Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
कलम से हत्या - 12 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

कलम से हत्या - 12 in Hindi

Share Kukufm
914 Listens
AuthorMixing Emotions
S
Read More
Transcript
View transcript

आपको नीरज जी के बारे में पूछ रही थी वहाँ पर आप हैं कौन? मैंने पहले कभी नहीं देखा आपको । हम पहली बार मिल रहे हैं । नीरज जी की तबियत कैसी कमाल की है? सवाल पर सवाल किये जा रही है । पहले आप बताइए कौन है आप? ॅ किरण वो तो आप ही है वह महान हस्ती जिसमें भैया को अस्पताल पहुंचाया है । लवली ने कहा जी, अब तो बता दीजिए कि नीरज जी कैसे हैं? खुद ही आकर क्यों नहीं देख लेती है । लवली ने मुंह फेर लिया । मैं अस्पताल जाऊंगी । अब डॉक्टर साहब से फोन पर बात करूंगी तो फिर बात का बतंगड बनेगा । इसलिए प्लीज मुझे बताइए कि उनके शरीर से गोली निकाली गई कि नहीं और अभी वो कैसे हैं । किरण ने आतुरता से पूछा हूँ बडी सयानी है की रंजीत तो लवली ने व्यंग किया ऐसा क्यों कह रही हूँ तो अब भोलेपन का नाटक भी । लवली ने कुटिल मुस्कान के साथ आगे कहा पता नहीं क्या क्या झूठ के अगर भैया को अब तक अपने आगे पीछे चक्कर लगाने के लिए मजबूर करती रही और अब सहानुभूति बटोरने घर तक चली आई आप गलत समझ नहीं है मुझे और फिर ये सब इन सब बातों के लिए उचित भी नहीं । आपको मेरा आना अच्छा नहीं लगता । मैं चली जाती हूँ पर मैंने आपसे सिर्फ एक बार पूछे । इसमें नाराज होने वाली कोई बात नहीं है । किरण ने कहा, अच्छा तो आप मुझे ध्यान देने लगी । मैं नीरज की बहन हूँ और जानती हूँ कि उनके बारे में किसी जानकारी देनी है या नहीं देना है । मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है । जाओ और कुछ रुपयों के लिए गुंडे बदमाशों के पीछे दौड लगा या खडी रहकर हमारे आंगन को अपवित्र मत करूँ । लवली ने घूमते हुए कहा, देखिए, अब आप हद से आगे बढ रही है । किरण को भी गुस्सा आया, मुझे आप सिखाओ गी । लवली ने तमतमाते हुए आगे कहा, कानून की जरूरत तांडव करने वाली तुम जैसे लोगों से कुछ नहीं सीखना है मुझे और हाँ, एक बात और जान लो कि पत्रकारिता से नफरत का मुखौटा लगाकर भैया को लुभाने की कोशिश में तुम कभी सफल नहीं पाओगे । आप जैसा कह रही है वैसी कोई गलतफहमी न हो । इसलिए मैं अस्पताल न जाकर आपसे नीरज जी की तबियत के बारे में जानकारी लेने आई हूँ । आवेशित होते मन को संभालते हुए किरण में आगे कहा, आपको जानकारी नहीं दे, नहीं तो न दें पर इस तरह से बिना सोचे समझे कुछ भी कहना उचित नहीं । मेरे घर का सुख चैन छीन कर मेरे पापा और भैया के बीच में दरार बनकर मेरे दरवाजे पर खडी होकर तुम मुझे उचित अनुचित कपाट पढाओ लवली ने कहा आप तो अर्थ का अनर्थ निकाल रही है । मैं तो बस चली जाओ यहाँ से और फिर कभी मेरे घर की और नजर उठाकर भी मत देखना । और हाँ भैया से तो दूर ही रहना वरना पुलिस को धमकी दे रही हूँ । किरण ना चाहते हुए भी हो गई पुलिस को नहीं उस लडकी को चेतावनी दे रही हूँ जो पत्रकारों से नफरत के नाम पर मेरे भैया को ब्लैक मेल कर रही झूट कह रही हूँ आपके मन कब्र हमें ये किरण ने तेज आवाज ने कहा आवाज नीची करो वरना सिक्योरिटी को बुलाकर बार पिटवा दूंगी और मुफ्त में एक सलाह सुनती जाओ कोई बराबरी वाला लडका देख कर घर बस आलू हमारी ऊंची हवेली फायदे होगी तो इसी तरह बेज्जत होती होगी । लवली ने कहा