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भाग चौदह है । लोहित तय समय पर इंडिया गेट पहुंचकर तृषा का इंतजार करने लगा । शादी से पहले आखिरी बार वे दोनों एक दूसरे को देखने को एक्साइटेड थे । वहां पहुंचते ही बडे ही रूके । अंदाज में तृषा ने कहा मैं ये शादी नहीं करना चाहती हूँ । लोग इतने जिज्ञासा से पूछा वो घबराया नहीं क्योंकि उसे यकीन था कि त्रिशा मजाक कर रही है । उसे पता था कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसकी तृषा उससे शादी करने के लिए कभी बना करें । तृषा के लहराते हुए खुले बाल उसकी कमर तक लंबे थे । इतने सारे अंजान लोगों के बीच पारंपरिक तरीके से शादी करने में कोई मजा नहीं है । बचपन से मेरा सपना था कि एक दिन मेरा राजकुमार एक सफेद घोडे पर सवार होकर आई तो हर बजे पहाडों में ले जाए । मैं तुम्हारे साथ भाग जाना चाहती हूँ, मगर शादी नहीं करना चाहती । ऍम हमारे माता पिता काफी बोले हैं, क्या वो फिल्में नहीं देखते? काश तुम्हारे पापा ने कहा होता हेलो ब्लॅक और दूर हो जाओ मेरी बेटी की जिंदगी से । कृष्णा ने लोहित की आंखों में देखते हुए पूछा तो तुम क्या वो चैट ले लेते? बेशक कौन नहीं चाहेगा? इतने सारे पैसे लोग इतने त्रिशा की टांग खींचने के लिए कहा और उसे अपनी जीत दिखाई । लेकिन उस चैक से पैसे निकालकर में तुम्हारे साथ ही भाग जाता । दोनों हंस पडे तो मेरे पापा को धोखा देते तो मैं धोखा देने से तो अच्छा ही है ना कि मैं तुम्हारे पापा को धोखा दे दूँ । तृषा ने अपना सिक्स इंच डिस्प्ले वाला मोबाइल फोन और एक सफेद रुमाल जिसमें उसका नाम कडाई किया हुआ था, लोहित को जेब में रखने के लिए दिया । उसकी टाइट जींस की जेब बहुत छोटी थी । चलो अब विभाग चलते हैं । उसने कहा, और ऐसे दौडने लगी जैसे कोई पागल होता उसके पीछे लगा हूँ । रोहित भी उसके साथ भागने लगा । लोगों की भीड सिर्फ उन्हें ही देख रही थी । लोहित और तृषा जब भी साथ होते हैं तो ऐसा भी करते हैं जैसे छह साल के बच्चे हो । वे राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाले रास्ते पर दौड रहे थे । एक विदेशी पर्यटक अपने कैमरे में उन्हें दौडते हुए फिल्म आने लगा । कुछ मिनट दौडने के बाद लोहित ठक्कर घास पर लेट गया । तृशा थोडी दूर भागी और लोहित को देखकर वापस आकर उसके पास बैठ गई । क्या हुआ इतनी जल्दी थक गए? हफ्ते हुए लोहित कुछ भी कह नहीं सकता । बस सहमती में सर हिला दिया । सिर्फ दौडने से ही अगर तो इतना थक गए तो मुझे डर है कि शादी के बाद तुम बाकी सारे काम कैसे करोगे? ऐसा कहकर परेशानी आंख मारी । लोहित पूरी तरह से समझ गया कि त्रिशा क्या कहना चाहती है । फिर भी उसने पूछा कौनसी का घर के काम जैसे झाडू पोछा, बर्तन, कपडे आदि चिंता मत करो । इन गांवों के लिए मैं एक लडकी से शादी कर रहा हूँ की दोनों खिलखिलाकर हंस पडे । तृशा लोहित की बाजुओं में हौले हौले मुक्का मारते हुए पूछा गंदे क्या? तो मुझे सिर्फ घर के कामों के लिए शादी कर रहे हो । नहीं सिर्फ घर के काम नहीं और भी कुछ काम है । ये कहकर लोहित ने भी आंख मारी और तृषा को अपनी बाहों में जकड लिया । सूरज हुआ मध्यम और शाम ढलने लगे । सडक किनारे मदर डेरी आइसक्रीम की रेडी लगी थी । लोग इतने पूछा शादी के बाद हमारे कितने बच्चे होंगे