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9. Gyan Ka Jharna  in Hindi

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Authorआर के डोगरा
This book is a compilation of short stories studded with several morals, thoughts filled with immortality and experience that should be passed on to every generation. The book will be eagerly sought after for its literary value as this is really a paragon of virtue. The compilation of many ingredients makes the book worthful so let’s taste with great relish. The title implies a strong connection between the permanent knowledge and reader’s mind. Based on reason , fact and logic, a great synchronization of radiance of different gems will make one’s life valuable. Voiceover Artist : RJ Bhagyashree Author : RK Dogra
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चैप्टर जीवन धन एक सेट रुपये गिन रहा था । टेलीफोन की घंटी बजे गिनते गिनते पर पहुंचा था । इक्कीस मन ही मन दोहराते हुए बोले ऍम सुनना तथा सेट से आगे बाईस तेईस गिनने लगा । बेटा बोला पापा, ये सज्जन आप से ही बात करना चाहते हैं । सेट गिरते हुए और गिनते गिनते चौतीस पर पहुंचा तथा मन ही मन चौतीस दोहराते हुए बोला । उनसे कहते कि थोडी देर में फोन करना तथा आगे गिनते रहे पैंतीस छत्तीस बेटा । पापा कहते हैं कि अत्यावश्यक बात है और अभी करनी है अतः स्वयं भी बात कर लें । सेट गिनते गिनते कावन पर पहुंचे थे । मनी मनी गावं इक्यावन करते हुए फोन पर पहुंचे तथा बात करने लगे । लेकिन मनी मनी कावन की गिनती चल रही थी । बाद समाज की तथा बाद में गिनती भी पूरी की । बिना किसी भूल के उसी धुन के साथ धुंधन टोल सारांश हमारे जीवन में भी ऐसे कितने ही बनाते हैं जहाँ हमें एक काम के साथ और भी कितने काम करने पडते हैं । हमारे काम की कार्यकुशलता हमारी धुन के ऊपर निर्भर करती है । जैसे कि जब कार चलाते हैं तो धुन में हैं हमारी मंजिल, आंखों में रास्ता कानूनी गानी में बातें हाथों में गाडी का स्टेयरिंग और गेयर, लीवर पाओ में रेस, क्लच ब्रेक, मन में विचारों का जाल तथा दिमाग में सबका कंट्रोल । अहिंसा क्रोध को शर्मा से, विरोध को अनुरोध से, घृणा को, दया से, दिवेश को प्रेम से और हिंसा को अहिंसा की भावना से जी तो चॅू संयम महाभारत में जब भीम का राक्षस पुत्र घट ओस काश मारा गया । पूरे पांडव शिविर में शोक व्याप्त था, लेकिन कृष्ण उस समय प्रसन्न थे । वे बार बार नाच रहे थे तथा अर्जुन को गले लगा रहे थे । यह देख अर्जुन ने कहा है मधुसूदन! इस समय अपना सारा परिवार शोक में डूबा हुआ है और आप नाच रहे हैं, आखिर इसका क्या रहस्य? भगवान कृष्ण मेरे आज सचमुच आनंद का समय घटोत्कच की मृत्यु का मुझे उतना शोक नहीं, जितना ही तुम्हारे बच जाने की प्रसन्नता है । इन्द्र ने करने से कवच कुंडल तो दान में ले लिए थे, किंतु वे उसी मोड शक्ति दे गए थे । शक्ति के रहते कोई भी करने को नहीं मार सकता था, जबकि करणों शक्ति से मेरे प्रिय अर्जुन को मार सकता