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अच्छा लगा था । आज पुरी में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा है । वहाँ मुझे मालूम है और ये भी जानता हूँ कि तुम भगवान को नहीं बल्कि आपने नालायक बेटे को याद कर रहे हो । आज के दिन ही उसका जन्म हुआ था । तुम राकेश को बोल क्यों नहीं जाती है? सर, उसकी माँ कैसे भूल जाऊँ? क्या तुम उसे बोलता होगी? सरोज की मैंने कहा सही कहती हूँ । दुनिया से चले जाने पर भी कोई अपने बच्चे को नहीं भूल सकता है । हमारा बेटा तो इसी दुनिया में है फिर उसी कैसे भूल सकते हैं । सिरोज के बाबू जी की आंखें भर आई । आप दोनों उस निर्मोही को याद करके क्यों आज सुबह आ रही हूँ माँ उसे तो हम लोग कितना भी याद नहीं रही की आज के दिन होनी कर लेते । कहते हुए सरोज आंगन से निकल गई और घंटों तक आंसू बहाती हुई तब तक फोन लगाते रही जब तक राकेश ने फोन नहीं उठाया । हेलो फोन मत रखना भैया प्लीज मुझे बात करो । सरोजनी रोते हुए कहा । वही तो कह रहा हूँ तो तुम रो क्यों रही हो? राकेश ने कहा आप भी तो है भैया । सरोज के आंसू अब भी थम नहीं रहे थे । हाँ, मैं ठीक हूँ, तुम लोग कैसे हो? आज आपका जन्मदिन है । मैं बाबू जी आप को बहुत याद कर रहे हैं । भैया मुझे इस बात का एहसास है । कहते हुए राकेश का गला रूंध गया । क्या हुआ भैया, आप परेशान लग रहे हो? कहाँ थी को? फिर बार बार वही प्रश्न क्यों दोहरा रही हूँ । मैं ठीक हूँ और सो रहा हूँ तो मैं मालूम होना चाहिए कि इस समय यहाँ आधी रात है । माँ बाबूजी से कहना कि आपने इस नालायक बेटे को याद ना करें और बेकार में परेशान ना हो । तुम भी अपना ख्याल रखना ठीक है और समय निकालकर में ही फोन कर होगा । तुम दोबारा फोन मत करना रहते हुए राकेश ने फोन काट दिया । जो बात ही नहीं करना चाहता हूँ उससे बात करके क्यों अपनी तकलीफ से बढाती हो । सरोज पूजा ने उसके आंसू पहुंचती हुए कहा । पूजा के लेकर सरोज उसे गले मिलकर फूट फूटकर रो पडी है । भैया की बातों से लग रहा था कि वे कुछ परेशान है । सरोजनी से सकते हुए कहा मुझे यही लगा पर जब तक भी हम से कुछ कहेंगे नहीं, हम कर भी क्या सकते हैं । तुम्हें भी लगा मतलब क्या तुमने भी बात की थी । सरोज ने आश्चर्य से पूछा हाँ मैंने बात की थी और उन्होंने मुझे भी कल बात करने की कहते हुए बाद न करने का बहाना बना दिया । पूजा मायूस हो गई । मतलब तुम आज भी भैया से प्यार रहने दो । सरोज अब इन सब बातों का कोई मतलब ही नहीं रहा । पुजारे बीच में ही टोकते हुए कहा, भैया से मतलब ही नहीं रहा तो उनसे बात क्यों करती हूँ? पूजा क्योंकि मुझे लगा कि मम्मी पापा की दुर्घटना और तुम्हारे विवाह के बारे में बता देना चाहिए तो क्या कहा? भैया ने सरोजनी पूछा । उन्होंने मुझे बताने का मौका ही नहीं दिया । मेरे आंसू पहुंचकर अब खुद ही रोने लगी । पूजा सरोज ने उसके आंसू पहुंचते हुए कहा तो क्या लगा था कि तुम्हारे दुखिया मेरी खुशी से उन्हें अभी कोई लेना देना है? हो सकता है सरोज की वहाँ जाकर राकेश किसी मजबूरी में फस गया है । ये तो मुझे समझा रही हो या खुद को धोखा दे रही हूँ । पूजा ऐसा नहीं है । सरोज मुझे राकेश से कोई उम्मीद नहीं है । मैं तो बस उन्हें हम सबसे जोडी रखना चाहती हूँ । पर भैया को अब हम से कोई मतलब