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चाॅस बात उस समय की है जब बिजली नहीं होती थी । एक राजा रात के समय बाजार का वातावरण जानने के लिए बाजार में भेष बदलकर घूम रहा था कि अंधेरे में किसी से टक्कर हो गई । अगले दिन राजा ने राज्य में यह मुनादी करा दी है । रात के समय जो भी बाजार में आए, उसके हाथ में लालटेन होना जरूरी है । कुछ समय बीत गया कि अचानक राजा की ठीक उसी आदमी से फिर टक्कर हो गई । राजा ने पूछा क्या की लालटेन कहा है तो उस आदमी ने हाथ ऊपर करके एक लालटेन दिखा दी । रजत जब जब आगे बढ गया तथा अगले दिन फिर मुनादी हुई । रात के समय हाथ में लालटेन होनी चाहिए तथा लालटेन में मोमबत्ती होनी चाहिए । फिर एक दिन अचानक राजा की उसी आदमी से टक्कर हो गई । राजा की पूछने पर उसने हाथ ऊपर करके एक लालटेन दिखा दी तथा कहा कि मोमबत्ती लालटेन के बीच खडी है ध्यान से देखने पर दिखाई देगी । अब तीसरी बार राजा ने मुनादी कराई । रात के समय बाजार में घूमने पर हाथ में लालटेन होनी चाहिए तथा लालटेन में मोमबत्ती हो तथा मुंबई पीठ जल्दी होनी चाहिए । सारा क्यों नहीं कहा हाथ में रोशनी होनी चाहिए । यदि राजा ने पहले ही मुनादी में ये कहलवाया होता कि रात के समय जो भी बाजार में आए उसके हाथ में जलती हुई लालटेन जरूरी है । ऐसा करने पर न तो बार बार मुनादी करानी पडती और ना ही मोमबत्ती तेल । ये किसी और साधन से लालटेन जलाने का चक्कर पडता । अतः हमें आदेश देने से पहले हर दृष्टि से उसे पूरा करने पर कर सकने या नहीं कर सकने के बारे में विचार ना चाहिए । लव मैरिज लंबार्इ ऍम फॅस फॅार जवाब एक शिकारी ने शिकार किया । हुआ बगुला आपने रसोइयों को बनाने के लिए दिया तथा कहा थोडी देर में आता हूँ । अच्छे से भूनकर पकाकर तैयार करो । रसोई ने बगुला भून कर तैयार करके थाली में परोस कर रख दिया । मनी मनी सोचने लगा कि स्वाद तो देखो कि कैसा बना है थोडा सर? चखा तो स्वाद लगा तो थोडा और और तथा थोडा और ऐसा करते करते पता चला जब एक टांग लिखा गया । रसोई ने बगुले को पलट कर दूसरे तंग ऊपर करके सवारकर रख दिया । मालिक ने आकर बगुले को देखा और पलट दिया तो एक टांग गायब थी । रसोइये को पूछा तो रसोइया भोलापन से बोला साहिब! बगुले की एक ही होती है । मालिक उसे पास के तालाब पर ले गया । शाम हो रही थी । सभी बगुले एक ही टाइम पर खडे थे । झट से रसोइया बोलता था सही वो बबलू की एक ही टाइम तो है । मालिक ने कहा ठहरो अभी दूसरे तंग भी दिखाता हूँ । ऐसा कहकर उसने जोर से ताली हमारी आवाज सुनकर बगुले होने लगे तो मालिक ने कहा वो देखो दो दो टांगे हरेक बोलेगी । इस पर सोया बोला साहब तो फिर आपने थाले पर ताले क्यों नहीं हमारी इस पर मालिक भी मुस्कुराये बिना रहना सका । सारांश हाजिरजवाब होना भी एक कला है । इसे तो फैसला झटपट हो जाता है और दूसरा तनाव की स्थिति भी समाप्त हो जाती है और कभी कभी तो हाजिरजवाब गुदगुदा भी जाता है । फॅमिली ऍम लाइक वाइॅन् वो पी फाॅल भिलाई को तो लेना । फॅमिली दिल्ली को कंटी तब चूहों की महफिल चल रही थी और बाद यही पर्यटक गई की बिल्ली को घंटे कौन बांधी । तभी छोटा चूहा छाती तान खडा हो गया तथा बोला बिल्ली को घंटे मैं बात दूंगा बाकि सभी उसकी