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भाग - 13.3 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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वो शाम बहुत खूबसूरत थी । ये मार्च की शुरुआत थी । ठंडी हवाओं ने मौसम और भी सुहाना बना दिया था । मैं बाहर खुले में आकर खडा हो गया और आसमान की ओर देखते लगा । आज मुझे कौर इसे ढेर सारी बातें करनी थी । मैं अपने सभी जवाब एक बार फिर से सुनिश्चित कर लेना चाहता था । मुझे बता हूँ हूँ आज कुछ ये क्या हो रहा है । मैं इस तरह का बर्ताव क्यों कर रहा हूँ क्या मैं तो फुल लेता हूँ क्या मैं तुम्हें धोखा दे रहा हूँ? नहीं इतिश्री के बारे में क्यों सोच रहा हूँ? जब की मुझे ये अच्छी तरह पता है कि वह मेरी कौन ही नहीं है । मेरी साथ क्या खराब ही हो गई है । फिर क्या मुझे बताऊँ? मैंने हमेशा तो भारी खुशी चाहिए । मैं जानता हूँ कि मैं उससे इतिश्री होने की वजह से प्यार नहीं कर सकता हूँ । मगर नहीं उसे देखकर तुम्हारे बारे में जरूर सोचता हूँ । बैठा हो इसके पहले की मैं कुछ और कहता था । मैंने देखा कि एक तारा आसमान से दूर कर क्या रहा है । वही तारा जिससे मैं हर दिन बातें किया करता था । वो सारा जो मेरी कौन थी आज आसमान से दूर करके दे रहा था मेरा वो टूटता हुआ था । ना तो भी हो मेरी हर ख्वाहिश मेरी हर अभिलाषा तो भी हो । मुझे मेरी जवाब मिल रहे हैं । आज तो मजा हो गई हो । गायें पहले तुम है आसान क्या बे हमेशा तुमसे प्यार करूंगा । इतनी श्री ने खुबसूरत पेंट वाले ऑस्कर और साधन की शर्ट पहनी हुई थी । उस पर फूल बने हुए थे जो उसे और भी ज्यादा आकर्षक बना रहे थे । उसका तीस पहले तो उसकी ओर आकर्षित कर रहा था । वो चमक रही थी । मैंने उसके लिए गाडी का दरवाजा खोल दिया तो हमने हाल ही में एक लंबी गाडी खरीदी थी और मुझे उसकी मक्खन जैसी ख्याल बेहद पसंद थी । डील क्या तुम चाहते हो कि मैं गाडी चला हूँ भला तो मैं चाहती हूँ । मुझे मालूम है कि जब तुम और गौरी कहीं घूमने जाते थे तो गाडी हमेशा वही चलाती थी । इसलिए मुझे भी ये लगा । मैंने गाडी में घुमाने की उसकी इच्छा के आगे समर्पण कर दिया । उसने एक झटके से एक्सलेटर दबा दिया और गाडी पूरी गति पकडने ऐसा कुछ अपनी सीट पर कूद रहा था । मैं चीखने लगा और उसे रोकने को कहा । उसने मुझे कहा कि डरने की जरूरत नहीं है । मैंने उससे कहा कि मैं पहले ही एक सडक दुर्घटना में गौरी को खो चुका हूँ और अब मैं सडक सुरक्षा से जुडे एक एनजीओ के लिए काम भी करता हूँ तो मैं किसी भी हालत में उसे तेज चलाने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ । अरे अरे कोई बात नहीं है । नहीं मैं बिलकुल ठीक से चला रही हूँ । थोडा तेज जरूर है मगर ये मेरे नियंत्रण में है । मैं तुम्हें नहीं खोलना चाहता हूँ । मेरी आवाज में एक कह रही थी और मेरी आंखों में वो भाव थे जिसे इतिश्री चूकना नहीं चाहती थी । वो वापस मेरी सीट पर कहीं और मैं गाडी चलाने लगा । नहीं मुझे ये बताने के लिए शुक्रिया । मैं तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण हूँ । वो मेरी ओर देखती रहीं । हालांकि मैं जान रहा था कि वह मुझे ही नहीं हठ रही है । अगर मैंने ऐसा जताया कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है । इस खास परिस्थिति में इतिश्री भी नहीं जानना चाहती थी कि मेरे मन में उसके लिए थोडी सी जगह बन चुकी थी । अभी कुछ ही समय की बात थी जब हम इसे और आगे ले जाने वाले थे । मैं ये भी जानता था कि ये कॉफी के ऊपर बहुत कुछ हो सकता है और मैंने अपने आपसे सोचता हूँ कि मैं कितना बडा बोला था की मैं आई