नहीं है । ये तो तुम समझ गई होगी । सिरोज ने कहा क्या समझा रही हो सर्वोच्च पूजा को? नीरज ने प्रवेश करते हुए कहा कुछ नहीं तो बताओ । नीरज बांध पर भीड इकट्ठा हुई थी । पूजा ने पूछा कल रात की दूसरी बारिश के बाद उन सब लोगों को लग रहा था कि बांध में पानी एकत्रित हो गया होगा । कहते हुए नीरज अपनी हंसी रोक नहीं पाया । उत्साह में वे लोग भूल रहे हैं की प्यासी धरती तृप्त होने के बाद ही पानी एकत्रित करती है । सरोज ने कहा सरपंच जी और मास्टर जी सहित कुछ लोग तुमसे मिलने के लिए यही आने वाले हैं । पूजा नीरज ने कहा आने वाले नहीं है बल्कि आ गए हैं । घन जामने प्रवेश करते हुए कहा बांध में तो पानी मिला नहीं होगा, लीजिए पानी पी लीजिए पूजा नहीं । पानी से भरे गिलासों को मास्टर जी के सामने बढाते हुए कहा तुम भी हमारा मजाक उडाने लगे बेटियाँ मुस्कुराते हुए मास्टर जी ने कहा कभी कभी सबकुछ जानकर भी धूल जाने में भी बहुत आनंद आता है जिसे आज मंदिर के कहने पर मैं भी बिना सोचे समझे बांध की ओर पानी देखने के लिए चला गया । पर वहाँ जाने के बाद हम सब को पानी भले ही नहीं मिला । पर पानी एकत्रित होने के बाद हमें क्या करना है ये बात जरूर सामने आई है । वो तो सब जानती है कि बांध में स्थित पानी सिंचाई के काम आएगा । सरोज ने झट से कहा यही तो बात है बेटियाँ की । हमने इसके अलावा भी कुछ सोचा है । पूरण सिंह ने कहा हमने एक और आमदनी का साधन ढूंढ लिया है । पूजा जी बस आप की स्वीकृति चाहिए । घनशाम ने कहा, बात क्या है ये तो बताइए । सरोज ने आतुरता से पूछा हमने सोचा है कि यदि बांध में मछली पालन किया जाए तो कैसा रहेगा? शंकर ने कहा, वाह क्या है ना कि पहले भी नाले से बरसाती मछली निकालते रहे हैं । पूजा को छुप देख घनशाम ने स्पष्टीकरण दिया, मैं आप लोगों की बातों से सहमत हूँ पर ये सोच रही हूँ की मछली उत्पादन के लिए बीज कब डालना उचित रहेगा । पूजा ने कहा इसमें सोचने की क्या बात है? पूजा जी जब ऊपर से पानी का बहाव आना बंद हो जाएगा तब हम लोग मछली बीज डाल देंगे । सुरेश ने कहा, हाँ ये तो सही सोच है । नीरज ने कहा, पूरे गांव को आय का एक और शोध मिलने के लिए आप सब लोगों को बधाई । पूजा ने मुस्कुराते हुए कहा एक और बात बताना है पूजा दे दी बिसाहू राउत ने कहा कहाँ हो? पूजा ने कहा आज करीब बीस किलो दूध गोठान के गायों से मिला है जिसे मैंने सर पंजी के घर छोड दिया है । मैंने आज उस दूध से खीर बनवा दी है जिसे बांध बनने की खुशी में प्रतीक घरों में थोडा थोडा बंटवाने का प्रबंध है । सरपंच ने कहा देसी गायिकी, दूध का खीर मेरे मूह में तो अभी से पानी आ रहा है । पूजा ने कहा आपको की इतनी पसंद है तो मेरे हिस्से की भी आपको दे दूंगा । शंकर ने उत्साह से कहा मेरे घर देने वाली खीर भी पूजा जी को भिजवा देना घनशाम पूरन सिंह ने कहा देख रही हूँ सरोज कि मेरे क्या पाया है और तुम होगी हमेशा मुझे कहती रहती होगी मेरे गांव में आकर तो में क्या मिला पूजा की आगे खुशी से छलक उठी । उसने आगे कहा मैंने भी तक जो भी योजना बनाई सिर्फ किसानों की आय को बढाने की सोच को लेकर आगे बढी और मेरा मानना भी यही है कि मार्टी पुत्र संपन्न होंगे तभी देश की उन्नति होगी और आज देखी दूध उत्पादन के बाद उम्मीद से भी पहले हम आमदनी की ओर बढ रहे हैं । सर