरप्रिंट्स मिल जाते हैं । मेरे घर में हथियार भी तुम्हें रखते थे । नहीं, उस बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता । पर इतना तो लगा कि ये आईएसआई का ही काम है । पर समझ नहीं आया कि तुम तो पहले ही मैं ऑर्डर में फंसे हो । फिर इस की क्या जरूरत थी? यही तो मुझे भी समझ नहीं आया । देखो जितना मुझे पता है पहले ऐसा कुछ प्लान में नहीं था । बाद में तनवीर और सलीम को ऐसा करने का ऑर्डर मिला था । जिस वक्त तुम लॉकप में थे, तब इन लोगों को मौका मिल गया तुम्हारे घर हथियार छुपाने का । अब बताओ । आगे क्या प्लान है? मुझे क्या करना होगा? देखो कल अमर आएगा । साथ में सरकारी वकील भी होगा । वो तुम्हारा पूरा बयान लेगा, जिसके बिना पर मेरीबेल हो जाएगी और फिर मैं जेल से बाहर आ जाऊंगा और मेरा क्या होगा । साथ ही हम लोग तुम पर लगाए इल्जाम वापस ले लेंगे । हम खुद दिखाएंगे कि हमने जो इन्वेस्टिगेशन की थी उसमें पाए कुछ सबूत गलत है । साथ में तनवीर की गवाही से भी ये पता चलने की उम्मीद है कि उसने खुद मिनास का खत्म किया और तुम्हें फ्रेम क्या ये बात सामने आ जाएगी तो वैसे ही तुम्हारे केस में ज्यादा कुछ नहीं बचेगा । तुम जैसे ही बाहर निकलोगे आईएसआई वाले तुम्हें फिर से अप्रोच करेंगे । हाँ, शायद तुम फिर भी उन से डरते रहना होगा क्योंकि तुम्हारे खिलाफ सबूत अभी भी उनके पास है । ये बात बाहर नहीं आएगी कि हम जान गए हैं कि तुमने कभी मिनाज को मारने के लिए पोलोनियम खरीदा था । आईएसआई वालों को यही लगेगा की ये रास्ता अभी भी उनके पास सेफ है जिसके तहत वो तुम्हें ब्लैक मिल कर सकते हैं । हूँ तो में उन का साथ देते रहना है और जो भी जानकारी मिलती रहे हमें पास करते रहना जरूरी गुड तो अब कल का इंतजार करूँ । मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा जो से क्या बोलोगे यही की तो मुझसे केस वापस लेने के लिए पैसा मांग रहे हो । जावेद हंसा फिर गंभीरता के साथ बोला सही दिमाग लगाया वो जरूर इस बात पर तुरंत भरोसा कर लेगा । साहनी मुस्कुरा दिया । जावेद की अपील पर तुरंत कार्रवाई हुई और जज ने उसे एक हफ्ते बाद की तारीख दे दी । हालांकि आम तौर पर ऐसा इतनी जल्दी होता नहीं है पर ये एक अपवाद था क्योंकि जावेद एक जांबाज जासूस था क्योंकि जावेद एक जांबाज जासूस था और निष्पक्ष होते हुए भी जज को यकीन था कि ये जावेद वह सीक्रेट सर्विस के खिलाफ आतंकवादियों और आईएसआई ने साजिश की थी और देश की सुरक्षा के हित में यही था की सीक्रेट सर्विस को इन सभी जंजालों से मुक्त किया जाएगा । सानी और तनवीर को बेहद गोपनीय ढंग से जज के सामने पेश किया गया । सीक्रेट सर्विस ने मीडिया को इसे कवर नहीं करने दिया । हालांकि सीबीआई की उपस् थिति वहाँ जरूर थी पर अभय कुमार ने उनके डायरेक्टर को पूरा मामला पहले ही समझा दिया था इसलिए वह भी उनके विरुद्ध नहीं थे । साहनी ने स्टेटमेंट में कहा कि आईएसआई वालों की धमकी में आकर उसने जावेद को फंसाया था । तनवीर ने कुबूल किया कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड खाली था जिस के निर्देश पर वह सलीम आईएसआई के कई एजेंट के साथ काम कर रहा था । तनवीर ने माना कि पंकज जावेद की नजर में आ गया था इसलिए उन्होंने उसे कहा कि वह जावेद को खत्म कर दी पर वह सफल ना हो सका । फिर उन्हें खलीली से निर्देश मिले की पंकज को खत्म करके जावेद को उसके कपिल में फंसाया जाए । जावेद के घर में हथियार भी उन्होंने खलीली के निर्देशानुसार रखे थे । तनवीर के मोबाइल में मौजूद मैसेज कॉल लिस्ट इन सभी तथ्यों को सच साबित करने