तो निशाने शर्म से अपनी बल्कि गिरा दी । हर लडका अपनी बंदी के साथ फ्लर्ट करने के लिए ये सवाल जरूर पूछता है । दोनों घास पर इत्मीनान से बैठे थे । तृषा ने पूछा तो मैं कितनी चाहिए लोहित ने उसे छेडते हुए कहा, कम से कम दस हम हर साल एक बच्चा करेंगे । नामुमकिन तो मैं समझ गया रखा है । मुझे बच्चा पैदा करने की मशीन हम सिर्फ एक ही करेंगे । वो भी लडकी हाँ और उसकी नाक तुम्हारी तरह तीखी और आखिर तुम्हारी तरह खूबसूरत होगी । चलो मस्कर हमारा बंद करूँ और मुझे इस श्रृंखला दूँ । तृशा ने आइसक्रीम की रेडी की तरफ इशारा करते हुए कहा, ठीक है चलो लोहित खडा हुआ और तृषा को हाथ पकड के उठाया । वे दोनों एक की कोन में आइसक्रीम खाते हुए टहलने लगे । तृषा ने लोहित की ओर देखते हुए कहा न जाने क्यों किसी ने इतना बडा इंडिया गेट बनाया जिसमें कोई दरवाजा भी नहीं है । शायद किसी राजा ने अपनी रानी के लिए बनवाया होगा कि जैसे कि ताजमहल नहीं, यह स्मारक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया है । लोहित ने अपने सैनिकों की मौत पर अफसोस जताते हुए कहा, पता नहीं लोग लडते क्यों है? हिंसा तो किसी समस्या का हल नहीं है ना थोडी देर वे दोनों मान रहे हिंसा हाल है या नहीं यह तो समस्या पर निर्भर करता है । प्रभु श्रीराम ने सीता को बचाने के लिए रावण का वध किया । वो युद्ध भी तो हिंसा ही थी । युद्ध करना गलत तो है मगर कुछ परिस्थितियां ऐसी आती है कि गलत करना ही एकमात्र सही विकल्प होता है । लोहित ने फिर से सोचा कि कैसे इतनी चुलबुली लडकी कितनी गंभीर बातें सोच सकती है । तृशा का फोन लोहित की जेब में बजा । लोहित तृषा को फोन देते हुए कहा तुम्हारे पापा का फोन है हम वो भी तुम्हारे पापा है । निशाने कहा और फोन उठाया जी पापा, मैं घर आ रही हूँ, बस रास्ते में ही हूँ । ऋषि ने कहा और फोन रख दिया । लोहित ने सिफारिश की, बेहतर होगा कि अब हम चले । हम दोनों को देर हो रही है । कृष्णा ने कहा चलो एयरपोर्ट चलते हैं । मैं कुछ और बाल तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ । नहीं मेरे पास किराए की गाडी है । चलो पहले में तो मैं घर छोड दूँ फिर एयरपोर्ट चला जाऊंगा । मेरा घर उल्टी दिशा में है लेकिन मैं तो में रात में इस समय अकेले नहीं जाने दे सकता । लोहित ने जोर देकर कहा तुम मत बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए? मैं बच्चों को पढाती हूँ, खुद बच्ची नहीं हूँ । मैं तुम्हें छोडने जा रही हूँ और ये फाइनल है कोई जरूरत नहीं है । अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ से बीस किलोमीटर दूर है और तुम्हारा घर उल्टी दिशा में बीस किलोमीटर दूर ऐसा करो तुम टैक्सी लेकर सीधे घर जाओ । रात में ये शहर लडकियों के लिए सुरक्षित नहीं है और मैं यहाँ से सीधे एयरपोर्ट जाता हूँ । होगी मिस्टर सीईओ । उसने कहा और लोहित को एक जोर की झप्पी दी । मुझे ये समझ में नहीं आ रही कि अगर दो अपनी कंपनी फेसबुक को बेच रही नहीं चाहते हो तो तो अमेरिका क्यों जा रहे हो? क्योंकि मुझे अपने आदर्श मिस्टर मार्क जुकरबर्ग से मिलने का मौका मिल रहा है । उनसे मिलने का सम्मान केवल योग्य व्यक्तियों को ही नसीब होता है और मुझे अपने सपनों के देश में अपने सपनों की कंपनी का मुख्यालय देखने को