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कलम से हत्या - 11 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

कलम से हत्या - 11 in Hindi

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क्या हुआ? गाडी के रूप उस कार में बैठे सर ने रुकने का इशारा किया । ड्राइवर ने जवाब दिया मुझसे पूछे बिना इस तरह गाडी नहीं रोकनी चाहिए तो मैं चलो आगे बढो बाजू में नीरज की कार देख किरण ने डाटा बीमार कहकर ड्राइवर निकल पडा । किरण की इस बेरुखी से नीरज के होठों पर मुस्कुराहट बिखर गई । उसे किरन कि पत्रकारों के प्रति नाराजगी का स्मरण हुआ आया और अब जब की फिर से अखबार में किरण की खबर छपी है । अब तो निश्चित ही किरण का गुस्सा सातवें आसमान पर होगा । किरण तो मेरी सूरत भी नहीं देखना चाहती होगी । पर क्या ऐसा संभव है? मेरे दिल में उठता हुआ किरण के प्रति प्रेम क्या एकतरफा है? किरण के मन में मेरे प्रति कोई सकारात्मक भावनाएं नहीं और यदि ये सच है तो मेरा मन क्यों किरन की ओर खींचे चला जा रहा है? नीरज खुद के सवालों का खुद ही जवाब देने लगा । अब क्या हुआ? गाडी के रोक दी । गाडी रोकने पर किसी पुस्तक पर नजरें जमाए किरण ने पूछा जी मैडम वो ड्राइवर की घबराहट पर किरण ने नजरे उठाई तो देखा चारों ओर गाडियाँ खडी हैं और कुछ लोग ड्राइवर का दरवाजा खटखटा रहे हैं । क्या हुआ क्या बात है? किरण ने कार से बाहर निकलते हुए कहा अब तुम हमारे साथ चलोगी । कहते हुए तीन चार लोगों ने किरण को जबरदस्ती अपनी कार में बिठा लिया छोडो मुझे क्या बता दीजिये तुम जानते नहीं में कौन बहुत अच्छी तरह जानते हैं । मैडम की धारीदार साडी में लिपटी तुम सिर्फ खूबसूरत बना ही नहीं हूँ बल्कि लोगों को सुरक्षा देने वाली असम निभानेवाली इंस्पेक्टर किरण हो तो तुम लोग ये भी जानते होगे की इस गलती के लिए मैं तुम लोगों को छोड भी नहीं । इस तरफ पड पढाना से कुछ नहीं होने वाला है मैडम जी हम जानते हैं कि तुम एक दो से संभालने वाली नहीं हूँ इसलिए हम भी पूरी तैयारी से आए हैं । मैं कह देती हूँ की ये सब तुम लोग ठीक नहीं कर रहे हो । किरण ने उनके चंगुल से छूटने की कोशिश करते हुए कहा हमारे खिलाफ डायरी तैयार करते समय तो बडे मजे से धाराएं लगा रही थी । अब हमें भी मुझे लेना है । तुम्हारे इस खूबसूरती का बहुत बचता होगी । किरण छटपटाने लगी तुम जैसी हसीन और तेज तर्रार हसीना के साथ कुछ पल बिताने के बदले मौत भी मिले तो कोई गम नहीं तो लोग मरने के लिए तैयार हो जाऊँ । अचानक ही किसी ने प्रकट होते हुए कहा यादव तो एकदम सही समय पर आई हूँ । पकडे इन सबको कोई भागने ना पाए । जिसे ढूंढने में हमने अपना बहुत समय खराब किया वो लोग आज स्वयं ही हम तक चल कर आ गए हैं । कहते हुए किरण ने दोनों हाथ पकडे हुए गुंडे को जोर का धक्का देकर यादव के पास धकेलते हुए अन्य पुलिस कर्मियों से कहा पकडे इन सबको कोई भागने ना पाए आप ठीक ऍम पर जरा संभल के लिए जो इन बदमाशों को बहुत शातिर है ये लोग और ध्यान से कोई ना छोटे । किरण ने कहा जी मैडम, आज तो उनकी खैर नहीं पर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि तुम लोग क्या कैसे आए । उन सामने हमें फोन करके बताया । मेरे को यादव ने दूर खडी कार की ओर