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तो जिन्हें पुलिस किताब का सफर यहीं पर खत्म होता है । लेकिन एक या दो सालों में आप इस कहानी के पात्रों को भूल जाएंगे । कुछ और साल के बाद आप शायद इस कहानी को भी भूल जाएंगे । लेकिन इस कहानी को सुनते टाइम आपको कैसा महसूस हुआ कि हमेशा आपके दिल में रहेगा शब्द क्षणिक लेकिन भावनाएं अमर होती है । नमस्कार मैं हूँ अर्पित अग्रवाल और मैं इतना भाग्यशाली हूँ कि मैं अपनी भावनाओं को कहानियों के माध्यम से लाखों दिलों तक पहुंचा सकता हूँ । मुझे विश्वास इस कहानी को सुनकर आपका रहते पुलकित और मन प्रफुल्लित हो गया होगा । मंजिल से ज्यादा अपने यात्रा का आनंद लिया होगा भविष्य में जब भी आप इस कहानी को याद करेंगे आप बिना बात ही मुस्कराएंगे किसी कहानी के हीरो की तरह में ऊंची कदकाठी बहुत ज्यादा सुंदर नहीं हूँ । एक साधारण जीवन जीता हूँ, सडक के दोनों और देख कर ही पार करता हूँ । रेस्ट्रां में जाकर मिक्स वेज ऑर्डर करता हूँ और कंप्लीमेंट्री में सलाद मानता हूँ । स्मार्टफोन होने के बावजूद भी लोगों से पाते पूछता हूँ मगर शायद मेरी कहानियां आपका दिल हो सकती है । ओडिसा के छोटे शहर में जान ना और रायपुर के पास एक दूसरे शहर में पला बडा हैण्डराइटिंग किसी डॉक्टर से भी खराब है । नगर में बडी तेजी से टाइप कर सकता हूँ । भिलाई की रूंगटा कॉलेज से इंजीनियरिंग कर के मैं सॉफ्टवेर कंपनी एक्सेंचर में जॉब करने पूरे चला गया । अगर सिर्फ तीन सालों के बाद मैंने स्टार्ट अप के लिए जॉब छोड दी । आखिरकार जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं । कभी कभी आपको और ज्यादा पैसों की जरूरत होती है तो डाॅॅ सोशल मीडिया में हर रोज मेरी कहानियों की समीक्षाएं लिख कर मेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद । मेरी लिखी सभी रोमेंटिक पंक्तियों की प्रेरणा बनने के लिए मेरी खूबसूरत पत्नी शुचि का धन्यवाद । मेरा अनुज निशान । दूसरे भाइयों की तरह बचपन में हमने टीवी रिमोट के लिए कभी लडाई नहीं की क्योंकि हमें हमेशा एक ही चैनल देखना होता था मेरे मम्मी पापा और मेरे बच्चे युवान और वियान । इससे बेहतर परिवार तो हो ही नहीं सकता । कुछ लोग आपके जीवन में आकर चले जाते हैं, कुछ आते जाते रहते हैं । हर कुछ आते हैं, फिर कभी न जाने के लिए । बचपन से हमेशा मेरे साथ होने के लिए । मेरे दोस्त हैप्पी का धन्यवाद । साल दो हजार तेरा में जब मैं पुणे में रहता था, एक दिन मेरी बाइक कटाया । पंचर हो गया था तो ऑफिस जाने के लिए लोहित नाम के एक अनजान शख्स ने मुझे लिफ्ट दी थी । मैंने उसे बताया कि मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के साथ जात के दावे भी लिखता हूँ । उसने कहा कि भविष्य में अपनी किसी कहानी में मैं उसका नाम इस्तेमाल करो तो लोकहित । अगर आज तो मैं इस कहानी को सुन रहे हो तो मुझे लिफ्ट देने और तुम्हारे नाम के लिए धन्यवाद । साथ ही धन्यवाद । मार्क जुकरबर्ग का न केवल फेसबुक बनाने के लिए बल्कि इस कहानी के प्रेरणा श्रोत बनने के लिए मेरे शब्दों को अपनी खूबसूरत आवाज देने के लिए वॉइस ओवर आर्टिस्ट रूबी पारिक जी का धन्यवाद और सबसे अहम कुक फॅमिली का तहेदिल से धन्यवाद, जिन्होंने मेरी कहानियों पर भरोसा किया और मुझे एक मुकम्मल मंच दिया । अब मैं बीस फैमिली का एक हिस्सा हो । अपने जज्बात, अपने अनुभव, अपनी भावनाएं जो कुछ भी लिख सका, मैंने लिख दिया है इस कहानी में मगर हर बात लिखकर बयां करना जरूरी तो नहीं । क्या कभी ऐसा नहीं हो सकता कि मैं कुछ सोचूँ और अब समझ जाएँ? अगर जो मैंने सोचा उसे बिना बढिया बिना सुने ही आप समझ जाए तो कुछ बात बने । मैं चाहता हूँ की अपनी शिद्दत से अपने किरदार को निभाओं की । मेरा पर्दा गिरने के बाद भी आपकी तालियाँ बचती रहे । धन्यवाद तो इसी के साथ दोस्तों कमेंट बॉक्स में लेकर की जरूर शेयर कीजिएगा की कहानी आपको कैसी लगी? कहानी की किस लाइन ने कहानी की किस मोडने आपके दिल कुछ हुआ । बाहर आपको भी लगा कि आप उस कैरेक्टर के साथ उस जर्नी में आगे पढ रहे हैं और फिलहाल आगे बढने का टाइम हो गया है । धन्यवाद कहानी का सुनने के लिए अपना प्यार हमारे साथ शेयर करने के लिए तो ऐसे ही दिलचस्प कहानियां आपको मिलती रहेगी । मुझे फॉलो करना ना बोले और सुनते रहे तो ऍम सुने जो मन चाहे
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Voice Artist