मिलेगा । भला हो और क्या चाहिए मुझे काश्मीरी सपनों की रानी मेरे साथ चल सके । लोहित त्रिशा की ओर देखते हुए कहा तृशा ने कहा मैं इतनी बडी बेवकूफ नहीं की अगले महीने मेरी शादी है और मैं किसी सीईओ को देखने घंटे लंबी उडान भरकर जाऊँ । मैं यहाँ अपने सीईओ को देख कर ही खुश हूँ में अच्छी तरह से उस जगह की जांच पडताल भी करूंगा । आखिर एक ना एक दिन तो वहीं मुझे अपनी कंपनी का हेडक्वार्टर स्थापित करना है । तो क्या तुम भारत में नहीं रहना चाहते? बिल्कुल नहीं । क्यों में इस दुर्भाग्यपूर्ण देश में रहूँ जब मेरे पास अमेरिका में रहने की क्षमता है । हम वहाँ यहाँ से ज्यादा खुश रहेंगे । लोहित इस बात की क्या गारंटी है कि हम वहाँ ज्यादा खुश रहेंगे? ये भी तो हो सकता है कि उन विदेशियों के बीच तुम पैसे तो कमाल होंगे मगर खुशी नहीं और मैं वहाँ रहकर क्या करोगी? मेरी नौकरी तो यहाँ पर है दिशाओं में वहाँ पर लाखों डॉलर का मैं आऊंगा तो मैं काम करने की जरूरत ही नहीं होगी । तो मैं लगता है की मैं सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम करती हूँ । दुनिया में हर कोई सिर्फ पैसों के लिए ही काम नहीं करता । मैं पढाती हूँ क्योंकि मुझे पसंद है । त्रिशा को गुस्सा आ रहा था । उसने लोहित से अपना मूड खेल लिया । अगर तुम पैसों के लिए काम नहीं करती तो मत लिया करो, तब हुआ मुफ्त में पढाया करो । बच्चों को लोहित नीतिशा के गुस्से को काम करने की जगह और बढा दिया । उसकी इस बात ने आग में घी डालने का काम किया । मैं बाकियों की तरह ट्यूशन नहीं पढाती । सिर्फ स्कूल से अपने हक का वेतन लेती हूँ । अगर मुझे पैसों का लालच होता तो मैं भी औरों की तरह कोचिंग सेंटर खोल लेती । इस देश की सबसे बेहतरीन शिक्षक हूँ मैं । अगर मैं कोचिंग खोलो तो इतना कमाऊंगी की तुम सपने में भी नहीं सोच सकते । अच्छा बाबा ऍम सौरी तो अमेरिका में ही किसी स्कूल में पढा लेना । तुम्हारी जैसी टीचर पाकर गोरों की किस्मत खुल जाएगी । दोनों खामोश हो गए । तृषा ने कुछ देर सोचने के बाद कहा, और तुम्हारे मम्मी पापा का क्या? भारत में यहाँ उनकी देखभाल कौन करेगा? एक दो साल के अंदर एक बार में अपना कार्यालय वहाँ पर स्थापित कर लो । फिर उन्हें भी अपने साथ ले चलूंगा । क्या तुम्हें लगता है कि वो अमेरिका में उन अंजान लोगों के बीच में रह पाएंगे? उनके सारे रिश्तेदार, दोस्त सब यही पर है । उनकी जिंदगी भर की यादें यहाँ है । एक एक शब्द नापतोल कर बोल रहे थे, हूँ, मगर फिर भी अपने विचारों को व्यक्त करने से खुद को रोक नहीं पा रहे थे । लोहित ने फिर कहा, हाँ, शुरू में तकलीफ होगी, लेकिन समय के साथ सभी को वहाँ रहने की आदत हो जाएगी । वहाँ बहुत सारे भारतीय भी है । वो हर हिंदुस्तानी त्यौहार मनाते हैं । कुछ दिनों बाद उन्हें लगेगा जैसे वो हिंदुस्तान में ही है । और फिर अपने मोदी जी भी तो आते जाते रहते हैं । अमेरिका कृष्णा ने लोहित के चुटकुले पर मुस्कुराने की कोशिश की लेकिन मुस्कुराना सकें मेरी बात समझो तृषा में वहाँ पर रहना चाहता हूँ । जिंदगी में सफल होना चाहता हूँ । तृषा ने गहरी सांस ली । उसका चेहरा रोष से लाल हो गया था । तुम्हारे हिसाब से सफलता क्या? हेलो लोग इतने तृषा के सवाल को ये सोचकर अनसुना कर दिया कि इसका उत्तर तृशा के