इशारा करते हुए कहा आप यहाँ कार के पास पहुंचते ही । किरण ने आश्चर्य से कहा अब तो कम से कम धन्यवाद बनता है कि रंजीत नीरज ने कहा पर आपको कैसे मालूम हुआ कि बहुत सवाल करती हैं इस सब में कहीं आपका यहाँ तो नहीं? किरण ने पूछा मुझे आपसे ऐसे ही किसी सवाल की उम्मीद थी । नीरज ने हसते हुए आगे कहा, शक्कर ना तो आपका पेशा है पर कभी अपने काम से बाहर आकर भी सोच लिया करें । क्या सोचूं किरण के स्वर में रूखापन था । यही की यदि इस समय आपकी सहायता के लिए आपके साथ ही नहीं आती तो क्या होता है? आपकी नौकरी के प्रति आपका समर्पण तो ठीक हैं पर आपको सावधान भी रहना चाहिए । नीरज ने गंभीरतापूर्वक आगे कहा हो तो अच्छा हुआ कि आज मुझे आप से बात करनी थी । इसलिए मुझे नकारने के बाद भी मैं आपके पीछे आ रहा था और यहाँ का नजारा देखकर आपके थाने में फोन कर दिया । नीरज ने कहा, सौरी और धन्यवाद भी । किरण ने हाथ जोडकर मुस्कुराते हुए कहा । आपके साथ ही तो अपराधियों को लेकर चले गए तो अब हम भी चलेंगे । नीरज ने कार में बैठी हुई कहा आप जाइए यादव मुझे लेने आ जाएगा । मतलब यादव के आने तक में आपको इस वीरान जगह पर अकेले छोड दूँ । नीरज का हो । आप समझते क्यों नहीं? आप इस तरह परेशान मत हुई है । मुझे अच्छा नहीं लगता है अपना दोस्त नाम आने ना सही पर मैं दुश्मन भी नहीं हूँ । बात दोस्ती दुश्मनी की नहीं है । नीरज जी कल अखबार में छपी बातों को लेकर परेशान है । आप परेशानी की तो बात ही है पर उससे ज्यादा शिकायत है । किरण ने कहा, मैं आपसे सहमत हूँ पर मुझे पत्रकारों से अधिक आपसे शिकायत है । किरण ने कहा मुझसे क्यूँ मैंने क्या किया? नीरज के प्रश्न में बोला था, आपकी बिरादरी ने झूठ लिखा और अपने विरोध तक नहीं किया । झूठ नहीं की रंजीत आधा सच लिखा गया है कौनसा सच? किरण ने पूछा वहीं प्रेम वाली बात? नीरज ने मुस्कुराते हुए कहा, आप किस चीज की बात कर रहे हैं? मैं नहीं जानती । वास्तविकता यही है कि उस दिन की हमारी मुलाकात सिर्फ सहयोग था और पूरा सच जानने के बाद भी आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? नहीं मुझे भी तो आधा सच्ची मालूम है । किरण जी मतलब पत्रकार कह रहे हैं कि हम प्रेम करते हैं जबकि मैं सिर्फ अपने मन की बात जानता हूँ, आपके मन की नहीं । नीरज ने कहा इसका मतलब ये है की वो खबरें आपके द्वारा प्रायोजित हैं । किरण ने कहा, पुलिस में होने के कारण शक करना अच्छी बात है । पर जहाँ गुंजाइश न हो वहाँ ऐसी आशंका क्योंकि रंजीत क्योंकि आपकी मर्जी के खिलाफ कोई कुछ कैसे लिख सकता है । गलत फैमी मैं आपकी रंजीत मेरे प्रतिद्वंदियों की लिस्ट बहुत लंबी है जो मेरी किसी भी गलती का इंतजार कर रहे हैं । नीरज ने कहा, आप ऐसा करेंगे तो कैसे इन खबरों का खंडन होगा जब की माँ के लिए हमें ये करना ही होगा । किरण ने कहा माँ के लिए मतलब? नीरज ने पूछा । मैंने कहा है कि यदि हमारे बीच कोई प्रेम प्रेम नहीं है तो खबरों में छपी बातों का खंडन करना चाहिए । कम से कम प्रेम सबको तो प्रेम से बोली किरण जी, मैं परेशान हूँ और आपको मजाक सोच रहा है । फिर ठीक है । मेरे गंभीर प्रश्न का उत्तर दीजिए । अम्मा ने अखबार में लिखी बातों को सच कैसे मान लिया? कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्होंने