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हमारी यात्रा शुरू हो गई । पहली बात काफी हाल चल रही जमीदार की पहचान के लोग बहुत उत्साह में जमींदार को बधाइयां देते रहे और यात्रा की सफलता की कामना करते रहे । मैं विशेष सभी लोगों के साथ रात भर जाता रहा हूँ । अच्छा लोग उत्साह के साथ गा रहे थे । बहुत सारे लोग अपनी अपनी लालटेन रात के अंधेरे में हिला रहे थे । मुझे सब अजीब लग रहा था पर ये सब नहीं नहीं । बातें मुझे बडी दिलचस्पी लग रही लंबू चांदीराम अपनी बैसाखी के सहारे बडे उत्साह के साथ इधर उधर टहल रहा था । भागने लगा मूलतो कितनी जोरि उस पर पंद्रह की सरबरी और बहुत कलॅर की हो हो बोलते की थी । जो भी बहुत सारी आवाजे उस गाने को दोहराने लगी है । एक का एक मेरी यादों में जब ऍम उसका पुराना गाना खुल गया । वो भी इसी तरह जाया करता था । मुझे लगा कि वह कप्तान भी ये गाना जा रहा है । लेकिन थोडी देर में ही शांत समुद्र की छाती पर चलते हुए जहाज का ठहरा ठहरा संगीत मुझे थपथपाने लगा । पता नहीं कब मुझे नहीं डालेंगे । जहाज बहुत बढिया था । उसके चालक भी आपने डिनर के उसका था । कप्तान सोमनाथ पूरी तरह चौकन्ना था । सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था लेकिन कुछ ही देर बाद गडबडी शुरू होगा । सबसे ज्यादा गडबडी अमर सिंह कर रहा था । कप्तान सोमनाथ को उस पर शुरू से ही कुछ संदेह था । लेकिन अमर सिंह ने तो हद ही कर दी थी । वो पूरी तरह शराब के नशे में धुत था । शराब के नशे के कारण उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था और आंखे कामगारों की तरह चलने लगी थी । उन जरूर बातें कर रहा था । रह रहकर लडखडा रहा था की बस चलते चलते गिर पडता था । फिर में से उसके शरीर पर चोटों के निशान उभर आए थे । हमें पता नहीं लग रहा था कि उसे शराब मिलती कहाँ से हैं । हम उस पर पूरी नजर रखते हैं लेकिन कोई भी इस बात को पकडा नहीं पाता लेकिन शराब लाता कहाँ से है । उसने सारे जहाज का वातावरण खराब कर दिया था । दूसरे लोगों पर भी इसका असर पड रहा था । वो अचानक गायब हो जाता हूँ और फिर बहुत देर तक नजर नहीं आता हूँ । कप्तान सोमनाथ उससे सख्त महाराज था । एक बार तो बंदा कर कप्तान ने कह दिया कि इस बार यदि कमर्जी शराब पी तो उससे जंजीर से बांध दो जमीदार समुद्री यात्रा के अच्छे जानकार ने के लिए मैं स्वयं खडे होकर बीच बीच में बताते हैं कि मौसम अब कैसा देवर बदलेगा । हवा का रुख कैसा रहेगा? लंबू चांदीराम अपने कुछ खास लोगों के साथ लेकर अलग चिडी पका रहा था । चांदीराम पिंजरे में बंद करके एक तोता भी अपने साथ लेकर आया था । तोते को कप्तान कहकर बुखार कप्तान सोमनाथ और जमींदार दोनों में अभी तक अनबन बनी हुई नहीं तो एक दूसरे से कतरा रहे थे । पर तो कप्तान अपने काम में पूरी तरह से तल्लीनता के साथ जुडा हुआ था । वैसे अभी तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था । जहाज अच्छी गति से आगे बढ रहा था । द्वीपों का समूह सामने दिखाई देने लगा था । कप्तान ने बताया, हवाईअड्डे अनुकूल रही तो हम आज रात को या ज्यादा सादा कल दोपहर तक जाने वाले दिन तक पहुंच जाएंगे जहाँ पर सवार सभी लोगों में उत्साह बारा हुआ था । हमें लग रहा था कि अब हम अपनी मंजिल के बहुत करीब पहुंच गए । सूर्य टल गया था मेरा आज के दिन का काम पूरा हो गया था और मैं अपने केबिन की और पढ रहा था । लेकिन मुझे ख्याल आया की जहाज के डेक पर सेबू से वही जो बेटी रखी है, उसमें से एक दूसरे लेता हूँ । मैं उस और वापस पलट गया । एक बार और दे रहा हो चुका है । देख की निगरानी के लिए तैनात व्यक्ति मुंबई सिटी बजा रहा था । समुद्र की लहरों की आवाज के अलावा बस उसकी सीटी की आवाज सुनाई दे रही है । मैं सेबू की बेटी के पास पहुंच गया । उसे टटोलकर देखा तो वहाँ एक भी से नहीं बच जाता हूँ । तो मैं चुप चाप नहीं और समुद्र की लहरों का और संगीत मैं और सुनने लगा । मेरी आप हैं । नींद से बोझिल हो रही थी । मुझे भी झपकी लगी थी कि पास ही किसी भारी भरकम आदमी के बैठने की आवाज सुनाई । पल भर में ही मेरी नींद गायब हो गई हो गया था । उठकर भागने की तैयारी कर ही रहा था कि वह व्यक्ति कुछ बोलने लगा । मैं फौरन पहचान गया कि ये आवाज लंबू चांदीराम की है । मैं सांस रोककर चुपचाप वही तो बस कर उसकी बातें सुनने लगा । मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि वह मुझे देखना लेंगे । मैं भी उस की दो चार बातें सुन नहीं पाया था कि मेरा शरीर डर के मारे कांपने लगा । मुझे लगा की जहाज पर सवार सभी लोगों का जीवन खतरे में क्योंकि केवल मुझे इस बात की भनक लग पाई की कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है । इसलिए मैं ही लोगों को इसकी सूचना दे सकता हूँ । लेकिन अभी तक मैंने पूरी बात तो सुन ही नहीं थी ।