पंजी आपसे मेरा निवेदन है कि अपनी अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर लीजिए जिसके अंतर्गत गुरूत् उत्पादन से लेकर के उसे होने वाले आय व्यय का पूरा ब्यौरा रखते हुए समिति का संचालन हो सके । पूजा सही कह रही है । मास्टर जी ने कहा अब आप लोगों से मैं उम्मीद करती हूँ कि तात्कालिक फायदा नहीं होने के बाद भी मेरे लिए मेरी एक बात अवश्य मानेंगे । आपका ये तो पूजा जी हमें आपकी हर बात अब बिना सुने ही मंजूर है । हाँ, मीडिया सरपंच जी सही कह रहे हैं हमें पूरा विश्वास है कि तुम जो भी करने को का होगी वो सौ फीसदी सही ही होगा । मास्टर जी सही कह रहे हैं । पूरन सिंह ने कहा मतलब आप सब लोगों ने तय कर लिया है कि आज मेरी खुशी की आंसू थम नहीं चाहिए । खुशी झलकने को बेकरार पानी को समझाते हुए पूजा ने आगे कहा, मैंने इन दिनों देखा है कि नाली के आस पास पहले सरकारी जमीन है उसके बाद ही आप लोगों की जमीन की शुरुआत होती है । हाँ ये तो सच है । सरोज के बाबू जी ने कहा उस जमीन का क्या करेंगे? आप लोगों ने कुछ सोचा गया । पूजा ने पूछा करना भी चाहे तो सरपंच जी कहते हैं कि सरकारी जमीन पर नाजायज कब्जा नहीं करने दूंगा । शंकर ने कहा हाँ पूजा दीदी मुझे भी लगता है कि यदि सरपंच जी की माना ही नहीं होती तो हमारे जैसे लोग वहाँ पर सब्जी भाजी ही होगा लेते । सोमारू ने कहा क्यों आप के पास अपनी जमीन नहीं है क्या? पूजा ने पूछा है तो सही पर पांच एकड जमीन में मेरे बाद तीन भाई और एक बहन है बहन तो चलो बिहार कर चली जाएगी । पर मैं चारों भाइयों के बीच बंटवारा होने पर गुजारा कैसे चलेगा? सोमारू ने जवाब दिया आपका कहना सही है पर वर्तमान समस्या की जिम्मेदार हम खुद ही है । पूजा ने कहा कि ऐसे दीदी सोमारू ने पूछा आप इस सूची भाई की तीन भाई न होगी । यदि आप लोग दो ही भाई बहन होते तो क्या आप के मन में ये बात आती की सरकारी जमीन पर कब्जा किया जाए । नहीं ना । अपने सवाल का जवाब स्वयं ही देते हुए पूजा ने आगे कहा, मैं मानती हूँ की इस बात की जिम्मेदार आप नहीं है पर समस्या का सामना तो आपको करना पड रहा है और इन्सान समस्या से हारता नहीं है तो फिर आपके सामने रोजी रोटी की समस्या का समाधान तो निकाल ही लेंगे पर यहाँ पर उपस् थित आप सभी लोगों से मैं निवेदन करती हूँ कि आप लोग अपने बच्चों के लिए बेरोजगारी की समस्या नहीं चाहते हैं तो आज की ही आज ही सभी नवयुवक यह शपथ ले की आपकी अधिक से अधिक दो संतानें हो । आप सही कह रही है दीदी, मैं तो अपने भाइयों सहित एक एक संतान ही रखूंगा । सोमारू ने कहा तुमने एकदम सही कहा है । सोमारू भाई बहन के बच्चे भी तो अपने ही होते हैं और इस तरह घर जमीन का बंटवारा भी रुक जाएगा और हमारे गांव के किसी भी युवा को बेरोजगारी का सामना नहीं करना पडेगा । सरपंच ने कहा सच में आज का दिन बहुत ही सार्थक रहा । नीरज ने समारोह के गांधी पर हाथ रखकर चलते हुए सबके सामने आकर खडे होते हुए आगे कहा, आज के दिन को इस गांव में हमेशा सोमारू के नाम से याद करेंगे और मैं पुरस्कार के रूप में इसे साइकिल रिपेयरिंग की दुकान खोल कर दूंगा । नीरज ने तालियों की गडगडाहट के बीच कहा, सच में इंजीनियर साहब फिर तो मुझे नाले के पास वाली सरकारी जमीन नहीं चाहिए । सोमारू नीरज के पैरों पर झुकने की कोशिश