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कलम से हत्या - 13 in Hindi

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किरन ने रात भर टीवी चालू रख था । इस इंतजार में की नीरज के स्वास्थ्य की कोई नई खबर मिले पर पुराना समाचार ई दोहराया जाता रहा हूँ और किरण कमन भर और भावनाओं के थपेडे में झूलता रहा । एक ओर सनत जो मेरे मंगेतर हैं उसने मुझसे पूछा तक नहीं की ये घटना कैसे हुई और उन बदमाशों को पकडने में मैं सफल कैसे हुई? सन अपने सवाल जरूर किया पर सभी उसकी अपनी संतुष्टि के लिए मेरे साथ हुए हादसे का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया । जैसे उन्हें मेरी कोई परवाह ही नहीं हूँ । जब की दो चार मुलाकातों की पहचान जिनसे हुई थी उसने मेरी जान बचाने के लिए खुद की जान की परवाह नहीं की । मैं जिस व्यक्ति को हमेशा खरीखोटी सुनाती रही वो गोली लगने के बाद भी मेरे सुरक्षित होने के बारे में पूछते रहे । समझ जो कि मेरे जीवन साथी बनने वाले हैं उन्हें इस घटना में सिर्फ मेरी नौकरी में बुराई दिख रही है । जबकि होश होने से पहले तक बदमाशों को पकडने के लिए बधाई देते हुए नीरज जी मेरी बहादुरी की बात करते हुए मेरा मनोबल बढाते रहे । मोबाइल की घंटी बजने से किरण का ध्यान टूटा, ये सब मैं क्या सोच रही हूँ और सडक से नीरज की तुलना क्यों? किरण अपनी सोच का जवाब स्वयं ही देने लगी तो हूँ । नीरज का नाम स्क्रीन पर देखते ही किरण ने मोबाइल उठा लिया । किरण कहाँ हो तो नीरज द्वारा तुम शब्द का अपनापन पाकर किरण निशब्द हो गई । क्या हुआ तुम चुप चाप क्या हूँ सब ठीक तो है ना । नीरज ने पूछा हाँ नीरज जी मैं ठीक हूँ, घर पर हूँ । आपकी आवाज सुनकर अच्छा लगा आप कैसे हैं? किरण ने पूछा तुम्हें तो इस बीमार को मरने के लिए छोड दिया । ये क्या कह रहे हैं? आप की तो है ना? किरण ने पूछा तुम जो आ गई हूँ मेरी जिंदगी में तो मुझे तो ठीक होना ही था । अभी अभी होश आने पर डॉक्टर ने पापा से कहा की मैं खतरे से बाहर हूँ और कौन कौन है? आप के साथ खुलकर बातें करते देख किरण ने कहा फिलहाल तो अकेला हूँ । डॉक्टर द्वारा मुझे आराम करने के लिए अकेले छोडने की हिदायत देने पर मम्मी पापा बाहर गए हैं । नीरज ने कहा तो आराम कीजिए, बाद में बात करते हैं । आप तो उन बदमाशों से भी अधिक बेरहम है कि रणजीत ऐसा क्यों कह रहे आप? किरण ने कहा, हम यहाँ जीवन मृत्यु से जूझ रहे हैं और तो घर पर आराम कर रही हूँ, ऐसी बात नहीं है । नीरज जी मैं आपको डॉक्टर की सुरक्षित हाथों में सौंपने के बाद आपकी घरवालों के आने तक वहीं थी और फिर अखबारों के लिए जुटी और मसालेदार खबर न बन जाऊँ । इस डर से चली आई आपने जो मेरे लिए क्या है, उसके लिए धन्यवाद । बहुत छोटा शब्द है पर फिर भी कम से कम धन्यवाद तो कहना ही होगा । घायल पर भी प्रहार करने का मौका नहीं छोड रही हो तो हमारा भी तो एक ही बार में दो दो तीर चला दिए । नीरज को किरण से बातें करते रहना अच्छा लग रहा था । अब मैंने क्या कर दिया? किरण ने आश्चर्य से पूछा । पत्रकारों से डर की बात कहना तो मुझ पर तीर दागने के सामान हुआ । मुझे तो यही लग रहा है । नीरज