Made with in India
भाग तीस पिछले कुछ दिनों में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं ने भारत के प्रति लोहित की धारणा को बदल दिया । वो नफरत नहीं करता था हिन्दुस्तान से बल्कि उसे अफसोस इस बात का था कि पहले कभी उसने चीजों को बदलने की कोशिश क्यों नहीं की । अब वह सिस्टम को दोष ना देकर ये सोचने लगा कि आखिर वो भी तो सिस्टम का एक हिस्सा है । लोहित अपने देश वापस आ गया । जल्द ही अमेरिका से उसके खाते में पैसे आ गए और पुलिस अधिकारियों की मदद से उसने प्रोजेक्ट जी नहीं पर काम करना शुरू कर दिया । उन्होंने शहर के प्रति काॅस्ट में नई कैमरे लगाए और मौजूदा कैमरों को भी बदलकर स्मार्ट कर दिया । सरकार ने घरों और दुकानों के बाहर कैमरे लगवानी के लिए सब्सिडी भी प्रदान की । परिणाम स्वरूप कुछ महीनों के भीतर ही पूरे शहर को कैमरू से कवर कर लिया गया । छह महीने के अंतराल में लोहित और उसके साथियों ने उन सभी तकनीकी और गैर तकनीकी समस्याओं को दूर किया जो जीने की सफलता के आडे आ रहे थे जिनके सफल प्रक्षेपण के कुछ दिनों बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं । लोहित पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचा । क्या ये शहर सुरक्षित है? जिन्हें लोग इतने कंट्रोल रूम में इंस्टॉलमेंट कंसोल से पूछा जो हजारों कैमरों पर एक साथ नजर रखे हुए था । जिन्होंने अपनी रोबोटिक आवाज में कहा मौजूदा हालात सामान्य लोहित रात बहुत हो गई थी । कुछ अफसर कंट्रोल रूम में ही आराम कर रहे थे । तभी जीने का साइरन, बच्चा और एक मॉनिटर पे कुछ चलने लगा । अधिकारी ने तुरंत सायरन को बंद किया और उस स्थान के पास लैंपपोस्ट पर लगे कैमरे को जूम किया । साथ ही उसे उस एरिया में गश्त कर रही पुलिस को भी चौका न कर दिया था की आवश्यकता होने पर वहाँ पर तुरंत पहुंच सके । कुछ सेकंड के भीतर मौके का लाइव वीडियो प्रसारित होने लगा जिसका लोकेशन बारह खम्भा रोड पर स्थित एक पब के बाहर का दिखाई दे रहा था । देर रात होने की वजह से वो हिला का काफी संसाल था । सडक पर कोई मौजूद नहीं था । सेवाएं उस लडकी के जो अपने प्रेमी के साथ वहाँ से गुजर रही थी । उस लडकी की बाइक खराब हो गई थी । इसीलिए वे दोनों बाइक को हाथ में लिए पैदल चल रहे थे । चार लडके नशे में धुत्त अपनी मॉडीफाइड ओपन जीप में सवार वहाँ से गुजरे । उन्होंने सडक पे चल रही लडकी को देखा और तेजी से ब्रेक लगता है । गाडी रूकी और व्यवस् करके उनके पास वापस गई । उनके चेहरे देखकर जिन को ये अंदाजा लग गया कि वो अपने आप पे में नहीं है । बस इसी बात से जितनी सचेत हो गई और पुलिस कंट्रोल रूम का सायरन बचा दिया । जीप में सवार लडकों ने पूछा क्या हम तुम्हारी कोई मदद कर सकते हैं? नहीं सर शुक्रिया हम तुमसे नहीं बेवकूफ उस लडकी से पूछ रहे हैं । एक ने लडकी की ओर इशारा करते हुए कहा । दूसरे लडके ने कहा मेरी तो ये समझ में नहीं आता है । ऐसे घोंचू लडकों को ऐसी हॉट लडकिया मिल कैसे जाती है । वो सभी जीत से नीचे उतरे और लडकी के पास गए । आओ भी हम तो मैं घर छोड दें । एक गुंडे ने कहा और उस लडकी को छूने की कोशिश की जिन्होंने तुरंत एक जोरदार सायरन बगल के लैंड पोस्ट में बजा दिया । जिसे सुनकर वह लडकी थोडा घबरा गए । कंट्रोल रूम में मौजूद अक्सर ने कहा छोड दो लडकी को पुलिस किसी भी वक्त वहाँ पर पहुंचती होगी । ये सुनकर वो लडके भागने के लिए अपनी जीत में बैठे थे कि उसी समय पुलिस वहाँ पर पहुंच गई और उनकी जीत के सामने अपनी गाडी लगती । पुलिस वाले ने पूछा क्या और क्या बस उनकी वाइफ खराब हो गयी है? बस इसलिए हम की मदद कर रहे थे वो तो हम अच्छी तरह से जानते हैं कि तुम क्या कर रहे थे