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मेरे सपने मेरा गाँव - भाग 3 in Hindi

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AuthorRuby Pareek
मेरे सपने मेरा गाँव writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek Author : Omeshwari 'Nootan'
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तीसरा भाग आखिर वो दिन आ ही गया जिसके लिए राकेश ने सब अपनों को नाराज कर के भी कुछ पाने की जिद में था । नौकरी तो मिली ही हर वो ऑस्ट्रेलिया के मल्टीनेशनल कंपनी में अब तो खुश हो ना । बेटा माने खेल खिलाते हुए कहा हाँ हर मेरी नौकरी के मिलते ही तुम्हारी दुःख के दिन चले जाएंगे । मैं ये खुशखबरी पूजा और उसके पापा को भी बताकर आता हूँ । सच तुमने तो सच में आज ये साबित कर दिया कि जिद करो, सफलता जरूर मिलेगी । पर नौकरी कौन सी मिली है ये भी तो बताऊँ । पूजा ने राकेश के सीने पर सिर रखते हुए कहा अभी तो सिर्फ सीने से लगी हो । जब ये जानोगे कि नौकरी कहाँ लगी है तो खुशी से बाहों में भर होगी और ज्यादा मत सता हूँ । बता भी दो की नौकरी कहाँ लगी है ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया में खुद को राकेश से अलग करते हुए पूजा ने दोहराया क्या हुआ पूजा तो ऑस्ट्रेलिया जाओगे रागेश मैं तो सोच रहा था पूजा की ऑस्ट्रेलिया की मल्टीनेशनल कंपनी में मेरी नौकरी लगने की बात सुनकर तो खुशी से मुझ पर पकड मजबूत कर होगी । लेकिन ये क्या? तुम तो मुझसे छिटक गई क्योंकि मैंने कभी सोचा ही नहीं कि ये तो हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे इतना अच्छा प्रस्ताव मिला है । तुम जो कह रहे हो, वैसे और महत्वकांक्षा की दृष्टिकोण से सही हो सकता है, पर तुम्हें आंटी अंकल के बारे में सोचा है । मुझे सबसे ज्यादा खुशी तो उन्हीं के लिए है पूजा की । अब उन्हें खेती के भरोसे नहीं रहना पडेगा और सरोज की शादी भी अब धूमधाम से कर सकेंगे । ठीके राकेश तुम घर जाकर भी खुश खबरी सुना । मुझे कुछ काम याद आ रहा है । मैं चलती हूँ । आज तो अपने हाथों से हलवा बनाकर सारे गांव में बात होगी बेटा हमारे गांव से आज तक किसी को विदेश में नौकरी नहीं मिली है । राकेश की माने कहा कब जाना है बेटा? राकेश के पिताजी ने पूछा । कंपनी से वीजा पासपोर्ट आने पर निर्भर है बाबू जी तो में मनपसंद नौकरी मिलने पर मैं भी बहुत खुश हूँ पर सोचता हूँ कि तुम सात समंदर पार चले जाओगे तो मेरे बाद मेरी खेती बाडी का क्या होगा? लोग कहते हैं कि बेटा विदेश जाने पर वहीं का हो जाता है । तुम भी हमें भूल तो नहीं होगी तो चाहे जहाँ भी रह ऊपर हम किसानों के लिए धर दी । पूजनीय होती है ये मत भूलना । बेटा गिरवी पडी जमीन को मुक्त कराना बेचना नहीं ये आप क्या बात लेकर बैठ गए हैं बाबू जी बहुत बडे पैकेज के साथ नौकरी मिली है । मुझे अब हमारी मुफलिसी के दिन गए । इतना पैसा मिलेगा कि इस जमीन को तो कर्ज मुक्त कर ही लेंगे । और भी जमीन खरीद सकते हैं । पर मेरे बाद हमारे खेतों की देखभाल कौन करेगा? बेटा तुम जब की बात तब सोचेंगे । बाबू जी अभी तो आप हैं । हाँ । मैं चाहता हूँ कि ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले पूजा के पापा से मिलकर हमारी सगाई की बाद कर लेते तो हो हाँ! तो आपके चेहरे की रंगत ही बदल गई है भैया । सरोज ने छेडते हुए कहा मैं तो कब से दिन का इंतजार कर रही थी । बेटा रिश्तेदारों को लेकर कल ही तेरे बाबू जी के साथ पूजा के घर चले जाएंगे । राकेश की माँ ने कहा शमा चाहती हूँ आंटी जी पर अब इस की जरूरत नहीं है । दरवाजे पर खडी पूजा ने कहा तो उन का भाई और ये क्या कह रही हूँ । पूजा वहीं कह रहे हो जो कभी सोचा भी नहीं था । लडकी से पहले ही आंसू को समझाते हुए पूजा ने कहा, पर क्यों? पूजा? फिर उसने आतुरता से पूछा क्योंकि पापा अब इस शादी के लिए तैयार नहीं है । लेकिन बाबा ने खुदी मुझसे कहा था कि मैं उन्हें पसंद हूँ और नौकरी लगने पर तुम्हारा हाथ मेरे हाथों में दे देंगे । राकेश की नजरों में उम्मीद थी हार राकेश ये तब की बात थी जब तुम देश के भीतर ही नौकरी ढूंढ रहे थे । तुम्हारा मतलब पूजा की । मेरा ऑस्ट्रेलिया जाना तुम्हारे पापा को पसंद नहीं । बात पसंद ना पसंद