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तलाश भाग 6 in Hindi

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626 Listens
AuthorLakshmi Prakashan
ये कहानी हैं सुमन की उसके तलाश की, जीवन में कितनी भी परेशानियाँ क्यों ना हो लेकिन सफलता उसी को मिलती हैं जो निरंतर चलता रहता हैं| Author : ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek
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छठा भाग विकास को अर्चना के घर से सीधा अपने घर ले गया । वहां पहुंचे तो सामने हॉल में विजय के पापा बैठे थे । वे विजय के साथ विकास को देख कर खुश हुए क्योंकि वह समझ रही थी की विजय और अर्चना की शादी पक्की करने के लिए विकास आया है । विकास और विजय दोनों ने ही पापा को नमस्ते किया । फिर विजय कहने लगा आओ विकास कमरे में बैठेंगे । विजय के पापा बोले यही बैठ होना सफर कैसा रहा? विजय सफल तो पूरा होते होते रूक गया । पापा मुझे पहुंचने में देर हो गई और बिना मुझे लिए ही गाडी छूट गई । तभी वहां पर विजय की मम्मी आई और बोली कैसे बेटा, लडकी पसंद आई । माँ की बात सुनकर भी विजय डालते हुए बोला मैंने अपने दोस्त विकास का हमेशा जिक्र करता रहता था ना । ये वही विकास है । फिर विकास दिमाग को नमस्ते किया । फिर बोली भरी तुम लोग इतनी देर से खडे क्यूँ बैठो? बताओ क्या लोगे? ठंडा या गर्म मांगी? बात सुनकर विजय बोला नहीं गर्म, कुछ नहीं, भूख लगी है, खाना खाएंगे और हामा विकास अब यही रहेगा । विजय की बात सुनकर उसके पापा हसते हुए बोले हाँ विजय कीमांग, विकास को हम जल्दी थोडी ना जाने देंगे । इससे तो अभी रुकना ही पडेगा । विजय की माँ विकास विजय के दोस्त की सेवाएं अर्चना का भाई भी तो है । तब उसकी माँ उत्सुकता से बोली तब तो बात बन गई और हाँ विजय बताओ अर्चना कैसी है माँ को विजय कुछ जवाब देने ही वाला था । तभी विकास बोला छोडो ना ये शादी और सगाई की बात । माँ बोली तो विजय को उसने पसंद नहीं किया । माँ की बात सुनकर विकास बात बनाते हुए बोला हाँ कुछ ऐसी बात है कि जिस तरह विजय सुमन को प्यार करता है उसी तरह हमारी अर्चना भी किसी लडके से प्यार करती है । अर्चना के साथ साथ पापा भी उसकी प्रेरि के साथ शादी करने को तैयार हो गए हैं । विकास की बात सुनकर विजय को आश्चर्य हुआ कि विकास ने इतनी जल्दी बातें कैसे बना डाली और उसे जवाब सवाल के घेरे से बिल्कुल अलग रख दिया । फिर सोचने लगा कि शायद इसी को दोस्ती कहते हैं । शायद इसी बात से विजय की आंखों में खुशी के आंसू भराई थी और वो फिर अपने कमरे की और चल दिया । विजय के जाने के बाद उसकी माँ बोली विकास बेटे! तुम हर बात पर अर्चना के पापा क्यों बोलते हो? अर्चना की पापा तो तुम्हारे भी पापा है, फिर तो अपने पापा को क्यों संबोधित नहीं करते? विकास को माँ की बात सुनकर ऐसा लगा जैसे तन को बिजली हो गई हो । फिर बोला मैं आपकी प्रश्न को तो समझ रहा हूँ, मगर उत्तर कैसे दो ये समझ नहीं पा रहा हूँ । वैसे अर्चना मेरी बहन है और मैं उसका भाई हूँ और यू कहूँ तो अर्चना के पापा मम्मी मेरे पापा मम्मी है । फिर विकास के अपने घर से पिछड जाने से अर्चना को पापा के शरण देने और अब घर से भी अर्चना की मम्मी के द्वारा निकाले जाने वाली बातें बता दी । ये सब बातों को बताते समय विकास की आंखों में आंसू आ गए थे । इसलिए विकास से अपने मुंह को दूसरी और फेर लिया था । तभी विजय के बारे विकास के पास आकर विकास के चेहरे को अपनी और घुमा कर उसके आंसू पहुंचने लगी और बोली रो मत बेटे । ये जिंदगी कुछ ऐसी है जिसमें भी छोडने और मिलने को धूप और छांव की तरह झेलना पडता है । विकास इस जीवन का दूसरा नाम अगर हादसा रख दे तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी । विकास अब तुम यही रहोगी, इतने बडे घर में सिर्फ विजय ही तो है । वो भी हमेशा खामोश और खोया हुआ रहता है और उसकी खामोशी का कारण भी हम ही है । नगर विकास तो उसकी दोस्त और भाई होने के नाते तुम ही विजय को समझाना की उसकी खामोशी से हम लोगों को कितना दुःख होता है । विकास मेरे बेटी विजय शरीर से तो स्वस्थ है मगर मानसिक रूप से बीमार है, प्रेम रोग का शिकार है और जैसा की पहले ही बता चुकी हूँ बेटा के विजय के इस रोग का कारण हम लोग ही है । अब हमें आभास हो रहा है कि हमने विजय की प्रेमिका सुमन को उससे छुडाकर अच्छा नहीं किया मगर अब तो कुछ नहीं किया जा सकता । सुमन का मिलना असंभव है । विजय की मानसी सुमन के मिलने की बात सुनकर विकास को आश्चर्य हुआ क्योंकि विजय पहले ही बता चुका था की सुबह को घर छोडने पर विजय के माँ और पापा ने ही मजबूर किया था । विकास कुछ कहने वाला ही था तभी विजय की माँ फिर बोली अब हमने विजय की हालत को देखकर के निर्णय लिया है कि अब विजय के साथ साथ हम लोग भी सुमन की तलाश करेंगे और सुमन से अपनी गलती की माफी मांग कर विजय और सुमन की शादी करा देंगे । विजय अपने कमरे से निकलकर खाने के लिए बोलने ही रहा था । तभी अपनी माँ की बात सुनकर बडे गंभीर स्वर में बोला काश मैं आप ये पहले समझ गई होती की दौलत और प्यार में प्यार ही बडा होता है । मगर अब क्या होगा? मां आपके चाहने से कुछ नहीं होने वाला है । जो होना था वो तो हो ही गया । विकास नहीं आर विजय ऐसे उदास नहीं हुआ करते तो नीरज रखूँ मैं तुम्हारी सुमन और अपनी बहन को दुनिया की इस भीड से निकालकर ही रहूंगा । तभी विजय के पापा बोले विकास बेटे! मैं चाहता हूँ कि तुम दोनों दोस्त मिलकर आज ही सुमन की तलाश में निकल जाओ और सुमन को जल्दी ही हमारी बहु बना दो । दूसरे दिन विजय और विकास दोनों ही सुमन की तलाश में बम्बई के लिए रवाना हो गए ।

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ये कहानी हैं सुमन की उसके तलाश की, जीवन में कितनी भी परेशानियाँ क्यों ना हो लेकिन सफलता उसी को मिलती हैं जो निरंतर चलता रहता हैं| Author : ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek
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