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10. Sarkas ki Kalabaji in Hindi

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947 Listens
AuthorRashmi Sharma
Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
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हमारी नगर में सर कैसा है तो मैं भी देखती हूँ । जरीना का नाम सर्कस के इश्तेहारों मोटे मोटे अक्षरों में लिखा गया था जनीना का जब मैंने कई करता हूँ में भाग लेते देखा तो उस के विषय में अधिक जानकारी पाने के लिए कुछ सुकून सर्कस खत्म होने पर फाटक से सीधा ना निकल कर पीछे की ओर चला गया । इधर सब कलाकारों और जानवरों की तब थी । इससे पहले कि मैं किसी से पूछता हूँ कुछ दूरी पर एक काम तू के सामने ही जरीना का रंगीन पोस्टर चिपकाए । पोस्टर में से जरीना का रंगीन फोटो और उसका नाम काटकर तंबू की बाहर चपटा है । बहुत मैं उसी और बढे और बाहर से वाले से हम आ सकता हूँ । जरीना मैं कम है क्या? योग सामने से एक लंबे तगडे जवान को अपनी ओर आते थे तो उस की ओर मुड कर मैंने पूछा सरीना में हूँ, किसी भी रहती हैं बॅास नहीं । उस जवान ने पूछा क्या काम है? मैंने बताया ऍम इतने बढिया और इतने सारे करतब दिखाती है कि मैं उनके इंटरव्यू लेना चाहता हूँ और सवेरे आकर अपने कैमरे से उनकी एक तस्वीर ही लेना चाहता हूँ । ऍम हाँ हाँ क्यों नहीं हाॅल इसीलिए तो यहाँ हम हैं कि रोज तीन तीन बार हाथ को अपनी छाती पर लाते हैं । आज तक हमारी तस्वीर खींचने एक आदमी भी नहीं हूँ । जरीना की तस्वीरें लेने सब आ जाते हैं तो मैं भी सोच रहा था कि इस युवक की सच्ची बात पर शर्मा हूँ या नहीं कि तुम दोनों का एक बल्ला उठाकर ऍम इजाजत होंगे । तभी टाॅस में तो शम्भू में और सही ना । तीनों हंस पडी । आश्रम हूँ । आगे निकल गया । जरीना से दूसरे दिन सुबह दस बजे का समय लेकर । समय पर में कैमरा लेकर सर्कस के पीछे वाली तरफ से भीतर दरवाजे की बाहर की तरफ हाथ झूल रही थी । भीतर की तरफ अस्तबल था । हाँ, बारह चौदह बढियां थोडे ही ना रहे । इसके आगे कलाकारों की तंबू शुरू हो जाती थी । एक को शहरों के पिंजरे थी । सारी वातावरण में एक अजीत सिंह थे । सब जानवरों उनकी लिट्टी हूँ । इधर उधर दौड रहे बच्चों की बीच की रस्सियों पर लटके हुए ही लेकर आस पास चल रहे छोड दूँ और उन पर पत्र ही भिन्न । सरकार कुल मिला । ये साॅस अन्य गंध उनसे भिन्न थी । एक बार जो बनाकर सर्कस में घुस जाता है, उसी यही कंड ऐसी पहुंचाती इसके भी ना उसी संस्कृति का लगता है । अभी किसी कारण वर्ष उसी सर्कस का काम छोडना पडे हैं तो इसी गंदे का हूँ । उसे तेज जरीना इंटरनेट के लिए तैयार हूँ । उससे मुझे अपने तंबू में बुला लिया और सामने पडी कुर्सी पर पैकिंग का इशारा करते हुए पूछा तो सीधा बाहर लेंगे यहीं काम भूमि आपने पूरा तस्वीर तो यहाँ भी ले सकता हूँ । पहले मैं आप के बारे में कुछ जानना चाहता हूँ । जरीना ने मुस्कुराते हुए पूछता हूँ क्या करना चाहती हैं आपने सर्कस का जीवन आरंभ किया तब से जरीना गंभीर तो मेरी तस्वीर तो भारतीयों को नहीं पर मेरी कहानी किसी में नहीं पूछा । आज आपने पूछा ये है तो मैं अपनी जिंदगी की कहानी आपको उसमें हूँ जिससे आपको मेरा सारा हाल मालूम हो जाएगा हूँ । उसने बताया कि सबसे पहले जब तेरह चौदह पर उसकी रही होगी उसके भाई ने सर्कस में कम से कम घर पर माँ के पास रहती