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चंद्रबाबू भाग बरसात से पहले खेतों में बीज डालने के लिए तैयारी करने में जुटे लोगों ने जब देखा कि आंधी तूफान के साथ बारिश होने लगी है तो बांध की और ऐसी दौडने लगे जैसे भेजने से बचने के लिए घर की और भागते हैं । क्या हुआ मंगतू सब लोग उधर की भाग रहे हैं । नीरज ने पूछा पानी गिरने वाला है तो बांध में पानी देखने जा रहे हैं परन्तु के जवाब से पूजा, सरोज और नीरज तीनों खिलखिलाने लगे । तुम लोग भी पहली बारिश का मजा लो । मैं चलती हूँ कहते हुए तेज बारिश में भी पूजा पेड की छांव से निकलकर जाने लगी । मत जाओ तूफान के साथ पहली बारिश भी होगी तो बीमार पड जाओगी । सरोज ने आवाज लगाई पर सरोज की बातों का पूजा पर कुछ असर पडा ही नहीं । उसने मन ही मन बुदबुदाया । मन के भीतर जो झंझावत चल रहा है उससे तो ये बाहर का तूफान कम ही है और बीते हुए दिनों की यादें उसके मन को झकझोडने लगे । ऐसा ही मंजर था जब पूजा पहली बार इस गांव में रावे के लिए आई थी । रावे को अंग्रेजी में यानी रूरल वर्ग एक्सपीरियंस प्रोग्राम कहते हैं । कृषि में अध्ययनरत आखिरी साल के विद्यार्थियों के लिए कृषि कार्य अनुभव प्रोग्राम जिसमें छात्र छात्राओं के द्वारा किसी गांव में जाकर वास्तविक किसानों के साथ कार्य करना होता है । विद्यार्थी किसानों से परंपरागत पद्धति का अध्ययन करते हैं और वैज्ञानिक पद्धति को सिखाते भी है । आज की तरह ये अचानक आई बारिश उस पर साथियों के जाने के बाद पापा के इंतजार में डरी सहमी पूजा संस्थान राहु पर अकेले ही आगे बढते हुए मन ही मन बुद्ध जा रही थी । मेरे बाबा से कहा भी था कि अन्य साथियों की तरह मैं स्कूटी लेकर होंगे पर अनजाने गांव का हवाला देकर काबा मुझे खुद ही छोड गए । हर अब तक लेने नहीं आए । पूजा बार बार पापा का फोन लगाई जा रही थी जबकि उनका मोबाइल लगातार बंद बता रहा था कि पीछे से किसी की बाइक रुकने के साथ ही आवाज आई, बारिश तेज और अकेले भी है । अब कहाँ जाना है मैं छोड दो आपको नहीं मैं चली जाऊंगी । अजनबी को सामने देख पूजा ने कहा घबराइए नहीं में इसी गांव का रहने वाला हूँ पूजा । बिना कोई जवाब दिए आगे बडने लगे तो बाइक सवार भी उनके पीछे हो लिया । मेरा नाम राकेश है और सामने ही मेरा घर है आप आ जाइए । मैंने कहा ना कि मुझे नहीं जाना है आपके साथ । पूजा ने शक्ति से कहा । राकेश के घर के सामने पहुंचते ही अधेड महिला छतरी लेकर आती हुई कहने लगी अंदर के साथ बारिश हो रही है । ऊपर से के लिए हुआ हूँ । थोडी देर रुककर जाना हूँ । जी चले पर मुझे छतरी उठाने से अभी भी जाएगी आपके बीच चलती हूँ । पूजा ने कहा पूजा तो हूँ उन्हें जानती हो सर्वोच्च उसकी । मैंने पूछा वहाँ ये पूजा है तहसीलदार साहब की बेटी हमारा कॉलेज आमने सामने ही है और पूजा ये है मेरे भैया राकेश जिसने तो में भेजते हुए देखकर माँ को लेने भेजा था, पर तुम यहाँ हमारे गांव में क्या कर रही हो? सरोज ने पूछा रावे के सिलसिले में आई थी तो बाकी सब लोग कहा है । सरोज ने पूछा बारिश की संभावना देखकर सब चले गए । मुझे बाबा ने छोड दिया था तो मैं उन्हें बुलाने के लिए फोन लगा दी रह गई । इतने में मेरे सब साथ ही निकल गए और इधर पापा का मोबाइल भी बंद है, जबकि बारिश भी शुरू हो गई । बातें