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भाग - 13.1 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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अपनी पढाई के लिए हिमाचल प्रदेश के बातों से निकले हुए हैं । मुझे लगभग दो वर्ष हो चुके थे मगर एक भी साला ऐसा नहीं था । मैंने मैक्लॉडगंज के मंदिर हम नहीं किया था । पिछले दो अवसरों पर तो मेरे साथ मेरी पूरी मंडली थी जो मेरी इस यात्रा का हिस्सा बनी थी । सबसे पहले इसमें जैदी शामिल हुआ था । इसके बाद हर क्लास में मुझे कुछ बेहतरीन दोस्त उपहार स्वरूप मिलते रहे तो हम हमेशा मेरा खास दोस्त बना रहा और छेदी ने इस तकलीफ को पूरा किया । कॉलेज में आप कई जरूर हूँ और परिकल्पनाओं के आधार पर दोस्त बनाते हैं । इनमें से कुछ हैं । जब हम एक ही शहर से आते हैं, जितना छोटा शहर, उतनी ही गहरी दोस्ती । विद्यालय में हमने सवाल अंक अर्जित किए जिसकी वजह से हमें एक ही महाविद्यालय में दाखिला मिला । हमें की कक्षा में पढते हैं और सिगरेट, शराब, लडकियाँ और पागलपन में भी हमारी दूसरी एक जैसे ही है । हमारी जिंदगी के शौक भी एक जैसे ही है । संगीत, कला, साहित्य, घूमना फिरना इत्यादि । हम सबके पास टूटा हुआ दिल, पीडा, दुख और अनंत था है । दूसरे साल से की गई मेरी सारी दोस्ती उपर्युक्त बिंदुओं से प्रेरित है । मगर एक छोटा सा समूह था जिसने मुझे अपनी ओर खींच लिया, जिसकी वजह यात्रा और मेरे दूसरे शौक थे । भारत की राजधानी में रहने की वजह से आपके पास भारत के हर कोने में भ्रमण करने के साधन मौजूद रहते हैं । इन सारी जगह में हिमालय भले ही कितना दूर प्रतीत होता हूँ, मगर तो आपके बिल्कुल पकल में है । वो कंप्यूटर प्रयोगशाला थी । आज मैं अपना दिन व्यतीत कर रहा था । ये लडकियों के छात्रावास के बगल में था । अविश्वसनीय मगर सकते कुछ लडकों ने तो इस पाठ्यक्रम में बस इसीलिए दाखिला लिया था कहाँ कि वे इत्र की खुशबू ले सकें और मौका मिलने पर थोडी सी ताकझांक भी कर सके । कॉलेज में हर चीज को संभव मान लेना चाहिए । मैं अपने विश्व में बिल्कुल तल्लीन था । परिसर में चहल पहल पडती जा रही थी । सब उस आने वाले वार्षिकोत्सव की वजह से था, जो बेस फरवरी को मनाया जाने वाला था । हमारे इंजीनियरिंग कॉलेज का सालाना चलता था, जब मेरे पास दौडता हुआ आया । बहुत तेजी से मुझे प्रयोगशाला से बाहर खींच कर ले गया । क्या हुआ, ऐसे क्यों उठा लाया तो मुझे क्या तुम्हें पता हैं? इस साल हमारे वार्षिकोत्सव में एक आकर्षण का भाग है । हो गया है । नील तुम समिति के सदस्य हैं और मैं ये सवाल इसलिए तुम से पूछ रहा हूँ ताकि तुम मुझे इसका जवाब तो आए । तुम्हें यहाँ मौजूद हर व्यक्ति से ज्यादा पता है तो तो पूरे खबरें हो । हाँ हाँ मुझे मालूम है कि इस बार अलग अलग कॉलेज से मिस इंडिया के प्रतिभागी यहाँ रैंपवॉक करेंगी । इससे हमारे डीसीई को अलग पहचान तो मिलना जरूरी है । भाई