हवलदार फॅालो पुलिस अधिकारी ने निर्देश दिए तो बिना किसी सबूत के हमें गिरफ्तार नहीं कर सकते । तो जानते नहीं मेरा बाप कौन है? पुलिस कर्मी ने कहा और तुम नहीं जानते की जिनी कौन है । हमारे पास तुम्हारे सारे करतूतों की वीडियो रिकॉर्डिंग है । कंट्रोल रूम में सभी ने जमकर ताली बचाये । जिले के कारण हम अपराध को होने से पहले ही रोकने में सफल रहे । बहुत ही कम समय में जिन्होंने दिल्ली में लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल कर ली । ऐसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान भी आकर्षित किया । लोग मदद के लिए अब जिनका नाम पुकारने लगे । मंत्री मेरे भी चालाकी दिखाते हुए अपने राजनीतिक लाभ के लिए जीने का खूब प्रचार प्रसार किया । तो हर राजनीतिक रैली और पत्रकार सम्मेलन में अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने का एक भी मौका नहीं छोडा । वो ये कहानी सुनाती थी कि कैसे उन्होंने एक टैक्स स्टार्ट अप कंपनी के मालिक श्री लोहित बंसल को दिल्ली को अपराधमुक्त बनाने के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए उकसाया । भड कैसे उन्होंने इस परियोजना को शुरू करने के लिए करदाताओं के पैसों का उपयोग न करते हुए विदेशी निवेश प्राप्त किया । मंत्री जी की राजनीतिक लालसा नहीं और प्रत्यक्ष रूप से प्रोजेक्ट जीने की भी मदद की । ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीने के बारे में पता चला और लोगों के मन में ये विश्वास ज्यादा की वो अब सुरक्षित है । इस परियोजना के शुरू होने से और संगठित अपराध को रोकने का लोहित का सपना पूरा होने लगा था । कुछ दिनों के बाद नूरानी जामा मस्जिद के पास एक और घटना होने से चली । एक लडकी अपने कॉल सेंटर की नौकरी से आधी रात को अपने घर लौट रही थी । ऑफिस की बस ने उसे मुख्य सडक पर छोड दिया था । करीब एक किलोमीटर संकरी सडक में चलकर वो अपने घर जाने लगी । चलती समय से ध्यान दिया कि गाद में उसका पीछा कर रहा था । लडकी को पता था कि शहर के सभी स्ट्रीट लाइट में जितनी पुलिस स्थापित है इसीलिए वह चालाकी से एक स्ट्रीट लाइट के सामने जाकर रुक गयी । वो आदमी रोकी हुई लडकी को देख कर और भी खुश हो गया और उसके पास जाने लगा । जैसे ही वो आदमी उस लडकी के एकदम करीब पहुंचा उस लडकी ने स्ट्रीट लाइट को देखकर चलाया जीनी बचाओ मुझे वह आदमी सोचने लगा कि ये लडकी किसी पुकार रही है क्योंकि वहाँ पर तो कोई मौजूद नहीं था । कुछ सेकंड के अंदर जितने सॉफ्टवेयर ने उन दोनों के चेहरे स्कैन करके उनके नाम लेते हुए कहा उस लडकी से दूर रहो । पुलकित मिश्रा वरना हम तुम्हें गिरफ्तार कर लेंगे तो तुम चिंता मत करो, प्रीति वाले साथ ही होगी । स्ट्रीटलाइट से खुद का नाम सुनकर कोई कित की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई । वो तुरंत लडकी से दूर जाकर हाथ जोडकर बोला दीदी, मैं तो सिर्फ टाइम पूछ रहा था और वहाँ से ऐसे ही भाग गया । उसके जाने के बाद कैमरे में इस लडकी को देख कर पुलिस अफसर ने पूछा क्या तो मैं किसी मदद की जरूरत है? उसने खुशी से कहा नहीं सर, अब वो किसी लडकी को अपने सपने में भी नहीं छोडेगा । थैंक्यू लॉन्च होने के दो साल के अंदर कुल चौदह सौ मामले दर्ज किए गए जिनमें जिनी ने अपराध रोकने में मदद की और घर के भीतर होने वाले अपराध में भी जिन्होंने अपराधी का पता लगाने में मदद की जिनका उद्देश्य अधिक अपराधियों को गिरफ्तार करके जेलों में दोषियों की संख्या बढाना नहीं था बल्कि अपराध को ही खत्म करना था । वे लोगों के मन में एक ऐसा डर पैदा करना चाहते थे कि शहर में कोई अपराध करने की सोची हिला जो अनंत है हुआ ।
Writer
Voice Artist