बाद में करना जो पूजा पहले कपडे बदल लो । सरोज की माँ ने आगे कहा कल जो नए कपडे लाये हो उसे पूजा को दे दो । सरोच ठीक है मैं ये लोमा कडक चाय बना दो । राकेश ने दूध से भरा हुआ छोटा बर्तन देते हुए कहा इतने बरसते पानी में आपको डूड के लिए गए थे । पूजा ने पूछा नहीं हमारे घर पर गाय है । उस से ही दूध निकालकर ला रहा हूँ । चाय तो मैं पीती नहीं हूँ पर दूध देखकर भूख बढ गई है । पूजा ने सरोज से कहा माँ मेरी सहेली पहली बार हमारे घर आई है और शायद उसे भूख भी लगी है । मेरे घर में बेसन हो तो पकौडा बना देती । सरोज रसोई में माँ के कानूनी खुश हो जाती है । मैं भी यही सोच रही थी पर कहनी पाई । कल कडी बनाने के लिए लाया हुआ बेसन तो है । आप के पकौडे तलते तक मैं उसे दूध दे दे दी हूँ । इतना स्वादिष्ट दूध में पहली बार पी रही हूँ । पूजा ने कहा हूँ देसी गाय का ताजा दूध है । सरोज ने कहा पापा सही कहते हैं कि भारतीय स्वाद का मजा तो गांवों में ही मिलता है । सुबह से निकले थे तो सोचा था जल्दी वापस हो जाएंगे । पर देखो शाम हो गई । सच में मुझे बहुत भूख लग रही थी तो लीजिए पकौडे दिखाई । राकेश ने पकौडे से भरा प्लेट थमाते हुए कहा पहली बारिश और तेज भूख उस पर ये गरम गरम पकौडे सच में मजा आ गया । पकौडे खाते हुए पूजा ने कहा आप लोग भी खाइए, मैं अकेले ही खाए जा रही हूँ । इत्मीनान से पकौडे खाती हुई पूजा को महसूस हुआ कि सब उसकी तरफ ही देख रहे हैं तो उसने कहा आपका ये आपके खाने से ऐसा लग रहा है किसी गांव में मिट्टी के हमारे घर में कोई राजकुमारी अगर हमें धन्य कर रही है । राकेश ने कहा राजघरानों के बारे में जानते नहीं है । शायद आप राजकुमारियां ऐसे सडक पर भेजती नहीं रहती है । पूजा ने हसते हुए कहा तो हम जैसे किसान के बेटे के लिए तो आप राजकुमारी ही है । राकेश ने कहा थल ओ फोन बजते ही तुरंत उठाते हुए पूजा ने कहा सौरी बेटा कलेक्टर साहब के साथ एक जरूरी काम में फस गया था । हमलोग नेटवर्क से बाहर थे तुम्हारी मैंने बताया कि तुम अभी तक घर नहीं पहुंची, किसी दोस्त के घर पर हो गया । दोस्त के घर पर तो ऊपर अभी गांव में ही हूँ पापा । पूजा ने कहा अभी तक वहाँ क्या कर रही हो? बेडा यहाँ बहुत बारिश हुई । ये बाबा अरे पर इधर तो सिर्फ तेज हवाएं चली है तो उन सब साथ होना नहीं । बाबा में अकेली हूँ तो तुम दोस्तों के साथ क्यों नहीं आई? आपने तो कहा था कि लेने आएंगे तुम ठीक तो ना? बेटा हाँ बाबा, मेरी एक सहेली इसी गांव कि है । उसके घर पर गरम गरम पकौडे खा रही हूँ । ठीक है बेटा तो वही रुको । मैं आ रहा हूँ । ठीक है पापा । भैया ने में राजकुमारी से संबोधित क्यों? क्या बताऊ? पूजा उसके फोन रखते ही सरोज ने कहा । कुछ कहने से पहले ही नहीं सरोज कहते हुए राकेश ने अपने हथेली से उसका मूड बंद कर दिया । बताने दीजिए । पूजा ने सरोज के मुझसे रागेश की हथेलियों को हटाते हुए कहा । भैया कह रही थी कि तुम अकडू हो । सरोजनी झट से कहा अच्छा मैंने की अगर दिखाई है भला । पूजा ने कहा जी मैंने ऐसी कह दिया । राकेश ने निगाहें निजी करके कहा भैया झूठ बोल रहे हैं । पूजा गहरे दी की भी गई थी पर मेरे साथ बाइक पर बैठना मंजूर नहीं था । सरोज ने कहा ये बात है अभी बताई आंटी जी किसी अजनबी के साथ क्या मुझे बाइक पर बैठ जाना चाहिए था? पूजा