नहीं से बात कर रहा था और नावेद से पुष्टि करने को कह रहा था । अच्छा कोई ऐसी चीज होती है जो इंसानी संबंधों को बांध कर रखती हैं, खासकर तब जब बात एक लडका और एक लडकी की हो तो हमेशा अपने दिल की सुनी और मेरा दिल मुझसे कह रहा था कि आज मैं रुकने वाला नहीं था । नहीं तुम सचमुच बिल्कुल कौरिक की तरह दिखने लगी हो । याद है तो हमेशा मुझसे कहा करते थे कि हम दोनों बिलकुल एक समान बात करते हैं और दो सबसे अच्छी सहेलियाँ एक जैसा बर्ताव भी करने लगती है । तो इस लिहाज से इसमें कुछ भी नया नहीं है । नहीं, साथ में बडे होते हुए हमने बहुत सारे काम बार बार एक साथ किए हैं । आदत है भी सामान हो जाती हैं जो हमने उसे खो दिया था । उसके बाद मैं बहुत ज्यादा सडक हो गई थी । वही वक्त था जब मैंने अपने बाल हो उसकी तरह बनाने शुरू कर दिए थे । उसकी तरह थोडा मेकअप कर लेने से भी कोई नुकसान नहीं था । यही वह चीज थी जिसने मुझे जीवित रखा तो उन्हें भी बहुत खेला है । मुझे माफ कर तो मैं तुम्हारे साथ नहीं रह पाया था । हम दोनों ने बहुत कुछ झेला है । नहीं फर्स्ट कर सकता है कि जो स्थान और वस्तुएं तुम्हें उस की याद दिलाते थे तो उन सब को छोडकर आगे निकल गए । जबकि मैं नहीं सारी चीजों के साथ अपना हर दिन अपनी हर रात को साथ ही रहे । पहले उसकी आंखों में देखा और उसके होठों को बडे ध्यान से निहारता रहा हूँ और वो बोलती रही कुछ मिनटों के बाद उसने अचानक मेरा हाथ था क्या? और उससे मेरे भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने लगी । मैं पढाई पूरी करूंगा, एक नौकरी लूंगा और बस और मेरे बारे में क्या ख्याल है? क्या तो मुझे अकेला छोड हो कि फिर से एक बार उसके इस वाक्य में मेरे दिल को गहराई में जाकर छू लिया । उस कथन ने मेरा रूम रूम चाकरी कर दिया क्योंकि आजकल कुछ ऐसे प्रेम की आदत नहीं रह गई थी । वो मेरी देखेंगे । उसी ने मुझे ये कहा था । उस वक्त मैं बिलकुल पे बोर्ड होकर वहां बैठा रहा हूँ । मेरा मतलब है मैं ये सोच रहा था कि क्या कहना चाहिए और कैसे कहना चाहिए ताकि मैं दोबारा उसके सामने कोई बेवकूफ ही न करता हूँ । मैंने अपने पिछले जीवन में बहुत सारी गलतियाँ भी की है । मैं उसके और नजदीक गया और उससे मुस्कुराने को कहा को शर्म आ रही थी । नहीं मुझे बताओ तुम क्या चाहती हूँ? मुझे सब कुछ बना हूँ । ठीक है, बेहतर होगा । मैं तुमसे सुनो नहीं । मैंने काफी कुछ कह दिया है और काफी कुछ कर लिया है । अभी से अगले स्तर तक ले जाना तो भारी जिम्मेदारी है । उसके बाद ऐसे भाव से कहीं जैसे ये स्पष्ट हो चुका था की अब मेरी बारी है । ठीक है नहीं तो मैं अपने जीवन में पाकर मुझे बहुत खुशी होगी । मगर मैं ऐसा कुछ करूँ । उस से पहले मैं तुम से कुछ पूछना चाहता हूँ ताकी यह अस्पष्ट हो जाए । मेरे दिल में अब और कुछ भी नहीं है । मैं तुम से कुछ भी छुपाना नहीं चाहता हूँ । मैं शुरू करता हूँ पहले कब तुम्हें कुछ भी मांगने के लिए मना किया है । चलो शुरू हो जाऊँ । उसने चुलबुले अंदाज में कहा तो मेरे बारे में सबको जानती हूँ सब कुछ । अगर मैं तुम्हें ये पता हूँ कि मैं गौरी से कितना प्यार करता था या फिर मैं बताऊँ कि मैं हर वक्त उसके बारे में सोचता रहता था या फिर जो कि वो मेरे लिए सब कुछ थी तो शायद मैं वो ही कह रहा हूँ । मैं कभी उसे भूल नहीं पाया, अपने सपने में भी नहीं । जब टॉम नहीं मुझसे मेरे भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा उस बीच बिलकुल ऐसी ही बात हुई थी । अच्छा ठीक है, अब मैं और गोल गोल नहीं घुमा हूँ । मैं तो मैं ये बताना चाहता हूँ कि तुमने मुझे मेरे गौरी देखते हैं । यही कारण है