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मेरे सपने मेरा गाँव - भाग 1 in Hindi

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AuthorRuby Pareek
मेरे सपने मेरा गाँव writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek Author : Omeshwari 'Nootan'
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आप सुन रहे हैं क्योंकि वो एफ एम पर किताब मेरे सपने मेरा गांव जिसे लिखा है ओमेश्वरी नूतन ने और मैं हूँ रूबी बारीक आपके साथ ऍम सुने जो मनचाहे । पहला भाग बाबू जी बाबूजी बाबूजी आज मैं बहुत खुश हूँ बाबू जी दोनों हाथों से राकेश के बाबूजी का हाथ पकडकर हिंदी की तरह गोल गोल घुमाते हुए पूजा ने कहा क्या हुआ बहुत खुशी की बात है बाबू जी बहुत खुशी की अरे कुछ बताएगी भी । किस बूढे को ऐसी बच्चों की तरह चक्कर लगवाती रहेगी? राकेश की मैंने कहा क्या बताओ मांझी क्या बताऊँ? आप भी सुनेंगे तो खुशी से उछल पडेगी । कहते हुए पूजा एकदम से उनसे गले मिल गई । धीरे बेटा धीरे गिर गए तो इस बुढापे में हड्डी जोडना मुश्किल होगा । ऐसे कैसे गिर जाओगे? हाँ आपकी बेटी एन आपके साथ और जब दो पीढी साथ हो तो गिरने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता । अच्छा ठीक हैं । अब तो हमें और परेशान मत कर और बता भी दी की कौनसा खजाना लग गया है । तेरे हाथ जो इतनी खुश हैं । हमने जो सपना देखा वह तो पूरा हुआ ही लेकिन अब तक हम लोग जो सोच रहे थे कि काश कोई ऐसा ईश्वर का दूत आ जाए जो हमारी कामयाबी को इस देश के हर किसान तक फैलाती और उनके जीवन में भी खुशियां आ जाए । वह देवदूत आ गया है । हाँ, क्या कह रही है तो मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है । राकेश के बाबू जी ने कहा उन्नत खेती, विकसित गांव, किसानों की समृद्धि का सपना लिए आप मैं माँ नीरज और इस गांव के सारे लोग अथक मेहनत करते हुए जिस तरीके को अपनाकर मिट्टी में सोना उगाया है, उसी तरीके को पूरे प्रदेश के किसानों के लिए लागू करने का फैसला इस प्रदेश के नवनिर्मित मुखिया ने लिया है । बाबूजी सच कह रही हो तो हाँ पर कैसे पूजा बाबू जी ने पूछा, नरवा गरवा गुरुवा बाडी । अपने प्रदेश के चार चिल्हारी इस नाम से हमारी सरकार ने गांव के विकास के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू करने की बात कही है कि ये कौन सा फार्मूला है । मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रही हूँ और इससे हमारी तरह हर किसान कैसे खुशहाल होंगे? राकेश ने पूछा आप दो साल के लिए विदेश क्या गए? अपनी मातृभाषा भी भूल गए । चलो मैं बता देती हो, हमारे प्रादेशिक भाषा के अनुसार नरवा का मतलब होता है बरसाती नदी । गरवा के मायने है गाय बैल । जबकि कूडेदानी कचरा फेंकने के लिए बनाए गए निश्चित स्थान को हम लोग गुरुवा कहते हैं और बाडी कहते हैं हमारी इस माँ अन्नपूर्णा को घर से लगी सब्जी की लहलहाती खेती को दिखाते हुए पूजा ने कहा, तो तुमने मायने तो बता दिए पर इससे किसानों को क्या फायदा होगा और कैसे ये भी समझा दे । मैंने कहा इसको समझने के लिए तो हमें तीन साल पीछे जाना होगा । माँ तब जब मेरी मुलाकात आपके बेटे से हुई । हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया । ये क्या बात हुई भला तुम्हारे प्रेम से सरकार के किसी कार्यक्रम का क्या संबंध माने? पूछा लगता है माँ अच्छे दिन आने से आप सब कुछ भूल गई है । याद करो वो दिन जब आप उम्र से आगे निकलते अपने बेटे की शादी के लिए परेशान थी और आपका बेटा था जो बेरोजगारी की मार से परेशान हो । रोजगार के नाम पर सरकारी नौकरी के चक्कर में पडा रहता था बेरोजगारी ये एक ऐसा शब्द है जो आज के समय में सबसे अधिक चर्चित होने के साथ ही भयावह भी है और सूरज की तरह मूड है लाई मानव समाज की सुख शांति को निकलते जा रहा है । आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी गंभीर समस्या के जड में भी बेरोजगारी ही है तो ये भी समझना जरूरी हो गया है कि आखिर रोजगार के मायने क्या है और हमारे सामने स्थित रोजगार के उपलब्ध साधन को अनदेखा करते पढे लिखे युवा सपनों के पीछे क्यों भाग रहे हैं और क्या किसान होना या किसान की संतान होना सचमुच अभिशाप है जैसा कि आज के कुछ युवाओं की सोच है हैं ।

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मेरे सपने मेरा गाँव writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : Ruby Pareek Author : Omeshwari 'Nootan'
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