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भाग - 9 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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वर्तमान दिन है आ रही है । मैं तो नहीं कभी माफ नहीं करता हूँ कि नहीं । बकार कहीं की तो मतलब आपको समझते क्या होगा? मैं कुछ दिनों के लिए तो भारत जिंदगी से बाहर क्या गई तो आगे बढ गए तो भी और कोई नहीं मिला तो मेरा ही प्रेमी होना चाहिए था । अपने पिछले छह महीने के हर पल मैंने उसके साथ बिताए थे । मैं उसका काम कभी नहीं भूल पा रही थी । उसके बगैर बिताई हर बात मेरे बस रोककर काटी है । उससे मैं उससे माफी मांगने और उसे अपनी जिंदगी में वापस ला दी गई थी । मगर वही तो नहीं तो सारी योजना ही छाप पट करती है । तो तो मेरी सिंदगी चौपट करती । उस कुछ तो बहुत खून करने का कृतम् करता हूँ । मैं भी चाहती थी सही नहीं होगा क्योंकि इससे नील को पाने के रास्ते बेरिल के बंद हो जाएंगे । मैं तो भी हर खुशी की ओर धकेलना चाहिए । नहीं मगर उसी वक्त देते श्री वहाँ गयी । वो तो भारी मसीहा बनकर आ गई । हाँ मानना जानते ही नहीं है अगर नहीं मेरा ना हो सका तो वो तो भार अभी नहीं हो पाएगा । अगर मैं नहीं जीत होंगी तो तुम भी रही जी पाओगी, आशा करती हूँ और यकीन भी करती हूँ । तुम लौटकर वापस नहीं आओगी कौन? तुम जहाँ कहीं भी हो मैं उम्मीद करती हूँ कि तुम ने अपने आप को खत्म कर लिया होगा । नील की अनुपस् थिति में मैंने घर में चुपके से घुसने की कोशिश की ताकि मैं तो अच्छी हूँ ताकि मैं तुम्हें ये दिखा सकूं कि तुम हार चुकी हूँ तो थे आपने सामदेव होता हुआ तीन की ताकि मैं ये देख सकूँ कि तुम अपने को जान से मार पहले की बात कर रही हूँ । मैंने हर क्षण का बहुत मसाला लिया । ये नील की ओर से कोई उपहार था ही नहीं । हम कितनी थी बोली तुम लोगों पर कितनी आसानी से विश्वास कर लेती हूँ । तुम किसी छोटे शहर की लडकी की तरह ही हूँ । बेवकूफ पुरानी फिल्में देख कर बडी हुई हूँ । खुद को एक सीधा समझते लडकियों वो चीज है तो तो मैं कमजोर पर आते हैं । मुझे मालूम भी नहीं हूँ । मैं तो बस तुम्हारे और तुम्हारे प्रेमी के बारे में बात थी और तुम फस गए हो तो उस की तरह मैंने तुमसे तुम्हारी मासूमियत तो छीन ली तो बहुत होली थी अनजान । यही कारण था कि तुम्हें नील को फोन करके कुछ भी पूछने के मत हूँ । शांति थी । अगर तुमने उसे फोन किया और अपना सारा जहर उसके ऊपर उगल दिया तो तुम शायद उसे हमेशा के लिए होता है । मगर ये भी हो सकता था मैं भी उसे हमेशा के लिए होते थे । ठीक है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पडता हूँ । अभी भी जब ये चिट्ठी लिख रही हूँ तो मेरा मन हो रहा है कि मैं तुम्हें पर पास करता हूँ । तो भारत तो उस टाइम को बर्बाद करता हूँ । कितनी बार तुम्हारे खलाई मगर हमने कभी तो मैं अपनी नजरों से दूर नहीं होने दिया । उस कितनी बार छूट बोलना पडा । मैं हर बार छूट बोलती नहीं । तुमने मुझे क्या बना दिया है? नहीं है । मैं कभी ऐसी नहीं थी । मैं विश्वास, ईमानदार और सच बोलने वाली थी । बस तुम्हारे प्यार दिल की तो भी मेरे प्रेमी थी । तुम्हारे आस पास फावरे की तरह मंडराती रहती थी । मैं तुम्हारे साथ हर रोमांच का मजा लेना चाहती थी तो भरी आंखे देखकर मुझे कुछ होता था । मेरे कार्यों में तो भरी मुस्कुराहट मुझे और दीवाना बना देती थी । वन से मेरा धूम धूम खिल उठता था । मैं तो अपनी आंखे बंद कर लेती थी सिर्फ ये जानने के लिए की अब तुम मेरे विचारों में ही हूँ तो