था । आज उस समूह शक्ति का प्रयोग घटोत्कच पर क्या इसी कारण तुम्हारे प्राण बच जाने पर मैं प्रसन्न हूँ? नहीं घटोत्कच के मरने की शोक की बात । वो राक्षस वो पापात्मा था । वह सरकारी का विरोधी और और यह क्यों का नाश करने वाला था । ऐसे को नष्ट करने को मैं स्वयं ललायित रहता हूँ । फिर भी घटोत्कच महावीर था और वह धर्म, वार, सारांश, वहाँ सत्कार्य का विरोधी और यह ग्रहों का नाश करने वाला था । ऐसों को नष्ट करने को मैं स्वयं ललायित रहता हूँ । फिर भी घंटो संघर्ष महावीर था और वह धर्म सत्य की ओर से युद्ध करता था । अतः उसमें मृत्यु के पश्चात श्रेष्ठ गति प्राप्त की है । उसके श्रेष्ठ गति के कारण मैं शोक नहीं कर रहा हूँ । सारांश वर्तमान की स्थितियों, वर्षो को दुःख न करके भविष्य के शुभ परिणामों का सुषमा दृष्टि से सोच विचार करना चाहिए तथा संयम रखना चाहिए । दर्शनम् कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् । अर्थात हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का वास है । बात के मध्य में सरस्वती का वास है । पांच के नीचे ब्रह्मा कवास है । अच्छा सुबह होते ही अपने दोनों हाथों के दर्शन करें । कल्याण होगा चैप्टर एटी थ्री प्राणों की रक्षा एक बार की बात है कि बिजली पैदा करने वाला पानी का बांध टूट गया । आस पास के क्षेत्र में पानी फैलने लगा । लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने गांव छोडने लगे । देखते ही देखते सारा क्षेत्र खाली कर दिया गया परंतु एक व्यक्ति ने जाने से इंकार कर दिया । लोगों से भर एक बस उसके घर के द्वार पर आकर रुकी । मगर भगवान मेरी रक्षा करेंगे कहकर उसने बस में बैठने से मना कर दिया । पानी का स्तर तेजी से ऊंचा हो रहा था तथा दूसरी मंजिल दर्जा पहुंचा तभी एक लावा पहुंची । मगर इस बार फिर उस व्यक्ति ने पहले वाले शब्द कहकर नाव पर न चढा तथा नाव को वहाँ से वापस भेज दिया । पानी निरंतर ऊपर की ओर बढा था । दूसरी मंजिल भी डूबने पर व्यक्ति छत की ओर भागा । तभी हेलीकॉप्टर अंतिम बचाव दल के रूप में आया । उस व्यक्ति ने फिर कहा, भगवान मेरी रक्षा करेंगे तथा सवार नहीं हुआ । अंत में वही हुआ, जो होना था । वो व्यक्ति डूबकर प्राण त्याग दिया । व्यक्ति पर लोग में भगवान से बहस करने लगा कि मेरे प्राण आप पर भरोसा करने से ही गए तथा मेरे प्राणों की रक्षा क्यों नहीं कि भगवान बोले अरे भलेमानस, बस लाओ तथा हेलीकॉप्टर मैं नहीं भेजे थे । तो मैं बचाने के लिए सारांश कर्म करना ही जीवन आधार है । गाॅव ऍम चाहते हो शॅल ऍम ऍम मालिक ट्रॅाली इनिशल इआॅन बाॅन्ड अथॅरिटी फॅालो डाॅक् शुड ऍम ऍम वर्सिटी मॉल ऍफ ऍम चरित्र । मनुष्य की महानता उसके चित्र से नहीं बल्कि चरित्र से आप की जाती है । ऍफ उपदेश स्वामी रामदास जी भिक्षा मांगते हुए घर के सामने खडे हुए और आवाज लगाई रघुवीर समर्थ घर की श्री बाहर आई और कहा महाराज जी कोई उपदेश दीजिए । स्वामी बोले आज नहीं कल दूंगा । दूसरे दिन स्वामी जी ने पुनः घर के सामने आवाज लगाई रघुवीर समर्थ । उस घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनाई थी । वो खीर का कटोरा लेकर बाहर आई । स्वामी जी ने अपना कमंडल आगे कर दिया । वहाँ इस्त्री जब खीर डालने लगी तो उसने देखा कि कमंडल में कूडा तथा गोबर पडा है । उसके हाथ ठिठक तथा बोली महाराज या कमंडल तो गंदा है । स्वामी बोले गंदा तो है किन तो खेर इसी में डाल दो । स्त्री बोली नहीं महाराज, तब तो खेल खराब हो जाएगी । दीजिए । ये कमंडल मैं से शुद्ध कर लाती हूँ । स्वामी बोले मतलब जब ये कमंडल साफ शुद्ध होगा, तभी के डालेंगी तो जी यहाँ स्वामी बोले, मेरा भी यही उपदेश है । मन में जब तक चिंताओं का कूडा कर्कट और बुरे संस्कार रूपी गोबर भरा है, तब तक उद्देश्य अमृत का कोयला नहीं होगा । मान स्वच्छ हो तथा छह संस्कारों से ओतप्रोत हो तभी सच्चे उस देश में आनंद की अनुभूति हो सकती है । गीता सार क्यों गैर चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो, कौन में मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है । जो हुआ तो अच्छा हुआ । जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है । जो होगा वहाँ भी अच्छा होगा तो भूत का पश्चताप ना करो । भविष्य की चिंता ना करो । वर्तमान चल रहा है तुम्हारा क्या तो तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो । तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो लिया इसी भगवान से लिया, जो दिया इसी को दिया, खाली हाथ आए, खाली हाथ चले जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था । परसों किसी और का होगा तो मैं ऐसे अपना समझकर मग्न हो रही हो । बस प्रसन्नता ही तुम्हारे दुखों का कारण है । परिवर्तन संसार का नियम है, जिसे तो मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है । एक क्षण में तुम करोडों के स्वामी बन जाते हो । दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो । मेरा तेरा छोटा बडा अपना पराया मन से मिटा दो, विचार से हटा दो, फिर सब तुम्हारा है । तुम सबके हो नहीं, शरीर तो मारा है न तुम शरीर की हो । यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा । परंतु आत्मा स्थिर है । फिर तुम क्या हो तो मैं अपने आप को भगवान को अर्पित करो । जो कुछ भी तू करता है उसे भगवान को अर्पण करता चल ऍम अल ऍम बाॅर्डर उमारोव । एक्सॅन ऍम इस बाॅबी स्टाउट न्यूमेन आॅलआउट बाॅय ऍम ऍफ ग्रीवंस पेन प्रशंसा ऐसे आदमी पर कभी विश्वास न करो जो प्रशंसा के पुल बांधते चैप्टर एटी सेवन ये जिंदगी के रास्ते ये जिंदगी के रास्ते केवल तुम्हारे वास्ते मैं सोचता था एक दिन केवल तुम्हारे इस नहीं की अमराइयों में घूम कर केवल तुम्हारे रूप की परछाइयों में झूमकर सब्बी जाएगी । उमर मैं सोचता था एक दिन केवल तुम्हारे केशों के स्निग्ध निशानों पर लहर केवल तुम्हारी दृष्टि से घुलती दिशाओं में ठहर केवल तुम्हारी गोद में हारा था का सशीर्षक घर कट जाएगा सारा सफर मैं सोचता था एक दिन यहाँ देख मुरझा जाएगी ये प्राण जाएंगे बिखर विश्वास था तो उनसे अलग होना जहर हो जायेगा खोया था तो मैं तो जिंदगी का हर सत्य भी हो जाएगा पर आज ये सब झूठ है तब झूठ था अब झूठ है तो दूर हो मसले की अमराइयों भी दूर