अपनी बेटी की आंखों में सच्चाई देखती हूँ? नीरज ने मुस्कुराते हुए कहा क्या मतलब आपका मतलब तो आप भी जानते हैं क्या माँ तो मात्र सर के बारे में छपी झूठी खबरों के बारे में जानती है । फिर अपनी बेटी के बारे में लिखी गई बातों को सच क्यों मान रही है? यही तो माया है । आप पत्रकारों कि झूठ इतनी सफाई से लिखते हैं कि कोई भी धोखा खा जाए । किरण ने कहा, और मैं यदि ये कहूँ कि अम्मा पत्रकारों के माया जाल में नहीं फंसी हैं बल्कि पत्रकारों की झूठी बातों का सच अपनी बेटी की आंखों में देख ली हैं तो कौन सा सच? किरण ने रूखेपन से पूछा प्रेम का सच है, हमारे प्रेम का सच है । नीरज ने भी तुरंत जवाब दिया क्या बक रहा हूँ, बस नहीं रहा हूँ, अपने प्रेम का इजहार कर रहा हूँ । नीरज ने किरण की आंखों में जाते हुए कहा मैं तुमसे प्रेम नहीं करती । किरण ने झट से कहा थोडा रुको । मैंने तुमसे पूछा नहीं कर रहे हैं । बताया है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ और मैं तुमसे अभी पूछूंगा भी नहीं क्योंकि मैं जानता हूँ कि अभी तो तो मैं खुद ही नहीं मालूम कि मुझसे प्यार करती हूँ । पर हाँ उस दिन का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा जब काम स्वयं मेरे कंधों पर सिर रखकर अपने प्यार का इजहार करोगी । ये संभव है किरण ने मुंह फेर लिया क्यों? क्योंकि मेरी सगाई हो चुकी है? किरण ने जवाब दिया, मैंने प्रेम की बात की है । सगाई शादी की तो नहीं? सीने में अकस्मात गिरे वजन सा किरण की सगाई की बातों के प्रहार से संभालते हुए नीरज ने कहा, इसका मतलब क्या मैं ये समझूँ कि मेरी कर्मठता का नाजायज फायदा उठाकर आपने अपने पत्रकार मित्रों से झूठी बात लिखवाई । किरण सकती थी । मैंने कहा तो ये आपकी गलतफहमी है । नीरज ने जवाब दिया, तो फिर चलिए और मेरे सामने आपके पत्रकार साथियों को सच बताइए कि उस दिन का हमारा साथ मेरी गाडी खराब होने के कारण था । किरण ने कहा, जख्मों को कुरेदने से और गहरा होता है इसलिए अच्छा होगा । इसी बातों को खरीदने की जगह हाथ बांधकर बैठ जाना । ऐसा ही मेरे पापा ने भी किया था । नीरज जी जिसका दुष्परिणाम मैं देख चुकी हूँ, आप अपना सब जानती है ना । फिर क्यों परेशान हो रही है । किसी के लिख देने से तो आपका सच बदल नहीं जाएगा । और जो समाज और परिवार की उंगलियां मुझ पर उठ रही हैं उसका क्या किस समाज की बात कर रही हूँ? किरन यदि उनकी बात कर रही हो जिन्हें लोगों की व्यक्तिगत बातों को पढकर मजा आता है या गौर अच्छा लगता है । मैं उनकी परवाह नहीं करता हूँ और आपको भी नहीं करनी चाहिए । अच्छा तो मुझे अपनी माँ की भी परवाह नहीं करनी चाहिए । मैंने ऐसा तो नहीं कहा । नीरज ने जवाब दिया तो फिर मेरे घर चलकर मेरी माँ से कह दीजिए कि हमारी मुलाकात का गलत अर्थ नहीं निकाले । हम प्यार नहीं करते हैं, ये नहीं हो सकता हूँ । नीरज ने कहा क्यों किरण को गुस्सा आया क्योंकि मैं अम्मा से झूठ नहीं बोल सकता हूँ । नीरज ने आगे कहा, जीवन में पहली बार मुझे प्रेम का एहसास हुआ है तो मैं स्वीकार कर सकती हूँ पर मेरी जुबान पर सिर्फ मेरे दिल की बात ही होगी । आप तो जानते हैं नीरज जी मेरी माँ मेरा सब कुछ हैं, उनकी नाराजगी