यहाँ के बढाने में सारा सा भी समय नहीं लगा हुआ हूँ । नहीं इसमें कोई लडकी से इसका लगाने में जरा भी समय नहीं लगा जिसे ये मालूम ही नहीं है कि ये उच्च कोटि की जिंदगी आखिर होती क्या है ज्यादा इसके बारे में सोचा नहीं । जब तुम इसके बारे में सोचते की स्थिति में हूँ तब इस पर विचार कर जब तुमने इसके बारे में सोच लिया है और अभी भी तुम्हारे मन में हम है तो सर अपने आस पास से हो । क्या आप गौरी तुम्हारे पास है? नहीं ना । क्या मैं तुम्हारे आस पास हूँ? नहीं ना । क्या तुम्हें ये अहसास हो रहा है कि इसके लिए तुम ही जिम्मेदार हो । आज को चेस परिस्थिति में है उसके लिए तुम जिम्मेदार हो तो तुमने मुझे पहले भी खो दिया क्योंकि तुम मुझसे अलग हो जाना चाहते थे क्योंकि मैं खुद को तुम्हारे ऊपर ठोक रही थी और फिर वो बच्चे ऍम देती हूँ तो भी इससे क्या मिलेगा? तुम ने पुलिस वाली को स्थान को ये बता दिया की मैं इसमें शामिल हूँ तो जो भी करना चाहूँ करो आप उसका तबादला करा देगा । घंटे होली तुम करते हो । अगर मैं चाहती तो इसे वक्त धान्या का तबादला करा सकती थी । उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझसे सवाल पूछने की । उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है तो मंत्री हूँ । मैं स्पष्ट भारी वजह से छुप रही । मुझे नहीं मालूम कि ये क्या कर रहे हैं जिसकी वजह से मैं जिस परिस्थिति में मैं प्रमाण में इतनी जोर सही ठीक ठीक कर ये कह रही हूँ कि कोर्इ तो मैं नरक नसीब हो । भगवान करे की तो मैं दर्द िट्टी पूरी तरह मिलेगी कि तुम जीना भूल जाऊँ । मैं तुम्हारे लिए बस घर तो मानती हूँ । साधारण दृष्टि से मुझे चैन नहीं मिलेगा मेरे । श्री मैं फिर कहती हूँ तुम जब तक क्योंकि हर तिन मार होगी उसका दूसरा स्वरूप होने के लिए तुम करोगी और पश्चाताप करोगी । पूरी तरह ठंडी पड गई थी । उसने नींद की गोलियाँ खा ली थी और दो ज्वाइंट भी पी चुकी थी । उसने अपनी सारी समझ खो दी थी । काफी देर रोल लेने के बाद वो अच्छा आपको लेने कहीं और आपने न खाने के तब भी लेट कहीं ऍम आपको पानी तो पोतियां अब आने पर नहीं लिखने लगे । उसकी सियाही उसके जख्मों से आ रहे थे, जो शरीर पर बनाए नहीं । कुछ ही मिनटों के बाद वो बेहोश हो गए । नहीं है बिलकुल दो मुझे फौरन फोन कर तो बारह फोन पहुंच से बाहर है । ये संदेश महज एक संदेश नहीं था । इस बात का संकेत थके पिछले चौबीस घंटों में जो कुछ भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था । इसमें वो सब कुछ था जिसमें लोगों की अच्छाई के बारे में सारा स्पष्टीकरण मौजूद । इस संदेश गौरी को हिलाकर रख दिया और वस्तु तक उसे कमरे से बाहर ले आया । बहुत नहीं, बिस्तर पर एक बरी हुई । मुश्किल की भर्ती पडी थी । उसमें बहुत तेज बुखार था । उसने अपने चेहरे पर मुक्का मारा । वो हिलने की स्थिति में भी नहीं थी । उसने फौरन इतिश्री को फोन किया । बहुत ही तो हमारी ये दुनिया उथल पुथल हो गई । आखिर तुमने अपना फोन क्यों बंद कर लिया था? डील की तो हालत खराब है । सबसे तो गई है । हम सो नहीं पाए हैं । मैंने बेवकूफ लडकी की तरह उस पर नजर रखी । जैसा तू दे कहा तो बस तेरे बारे में ही चिंता कर रहा था । दूसरी ओर से कोई उत्तर नहीं । मैं इतिश्री अगले एक मिनट तक लगातार बोलती रही है । बातें उसे एहसास हुआ कि दूसरी ओर से पूर्ण का क्या है । उसमें दोबारा फोन मिलाया पर किसी ने खून नहीं है मैं दूसरी तरफ गौरी ने छत पर अपना सामान बाधा । उसने पूछताछ खिडकी पर फोन करके कहा थी । उसकी गाडी दस मिनट में