की नहीं है । राकेश तुम तो जानती हो कि पापा ने कभी मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला । पर मैं उनके इस बात से सहमत हूँ कि अपना देश अपना ही होता है और फिर मैं अकेली संतान हो । उनकी और मैं उन्हें छोडकर विदेश नहीं जाना चाहती हूँ । ये तुम्हारा अंतिम निर्णय है । पूजा मैं फिर कहती हूँ राकेश की मैं अंकल के साथ उन्नत खेती करोंगे और तुम देश में ही नौकरी की तलाश करना तो तो मुझ पर अपनी बात थोपना चाहती हूँ । पूजा नहीं अपना विचार बता रही हूँ मैं । मतलब तू मेरे साथ ऑस्ट्रेलिया नहीं चल होगी । हाँ मेरी तो ये बात उनसे पहले भी कहीं है । मैं तो तहसीलदार की बेटी पूजा के लिए ये सोचता रहा कि आधुनिक सोच रखने वाली इस नए जमाने की लडकी है पर तुम तो गवाहों जैसी बातें कर रही हो । अपनी मिट्टी से प्रेम करना और माँ बाप के बुढापे का सहारा बनने की सोच रखना यदि गवाहों पर है तो मुझे औहदा बी मंजूर है । राकेश हमें किसी साडी में है पूजा और तुम अठारह साडी की बातें कर रही हूँ मैं भी तुम्हारी तरह हाई एजुकेटेड हो और सोच भी इसी सदी के रखती हूँ । इसीलिए तो कह रही हूँ कि हम उन्नत खेती करेंगे इसी सदी के अनुरूप और मेरे सपनों का क्या? राकेश ने पूछा हम दोनों की इस अपने देश में रहकर भी तो पूरा कर सकते हैं । राकेश सुखसुविधाओं में पली बढी दो खयालों की दुनिया में हो पूजा ये गांव ये खेती की बातों में आज इसलिए प्रभावित कर रहे हैं कि तुम कम समय के लिए और घूमने फिरने के लिए यहाँ पर आती हूँ । पर जब बारिश में खीचड भरी गलियों से गुजरी होगी और पंद्रह बीस घंटे तक बिजली गुल रहेगी, गर्मी के दिनों में नदी नाले सूख जायेंगे और बोरिंग से पानी आना कम हो जाएगा । तब तुम दो दिन भी यहाँ गुजार नहीं पाओगे । हमसे पूछो कि गांव कि जिंदगी में कितनी तकलीफ से होती है तो सच कह रहे हो । राकेश कि गांव के जीवन में भौतिक सुविधाएं तो है ही नहीं, साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है । तो यही तो कारण है मेरे गांव प्रेम का तुम ही कह रही हूँ पूजा की मुझसे ज्यादा गांव से प्रेम करती हूँ । अब ये कैसा सवाल है? राकेश प्रेम सिर्फ प्रेम होता है, कमियाँ ज्यादा नहीं । मैं तो ये जाती हूँ कि राकेश हमें अपनी कमियों से भागना नहीं है बल्कि उसे दूर करना है । अब ये क्या बात हुई? पूजा कौनसी कमियों की बात कर रहे हो तो वही जो आपने अभी अभी गिनाई है । गांव में सुख सुविधाओं की कमी तुम घूम फिर कर फिर वही आ गई । हम शादी की बात कर रहे हैं, कोई निबंध नहीं लिख रहे हैं और ना ही कोई राजनीतिक भाषण तैयार किया जा रहा है । जानती हूँ राकेश और पडी लिखी हमारी पीढी पर तरस आता है जो जमीनी स्तर के विकास की सिर्फ बातें कर सकती है । विकास नहीं तो अब हमारे घर की खेती के साथ साथ तुम गांव के विकास के बाद करने लगी । पूजा तो ये भी बाजारों कि तुम मुझसे प्यार है या तो बार बार मेरे प्यार पर सवाल की उठा रहे हो । राकेश मैं आपको कैसे विश्वास जिलाओं की आपको ही में अपना जीवन साथी बनाने का सपना देखते आई हूँ तो भी ये सब बातें छोडो पूजा और मेरे साथ ऑस्ट्रेलिया चलो हम यहाँ आते जाते रहेंगे और तुम चाहोगी तो किसी ऐसी जगह फार्म हाउस खरीद लेंगे जहाँ सुविधाएँ हो । हम दोनों की पेरेंट्स भी वहाँ पर साथ रह सकते हैं । मैंने जो सपना देखा था अब वो पूरा होने जा रहा है और मैंने ये सपना हमारे लिए देखा है कि हमारा जीवन स्तर ऊर्जा होगा । हमारे पास पर्याप्त पैसे होंगे और हाँ मैं भी विदेश जाने को उत्सुक नहीं रहा हूँ । पर यहाँ जब नौकरी के लिए ठोकरे खाता रहा तो ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया में अप्लाई कर लिया था और हमारी खुशकिस्मती से मुझे नौकरी मिल गई । सपने तो हम दोनों ने ही देखी है । राकेश पर बदकिस्मती से हमारे सपने अलग अलग हैं तो रास्ते एक होना मुश्किल है । माँ बाबू जी को प्रणाम करते हुए अब मैं चलती हूँ कहकर पूजा आंसू पहुंचती हुए निकल पडी

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मेरे सपने मेरा गाँव writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek Author : Omeshwari 'Nootan'
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