मैं तो सिर्फ उस व्यक्ति का हाल पूछने आई थी जिसमें मेरी जानना चाहिए और इसीलिए इतनी देर तक आपको सहन भी कर रही हूँ पर आपको कहाँ से कहाँ चली गई तरह आ रहा है । मुझे आप की सोच पर हाथ की तरह अपने पिता के पैसों पर रॉक दिखाने वालों में से मैं नहीं हूँ । मैं आत्मनिर्भर महिला हूँ जो हर खबर अपने दम पर देखती है । किरण अंततः फूट पडी अच्छा कदम मुस्कान के साथ । लवली ने आगे कहा, तुम भी तो अपने पिता की विरासत को आगे बढा रही हूँ । उन्होंने अपने उम्र का लिहाज नहीं किया और तुमने अपनी हैसियत का मेरे पापा पर मत जाओ हूँ । इसकी शुरुआत तुम नहीं की है तो मैं अपने पापा से नाम जोडने पर शर्म आती होगी मुझे नहीं । लवली ने किरण की बातों को बीच में ही काटते हुए आगे कहा, हाँ, मुझे अपने पापा, अपने भैया और अपने खानदान पर गर्व है क्योंकि मैं इज्जतदार घर की बेटी हूँ । आपकी तरह नहीं की । आपके पिता की काली करतूतों को छुपाने के लिए मेरे भैया जैसे सुप्रसिद्ध व्यक्ति पर डोरे डालते फिर हूँ बोल रही हो तो याद दिला दूँ कि जिस माथुर सर को अपनी गंदगी छुपाने के लिए आत्महत्या करनी पडी थी कहीं उसी तरह तो मैं भी जान के लाले ना पड जाए । पत्रकारों की मनमानी को मेरे पापा की गंदगी कहकर उन्हें अपमानित करने की जरूरत । तुम जैसे मीडिया के ठेकेदार परिवार के लोग ही कर सकते हैं । बहुत हो गया । भाड में जाये तो तुम्हारा भाई कहकर किरण तेज कदमों से निकल पडी । ठीक है दूध जैसी सफेद कार में घूमने वाले और धरती माता से दूरी बनाए । जमीन की जगह कालीनों पर पैर रखने वाले सफेदपोश लोग विचारों से इतने गंदे होते होंगे ये तो मैंने सोचा भी नहीं था । विचारों की गहराइयों में गोता लगाते हुए किरण के मन में आया कि नीरज जी के बारे में ऐसी भावनाएं मेरे मन में आई ही नहीं जिसका महल बनाकर ये लोग तो उस के बोझ तले दबे ही जा रही है और मुझे भी उसी मलबे में दफन करने की कोशिश कर रहे हैं । इन लोगों से बार बार ऐसी बातें सुनकर कहीं मुझे भी यही ना लगने लगे कि मैं नीरज जी से प्रेम करने लगी हूँ । माँ थी कहती है, मुझे अब शादी के बारे में सोचना चाहिए । हाँ, यही सही रहेगा । किरण खुद की बातों का समर्थन करने लगी । किरण तुम इस तरह अचानक आकर सचमुच मुझे अचंभित कर दिया । सनत ने कहा तुम मुझसे बात करना चाहते थे इसीलिए आई हूँ । इस तरह से किसी अपराधी की तरह नजरें चुका है । क्यों खडी हो आओ आराम से बैठ कर बात करते हैं । फिर उस दिन आवेश में यदि मैंने कुछ गलत कह दिया हो तो कृपा करके मुझे जमा कर दीजिए । किरण ने कहा ये सब क्या है? किरण मैंने तो मैं कभी भी इस तरह हारे हुए से नहीं देखा है । तुम्हारी ये बातें मुझे अजीब लग रही है । क्या हुआ मेरे आने के बाद? एंटीजेन तो मैं कुछ कहा है क्या? नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । बस ऐसी तोडा मन विचलित हो गया था । पर अब ठीक हूँ । आपने मुझे माफ कर दिया है ना । मैं तो सारी बातें कब का भूल चुका हूँ और वैसे भी मैंने महसूस किया है कि तुम अपने स्थान पर सही हो बल्कि गलती मुझसे हुई है । किस समय पर तुम्हारे साथ नहीं दे पाया हूँ और अखबार में छपी खबरों को लेकर मैंने कुछ ज्यादा ही कह दिया है और आंटी जी से भी बदतमीजी कर बैठा । पर मैं क्या करूँ तो में अपना मानता हूँ तो किसी और के साथ किसी भी प्रकार से तुम्हारा नाम जोडे जाने पर अपना आपा खो बैठा हूँ और फिर गुस्से में