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जिनी पुलिस भाग 21 in Hindi

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AuthorArpit Agrawal
लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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बहुत एक केस तीन दिनों से रो रोकर मेरी आंखें सूज गई है क्या? तो मैं ये देखकर लगता है कि मैं झूठ बोल रहा हूँ । अगर मेरी मंगेतर का बलात्कार ना हुआ होता तो मैं पुलिस स्टेशन आता ही क्यों? क्या सबूत इकट्ठा करना और अपराधी को पकडना पुलिस का काम नहीं है । अगर किसी लडकी ने अपना मेडिकल टेस्ट नहीं करवाया तो क्या उसका बलात्कार हुआ ही नहीं? लोहित सोचा लेकिन कुछ कहा नहीं । उस अवसर से बात करके लोहित को एहसास हुआ कि उस दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाना तृषा के लिए कितना मुश्किल रहा होगा । क्यों उसने उन अपराधियों को सजा दिलाने की तुलना में अपनी जान देना आसान समझा । अमन लोहित के कान में फुसफुसाया उसे वक्त देखा हूँ । हाँ ये सही रहेगा । लोहित ने कहा और सबूत के तौर पर तृषा का लिखा हुआ खत पेश किया । खत कैसा खत्म किया ये मंत्री जी ने दिया है । ये कहते हुए उस अवसर की आवाज जरा सुरीली हो गई सर शहर छोडने से पहले मेरी मंगेतर ने मेरे लिए ये खत लिखा है । उसने इस खत में आपने बलात्कार के बारे में बताया है । ये सुनते ही उसकी आवाज फिर से कडक हो गई उसने कहा, हम इस हस्तलिखित पत्र को सबूत नहीं मान सकते हैं तो कोई भी लग सकता है । उसने पत्र पढना तो दूर देखने से भी इंकार कर दिया । मैं तो मैं एक सलाह देता हूँ तो बलात्कार की बजाय अपने मंगेतर की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दो । अगर हमें कोई लावारिस लाश मिलती है तो शिनाख्त के लिए तो मैं बुला लेंगे । लोहित सोचा मुझे ठोकने से पहले अगर वह अवसर खुद अपने शब्दों का स्वाद चख लेता तो शायद मुझे ऐसी बातें कहता । लोहित को आश्चर्य इस बात का था कि उस अफसर ने अपनी जिंदगी में ऐसे कितने कत्ले देखे होंगे कि उसकी भावनाएं बढ चुकी थी । उसके भीतर जहर का घूंट पीकर लोहित थाने से बाहर निकला लोहित लोहित अमन उसका नाम पुकारते हुए उसके पीछे बाहर आया और कहा, इतना गुस्सा मत करो । वो अफसर तो सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा है । नहीं, वो अपनी ड्यूटी नहीं बल्कि अपने काम से दूर भाग रहा था । उसकी ड्यूटी थी कि पहले मुझे बैठाए, शांति से मेरी पूरी बात सुने, मेरी शिकायत लिखे, फिर त्रिशा और उसके माता पिता को ढूंढने में मेरी मदद करें और फिर दोषियों को ढूंढ कर उन्हें गिरफ्तार करें । मुझसे ऐसे सवाल पूछना जिससे मैं परेशान होकर शिकायत दर्ज ही ना करवाऊँ उसकी ड्यूटी कतई नहीं है । पुलिस वाले अक्सर ऐसा करते हैं ताकि उन्हें शिकायत दर्ज करनी ही ना पडे । बलात्कारियों ने सिर्फ तृषा का ही बलात्कार नहीं किया । उन्होंने मेरी शांति, मेरा प्यार, मेरी आशा और मेरी इच्छाओं का भी बलात्कार किया है । उन्होंने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि इस देश के नागरिक कितनी कमजोर है और एक तरह से वो सही भी है । अब देखो ना, जब हम उनके खिलाफ एफआईआर लिखवाने में ही सक्षम नहीं है तो उन्हें सजा क्या खास दिलवाएंगे । इस घटिया देश में इंसान तो हर घर में पैदा होते हैं, पर इंसानियत कहीं नहीं । यहाँ के लोग कुछ अच्छा करना चाहते ही नहीं है । इन्हें खुशी मिलती है तो सिर्फ किसी चौराहे पर मोमबत्ती जलाकर शोक व्यक्त करने में हडताल करने में या फिर सरकारी बसों को आग लगाने में । वे दोनों वहाँ से सीधा ऑफिस पहुंचे और