होटल के दरवाजे पर लगती जाएंगे । अब जब मैं तुम्हारे पास वापस आ रही हूँ । मैं चाहती हूँ कि तुम ये छान हूँ । मेरे तो बहुत परेशान किया पहचानती हूँ । मैं ये भी जानती हूँ कि जिस परिस्थिति में मुझे और ज्यादा साहस दिखाना चाहिए था उससे भाग कर मैंने तो वहाँ पे वो कोर्ट बनाया हूँ । बैठ कर गई थी । मैंने आपका पर भरोसा किया । बहुत चाहता हॅालीडे मुझे सावधान किया था । एक बार तो मैं अच्छी तरह जानती हूँ कि वो तुम्हारे बारे में बहुत ज्यादा संवेदनशील और इसीलिए उसने तो बाहर ये गलत तस्वीर बनाने की कोशिश की । मैं तो ये विराम बस इसलिए लिया क्योंकि मेरे लिए ये सब को स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा था उसका । हाँ मैंने मेरा दिमाग खराब कर दिया था । मैं हमसे सूत ही नहीं पा रही थी । मैं अभी तक नशे में हूँ । जब हम मिलेंगे तब हम इस पर और बात करेंगे । हमेशा याद था मैं काम से बहुत प्यार करती हूँ और कटे मैं बडी हो चुकी हूँ । मैं चाहती हूँ कि तुम भी मुझ से उतना ही प्यार करोड जितना मैं तुमसे करती हूँ । अच्छा है तुम कितने भी व्यस्त क्यों हो, उससे बात करना बंद मत करना । पर फिर से मैं तो हूँ । मैं मुझे बहुत प्यार करती हूँ । ॅ गौरी के उत्साह की कोई सीमा नहीं । उसने मिलके पसंदीदा कपडे पर हैं । उसमें नींद की सारी गोलियां ट्रक्स, बाहर फेंक जो अपने साथ लेकर आई थी, उस से किसी को भी अपनी योजना के बारे में नहीं बताया । अगर नील उसके साथ ईमानदार नहीं होता तो उसने अपनी जान ले ली होती है । जैसे ही वह बाहर आई, उसने हवा में घूमना शुरू कर दिया । मैं आजाद महसूस कर रही हूँ । मुझे लगता है मैंने जीवन में सब कुछ हासिल कर लिया है । जैसे उसने गाडी चालू की । वो इंडस्ट्री को दोबारा पूर्ण करना चाहती थी । मगर उसके फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी । वो अपना बुखार फूल चुकी थी और बीमारी के हर लक्षण उसके शादी से गायब हो जाते थे । मैं भी श्री से मुलाकात का इंतजार कर रहा था । उसके मेरे सेलफोन पर क्या उसकी आवाज के घबराहट थी । मगर उसका पहला वाकया था कि उसने गौरी से बात की है । उसे बस इतना ही कहा कि मैं उसका नंबर मिला रही थी और वो मिल गया । उसने बात की मगर उसके बाद उसका वहाँ से बाहर गया था । उस ने ये भी कहा कि गौरी ने उसे बताया कि वह वापस आ रही है तो मुझे यकीन नहीं हुआ । मैंने उसे बार बार पूछा और फिर जोर जोर से चीखने लगा । मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा था । कुछ इतना शांत और अच्छा लग रहा था हूँ । मैं सब कुछ भूलकर मेरे फौरन ढांडिया को उसके बारे में बताया तो मुझे देख कर मुस्कुराई थे, मेरे गौरी को भी पूर्ण करने की कोशिश की मगर उसका फोन पहुंच से बाहर था । उसने पहले ये सब कुछ क्यों नहीं बताया? अब जब हमने इस मामले को खुद ही सुलझा लिया है, सब अपना अपना मुंह खोल रहे हैं । हमारे पूर्व प्रेमिका को क्या हुआ उसने अभी तक तो मैं फोन नहीं किया हूँ । डांडिया नेचर कर पूछा नहीं आप इस समय तक हमें मालूम नहीं था कि गौरी के गायब होने के पीछे आर्या और तीसरी का कहना नाता है । जो कुछ भी था मैं खुद से एक ही सवाल पूछता रहा क्यूँ ये पहले भी बहुत देर तक अनुसूची नहीं रहेगी क्योंकि हमें देश के घर जा रहे थे । तब लगभग एक दर्जन बार मिल के घर क्यों गए थे? इतिश्री बुरी तरह रोने लगी । उसके पूरी कहानी हमें सुनाती । इस संकट मेरे शरीर में एक सीख हूँ की थी तो मेरी जासूसी कर रही थी और ये सब तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? तो