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किस भाग आठ सरोद के सपनों का राजकुमार घोडी चढकर उसके आंगन में आने वाला है । आर्थिक रूप से संपन्न हो चुके इस गांव में करन की मदद से ऐसे रंगारंग विभाग का समारोह चल रहा है जिसकी कल्पना सरोज ने कभी नहीं की थी । सरोज तो किस्मत वाली है । उसका भाई विदेश जाकर इतना रुपया कमाया की बहन की शादी धूमधाम से हो रही है । सरोज के किसी रिश्तेदार ने कहा विदेश जाकर ही दो साल में इतना रुपया कमाया जा सकता है । यहाँ रहता तो रोजगार ढूंढते ही रहता । भीड के बीच में से किसी ने कहा लेकिन राकेश कहाँ है कहीं दिखाई नहीं दे रहा है । दूसरे ने पूछा कहीं होगा अखिल लडकी का भाई है तो किसी काम में व्यस्त होगा । लेकिन मैंने तो सुना है कि उसने सिर्फ रुपया भेज दिया है और खुद नहीं आया । आपने गलत सुना है चाची शादी में और जो रौनक देख रही है वो मेरे किसान माँ बाबू जी की कमाई और मेरे वो बोले भाई इस जिला के कलेक्टर के कारण है । सरोज ने कहा दो साल पहले ही तो आई थी मैं तब तो तुम्हारी माँ कह रही थी कि इस थोडी सी जमीन की किसानी से बच्चों की पढाई के बाद मुश्किल से घर का खर्च चल पाता है । सरोज की दूर की बुआ ने कहा हाँ दो साल पहले जब मैं यहाँ आई थी तो इतनी रौनक नहीं थी । पर अब तो यहाँ के सब लोगों का घर द्वार और रंग ढंग देखकर ऐसा लग रहा है किसी के पास पैसों की कमी नहीं है । चाची ने पूछा आप सही कह रही है दीदी और इस गांव की उन्नति के बारे में सुन कर ही मैं अपने सगे भांजे की शादी में न जाकर दूर के रिश्तेदार होने के बाद भी यहाँ पर आई हूँ और यहाँ आकर देख रही हूँ तो जितना सुना था उससे भी ज्यादा देख रही हूँ । आप लोग ठीक कह रहे हैं और आप ही नहीं हुआ बल्कि आज यहाँ पर बहुत सारे लोग मेरी शादी के नाम पर हमारे गांव में हुई तरक्की को देखने ही आए हैं । सरोज ने कहा पर ये चमत्कार कर कैसे हुआ, ये है वह चमत्कार । सरोजनी किसी काम में व्यस्त पूजा का हाथ पकडकर सबके सामने लाते हुए कहा चमत्कार नहीं जाती है तो इन गांव वालों की एकता, दूरदर्शिता, विश्वास और मेहनत का प्रतिफल है । पूजा ने कहा ये मेरी सहेली पूजा है । नाले में बांध बनाकर एक फसली गांव को दो फसल की सौगात, आवारा घूमते पशुओं को एक ही जगह एकत्रित करके उससे फसल को बचाने के साथ ही साथ दूध का उत्पादन, बांध में मछली पालन, मशरूम उत्पादन के लिए हमारे गांव की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बनाने का काम, मुर्गीपालन बकरीपालन साथ में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन सब इसकी ही सोच का परिणाम है और बस बस सरोज रहने दे । पूजा ने आगे कहा, मैंने बताया तो चाची की ये सब सुखी इस गांव की मिट्टी से प्यार करने वालों के कारण संभव हो सकता है । एक बात मुझे हूँ हाँ जी । पूजा ने तुरंत कहा तुम इसी गांव में क्यूआई हमारे गांव में क्यों नहीं? आप भी न चाची बाल की खाल निकालती है? पूजा को खामोश देखकर सरोज ने कहा अच्छा तो फिर मुझे राकेश तमिलनाडु में उसी बात करके उसकी होने वाली पत्नी को अपने गांव ले जाउंगी । ये आप क्या कह रही है? चाची ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आप सोच रही है । मैंने बताया था की पूजा मेरी सहेली है और मेरे लिए ही इस गांव में वरदान बनकर आई है । इस गांव में तो सब के हाथ में रोजगार है और बरसों से हम किसानों की गरीबी तो ऐसे गायब हो गई है जैसे घरे के सिर्फ इसी चाची ने कहा । वहीं तो हमारे गांव को भी कोई पूजा मिल जाती तो हमारी जिंदगी भी समझ जाती । दुआ ने कहा सरोज! देखो तो बेटी कौन आया है । सरोज की माँ की आंखों में चमक और शब्दों से खुशी झलक रही थी भैया, आप माँ के साथ राकेश को देखकर कहते हुए सरोज राकेश के हाथों को छोडने लगी । बडो के हाथ नहीं पैर छूते हैं बेटा । मैं तसल्ली कर रही थी माँ की भैया ही मेरे सामने खडे हैं या फिर मैं