ने आंटी के पास बैठे हुए कहा आपने सही किया । सरोज की माँ ने कहा तहसीलदार साहब आ गए घर के सामने का रुपये ही सरोज के बाबू जी ने कहा सरोज की माँ बाबू जी एवं उसके भैया से मिलकर बहुत अच्छा लगा पापा आप ठीक कहते हैं कि गांव में हमारे देश की आत्मा बसती है । इतना अपना बंद तो मुझे मेरे साथ बचपन से पडने वाली सहेलियों के घर से भी कभी नहीं मिला । जितना इन लोगों ने पहली मुलाकात में मुझे अपना लिया और फिर इस अपना तो हमें पूजा अपना दिल दे बैठी । परन्तु जिस राकेश ने अपने परिवार से पूजा को मिलाया था उसी ने अपनी उच्च आकांक्षा के लिए न सिर्फ पूजा को तबाह कर दिया बल्कि घरवालों के प्यार गोभी ठुकराकर गांव तो क्या देश से भी दूर चला गया । धरी हफ्ते भी गई है । पहली बारिश में इस तरह तरबतर होना ठीक नहीं है । तबियत खराब हो जाएगी । आओ जल्दी से गाडी में बैठो । डीएम ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहाँ और उनकी आवाज से पूजा कल से आज में आ गई लेकिन सर में भेजी हुई हूँ और बैठने से आपके कार की सीट भीग जाएगी । पूजा ने कहा सीटी तो है भी कि ये ना गाडी बहुत हो नहीं जाएगी । अब तो बारिश भी कम हो गई है । सर और घर भी पास में ही है तो मैं चली जाउंगी । पता था मुझे की ऐसा ही कुछ जवाब मिलेगा । पर डीएम ने आपके लिए दरवाजा खोला है तो इस की तो इज्जत रख लीजिए अब बहुत जिद्दी है । हो जाने बैठने के बाद कार का दरवाजा बंद करते हुए कहा मेरी माँ भी यही कहती है हर कौन कौन है घर में माँ के अलावा पूजा ने पूछा बहन है जिसकी शादी हो गई है उस दिन बताया तो था आपको सौरी मुझे ध्यान नहीं रहा सौरे की बात नहीं है पूजा पर मैं तुम्हें एवं तुम्हारी बातों को जितनी गंभीरता से लेता रहा हूँ आप नहीं ले दी है और मुझे तो ये भी लग रहा है कि मैं कुछ बातें करो । इससे पहले या पूछे बेकार की बातों में उलझाना चाहती हैं । नहीं ऐसा नहीं है । चोरी पकडे जाने पर पूजा जीत गई और कहने लगी सामने का घर ही हमारा है, यही उतार दीजिए । मुझे अपने घर नहीं ले जाएंगे मुझे जी आइये ना ऐसा लगता है जैसे मजबूरी में बुला रही है आप मुझे ऐसी बात नहीं है सर तो क्या बात है? डीएम ने पूछा इस घर ने मुझे अपना लिया है पर मेरा घर नहीं है इसीलिए ये तो गलत बात है । पूजा सरोज की माँ ने अपनी छतरी के नीचे पूजा को लेते हुए आगे कहाँ गरीब की कुटिया में आईएसएसएफ मैं तो पहले से ही भेजी हुई होमा छतरी की जरूरत तो कलेक्टर साहब को है । पूजा ने कहा मैं भी भेजना चाहता हूँ कहते हुए डीएम कार से उतरकर घर की और दौड पडे बैठी साहब । कुर्सी को अपनी बेगम से से पहुंचने हुए सरोज के बाबू जी ने कहा मैं पकोडे अच्छे बनाती है, खाएंगे आप । पूजा ने पूछा पूजा मैं उसे प्रश्न भरी निगाहों से देखते हुए बोली जैसी पकोडा बनाना संभव नहीं है । कल ही तो बेसन लाये थे नामा । पूजा ने कहा बेसन की बात नहीं है पर कलेक्टर साहब क्या हमारे घर खायेंगे? तुम सही कह रही हो ना । पूजा ने कहा ये क्या बात हुई? माँ आप पकोडे बनाइए बिल्कुल वैसे ही जैसे राकेश के लिए बनाया करती थी जी साहब साहब के लिए नहीं बेटे के लिए बनाई है माँ । डीएम ने कहा माँ की आगे भराई और वो रसोई की और बढ गई न मस्ती सर सरोज और नीरज ने प्रवेश करते हुए कहा नमस्ते नीरज, तुम्हारा बांध ठीक तो है