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कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 01 in  |  Audio book and podcasts

कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 01

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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आप हूॅं कहानी का नाम है ऍम जिसमें लिखा है सुशील कॅश । सुबह का इंतजार करते करते कब आयुषी की आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला और वो ड्राइंग रूम में सोफे पर ही हो गए । कुछ देर बार जब घडी का अलार्म बजा तो वो हर बडा की थी और बात रूम की ओर भागी । आज उसके चेहरे पर अजीब सी चमक दौड रही थी और क्यों ना हो आखिरकार दस साल बाद राजीव से उसकी मुलाकात होगी । बस कुछ सालों पहले फेसबुक के जरिए दोबारा जुडे थे । मेरे तो काम में बिजी थी । क्या दिखावा कर रहे थे इसके बाद में आप समझ जाएंगे । ॅ कॉलेज के दिनों में दोनों बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लोगों की दोस्ती की मिसालें दिया करते थे और आज भी ऍम की दोस्ती की नहीं देते हैं । अब देखा जाए तो दो से कुछ ज्यादा करीब थे । एक दूसरे के एक बार तो उसी की माने । पूछे लिया तुम दोनों में कुछ रह गया, किसी ऍम थी लेकिन धीरे धीरे कुछ तो नहीं थी उसकी माँ की वो बात खेल दूसरी तरफ राजीव का भी कुछ ऐसा ही हाल था लेकिन दोनों ने कभी भी ऐसे वो नहीं नहीं किया कि मैं दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं । भाई पढाई में अगर तो थे ही साथ ही दूसरे कल्चरल एक्टिविटीज में भी दोनों का बहुत अच्छा नाम था । एक जमाना था जब दोस्ती का रिश्ता पास सबसे ऊपर हाँ करता था लेकिन आजकल के नौजवानों को देख कर बहुत खुश हैं क्योंकि आज तो दोस्ती रही हाॅर्न वो लोग अपने अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे से जुडे हुए हैं । आयुषी फ्रेश होने के बाद काउन में ही किचन में दाखिल हैं और कॉफी मशीन पर दो कप कॉफी बनाने लगी तो खेले ही फ्लैट में रहती थी । लेकिन उसके ख्यालों में तो बस राजीव का ही कब्जा था । थोडी ही देर में कॉफी तैयार हो गई इसलिए कप में काफी डाली और डाइनिंग रूम की तरफ जल्दी आज मन ही मन मुस्करा रही थी । राजीव को सोच कर कॉफी को टेबल पर रखा और रिमोट से अपनी टीवी कौन क्या टीवी पर नब्बे के दशक के रोमांटिक गाने चल रहे थे । वहाँ की कॉफी के साथ पुराने गानों का लुफ्त उठाने में एक अलग ही मजा है । अगर आप नब्बे के दशक में पैदा हुए हैं तो इस एहसास को महसूस कर सकते हैं मानो कुछ पल के लिए ठहर सा गया हूँ । ऐसा लगता है नाइंटीज विद कॉफी आयुषी अब मोबाइल पे ट्रेन शेड्यूल चेक करने लगी तो पता चला ट्रेन पैंतालीस मिनट देर से चल रही है तो ये इंडियन रेलवे कभी नहीं सुधरने वाली । चाहे कोई भी सरकार आ जाएगा । ये मान बडबडा रही थी । वो थोडी देर बाद आयुषी तैयार होकर काठगोदाम स्टेशन के लिए निकल पाई । फूलों का बुके और फॅमिली के साथ अपनी हुंडाई ट्रेटा को स्टार्ट किया और ऍम नब्बे के दशक के गाने लगा दिया । रास्ते में बस एक ही ख्याल उसके दिल में आ रहा था । कैसा रिएक्शन होगा राजेश का उसको देख के क्या वो कॉलेज के टाइम वाला राजीव है? क्या वक्त में उसे बदल दिया? राजीव अपनी नई बुक की लॉन्च के लिए मैं नहीं डाला रहा था । इन दस सालों में बहुत कुछ बदल चुका था । आयुषी नैनीताल के एक कॉलेज में साइकोलॉजी की प्रोफेसर बढ गई थी और दूसरी तरफ राजीव है । देश के जाने माने लेखकों में अपना नाम बना लिया था । दोनों अपने लाइन में फेमस थे साथ ही साथ सोशल एक्टिविटीज में भी रूचि रखते हैं । राजीव के पेरेंट्स का सपना था भेजा यूपीएससी क्लियर करके किसी सरकारी नौकरी में लग जाए तो उसकी शादी करवाके चाॅस । ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । राजीव अब अच्छा तेज का हो गया था और शादी से बाहर बारह मना करता है । वो है किसी ना किसी बहाने से । राजीव बचपन से ही कुछ ना कुछ लिखा करता था लेकिन कभी सोचा नहीं था इस तरह वक्त के साथ रह जाएगा तो मैं इंडिया प्राइवेट जॉब नहीं करना चाहता था । वो तो कुछ अपना खुद का करना चाहता था और आज इस स्थान पर पहुंच गया था । उस लाख राजीव के लिखे हुए छोटे मोटे स्टोरी बीकॅाम पर आते थे । एक बार मैगजीन के संपादक ने उसे बुलाया और नौ लिखने का सुझाव दिया । पहले तो राजीव ने मना कर दिया ये कहते है की उसे नहीं हो पाएगा । लेकिन जब संपादक महोदय ने सब काम करने का जिम्मा अपने हाथ ले लिया तो मना करने का कोई बहाना नहीं था । उसके पास पहले के दो किताब जब बेस्टसेलर की श्रेणी में शामिल हो गए तो उस को भी अपने ऊपर भरोसा आया और फुल टाइम लाइटिंग करने का मन बना लिया । पहले उसके पेरेंट्स बहुत सुनाते थे उसे लेकिन अपनी उस पेपर में उसके बारे में आर्टिकल छपा हो तो उनको भी अपने बेटे की काबिलियत पर भरोसा और उस दिन से कुछ भी नहीं कहते उससे माँ की बस यही खा हिष् जल्द से जल्द बेटे का घर बस जाए । आयुषि स्टेशन के पास पहुंचकर गाडी को पार्किंग लॉटरी लगाकर एंट्रेंस की ओर बढने लगी । आज कुछ ज्यादा ही खूबसूरत देख रही थी आयुषी पांच फीट हाइट लंगा चेहरा ऍम साडी और माडॅल इस सुंदरता पे चार शान लगा रहे थे । अच्छा देश । साल की उम्र में वे छब्बीस की देख रही थी । इस सब योग और डाइट कहीं तो कमाल है । नोटिस बोर्ड पर देखा तो अभी भी कुछ समय बाकी था । आठवें की आने गुलदस्ता और चॉकलेट को हाथ में लिए हैं । रेटिंग रूम में जाकर बैठ गई । बगल वाली सीट खाली थी तो वहाँ पर गुलदस्ते को रखे मोबाइल पे मेल चेक कर रही थी । गूगल फॅस बहुत हुआ हूँ । जहाँ लिखा था ऍम आॅॅफ करके ओपन किया तो तस्वीरें उभर के आई । जब आयुषी और राजीव कॉलेज में थे यहाँ टीम की मस्ती । बर्थडे के दिन आयुषी के ऊपर के का लेप । लगातार राजीव आयुषी की पैर टूटने पर उसकी सेल्फी लेना इत्यादि आॅन चली गई थी । ऍम रहा दोस्तों के साथ रात रात भर पार्टी करना ग्रुप स्टडीज का बहाना बनाकर दोस्त के घर पर रात भर मूवी देखना । ये सब उसकी आंखों के सामने वो भी रेल की माफी चल रहा था । आईसीसी इस देख बहुत खुश लग रही थी । कुछ ऐसे भी पाल याद आया उसे जब मोटी आवासों का रूप ले के उसकी आंखों से चला गया कॉलेज । छोटा तो दोनों की यूनिवर्सिटी अलग हो गई थी । श्रीमद् अलग होने के कारण ज्यादातर बात मोबाइल फोन पे ही होती थी । वीकेंड पर बात करते थे । बीच बीच में कुछ महीनों बाद हर आए दिन घंटों बात किया करते थे । फॅस नहीं लाॅक । अब आयुषी को भी थोडा थोडा कुछ कुछ तो होने लगा था लेकिन वो कभी भी ये मानने को तैयार नहीं थी । उस वक्त इनकी बातचीत देखके आयुषी के घर वालों को शक हुआ तो उसके लिए रिश्ता दूर नहीं लगे । चुपके चुपके अच्छा । ये बात आयुषी को पता चली तो घर में बहुत हंगामा हुआ था जिसके कारण उसने कई दिनों तक किसी से बात नहीं की थी । अपनी दादी को बहुत मानती थी । आयोजित तो जब उन्होंने उसको शादी के लिए कहा तब जो मना नहीं कर पाई और लडकी को देखने के लिए राजी हो गई । कुछ प्राॅडक्ट करने के बाद आखिरकार एक ऐसा रिश्ता आया जिसे मना करने का कोई बहाना नहीं था । आयुषी के पास लडका गवर्मेंट ऑफिस में उच्च पद पर था । एक अकेला वारिस करोडों की जायदाद का