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चैप्टर एक केस संतोष एक अमेरिकी पत्रकार भारत यात्रा पर आया । उसने बाजार में सडक किनारे मिट्टी के कलात्मक बर्तन, मूर्तियां और कुछ अन्य सुंदर कलाकृतियां सजी हुई रखी । देखी तो बहुत चकित हुआ । बहुत देर तक मंत्रमुग्द जैसा एक एक वस्तु को देखता रहा । अंत में उसकी नजर मिट्टी की कलाकृतियों वाली उस दुकान के मालिक पर पडी जो एक तरफ जमीन पर एक बोरा बिछा कर दीवार से सहारा लेकर बैठा था और उदासीन भाव से ग्राहकों को देखते हुए पंखा झल रहा था । अमेरिका पत्रकार कई बार महारत आ चुका था और टूटे फूटे ढंग से हिंदी बोल लेता था । उसने दुकानदार से कहा वेल टू कितना उठाये फिर भी मामूली आदमी के माफिक जमीन पर बैठा है । वो दुकानदार बोला तो फिर क्या करूँ? पत्रकार बोला कुछ प्रोपोगेंडा करना, मंगता पब्लिसिटी करना मांगता । सेल्स प्रमोशन का वास्ते कुछ टिक नाम करने को मांगता । दुकानदार बोला उससे क्या होगा? पत्रकार बोला तुम्हारा चढ की होगा पब्लिक को तुम्हारे आज के बारे में पता चलेगा तो तुम्हारा आइटम ज्यादा बिकेगा । तुम कारखाना लगाएगा, इंडस्ट्रलिस्ट बनेगा । दुकानदार पंगे से मक्खियाँ उडाते हुए बोला फिर क्या होगा? पत्रकार बोला तुमारा मालिक स्पोर्ट होगा, तुम बडा आदमी हो जाएगा । सैकडों लोग तुम्हारा काम करेगा और तुम आराम से बैठ कर मजा करेगा । ये सुनकर वो दुकानदार बोला वो तो मैं आज भी मजा कर रहा हूँ । मुझे मेरे परिवार को जितना चाहिए उतना में मजे से कमा रहा हूँ और मजा कर रहा हूँ । अब और मुझे क्या चाहिए । मेरे पास संतोष है । सारांश जब धन की कमी होती है तो नम्रता होती है और ईमानदारी से धन कमाने की इच्छा होती है । जब जरूरत से ज्यादा धन एकत्रित हो जाता है तो अहंकार स्वभाविक है तथा समाज में दबदबा बढ जाता है । वही अब जीरो से हीरो बन जाता है । ज्यादा एकत्रित अहंकार वर्धन गलत कामों के लिए प्रेरित करता है और न जाने क्या क्या गलत काम हो जाते हैं । इसी क्रम में वो फिर से वहीं पहुंच जाता है । कई बार उससे भी नीचे यानि कि कि रोज जीरो हिस्ट्री रिपीट यानी की तब वो राज राजू नरक, संतोष, दया से बढकर धर्म नहीं कृष्णा से बढकर रोग नहीं शान्ति से बढकर तक नहीं । शमा से बढकर बदला नहीं । संतोष से बढकर सुख नहीं । चैप्टर बाईस तैयार की बानगी जापान में पिछले दिनों आए जबरदस्त भूकंप के बाद जब राहतकर्मी मलबे में फंसे लोगों को ढूंढ रहे थे तो उन्हें एक मकान की दरार से महिला देखी । शरीर आगे को झुका हुआ तथा दोनों पैर किसी चीज पर टिके हुए थे । ऐसा लग रहा था कि वह घुटनों के बल बैठ प्रार्थना कर रही हो । मकान का एक हिस्सा उसकी पीठ सिर पर गिर गया था । राहत दल अगले मकान की तरफ बढ चुका था । लेकिन न जाने क्यों बचाव दल के नेता के मन में महिला के ध्वस्त हो चुके मकान को एक बार फिर से देखने की इच्छा जगी । एक बार फिर उसने पूरी तरह टूट चुके मकान की दीवार में बनी दराल में से महिला के शरीर के बीच की जगह टटोलने की कोशिश की । इस बार वो जोर से चलाया । अरे यहाँ तक बच्चा है पूरी टीम जी जान से महिला के चारों ओर पडे मलबे को हटाने में जुट गई । राहतकर्मियों के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा जब उन्होंने पाया