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भाग - 10 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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हूँ । गौरी किसी को भी अपने से आगे नहीं निकल नहीं देना चाहती थी । आज उसके लिए जीवन का सबसे खुशनुमा दिन होने वाला था । उसने रोज का गाना चला दिया था । उसकी डायरी आगे वाली सीट पर ही रखी हुई थी । उसने उसे अपने बस से मैं नहीं रखा था । उसे जहाँ भी थोडी ट्रैफिक में अपनी गाडी रोकनी पडती, वो उस मौके का फायदा उठाकर उसमें लिखते लग जाती है मैं तुम से बहुत प्यार करती हो । नहीं आशा करती हूँ कि तुम बस एक बार मुझे आप कर चुके हैं । खेलते हो फॅस बिल्कुल सही समय पर आया हूँ । फॅमिली लाॅन फर्स्ट टाइम ऍम साॅस माॅ डाॅ फिलिंग लो नहीं हूँ यहाॅं आई ऍम के कुछ सो ऍम प्लाॅट में आॅर्ट फॅस पेस मार्किट में आई कान्ट स्टॉप लबीब योग टॅबलेट जो लाइक हो । फॅमिली में फ्री पढी से स्क्रू प्लेस फॉर किट में आॅफ हो ऍम प्रयासों को रोकने नहीं देना चाहती है । मैं इस प्यार को खोना नहीं चाहती हूँ । मैं इस पल को रोकने नहीं देना चाहती हूँ । मैं बस आगे ही पढना चाहती हूँ क्योंकि अब मैंने तो पा लिया है । मेरे भी मुझे मालूम था कि तुम मेरे साथ विश्वास खाते कर रहे हैं । मुझे हमेशा विश्वास था मगर मैंने फिर भी ये क्या? क्योंकि अगर इसमें जरा सी भी सच्चाई होती तो मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी । मैं चाहती थी कि आगे या पीछे हट जाएगा क्योंकि वो एक मजबूत लडकी थी जो भारत में मेरी संस्कृति पर बात कर सकती थी । उस से लडना आसान नहीं था । इसलिए मैंने ये जरूरी कदम उठाया जिससे पुलिस वालों को उसकी कारस्तानियों का पता चले तो दुनिया के सामने उजागर हो जाए । मुझे मालूम था कि अगर मैं वहाँ होती तो शायद मैं ये सब तक करता हूँ । मैं शांति होगी । मैंने इतिश्री से तुम पर नजर रखने को भी कहा था या अभी पत्ते इतनी आसानी से जाता नहीं है । मैं कोई फूल नहीं करना चाहती थी, एक प्रतिशत ही नहीं । इसलिए उससे प्रतिशतकी भूल के लिए मैं तुम से माफी मांगना चाहती हूँ हूँ नहीं नहीं, नहीं नहीं भगवान आखिरी स्माॅल । मैंने पूछा एक हजार पता करने के लिए नीचे उतर गया । ऐसा लगता है यहाँ से थोडी दो कोई ट्रक पलट गया है । अब क्या है जब हम किसी चीज को जल्दी पाना चाहते हैं तो कोई न कोई उसमें ऑप्शन पैदा जरूर कर देता है । मेरा धैर्य जवाब दे रहा था । मैं चलता रहा है । धीरे धीरे मैंने अपनी गति तेज ऍम या मोटर साइकिल सब एक के पीछे एक सडक के किनारे खडी थी । मैं छलांग मार मार कर कदम रखता । रास्ते में मुझे लोगों की आवाज भी सुनाई दे रही थी । लोग सडक पर निकल आए थे । लगता है कोई बडी दुर्घटना हुई है । अरे काफी लोग मर गए श्रीवास्तवा शुभाष हुआ ट्रक और तीन कारों की टक्कर हुई है । भाई एक लडकी अकेली थी । उसकी गाडी तो बिल्कुल चिपक गई है और लडकी भी मैं वही तो क्या और उन लोगों से पूछा उन्होंने मुझे बताया । वे आगे तब देख कर आये हैं और ये दुर्घटना बहुत भयानक है । सब लोग मारे गए । मैं ये सुनकर दौडने लगा । मैं खुद से बातें करता रहा । नहीं नहीं गौर ये तुम नहीं हो नहीं हो सकती । तुम नहीं नहीं कौन है ये तो नहीं हो सकती है । नहीं नहीं बिल्कुल नहीं, तुम नहीं हो सकती हो । गौरी बुरी तरह हार गया था और दुर्घटना वाली जगह से महज छह मीटर की दूरी पर था । मेरी