हंसी उडाने लगे । वो छोटो चुहा उठा तथा बाजार की तरफ चल पडा । वहाँ से उसने एक घंटी, रस्सी वही दवा खरीदी जिस घर का दूध अक्सर बिल्ली पी जाया कर दी थी । वहाँ पहुंच गया । उसने दूध के पतीले में दवा डाल दी थी तथा घंटे में रस्सी बांध कर छुप कर बैठ गया । रोज की तरह दिल्ली आई तथा दूर चट कर गई । अभी थोडी दूर ही गए कि बेहोश होकर गिर पडी । छोटो ये चुपचाप देख रहा था । झट से आया तथा झटपट घंटे मांझकर वो भाग गया । बिल्ली को जब हो शायद उसके गले में घंटी थी और वह छोटू अभी रो बन गया था । तभी तो किसी ने सच कहा है । अकल बढिया गेस्ट ऍम बिल्ली के जन्मदिन पर एक छोटा सचिव हुआ । एक गेस्ट बात के साथ दिल्ली के पास आता है । जो हाँ बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी देखा तो मैं आपके लिए क्या लाया हूँ? बिल्ली वो गिफ्ट पैक लेकर खोलती है । बीच में बडी घंटे देखकर हैरान होकर पूछते हैं क्या ये घंटे मेरे लिए हैं? चुप खुशी से झूमता हुआ मौसी यहाँ ये आपके लिए ही है । बिल्ली खुशी खुशी वो घंटी गले में बांध लेती है । घंटी बंद गए वो भी प्यार से । सारांश अपने बच्चों को अपने से छोटों को भी अपना जौहर दिखाने का मौका देना चाहिए । लास्ट की नाॅक चैप्टर फिफ्टी फोर मन को खेद स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों से मन को सादा वर्ष में रखो । यहाँ बहुत चंचल है और सब बुराइयों की जड है । पता है इसे जीतना ही है । एक दिन स्वामी जी ने अपने शिष्यों से कहा मेरा मन खीर खाने को करता है अतः आज इस खेल बनाई जाए । शिष्य आपस में हमें स्वामी जी कुछ कहते हैं और आपको चौरी कर रहे हैं । फिर भी खीर बनाई और कटोरी में डाल कर ले आए । स्वामी जी ने कटोरी वापस कर दी तथा कहाँ की खीर बांटे मिलाओ । आज मैंने अपने मन को खीर खिलानी है । शिष्य बडे से बर्तन में खीर भर कर लिया । स्वामी जी ने उसी में खीर खाना शुरू कर दिया । खाते खाते कंट्री तक खा गए, फिर भी खाते गए, उबकाई आ गयी । वो भी उस बांटे में गिरी । परन्तु स्वामी जी वो आपका हाईवे खेर की तरह खा गए । फिर आपका ये आई फिर उसी तरह खा गए । फिर तो यही हाल था कि उबकाई आती मुखा जाते । इसी तरह वो खाते उप गाते निढाल होकर बेहोश हो गए । शिष्य हैरान परेशान होकर ये सब देख रहे थे । शिशियों ने स्वामी जी को पहुंचा तथा साफ किया जब वो शायद शिष्य इकट्ठे होकर कहने लगे स्वामीजी खीर खीर सुनना ही था कि स्वामी जी को फिर उसका या गई कि आज तब स्वामी जी ने सब शिष्यों को बताया कि आज मान ने वो खीर खाई । अभिमन् कभी खीर नहीं मांगेगा । सारांश महान लोग भी आम लोगों की तरह ही होते हैं परंतु उनका काम करने का ढंग आम नहीं, अभी तो महान होता है । गृह ऍम, डिफरेंट पीपल, मध्यवर्ग, फॅमिली, हीरा, िरा विशेष कुछ नहीं । कोयले का वो टुकडा होता है जिस पर भारी दबाव डाला गया था । चाॅस प्रेम ही प्रेम, चिडिया, हवा, समुद्र और सारी प्रकृति आपने रचयिता की प्रशंसा में गीत गाते हैं । क्या मैं उसके बच्चों के सामने यही गीत नहीं जा सकता? आज से मैं इस रहस्य को याद रखूंगा और यहाँ मेरा जीवन बदल देगा । मैं अपने दिल में प्रेम भर कर दिन की शुरुआत करूंगा । मैं किस तरह काम करूंगा? मैं हर तरह के इंसान से