समाज में एक अच्छा नाम था उसकी कम मिलेगा घर वालों के दबाव में आके आयुषी ने शादी के लिए हामी भरती । इसके बाद उसकी मम्मी को थोडा चैन मिला कि आखिरकार तडकी उनकी पसंद के लडके से शादी कर रही है । एक बात गौर करने की है आज मिडल क्लास फैमिली में लडकी अपने मन से अपने लिए कुछ करना चाहिए तो फॅमिली में उसे सपोर्ट करने के लिए कोई नहीं आता और शादी का नाम गलती से ले लिया तो पूरा महाभारत शुरू हो जाएगा घर में । यही नहीं मामा, मौसा रिश्तेदार आ जाएंगे लडकी को ये समझाने के लिए कि वह गलत कर रही है । अरे यार उसकी जिंदगी का फैसला हो रहा है और उसको ही आप चुप करा रहे हो । आगे सब सही होगा । इसकी गारंटी कौन दे सकता है वाला बेटी और बेटे में सरकार नहीं है बोलने का ड्रामा करने वाले । कभी उसको भी अपनी जिंदगी का अहम फैसला करने का मौका तो लेकिन ऐसा नहीं होता बस इमोशनल ब्लैकमेल करके उसकी शादी करवा दो और चैन की सांस लो । इसी वजह से कुछ रिश्ते टूट जाते हैं । शादी के कुछ महीनों या सालों बार और कुछ लडकियाँ मजबूरी मैं जिंदगी काट लेती हैं आय उसी ने भी एक अच्छी बेटी का फर्ज निभाते हुए अपनी पढाई को आधे में ही बंद कर के शादी के लिए राजी होने का फैसला किया ऍम छक्के आया तो राजीव को एक कार्ड पोस्ट कर दिया गया और फोन पे अपनी शादी पे आने का निमंत्रण दे दिया गया । उस वक्त राजीव ने कई बार पोछा अरे नहीं जल्दी की वो शादी की तो ऐसी कुछ भी कह नहीं सकते । इस बात को लेके दोनों में अनबन होती रही और आखिरकार राजीव ने इस टॉपिक के ऊपर बात करना बंद कर दिया । शादी से राजीव खुश तो नहीं था और खुश होने की वजह से मालूम भी नहीं थी । धीरे धीरे दोनों में बातचीत होती हो गई थी । राजीव को एक सदमा सा लग गया था जैसे आयुषी उसकी जिंदगी से बहुत बहुत ज्यादा दूर जा रही है और दोबारा कभी उनका मिलना होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं । अक्सर शादी के बाद लडकियां शादीशुदा लाइफ में इस होना चाहती है कि बाहर की दुनिया की खबर लेने की भी ऐसा नहीं रहती है । उनको आयुषी को खो देने का डर तो लगा ही रहता था । राजीव को हर वक्त अंदर ही अंदर वो टूटने लगा था । अब आयुषी ने भी बात करना कम कर दिया था । राजेश राजीव कभी अगर आयुषी को कॉल करता तो कुछ न कुछ बहाना बनाकर बार में कॉल करूंगी । बोल के फोन कार्ड देती थी । दूसरी तरह जब आयुषी कॉल करें तो कई बार राजीव का मोबाइल स्विच ऑफ आता तो कभी आउट ऑफ कवरेज एरिया आता हूँ । दोनों एक दूसरे से चुनाव होने के सदमे में थे और अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं कर पा रहे थे । इस डर के कारण से कि कहीं सामने वाला उनको गलत ना समझे, एक दूसरे की दोस्ती टूटता जाए । प्यार का इजहार करके की दोस्ती भी एक अजीब रिश्ता है । जहां एक तरफ दोस्त की खातिर कुछ भी कर गुजरने का जज्बा रहता है वही दूसरी तरफ अपने दोस्त से प्यार है । इतना भी बोला नहीं जाता । जैसे जैसे शादी नहीं आ रही थी राजीव को लेकर आयुषी पर ज्यादा ही सोचना लगी थी । कॅश था की वह राजीव ऍम मोहब्बत करती है । अब तक दोनों एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार नहीं करवाए थे । ऍम हूँ सब आए थे शादी में शामिल होने के लिए सिवाय ऍम वो कुछ महीनो बाद एक दिन आयुषी ने कॉल किया । राजीव ऍम पूछा तो उसने ऍम था ये बोल कि बहाना बना रहे है । अब दोनों में बातचीत ना के बराबर हो रही थी । ऑफिस का बाहर आॅफ बहुत हुई थी उसके पति भी ज्यादातर ऑफिस के काम पर तो वो करते थे देखते देखते साल ॅ लग गया था फॅस उसके घर वालों ने ये रिश्ता देखना शुरू कर दिया था हूँ आज ही लडकी देखना चाहता हूँ लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर या पसंद नहीं बोल कर आ जाता ना उसके इस बर्ताव है आप ऍम एजेंट ने रिश्ते लाने भी कम कर दिया जाए । हर एक लडकी में वायु हो ही ढूढना करता था और नहीं पाते उदास हो जाएगा । लेकिन असल बात तो ये है कि उसे इस बात का ही नहीं था कि वह क्या हो रहा है । आॅल झल्लाकर राजीव उसके पास पहुंच गया, एक फॅमिली लगा लेगा । ऍफ का पता घटना पाया जाएगा इसीलिए उसने हाथ मिलाया ऍम आखिरकार हम मिल गया ऍम आज वो बहुत खुश था उसकी जुबान से ज्यादा आँखे बोल रही थी । ऍम से अब दोनों बाहर निकले मैं तो गाडी लाई हूँ ऍम कर के लाती हूँ । फिर आयुषी ये कह के गाडी लाने के लिए चली गई । अब राजीव भी स्टेशन से बाहर आ चुका था । राजीव के पीछे से हॉर्न बजाकर उस को अंदर आने के लिए कहा था । हाँ तो तुम ऍम इतना कहके उसने गाडी के अंदर से गुलदस्ते और चॉकलेट निकालकर राजीव को थमा दिया । क्यों? क्या बात है? पॅन हाँ हाँ और ज्यादा बडी बडी बातें करने की जरूरत नहीं है । पहले गाडी में बैठो । फिर आयुषी ने गाडी का दरवाजा खोलते हुए कहा दोनों गाडी में बैठे और आगे बढते चले पता । राजीव एक लैसे आयुषी को देखे जा रहा था । बरसों से किसी दिल के कोने में तबाह हुआ प्यार आज फिर से उभरने को म चल रहा था । इधर आयुषी पुराने दिनों में होने लगी । ऐसे हो दो जिसमें एक जन हुआ करते थे । कॉलेज के गेट से ले के फॅमिली तक एक दूसरे का साथ नहीं छोडते थे मानो एक दूसरे की परछाई हो । नब्बे के दशक के गाने लगा दु ऍम सुनना पसंद करोगे । हाँ हाँ क्यों नहीं ऍम भी आयुषी के कार के इसी ऑन करने के बाद राजीव नहीं कहा । भारी और मेरी पसंद कब से अलग होने लगी । राजीव इतना भी नहीं समझते । मैं तुम में समाई हुई हूँ और तो मुझे कुछ कहा तो नहीं तो मैंने कुछ नहीं कहा । मुझे लगा तुम मैं कुछ का । अभी अभी दोनों शांत हो गए ऍम खाना चल रहा था इतने दिनों से मिलने की आस लिए हमारा इंतजार कर रही हो रहा है । आज तक मिले हूँ तो सब कुछ मिल गया । लगता है क्या तुम भी ऐसा सोचते हूँ मेरे बारे में क्या सुननी चाहिए? सोचा है आयुषी दिन ही दिल में बोले जा रही थी । रास्ते भर दोनों कुछ भी बात नहीं कर पाए । लास्ट टाइम के सारे नजारे नजर के सामने चलने लगे । रबडी खाओगे नहीं हर एक खास बिलो हाइजेनिक है यहाँ की रबडी वर्ल्ड फेमस है । चलो ठीक है ट्राय कर लेते हैं तो हमारा वर्ल्ड फेमस देश भगवान दास होटल के सामने फॅमिली को रोका और तो और अगर पता है राजीव छोटी छोटी चीजे करने में बहुत खुशियाँ मिलती है । माना फाइव स्टार होटल की डिस बहुत अच्छी होती है लेकिन जो स्वाद यहाँ के खाने में हैं वो किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है । सुरेंद्र ने दो मिट्टी की कटोरी में रबडी लाख फिफ्टी रंग दिया दीदी ॅ और चलाऊ बता दो बस हो गया सुरेंद्र और बताओ कैसे हो लाल जा रहे हो ना टाइम पे हाथ भी जा रहा हूँ और घर में सब कैसे हैं? तुम्हारे पति बच्चे सास असर राजीव के सवाल का कोई जवाब नहीं उठा आयुषी के पास उसने सब ठीक है बोल दिया । झूठ बोलना उसे पसंद नहीं लेकिन आज बोलना पडा जगह है और माहौल ही कुछ ऐसा था बिल देने के लिए राज्यों ने जब पर्स निकाला तो दुकानदार ने पैसे लेने से मना कर दिया । आपको जी आपको आॅफ आपसे पैसे कैसे ले सकते हैं? हो रही थी यहाँ पर आयुषी कम मनचली खाता चलता है । भैया खाते में लिख देना ऍम दोनों कार में बैठकर आगे चल रही है हूँ ।

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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