क्या क्या बोल देता हूँ । खुद कोई पता नहीं रहता है । सन आपने कहा तुमने माँ को बुरा भला कह दिया था । उसके लिए मुझे जरूर हुआ था । पर क्या करें पूरी थोडी बातों में मैं आंटी जी से भी क्षमा मांग लूंगा । सनत में किरण की बात पूरी होने से पहले ही कहा इन सब बातों को बोली जाना हम दोनों के लिए अच्छा होगा । वैसे भी माँ को तो आपकी कोई भी बात बुरी लगती नहीं । किरण ने कहा वही तो आंटी जी मुझे अपने बेटे की तरह मानती है और मैंने जो हो गया सो हो गया । अब अपनी गलती सुधारते हुए साथ चलेंगे । चलिए कुछ और बातें करते हैं । किरण ने कहा मैं तुम से प्रेम करता हूँ । सनक ने कहा ये बात तो पहले भी कहते रहे हैं । किरण ने मुस्कुराते हुए कहा शायद तुम्हें मालूम नहीं कि मेरे कहने पर ही पापा ने तुम्हारे साथ रिश्ते की बात आगे बढाई है । अच्छा ये बात तो मैं सच में नहीं जानती थी । किरण ने कहा मैंने सच्चाई से कई बार तुम्हें अवगत कराना चाहता हूँ और बात ही नहीं बनी । अच्छा हुआ कि आज तुमने मुझे अपने दिल की बात कहने का मौका दिया । सनत की आंखों में जमा को भराई बातों से पेट भरने वाला नहीं । चलो कुछ खालो सडक की माने का हूँ । हाँ ठीक कह रही है पता चला है कि तुम ने घर पर भी कुछ नहीं खाया है तो चलो कुछ खा लेते हैं । फिर आराम से बैठ कर बात करेंगे । मेहनत नहीं कहा । माँ से बात हुई क्या? किरण ने पूछा हाँ और उन्होंने ही बताया कि आजकल तुम खान पान पर ध्यान नहीं दे रही हूँ । सनद की माँ ने खाने की टेबल पर बैठते हुए कहा माँ है इसलिए कुछ ज्यादा चिंता करती है पर ऐसा कुछ नहीं चिंता तो हमें भी रहती है । हमारी मंगेतर जो कहते हुए सडक में किरण को कुछ परोसना चाहूँ ये सब रहने दीजिए, मैं बस चूस लेती हूँ । ब्लॅक उठाते हुए किरण ने कहा किरन एक बात पूछना था सनत की माँ की बातों से शहर टपक रहा था । हाँ जी हाँ जी मैं जानती हूँ आपका सवाल आप तारीख निकली मैं शादी के लिए तैयार हूँ । किरण ने कहा ये तो अच्छी बात है । किरण पर मैं भी विवाह के संबंध में नहीं बल्कि कुछ और जानना चाहती हूँ और जब की तुमने शादी का मन बना लिया है । अब तो बात करना और भी जरूरी हो गया है । सनत की माने का हूँ और क्या कहना चाहती है आप? कहीं किरण ने सहजीव पूछा इस मर्दानी नौकरी से तुम तो नहीं जाती हूँ किरण सनत की माँ ने आखिर पूछ लिया मैं समझी नहीं । किरण ने जूस पीना छोड दिया । मेरा मतलब ये है कि यदि तुम्हें काम ही करना है तो सडक के साथ उसके व्यवसाय में हाथ बता सकती हूँ । वैसे भी सडक को अपने काम के लिए किसी विश्वासपात्र की जरूरत है और जब सडक विदेश दौरे पर होता है तो उसके कारोबार को उसी की तरह चलाने के लिए किसी अपने के होने से वो भी निश्चिंत रहेगा । मैं ठीक कह रही हूँ ना सडक सनत की माने का हाँ माँ का सोचना भी गलत नहीं है । सनत ने कहा मतलब आप चाहती हैं कि शादी के बाद मैं नौकरी छोड दो । किरण ने आश्चर्य से पूछा तो ठीक समझ रही हूँ किरण सनथ ने अपनी माँ की बातों का समर्थन करते हुए आगे कहा, याद करो मैंने तो मैं पहले भी इस नौकरी के लिए मना किया था क्योंकि माँ को अपराध और अपराधियों के बीच रहने वाला तुम्हारा ये काम पसंद नहीं है । तुमने एकदम से चुप्पी साध ली । किरण हमारी बातें पसंद नहीं आई क्या? सडक की माँ ने पूछा पापा के साथ मिलकर बचपन से सपना देखा था मैंने इस नौकरी का किरण निराश हो गई । परिवर्तन के इस दौर में मुझे