करने लगा तो नीरज ने उसी गले से लगाते हुए कहा, हम सब एक साथ खडे होकर सुख दुख बांटेंगे और गांव को खुशहाल बनाएंगे । तो आज से हम सब स्वेच्छा से यह निर्णय लेते हैं कि हमारे गांव में एक संतान के बाद ही परिवार नियोजन करवाएंगे । सरपंच ने कहा ऐसा हुआ तो हमारा गांव तो पूरे देश के लिए एक और उदाहरण बन जाएगा । सरोज ने कहा ऐसा हो जाएगा, क्या मतलब? सरोज लगभग पूरा गांव तो एकत्रित यहाँ पर और मुझे तो लग रहा है कि सोमारू के फैसले से सब सहमत है और भी सहमत क्यों ना हो । बच्चा एक ही हो, पर लायक हो और फिर जब एक ही संतान रहेगी तो उसका लालन पालन भी अच्छा होगा । मास्टर जी ठीक कह रहे हैं, हमारे गांव में आज कर इन सोमारू के संदेश के लिए ही जाना जाएगा । पूरे भीड से एक स्वर से आवाज आई । अब तो वे भी पूरी तरह आश्वस्त हो गई कि मुझे भी अपनी सोच पर कामयाबी अवश्य मिलेगी । पूजा ने कहा, पर हमने आपकी बातों को कब नहीं माना है? दीदी शंकर ने कहा भूल गए शंकर की दो फसल लेने की पूजा की बात का तो वही विरोध कर रहे थे । सरोजनी मुस्कुराते हुए कहा, वे तो तक के बाद थी जब हम लोग पूजा दे दी को नहीं जानते थे । शंकर ने झेलते हुए कहा बहुत शायद तुम भूल गए । सरोज की संकर के उस विरोध से ही गोठान बनाने के बाद निकल कर आई जिससे ही पहली कमाई होने वाली है । पूजा दीदी ने सही कहा है अब जब भी कोई मुझे उस दिन की याद दिलाने की कोशिश करेगा मैं उसे अपनी कामयाबी बताऊंगा । शंकर ने गर्व से आगे कहा, और पूजा दीदी ने जिस भी काम के लिए सोचा है उसे भी सब के साथ पूरी लगन से करूंगा । पहले ये तो मालूम पडे की पूजा चाहती क्या है? सरोज के बाबू जी ने कहा, मैं चाहती हूँ कि डाले के किनारे पडी खाली जमीन पर वृक्षारोपण करें लेकिन पूजा नाला तो हमारे गांव के बीचोंबीच रहता है । खाली जमीन भी बहुत ही इतनी अधिक मात्रा में पेड का हासिल आएंगे । सदानंद ने कहा पेट की व्यवस्था के लिए प्रशासन से सहयोग लेंगे पर उससे पहले पेडों को लगाने के लिए गड्ढे खोदने होंगी । पूजा ने कहा, पर यदि पूरी खाली जमीन पर उगाएंगे तो पेड अधिक मात्रा में लगेंगे । मास्टर जी ने कहा तो क्या हुआ, जितने भी पौधे लगेंगे मैं उपलब्ध करा होंगी । पूजा ने आत्मविश्वास के साथ कहा तो फिर मैं आपसे वादा करता हूँ दीदी की आपने युवा साथी के साथ हम लोग गड्डा खोद रहेगा, काम कर देंगे । शंकर ने आश्वस्त किया सूत्रों शंकर एक हजार से भी ज्यादा गड्ढे खोदने होंगे, हम लोग कर लेंगे । सरोज की चुनौती को स्वीकारते हुए शंकर के साथ कुछ और युवकों ने खडे होकर कहा, पर सिर्फ पेड लगाने से ही काम नहीं बनेगा, उसकी देखभाल भी करनी होगी । पूजा ने कहा, क्यों ना हम फलदार वृक्ष लगाए और जो पेड लगाकर उसकी देखभाल करेगा वही उस पेड के फल का हकदार होगा । नीरज ने आगे कहा, इंजीनियर साहब की कह रहे हैं इससे आय का एक ओशो तो गांव के लिए बनेगा ही साथ ही पर्यावरण को लेकर के मेरा जो उद्देश्य है उसकी भी पूर्ति हो जाएगी । पूजा ने कहा, तो आप लोग पौधों की व्यवस्था कीजिए । हमलोग चलते हैं । मानसून से पहले की बारिश हो चुकी है । हमारे पास समय भी नहीं है । हम घर से औजार लेकर सीधा नाले किनारे पहुंचेंगे । शंकर एवं उसके साथियों ने जाते हुए कहा
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