थी और ढाई पैसे भेज दिया । कर तक हाँ बीमार, कडी अच्छा हो तो अपने भाई के पास ही सर किसके साथ साथ ही नहीं । तब तक उसका भाई अब्दुल एक मशहूर काला पास बन चुका था और सर्कस की छत के साथ झूलों पर अपनी करते दिखाता था । धीरे धीरे साॅफ्ट छुटपुट काम करती शुरू करती है । साथ में अपने भाई के साथ उन्हें झूलों पर काम करती नहीं । पांच किसानों नहीं यह सर भारत श्रीलंका, मैं हाँ, बैंकॉक, सिंगापुर आदि का चक्कर लगा क्या एक नया कलॅर उसी समय सर्कस में भर्ती हुआ हूँ और काफी होशियार तीनों ने यानि तुम ऍम ना ने मिलकर कई नहीं खेल खोजती हूँ ये डंडों पर छोडने का खेल जिसने भी देख पहली निगाह में तो कलाबाजों का इधर से उधर जाना बिल्कुल साधारण खेल साॅस तरह सावधानी से देख ही तो पता लगेगा कि कलाबाज का हर पैंतरा एक एक क्षण हूँ । एक डंडे से पकडकर कलाबाजी खाकर दूसरे डंडे पर छूटते काला पास के खातों हमने में शांत इधर इधर उधर हो तो आने वाला कल आवास लडक तफान नीचे चला जाएगा । इन तीनों ने काफी मेहनत और दूसरी बार भारत से निकलने से पहले इनका की इतना ही है कि श्रीलंका पहुंच कर ये ऐलान कर दिया गया की डंडों पर झूलने का खेल नीचे बिना जान लगाएँ । इसका हूँ कि तीनों कलाकार हर कुछ चंद टीवी पर ले रही थी । मैंने आश्चर्य से पूछा ऍम दिया गया था रीना नहीं बताया बिलकुल ही समझ क्योंकि भैया अब्दुल मुझे बहुत रमेश नहीं बच्चे ही समझती है । उन्होंने एक ओर थोडा सजान रहने दिया था । सीखने वालों को उसकी असलियत मालूम नहीं हो सकती है । लेकिन मैं ऐसी जगह पर था जहां मेरी एक खतरनाक छलांग मुझे कभी भी नीचे की ओर ले जा सकती । मैंने हसते हुए का हाँ बडा भाई तो हमेशा बडा ही रहेगा ना हो इसके कई फायदे भी हुए हमारी सरकार की शोहरत करके जहाँ जाती हर्षो भीड इतनी रहती है कि तिल धरने लायक ऍम तीनों का नाम बडे बडे लक्ष्य में छापा अब फॅमिली ना थ्री डाॅॅ यानी तीन लीटर था हूँ । मालिकों ने खुश होकर हमें पैसे भी अच्छे देने शुरू करती है और दो तब भी बीच भी ना हो बीच में उन्हीं के तंबू रहती है । सर्कस के माने हुए खिलाडी हूँ पर खुदा को ये मंजूर हो नहीं हमारे से लौटते हुए अनवर ने मासी ने कहा करती हूँ उसके दिल में शायद यह बाद पहले भी रही हूँ । फिर मैं तो खेलती हूँ अपने भाई का साथ देने में इतनी मजबूत थी कि मुझे अंदर की तरह इस मतलब से देखती है या इस तरह की बात सोचने का मौका ही नहीं हूँ । मैंने उससे साफ की मेरे दिल में इसके लिए मोहब्बत नहीं हूँ कि तो कहता हूँ इससे अंदर को बुलाना ऍम अब तुम अपनी बहन के लिए सब कुछ करने का नहीं था हूँ अभी तक जरीना को बच्चे ही समझ कर ये है जान नहीं पाया था कि सरीना भी ने कहा कि योगी हो गई है । उसने जरीना से पूछा तो जरीना ने साफ कह दिया की उसकी मंशा कभी ने कहा कि नहीं । कलकत्ते से लौटते समय जहाँ पर अंमरीका पांच रीना को एकांत ही नहीं किया और उसकी मना करने पर कुछ छेडखानी जरीना ने अपने भाई को ये बात तथा भी अब्दुलाह आपको बोला हुआ तो जरिया नहीं कैसे समझाएं और कुछ करने से मना कर दिया । वहाँ से हम लोग सीधा दिल्ली गई । दिल्ली में ही पहला मौका था जब लोगों के सामने हमने अपनी कला पास इयान नीचे जान लगाए बगैर नहीं थोडा सा जान अवश्य इसे हटाने के लिए मैं हमेशा खेलती रहती थी पर अब तुम भी या नहीं । जरीना ने समझाते हुए बताया आपकी हिन्दू पर झूले का खेल देखा हूँ तो अब समझ जाएंगे हम