के फूलदार कंबल में लिपटा एक तीन साल का बच्चा सकुशल है या एक माँ का प्रीतम बलिदान था । उसने बच्चे को अपनी बाहों में इस कदर समेट लिया था कि मलबे से उसे कोई नुकसान न हो । मलबे ने माँ की जान ले ली थी लेकिन बच्चा आराम से सो रहा था । राहत टीम ने बच्चे को उठा लिया । डॉक्टर ने बच्चे की जांच के लिए जैसे ही कंबल हटाया, उसे एक मोबाइल फोन देखा । उसमें एक मैसेज इस तरह लिखा था मेरे बच्चे अगर तुम जिंदा बचे तो ये जरूर याद करना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ । ये मोबाइल एक हाथ से दूसरे हाथ में घूम रहा था । मेरे बच्चे अगर तुम जिंदा बचे तो अपनी माँ के प्यार को याद करना अपने बच्चे के लिए मां के प्यार की ये अद्भुत बानगी है । सारांश यहाँ माँ के प्यार वह बलिदान का एक उधारण पेश किया गया । अतः संधान को ये फर्ज उतारने का फर्ज याद रखना चाहिए ऍम वन शिप से तेईस फॅालो ऍम ऍम को चैप्टर तेईस ग्रेट एक्सपेक्टेशंस ऍफ ग्रेट नेस थॉट प्लांड अनप्रोसेस्ड फॅमिली है ऍम ऍन विली अग्री फाॅर इस मान से बीजी बिलगेट्स फॅमिली फाइनली संकन सेंटर्ड विमॅन रोज बीजेपी ऍम ऍन जी जी वो ट्रॉम टूट फुट सच विमानन बाइडू वे ऍम सादा मसाला फिर दस सीईओ ऍम बैंक बीजेपी ऍम दो अाॅटो मैं किसान सी ऍम ऍम वो ऑॅफिसर फॅस कन्कलूजन कम्युनिकेशन ऍम दो । फॅमिली के इस बाॅलिंग कारिज ऍम चाइनीस एॅफ लॉजिक फॅमिली सोम आॅपरेशन वैसा चलता ऍम । फॅमिली कंपनी डकोटा ब्लीडिंग, ऍम ब्लीडिंग, अंदर रोज साइड और छोटी सिर्फ ऍम स्टूड ऍम मत सो लें और फॅमिली स्पाॅट चैप्टर चौबीस ग्रोथ काला राक्षस । एक बार श्रीकृष्ण और उनके बडे भाई बलराम और मित्र सात्यकि घने वन से होकर गुजर रहे थे । रात होने पर वन में ही ठहर गए क्योंकि वन में हिंसक पशुओं के साथ राक्षसों का भीड था । इसीलिए तय हुआ कि रात के तीन शहरों में तीनों बारी बारी से पहला देंगे और चौथे पहर में आगे चल पडेंगे । प्रथम पहर में साथी की पहले पर थे, तभी एक भयंकर राक्षस आया । उसने आक्रमण करने की कोशिश की तो सात्यिकी को करो जाया से लडने लगे । जो सत्य की ज्यादा क्रोध करते । राक्षस का आकार बबल उतना ही ज्यादा बढ जाता है । राक्षस ने सात्यिकी को घायल कर दिया । तब तक प्रथम प्रहर भी बीत गया तो राक्षस अदृश्य हो गया । तब सत्यकि ने बलराम को जगाया । जब बलराम, बलराम पहरा देने लगे तो उनके साथ भी वैसा ही घटित हुआ । दूसरा पहर बीतने पर श्री कृष्णा उठे । जब राक्षस उनके सामने आया और आक्रमण करने की कोशिश की तो क्रोध करने के विपरीत खस पडे । उनके हसने से राक्षस का बाल घटने लगा । साथ ही शरीर का आकार भी छोटा होने लगा । रक्षा जितनी तेजी से उन पर झपट्टा श्रीकृष्ण उतने ही ज्यादा नरमी से उसके वार को झेलते हुए हस पडते हैं । धीरे धीरे राक्षस एक कीडे ये बराबर हो गया । श्री कृष्ण ने उसे अपने दुपट्टे के छोड में बांध लिया । चौथे पहर जब सत्य की और बलराम उठे तो श्रीकृष्ण की घायल अवस्था देखकर कारण पूछा । उन्होंने राक्षस की बात बताई । तब श्रीकृष्ण दो पत्ते की जोर से बंधे कीडे को दिखाते हुए बोला यहाँ है वो राक्षस असल में क्रोधी रक्षक है । जितना ज्यादा क्रोध आप करते गए वोट नहीं बढता गया । मैं रोज करने की बजाय हसा तो यह छोटा हो गया मैंने हस्ते हस्ते इससे