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भाग 12 in Hindi

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AuthorHarish Darshan Sharma
‘कहानी एक आई.ए.एस. परीक्षा की’ में पच्चीस साल का विष्णु अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम से बाहर निकलने तथा शालिनी को शादी के लिए मनाने के तरीके ढूँढ़ता है। हालात तब और भी दिलचस्प, हास्यास्पद और भावुक हो जाते हैं, जब विष्णु ‘माउंट IAS’ पर विजय पाने निकल पड़ता है। अपनी पढ़ाई और अपने प्यार को जब वह सुरक्षित दिशा में ले जा रहा होता है, तब उसे IAS कोचिंग सेंटरों की दुनिया में छिपने का ठिकाना मिल जाता है। क्या शालिनी अपने सबसे अच्छे दोस्त के प्यार को कबूल करेगी? क्या विष्णु असफलता की अपनी भावना से उबर पाएगा? क्या हमेशा के लिए सबकुछ ठीक हो जाएगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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भाग बारह आज की चर्चा का विषय कौन अधिक मीठा है? शालिनी या विनोद अशोक ने कृष्णा तीस साल में जोर से घोषणा की । विष्णु मदन और खुद विनोद के सामने दोनों अपने खुद के काम छोडकर अपने प्यार के लिए एग्जाम नोट्स तैयार करने में माहिर है । उसने आगे कहा, मुख्य परीक्षा से ठीक है । एक महीने पहले चर्चा करने के लिए यह सबसे अच्छा विषय है । मदन ने भडास निकाली, लेकिन उस दिन शालिनी पर मेरी टिप्पणियों के लिए मुझे माफ करना । विष्णु उसमें कमाल कर दिया । सच में क्या तोहफा है? जन्म दिन का क्या लडकी है? मदन ने कहा विष्णु केवल मुस्करा दिया और अपने अदरक वाली चाहेंगे । उस क्या लेता रहा? हाँ, साधारण रूप से मीठा भाई मेरे मानकों पर विचार करते हुए भी विनोद ने घमंड भरे स्वर में प्रशंसा की । नहीं बाकी सब ने विनोद पर हमला कर दिया । ऐसा क्यों? विनोद ने हैरानी से पूछा । शालिनी ने अपनी नौकरी से छुट्टी नहीं ली भाई । उसने विष्णु के लिए यह काम अपने खाली समय में क्या? लेकिन दूसरी और तुम अपना सब कुछ दांव पर लगाते जा रहे हो तो तुम्हारा भविष्य इस परीक्षा पर निर्भर है । फिर भी मुख्य परीक्षा से एक महीना पहले भी तुमने अपने खुद कॅाल के लिए तैयारी शुरू नहीं की है क्योंकि तुम अपनी फॅमिली के लिए नोट्स बना रहे हो की इस तरह का मूल कैसा करेगा? अशोक ने उसकी खिंचाई की चुप रहूं मैं जानता हूँ मैं क्या कर रहा हूँ । मैंने इतने सालों में लोग प्रशासन की काफी पढाई कर लिया । बस एक बार दोहराने की जरूरत है । सामान्य अध्ययन को भी संसदीय तौर पर देखना है क्योंकि हम सब ने अभी अभी प्रिलिम्स पास किए हैं । बोल के जिन नोट से मैं उसकी मदद कर रहा हूँ उससे मुझे मेरे सामान्य अध्ययन के पेपर में भी मदद मिलेगी । जी अच्छी तरह पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ और मुझे अच्छा लगेगा । अगर तो मुझे मेरे फैसले खुद करने दोगे । अशोक विनोद ने समझाने की कोशिश की कि वहाँ कितना तैयार था वहाँ सब ठीक है विनोद लेकिन अब हम आहर्ता साबित करने के चरण में नहीं है । हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में है जहां हर एक चीज मायने रखती है । इस समय कोई भी समय या संसाधनों को बर्बाद करने का जोखिम नहीं उठा सकता । उम्मीद है तुम समझ रहे हो भाई मदन ने विनोद की पीठ थपथपाई । संसाधनों की बात चली है तो विष्णु के जन्मदिन का की एक अभी भी मेरी बाइक पर रखा है । उसे बहुत देर तक नहीं रोकना चाहिए । मैं उसे यहाँ से आता हूँ । चलो जस्ट बनाते हैं । अशोक ने कहा और अपनी बाइक की तरफ दौड गया । अशोक केक लेकर आया तो उसके साथ शालीन ही और दीप्ति पहली बनती कि डॉक्टर लडकी भी थी । उवा शालीनी । कितना अच्छा सरप्राइज दिया तो हम अभी बात ही कर रहे थे कि तुम कितनी स्वीट हो । वैसे मैं मदन हूँ । मदन ने अपना परिचय दिया तो पर मतलब है ना मैं तुम सबको जानती हूँ । शालिनी ने मुस्कराकर कहा मुझे खुशी है कि हम आज मिल पाए । विष्णु से किनारे लगाकर बोला मैंने कुछ प्लान नहीं किया था । मैं तो बस देखती से बात कर रही थी । फिर मैंने अशोक से बात की और यहाँ गई मूलरूप से मुझ पर जासूसी कर रही थी तो में से जो भी कहो मैं तुम्हारे लिए हमेशा मौजूद हूँ । ऍम फॅमिली विष्णु के कान में फुसफुसाई हैप्पी बर्डे । विष्णु । दीप्ती ने उसे शुभकामनाएं दी और फिर तुरंत स्टॉल के उस कोने में चली गई जहां पत्रिकायें रखी थी । ऍम टू यू विष्णु ने कृष्णा तीस साल में काटा तो सब ने एक साथ गया क्योंकि आज विष्णु का जन्मदिन है । मैं आप सबको कल के मॉर्डल ऍम के लिए आई । श्रीवास्तव के प्रश्नपत्र का सैट मुफ्त दूंगा । तीन स्टॉल के मालिक ने जोरदार आवाज में टिप्पणी की और सब हंसने लगे । जल्दी ही जसमें ठंडा बढ गया और सब चले गए । अगले दिन के मॉर्डल ऍम के विचार सबके मन में खतरनाक ढंग से मंडरा रहे थे । मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम आई मैंने सोचा था तो मुझे पढने के लिए अखिला छोड होगी और नहीं होगी आई लव यू विष्णु ने मैसेज किया फिर वहाँ घर पहुंचा और मॉर्डल एग्जाम की तैयारी में लग गया । अडतालीस प्राइस में पिछले साल मुख्य परीक्षा में अडतालीस प्रश्न करंट अफेयर्स से थे । मिस्टर यादव सबके दिमाग में यह डालने की कोशिश कर रहे थे कि करंट अफेयर्स बहुत महत्वपूर्ण थे और अब जबकि मुख्य परीक्षा में केवल पंद्रह दिन बचे थे उन्हें करंट अफेयर्स और घटनाओं पर अधिक से अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए । बस मेरे नोट पढ लीजिए उतना पर्याप्त है । वो बार बार दोहरा रहे थे । उन्होंने कह दिया है और अब यह ट्रेंड बन जाएगा । कम से कम लोहियानगर के लिए वे अब हमारे लिए सभी स्टॉल्स में ट्रक भर भर के नहीं करंट अफेयर्स की किताबें डाल देंगे । विष्णु ने टिप्पणी की मुख्य परीक्षा से पहले ग्रेट माइंड्स ने यहाँ उनका अंतिम दिन था था । इन लोगों ने काॅन्ट्रैक्ट बना दिया है । यह तो यकीन नहीं कहा जा सकता है कि पिछले साल की तरह इतने सारे करंट अफेयर्स से संबंधित प्रश्न आएंगे या नहीं । लेकिन यह तय है कि इस साल आसानी से बडी संख्या में किताबें बिक जाएगी । अशोक बोला वैसे भी यहाँ आखिरी समय हमारे पास किसी और चीज के लिए समय भी नहीं है । देखते हैं विष्णु ने कहा तो तुम्हारी एंथ्रोपॉलॉजी कैसी चल रही है । काफी अच्छे भाई क्लासेस पूरी हो चुकी है । मैंने अपने खुद के नोट्स बना है और एक बार अच्छे से रिवीजन पूरा कर लिया है । विष्णु ने आत्मविश्वास से कहा बढिया बढिया मैंने भी लगभग सब चीजें पूरी कर ली है । थोडा बहुत इधर या उधर बचा है । वैसे भी आप पूरी तरह निश्चित कभी नहीं हो सकते हैं ना अशोक ने अपने मन की बात कही । करेंट अफेयर्स पर चर्चा समाप्त होने के बाद ग्रेट माइंड्स के सभी ग्रेट माइंड्स ट्विटर भी डर हो गए । ऑॅटो विष्णु विष्णु ने मुड कर देखा तो उसे श्रीमती गीता यादव को देखकर हैरानी हुई । ऍम तुमने अपने सभी मॉर्डल टेस्ट में असाधारण रूप से अच्छा किया है । आशा है तुम अपने वैकल्पिक विषय में भी तैयार हो । जी मैं मैं तैयार हूँ । तुम्हारे अंदर बहुत क्षमता है और यह तुम्हारे लिए सही समय है । बस अपने दिमाग को स्थिर रखना जी मैं घूमा । विश्व में जवाब दिया अब तक विष्णु अपनी संभावना को लेकर काफी आश्वस्त हो चुका था और पूरे जोर जोर से रिवीजन में लगा था । उसने अगले दो सप्ताह अपने घर में बल्कि अपने कमरे में व्यवस्थित तीन पॉइंट रिवीजन करने में भी तो है । इतने रिविजन और आत्मविश्वास के बावजूद उसके मन में अभी भी संदेह था और एक और विफलता का डर उसके ऊपर हावी हो रहा था । भगवान विष्णु की माँ नाम से कुछ गिरने की आवाज सुनकर बातों में भागी तो उनके मुंह से चीख निकल गई । उनकी चीख रहेंगी । तेज आवाज सुनकर विष्णु में भाग कर बातों में आ गया । बादलों में फर्ज पर खून का तालाब बना हुआ था और नल में से पानी गिर रहा था । विष्णु की माँ अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए विष्णु के पिता को उठाने का प्रयास कर रही थी । विष्णु ने तुरंत दोनों को संभाला और उन्हें लिविंग रूम में ले गया । इस बार विष्णु के पिता के बारे तहर से खून बह रहा था । अब मैं भी कुमार अंकल को बुलाता हूँ । विष्णु ने अपना फोन निकाला । डॉक्टर कुमार उसके पिता के अच्छे दोस्त और सहकर्मी थे । उनकी खुशकिस्मती से वे उसी आवासीय परिसर में रहते थे । दस मिनट बाद डॉक्टर कुमार विष्णु के पिता की चोट देख रहे थे । यह लोग साफ हो गया और रेसिंग भी हो गई । अच्छी बात है कि केवल पैर में ऊपरी चोट है । मैंने खून पूरी तरह रोक दिया है और चोट को साफ करके ड्रेसिंग कर दी है । ऍम और दर्द की दवाएं बाकी का काम कर देंगे । डॉक्टर कुमार बोले बहुत बहुत धन्यवाद डॉक्टर । मुझे सच में चिंता हो रही थी । विष्णु की माने स्वीकार किया । हाँ, मैं भी आ जाने की खबर सुनकर चिंतित हो गया था । अब सब ठीक है । तुम्हारा मेरे ऍम डॉक्टर कुमार में पूछा कल सुबह अंकल हो बढिया ॅ डॉक्टर कुमार ने कहा और जाने के लिए खडे हो गए ऍम कल मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा । विष्णु ने कहा और डॉक्टर कुमार को हाथ हिलाकर विदा किया । जब विष्णु लिविंग रूम में लौटा तो उसके पिता वास्तव में मुस्कुरा रहे थे । किस्मत की बात है कि इस बार भी उसकी परीक्षा से पहले मैंने अपने पैर में चोट लगा ली । आशा है पिछले बार की तरह इस बार भी यह अच्छा करेगा तो उसकी माँ से कह रहे थे वहाँ तो करेगा ही और आपकी चोट के बिना भी करता मैं कितना डर गई थी और भगवान ने हमें बचा लिया । विश्व की माँ हो गई विष्णु भी बहुत भावुक हो गया । उसकी इतनी बडी परीक्षा से बस बारह घंटे पहले उसकी छोटी सी शांत दुनिया में कितना कुछ हो रहा था । उसने यथा सम्भव शांत रहने की कोशिश की लेकिन आधी रात बीतने के बाद भी सो नहीं पाया । वहाँ अपने कुछ बेहतरीन आत्मज्ञान में लिप्त हो रहा था और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खुद की प्रशंसा और समर्थन कर रहा था । लगभग सुबह दो बजे तक जिसके बाद उसे नींद आ गई । सब को सब कुछ नहीं मालूम होता है । इसका मतलब निश्चित रूप से सामान्य अध्ययन में जहाँ सूरज के नीचे कुछ भी पूछा जा सकता है । अगर आप जो भी जानते हैं उसे क्रमिक रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं तो यहाँ पर्याप्त से अधिक होना चाहिए । आनंद कोनेश्वर महादेव मंदिर से बाहर निकलते हुए शालिनी ने विष्णु से कहा, वहाँ परीक्षा से एक घंटे पहले यह अच्छी चला है । मुझे खुशी है कि इस समय मेरे पास मेरा हॉल टिकट सुरक्षित है । यहाँ क्रम है जो अपनी जगह पर है । बाकी के क्रम देखते हैं । अगर ये लोग के लिए अंक देते तो मुझे टॉपर के लिए तुम्हारे आगे नहीं देखना पडता है । शालिनी मुस्कुराई ठीक से जल्दी मिलते हैं । मिलते हैं अच्छे से लिखना । बस एक बात याद रखना आई । एस ऑफिसर बनना तुम्हारी किस्मत में है । भगवान तुम्हारे साथ रहे । शालिनी ने हाथ हिलाकर विष्णु को विदा किया ।

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‘कहानी एक आई.ए.एस. परीक्षा की’ में पच्चीस साल का विष्णु अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम से बाहर निकलने तथा शालिनी को शादी के लिए मनाने के तरीके ढूँढ़ता है। हालात तब और भी दिलचस्प, हास्यास्पद और भावुक हो जाते हैं, जब विष्णु ‘माउंट IAS’ पर विजय पाने निकल पड़ता है। अपनी पढ़ाई और अपने प्यार को जब वह सुरक्षित दिशा में ले जा रहा होता है, तब उसे IAS कोचिंग सेंटरों की दुनिया में छिपने का ठिकाना मिल जाता है। क्या शालिनी अपने सबसे अच्छे दोस्त के प्यार को कबूल करेगी? क्या विष्णु असफलता की अपनी भावना से उबर पाएगा? क्या हमेशा के लिए सबकुछ ठीक हो जाएगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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