ने कहा आपको मेरी बातों को बुरा लगा तो शाम चाहती हूँ नीरज जी पर क्या करूँ आपकी बिरादरी से मुझे इतनी गहरी चोट लगी है की हवा लगते दर्दो भर जाता है । इन्हीं तकलीफ फोन से तो बनना है तो नीरज ने कहा आपने तो दो तीर चलाने की बात की थी तो मेरी दूसरी गलती किया है, ये भी बता दीजिए । किरण ने पूछा, क्योंकि मैंने तो तुमसे बात करने के लिए फोन किया है, धन्यवाद लेने के लिए नहीं । पर तुमने धन्यवाद लटका दिया । अच्छा तो ये बात है । आपने तो मुझे डर ही दिया था । देखो मैंने सब को डराने वाली इंस्पेक्टर साहब को डरा दिया । नीरज ने हंसते हुए कहा, गलतफहमी में मत रही है । किरण भी हंस पडी । वैसे धन्यवाद के बदले इस मरीज को देखने आ जाती तो बडी मेहरबानी होती हैं । नीरज ने मन की बात कहीं क्यों चुप क्यों हो गई? किरण उत्तर ना पाकर नीरज ने आगे कहा, खबरों में आने के डर से मुझे बेचारे का हाल भी देखने नहीं होगी । बोलो ना, कुछ तो बोलो । डॉक्टर ने आपको आराम करने के लिए कहा है । किरण बात को बदलने की कोशिश की । डॉक्टर ने तो ये भी कहा है कि तुम से बात करूंगा तो जल्दी ठीक हो जाऊंगा । नीरज ने कहा तकलीफ के समय में भी आप मजाक कर रहे हैं । किरण ने कहा, हम मजाक नहीं कर रहा हूँ । ये तो मेरे मन की बात है । किरण यदि अब तक तुमने महसूस नहीं किया है तो चलो मैं ही बता देता हूँ कि तुम से मिलने के बाद मेरा तो जीवन ही समझ गया है । कल तक जो दुनिया बेगाने से लगती थी आज अपनी हो गई है । जागती आंखों में नींद और नींद में रंगीन सपने सजने लगे हैं । फोन रखती हूँ । मुझे कहीं जाना संभव होगा तो थाने से लौटते वक्त आपको देखने आउंगी । कहते है किरण ने फोन काट दिया । किरन की इस अदा पर नीरज के होठों पर मुस्कान फैल गई । तुम सोई नहीं, नींद नहीं आ रही है । डॉक्टर साहब नीरज ने जवाब दिया वही तो नर्स ने बताया कि तुम बातें कर रहे थे जी डॉक्टर साहब नींद नहीं आ रही थी तो पर ये कैसे हो सकता है । तुम्हें तो नींद का इंजेक्शन दिया गया है । किसी दवा में इतनी ताकत नहीं होती है । सर की प्रेम की अवहेलना कर सके । नीरज ने कहा मतलब तो मैं किसी से प्रेम हो गया । किरण की माँ ने प्रवेश करते ही कहा आप तो ऐसे खुश हो रही हैं जैसे कोई अनोखी बात हो गई हूँ । आप सही कह रहे डॉक्टर साहब नीरज को किसी से प्रेम होना अनहोनी से कम नहीं है पर वो खुशनसीब कौन है? नीरज बेटे की घायल अवस्था में भी माँ अपनी खुशी छुपा नहीं पाई । पहले खुद को तसल्ली हो लेने दो । माँ फिर बताऊंगा । लगता है ईश्वर से आज कुछ और भी मांगती तो वह भी मिल जाता है मानने । नीरज के बालों पर हाथ फेरते हुए कहा क्या मिल गया है मैं आपको? नीरज ने पूछा तेरे चेहरे पर मुस्कान और होठों पर प्रेम की बातें । ये तो मेरी मन मांगी मुराद मिल गई । माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । नीरज ने कहा पर मेरी पसंद के बारे में पहले जान तो लोमा तुम्हारी पसंद ही मेरी पसंद होगी । बेटा बस भगवान से अब यही बनती है कि वह तुम्हें मिल जाएगा और तुम्हें जीवन साथी मिलने की खुशी मुझे मिल जाए ।

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