के लिए पर्याप्त थी । हालांकि सबूतों से पोलोनियम से सम्बंधित सभी जानकारी सीक्रेट सर्विस वालों ने गायब कर ली थी, क्योंकि उन्हें साहनी को क्लीनचिट जो दिलवानी थी । दोनों की गवाही और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए जज ने जावेद की जमानत की अनुमति दे दी और फिर पांच दिन बाद ही मिनाज मर्डर केस की सुनवाई भी हुई और साहनी की कोर्ट में पेशी हुई । सीक्रेट सर्विस वाले फिर से तनवीर के साथ पहुंचे । उन्होंने कई सबूत दिखाए । मिनाज की गोपनीय बैंक लॉकर की जानकारी, जिसमें दस लाख रुपये थे । तनवीर को बोल क्या की ये पैसा उसने ही मिनाज को दिया था । साहनी को बचाने के लिए तनवीर ने माना कि सीडेटिव खरीदने का आदेश उसी ने पंकज को दिया था । साहनी का इससे कोई लेना देना नहीं था । तनवीर कुबूल किया कि उस रात मिनाज के फ्लैट में वापस आने के बाद देर रात वो और सलीम उस से मिलने पहुंचे । उन्होंने मिनाज को बातों बातों में कोल्ड ड्रिंक में पोलोनियम और सीडेटिव दिया और फिर उसके बेहोश होने के बाद उसे बात तब में लेटाकर उसकी हाथों की नसें काटी । वो अपने साथ साहनी के फिंगरप्रिंट्स वाला ब्लेड का रैपर भी लाये थे । उन का इरादा था कि अगर पोलोनियम वाला आइडिया किसी कारण से फेल हो भी जाए तो सहानी को फंसाने की दूसरी चाल काम आ जाएगा । इसमें वह पर पर मिनास का खून लगाकर अपने पास रख लेते जो बाद में सानी को ब्लैकमेल करने के काम आता है । पर कत्ल के वक्त खलीली ने तनवीर को फोन किया और उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया । उसे डर था कि अगर पुलिस को इत्तेफाक से ब्रेड के साथ पोलोनियम का एविडेंस भी मिल गया तो केस गडबडा जायेगा । आखिर पोलोनियम से मारने का इरादा रखने वाला फिल्म नसें काटकर हत्या क्यों करेगा? पर तब तक सलीम ब्रेड रैपर पर फोन लगा चुका था और फोन पर बात करते हुए ही उसने बेध्यानी में ब्लेड का रैपर खिडकी से बाहर फेंक दिया जो की ग्रिल के नीचे जा गिरा जहाँ से उसे अब उठाना भी बेहद मुश्किल था । तनवीर ने उसे बहुत होता है पर फिर भी उन्हें यकीन था कि ये रैपर पुलिस कभी नहीं खोज पाएगी । और यही हुआ पर जॉन ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में वो जगह भी नहीं छोडा । तनवीर ने एक बार फिर कबूल किया कि इस पूरी साजिश का मास्टरमाइंड खाली था । जिस के निर्देश पर वह काम कर रहा था । पर उसका मिशन क्या है, वो इसके बारे में कुछ नहीं जानता था । वो सिर्फ उसके आदेशों का पालन करता था । जज ने तनवीर को पुलिस, सीबीआई और सीक्रेट सर्विस की ज्वाइंट इंटेरोगेशन के लिए चौदह दिन की रिमांड में सौंप दिया । साहनी के खिलाफ केस कमजोर हो चला था, फिर भी उसे अभी बडी नहीं किया गया । पर अब उसकी बेल कराने में दिक्कत नहीं हुई । अब जावेद और साहनी दोनों जेल के बाहर जेल से निकलते वक्त अर्जुन इस साहनी से जावेद की निकटता का कारण भी पूछा था । साहनी ने वही जवाब दिया था जैसा कि उसने जावेद को कहा था और जूना उसे मान भी लिया । उसकी समझ में तो यही आया कि जावेद ने उससे पैसे हासिल किए और उसे बरी करवा दिया । जाने से पहले अर्जुन सहनी को याद दिलाया कि उसने उसे वीआईटी सेवाओं के बदले क्या वादा किया था । साहनी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह अपने वादे पर खरा उतरेगा । रात के दो बजे हुए हैं । अमर गहरी नींद में था तभी उसका फोन बजा । फोन को बंद करके उसने एक तरफ फेंक दिया । पर तुरंत ही वो दोबारा बजने लगा । उसने फोन उठाया और बडी मुश्किल से एक खोलकर स्वीन पर नजर डाली थी । जिनकी कॉल