पहले काफी देर तो इधर से उधर जो थी तो मैं बीच में रहते थे । अभी दोनों तो धीरे धीरे बैंड के संगीत की आवाज तेज हो जाती है और हमारी काॅल पूरी तेजी पर आकर बैंड रुक जाता है । उस पर पूरी सर्कस में सन्नाटा छा जाते सब की नजर इन पर उठ जाती । मीन्स ऊंचाई पर यही लगता है कि सब की सांसें रुकेंगे मिस्टर मैं खाली डंडा अपनी ओर से छूटते अब तू उधर से अंदर के हाथों पर छोडते थे । मुस्टंडे को पकडकर मेरी हो रहती हूँ । अनवरी छलांग लगाकर उनका हाथ पकडा था और उसी एक छलांग लगाकर मैं उस ऍम मेरी यह छलांग खतरनाक और इसी के लिए एक हो रहे जारी नहीं मैं कभी छुट्टी जाऊँ तो सीधी ऍम एनसी खानी ठंडी की ओर छलांग लगाने वाले मैं ही प्रथम महिला क्योंकि ऐसी छलांग दुनिया के किसी सर्कस में किसी कला पास नहीं लगाई ये मुझे मालूम नहीं है । मैं उस डंडी पर झूलती हुई लौंटी तो अनवर मेरे हाथ थामकर इस और लौटा था और फिर उसके हाथ के साथ अतुल भाई लगभग करछुल चाहती । इस खेल का ये है सबसे आखिरी पहले होता था । इसके बाद ताजियों वेज गाडियाँ थी कि हमारी दिल की धडकने की हमें सुनाई देनी बंद हो जाती । बाजू की आवाज शोर सुनाई नहीं देती । घर खेल पर खुशी के मारे मेरी आंखें भर रहती । जान नीचे फैला लिया जाता है और हम तीनों बारी बारी छलांग लगा कर नहीं किया जाती । नीचे आकर में बीच में रहते हैं तो दोनों मेरे दोनों और तालियाँ फिर सर किसने काम करने वाली ही इन तालियों की कीमत जानते हैं, जिनकी खाती पे हर बार अपनी जान पर खेल जाती हूँ । दिल्ली में भी सर किसकी ढांचे हर शो में भी रही नहीं था । अनवर एक रात भी कर्मी नमभूमि गुस्सा है । मैं जाकर इसी शंभू पहलवान को बुला । लाइक जो आपने आने आया था शंभू अनवर को उसकी तंबू में छोडा । शायद उसी ने अतुल को भी बता दिया । दूसरे दिन भी वैसी ही थी जहाँ भी जगह पच्चीस नहीं और कुर्सियां किराए पर मंगवाकर भारती गई । अन्य खेलों के बाद हमारे खेल का नंबर है । हम तीनों भी रस्सियों द्वारा चढकर ऊपर पहुंच गए और कलाबाजियां शुरू करते हैं । हम ऊपर कलाबाजियां करते रहे और नीचे जाली लगी रही है । कलाबाजियां करने वाले दस बारह आदमी और तीन धीरे धीरे करके एक एक अलाहाबाद छलांग लगाकर नीति जाली नहीं चाहता था, चला जाता हूँ । आखिर में हम तीनों ही रहेंगे । नीचे बैंड के साथ साथ जाली को हटाकर एक और कर दिया क्या हूँ? बस केवल और थोडी सी जारी रहे गई । वहाँ हमेशा रहती थी । जाली हटने तक हम तीनों खडे नहीं । खाली हटने पर लोगों ने तालियां थी । शुरू से ही मुझे अब्दुल भाई का चेहरा उस दिन अच्छा लग रहा था । उनकी मुस्कुराहट कायम थी । इतनी सालों में पहली बार मैं उन्हें यहाँ देख रही थी । फॅमिली रहते हैं । एक खतरनाक हादसे के इंतजार था हूँ । पांचे बंद हो गयी । सबकी सांसे और नजरी ऊपर ही रह गई । अब्दुल घाई के इशारे पर मैंने इधर से छोले काॅल छोडा हूँ और उधर से अंदर के हाथों छूटे हुए अब तो उठाएगी उस पर रात नहीं । जब मेरी ओर से वह अनवर की ओर लौटने लगे तो मैं उनके चेहरे कुछ कहीं नहीं । उसी वक्त मैंने महसूस कर लिया था कि वह इधर को अपना झूला रोज से कुछ ऊपर ले गई थी । किसका मतलब ऍफ का हार उनके हाथ तक नहीं पहुंची का उस वक्त भी नहीं क्या क्या सोच लिया और कैसे अपनी की रोपाई ही नहीं हूँ । तो मैंने देखा कि अनवर का हाथ अतुल के हाथ को नहीं पकडता है । नहीं के लोग ठीक ही होंगे और बेहोश नहीं । पर मुझे