नजर कमजोर होने लगी थी क्योंकि मेरी आंखों में आंसू भर गया था । या तो मैं पक्का यकीन है कि उस गाडी में एक लडकी थी । मैंने एक अंजान व्यक्ति से पूछा है उससे बस हाँ अपना सर लगेगा । लगभग पचास मीटर की दूरी से उसमें कौन की काफी दिख की लगी थी । मैं जमीन पर गिर गया । मैं बिलकुल दुखी हो गया । ना सूरज अपनी किरणों से सीधे मेरी आंखों में छात्रा था मगर मेरे अंदर इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी । मैं अपने आस पास बस खुसफुसाहट सुन पा रहा था । लगता है उसकी पत्नी थी वो उसी गाडी की ओर तो जा रहा था वो वो लडकी वो बहुत तेज संगीत सुनते हुए गाडी चला रही थी और गाना भी गा रही थी । मैंने उसे देखा था भाई उसे तो ट्रक ने सामने से टक्कर मारी थी और वो बस भगवान और नींद चिल्लाती रही । मैं तब तक होश में नहीं आया जब तक पुलिस वालों ने मुझे उठाकर वापस जब से मैं नहीं डालती । जब मैंने अपनी आंखें खोली उस वक्त मैं अस्पताल में था । गौरी को प्रिंट घोषित कर दिया गया था । मैं भी उसके साथ मर गया था । मेरी आत्मा उसके साथ मर चुकी थी इसीलिए मैं उस की तरफ देखता था । ऍम शायद तो आंखे खोलते हैं । उसके हाथ पकडे रहा । मालूम वो थे कि और कुछ गले लगा लेंगे । मैं शून्य पे जा चुका था । बिल्कुल शान । मुझे हितेश गई । उसके माता पिता के रोने की आवाज भी नहीं सुनाई दे रही हैं । मुझे नहीं मालूम क्या हो रहा था । उसके हाथ पकडकर रोकता था । मैं वहाँ से जाना नहीं चाहता था । मैं उससे बातें करता रहा नहीं, उसे बहुत तक बात की । मैंने उससे पूछा आपको खाने में क्या पसंद करेगी? कॉलेज से आने के बाद वो काफी थक गई होगी ना मैंने उसके लिए कुछ योजनाएं बनाई थी जो खडी पहले उसके जन्मदिन के लिए उपहार स्वरूप खरीदी थी । आपको मैंने उसकी कलाई पर पांच उसके चंद्र तीन की व्यवस्था करने वाले तल को मैंने फोन करके ये मालूम क्या इस सारे तैयार हो चुकी है या नहीं । मैं जानता हूँ कि छत्तीस अठारह बरस की हुई थी । तब मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ नहीं कर पाया था । मकर की आशा करता हूँ की ये सर प्राइस तुम्हें पसंद आएगा । मैं बीस पेश में नाराज नहीं हो रहा था । मैंने उससे ये वादा करने को कहा कि वो कभी भी इतने समय के लिए मुझे छोड कर नहीं चाहिए । मैंने उसे ये भी शिकायत की की छह तक मेरे पास नहीं थी तो मैंने उसे फोन किया था । मगर उसका फोन पहुंच से बाहर था । इसीलिए आप मैं उसे नया हूँ । एक टाइम नेटवर्क कनेक्शन के साथ मैं बोलता ही जा रहा था । वो उसको उठाई । उसने मुझसे वादा किया है तो बता हुआ ऐसा कभी नहीं करेगी ही तो भेज । जरा भी अंदाजा नहीं है कि जब मेरे पास रही थी तो मेरे ऊपर की आपको लग रही थी वो भी बहुत ही इतना ऍम तो उससे शांति पूछे । पक्का यकीन था कि तुम वापस जरूर उससे इश्वर पर पूरा विश्वास । इसलिए मुझे ये भी अतिन कि वो तो भी कुछ नहीं होने देगा । तो मेरी अच्छी फॅालो तुम तुम जानती हूँ । अब बहुत ही गंभीर हो चुका हूँ । तब तो मुझे बताया बगैर कहीं भी बाहर इधर उधर नहीं चल सकती हो । मैं भी चाहत बत्ती तो पिछले चौबीस घंटे में मैं कितना असहाय हो चुका था । इसमें बिल्कुल बुढा हो गया था हमारे सभी तो उसको बहुत बहुत शुक्रिया । उन्होंने तो ढूंढते वे दिन रात एक करती है खानियां हूँ हो टाइटर किसको गौरी तुम्हें धन्यवाद कह रही है तिथि किसी तरह तो देखो तो दोनों लडकी उन्हें मिलकर क्या आप