मीडिया से प्रसारित करने वाला है और क्या जानकारी चाहिए तो मैं क्या हो? काॅस्ट पार किसी को पटा लेता हूँ । गौरी बहुत खुश हो जाएगी । अगर तो ऐसा कर सकता हूँ । फॅमिली ने अपनी आखिर रहते हुए मुझे वो बहुत दिखाया जो कि वह हर तीन महीने में दिखाता रहता है और हर बार की तरह मैं वहाँ से चला है । वार्षिक उत्सव बस दो दिन दूर था । कई कलाकारों से हमारा कॉलेज परिसर भर गया था । लग रहा था मानो वेंबले स्टेडियम में ऐरोस्मिथ के कार्यक्रम की तैयारी चल रही है । अभ्यास अपने पूरे शबाब पर थे और हर जगह दिखाई दे रहे थे । मैं नाटशाला के डस्टी बने एक पेज पर बैठ गया और गौर से इस चहल पहल को देखने लगा । इतनी दूर से मैं बस के देख पा रहा था कि हर कोई कुछ ना कुछ कर रहा है । मेरे सिवाय सब बच्चे ऐसा नहीं था । मैंने बस थोडा सा विराम दिया था । मैं अपने जूनियर्स को बता रहा था कि मेहमानों का स्वागत कैसे करना है । मगर फिर मुझे लगा कि वे खुद सक्षम हैं । उन्होंने अभ्यास के दौरान ही उनसे दोस्ती कर ली थी । मैंने थोडे से निर्देशन के अलावा कुछ भी नहीं किया । सीनियर होने के नाते अच्छा इन सब मजेदार क्रियाकलापों के बीच में एक लडकी मुझे बडे गौर से देख रही थी । मैंने तीसरी नजर से उसे देख लिया था । मुझे ऐसा लगा कि उसकी टांगे जेदी की लंबाई से ज्यादा लंबी थी । फिर मैंने सीधे संपर्क के लिए अपनी आंखें उठाई । उसके बाद उसकी कमर तक आ रहे थे । वो निश्चित ही कोई कलाकार नहीं होगी । मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था । वो क्लाउडिया शिफर जैसी दिख रही थी, जब वो अपने मॉडलिंग के चरम पर थी । इसके पहले की मैं कुछ और देखता था । उसने एक चमकदार मुस्कान बिखेर दी और फिर गायब हो गई । डॉम किसी भी वक्त मेरे पास आ सकता था । मैं उसकी प्रतीक्षा कर रहा था । हर वर्ष महोत्सव के समय वो मुझसे मिलने जरूर आता था और मेरे सबसे प्यारे दोस्त की तरह उसने बिल्कुल सही समय पर प्रवेश किया क्योंकि मैं सोने ही वाला था । मैं अभी भी उसी बेंच पर बैठा हुआ था । सूरज अपनी फिर नहीं, सीधे मेरी आंखों में भी तरह था और दूसरी तरफ मोडने में मुझे आलस महसूस हो रहा था । फरवरी की एक ठन्डे दोपहर में दिल्ली में सूरज किसे पसंद नहीं होता? नील मुझे एक बात बताओ मैं जब भी आता हूँ तो तुम मुझे इसी बेंच पर बैठे हुए क्यों मिलते हूँ काम और मैं बहुत देर तक एक दूसरे के गले लगे रहे हैं । जब भी हम काफी दिनों के बाद मिलते तो हमारा साथ ऐसा ही होता था के सालों से चला आ रहा था । अब तीनों की ये दूरी काफी बडी हो चुकी थी । वो मुझसे हमेशा पूछता रहता था की मैं उन्हें वापस क्यों नहीं लौटा? हिमाचल से लौटने के बाद मैंने दोबारा पुणे एक बार फिर क्यों नहीं किया? मैं हर उस चीज से क्यों भाग आया तो मुझे घरे की याद दिलाते नहीं । मेरे लिए ये एक बेहद जटिल प्रश्न हूँ । ये सत्ते रही है कि इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था । क्या फेस मैंने इस की कोशिश नहीं की थी, खासकर टॉम के लिए जो की मेरी रग रग से वाकिफ था । मगर गए जवाब दे पाना उतना ही आसान नहीं था । याद रखें कि मैं कोई कमजोर व्यक्ति नहीं था । नहीं, मैं उन लोगों में से खा जो अपने तरफ से भाग चाहते हैं । मैं मजबूत आदमी, जो दुनिया का सामना करना सीख रहा है, मेरे लिए ये मापदंड तय हो चुका है । मगर ऐसा हमेशा से नहीं था । इस यात्रा के दौरान मैं गोला बन चुका था और बात नहीं । जब मेरा उत्थान हुआ, मेरे लिए उस जगह पर वापस जाना या उन लोगों से दोबारा मिलने के लिए बहुत देर हो चुकी थी । इसीलिए मुझे हमेशा यही लगता था कि यदि मैं पुणे वापस गया तो मैं स्वार्थीपन चाहूँगा । क्योंकि मैं उस वक्त नहीं गया जब मुझे जाना चाहिए था और अब ये सब यांत्रिक हो चुका था । जहाँ तक गौरी की बात है, वो एक सितारे की तरह हमेशा मेरे साथ रहती थी, जिसे बैठ किसी भी जगह से आसमान में देख सकता था । इसी समझ पाना इतना आसान नहीं है और ये काफी दार्शनिक है । यही कारण है कि मैं उनको ये सब समझा नहीं पाया । टॉम चेरी और मैं अगले दो दिन साथ में बिताए । मैं चेरी के साथ अपनी दोस्ती को और प्रगाढ होता हुआ महसूस कर सकता था । इस बीच मैंने उस लडकी को भी ढूंढने की कोशिश की मगर वो मुझे नहीं मिली । परिसर में बहुत ही ज्यादा लोग थे जिन्होंने उसे पूरी तरह से भर दिया था और दूसरी बात ये थी की मुझे नहीं पता था कि वो किस समूह का हिस्सा है और आखिर में ये है कि हम इन दोनों परिसर में खाना न के बराबर खाते थे । वहाँ तो हम बस मस्ती करने चाहते थे । हमें इसकी कभी खल रही थी । ईमानदारी से कहूं तो मैंने इस विषय पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया था । वो मेरे मन में काफी तेज तक नहीं मगर इतना भी नहीं कि मेरी खुशी के पलों पर हावी हो सके । तीन दिवसीय कार्यक्रम शुरू हो चुका था । हमें पता था कि हर साल की तरह इस साल भी ये धुंआधार होने वाला है । इस समय कॉलेज के विद्यार्थी बिल्कुल पागल हो जाते हैं । हर किसी के अंदर एक प्रतिभा होती है जो इस वक्त निखर कर सामने आती है । दोनों के बीच का प्यार अलग परवान चढता है । अंतर कॉलेज संबंध स्थापित होते हैं । संबंध विच्छेद की जगह नए संबंध बनते हैं । कुछ टूटते भी हैं । आखिरी दिन थोडा शांत और सबसे ज्यादा असाधारण था । आखिरी कार्यक्रम देशभर के प्रतिष्ठित नरसंडा प्रतिभागियों द्वारा किया जाने वाला रैंप हुवा था की होश उडा देने वाला था । सभी परम सुंदर गया । एक ही मंच पर उन्होंने तापमान बढा दिया था । दर्शक बादल हो रहे थे वो मैंने अपनी लडकी को देखा आपने? लडकी मतलब वो लडकी जो दो दिन पहले मेरे दिल में थोडी देर के लिए ठहर गई थी । मैं उससे अपनी आगे नहीं हटा सका । हाँ उसने तो पता नहीं चला होगा कि मैं उसे ही नहीं आ रहा था । पर फिर मैं उस पर फिदा हो गया था । उसे कुछ भी मालूम नहीं था । वो स्टोरी मंच की ऊंचाई और फ्लाइट