छोटा सकीरा बना दिया । सारांश यदि हम किसी भी स्थिति में क्रोध न करें तो क्रोध का विस्तार नहीं हो सकता बल्कि वह घटकर धीरे धीरे समाप्त हो जाता है । आॅल ग्रुप ग्रुप में तमतमाया अपना चेहरा शीशे में देखो तो क्रोध का राक्षस सामने होगा । तब अपने मन से पूछो इस क्रोध करने का ना किसको है चैप्टर पच्चीस भला हो भला सच्ची घटना एक अमीर घराने के लडकी की गाडी एक गड्ढे में फंस गई । बहुत कोशिश के बाद भी लडका गाडी को गड्ढे से ना निकाल सका । पास के मकान से एक साधारण साफ किसान ये सब देख रहा था । वह मकान के बाहर आया और गाडी को धक्का देकर बाहर निकाल दिया । लडकी ने इसका शुक्रिया अदा किया और चला गया । अगले दिन एक करोड आयु का अमीर व्यक्ति किसान के घर आया और बोला कल आपने जिस लडके की गाडी को बाहर निकालने में मदद की थी, मैं उसका पिता हूँ और तुम्हें नाम देना चाहता हूँ । किसान ने ये कहकर इनाम लेने से इंकार कर दिया कि मैंने तो मानवता के नाते केवल फर्ज निभाया है । बहुत आग्रह करने पर भी जब किसान इनाम लेने को तैयार नहीं हुआ तो समीर व्यक्ति ने पूछा क्या आप का कोई पुत्र हैं के साथ? हाँ मेरा एक बेटा है जो भी स्कूल में पढ रहा है । आमिर ने निवेदन किया आप अपना पुत्र मुझे दे दे । मैं उसकी उच्च शिक्षा और पालन पोषण की पूरी जिम्मेवारी ले लूंगा । काफी सोच विचार के पश्चात किसान ने स्वीकृति दे दी । वह अमीर लडके को लेकर चला गया । अमीर आदमी ने किसान के बेटे को अपने पुत्र की तरह पाला उच्च शिक्षा दिलाई । फलस्वरूप वो एक बडा डॉक्टर बन गया । एक बार उस आदमी का अपना बेटा इतना सख्त बीमार हो गया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं रही । इसी बीच डॉक्टर बन चुके किसान के बेटे ने जीवन बचाने की दवा यानी ड्रग का आविष्कार किया तथा उस दवा से अमीर के बेटे को स्वस्थ कर दिया । जानने योग्य बातें किसान का पुत्र डॉक्टर स्लिमिंग था जिसने जीवन बचाने वाली दवा पेनिसिलिन का आविष्कार किया था और अमीर आदमी का बेटा जिसकी गाडी को किसान ने गड्ढे से बाहर निकाला । सर विंस्टन चर्चिल था जो इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बना । सारांश कर भला हो भला प्रेम मैं अपने दिल में प्रेम भर कर दिन की शुरुआत करूंगा और में किस तरह बोलूंगा । मैं अपने शत्रुओं की तारीफ करूंगा और वे मेरे दोस्त बन जाएंगे । मैं अपने दोस्तों का उत्साह बढाऊंगा और मेरे भाई बन जाएंगे । मैं हमेशा तारीफ करने के कारणों की तलाश करता रहूंगा । मैं कभी गप करने के बहाने नहीं ढूंढूंगा । जब भी आलोचना करने के लिए मेरा मन लग जाएगा तो मैं अपनी जुबान काट लूंगा और जब मैं तारीफ करूंगा तो मैं छत पर चढकर चिल्ला चिल्लाकर करूंगा । चैप्टर छब्बीस मेरा वाॅशिंग समय श्री हार्ड अब ऍम ऍम ग्रान्मा लंच में क्या डी डबल डाॅ । गोइंग टू डाट साइड फॅमिली ऍम डिपॅाजिट एकदम मंडल बाद दिवस ऍम दया मनसा और चेंज कि थॉट हर दबाव दाल वित्त में और लिया वाॅल श्री रिफ्यूज टू पार्ट विकेट ऍम नाॅट विविधताओं शेर एप्लाइड सन आॅफ ऍफ यू हर्ट आई टू वाॅरंटी कन्फ्यूजन साॅफ्ट लाइट ऑफ माइंड नॉनवेज नथिंग रिमेन्स अंक लिया ऍम ए बी सी विमॅन फॅालो । डाॅ । डिग्री भी बॅाल ए बी सी चैप्टर सत्ताईस बदला एक बार की बात है कि राजस्थान