गुस्से को और भडका देगा । जब प्यार में होते हैं तो आपको केवल दिल से सोचना चाहिए । तृषा ने फिर पूछा मुझे बताओ लोहित तुम्हारे हिसाब से सफलता क्या है? वो उदास थी ये सोचकर कि उसे अपने प्यार के खातिर अपना प्यारा देश छोडना होगा । कैलिफॉर्निया में एक बडा ऑफिस और मेरे बैंक खाते में लाखों डॉलर सफलता है । तो इसका मतलब एक स्कूल टीचर जो सैकडों छोटे बच्चों के भविष्य को आकार देता है वो असफल है । एक गृहणी जो अपने बच्चों की परवरिश करती है और अपने पति के हर उतार चढाव में उसका साथ देती है वो भी असफल है । मेरे हिसाब से जो भी व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट है, खुश है वह सफल है क्योंकि लोहित लोग का तो कोई अंत है ही रहे हैं लेकिन मैं कोई स्कूल टीचर या ग्रहणी नहीं हूँ । मैं बिजनेसमैन हूँ और मेरे लिए सफलता का मतलब एक विकसित देश में एक बडा कार्यालय और मेरे बैंक में ढेरों पैसे हैं । हर व्यक्ति की सफलता के अपने मायने होते हैं । खुशी भी हर इंसान को अलग अलग चीजों में मिलती है । मैं ये नहीं कहता कि एक स्कूल शिक्षा क्या एक ग्रहणी और सफल है । उनकी सफलता के अपने अलग अलग मायने है और तुम कहना चाहती हूँ कि कोई भी व्यक्ति जो अपने जीवन से संतुष्ट है वो सफल है । तो क्या अगर कोई अधिकारी भीख मांगता है और अपनी भीग से संतुष्ट है तो क्या वो भी सफल है? लोहित के तर्क ने तृषा को चौका दिया वो आगे कुछ नहीं कह सकती । मैं जानती हूँ की तुम कभी कोई गलत फैसला नहीं लोगे । लेकिन मेरी बात हमेशा याद रखना कभी भी सपनों के लिए अपनों की कुर्बानी मत देना क्योंकि सपने जब टूटते हैं तो अपने ही साथ खडे होते हैं । रोहित अपना हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे पकड लेता है । अगर में भारत में रहोगी तो एक दशक में मैं सैकडों छात्रों को तुम्हारी तरह मास्टरमाइंड बना दूंगी और फिर भी अपने देश में नौकरी के अवसर पैदा करेंगे, करों का भुगतान करेंगे और राष्ट्र के विकास में योगदान देंगे तो मैं भी यही रहना चाहिए और अपनी प्रतिभा का उपयोग देश की भलाई के लिए करना चाहिए । यूएस जाना आसान है लोहित लेकिन यहाँ रहकर लोगों की मदद करना मुश्किल है । मुश्किल काम करके दिखाओ लोहित उसका जोशीला भाषण सुनकर लोहित ने सोचा कि उसी तो राजनीति में शामिल हो जाना चाहिए । लोहित कोशिश की अगर वह कहने से खुद को रोक दे सका । लेकिन अगर मैं अमेरिका में रहकर अच्छा काम करूंगा तभी तो में भारत का ही नाम ऊंचा करूंगा । कुछ सालों बाद ही सुर्खियां बनेगी कि भारतीय बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग से भी अमीर बन गया । ये अलग है । रोहित अपने लिए काम करना या फिर अपनों के लिए चलते चलते हुए पार्किंग एरिया के पास पहुंच गयी । लोहित ने कहा, ठीक है, हम बाद में इस बारे में चर्चा करेंगे । तृषा ने पूछा तो वापस कब आ रही हूँ? मैंने तुम्हारे मोबाइल में अपनी वापसी की टिकट भेज दी थी । ऋषभ खामोश रही । दस पांच दिनों के अंदर लौटते समय अमेरिका से क्या लाऊं? तुम्हारे लिए कुछ नहीं । मेरी जरूरत थी इतनी बडी नहीं है । रोहित किराए की कार में बैठ गया । उसका सामान पहले से ही गाडी में था । ठीक है अब सीधा शादी में मिलते हैं ।
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