कर दिया तो अगर अपन को अभी इसी वक्त बंद करो । तुम दोनों हो चुकी हूँ । छपकी तो कुछ ऐसा करती हूँ, बेहद दिल कमजोर हो जाता है । अब बहस सुकून से तुम्हारी पहुँच हो सकता हूँ तो तैयार आराम से सो सकता हूँ । ऍम कुछ बहुत दुख है तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि क्या हो गया है । उसे किसी भी चीज का हो रही है । वो अभी भी हमारी तरह कह रहे सकते हैं । मुँह से रोते हुए अभी भी शक की नहीं होगा कि ये क्या हो गया । अभी दो दिन पहले ही तो हम सब कितने खुश थे और कितने उत्साहित थे । अपनी जिंदगी को लेकर कितनी योजनाएं बना रहे थे और अब ये सिंदगी बहुत होती है । अभी तक ये समझ में नहीं आ रहा की सबसे खुशी किसको भी अगर कहीं खुशी है भी तो इसकी कोई गारंटी नहीं होती है कि वह हमेशा बनी रहेगी । भगवान का दुनिया में संतुलन बनाए रखना बिल्कुल ठीक है मगर के विश्वास नहीं होता । घर की कितनी आसानी से वो खुशी और लाभ किताब हमारे जीवन से काट देता है । जैसे ही आप थोडी सी खुशी महसूस करते लगते आसा जीवन को बस इस बात में निकल जाता है कि न जाने कब दुखों का पहाड आपके ऊपर टूट पडेगा । हम इसे करने का फल या कुछ और कह देते हैं । मगज के भातसा बचपन नहीं आती कि छक्का ही ऐसी लडकी ऑफिस में किसी का कोई लुक्स और नहीं की उसके साथ ऐसा होता है तो ये कौन सी बात होती है । ऐसे पहलू पे तो जिंदगी चुप चाप दरवाजे से पानी निकल जाती है । बॅास हो उम्मीद रखो कभी भी कुछ पूरा होता है तो उसके साथ कुछ न कुछ अच्छाई भी जरूर आती है कि सब सुनते में चित्ता और साल लगता है । कहते हैं ये उतना ही मुश्किल है भगवान अच्छी वन आपको बगैर कोई इशारा दिए आपसे आपकी संत की छीन लेता है । जब तक जीवन साथी एक पल में आपसे दूर चला जाता है वहाँ जहाँ से कभी वो लौटकर वापस नहीं आएगा । हट भरे लम्बी आपको एक सही पी जाते जाते तो मेरी ही ओर खडा था और इतिश्री दे देता ही नहीं हूँ । लगता है वो काफी देर तक इसी अवस्था में खडे थे । इसके बाद जो कुछ भी हुआ उसमें इन्सानियत की जरूरत थी । पालक को खाली करता था, व्यावसायिक कारणों से कोई और अब उस पर अपनी जगह बनाएगा । कागजों पर हस्ताक्षर शुरू होंगे तो लोग गौरी को एक शरीर बुलाना शुरू कर देंगे । आप बस अपनी असहनीय का दिखा सकते हैं । लोग आते रहे और जाते रहे । ऐसा ही चलता रहा हूँ । गौरी को तो अंदाजा ही नहीं था कि कितने सारे लोग उस से कितना प्यार करते हैं । हजारों लोग वहाँ आए थे कॉलेज से, गुवाहाटी के उसके स्कूल से, जिनमें उनके तो उसे खाना पहुंचाने वाले उसके दोस्त, हमारी कॉलोनी में रहने वाले लोग और भी बहुत सारे लोग आए थे । गौरी के होठों की लिपिस्टिक थोडी ढीली पड गई थी और उसका बेक अब उसके चेहरे के जख्मों भी फटने लगा था । इसलिए अब उसका उस को ज्यादा बंद हो गया था । मुझे लगता है वो अब जा चुकी थी । सब कुछ जा चुका था । अब मैं वास्तव दुनिया में वापस आ चुका था । बगैर किसी खूबसूरती के जो दुनिया होती है तो हम ने मुझे कसकर पकडे जाता था । पैसो जोर से थोडे लगा । मैं रोता ही जा रहा था और फिर तेज और भी थे । मैं लगातार टॉम और गौरी से बात करता हूँ । मेरा जवाब बस स्टॉप ही थी । उसने मुझे शांत करने का हर संभव प्रयास किया । पहले जीवन का ये पहला पडा था और ये काफी दिनों तक मेरे साथ था ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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