प्रेम करूंगा क्योंकि हर एक में कोई ना कोई अच्छी बात तो होती है । चाहे वो हमें पहली नजर में दिखाई नदी, मैं संदेह और नफरत की उस दीवार को ये उन्होंने अपने दिल के चारों ओर बनाई है । अपने प्रेम से तोड दूंगा और इस दीवार की जगह पुल बनाऊंगा जिसके माध्यम से मेरा प्रेम उनकी आत्मा तक पहुंच सके । मैं महत्वाकांक्षी लोगों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि उनसे मुझे प्रेरणा मिल सकती है । मैं असफल लोगों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि मैं उनसे शिक्षा ले सकता हूँ । मैं राजाओ से प्रेम करूंगा क्योंकि वे सिर्फ इंसान है और मैं विनम्र लोगों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि वे ईश्वर के प्रिय है । मैं अमीरों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि वे बहुत थोडे हैं और मैं गरीबों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि वे बहुत सारे हैं । मैं युवाओं से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि उनमें विश्वास है और मैं बुजुर्गों से इसीलिए प्रेम करूंगा क्योंकि उनके पास जीवन भर का निचोड है जिसे वे दूसरों के साथ बांटते हैं । इस तरह से मैं सुंदर कुरूप, लंगडे लूले सभी से प्रेम करूंगा, प्रेम करूंगा, वहाँ प्रेम ही करूंगा । सारांश भगवान सेव भगवान की रचना से भी प्रेम करो या फिर उसको तेल जैसा प्यार करो । जो मालिक की डांट झपट्टामार सहकर मालिक, वो उसके परिवार के सदस्यों को प्रेम ही प्रेम करता है । आपस वन किनका उनका नंबर अब सी ऍम अटवान कर्नाटका उनके नाॅक चाॅस मातृभाषा अकबर के दरबार में एक बहुभाषी आया । जिस भाषा में उससे कोई प्रश्न पूछता रोज भाषा में उत्तर दे देता । अंत में उसने राजस्य का की क्या? दरबार में ऐसा व्यक्ति है जो यहाँ बता सके कि मैं किस प्रांत का रहने वाला हूँ तथा मेरी क्या मातृभाषा है । बात वीरबल तक पहुंची तथा उसने इसके उत्तर के लिए समय मांग लिया । जब तक वह बहुभाषीय दरबार में मेहमान बनकर रहेगा, यह भी निश्चित हो गया । मेहमान बाजी से वो खुश होकर व्यस्त व निश्चित हो गया । जिस दिन दरबार में वीरवल ने हाजिर होना था, पिछली रात वीरबल ने उस सोये हुए बहुभाषीय पर पानी का एक ग्लास गिरा दिया । वो हडबडाकर उठ बैठा और बोलने लग पडा । कुछ कुछ अगले दिन दरबार में समय पर बीरबल हाजिर हो गया । अकबर के पूछने पर उसने बताया कि बहुभाषीय व्यक्ति गुजरात का रहने वाला है । अगर ने पूछा कैसे? तो बीरबल ने बिस्तर पर से बताते हुए कहा रात को सोते हुए जब इन महाशय पर पानी गिरा तो हर बढाकर ये अपनी भाषा गुजराती में बोल उठे और वही इन की भाषा है और गुजरात प्रांत है । बीरबल का समाधान ठीक था । सारांश, ट्राइसेप्स, रियल डाॅक्यूमेंट पर्सनालिटी ऍम इंडिया, थाउजेंड स्पॉट्स, विजिट वेट ऍफ फाइन मीडिया ऍम आदमी सबकुछ हजम । एक बार एक सर्कस का शेर छूटकर वापस जंगल में पहुंच गया । जंगल के सभी जानवर इकट्ठे होकर शेर से पूछने लगे कि हमें भी आदमी के बारे में बताओ । आप तो उन के बीच में रह कर आए हो । खेल तो ध्यान से सुनो । वो दो टांगों वाला जानवर बहुत ही भूका खतरनाक दे रहे क्या क्या ना कहूँ । एक बार मैंने अपने मालिक की जेब में पंजाब