सपना देख रही हूँ । सरोज ने कहा मैं तेरा अभागा भाई ही हो रही कहकर राकेश ने बहन का माथा चूम लिया । मेरे साथ आओ भैया पूजा को अपने कमरे की ओर जाते देखकर सरोज भी राकेश का हाथ पकडकर उसके पीछे जाने लगी । देखो पूजा भैया आए हैं । सरोज ने कहा इन्हें मालूम है सरोज राकेश ने कहा मालूम है सरोज ने आश्चर्य से दोहराया हाँ और पूजा के कारण ही मैं यहाँ खडा हो । राकेश ने कहा तुम ने मुझे बताया नहीं । पूजा बूत बनकर खडी हुई पूजा को जोडते हुए सरोज ने कहा उसे परेशान मत करो सरोज पूजा की नाराजगी सही है । पूजा आपसे नाराज भैया । आप कहते हैं कि उसी ने आपको बुलाया भी है । बाहर आज अचानक पूजा के बुलाने पर आप भी गए । ये सब क्या हो रहा है? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है । सरोज ने कहा आज तुम्हारी शादी है सरोज तो तुम परेशान मत हो । सरोज की दोनों बाहों को पकडकर बिठाते हुए पूजा ने आगे कहा, मैंने सोचा है कि तुम्हारे विवाह में राकेश को होना चाहिए और इसलिए मैंने उन्हें मैसेज करके कहा कि यदि कभी भी बाल के लिए भी आपने मुझे चाहा है तो दो दिन के लिए ही सही पर आ जाए और भैया तुम्हारी बात मान गए जब की दो साल पहले तो आपकी एक न सुनते हुए विदेश चले गए थे । सरोज ने पूछा मान नहीं गए बल्कि टूट गए और प्यारी बहना की शादी की बात सुनकर मुझे फोन करके रो पडे । पर मैंने जब कहा कि यदि बहन से इतना ही प्यार करते हो तो क्यों नहीं जाते हैं तब जाकर अपनी मजबूरी बताई है । पूजा ने कहा कैसी मजबूरी? सरोज ने पूछा माँ बाबू जी की बातों की अवहेलना और पूजा के प्यार की परवाना करने की जो गलती की है उसकी मुझे बहुत बडी सजा मिली है कि ऐसी सजा रहने भी दो । सरोज अभी शादी का माहौल है बाद में पूछ लेना राकेश तो अब यही रहेगा । पूजा ने कहा तो मैं कैसी बातें कर रही हूँ? पूजा मेरे भैया की घर वापसी हुई है और वह दुखी है तो कारण जा रहे बिना मुझे कैसे चलाएगा? राकेश ने फिर कहा सरोज में जिस कंपनी में काम करने गया था, चार माह काम करने के बाद मेरी बदकिस्मती से उस कंपनी में कुछ कर्मचारियों की छटनी करनी पडी जिसमें मैं भी शामिल था । मैं परेशान हो गया कि सबका नो की बातों को अनसुनी करके आया हूँ तो फिर वापस लौटकर कैसे जाऊँ और यॉर्ड भी जाओ तो रोजगार की समस्या से फिर सोचना पडेगा । यही सोचकर दूसरे काम की तलाश में लग गया । मेरे साथ ऑस्ट्रेलिया के निवासी कैथरीन भी उसी कंपनी से निकाली गई थी । उस ने मेरा सहयोग किया और हम दोनों ने मिलकर काम की तलाश की । कम पैसे वाला ही सही पर काम मिल गया । फिर दो महीने बाद ही मेरे सामने एक और समस्या आ गई । अब क्या हुआ? सरोज ने पूछा पिछली कंपनी द्वारा बनवाई गई वीजा की अवधि खत्म हो गई और वर्तमान कंपनी ने वीजा की अवधि नहीं बढाने की स्थिति में नौकरी से निकालने की बात कही । इस बीच परिस्थितियों ने कैथरीन और मुझे बहुत करीब ला लिया था और गैरी ने मुझे अपने प्यार का इजहार करते हुए विवाह का प्रस्ताव रखा । फिर मैंने वीजा की समस्या के समाधान के लिए कैथरीन के कहने पर उस से शादी कर ली । शादी से पहले कैथरी ने मुझसे शर्त रखी कि मुझे भारत नहीं लौटना है । मेरे भी दिमाग में साहूकार के कर्ज से मुक्ति पाने का भूत सवार था क्योंकि ये कर्ज मेरी पढाई के लिए ही लिया गया था । तो मैंने ये सोच करके उसकी शर्त मान ली की चुकी कैथरीन मुझ से प्रेम करती है तो शादी के बाद मेरे माता पिता के प्रति मेरी भावनाओं को समझेगी और मुझे अपने देश आने से नहीं रोकेगी । पर मैं भूल गया कि ऐसा समझौता सिर्फ हमारे देश की लडकियाँ ही कर सकती है । और फिर मैंने जब अपनों के साथ न्याय नहीं किया था तो मेरे साथ भी तो न्याय होना था । कैथरीन ने शादी के बाद घर वालों से बात तक न करने की हिदायत दी और एक दो बार जब तुम से और पूजा से बात हुई तो वो अपना आपा खो बैठे और मेरा पासपोर्ट, वीजा सब पढते हुए कहने लगे कि हम दोनों