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बारवा भाग हूँ जी सर मैं पूजा बोल रही हूँ, तुम्हारा नंबर है मेरे पास काम ठीक चल रहा है । कलेक्टर साहब ने पूछा जी बांध का काम तो अंतिम पडाव पर है सर मैंने आपको धन्यवाद कहने के लिए फोन किया था । किस बात का धन्यवाद । आप की मदद से हमें गोठान के लिए पर्याप्त जमीन मिल गई । सर पूजा ने कहा ये तो हमारा काम ही है बल्कि सराहनीय कार्य तो तुम कर रही हूँ । धन्यवाद सर, तुम्हारी कार्य की सराहना चारों और हो रही है । धन्यवाद सर जी, तुम्हारे पास धन्यवाद का खजाना है गया । कलेक्टर साहब ने हसते हुए कहाँ शिकायत भी है सर आप से? पूजा ने कहा ऐसी शिकायत एनजीओ भेजकर आपने हमारी कार्यक्षमता पर प्रश्न खडे कर दिए हैं । सर ऐसी बात नहीं है । पूजा फिर अग्रवाल जी को मेरे सहयोग के लिए क्यों भेजा था आपने पूजा की इस मासूमियत ने कलेक्टर साहब के होठों पर मुस्कान ला दी । उन्होंने कहा मैंने अग्रवाल को तुम्हारे सहयोग के लिए नहीं बल्कि नवाचार को देखने के लिए कहा था । पर उन्होंने तो मुझे सहयोग देने की बात की । हमें बच्चा समझकर अपने अनुभव का धौंस जमाने की कोशिश कर रहे थे । पूजा ने कहा हाँ, ये जरूर गलत किया है । उसने यही पर होता है । काम करने वाले और प्रदर्शन करने वाले में उसे क्या पता कि काम के मामले में तुम उस क्या हो? कहीं आप मेरा मजाक तो नहीं उडा रहे हैं? सर नहीं तुम्हारी हिम्मत बढाने की कोशिश कर रहा हूँ । तुम जैसे युवाओं के हमारे देश को सख्त जरूरत है । पूजा के भी बाकी ने कलेक्टर का मन मोह लिया । धन्यवाद सर, फिर धन्यवाद । कलेक्टर ने दोहराया सॉरी सर, समय मिले तो आप हमारा काम देखने आइए । गंग वहाँ जरूर आऊंगा । किसी बात कर रही थी पूजा सरोज ने पूछा कलेक्टर साहब से मैं तो डर रही थी पर बहुत अच्छी तरह बात हुई । तेहसीलदार की बेटी हो तो बात तो अच्छे से करेंगे ही । तुम सही कह रही हो । पापा ना होकर भी मेरे साथ है । पूजा के आगे भराई । सौरी पूजा मेरा मकसद तुम्हें रुलाना नहीं था तो उनकी सारी कह रहे हो । सरोज बाबा की बात करना मुझे बहुत अच्छा लगता है । भूटान के चारों और गड्ढे खोदने का काम भी पूरा हो गया । पूजा जी पर मुझे एक नई समस्या दिखाई दे रही है । शाम लाल ने प्रवेश करते ही कहा अब क्या समस्या नहीं सर । पंजी कल शाम से कुछ जानवरों को इकट्ठा किए हैं । सुबह गया तो गोबर देखने पर ध्यान आया कि चरवाहों के साथ साथ हमें साफ सफाई के लिए मजदूर रखना होगा । सरपंच ने कहा आपका कहना सही तो है पर इससे जानवरों को रखने की लागत पड जाएगी । वहाँ और साथ ही हमें गूगल सहित कचरे को फेंकने की भी व्यवस्था करनी होगी । घनशाम ने कहा उसके लिए तो पुराने पर नदी ही ठीक रहेगी । सरोज की माँ ने कहा कि ऐसी पद्य दीमा पूजा ने पूछा । घरों से निकलने वाला कचरा इवन गोबर के लिए घर के एक कोने में ही गड्डा खोदकर उसमें ही डाल देते थे और ऊपर से मिट्टी से ढंग देते थे और उसे ही खेतों में खाद के रूप में उपयोग में लाते थे । लाख तक की की बात कही है । मानी पर में इससे थोडा बदलाव करना चाहूंगी । सरपंची कैसा बदलाव पूजा जी सरपंच ने पूछा भूटान की चारों कोने में बडे बडे गड्ढे बनाकर उसमें कम्पोस्ट खाद तैयार करेंगे । वो होता