यही सब बिलकुल भी पसंद नहीं । सडक की माँ ने आगे कहा, मुझे समझ में नहीं आता कि आधुनिकता के नाम पर कुछ लडकियाँ पुरुषों को या पुरुष जैसे कार्यों का ही चयन क्यों करती है । लेकिन मुझे ये नौकरी तो सगाई के बाद मिली है । तब तो अपने को यात्रा नहीं किया । सुनो किरन सनद कुछ कहने वाला था तुम जाॅब और नहीं माने । कडक स्वर से आगे कहा सच यह है किरण की अब तक में चुप्पी का कारण सन था । मैं समझी नहीं । किरण ने तपाक से कहा हूँ । उस समय सनक ने मुझसे कहा था कि मैं किरन से प्रेम करता हूँ और यदि समय हम नौकरी का विरोध करेंगे तो हमारे रिश्तों पर प्रभाव पडेगा । जब कि किसी भी कीमत पर किरण को पाना मेरा लक्ष्य है तो क्या अब समझ जी मुझसे प्यार करता हूँ । किरण पर तुम्हारे मन में शायद मेरे लिए कोई भावनाएं नहीं है । सनत ने कहा आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? किरण ने पूछा, यदि तुम्हें सडक से प्रेम होता तो मर्दों को चुनौती देने वाली नौकरी को तुम तुरंत ही छोड देती । समझ की माँ ने आगे कहा, समझने की कोशिश करो किरण सडक का काम ऐसा है कि उसके पास समय ही नहीं होता है । ऐसे में तुम भी चौबीस घंटे व्यस्त रहोगी तो घर का काम व्यवस्थित कैसे उपाय का और जब बच्चे हो जाएंगे तब उनका क्या होगा? जवाब नहीं है हमारे पास । किरण को खामोश देख सनद की मान ही कहा कुछ ऐसी बात नहीं है पर वो तो तो फिर तुम्हारा चुप रहना ही उचित रहेगा । किरण सनद की माँ ने आगे कहा, देखो किरण सनन हमारी इकलौती संतान है और हमारा फैला हुआ कारोबार तो तुम देख ही रही हूँ । जी आंटी जी किरण के दिमाग में प्रत्युत्तर था पर अपनी माँ की भावनाओं का ख्याल करके नहीं कह पाई । आर्थिक दृष्टिकोण से हमसे कमतर स्थिति में होने की बात कहने पर सडक के पापा ने मुझे समझाया था कि हमारा सनत किरण को पसंद करता है । इसलिए सनत की खुशी के लिए मैंने आर्थिक असमानता को भी दरकिनार कर दिया । सनत की माँ ने एहसान जताया हूँ । हाँ, ये सब बातें अभी क्यों? संगत ने कहा, अपनी होने वाली बहू से किसी भी समय बात कर सकती हूँ तो मुझे मत रोको । सडक आंटी जी ठीक कह रही उन्हें अपने मन की बातें कह लेने दें । किरण ने कहा, वैसे भी हमने एक आदर्शवादी व्यक्ति की पुत्री के साथ रिश्ता क्या था? पर माथुर साहब तो इसके विपरीत निकले । फिर भी हमने कोई शिकायत नहीं की । सनद की माने का प्लीज आंटी जी आपसे निवेदन है कि पापा के बारे में कुछ न करें । किरण ने कहा चलो मैं तुम्हारा कहाँ मान लेती हूँ? पर तुम्हें भी तो हमारी बातें सुननी चाहिए । किरण सनथ की माने का की मैं विचार करके बताऊँ । किरन ने मर्यादा रखने के लिए कह दिया । इसमें विचार करने जैसी कोई बात मुझे तो नजर नहीं आ रही है । देखो किरन तुम जानती हो कि हमारे पास पैसों की कमी तो है नहीं । फिर भी हमने अपनी बराबरी के घर की लडकी क्यों नहीं? उन्होंने जानती हो तो सडक की माने का आपने बताया । किस्मत के द्वारा मुझे पसंद करने के कारण किरण ने भी हाजिरजवाबी की वो तो कारण है ही साथ ही संगत की । पापा का ये मानना है कि सामान्य घर की लडकी आएगी तो घर को भी संभालेगी और मान मर्यादा का भी ख्याल रखेगी । उनकी नहीं बातों के कारण मैंने तो मैं अपनी बहु के रूप में स्वीकारा है और आज जब की सारी दुनिया माथुरजी के नाम पर तू तो कर रही है तब भी हम अपने निर्णय पर अडिग है । ये सब बातें किरण को क्यों बता रही