में नहीं ले सकती । वो मेरी बातों पर विश्वास नहीं कर रही है । इसलिए आपको मेरे साथ चलकर माँ को सच बताना ही होगा । किरण ने विनम्रता से कहा, हाँ, अपने बच्चों को अच्छे से जानती है और आपकी माँ तो सारा दिन सिर्फ आपके बारे में ही सोचती रहती है । इसलिए उन्होंने वो सब जान लिया है जो आप नहीं जान पाई या जानना नहीं चाहती हैं । टाल रहे आप मुझे टाल नहीं रहा हूँ । अम्मा के सामने झूठ बोलने से बच रहा हूँ । किरण को दागी गई होली के निशाने पर नीरज के आ जाने पर उनकी कंधे के पास गोलियाँ लगी । किरण तत्पर्ता से गोली चलने की दिशा में दौडने लगी । पर तभी नीरज के करहाने की आवाज ने जैसे उसके पैरों में बेडियां जल्दी हूँ गोली लगी है खून मेरा और आप मुस्कुरा रहे हैं । खून बहते हुए जगह पर अपना रुमाल रखकर नीरज को सहारा देते हुए कार्की । पिछले सीट पर बिठाते हुए किरण ने कहा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है । नीरज की होठों पर मुस्कुराहट अब भी विद्यमान है । आपको गोली लगी है, ये अच्छी बात है । किरण ने नीरज की पीठ के नीचे कुशन को रखकर कंधे को विपरीत दिशा में झुकाने की कोशिश करते हुए कहा, आपकी बाहू का सहारा मिल गया । इस वक्त मेरे लिए तो यही सबसे बडी और अच्छी बात है । बातें मत कीजिए । शांति जी कहते हुए किरण ड्राइविंग फीट की ओर बढने लगी । इतनी भी ज्यादती ठीक नहीं हो रहा है । चाहने वाले की बात तो कम से कम सो नहीं लेनी चाहिए । इस समय बातें करना ठीक नहीं है । आपका मुंह सूखेगा क्या पता अब जिंदगी साथ देखा ना दे इसलिए मुझे अपने मन की बात पहले नहीं तो कर रहे हैं । मुझे तुमसे प्यार हो गया है और अब मुझे मौत का डर नहीं है । पर हाँ तुम्हारे साथ जीना चाहूँगा । गहन चिकित्सा कक्ष से निकलते ही किरण ने पूछा खतरे से बाहर है । अच्छा किया कि आपने यहाँ लाने में तत्परता दिखाई वरना केस बिगड भी सकता था । एक गोली तो आर पार हो चुकी है पर दूसरी अभी भी मौजूद है जिसके लिए ऑपरेशन करना होगा । इनके घर वालों को सूचना दे दिया आपने जी, डॉक्टर साहब, किरण ने जवाब दिया । शोरगुल सुनकर किरण ने बाहर जाकर देखा तो अस्पताल के बाहर शुभ चिंतको एवं पत्रकारों का जमघट दिखाई दिया । नीरज को गोली लगने की खबर शायद पूरे शहर में आग की तरह फैल गई थी । किरन ने सोचा कि अब यहाँ ठहरना उचित नहीं है और वह पिछले दरवाजे से निकल गई । जुगनु के संपादक एवं मालिक पर जानलेवा हमला, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ऊपर प्रहार प्रसिद्ध पत्रकार और संपादक की किसी ने जान लेने की कोशिश की । जैसे शीर्षकों के साथ सोशल मीडिया एवं प्रिंट मीडिया पर खबरें चलने लगी । नीरज जी के साथ ये हादसा कैसे और कहां हुआ? किसी पत्रकार ने नीरज के पापा से पूछा नहीं जानता है इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है । अभी तबियत कैसी है? नीरज जी की पत्रकारों ने डॉक्टर से पूछा, मरीज अभी खतरे से बाहर है । एक गोली आरपार हो गई है, पर दूसरी गोली अभी भी उनके कंधे के बाजू में धंसी हुई है, जिसके लिए ऑपरेशन करना होगा । नीरज जी के घरवाले पहुंच नहीं वाले हैं, उसके बाद ही हम अगला कदम उठाएंगे । डॉक्टर ने जवाब दिया धायलों मोबाइल में माँ का नंबर देखते ही किरण