डाला तथा एक रुपये का सिक्का मिला । मुझे खयाल आया कि मालिक कहता था कि वह पैसा चट किया कि वह पैसा चट कर गया तथा मैंने भी उस सिक्के को चार्ट नारंग क्या और चाट तरह परन्तु कोई स्वाद नहीं था । फिर मालिक की सुनी सुनाई बातों से खयाल आया कि किसी के खाते के रुपये चूस ले तो मैंने वो सिक्का जो उसने शुरू किया परंतु जी पर छाले पड गए । चबाने का खयाल आने पर सिक्का जवाना शुरू किया परंतु मेरे दांत दर्द करने लगे । सुना था की वो रुपया सुना था की वह रुपये हडप गए । सुना था की वो रुपये हडप गया तथा मैंने भी ये सिक्का हडप लिया । यानि अंदर कर लिया । राम कसम उस दिन से पेट में दर्द रहता है । सारांश धन्य है । वह दो टांगों वाला जानवर यानी आदमी जैसे कुछ भी नहीं होता और सब कुछ हजम कर जाता है । जी विज्ञान जीप का जब सबसे जल्दी भरता है विद्वान परन्तु जीत कर दिया । जख्म कभी नहीं भरता । ऍम एक पर दुर्वासा मुनि भगवान श्रीकृष्ण के पास पहुंचे । उनकी सारे जगत में यह क्या आती थी कि कम में जरा भी चूक होने पर वे भयंकर क्रोध करते थे और शराब तक दे देते हैं । श्री कृष्ण ने उनकी चरण वंदना की और सेवा किया गया मांगी । उन्होंने कहा मैं खीर खाना चाहता हूँ, जब तक स्नान करके लौटो प्रबंधन करो । मुनि स्नान से लौटे तो स्वादिष्ट खीर तैयार थी । मुनि ने खीर खाई तब तक श्रीकृष्ण करबद्ध उनकी सेवा में खडे रहे । पात्र में जब जरा से खीर बच्ची तो मुनि ने उसे श्रीकृष्ण को दिया और आज्ञा दी । बची हुई खीर का अपने शरीर पर लेप करले । श्रीकृष्ण पेड के आठ में गए । श्री कृष्णा एक पेड की ओट में गए और पूरे शरीर पर मुनि के आज्ञानुसार खेल का लेपन कर लिया । लेपन के बाद जैसे ही श्रीकृष्ण होने के समक्ष पहुंचे मोदी ने उन पर दृष्टि डाली । मोदी ने उन पर दृष्टि डाली आशीष दिया कि तुम्हारी शरीर का विभाग जिस पर मेरा जूठन लगा है, मेरी दृष्टि पढने के बाद वजह का हो गया है लेकिन तुमने एक चुप कर दी । अपने पैरों के तलवों पर खेल लगाना भूल गए । अतः पैरों के तलवों कि ब्रज ना बनने के कारण आपको खतरा होगा । यह महाभारत के पश्चात श्रीकृष्ण के तलवे में बहेलिया का बाढ लगा था और श्री कृष्णा प्रभास तीर्थ में दिव्यज्योति मिली हो गए । सारांश स्माॅल हम कोई भी काम करें सौ प्रतिशत पूर्ण होना चाहिए कमी का परिणाम भुगतना ही पडता है मेरा लडका अच्छा दो औरते आपस में बात कर रही थी एक बोली मेरा लडका जब बांसुरी बजाता है तो कृष्ण मुरारी लगता है और तेरे मोरियों काम ही कोई नहीं । सारा दिन टी टी चलता रहता है । चाॅस चालाक लोमडी कोई के मूड में पनीर का टुकडा देखकर लोमडी बोली तो कितना सुन्दर व मधुर जाते हो । एक गाना ही सुना दो । कोविंद खुश होकर गांव गांव की पनीर का टुकडा गिर पडा लोमडी पनीर खा गई हुआ छला महसूस करता रहा लोमडी कौवे भाई आप तो आज दिखाई दिए मैं तो आप के गाने के लिए दर दर भटक रही हूँ । गोवा मन ही मन सोचता है ये लोमडी बडी दूर है इसलिए सादा ही फुसलाकर हमारे पूर्वजों से पनीर सेना है परन्तु ऐसा नहीं होगा । लोमडी की बातें अनसुनी कर दी लोमडी फिर बोली क्या आपको मालूम है कि बडे बडे गीतकारों में भी आपके गीतों की चर्चा होती है । आपकी मधुरवाणी में जो लोग है वो और