है परछाइयां भी दूर है गहराइयां भी दूर है सांसे तुम्हारी दूर है बाहर तुम्हारी दूर हैं मंजिल तुम्हारी दूर है रही तुम्हारी दूर है तुम तो नहीं पर मौत की तस्वीर मेरे साथ है । हर चाह को बांधे हुए तकदीर मेरे साथ है । फिर भी अभी मैं जी रहा यही नहीं मैं सोच आगे और जीने गिरा अभी देखता हूँ जल्दी ही ये प्यार से ज्यादा बडी दो लोचनो कि अ शुरू में मनोहर से ज्यादा बडी इसमें हजारों मील लाखों मिल रेगिस्तान है । फिर भी किसी उम्मीद पर चलता यहाँ इंसान है । उम्मीद हो जो साथ रहने तक नहीं सीमित यहाँ हर व्यक्ति केवल प्यार पाकर ही नहीं, जीव ितियां हारा थका सा शीर्ष पत्थर पर किसी तरूछाया ओ में रखकर जरा सी देर चलता है मरन की राह में यहाँ जिंदगी का सत्य सच मानो कि तुम से भी बडा इस तक पहुंचने को मनीष होता रहा गिर गिर खडा इस सत्य के आगे मुरझाना और खेलना एक है इस सत्य की आगे सभी धरती विजय का पात्र है । इस सत्य के आगे सभी धरती फिर उदय का पात्र है मेरा तो महारस ने इस पद की इकाई मात्र है माना हमारे इस नहीं में कोई कमी होगी नहीं माना हमारे दीप की कम रोशनी होगी नहीं लेकिन किसी भी रोशनी को बांध लेना पाप है आपने हिरदय का सह दुनिया को न देना पाप है जोधौली कर आये हमारी राह में सोना बने अपना पराया अपना हो कोई हमारे सामने तुमने दिया सर्वस्य मुझे भी जरा ये दान लोग इस सत्य को चाहता हूँ आज तुम भी मान लो मानव जमानों तुम सही पर सोचता हूँ मैं यही सारांश ये जिंदगी के रास्ते सारी धरा के वास्ते एक उंगली जगह में एक उंगली किसी की ओर करते हैं तो ध्यान रहे बाकी तीन उंगलियां अपनी ओर ही होती है चैप्टर एट एट जूट एक बार कॉलेज के चार छात्र देर रात तक खेलते रहे । दूसरे दिन होने वाली परीक्षा की तैयारी बिलकुल नहीं की । दूसरे दिन सुबह उन्होंने योजना बनाई । चारों ने अपने कपडों शरीर पर गृहस् धूल मिट्टी के दाग लगा ली । फिर वैसे ही हालत में चारों कॉलेज के दिन के पास पहुंचे और कहा कि पिछली रात में लोग एक शादी में गए तभी लौटते वक्त उनकी कार का पहिया फडिया और पूरे रास्ते कार को धकेलकर लाये । इसीलिए मैं किसी स्थिति में नहीं है की परीक्षा दे सके । उनकी हालत को देखते हुए डीन ने उन्हें मोहलत देते हुए तीन दिन बाद फिर से टेस्ट परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी । चारों छात्रों ने दिन का धन्यवाद किया तथा अगली परीक्षा की तैयारी का आश्वासन दिलाया । तीन दिन बाद विचारों टीम के सामने प्रस्तुत हुए । डीन ने उनसे कहा, आप लोगों के लिए विशेष तौर पर आयोजित की गई परीक्षा है । अच्छा आप चारों को अलग अलग कमरों में बैठना होगा । चारों को उन अलग अलग कमरों में बैठाया गया, विमान गए क्योंकि उन्होंने भलीभांति तैयारी की हुई थी । परंतु इस बात से अंजान थे की टेस्ट के माध्यम से उनका भविष्य तय होने वाला है । एस परीक्षा के पेपर में सौ के केवल दो ही प्रश्न थी आपका पूरा नाम अंक दो, कौन सा टायर फटा था । अंक आगे का बाया आगे का दायां पीछे दबाया । पीछे बताया, ये आई । आई टी मुंबई के बैच के की सच्ची घटना है । चारों तेल हो गए थे । सारांश झूठ के पास