है पूजा । सरोज के दाबू जी ने पूछा हम उसे देसी खाद कहे तो ठीक रहेगा । सरोज ने कहा वहाँ देसी खाद ही मान ले और यह खाद रासायनिक खादों से बेहतर होती है । पूजा ने कहा, देसी खाद से तो उत्पादन कम होता है । सरपंच ने कहा ऐसा तो नहीं है । फिर भी हम यदि यह भी मान ले के देसी खाद से उत्पादन कम होगा तब भी कमाई अधिक होगी । पूजा ने कहा कैसे होगा बेटा बाबू जी ने पूछा । पहली बात तो यह है कि देसी खाद, जिसका उत्पादन हमारे द्वारा किए जाने के कारण लागत कम रहेगी और दूसरा फायदा यह भी होगा कि हमारी जमीन की उर्वरक शक्ति में गिरावट नहीं आएगी और फिर गोबर खाद से उत्पादित फसलों का बाजार में बहुत मांग रहती है, जिससे कीमत भी ज्यादा मिलेगी । पूजा ने कहा, तो फिर ऐसा ही करते हैं । खाद खरीदने का पैसा भी बच जाएगा और उत्पादन का दाम भी ज्यादा मिलेगा । सरोज ने कहा, और यदि हमारे उपयोग के बाद कुछ खाद बच गया तो उसे शहर में बेचा भी जा सकता है । पूजा ने कहा, शहर वाले खाद का क्या करेंगे? घनशाम ने पूछा, फार्म हाउस वाले नर्सरी के लिए खरीदते हैं, जिनके घरों में किचन, गार्डन एवं बगीचे के लिए जरूरत होती है । पूजा ने कहा, इससे तो हमें अच्छी खासी कमाई भी हो जाएगी । सरपंच ने कहा, हाँ और खाद में कमाई करने के लिए एक निश्चित तादात के बाद भुरभुरी मिट्टी की पढते डाल देने से खाद की मात्रा तो बढी जाएगी साथ ही खाद की उर्वरकता भी बढेगी और इसी व्यवसाय के तौर पर भी अपनाया जा सकता है । पूजा ने कहा, एक चीज अभी भी छूट रही है क्या सर पंजी? पूजा ने पूछा जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था कैसे होगी? उसके लिए तो मैंने सोच रखा है कि गोठान के आधे हिस्से में हरा चारा हो जायेंगे, जिससे पांच महीने तक जारी की व्यवस्था हो जाएगी । शीर्ष समय के लिए हमारे उत्पादन से बने अविशेष को परिवर्तित करके एकत्रित कर लेंगे । जैसे पहले हम लोग घर के पालतू जानवरों के लिए चारा रखते थे । सरोज ने कहा, सर्वोच्च ठीक कह रही है । सरपंच ने समर्थन किया तो आप देख लीजिए सरपंच जी के किसी गोठान की देखभाल के लिए नियुक्त करना है । पूजा ने कहा हाँ जी से कहेंगे । सरपंच ने कहा मैं तो चाहती हूँ कि गांव के लोगों को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जाए । इससे उन्हें रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही अपनापन होने के कारण जिम्मेदारी से काम भी करेंगे । आप ठीक कह रही है पूजा जी । सरपंच ने कहा क्या हुआ फौजी चाचा कहाँ कुछ परेशान लग रहे हैं । माथे पर शिकन लिए पूरन सिंह जी को आते देख सरोज ने पूछा तुम सच कह रहे हो? बेटा आज मैं बहुत दुखी हूं और कैसे कहूँ? मैं पहली बार देख रही हूँ कि आप किसी बात को कहने के लिए इतना सोच रहे हैं और आप जैसे हिम्मत की मूर्ति को टूटते हुए भी पहली बार देख रही हूँ । सरोज ने कहा सच मुझे टूट चुका हूँ में कहते हुए पूरन सिंह के आगे भराई । अब मुझे डर लग रहा है । फौजी जांचा बताइए क्या हुआ है मेरा बेटा आज मुझसे रिश्ता तोडकर चला गया । आंसुओं को समेटते हुए पूरन सिंह ने कहा ऐसी क्या बात हो गई और फिर वो तो शहर में रहते हैं सर । उसने पूछा हाँ शहर में नौकरी करता है वहाँ मैंने उसके लिए फ्लैट भी खरीद दिया