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कलम से हत्या - 21 in Hindi

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आपको स्वस्थ देखकर अच्छा लग रहा है । अपनी जान की बाजी लगाकर मेरी जान बचाई । आपका ये एहसान मुझे जीवन भर याद रहेगा । आपको बिस्तर पर देख कर मैं अपराधबोध महसूस कर रही थी तो इस तरह आंसू बहाते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती होगी रहा । नीरज ने कहा नहीं तो खुशी की आज सुबह नीरज जी अच्छा तो ये भी बता दूँ की खुशी इतना अलग हो रही है ये भी कोई पूछने की बात नहीं है । जी आप पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं ये कारण कम तो नहीं वो तो ये बात है । अब ये भी बता दूँ कि मेरे स्वस्थ होने पर तुम्हारे चेहरे पर इतना निखार क्या क्योंकि बोलो चुकी होगी क्योंकि आप जो सुनना चाहते हैं वो मैं कभी भी नहीं कहता हूँ । किरन की मौत पर उदासी की बदली छा गई क्यों? नीरज ने पूछा क्योंकि मैं सडक को एक मौका देना चाहती हूँ । विचारों में अंतर होने के कारण नाराजगी तो ठीक है पर मैं अपने पापा के द्वारा किए गए रिश्ते का सम्मान करती हूँ और उसे निभाना चाहती हूँ तो फिर उदास मन सके । नीरज ने आगे कहा, सनत को खुशी से स्वीकार तभी तो तुम दोनों खुश रहता हो गया और सनत के साथ न्याय होगा या आप कह रहे हैं । किरण ने आश्चर्य से पूछा हम और ऐसा सिर्फ मैं ही कह सकता हूँ क्योंकि हम जिनसे प्रेम करते हैं उसके हर एक निर्णय का सम्मान भी करना चाहिए और उसकी खुशियों की परवाह भी करनी चाहिए । वैसे भी प्रेम में पानी की जिद नहीं, सामने वाले की खुशी अधिक महत्वपूर्ण होती हैं । नीरज ने कहा, आपका हृदय जितना कोमल है उतना ही विशाल और निर्मल भी हैं । नीरज जी किरण की बातों में गहरा अपनापन था । तुम स्वयं निश्चल हो इसलिए ऐसा कह रही हूँ पर तुमने नजरिए क्यों चुका? लेकिन तुम जैसे मित्र पर तो मुझे गर्व है जिसमें आत्मसम्मान को बचाए रखने की क्षमता तो है पर साथ में बडों के लिए आदर भाव भी है । यदि तुम्हारा साथ मिलता है तो मेरा जीवन भी धन्य हो जाता है । पर कोई बात नहीं । तुम्हारी दोस्ती भी मुझे अजीब है । अच्छा ये बताओ अम्मा कैसी है । उनकी हालत स्थिर बनी हुई है । डॉक्टर बार बार यही दोहरा रहे हैं कि कोई बडी खुशी और दुखों जिससे उनके हृदय को अतिरिक्त दबाव में ले तो अचानक की कभी भी ठीक हो सकती हैं । वैसे जो संभव है । इलाज जारी है, पढाई कर रहे हैं । जब मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तो दुखी हो जाता हूँ कि इतनी कम उम्र में भी देखो की आंधी के घेरे में खडी हो तो आपकी ये सोच आपकी अच्छाई का प्रतीक है । किरण ने आगे कहा, पर जब मैं स्वयं के बारे में सोचती हूँ तो मेरे होठों पर मुस्कान पर जाती है । ये तो अजीब बात है । नीरज ने अजीत समूह बनाया । मुसकुराहट का कारण नहीं पूछ होगी । किरण ने कहा यदि है तो बता दो क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में गिरने के कारण ही मुझे आप जैसा मित्र मिला है । किरण ठंडी आहें भरते हुए कहा तो इतना अच्छा भी बोल लेती हो । नीरज गदगद हो गया । आप की संगत का असर है नीरज जी और तुम्हारी संगत में रहकर नीरज बिगडते जा रहा है । नीरज और किरण दोनों आवाज की ओर मुडे और नीरज ने अपने पापा का परिचय कराते हुए कहा किरण जी मेरे पापा हैं प्रणाम सर । किरण ने हाथ जोडकर कहा पापा ये इंस्पेक्टर किरण है । पापा की रौबदार आवाज गूंजती जानता हूँ । मिल चुका हूँ । इससे काम लेते पाता । फिर किरण की ओर नजरे घुमाकर नीरज ने कहा, तुमने बताया नहीं कि कैसे बताते हैं कि हमने इसे बेइज्जत करके घर से निकाल दिया था । किरण से पहले नीरज के पापा नहीं जवाब दे दिया । क्या कह रहे पप्पा नीरज