चित्रलेखा रूपसिंह से प्रेम करती है लेकिन जमीदार का दुष्ट बेटा यशवंत चित्रलेखा से शादी करना चाहता है और अपने पिताजी से कहकर चित्रलेखा के घर विवाह का प्रस्ताव भिजवाता है। चित्रलेखा अपने पिताजी जीतसिंह से यशवंत के बुरे व्यवहार के बारे में बताती है और शादी से इनकार करती है। रूपसिंह और अपने प्रेम के बारे में पिताजी को बताती है। जीतसिंह के सामने दुविधा है आ जाती है और फिर दंगल का आयोजन होता है जो दंगल जीतेगा उसकी शादी चित्रा से होगी। रूपसिंह विजयी होता है और हारा यशवंत घायल शेर की तरह घात लगाता है। और फिर शुरू होता है दो परिवारों के बीच खूनी खेल।Read More
चित्रलेखा रूपसिंह से प्रेम करती है लेकिन जमीदार का दुष्ट बेटा यशवंत चित्रलेखा से शादी करना चाहता है और अपने पिताजी से कहकर चित्रलेखा के घर विवाह का प्रस्ताव भिजवाता है। चित्रलेखा अपने पिताजी जीतसिंह से यशवंत के बुरे व्यवहार के बारे में बताती है और शादी से इनकार करती है। रूपसिंह और अपने प्रेम के बारे में पिताजी को बताती है। जीतसिंह के सामने दुविधा है आ जाती है और फिर दंगल का आयोजन होता है जो दंगल जीतेगा उसकी शादी चित्रा से होगी। रूपसिंह विजयी होता है और हारा यशवंत घायल शेर की तरह घात लगाता है। और फिर शुरू होता है दो परिवारों के बीच खूनी खेल।