है । कल शाम से घर पहुंचने ही अपने माँ से लडाई कर रहा था । लडाई कर रहा था पर क्यूँ पूजा ने पूछा रिटायरमेंट में मिला हुआ रुपया मांग रहा था । कहता है गांव के विकास से हमें क्या लेना देना? अपना पैसा गांव में खर्च करने के बदले उन्हें दे दू तो दे दीजिए । फौजी चाचा जिंदगी भर तो देश की सेवा के लिए परिवार से दूर ही रहे हैं । अब जब पास आए हैं तो घर वालों के साथ सुखपूर्वक रहेंगे । बांध के लिए तो पैसों की व्यवस्था कहीं ना कहीं से होगी जाएगी । पूजा ने कहा मैं जानता हूँ कि जिस काम की शुरुआत हो चुकी है वह पूरा होकर ही रहेगा । चाहे मेरा सहयोग रहे या ना रहे पर में अपनी मेहनत का पैसा वहाँ खर्च करना चाहता हूँ जहाँ खर्च करके मुझे संतुष्टि मिले । आपके बेटे ने पैसे मांगे हैं । पूजा ने पूछा कहता है उसके मित्रों के पास बडी बडी कार है तो वो भी महंगी कार में घूमना चाहता है । इसलिए उसे मेरा पूरा पैसा चाहिए । अभी जिस कार में वह घूम रहा है उसे भी खरीदने के लिए मैंने अपने जीपीएफ का पैसा निकाल कर दिया है । हाँ, ये मांग तो उसकी गलत है । सरोज के बाबू जी ने आगे कहा, पर क्या करें? आजकल के लडकों का तो सपना ही ऐसा होता है जिसे पूरा करवाना हम जैसे पिता के लिए मुश्किल होता है । जब तक बच्चों को हमारी जरूरत रहती है तब तक उन्हें अधिकार याद रहता है । माता पिता के हर चीज पर उनका अधिकार होता है । पर जैसे ही माता पिता को उनकी जरूरत होती है को हमें भूल जाते हैं । इसीलिए मैं इस बार अपनी बेटी की जिद के आगे नतमस्तक नहीं हुआ । अपने जीवन की सारी कमाई उसकी पढाई लिखाई और सुख सुविधाओं के लिए ही खर्च करता रहा । उसकी माँ अपनी हर इच्छा को मारकर बेटे को सरकारी नौकरी में देखने के लिए सारा पैसा बच्चों के लिए खर्च कर दी रही । मैं जब भी छुट्टियों में घर आता तो उसने कभी भी अपनी बात नहीं कही । सिर्फ बच्चों का ही जिक्र कर दी थी । विषेशकर बेटे का बहुत ख्याल रखती थी । आज वही बेटा कहता है कि बुढापे में तो इच्छाएँ होनी नहीं चाहिए बल्कि जो भी संपत्ति और पैसा है उसे बच्चों के हवाले कर देना चाहिए । क्योंकि हमारे खेलने खाने के दिन है । जिस गांव में पैदा हुआ वही गांव अब उसे खुद के सामने बौना नजर आता है । ऐसे बच्चे रिश्ता रखे तो ही ठीक है । कम से कम शांति तो रहेगी । अवसाद का हलाहल पीते हुए सरोज के बाबू जी ने आगे कहा, मुझे देखो मैं तो भूल ही गया कि मेरा कोई बेटा भी था । पूजा और सरोज ये दोनों ही मेरी संताने हैं । पर मेरी किस्मत में तो बेटियाँ भी नहीं है । अब की बार कोरन सिंह आसुओं को लडने से रोक नहीं पाए । आपकी बेटी नहीं हो गया । पूजा ने आंसू पहुंचती हुए कहा तुम सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि पूरे गांव की रानी बेटी हो । हर जिसकी तुम जैसी बेटी हो वो तो सौभाग्यशाली है । पूरन सिंह ने पूजा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा आप लोग बुरा ना माने तो एक बात कहूं कहूँ सरोज क्या बात है? सरपंच ने कहा मुझे लगता है कि फौजी चाचा मास्टरजी या हमारे घर में राकेश भैया से मैं बाबू जी का दुखी होना कोई नई बात नहीं है । आजकल हमारे आस पास ऐसी घटनाओं का अंबार लगा हुआ है जिसके लिए एकतरफा बच्चों को ही दोषी मानना