कि मैं अपनी जिन्दगी तुम्हारे साथ आगे ले जाना चाहता हूँ । मुझे बता हूँ इसमें कुछ गलत है क्या? बिल्कुल नहीं । अम् इंसानों में अपनी परछाई तलाशते हैं और इसी की वजह से उनसे संपर्क में रह गए । क्या ऐसा करने से हम स्वार्थी बन जाते हैं? इसका जवाब है नहीं । जब तो इंसान प्रेम में होते हैं तो उन का प्रेम सफल इसलिए हो पाता है क्योंकि वो प्रेम आत्माओं के बीच होता है, शरीर के बीच नहीं । यही कारण है कि अब जब गौरी हमारे बीच नहीं है तब भी तुम मुझसे बेहद प्रेम करती हूँ क्योंकि तुम्हें उसकी आत्मा से प्रेम हो गया है और हाल मिल मैं तुम्हें कुछ और बताना चाहती हूँ । क्या तुम मेरे साथ होगी? इतिश्री मुझे उस कॉफी की दुकान की छत पर ले गई । वहाँ बीसवीं मंजिल पर खडे होकर सारा पुणे शहर दिखाई देता था । वह किनारे पर खडी हो गई और मेरी आंखों में देखने लगी । उसके पास बताने के लिए कुछ था और उसके दिमाग में चल रही बातों को पड रहा था । मैं उसके साथ वो संपर्क स्थापित करने लगा था । हमारे बीच की तरंगे सकारात्मक हो रही थी । तुम क्या चाहती हूँ मैं तुमसे क्या करूँ? ऍम मतलब तो मुझे कहाँ की पुरा? उनका कहना क्या चाहती हूँ? मैंने अपना नाम बदलने के लिए आवेदन दे दिया है । बाकी की जिंदगी मैं तुम्हारी गौरी बनकर को जानना चाहती हूँ । उस एक पल में मेरी पूरी दुनिया ठहर गई । उसमें जो कहा था उससे मैं मिल गया था । बिल्कुल आश्चर्यचकित था । एक लडकी जिसने अपनी सबसे अच्छी सहेली को खो दिया था तो शायद उसके लिए उसकी बहन से भी बढकर थी । उसने अपने उन दोस्त को खो दिया था जिनके बारे में वह सोचती थी कि उसका साथ देंगे जिसने इतने वर्षों तक मुझे हर जगह ढूंढा था । जिसके गौरी को अपने ऊपर बहुत ही आसान और अब उसने अपना नाम भी कॉमेडी डाल दिया था । वो मेरे सामने खडी थी । उसने तो पहले ही अपना स्तर बहुत ऊंचा कर लिया था और मुझे ये दिखा दिया था की एक ने स्वार्थ प्रेम किसे कहते हैं, मैं कौन हूँ? मेरे कॅरियर है, कुछ एहसास हुआ कि मैं कुछ भी नहीं हूँ । कुछ बात होती थी मैं अपनी संस्कृति में बस कल पर ही की है । अब जब मैं तुम्हारी और देखता हूँ तो मुझे लगता है कि पिछले जन्म में मैंने जरूर कुछ अच्छे कर्म होंगे कि इस जन्म में तुम मुझे मिली हूँ और बहत उनसे वहाँ था । करती हूँ कि आपके आने वाले पूरे जीवन में मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी । हम कभी भी अपने भूतकाल की चर्चा नहीं करेंगे । मैं कभी ऐसे सवाल नहीं पूछ होंगी जिससे तुम्हें ऐसा हो तो मुझे ही हूँ और कोई नहीं । मैं तुमसे यही एक वादा चाहती हूँ । मैं बात करता हूँ । मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ही बहुत प्यार करता हूँ । उत् संधान गौरी और मैं चार वर्षों के बाहर वैवाहिक सूत्र में बन गए । हम दिल्ली आ गए जहां गौरी दंतचिकित्सक के तौर पर काम करते हैं और मैं एक अमेरिकन बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता हूँ । आर्या की कोई खबर नहीं है । मूर्ति उडती खबर मिली थी कि वो हिंदुस्तान छोड चुकी हैं । फॅमिली भी दिल्ली ही आकर बस गए हैं । सब अपनी जिंदगी में खुशी खुशी बसर कर रहे हैं । धान्या और बॉल शादी के एक साल के बाद ही एक दूसरे से अलग हो गए । थाने और मैं काफी सालों तक एक दूसरे के संपर्क में नहीं रहे । मगर जब मैं उससे मिला तो कुछ चीजों के बारे में जानकर हैरान हो गया । लेकिन मेरे घर एक चिट्ठी आई तो खून से लिखी हुई थी । बहुत डरावना था, हूँ । उसके हस्ताक्षर थी प्रेम ऍम ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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