नहीं होते । यहाँ तो टायर पूछा गया तो डाल डाल मैं पात पात मूविंग ऍम ऍम और हम आई टू क्रेट्स ग्रेट बोल्ड आॅवर शाल प्रेस वर्ष मैथेड वाॅक ले पचौली नीचे ऍप्स वायॅस टॉर्चर हट राॅड कौशि । बॅाक्स वेनिस गुड ऍम हाउ शी यूजेज पहुंॅच आॅलआउट नीचे फॅस । टूटे कमान अंशी कमान अनुभवी कमल वन नाॅन ट्रॅफी ट्राइ ऍम फुटबॉल हर सोल टुकडे सौ इलाज अनमोल ऍम हाउ शी गोथॅर्ड ऍम बेटी बिगबाॅस दो जीनियस ऑफिस लाइटिंग ऍम मेक्सिम लोन लेंगे सौदा ऍफआईआर की प्लांड दो ही में नॉट अन्य स्टान गिर जनता शंटो । कमान ऍम ऍम अमान ऍम ऍम वाॅशिंग गोल लाॅट मिक्स जंगल डाॅॅ डाॅट काॅम क्लाइंबर पारिश खुशी से वह छापा पर वो अच्छा वेज नीचे प्लाॅट कुछ भी आॅनलाइन ऍफ कॉल हम लाइन ऍम ये ऍम स्पीडिंग ब्लॅड लिफ्ट ऊॅट लोग दिखाई से लोग दृश्य आउट डॅाल लीडर आउट ऑॅपरेशन डॉ थी कम्पलीट टन एशियन दे नॉट नीचा शो हम प्लान फॅस फाउंडर ॅ बीजिंग ऍम चैप्टर नाइंटी कल करे सौ आज कर एक बार दरबार खत्म होने पर धर्मराज युधिष्ठर अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ वार्तालाप कर रहे थे । तभी द्वारपाल ने उन्हें सूचना भी की दो थी उनसे मिलना चाहते हैं । युधिष्टर ने द्वारपाल से कहा उन्हें दूसरे दिन आने के लिए कह दो । बीम वहाँ से उठ गया तथा जाकर महल का बडा सा घंटा बजाने लगा । यहाँ घंटा तभी बजाया जाता था जब कोई सूचना हो । नागरिक इकट्ठे हो गए तथा यू नेशनल ने भीम से घंटा बजाने का कारण पूछा । इसपर भीम नागरिकों को संबोधन कर कहने लगे हे प्रजाजनों! हमारी राजा तो यमराज से भी महान हो गए हैं । युद्धिष्ठर क्या कह रहे हो, साफ साफ क्यों नहीं कहते? भीम ने उत्तर दिया, महाराज, आपने उन अतिथियों को कल आने को कहा । इसका यह अर्थ हुआ कि आपको पूरा विश्वास है कि कल तक आप जीवित रहेंगे जबकि वास्तविकता यहाँ है । मनुष्य को बिल्कुल भरोसा नहीं है कि दूसरे दिन क्या घटित होने वाला है । आपका उनको कल बुलाना यहाँ सूचित करता है कि अवश्य ही आप कल इस भूतल पर रहेंगे । धर्मराज को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने उसी समय उन दोनों तिथियों से भेंट की । कल करीब आवाज कर आज करे सो अब पल में पहले आएगी फिर करेगा कब नेवर पुट ऍफ टोमॅटो काम

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Sound Engineer

This book is a compilation of short stories studded with several morals, thoughts filled with immortality and experience that should be passed on to every generation. The book will be eagerly sought after for its literary value as this is really a paragon of virtue. The compilation of many ingredients makes the book worthful so let’s taste with great relish. The title implies a strong connection between the permanent knowledge and reader’s mind. Based on reason , fact and logic, a great synchronization of radiance of different gems will make one’s life valuable. Voiceover Artist : RJ Bhagyashree Author : RK Dogra
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