लाइट से पडने वाली नहीं उसकी और मेरी नसों को अलग कर रही थी । सब अपने काम में ध्यान मतलब थे । दर्शक उनका उत्साह बढा रहे थे, सीख रहे थे और नाच रहे थे । मैं बस देखता ही रहा । नए वशीभूत हो चुका था । खैर कोई गौरी की तरह कैसे दिख सकती थी ये कैसे संभव था? दोस्ती का नियम जब कोई शंका हूँ तो आपने सबसे अच्छे दोस्त से पूछूं । टॉम इधर उधर देखना बंद कर दूँ उसके बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है । मैंने उससे पूछा और मेरी उंगलियां बयासी उस की ओर इशारा कर रही थी । वो अपनी कुर्सी में ही चला गया और थोडी देर में वहाँ से उठ और मंच के और भी नजदीक चला गया । हूॅं इसका चेहरा ऍम मिलता है मैंने इसे देखा है शायद ये उसकी कोई बहन हो जिससे तुम कभी नहीं मिली हूँ । हो सकता है हूँ मैं उस से मिलना चाहता हूँ । ये तुम्हारा कॉलेज है और वैसे भी तुम समिति के सदस्यों, तुम्हारे लिए उसके बारे में पता करना मुश्किल नहीं होगा । जरूरी थोडी देर बाद अपनी कुर्सी पर लौट वो काफी देर से गया हुआ था । उसने रहस्यमई अंदाज में मुझे अपनी और खींचा और मैंने टॉम का हाथ पकड लिया । थोडी देर में हम नाटशाला के अंदर थे । उसने मेरी ओर देखा और मुझसे पूछा क्या कर उसके पास कौरी जैसी दिखने वाली लडकी इस लडकी के बारे में जानकारी हो तो मैं क्या करुंगा? उसे उसने ये बात बहुत गंभीरता से कहीं । मानो उसके पास कोई ऐसी सूचना हो जो हमें तब तक कर देगा । फॅमिली हमें इसी के बारे में बात कर रहे थे और तुम किसी सीआईए एजेंट की तरफ तारित हो गए । अब मैं चोपा तुम्हें बताने जा रहा हूँ । वैसे तो वह बेहद होती हैं इसलिए परिसर में किसी के पास ये जानकारी नहीं होगी । जेरी अब बता दो यार उसने उसे आदेश दिया वो तीस भी है । पुणे के तंत्र चिकित्सा कॉलेज से पढाई कर रही हैं । ज्यादा सटीक कहूँ तो डी । वाई । पी डेंटल कॉलेज पुणे । उस ने हमें बताया मैं तब था तब पता नहीं मुझे झटका लगा था या फिर झटके से भी कुछ था । इसीलिए मैं खामोश हो गए कि दुनिया जो किस्मत से चलती है और इसके बारे में मैंने जो कुछ भी सीखा समझा है, उसका सबसे बेहतरीन उदाहरण था । किसी से कभी भी, कहीं भी और कुछ भी हो सकता है । जब आप न्यूनतम की उम्मीद करते हैं, उसी वक्त कुछ उम्मीद से ज्यादा हो जाता है । मैंने इतिश्री को अपनी यादों से लगभग भुला दिया था । इसके बारे में मैं बहुत था । तुमने भी मेरा ही अनुसरण । क्या मैं भी उससे दूर ही रहता था जैसा कि पहले पहले बताया कि मैं स्पीड से दूर ही रहता था । राम ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे लगा या फिर मुझे पता चला की वो अभी भी उससे संपर्क में है तो मुझे बहुत बुरा लगेगा । एक दोस्ताना मजबूरी थी । एक बात तो तय थे कि मेरे दिल में उसके लिए कोई भी द्वेष नहीं था । खासकर फॅमिली । उनकी शिक्षाओं के बाद तो हमने हमारे फोटोग्राफर को बुलाया । उसके उसे ड्रॅाप के वीडियो और तस्वीरें निकल