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भाग 15 in Hindi

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AuthorHarish Darshan Sharma
‘कहानी एक आई.ए.एस. परीक्षा की’ में पच्चीस साल का विष्णु अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम से बाहर निकलने तथा शालिनी को शादी के लिए मनाने के तरीके ढूँढ़ता है। हालात तब और भी दिलचस्प, हास्यास्पद और भावुक हो जाते हैं, जब विष्णु ‘माउंट IAS’ पर विजय पाने निकल पड़ता है। अपनी पढ़ाई और अपने प्यार को जब वह सुरक्षित दिशा में ले जा रहा होता है, तब उसे IAS कोचिंग सेंटरों की दुनिया में छिपने का ठिकाना मिल जाता है। क्या शालिनी अपने सबसे अच्छे दोस्त के प्यार को कबूल करेगी? क्या विष्णु असफलता की अपनी भावना से उबर पाएगा? क्या हमेशा के लिए सबकुछ ठीक हो जाएगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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मैं वहां पहुंचकर कोट पहन लूंगा । बाय माँ बाप रे । बाबा विष्णु ने साक्षात्कार के लिए निकलते हुए कहा, हम तो मैं वहाँ तक छोडने चल सकते थे सिर्फ तुम्हारी जिसकी वजह से हम तो मैं ऐसे अकेले जाने दे रहे हैं । उसके बिताने प्रसन्नी लहजे में कहा ठीक है पापा, मैं बच्चा नहीं हूँ और वैसे भी आप दोनों मुझे लेने तो आज ही रहे हैं । विष्णु बोला चलो ऑल दे बेस्ट । तुम सफल हो गए । भगवान तुम्हारे साथ है । दोनों ने आशीर्वाद दिया । विष्णु टैक्सी में बैठ गया और फिर शालिनी को कॉल किया । गुड मॉर्निंग मैं हूँ और एक आई । ए । एस ऑफिसर बनना । मेरी किस्मत में लिखा है ठीक है ना, चलो अपनी शुभकामनाओं की हमेशा वाली खुराक दो । उसमें कहा एक तुम ही हो जो इतनी महत्वपूर्ण घटना से पहले ऐसे वैंग और ऐसे रवैये के साथ बोल सकते हो । इसलिए यहाँ तुम्हारे भाग्य में लिखा है मैं कह रही हूँ । शालिनी ने जवाब में कहा, मेरे लिए हमेशा मौजूद रहने के लिए शुक्रिया । खाली नहीं मैं सच में तो मैं पूरे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ । आज उसके लिए बिल्कुल सही दिन है । तुम किसी अंतरिक्ष के मिशन पर जा रहे हो । क्या कोई बात नहीं । इतने औपचारिक मत बनो । शानदार इंटरव्यू देना ऑॅटो शालिनी में कहा ऍम टैक्सी वाला विष्णु के प्रार्थना खत्म करने तक मंदिर के बाहर रखने को तैयार नहीं था क्योंकि उसके पास कोई और चारा नहीं था । विष्णु टैक्सी छोड दी और मंदिर में चला गया । प्रार्थना करने के बाद वहाँ बाहर आया तो उसे आस पास कोई टैक्सी नहीं देखी । करीब आधा किलोमीटर आगे उसे बहुत सारे लोग देखे तो उसने उस और चलना शुरू कर दिया । सडक के संकेत बता रहे थे कि वह प्रसिद्ध जंतर मंतर की और जा रहा था । उसने समाचार में देखा था कि अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने धर्म युद्ध के तहत और जनलोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए जंतर मंतर पर अनशन कर रहे थे । भारी संख्या में समर्थक उनसे मिलने और उन्हें अपना समर्थन देने के लिए प्रतिदिन वहाँ इकट्ठा होते थे । विष्णु आगे लोगों की अच्छी खासी भीड देख सकता था । वहाँ पहले ही हताश महसूस कर रहा था क्योंकि उसके साथ साथ कर में केवल आधा घंटा बचा था और वहाँ टैक्सी मिलने की उम्मीद में निरर्थक रूप से जंतर मंतर की और जा रहा था । अचानक चारों तरफ हंगामा होने लगा । भीड के बीच तेजी से लाठीचार्ज की अफवाह फैली और हर कोई एक दूसरे से टकराते हुए आंधाधुंध भागने लगा । इससे पहले कि विष्णु समझ पाता कि क्या हो रहा है उसे भीड में धक्का लगा और वहाँ गिर गया । जल्दी उसने स्थिति को समझा । अपनी ताकत बटोरी और उठ गया । उसके माथे में तेज दर्द हो रहा था । वहाँ एक मामूली सी चोट लग गई थी जिसमें से खून निकल रहा था । उसकी शर्ट का कॉलर फट गया था । उसके कोर्ट पर जूतों के सैकडों निशान जब गए थे, आधे घंटे में इंटरव्यू है और मैं ऐसा देख रहा हूँ । बस इसका अंदर ऐसा होना है । वहाँ ऐसा में चिल्लाने की के आधार पर था कि तभी उसने पास में एक कार का लम्बा तेज हॉर्न सुना । आॅटो कार के अंदर से कई आवाजे आई । विष्णु ने कार के अंदर झांका तो उसे बद्री और साली नहीं बाकी सभी दोस्त दिखाई दिए । जुडा हुआ आराध्या, धारा, रमेश और सेड सब कार में थे । आए तुम जब यहाँ क्या कर रहे हो? विष्णु ने पूछा हमारे टीम मेट की शादी है ये भगवान तुम को देखो तो तुम्हारे माथे से खून निकल रहा है तो कहीं गिर गए थे क्या? सिडनी पूछा हाँ, थोडी देर पहले यहाँ हो गई थी । मैं धक्का लगने से गिर गया था । विनोद ने जवाब दिया वो जिंदा मत करो, अंदर आ जाओ, हम तुम्हारा ख्याल करेंगे । दुनिया इंटरव्यू के लिए आए थे ना कल है वहाँ सिखने । फिर पूछा चलो फिर किसी ने तो परवाह की । अब से बीस मिनट बाद धीरे धीरे सामान्य होते । विष्णु ने कार में बैठते हुए कहा चिंता मत करो, हम तो मैं बहुत जल्दी वहां पहुंचा देंगे । सब ने उसे शीघ्रता से आश्वस्त किया यह लोग अपनी जोड साफ कर लो और चेहरा पहुंच लोग सिखने । विष्णु को फर्स्ट एड किट कुछ गीले टॉवल और पर्फ्यूम देते हुए कहा तो हम सब लोग फरिश्तों की तरह हो । महत्वपूर्ण क्षणों में मुझे और शालिनी को सही समय पर हर जगह पहुंचा देते हो । तुम लोगों को जितना धन्यवाद दो कम होगा । विष्णु ने चेहरा साफ करते हुए कहा हाँ उसने हमारी पानी की यात्रा को लगभग बिगाड दिया था और यहाँ तो हमारी शादी की यात्रा को लगभग बिहार रहे हैं और ऊपर से तुम हमें फरिश्ते कह रहे हो । बद्री बोला था एक बार का बद्री हमेशा का बद्री । वैसे शालिनी ने मुझे टीम मेट की शादी के बारे में नहीं बताया था वो सच में शालिनी में तो मैं नहीं बताया । वहाँ भी आज शाम को रिसेप्शन के लिए आ रही है । हम में से अधिकांश लोग यहाँ एक हफ्ता रुकने वाले हैं क्योंकि हमारी एक ट्रेनी होने वाली है । हो सकता है वहाँ तो मैं फिर जो कहना चाहती हूँ । धारा ने अपने जुडवा के साथ हसते हुए कहा विष्णु को शालिनी के दोस्त फिल्मों में बैकप नर्तकों के एक समूह की तरह लग रहे थे जो आवश्यकता होने पर जादुई रूप से प्रकट हो जाते हैं, अपना काम करते हैं और अपने अनुक्रम के बाद तुरंत गायब हो जाते हैं । यही जगह है यही जगह प्लीज मुझे यही उतार दो । विष्णु चिल्लाया जब वह नीचे उतरा तो उसे पीछे से शालिनी के दोस्तों की आवाज सुनाई दी जो उसे प्रोत्साहित कर रहे थे और शुभकामनाएं दे रहे थे । उसने अपने घडी देखी । दस बजकर पच्चीस मिनट हुए थे । इंटर्व्यू में केवल पांच मिनट शेष थे । मुझे लगता है हमने सोलह हजार चार सौ पांच को बुलाया था । साक्षात्कर बोर्ड की अध्यक्ष ने पूछा जी मैंने मैं सोलह हजार चार सौ पांच हो । विष्णु ने जवाब दिया क्या आप सच में एक टी शर्ट, इतने गंदे कोर्ट, बिना कंघी की है । बाल और माथे पर कट का निशान लेकर इंटरव्यू देने आए हैं । आपको पता भी है और किस इंटरव्यू के लिए आए हैं । अध्यक्ष ने क्रोधित स्वर में पूछा एक शमा करें मैडम आधे घंटे पहले जंतर मंतर पर भगदड मच गई थी । मैं वहाँ गिर गया था । हो तो आप एक एक्टिविस्ट हैं जो विरोध प्रदर्शन के लिए सडकों पर जाता है । क्यों? अध्यक्ष में पूछा नहीं मैडम, एक रुपया मुझे समझाने दें । मैं प्रार्थना करने हनुमान मंदिर गया था । मुझे मंदिर के बाहर टैक्सी नहीं मिली तो मैं टैक्सी मिलने की उम्मीद में जंतर मंतर की और चलने लगा । उसी समय वहां भगदड मच गई । ठीक है बैठे हैं । धन्यवाद मैडम जो आपके जीवन का सबसे