मैंने ये सब होने ही ज्योतियाँ । अब वो कैसी है तो उसके बारे में अत्यंत चिंतित हूँ । अब तो कैसी है? बताओ मुझे इतनी बताओ । मैं इतिश्री को पकडकर उसे जब छोडना रहा है मगर उसने उसके बाद कुछ भी नहीं कहा । गौरी ने उसे बस इतना ही बताया था कि वो लोनावाला के किसी होटल में हैं और अब वो वापस आने की योजना बना रही है । अब गौरी को ढूंढने के लिए तीसरे भी हमारे साथ ही आ गई थी । धन्या ने मुझे आ गया से बस एक बार मिलने को कहा । वो भी तब जब उसके पास को छह से सूचना हो जो पुलिस वालों के काम आ सकें । हम दरवाजे पर दस्तक देते रहे अगर उससे दरवाजा नहीं खोल लूँ । धान्या की निगरानी में पुलिस वालों ने दरवाजे को तोड दिया । उसका कमरा धुएं से भरा हुआ था । हम उसका स्नानागार तक भी गए जहाँ पे आप ने खून के तालाब में लेती हुई थी । हमने फौरन उसे बात निकाला । मैंने उसे तौलिये में लपेटा । थान्या ने उसकी डब सोचे की तो मालूम पडा कि वो अभी भी जीवित है । हमने कुछ भी नहीं कहा और एंबुलेंस को उसे ले जाने दिया था । मैंने उसका लैप्टॉप, कागज, कलम और दूसरी चीजें तो उसकी जांच में काम आ सकती थी । सबको अपने कब से में ले लिया । उसके उनका को बडे ध्यान से देखा और उस पर जो लिखा था उसे पढ कर सुनाया । अब तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी थी । मैं रिया को गाली देता था । उसके लिए मेरे मन में अब कोई सहानुभूति नहीं थी । फॅमिली को यह एहसास हुआ । ये सब उसकी कल्पना से भी बडा हो चुका था । वो जब से में हमारा इंतजार कर रही थी, माॅस्को देखकर वो बहरा कैसे यूज ने आ गया को ले जाते हुए देखा । वो फूट फूटकर होने लगी । वो बिल्कुल हिल चुकी थी । मैंने उसे दिलासा दिया । जब की मैं खुद भी इस वक्त सही मानसिक स्थिति में नहीं था । घर भी ऐसा लग रहा था कि मैं ही वो व्यक्ति हूँ जो परिस्थितियों से प्रभावित नहीं हुआ हूँ । धान्या ने सभी औपचारिकताएं पूरी विश्वास से बात की और हम लोनावाला के लिए निकल गए । रास्ते में इतिश्री सारी जानकारी देती रही । मैं उसे सुनता और गौरी के बारे में सोचता था । मैंने अपने माता पिता को फोन की और गौरी के माता पिता से भी बात कर उन्हें परोसा । मैं गौरी के बारे में सोचता रहा । पिछले चौबीस घंटों में वो मेरे लिए क्या हो गई थी, ये सब मेरा भगवान जानता था । मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था कि मैं उसके कितने करीब आ चुका था । तो मेरे ही नहीं इन घंटों ने मेरी हर तरह से परीक्षा ले ली थी । ये घंटे अब विस्मरण लेंगे । हो गए थे, माफ करने लायक हूँ । हाँ, उसके मुस्कान मेरे दिमाग में बार बार आती नहीं । वो पहला दिन जब मुझे पुस्तकालय में मिली थी और हमारी बातचीत कॉलेज के कॅश चलती नहीं । जो खेल जो मेरे साथ बडे चाव से खेला करती थी तो मुझे जिस तरह से देखती थी और जो हम दोनों एक दूसरे के लिए महसूस कर सकते थे और जिस प्रकार वह मुझे मेरे नील कहकर पुकारती थी । मेरे आंसू रुक नहीं रहे थे । मैं बहुत जल्दबाजी में था । मैं एक बार फिर अपनी प्रेमिका को अपनी बाबू में थक लेना चाहता था की आशा कर रहा था कि वह मुझे गलत ना समझे । मैं बस ये ही मना रहा था कि काश उस ने इस बारे में मुझसे बात की होती है । अगर कोई बात नहीं जो हो गया हो गया । मुझे पक्का यकीन था कि ये हमें और भी करीब ले आएगा । धान्या रास्ते भर एडिशनल को डाट भी रही इतिश्री चुप चाप बैठी नहीं ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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