अपने थिंक रूप में गए । जहां बैठकर जिन्हें को इजाद करने का खयाल उन्हें आया था, समय काफी धीमी गति से चल रहा था । कुछ फाइलें वहाँ व्यवस्थित रूप से टेबल पर रखी हुई थी और लोहित इतने गुस्से में था कि उसने उन सारी फाइलों को नीचे जमीन पर फेंक दिया । ऑफिस के बाकी लोगों ने पहली बार ही लोहित के इस गुस्से को देखा था । तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है । मैं तुम्हारे लिए लंच में क्या ऑर्डर करूँ? अमन ने पूछा मैं जो महसूस कर रहा हूँ, ऐसे में खाने का खयाल भी मेरे जहन में नहीं आ सकता । जब तक उन दरिंदों को फांसी नहीं मिल जाती, मुझे चैन नहीं मिलेगा । रोहित की बात से सहमत होते हुए अमन ने कहा, भूकंप, बाढ और अन्य प्राकृतिक आपदाएं पहले ही काफी है इंसान को बर्बाद करने को । फिर पता नहीं क्यों इंसान दूसरे इंसान को बर्बाद करने में लगा हुआ है । लोग इतने अमन से पूछा तो मैं क्या लगता है? पुरुष बलात्कार क्यों करते हैं? क्योंकि हमारे देश में महिलाएं सशक्त नहीं है । पुरुष महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं । अमन ने निष्कर्ष निकाला कि ये सब महज बकवास है । तो मैंने जो कहा वह सिर्फ न्यूज चैनलों में होने वाले बेकार के बहस में कहने के लिए ठीक है । मगर वास्तविकता से इसका कोई तालुक नहीं है । पुरुष बलात्कार करते हैं । जब मन में तीव्र हवस पैदा होती है तो अपनी पैंट उडाने से पहले कोई भी मार दिए । नहीं गिनता की संसद में कितनी महिला सांसद है । कितनी महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिला । कितनों को नौकरी मिली महिला सशक्तिकरण का बलात्कार से कोई लेना देना नहीं है । ये लडाई अच्छे और बुरे मर्दों के बीच है, महिला और पुरुष के बीच की नहीं । अमन ने भी बौखलाकर पूछा तो फिर लडकियों को क्या करना चाहिए? बचने का कोई रास्ता है या वह केवल बलात्कार का शिकार होने के लिए पैदा होती है । इसका एक ही उपाय है डर । ये डर इतना भयानक होना चाहिए कि जब भी किसी व्यक्ति के मन में किसी लडकी को देखकर बुरे खयाल आए तो वह डर उस पर हावी हो जायेगा । पकडे जाने का डर दुनिया के सामने बेइज्जत होने का डर मौत का डर लीटर इतना बर्बर होना चाहिए कि अपराधियों को अपराध करने के बारे में सोच कर के ही पेशाब निकल जाए । अमन अलमारी में रखे भगवान की छोटी मूर्ति के सामने हाथ जोडकर सहायता के लिए प्रार्थना करने लगा । लोहित ने ताना कसते हुए कहा, भगवान वहाँ स्वर्ग में आराम कर रहे हैं । हम वो यहाँ नई दिल्ली में हमारी हेल्थ के लिए क्यों आएंगे वाला और अगर भगवान् यहाँ होते तो ये सब अनर्थ होता ही क्यों? उसकी आवाज निराशा से भरी हुई थी । ऐसा मत कहो लोहित ईश्वर सर्वव्यापी है । रोहित ने अपना सर टेबल पर रखा और अपनी नींद से वंचित आपको को कुछ पलों के लिए बंद कर लिया तो सोच रहा था कोई ऐसी तरक्की जिससे उसकी तृषा को न्याय मिल सके, बलात्कारियों को रोका जा सके और उस प्यारी शहर दिल्ली से अपराध को खत्म किया जा सके । भारत की राजधानी की समस्या यही है कि सभी कैबिनेटमंत्री, पूर्व कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और बहुत सारे राजनीतिक दलों के सदस्य शहर में रहते हैं । इन नेताओं के परिवार के सदस्य ही नहीं बल्कि उनके ड्राइवर, उनके घर के नौकर और मंत्रियों के सचिव भी खुद को भगवान मानते हैं । उन्हें लगता है कि मंत्रियों के साथ उनका संबंध उन्हें गिरफ्तार होने से बचा लेगा और अफसोस की सच भी है । हमें ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जो बईमानी या किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव से मुक्त हो । ऐसी व्यवस्था जिसमें कोई ये ना कह सकें तो जानता नहीं है । मेरा बात कौन है? अमन ने खुशी से चाहते हुए कहा, मैं समझ गया मेरे दोस्त की तेरे दिमाग में कोई कारगर तरकीब आ चुकी हैं । कोई ऐसी तरह की जिस से सब कुछ ठीक हो जाएगा जिससे फिर कभी किसी तृषा को ये सब सहना नहीं पडेगा जिससे बलात्कार करने से पहले लोगों की रूह कांप जाए । लोह इतने कॉफी मशीन से अपने लिए एक कप कॉफी लिया और बडी खुशी से मुस्कुराते हुए कहा हाँ इसी इंसानी बेवकूफी का एक ही तोड है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लेकिन ये काम कैसे करेगा? दोस्त चलो पहले हम घर वापस चलते हैं मैं तो मैं जिनसे मिलवाता हूँ । जब उन्होंने घर की डोरबेल बजाई तो जिन्होंने दरवाजा खोला और कहा वेलकम लोहित की ऐसा राहत तुम्हारा दिन लोहित ने अमन को बताया कि एक बार जिन्होंने टेलीविजन पर एक महिला को अपने पति के स्वागत के लिए ऐसा कहते देखा था । सबसे जिन्हें लोहित का इसी तरह स्वागत करती है, जिन्होंने अमन से भी कहा हेलो अबन हाई जी नहीं । अमन ने हैरानी से पूछा कि ये तो कमाल है इसमें मुझे कैसे पहचान लिया फेस रिकॉग्निशन तकनीक से, लेकिन इससे पहचाना कैसे? मेरे चेहरे को फेसबुक से जब ये निष्क्रिय होती है, इंटरनेट पर सब करती रहती है और अपने डेटाबेस में व्यक्तियों के विवरण को सेव कर लेती है । यह तुम्हारी बेटों, पर्स और मोबाइल नंबर भी जानती है । अमन इसकी सराहना करते हुए कहा, जी नहीं तो कमाल की है । हाँ मुझे पता है लोग इतने उत्साह के साथ कहा तुम जानती हो अमन किसी मशीन के लिए चेहरा और आवाज पहचानना कोई मुश्किल बाद नहीं है । इन सुविधाओं को तो मैं एक साधारण एंड्रॉइड फोन में प्राप्त कर सकते हो । हम गूगल पर कुछ ढूंढने के लिए बोलते हैं या आईफोन में सिरी से बात करते हैं और ऐसे फोन है जो हमारा चेहरा पहचानकर अनलॉक हो जाते हैं । भविष्य में ये टेक्नोलॉजी दुनिया को बदल देगी । हर जगह इसका उपयोग होगा । स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों की अटेंडेंस लगाने के लिए क्लास में टाइम वेस्ट नहीं होगा । कक्षा में लगे कैमरे हर किसी के चेहरे को स्कैन करेंगे और छात्रों को पहचान करो ने डेटा भी इसमें मौजूद चिन्हितकर देंगे । इन तकनीकों का प्रयोग हम अपराध को मिटाने के लिए भी कर सकते हैं । हम एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करेंगे जिसकी मदद से शहर से अपराध का सफाया हो जाएगा । पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हमें से केवल अपने शहर में ही लागू करेंगे और अगर ये कामयाब रहा तो हमें से पूरे देश में लागू कर देंगे । बहुत ही बेहतरीन तरकीब विलोहित मुझे पता है कि हमें कर सकते हैं । हम ने मुझे कसकर गले लगा लिया । वो दिन आ गया है जब उन शैतानों को और भगवान को ये साबित कर देंगे कि हम कतई कमजोर नहीं है तो कहते हो कि ईश्वर हर जगह है लेकिन सच तो यह है कि विज्ञान हर जगह है जो भगवान मदद नहीं करता था, विज्ञान मदद करता है । हमारी तृषा का बलात्कार करने वाले दरिंदे हस रहे होंगे ये सोचकर कि हम ने पकडा नहीं सकते हैं और शायद वो सही दी है । हम उन्हें ढूंढ नहीं सकते हैं । लेकिन सच तो यह है कि अब हम को नहीं ढूंढना चाहते भी नहीं । हम तय की है अब हम सिर्फ उन्हें नहीं बल्कि इस शहर के सारे अपराधियों को पकडेंगे और उन्हें ये अहसास दिलाएंगे की एक ताकि से पंगा लेने का अंजाम क्या होता है ।

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लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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