ने कहा कहाँ किरन तुम घर पहुंची रही हूँ । नीरज और तुम साथ थी । घर में कदम रखती ही माने पूछा आराम की मुद्रा में पैर पसारकर किरण सो पेपर दस गई तो मेरी बातों का जवाब क्यों नहीं दे रही हो? किरण ऐसे बंदूक तानकर पूछ होगी तो क्या जवाब दुमा । किरन ने कहा इस तरह तुम सच को छुपाने पाऊंगी । किरण कौन सा सच वही जो मैं तुम से पूछ रही हूँ । पानी का अगला सामने रखते हुए मानेका मेरे साथ होने वाली दुर्घटनाओं से ज्यादा में आपके सवालों से सहम जातियों कहते ही किरन ने पानी से भरा क्लास एक ही साथ में पीलिया ऐसा क्या सवाल कर दिया है मैंने आपके सवाल ने नहीं बल्कि उसके ढंग ने मुझे अकेला कर दिया है । हाँ, मुझे अपने सवाल का जवाब जानने की आतुरता इसलिए है कि मेरी शंका शंका ही रहे । सच ना हूँ । मान ने स्पष्ट किया आपके सर्च का जिक्र कर रही है । हाँ देखो किरण पहली मत बुझाओ । नीरज को गोली लगने की खबर सुनकर मैं पहले ही बहुत परेशान और तुम जातियों की मैं सिर्फ इतना ही चाहती हूँ । माँ की पहले की तरह हर परिस्थिति में सात देने वाली मेरी माँ मुझे लौटा दूं । किरन की आंखें बहराइच मैं भी तो यही चाहती हूँ कि मुझे मेरी बेटी लौटा दूं जिसे इंस्पेक्टर किरन ने छीन लिया है । मैं आपकी वही किरन हुमा कहते हुए मां से लिपटकर रोते हुए किरन ने आगे का नीरज जी ने आज मेरी इज्जत और जान बचाई है वहाँ पर प्लीज आप मुझसे नाराज मत होना क्यों मुझ पर विश्वास नहीं करती हूँ और नाराज हो जाती हूँ? हाँ, क्योंकि तुम मेरी एकमात्र हो और मेरी सारी खुशियां तुमसे हैं तो मैं कुछ हो जाता तो माँ भी सिसक नहीं लगी । अच्छा जिस बेटी के सिर पर माँ का साया और आशीर्वाद हो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता माँ माँ के आंसू पोछते हुए किरण ने आगे कहा, आओ बैठो मैं तो में सब बात बताती हूँ । कहते हुए किरण माँ को पूरी बात बताने लगी । मेरा मन बहुत घबराना है । बेटा तेरे पापा के जाने के बाद अब मुझे ज्यादा सहनशक्ति नहीं बची है । मैं चाहती हूँ किरन कि वीरान और अंधेरी गलियों में भटकते रहने से अच्छा है कि रोशनी की ओर कदम बढा । ऐसा कुछ नहीं है । हाँ, मैं ठीक हूँ । मेरे बारे में ज्यादा सोच करा परेशान मत हुई । माँ होते थे । इतना तो हक बनता है कि तुम्हें अंधेरे से निकालकर उजाले की ओर ले जाओ । क्या चाहती हूँ तुम? हाँ किरण माँ की दोनों बाहों को पकडकर प्यार से बिठाते हुए पूछा तुम शादी कर लो? किरन लेकिन हाँ नहीं किरण अब कोई लेकिन लेकिन नहीं चलेगा । तुम्हारे हाथ पीले हो जाए और तुम अपनी नई दुनिया में खो जाओ । बस मैं इतना ही चाहती हूँ । मैं आपको अकेले छोडकर कई नहीं जाने वाली । उमा तो मेरी चिंता मत करो । किरण सडक के पापा आए थे । उन्होंने कहा कि हम सब सात शर्मा अंकल यहाँ थे तो इसमें आश्चर्य की बात क्या है? किरण सनत के साथ तो महाराष्ट्र पक्का हुए दो साल से ऊपर हो गया है । बेटा तो उनके पिता का ये पर तो बनता है कि अब विवाह के बारे में सोचें । मैंने आपको बताया तो है वहाँ की मुझे थोडा समय चाहिए ये तो गलत है । किरण तो मैं टालमटोल नहीं करनी चाहिए । सदस्य रिश्ता करने से पहले हमने तुमसे पूछा था तब तो तुमने हमारी इच्छा पर मुहर लगा दी थी और फिर तुम्हारी इच्छा का