कर रही थी उसका नाम देखते ही उसकी सारी नींद उड गई और वो उठकर बैठ गया । उसका मन बेचैन होता क्या पिंकी ने इतनी राहत उसके प्यार का जवाब देने के लिए फोन किया था । शायद यही वजह थी अमर ने महसूस किया कि उसके हाथ काट रहे थे । उसने कॉल रिसीव करने का बटन दबाया और फोन कान से लगाया हूँ । वो धीरे से बोला हाँ हाँ हाँ सौरी मैंने तुम्हे डिस्टर्ब किया । सिंह की फिर होगी बोलो ना क्या हुआ दरसी अमर वो सही प्लीस आज रात मुझे कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जिनसे पता चल रहा है कि खाली ले भारत आ चुका है । हालांकि अमर उससे किसी और बात की उम्मीद कर रहा था पर ये बात भी चौंका देने वाली और और और क्या रिंकी अमर ने अभी भी पूरी तरह उम्मीद नहीं खोई थी । मुझे लग रहा है कि मुझे उसकी लोकेशन के बारे में जो इंफॉर्मेशन मिल रही है वो सही है । क्या बात कर रही हूँ । उसे अभी बम से उडा देते हैं ये मुमकिन नहीं । वो किसी सिक्योर लोकेशन पर हैं । सेटेलाइट से उसे देखा नहीं जा सकता है । फिर कैसे पता चला कि वहाँ पर है ये इन्फॉर्मेशन पहली बार उसके टेरेरिस्ट ग्रुप के अंदर से मिली है । वो शायद इंटरपोल का एक एजेंट उसके ग्रुप में है । ऐसा फिर तो हमें दलबल के साथ उस जगह पर हमला कर देना चाहिए । अब तक तो तुम्हें पता चल जाना चाहिए कि वो इस तरह का नहीं करते । फिर तुम क्या चाहती हूँ? हम हर कीमत पर उसे पकडना चाहते हैं । इस तरह हमला करने में वह हमारे यहाँ हमारे कोई गारंटी नहीं । अगर वो बच गया तो फिर दोबारा उसका मिलना नामुमकि नहीं तो मुश्किल जरूर होगा । तुम सोचो अगर उसने हमें तो सोचो । अगर हमने उसे जिन्दा पकड लिया तो ये भारत के लिए कितनी बडी उपलब्धि होगी और तुम्हारे लिए भी जब तुम्हें राष्ट्रपति से मैडल मिलेगा तो मुझे बहुत खुशी होगी । हमारे मैं काम किसी मैडल के लिए नहीं कर रही हैं । मुझे पता है पर वो तो तुम्हें जरूर मिलना चाहिए जो डाॅट देखो अभी तक मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है । चलो ये सब छोडो अब ये बताओ तो मेरे साथ चल रहे हैं तो मेरे साथ चल रहे हो कहाँ? इसकी संभावित लोकेशन पर वो है कहा लखनऊ से एक सौ पचास किलोमीटर दूर सोहनगढ माइंड के आस पास उधर तो सब बंजर बंजर है । वहाँ छूटने की जगह कहाँ है ये तो वहाँ जाकर ही मालूम पडेगा । ठीक है तुम्हारे साथ तो मैं नर्क में भी जाने के लिए तैयार जिनकी खुल के हँसी अपने साथ जॉन को भी ले लो । क्योंकि कबाब में हड्डी खाने का शौक इसे हम मेरा मतलब है । इतना कोवर्ट मिशन है तो हम दोनों ही जाते हैं ना नहीं । मेरे खयाल से तीन लोगों का होना जरूरी है । देखो तुम्हारा जो विश्वासपात्र हो उसे साथ ले लो । विश्वासपात्र तो जॉन और जावे दोनों ही पर जावेद अभी जेल से बाहर आया है और फिलहाल तनवीर की इंटरोगेशन में लग गया है तो हम जॉन को साथ ले चलते हैं । वही सुझाव मैंने दिया था क्योंकि मैं जानती हो तुम उसके बेहद करीब हो । करीब तो मैं और किसी के भी होना चाहता हूँ पर रिंकी खामोश हो गई । कब चलना है? अमर ने पूछा मैं तो तैयार ही वापस अभी इसी वक्त हाँ अभी निकलेंगे तो सुबह होने तक पहुंच भी जाएंगे । ठीक है तो फिर मैं जॉन के घर में करता हूँ फोन करने से तो वह कुंभकरन उठने से रहा उसके सर पर खडे होकर बीन बजानी पडेगी और मैं होटल में ही हूँ । उसे लेकर तुम सीधे नहीं पहुंचना पर

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Sound Engineer

क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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