बडा साक्षात्कार हो सकता था, उससे केवल आधे घंटे पहले आप मंदिर क्यों गए? क्या अब एक धार्मिक कट्टर बनती है? नहीं मैडम, यहाँ मेरी माँ की इच्छा थी कि मैं साक्षात्कार के पहले मंदिर जाऊँ तो धर्म आपके जीवन में बाकी सब चीजों पर प्रधानता लेता है । क्यों? यदि आप अभी ऐसे हैं तो कल्पना करिए आप ऑफिसर बनने के बाद कैसे होंगे? क्या धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करेंगे? अध्यक्ष ने कहा विष्णु उनका कहा, हर एक शब्द तोप के गोले की तरह लग रहा था । यहाँ कहाँ से आया मुझे इन सब से क्यों गुजरना पड रहा है । विष्णु के पास ठीक से सोच कर जवाब देने का भी समय नहीं था । नहीं मैडम ऐसा नहीं है । इसका मतलब है कि मैं अपने माँ की बात का सम्मान करता हूँ, गंभीर परिस्थितियों में भी । साथ ही भारत एक स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष देश है जहां भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार किसी को भी कोई भी धर्म मानने और उसका अभ्यास करने का अधिकार देते हैं । इसलिए माँ की बात सुनना और साक्षात्कार से पहले मंदिर में जाना मुझे धार्मिक समय की नहीं बनाता । मैडम विष्णु विनम्रता के साथ उत्तर दिया अध्यक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की । आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई की है । बोर्ड के एक अन्य सदस्य ने पूछा, जी सर, तो अनिवार्य रूप से आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की एक सीट बेकार कर दी । आपने इंजीनियरिंग पडी, आपको सही नहीं लगी तो आप इस नौकरी के लिए आ गए । मैकेनिकल इंजीनियरिंग की वहाँ सीट किसी योग्य उम्मीदवार को जा सकती थी । सर, मुझे ऐसा नहीं लगता । मैं मैकेनिकल इंजीनियर हूँ और रहूंगा । मैंने जो कुछ भी पडा है उसका उपयोग में बडे प्लेटफॉर्म पर करूंगा और अपने देश के निर्माण की प्रक्रिया में बदलाव का एजेंट बनने का प्रयास करूंगा । विष्णु ने उत्तर दिया, कृपया इस प्रकार के अभ्यास किए हुए यूपीएससी उत्तर मत दीजिए । उन्हें लगातार सुनते रहना बहुत उबाऊ होता है । एक वैद्य परिद्रश्य दीजिए । बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, उदाहरण के लिए यदि कल मैं शहर या औद्योगिक क्षेत्र में जाता हूँ तो मेरे पास विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवश्यक मशीनों के प्रकार की बेहतर समझ होगी और वर्तमान रुझानों और प्रौद्योगिकियों के बारे में एक बेहतर दृष्टिकोण होगा । इससे भी महत्वपूर्ण बाद मेरे तकनीकी कौशल को देखते हुए मैं खरीद के लिए अनुमानों और निविदा दस्तावेजों की अच्छी तरह छानबीन कर सकता हूँ । यह सिर्फ एक उदाहरण हैं । एक विशेषज्ञ के रूप में मुझे लगता है कि मैं प्रभावी रूप से एक सामान्य की सभी प्रशासनिक योजनाओं को जोड सकता हूँ और उसे एक सफल मिश्रण बना सकता हूँ । विष्णु ने बिलकुल प्रत्याशित प्रश्न का पूरी तरह से प्रकाशित उत्तर दिया, दूसरी ओर से कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी । क्रिकेट देखना आपका शौक है । आपने विश्व कप फाइनल देखा हूँ । बोर्ड के एक सदस्य ने पूछा, जी सर, आपने धोनी की परी देखी होगी आप के अनुसार वहाँ क्या है जो धोनी को अन्य क्रिकेटरों से अलग बनाता है । जिस प्रकार वहाँ विभिन्न परिस्थितियों में खुद को संभालता है । सर चाहे सफलता हो या सफलता, जिस तरीके से वो अपने आप को संभालता है, वही उसे खास बनाता है । धोनी के चेहरे को देखकर क्या बता सकते हैं कि वहाँ मैच जीता है, हारा है? विश्व कप शुरू होने से पहले ही पर्याप्त रन न बना पाने के लिए उसकी भारी आलोचना हुई थी । उसने शब्दों से आलोचना का उत्तर न देते हुए अपने बल्ले के माध्यम