पाई हूँ । हम तीनों एक जगह बैठ गए और उन तस्वीरों को ध्यान से देखने लगीं । उसे ध्यान से देखने की बात के तय हो चुका था की धूम नीतीश नहीं है । जो गौरी की तरह दिख रही है, उसी की तरह बर्ताव कर रही है । एक रोमांचक का शरीर था और मेरे अंदर और भी अधिक जानने की जिज्ञासा जाग रही थी । ये बोपल था जब मैं स्वार्थी होना चाह रहा था । पहले सवालों के जवाब तीसरे के पास थे । वहीं दूसरी ओर अगर मैंने ये जवाब उससे नहीं लिए तो ये मुझे ताउम्र डराते रहेंगे क्योंकि कहीं ना कहीं मेरे ऊपर इसका गहरा प्रभाव पडा था । सामने इस मामले में अगुवाई करने का प्रस्ताव दिया । वो जानता था कि इस मामले में जल्दबाजी करने से कुछ हासिल नहीं होगा । मैं भी मान गया । मैंने निश्चय किया कि पहले हम उसे पुणे लौटने देंगे । एकता चप्पू वहाँ पर फिर से स्थापित हो जाएगी । तब टॉम जाकर उससे मिलेगा । वो पढा ही भोला लग रहा था जब उसने मुझसे कहा भाई, ऐसा लगता है कि गौरी की आत्मा इतिश्री में प्रवेश कर रही है । मुझे आज शादी नहीं हो रहा है । हमें उससे जल्दी मिलना चाहिए । मुझे मालूम है तो मेरे लिए वहाँ पर हूँ । उम्मीद है ये सब जल्दी सोलह जाएगा । मैंने गंभीर मुद्दा बनाकर उससे कहा तीन दिन ऍम । ये खबर तो भर के अखबार के पहले पन्ने पर थी । उसकी तस्वीर के नीचे लिखा था । उसने मिस इंडिया प्रतियोगिता से बाहर निकल जाने का फैसला किया । एक प्रेस सम्मेलन था । उसे पिछले शाम उस नहीं संबोधित किया था । उसने ये साफ किया कि वह मिस इंडिया प्रतियोगिता से निजी कारणों से बाहर हो रही है । मीडिया के लोग तो निश्चित ही थी । श्री से नाराज और खुश थे । उसने बस इतना ही बताया कि इसके पीछे कारण बहुत ऐसी है और उसने समिति से बात कर ली है जो अनुबंधों का मामला देखेंगे । काम सप्ताहंत की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि वह उसके कॉलेज जाकर उससे मिल सके । अगर इस खबर में उसे अंदर तक झकझोर दिया था । अभी तो ये समझ नहीं आ रहा था कि वह इतिश्री से कैसे मिल पाएगा? आखिर पिछले तीन दिनों में ऐसा क्या हुआ? इसके पीछे जरूर कोई गंभीर कारण कहाँ होगा? उसे पता लगाना ही था । उसने पुणे की प्रतियोगिता समिति के लोगों से मुलाकात करने की सोची । इसमें सफलता हासिल नहीं हुई क्योंकि प्रेसविज्ञप्ति पहले ही जारी हो चुकी थी जिसमें सब कुछ लिखा हुआ था । इस से ज्यादा कोई भी वक्तव्य बाहर नहीं आने वाला था । इसका मतलब ये हुआ कि टाउन को किसी से जल्दी से जल्दी मिलना पडेगा । उसने उसके कॉलेज से संपर्क किया और उस से मुलाकात का समय तय किया । ये इतना आसान नहीं था क्योंकि इसके लिए उसे बहुत मेहनत करनी पडी थी । एक सच यह भी है कि ये सिर्फ ऍम ही था जो उससे बात करने का प्रयास कर रहा था । हाँ टॉल बोलूँ क्या चाहिए तो मैं इतनी कैसी हो तो ज्योतिष माफ करना ही थी । मैं समझा नहीं । नीतीश श्री मेरा नाम है, अच्छा ठीक है । मुझे माफ कर दो । इतिश्री देखो मना मत करना । मैं तुम से मिलना चाहता हूँ क्या मतलब है एक महाराज हूँ तो मुझे समझाते क्या होता हूँ मुझे फोन करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? तुम सोचते क्या हो? अगर नील दुखी था तो तुमने पीछे कदम क्यों खींच लिए थे? मैंने खुद को बातें की भी कोशिश की थी । उस वक्त मुझे तुम लोगों की जरूरत थी । जब तुम ने मुझे छोड दिया । मुझे अपराधियों सब महसूस हो रहा था । सब कोई दिन नहीं गुस्सा था । मैं तो वो ही नहीं थी तो तुम जानते हो । मैंने उस प्रतियोगिता में हिस्सा क्यों लिया था तो भी सारा सा भी अंदाजा है । तो मुझे लगता है मैं मिस इंडिया बनना चाहती हूँ । नहीं, मैंने ये सब हम लोगों को ढूंढने के लिए किया था, क्योंकि मुझे मालूम था कि इंजीनियरिंग के सभी लोग वहाँ मौजूद होंगे । अगर सभी नहीं तो कुछ प्रतिभावान तो जरूर ही होंगे । मैं जानती थी कि तुम और नील तो वहाँ जरूर मिलेंगे । मैं उसे जानती थी इसलिए दो साल में शुरू नहीं । मगर इस बार मुझे पक्का यकीन था । मैंने नील को बेंच पर बैठे हुए देखा था । मैं इतने सालों से तुम लोगों को ढूंढ रही थी । इतना कहकर इतिश्री रोडे लकी और उसने फोन रखती है । अगले कुछ मिनट तक तो उनको उसे दोबारा फोन करने की हिम्मत नहीं हुई । थोडी देर बाद टॉम नहीं उसे फिर से फोन करने का प्रयास किया । इस बार पूछताछ वाले बन्दे ने फोन उठाया । उसने उससे प्रतीक्षा करने को कहा । फिर उसे कहा गया की इतिश्री व्यस्त है तो हमने उसे कई बार फोन किया । जब तक की रात नहीं हो गई इतिश्री दे उससे हर बार बात करने से मना कर दिया । उसके अगले दिन फिर से प्रयास किया और फिर से अगले दिन । हर बार परिणाम एक ही था तो उनको बहुत बुरा लग रहा था । तो हमने उसके बाद पिता को फोन किया । वे लोग सिलीगुडी जा चुके थे । शुक्ला था कि नए लोगों ने उनका फोन नंबर लिख कर रखा था । इतिश्री की माँ ने फोन उठाया । इससे टॉम को थोडी खुशी हुई । वो जानता था की बात का दिल मोम साफ होता है जो आसानी से पिघल जाता है तो हमने उनके साथ वही किया और इस बार ये काम कर गया तो उनसे बात करते वक्त उसके बाद थोडा भावुक हो गई थी । उन के कोई बेटा नहीं था । इसलिए जब भी तीसरी का कोई दोस्त जो लडका हो उन्हें फोन करता था तो वे उसे अपना बेटा मान लेती थी । एक पल के बाद वो बहुत चिंतित नजर आने लगी थी । उन्होंने उसे बताया कि गौरी के जाने के बाद कैसे देश में बिलकुल टूट गई थी । उन्हें ये भी डर सताने लगा था कि वह कोई गलत कदम ना उठा ले । उसने गुवाहाटी जाना भी छोड दिया था क्योंकि वो जगह उसे गौरी के बचपन की याद दिलाती थी । यही कारण था कि वे सिलीगुडी चले गए थे । उन्होंने सब कुछ पीछे छोड दिया था क्योंकि उनकी बेटी उनके लिए सबकुछ थी खरीदी श्री नहीं । वो कॉलेज भी छोड दिया और उसने टी । वाई पी के दंतचिकित्सा विभाग में दाखिला ले लिया था ।

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