उस सब का कुछ खुश नहीं । मुझे तो इतना पता है कि एक सेकंड में मैंने कुछ सोचा हूँ हूँ । मेरे पास भी फुर्सत कहाँ थी कि मैं सोचती हूँ कि मैं कुछ भी करने जा रही है जैसे उसका कोई नतीजा निकलेगा भी क्या नहीं । मुझे कुछ करना था । इतना कहकर सरीना चुका था मैं उत्सुकता भरी नजरों से उसकी ओर देखता हूँ । सांस देकर वो बोली मैंने तीस तेजी से छलांग लगाई और अनवर की तेजी से नीचे जमीन की ओर लुढकते हुए बदन को साथ लेकर उसे एक तिहाई मेले की चांदी की ओर धकेला । हम दोनों की बदन टकराए अनवर तो जान के अंदर पहुंच गया मेरे हाथों में जांच का कि नहीं जान पीछे की ओर जाकर क्यूँ फिर झटके से बाहर को आया तो मेरे हाथ से छूट गया ऍम को खींचकर पांचवीं हमारी जगह पिछले क्या मैं सीढी पाउंड की ओर से यूज नहीं की गई मानो? परन्तु सिक्योरिटी सामने पडी लोगों की सीढियों के डंडों से टकराई और हो हम तो नहीं होती थी और ऐसा लग रहा था मानव सारा वातावरण ही इस घटना को सुनकर छुट हो गया नहीं नहीं कुछ हुआ की दोनों टांगे जरूरी नहीं है । अनवर तो बिल्कुल बच गया पर मेरी दोनों तंग उनका जो घटा बना तो दोनों ही खाती पडी । कुछ और छोटी भी आई पर भी मांगी थी और इसकी बात की कहानी थोडी ही है । सर किसकी मालिकों ने ही मेरी बीमारी का सारा खर्च किया । आपने धीरे धीरे दूसरे खेलों में हिस्सा नहीं नहीं नहीं कुछ खेल मेरे अपनी जिन्हें अपनी टांगों के बगैर कर ली थी । ऍम मैंने पूछा खरीद दोनों उसके बाद बहुत अच्छे दोस्त हो गए । उन्हीं का नाम तो बदलकर जोरों डाॅॅ कर दिया क्या जो इन इश्तेहारों पर सकता हूँ शायद वहीं दोनों आ रही । गिरते हुए सेरेना ने तमलू के द्वारा की ओर देगा बल्ला उठाकर और दो तंदरुस्त युवक हसते हुए थे । जरीना ने उनकी हंसी का स्वर शायद संज्ञा था । जरीना ने दोनों का परिचय करें और मैंने उन दोनों को करीना की पहली वाली कुर्सी के पीछे खाकर तस्वीरें कीजिए । जरीना नहीं उन्हें बताया । मैंने उन्हें अपनी सारी कहानी भी सुना है । फॅर तब बस कहानी का आखिरी हिस्सा भी फिल्मों की तरह क्यों नहीं बयान करती थी । इनसे कहता हूँ कि तुम मुझसे ने कहा कह रही हूँ । जरीना बोल अब तुम इसलिए का होगे ना कि मेरी दोनों टांगे हैं । नहीं तो दूसरी औरतों के पीछे भागने की पूरी आजादी रही । ये सुनकर तीनों ने ढाका लगाया । घर मैंने तस्वीर चीज कर उनसे बितानी रास्ते पर सोचता है किसी ऐसे व्यक्ति को जान बचाने के लिए जिससे मोहब्बत थी ना । अगर कोई अपने प्राणों की फांसी लगती तो उसी को तो साहस के लेकिन ये साहस के नाम का विचित्र जानता हूँ । इतना काम क्यों पाया जाता है? कब पर कहाँ पाया जाता है, इसका भी कोई ठिकाना में ही रहता हूँ । इस खोज करने के लिए कितना परेशान थे, कितनी मानवीय समेत नहीं चाहिए घर पहुंचने तक मैं जरीना को अपनी कल्पना की आंखों से मौत के खेल खेलते देखता रहा और मुझे लगता है कि सरीना अब फिर कोई साहसपूर्ण कदम उठाकर किसी मारते हुए को बचाने के लिए कुछ नहीं वाली है । दुनिया की सब किस में बैठे हुए लोगों की सांसी रुक गई हैं और और कैस्टर टूरिस् ओर से बचकर ईकाई क्या नहीं

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Sound Engineer

Voice Artist

Collection of Stories writer: विश्व बुक्स Voiceover Artist : Rashmi Sharma Script Writer : VISHVA BOOKS
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