है? माँ सडक में आगे कहा, किरण का इस समय हमारे घर में उपस् थित होना इस बात का संकेत है कि वो हमारी भावनाओं का सम्मान करती है और वो सब समझौता करने को राजी है जो इस घर की बहू बनने के लिए चाहिए । और फिर अच्छा भी हुआ की किरण ने की नौकरी करके देख लिया क्या मतलब है तुम्हारा संगत की माँ तो नहीं गई । मैं कहना चाहता हूँ वहाँ की शायद किरण को पहले नहीं मालूम था कि इस शानोशौकत वाली नौकरी में मुँह, मर्यादा, समय और संतुष्टि कुछ भी नहीं है । मैंने ऐसा तो नहीं कहा । किरण ने कहा कहाँ नहीं पर समझ हो गई हो ना? सनक परेशान हो गया । तुम चुप रॅाक मुझे पहले नहीं तो फोन की घंटी बजते ही किरण दूर जाकर बात करने लगी और फिर लौटकर कहने लगी अभी मुझे जाना होगा । जरूरी काम आ गया । यही सब हमेशा चलता रहेगा । इसीलिए मैं चाहती हूँ कि शादी से पहले ही नौकरी छोड देना उचित होगा । कहते हुए माँ भी चली गई और सनत अकेला पड गया । क्या हुआ मैडम आप परेशान लग रही हैं । बस यूँही सिर में थोडा दर्द हो रहा है । बार इतना शोर क्यों हो रहा? यादव किरण ने पूछा कुछ पत्रकार लोग थाने के बाहर खडे हमारे आप से मिलने की जिद कर रहे हैं जब कि आपके आदेशानुसार हमने उन्हें मना कर रखा है । यादव सुनिश्चित करो कि कोई भी पत्रकार थाने के भीतर ना पाए और हाँ कह दो की बदमाशों को पकडे जाने के संबंध में शीघ्र ही प्रेस कॉन्फ्रेंस किया जाएगा । जी मैडम यदि अनुमति हो तो एक बात पूछना बोलू नीरज जी को क्या आपने बताया था कि बदमाशों ने आप को अगवा कर लिया है? यादव ने पूछा कैसी बात करते हुए यादव यदि मुझे बताने का मौका मिलता तो मैं तो मैं फोन करती, उन्हें क्यों तकलीफ देती? फिर उनकी उपस् थिति उसी का जवाब तो मैं भी ढूंढ रही हूँ । यादव क्योंकि तुम्हारी तरह मीडिया और रिश्तेदारों का भी मुझसे यही सवाल है । कारण चाहे जो भी हो मैडम पर नीरज जी के कारण आप आज सुरक्षित है । तुम्हारा मतलब यादव कि मैं वहाँ से बच निकलने में सक्षम नहीं थी । सौरी मारे यादव सहम गया । वैसे तुम्हारा सोचना में गलत नहीं । यादव किरण ने मुस्कुराते हुए आगे का यदि किसी तरह खुद को बच्चा भी लेती तो तुम्हारी उपस् थिति के बिना उन शातिर बदमाशों को पकडना संभव नहीं था और नीरज जी हमें कॉल नहीं करते तो हमारा पहुंचना असंभव ऍम अच्छा यादव नीरज जी के स्वास्थ्य के बारे में कुछ खबर मिली क्या किरण ने मौके का फायदा उठाया? हाँ, टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज चल रहा था । मैडम की क्या? किरण ने आतुरता से पूछा । वो अनजान भय से घबरा गई । डॉक्टरों ने विज्ञप्ति जारी की है कि नीरज जी की स्थिति अब स्थिर बनी हुई है । फाॅरवर्ड तुमने तो मुझे दवाई दिया था । यादव किरण ने राहत की सांस ली । मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा । मैडम यादव ने अजीब सा मुंह बनाया हो गया । तुम्हारे कहने का मैंने गलत अर्थ निकाल लिया था । किरण ने माथे पर आए पसीने को पूछते हुए कहा मतलब आपने ब्रेकिंग ने उसका मतलब सोचा कि नीरज जी की जान को खतरा है? यादव ने पूछा छोडो यादव ऐसी गंदी बातें हमें मन में लाना ही नहीं चाहिए था कि नीरज जी के स्वास्थ्य की अगले विज्ञप्ति का इंतजार करते हैं । किरण ने कहा, आप ठीक कह रही है मैडम नीरज जी जैसे अच्छे इंसानों की इस दुनिया को बहुत जरूरत है । उन्होंने अपनी जान पर खेलकर आपकी जान बचाई ।

share-icon

00:00
00:00