सम्मान करते हुए ना चाहते हुए भी सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए सनत और उनके परिवार ने पुलिस इंस्पेक्टर की नौकरी करने की तुम्हारी बात को मान लिया था और हमारी ट्रेनिंग के चलते विवाह स्थगित करना पडा । फिर तेरे पापा की असमायिक मृत्यु हो जाने से वे लोग अब तक चुप रहे । पर अब फिर से उनकी ओर से शादी का प्रस्ताव आया है तो हम मना कैसे कर सकते हैं । लेकिन हाँ अभी मुझे पापा के हत्यारों को चेहरा समाज के सामने लाना है । बस भी करो बेटा बहुत हो गया । ये पागलपन अपने पापा की मौत के जिम्मेदार पत्रकारों को मानती हो तो ये भी जानती हो कि तुम्हारे पापा भी अपनी मौत की जिम्मेदार हैं । उनकी कार्यरता से अपनाई गई मौत ने हमें दागदार बना दिया है और इन सब के बाद भी शर्मा जी तो मैं अपनी बहु बनाना ही चाहते हैं । यह उनकी महानता है । पापा को गुजरे हुए बहुत समय हो गया है पर मुझे अभी भी ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो । मुझे कुछ समय और चाहिए । माँ किरण ने माँ के घुटनों पर सिर रखते हुए कहा तुम्हारे पिता नहीं रहे तो मैंने भी तो अपना जीवन साथी खोया है । किरण मेरा तो सब कुछ लुट गया है । बेटा पर प्रकृतिक आइयां अटल नियम है कि मरने वाले के साथ कोई नहीं मरता है । माना कि तेरे पापा के साथ पत्रकारों ने अच्छा नहीं किया पर तुम्हारे पापा ने भी तो हमारे बारे में नहीं सोचा । मार कर तो वह मुक्ति पागल पर उनके ऊपर लगे कलंक को तो हमें ही बोलना पड रहा है । पापा के बारे में असहमत का ये माँ मेरे पापा बस किरण रहने दो, फिर वही कहानी मत दोहरा हूँ । बहुत मातम बना लिया है हमने । अब हमें जीवन में आगे बढना होगा । तुम्हारा पूरा जीवन पडा है । मुझे उसके बारे में सोचना है । भूत के लिए भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकती । मैं इस समय मेरे लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण तुम हो । आप मेरी खुशियों की बात कर रही है पर इस बात को क्यों नहीं समझ लीजिए माँ की इस शादी से मैं खुश नहीं रह पाऊंगी । क्यों किरण ऐसा क्यों सोच रही हूँ क्योंकि मन से रिश्ते के लिए तैयार नहीं उमा तुम कहना चाहती हूँ कि तुम्हारा मन अब नीरज मैंने ऐसा तो नहीं कहाँ? तो मैं कहने की जरूरत क्या है? अपनी बात कहने के लिए तो तुमने टीवी और अखबारों तक अपनी बात पहुंचा दी है । माँ आवेश में कह गई क्या कहा जा रहे समाचारों में माँ किरण माँ की गोद से छिटक कर बोली प्रश्न उठा रहे हैं कि जो किरन माथुर थानेदार होने के बाद भी पत्रकारों को आवश्यक जानकारी देने से कतराती रही है और जरूरी हुआ तो अपने अधीनस्थों के माध्यम से ही कोई भी जानकारी पत्रकारों तक पहुंचाती रही है और हमेशा पत्रकारों से दूरी बनाए रखने का कारण उनकी अविश्वसनीयता को बताने वाली थानेदार साहिबा का आखिर एक पत्रकार से लगा के ऊपर आपको बता दूँ कि आज किरण जी को बहुत बडी सफलता हाथ लगी । शहर के नामी बदमाश को गिरफ्तार करने में उन्हें सफलता में लिए और इस सफलता का कारण प्रसिद्ध पत्रकार नीरज जी को माना जा रहा है । ये सारी बातें सच है । माँ कितनी निर्लज्जता से सच को बता रही हूँ किरण इसमें ला जाने वाली क्या बात है? हाँ, किरण ने निश्चल मन से