नहीं । पहली बारिश में ही सरकारी बांध नहीं है सर । गांव वालों ने बडी जतन से खुद के घर की तरह बनाया है । डीएम की बाद पूरा होने से पहले ही पूजा ने कहा मुझे आप से ऐसे ही बातों की उम्मीद थी । मतलब ये कि नीरज ने जितने भी काम किए हैं वहाँ के बांध जितना मजबूत नहीं होगा क्योंकि नीरज तो ठहरा सरकारी इंजीनियर, डीएमके होठों पर मुस्कुराहट फैल गई मैंने ऐसा तो नहीं कहा असर पूजा झेप गई फिर तो आप का पैमाना गलत है पूजा जी । डीएम ने कहा कि ऐसे हर काम जो सरकारी है उस पर भ्रष्टाचार का तंज कैसी बिना नहीं रहती है और यही बात मैंने नीरज के लिए कही तो आपने पल्ला झाड लिया क्योंकि मैं जानती हूँ सर के मेरा भाई पैसों के पीछे भागने वालों में से नहीं है । इसका सबूत बिना पैसे लिए हमारे लिए कार्य करना तो आप लोगों ने मुझे कितना पैसा दिया है कि ये भी बता दीजिए । डीएम ने कहा पूजा की बात का बुरा मत मानिए साहब, आप नहीं होते तो हमारा काम सफल नहीं होता था । सरपंच ने कहा सरपंच जी आप इस समय पूजा ने पूछा कलेक्टर साहब की गाडी देखी तो साहब को धन्यवाद गहरे चला आया । सरपंच ने कहा कि इस बात का धन्यवाद सर पंजी । डीएम ने पूछा । नीरज ने बताया कि हमारी सुविधा के लिए ही आपने इनका तबादला यहाँ करवाया है । फिर तो इस धन्यवाद के हकदार सरोज भी हाँ हम सबको धन्यवाद दीजिए । पूजा ने डीएमके बाद को बीच में ही काटते हुए कहाँ क्या हुआ पूजा तुम्हारे माथे पर यू अचानक पसीना क्यों कहते हुए सरोज के माँ बाबूजी दोनों ही हस पडे नहीं तो कहते हुए पूजा अपने दुपट्टे से पसीना सुखाने लगे । आप घबराइए नहीं पूजा मैंने सरोज और नीरज के संबंध में सब बातें कर ली है । डीएम ने कहा मतलब पूजा को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ । मतलब ये है कि बेटा कलेक्टर साहब ने नीरज और सरोज की शादी की बात हम से कर ली है । सरोज की मैंने कहा ये बात है जबकि मुझे ये चिंता खाए जा रही थी की आपसी इनके बारे में मैं कैसे बात करूँ । पूजा ने कहा अब तो स्वीकारती है ना कि नीरज नि स्वार्थ होकर काम नहीं कर रहा है । मल्की इस गांव के बेटे पर इसकी नियत थी । डीएम ने कहा मैं इस बात को दूसरे तरीके से कहना चाहूंगा । साहब की हमारी बेटी ने गांव को ऐसा बेटा दिया है जिसे हमारे गांव की परवाह है । सरपंच ने कहा पर एक बात मुझे नीरज से कहना है कि मैं गरीब किसान अपनी सरोज को दो कपडे के अलावा कुछ नहीं दे पाऊंगा । सरोज के बाबू जी ने कहा जितना मैंने समझा है नीरज को सरोज और आप लोगों के प्यार के अतिरिक्त और कुछ नहीं चाहिए । रही बात सरोज की शादी की तो वो तो बडी धूमधाम से होगी क्योंकि डीएम की बहन की शादी में रौनक न हूँ ये कैसे हो सकता है साहब आप आपकी बेटी मेरी बहन है तो आप मेरे पिता के समान हुए और पिता पुत्र के सामने हाथ जोडी ये हमारी संस्कृति में नहीं है । सरोज के बाबू जी के जोडे हुए हाथ को अपने दोनों हाथों से थामते हुए डीएम ने आगे कहा, सरोज में जानता हूँ कि राकेश की कमी तो मैं पूरी नहीं कर पाऊंगा पर क्या तुम मुझे भाई मानता होगी? सर कहते हुए सरोज ने बाबूजी का हाथ पकडे डीएमके हथेलियों को थाम लिया । सर नहीं अब से भैया करन भैया । डीएम ने कहा ठीके भैया । सरोज ने कहा ।
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