खुशी से रहेंगे पर यदि परिवार से बात भी की तो महिला उत्पीडन का केस दर्ज करवा कर हवालात भेजने से भी पीछे नहीं हट होंगे । और इतना सब होने के बाद भी जनाब ने हमें कुछ नहीं बताया था । पूजा ने आगे कहा जब तुम्हारी शादी की बात पर रो पडे तो मेरे बहुत जोर देने पर अपनी राम कहानी सुनाई । फिर भैया का आना कैसे संभव हुआ सर । उसने पूछा डीएम साहब के कारण संभव हो पाया । राकेश ने कहा मतलब करण भैया ने सहायता की । हाँ सरोज मैंने डीएम साहब को सारी बातें बताई तो उन्होंने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से जो कि उच्च शिक्षा के लिए इस समय ऑस्ट्रेलिया में हैं राकेश की मदद की और अब वो हमारे सामने हैं और तुम्हारी शादी से पहले पहुंच सको इसलिए स्वयं ही मुझे एयरपोर्ट तक लेने गए थे । राकेश ने कहा अब बातें बाद में करना राकेश तुम जल्दी से तैयार हो जाओ । नीरज एवम बरातियों को लेने एयरपोर्ट जाना है । राकेश के मैंने कहा ठीके माँ तुमने माँ को देखा । पूजा भैया के आते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई है । सिरोज ने कहा हाँ ना उम्मीदी के बाद मिलने वाली खुशी कुछ ज्यादा ही प्यारी होती है । वैसी चमक तो तेरे चेहरे की भी बढ गई जबकि दुल्हा तो अभी पहुंचा ही नहीं है । पूजा ने कहा बस पहुंच नहीं वाले हैं तो आप लोग की बातों को विराम देकर तैयार हो चाहिए । करण ने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा थैंक यू सर । कहते हुए पूजा उनके गले लग गई तो क्योंकि करण ने मुस्कुराते हुए पूजा के सर पर हाथ फेरते हुए आगे कहा, तुम लोग जल्दी बाहर आओ, मैं चलता हूँ । अब तो मैं क्या हुआ? तैयार नहीं बनाया गया । सरोज को मुझे लेकर बैठते हुए देख पूजा ने पूछा एक बात करुँ पूजा तो मैं बुरा तो नहीं लगेगा ना । ऐसी कौन सी बातें, सरोज डीएम साहब का मेरे विवाह में सहयोग करना और मुझे अपनी बहन बनाने का कारण एवं इस गांव पर प्रशासनिक बहर बाने का कारण कही तुम तो नहीं हो? पूजा तुम कहना क्या चाह रही हूँ? सरोज क्या तो सच में नहीं समझ रही हूँ । पूजा चलो मैं स्पष्ट कहती हूँ कि तुम डीएम साहब से प्यार तो ये समय इन सब बातों के लिए नहीं है । सरोज पूजा ने कहा कि जानती हूँ पर डीएम साहब से तुम्हारा गले मिलना मेरे गले से नहीं उतर रहा है । मैं ये भी जानती हूँ कि तुम राकेश भैया से बहुत प्यार करती हूँ और उनके लिए कुछ भी कर सकती हूँ । पर ये भी स्वीकारती हूँ कि भैया ने तो मैं बहुत दुख दिए हैं, लेकिन अनंत है तुम्हारे ही कहने पर भैया वापस भी तो आ गए हैं । पूजा तो क्या तुम भैया को माफ नहीं कर सकती? अभी मेरे पास तुम्हारे इन सवालों का कोई जवाब नहीं है । सर्वोच्च पर हाँ इतना जरूर कहूंगी कि राकेश के आने की खुशी में साहब को धन्यवाद देते हुए अनायास ही उनसे गले मिलना हो गया । और इतना तो तुम भी जानती हूँ कि डीएम साहब भी मेरी तरह गांव और किसानों के विकास में अपने सपने को साकार करने के लिए हमारी प्रशासनिक मदद कर रहे हैं और उन का तो काम ही यही है । मेरी बातों को तुम अन्यथा नहीं लेना । पूजा पर मैं यही चाहती हूँ कि मेरे गांव में आई खुशहाली हमेशा बनी रहे, जो तुम्हारे बिना संभव नहीं है । अपने मन से डर को निकाल दो सरोज किस गांव में बदहाली अब पलट कर कभी भी आएगी मैं पूर्णतः । मैं आश्वस्त हूं कि मैं तुम नीरज लिया । डीएम साहब के नहीं रहने पर भी इस गांव में उन्नति को अब कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि इस गांव के किसानों ने बदहाली के दिनों का दाह संस्कार नई सोच एवं उन्नति की अग्नि से कर दिया है । ऐसा क्यों? गहरी हो पूजा तो मैं तो यही रहना है । तो फिर वही बात तो मैं तैयार होना भी है या नहीं । हमारी बातें तो चलती रहेगी पर आज तुम्हारी सपनों का राजकुमार आने वाला है तो चलो सजना है तुम्हें सजना के लिए ।
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