जवाब दिया कल जब अखबारों में नीरज से तुम्हारी नजदीकियों की बातें छपी थी । तब तो तुम आवेश में थी कि अखबारों में लिखी हुई बातें झूठी है और अब जो झूठ था उसे मैंने झूठ कहाँ पर जो सचिव से नकारने का तो सवाल ही नहीं उठता । तो इस सच के साथ तुम ये भी स्वीकार रही हूँ की मेरे मना करने के बाद भी तुम नीरज के पास गई थी और अपने काम में उससे सहयोग भी लेने लगी हूँ । ये सच नहीं । मैं नीरज जी से मिलने नहीं गई थी । किरण में दृढतापूर्वक कहा तो फिर नीरज तुम्हारे साथ कैसे आया? तल्ख सवाल जवाब होने लगे वो सिर्फ एक संयोग थमा तो मैं ये याद होना चाहिए । किरन कि ऐसे सहयोग तुम्हारी और सडक के रिश्तों पर बुरा असर डाल सकता है । सनद की इच्छाओं का सम्मान करना भी तुम्हारी जिम्मेदारी है । आप सदस्य नक्की मान सम्मान के बारे में सोच पीएम मेरे बारे में क्यों नहीं? किरण भावुक हो गई । तुम्हारे बारे में ही सोच रही हूँ बेटा इसलिए सडक की बात कर रही हूँ तुम समझ क्यों नहीं रही हूँ? किरण अब सनद की खुशी में ही तुम्हें अपनी खुशी ढूंढनी चाहिए और मेरी खुशी माँ मैं तो समझती हूँ कि सनक की खुशी में ही तुम्हारी खुशी छिपी है । पर ऐसा नहीं है । माँ सनत के साथ हमारे विचारों में तालमेल नहीं है । तो क्या नीरज के साथ तुम्हारे विचार मिलने लगे हैं? माने गुस्से से कहा । फिर वही बात माँ किरण परेशान होने लगी और उसमें आगे कहा मैंने बताया तो है आपको की नीरज जी के प्रति ऐसी कोई भावनाएं नहीं है मेरे मन में तुम भी कई अपने पापा की तरह धोखा तो नहीं दे रही हूँ । किरन कहते हुए वे रो पडी ये अपने क्या कर दिया? हाँ, किरण ने आश्चर्य से पूछा क्या गलत कह रही हूँ? मैं तो अटूट विश्वास करती रही तेरे पापा के ऊपर पापा ने आपका विश्वास तो ये आप कैसे हो सकती है? हाँ आपको उनकी किसी बात पर शक है क्या? किरण व्याकुल हो गई नहीं जीवन भर वो मेरे सामने खुली किताब की तरह रहे । प्रत्येक कार्य मुझसे सलाह लेकर ही करते रहे । मेरी भावनाओं का हमेशा सम्मान भी किया । पर पर की हम आप किरण किसी अनजान बातों से आशंकित होती हैं । मैं मानती हूँ कि तुम्हारे पापा मेरे साथ धोखा नहीं कर सकते हैं और ये भी जानती हूँ कि मनीषा के साथ उनका रिश्ता पवित्र था । पर जिस तरह उनके रिश्तों को लेकर कई अखबारों में खबरें लिखी गयी हैं, उनके तर्क के सामने कभी कभी मेरा विश्वास भी डोलने लगता है । मान ने कहा यही तो माया है मीडिया की की सच को झूठ और झूठ को सच बनाते जिसे चाहे हीरो बनाती और पलभर में ही इंसान को अर्श से फर्श पर गिरा देती । आपके विश्वास को डोलते देखकर तो पापा पर लगे दाग को धोने की दृढता अब और प्रबल हो गई है । हाँ तो मैं जानती हूँ किरण इसलिए तुम्हारी बातों पर मुझे विश्वास है । कोई कुछ भी कहे या लिखे मुझे तुम पर भरोसा है । और आज ये जानकर मुझे अच्छा लगा कि नीरज के लिए कोई विशेष भावनाएं नहीं है तुम्हारे मन में । पर मुझे संतुष्टि तभी मिलेगी जब तुम सलत की बातों पर ध्यान दोगे और अब ऐसा कोई सहयोग नहीं होने दोगी जिससे तुम्हारा नाम नीरज के साथ जोडा जाए । माँ की बातें भागों पर कडक थी, मैं आपको संतुष्ट करने की कोशिश करूंगी । माँ किरण ने कहा

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