ठीक नहीं है तो हम ने बच्चों को उच्च शिक्षा देकर गलती की है । सरोज उसके बाबू जी ने कहा मैं ऐसा तो नहीं कह रही हूँ बाबू जी उच्च शिक्षित तो मुझे भी किया है आपने । पूजा ने तो न सिर्फ उच्च शिक्षा प्राप्त की है बल्कि यूनिवर्सिटी टॉपर है और नौकरी सहित बहुत सारे आगे बढने का अवसर बाहें फैलाएं । उसका इंतजार कर रहे थे । फिर भी देखिए वो हमारे बीच में है तो तुम कहना क्या चाहती हो सरोच? पूरन सिंह ने पूछा यही कि इसके लिए कहीं न कहीं हमारी शिक्षा प्रणाली जिम्मेदार है फिर उसका असर तुम पर या पूजा पर क्यों नहीं पडा? सरपंच ने पूछा मेरी पूरी बात तो सुन लीजिए । ऊर्जा ने आगे कहा, परंपराओं के अनुसार या बेटियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए या कोई अन्य कारण भी हो सकता है जिसके चलते हम लडकियों को बचपन से ही जिम्मेदारी का अहसास कराया जाता है । दुनियादारी के लिए ही सही पर का ही रखा जाता है जिससे माँ बाप के मुश्किलों को जानने समझने का मौका तो मिलता ही है । भावनात्मक रूप से भी निकटता बढती है । इसके विपरीत बेटों को अधिक सुख सुविधाएं देते हुए अधिकाधिक धन कमाने के साधन के रूप में देखा जाता है । उच्च शिक्षित बेटा बडी कंपनी में काम करे या बडा ऑफिसर बनीं यह सोच पूरे परिवार की होती है और यही बीज बेटे के मन में भी बोया जाता है जिसे सामाजिक प्रोत्साहन के जलसे सिंचित किया जाता है । इस तरह शिक्षा से लेकर घर तक और सामाजिक ताना बाना भी ऐसा ही होता है जो वर्तमान परिस्थितियों का जनक होता है । कहते है ना कि हम जो होते हैं वही काटेंगे । बहुत सुन्दर तालियों की आवाज के साथ इस शब्द की और पीछे मुडकर देखते हूँ सब खडे हो गए । आप सभी लोग अपना स्थान ग्रहण कीजिए । प्लीज आज में यहाँ डीएम की हैसियत से नहीं पूजा की तरह इस गांव को अपना मानकर आया हूँ । सामने पडी खाट पर बैठते हुए कलेक्टर ने कहा आप की गाडी की आवाज भी नहीं आई । पूजा ने कहा क्योंकि आप लोगों की चोरी पकडने के लिए मैं ड्राइवर को बांध के पास ही छोड आया हूँ । कैसी चोरी? पूजा ने झट से पूछा मजाक कर रहा था मैं सच तो यह है कि उस योजना की चोरी करने आया था जो रोज बैठकर आप सब लोग यहाँ पर बनाया करते हैं । योजना नहीं बनाते हैं । साहब बस चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं । सरोज ने कहा वह तो मैंने देख लिया पर यदि रोज आप लोग इसी तरह से चर्चा करने के लिए यहाँ पर मिलती है तो मैं ये चोरी प्रतिदिन करना चाहूंगा । आज के मिल गया आपको की वो खजाना मिल गया सरोज जी जिसको में बहुत दिनों से तलाश कर रहा था । साहब ने मुस्कुराते हुए कहा हमारी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि आप कौन सी खजाने का जिक्र कर रहे हैं । पूरन सिंह ने कहा सरोज का अनमोल वचन जो अभी अभी कह रही थी ऐसी तो कोई बात नहीं थी । सर जो मन में आया मेरे कह दिया सरोज जीत गई । यही तो विशेष है कि मन से निकली हुई सच्ची बात ही आपने रही है जो अनुभव की भट्टी में तपकर निखरा हुआ है और सबसे बडी बात की आपने वर्तमान समस्या के लिए अपनों को ही जिम्मेदार ठहराते हुए अपनों से ही समाधान मांगा है । जबकि हमारा युवा वर्ग आज अपनी दुर्गति का ठीकरा सिर्फ प्रशासन एवं समाज पर ही फोडता