से जवाब देने का चुनाव किया । यहाँ है धोनी और इसलिए देश उसे प्यार करता है । सर विष्णु ने गर्व के साथ उत्तर दिया तो भारत केवल धोनी के कारण जीता । एक और सदस्य ने पूछा, नहीं, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा । पूरी टीम ने, जिसमें सहयोगी स्टाफ भी शामिल है, विश्व कप की जीत में भूमिका निभाई हैं । विष्णु ने जवाब दिया । उसके बाद विष्णु से भारतीय शिक्षा में आवश्यक संशोधनों के बारे में भारतीय कृषि परिदृश्य, सामाजिक फॉरेस्ट्री और कुछ अन्य विषयों के बारे में पूछा गया और अंततः चालीस मिनट बाद उसका साक्षात्कार समाप्त हुआ । इमारत से बाहर निकलने पर उसके पिता गेट के बाहर चिंतित भाव से खडे दिखे । उसने जमा केंद्र से अपना फोन लिया और उनके पास चला गया । चाहे वे तुम है । थकाकर तनाव में लाना चाहते थे । वे उम्मीदवार को चरम सीमा तक धकेल देते हैं यहां देखने के लिए कि दबाव में वहाँ कैसी प्रतिक्रिया देता या देती है । आखिर तो मैं वो दबाव वाली नौकरी के लिए आवेदन दे रहे हो है ना? विष्णु पिता विष्णु और उसकी माँ के साथ अपने विचार साझा कर रहे थे तो मैंने एक स्ट्रेस इंटरव्यू दिया है । बिना या जाने की फॅमिली जैसी कोई चीज होती है । विष्णु अपने मन में हजार वैसे शाहबाज बेटा तुमने अपना काम कर दिया है । बाकी सब भगवान के हाथों में है । लंच के बाद होटल के कमरे में लौटते हुए उसके पिता ने कहा, अगर तुम चाहो तो कुछ दिन दिल्ली में रुक जाओ और बाद में घर आओ । अब क्या जल्दी है तो मैं भी सांस लेने की जरूरत है । विष्णु की माँ ने कहा विष्णु नहीं, यह शानदार प्रस्ताव खुशी से स्वीकार कर लिया । वह खुशी खुशी दिल्ली में शालिनी के साथ समय बिताने के बारे में सोचने लगा । हाँ, कुछ दिन रुक कराना तो तुम्हारी माँ और मैं कल चले जाएंगे । उसके पिता ने सहमती जताई, सरप्राइज सोचो क्या तुम दिल्ली में हो थे तो मैं मेरी ऍम मान लगाने की इजाजत नहीं है तो मैं कैसे पता चला? मैं जानता हूँ आज सुबह तुम्हारे दोस्त मिले थे । उन्होंने बताया, वो बेवकूफ सब के सब और कैसे? क्या कब? विष्णु ने धीरज के साथ उसके सब सवालों के जवाब दी है और अपने साक्षात्कार का ब्योरा दिया तो यह बात है । देखते हैं क्या होता है और मैंने भाग्य में वास्तव में क्या लिखा है । विश्व बोला मैं एक हफ्ते दिल्ली में हूँ, पार्टी करेंगे बेबी शालिनी उत्साह से चिल्लाई हुमायूं का मकबरा, लाल किला, पालिका बाजार, लोटस टैम्पल, इंडिया गेट, मॉल, रेस्टोरेंट और पार्क । अगले कुछ दिन विष्णु और शालिनी खुशी के साथ पूरी दिल्ली घूमते रहे । शुक्र है हम यहाँ एक्जाम की बात कर रहे हैं । विष्णु ने चुटकीली एग्जाम से पहले तुम किसी और चीज के बारे में बात भी नहीं करते हैं । बाहर जाने का छोडो शालिनी बोली तो वैसे भी जो होता है सब अच्छे के लिए होता है ।

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‘कहानी एक आई.ए.एस. परीक्षा की’ में पच्चीस साल का विष्णु अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम से बाहर निकलने तथा शालिनी को शादी के लिए मनाने के तरीके ढूँढ़ता है। हालात तब और भी दिलचस्प, हास्यास्पद और भावुक हो जाते हैं, जब विष्णु ‘माउंट IAS’ पर विजय पाने निकल पड़ता है। अपनी पढ़ाई और अपने प्यार को जब वह सुरक्षित दिशा में ले जा रहा होता है, तब उसे IAS कोचिंग सेंटरों की दुनिया में छिपने का ठिकाना मिल जाता है। क्या शालिनी अपने सबसे अच्छे दोस्त के प्यार को कबूल करेगी? क्या विष्णु असफलता की अपनी भावना से उबर पाएगा? क्या हमेशा के लिए सबकुछ ठीक हो जाएगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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