को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था । मुझे जाना चाहिए कहते हुए केरन जाने लगी । रुको किरण नीरज ने जोर से आवाज लगाई उसे जाने दो नीरज । वैसे भी ये समय उसके ड्यूटी का है तो फिर यहाँ क्यों रहे और किरण तुम तो उस दिन बहुत कर्मठ बन रही थी । फिर अभी यहाँ क्या कर रही हूँ? नीरज के पापा ने कहा पापा तुम तो चुप रहो । नीरज हर बात पर अपनी मनमानी करते हो । पापा ने गुड की लगाई । मैंने ऐसा क्या कर दिया? पापा सोचा था एमबीए करके मेरे कारोबार को संभालो पर विदेश जाकर पढाई करने की जगह वहाँ पत्रकारिता विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया । पता नहीं कहाँ से तुमने मार्च की डिग्री लेकर खोजी पत्रकारिता का भूत सवार हो गया और अपने पुराने कारोबार को छोडकर अब टीवी चैनल और अखबार के मालिक बन बैठी हूँ । पर मैं कारोबार की जिम्मेदारी भी तो निभाई । राहुल पापा तो मैं ऐसे जिम्मेदारी निभाना कहते हो, जिस समय तो मैं बोर्ड की मीटिंग में होना चाहिए था । उस समय तो मैं किरण की सुरक्षा का दायित्व निभा रहे थे और परिणाम देखो पिछले कई दिनों से अस्पताल में पडे हुए हैं तुमसे कितनी बार कहा है कि किसी बडे अस्पताल में चलते हैं पर नहीं तो मैं तो इस लडकी के आस पास ही रहना पसंद है । आप मुझे कुछ भी कहीं पापा पर किरण को अभी तो मैंने इसे कुछ कहा ही नहीं । पापा ने किरण की ओर इशारा करते हुए आगे कहा हूँ इस की चालाकी देखो तो तुम्हारे कमरे के बाजू में ही अपनी माँ को मिली आई ठीक है फिर तुम जाओ अतिग्रह । नीरज के कहते ही किरण वहाँ से निकल गई तो हम समझ क्यों नहीं रहे? हो नहीं रहा वो लडकी तुम्हारे लायक नहीं है । अपने पिता की काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए तुम्हारा उपयोग कर रही है । वैसे भी पुलिस किसी का मित्र हो ही नहीं सकती । इतनी कडवाहट मन में लिए किसी को देखोगे तो कैसे कोई अच्छी लगेगी पापा? नीरज ने कहा तो मुझे मत सिखाओ, नहीं रचा जिस मध्यम परिवार की लडकियों को अच्छे से जानता हूँ । लच्छेदार बातें करना और बडे बडे सपने देखना इनकी आदत होती है । आपकी इज्जत करता हूँ इसलिए सिर्फ इतना ही कहूंगा पापा किरण वैसी लडकी नहीं है । कैसा आप सोच रहे हैं तुम्हारी बातें सच हुई तो मैं खुश होंगा । लेकिन मैं जानता हूँ कि किरण को लेकर तो गलतफहमी में हो बल्कि मुझे तो सरल की बातें ही सच लग रही है । सरल ने किरण के बारे में कुछ कहा है । पापा सरल का नाम सुनते ही नीरज बौखला गया हूँ । मुझे सब सच बता दिया है । सरल नहीं वो सच ही तो जानना चाहता हूँ पापा जो सरल ने कहा है । नीरज ने कहा सबको जानकर भी तो मुझे सुनना चाहते हो तो सुनो । किरण के पिता के काले कारनामों की खबर तुम्हारे अखबार में भी छपी थी । इसलिए उसने तो मैं प्रेमजाल में फंसाकर सही मौका पाकर तुम पर जानलेवा हमला करवाया है । उसे लगता है कि ऐसा करके अपने पिता के कालिक लगे चेहरे को रखने में कामयाब हो जाएगी । पिता के जीवन में लगे दाग को धोने के लिए तुम जैसे पत्रकारों के खून की प्यासी है वह और जब तुम्हारी जान बच गई तो अपने कर्मों पर पर्दा डालने के लिए सहानुभूति जता रही हैं । फिर तो आप गलत नहीं है । पापा नीरज ने लंबी सांसे भरती हुए आगे कहा, सरल ने तो बहुत अच्छी कहानी बनाई है, एकदम वैसे ही जैसे उसकी आदत है । अखबार में लिखने की सरल और तुम्हारे बीच क्या चल रहा है ये मैं नहीं जानता हूँ और मुझे तुम्हारी चिंता है । नहीं । आप अपनी जगह सही है पर पर अपने बेटे पर भी भरोसा कीजिए कि वह जो भी करेगा, आपकी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर करेगा । नीरज ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद है नीरज

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