है और एक नवाचार की प्रेरणा मुझे भी आपके विचार से मिला है । कलेक्टर ने कहा कैसी प्रेरणा? पूजा ने पूछा हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐसा नवाचार लाना होगा जिससे ऊंचे पदों के नाम पर बेरोजगारी पैदा होने की जगह अपने संसाधन से ही रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता हो, जिसका सटीक उदाहरण है पूजा जी आप सही कह रहे हैं साहब । मास्टर जी ने कहा पूजा जी का काम सिर्फ इसलिए सराहनीय नहीं है की आप लोगों के लिए कुछ कर रही है बल्कि तारीफ इस बात की है कि आपके साथ रहकर कार्य कर रही है । आप सही कह रहे हैं साहब पूजा बिटिया तो हमारे जीवन में वरदान बनकर आई है, पर जिसके माध्यम से हम तक आई वो बदनसीब था जो बाबू जी फिर वही बात । सरोज ने टोकते हुए कहाँ किसकी बदनसीबी की बात कर रहे थे आप? कलेक्टर ने पूछा कुछ नहीं सर, बाबूजी को भैया की याद आ गई । सरोज ने कहा कहाँ है आपके भैया? कलेक्टर साहब द्वारा पूछते ही पूजा वहाँ से जाने लगी तो उन्होंने कहा आप कहाँ जा रही है? जाने दीजिए साहब । सरोज के बाबू जी ने कहा पूजा इस तरह जाने कहाँ चली गई? कलेक्टर ने पूछा । राकेश का जिक्र होने पर उसे अच्छा नहीं बाबू जी कहकर सरोज उनकी और ऐसी देखने लगी जैसे कुछ कहने से मना कर रही हूँ । क्या बात है आप ने बात पूरा करने क्यों नहीं दे रही है? कलेक्टर ने कहा ऐसी बात नहीं है । कहते हुए सरोज भी वहाँ से निकल गई । सरोज के बाबू जी के कंधे पर हाथ रखकर वहाँ से बांध की और जाते हुए कलेक्टर भी पूछा राकेश कौन है? मेरा बेटा है साहब, अभी कहा है ऑस्ट्रेलिया में साहब उसने कुछ गलत किया है गया हाँ साहब बहुत बडा अपराध किया है । राकेश के बाबू जी ने कहा कौन सा अपराध मेरी फूल से बच्ची का दिल तोडा है साहब कैदी हुए राकेश के बाबू जी की आगे भराई सरोज के साथ क्या किया उसने? सरोज रही साहब मेरी दूसरी बेटी पूजा को आंसू दे गया । ऐसी पहेली अगर बुझाओ स्पष्ट का हो । सात शब्दों में ही तो बता रहा हूँ साहब की पूजा मेरे बेटे से विवाह करना चाहती थी और उसने राकेश को बहुत समझाया भी था कि विदेश जा जाए । राकेश को तो बडा बनने का और खुद को साबित करने का जुनून सवार था और वो अपने साथ पूजा को भी ले जाना चाहता था । पर अपने माँ पिताजी को छोडकर दूर देश जाना पूजा को मंजूर नहीं था ही बात पूजा ने राजेश को बताई थी । कलेक्टर ने पूछा बताई थी साहब पर उसे तो माँ बाप, बहन एवं पूजा हम सबसे प्यारा पैसा था । हमसे झूठ बोल कर गया कि कर्ज छुडाने के लिए एवं हमारे लिए पैसा कमाने जा रहा है । प्रदेश छोडते ही हम सब को भूल गया । पूजा से तो बात होती होगी । साहब ने पूछा नहीं उस बेचारी के माता पिता के मृत्यु पर भी नालायक ने सांस बना के दो शब्द भी नहीं रहे और पूजा को देखिए । हमारे लिए अपने सब दुख भूलकर हमारे साथ खडी है मुझे किसानी कर्ज से भी मुक्त करके और बेटे के बदले में बेटी देकर तहसीलदार साहब भी दुनिया से चले गए । कहते हुए राकेश के बाबू जी की आगे भराई इसीलिए आप सब लोग मुझे पसंद है । मैं इस गांव में अपने सपनों के भारत को देखता हूँ जहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार है ।
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