कहीं नहीं । यहाँ तक कि विश्वविद्यालयों में आपकी आवाज गीतों पर अनुसंधान हो रहा है और मैं वीसी लासा से आपकी खोज में यहाँ पहुंची हूँ तो वह जला कर बोला आप झूठ बोल रही हो तभी पनीर का टुकडा नीचे गिर पडा । लेकिन लोमडी ने पनीर की ओर देखा तक नहीं तथा वो ऊपर की ओर करके कहने लगी आप सोच रही है कि मैं अपने पूर्वजों की तरह पनीर खाकर चली जाऊंगी परन्तु ऐसा नहीं मैं तो आपका गाना सुनकर ही जाऊंगी । चाहे इसके लिए मरनव्रत ही क्यों ना करना पडे । कांग्रेस मन ही मन सोचा कि सचमुच इसमें पनीर नहीं खाया हो । ये सचमुच मेरा गाना सुनना चाहती है । इससे पहले में गाना सुनाओ क्यों ना पनीर को ही उठालो पता बोला यदि ऐसी बात है तो साथ लगते तालाब में नहा कर आ जाओ तब मैं आपकी मर्जी अनुसार गाना सुना होगा । लोमडी मुझे आप का गाना सुनने के लिए कुछ भी करना पडे करूंगी । ऐसा कहकर वो ताला की ओर चल पडी । क्या झुकते ही करवा पनीर को उठाने के लिए नीचे आया पनीर में डालकर उडने ये वाला था की लोमडी झटपट पीछे मुडी और कौवे को ही मुंबई भर लिया तो वह को दातों तले दबाकर बोली । हमारे पूर्वज मंदबुद्धि थे तथा पनीर के छोटे से टुकडे से खुश थे । मैं तो पहले तुमे खाउंगी तथा बाद में बनी सारांश इस परिवर्तनशील संसार से हमें भी अपने ढंग में परिवर्तन लाने चाहिए ताकि हम भी समय के साथ चल सके । विद्या विद्या बोधन है जिससे चोर भी नहीं चला सकता । अभी तू बांटने से बढता है विद्या के भंडार की बडी अपूर्वा बाद जो खर्चे त्यो त्यों बडे बिन खर्चे घटी जाती चैप्टर सिक्सटी मीठे बोल महाभारत के शान्ति पर्व में एक कथा है । एक पर एक बुद्धिमान भ्रमण का राक्षस से सामना हो गया । राक्षस की इच्छा थी कि ब्रह्मण को पकडकर भोजन बनाया जाए । जैसे ही राक्षस ने अपनी इच्छा व्यक्त की ब्राह्मण न तो घबराया नहीं, दुखी हुआ । उसने स्थिति भाग कर राक्षस की प्रशंसा प्रारंभ कर दी तथा कहा हे राक्षसराज आप गुणवान, विद्वान तथा विनम्र है । किंतु सम्मान प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं । कदाचित् इसी कारण दुबले हैं तथा क्रोधित भी रहते हैं । कहीं ऐसा तो नहीं कि अज्ञानी और अयोग्य लोगों को सम्मानित होते देख पीडित रहने से आप दुबले रहे गए हैं । राक्षस को कुछ समझ नहीं आया । उसे भूख लगी थी तथा वहाँ ब्रह्मण को खाने के लिए आतुर था । राक्षस का इरादा देख ग्रामर ने फिर हिम्मत नहीं हारी । उसने लगातार राक्षस की प्रशंसा करते करते उलझाए रखा और उसका ध्यान अपनी ओर से भंग करने का प्रयास जारी रखा । आखिर कुछ देर बाद सफलता मिली । सम्मान और मधुर वचनों से राक्षस पसीजा और ब्राह्मण को मुक्त कर दिया । राक्षस को भी समझ में आया कि दूसरे के प्राण हरने से श्रेष्ठ है उनका सम्मान पाना और मधुर संभाषण कर दूसरों का साथ पाकर स्वयं भी सुख प्राप्त करना । तब राक्षस ने ब्रांबले से मैत्री कर ली और कई उपहार देकर उसे विदा किया । इस घटना ने राक्षस की जीवन शैली ही बदल दी । सारांश जीवन में सारा मामला दूसरों को सम्मान देने और मधुर सम्भाषण करने का है । बुराई यदि मेरा दिल किसी की बुराई करने को करें तो मैं इतनी जीव गाठों
Sound Engineer
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