में एक आदमी का ऊंट बिगड गया और वो मालिक को काटने दौर पडता । किसी तरह बचते बचाते दिन गुजर रहे थे कि एक दिन दोनों का सामना हो गया । वोट मालिक के पीछे दौड पडा । सामने गहरे गड्ढे को देख मालिक ने छलांग लगा दी । वो तो बीच गड्ढे में खडा हो गया परन्तु वोट गड्ढे के बाहर ऊपर ही खडा रह गया । देखते ही देखते लोग इकट्ठे होने लगे । थोडा आश्वस्त होने पर उसने इधर उधर देखा तो क्या देखता है कि एक साथ उसी गड्ढे में पांच ही उसे देख रहा है । उसके तो प्राणी सूख गए । बनाया सी उसके मन में आया कि यह क्या विडंबना है । आगे हुआ पीछे खाई लेकिन यह क्या अचानक वह साहब वहाँ से उडा और उस वोट को माथे पर डस लिया । साहब के दस्ते ही वोट धडाम से गिरा और मर गया । लोगों ने इस आदमी को बाहर निकाला तथा आउट से छुटकारा पाने की बधाई दी । भगवान का लाख लाख शुक्र है की आप वोट तथा साथ दोनों से बच गए । वो आदमी गुर्राता । वह वोट को कोसता हुआ और उनके साथ हो लिया । अचानक वो पीछे बोडा उस मरे हुए वोट पर ठोक दिया । वो बुलाते हुए ठोकर मार दी । परन्तु क्या उसका पाओ उठ के शरीर में धंस गया और वो भी ऊंट पर गिरकर ढेर हो मर गया । साफ का जहर इतना तेज हो गया कि ऊंट का शरीर गल गया । सारा न तो वह बदले की भावना रखता, न पीछे मुडता और न ही ठोकर मारता तो वो इस दुर्गति को प्राप्त न होता । अतः शर्मा ही सबसे बडा बाल वो बदला है । बच्चे ऍम टाइम से नाइन्थ बॅायकॅाट । फिर इस बैठक डिलीट ऍम । बॅालीवुड ऍम ऍम ऍम ऍम स्माॅल थे चैप्टर अट्ठाईस शमा एक युवा वह उत्साही सन्यासी संसार का परित्याग करके हिमालय की कंदरा में तपस्या करने गया । बहुत कोशिश की मैंने का आग्रह नहीं हुआ । दुखी मन से भगवान को कहा क्या आप मेरी मदद नहीं करेंगे । तभी एक विचित्र बात हुई । लगा जैसे भीतर एक ध्वनि गूंज रही है, व्यर्थ है । तेरह । भजन लाहोटी में तेरह व्यक्ति है उससे तू घृणा करता है । जब तक टू इस घृणा को पकडकर रखेगा । यह घृणा भी मुझे पकडे रखेगी । ऊंचा ना उठने देगी । घृणा का त्यागकर शांति मिलेगी । ध्यान में मन लगेगा । सन्यासी के सामने भटकते मन का कारण सजीव हो उठा । जल्दी से जल्दी समाधान चाहते हुए उस व्यक्ति के घर की दिशा पकडने गंतव्य पर पहुंच उसे आवास लगाई । आवास पहचानते हुए शंकित मन से जब व्यक्ति सामने आया तो विस्मय में पड गया । सामने वही संन्यासी खडा था । सन्यासी ने हाथ जोडे, सिर झुकाया और मन की झोली उसके सामने उडेल दी । कहा माफ कर दो । जब भी ध्यान लगाया भगवान की जगह तुम सामने प्रकट हुए । मुझे इस कर से मुक्त कर दो । उस आदमी क्या की भी गई, भावविभोर हो गया । सन्यासी को गले लगा लिया । इस मिलन से दोनों के बीच की घृणा ओड गई । अब सन्यासी खचित हल्का था तथा ध्यानस्थ होने में कोई कठिनाई नहीं आई । सारा गृह ना शांत घृणा से नहीं, अभी तो शर्मा से वह प्यार से हो सकता है । चैप्टर उनतीस आत्महत्या पागल मत बनो, दोस्त क्यों किसी के लिए जान देते हो । मुझे अफसोस है कि तुम्हारी महबूब तुम्हें मिलना सके और तुम्हारे सपनों की तस्वीर एकाएक हकीकत से टकराकर टूट गई । तुम्हें मालूम नहीं शायद मोहब्बत में ऐसा ही होता है । आदमी एक आंख से हस्ता है और दूसरी सर होता है असल में एक तुम्हारा ही सपना नहीं टूटा है अनगिनत लोग फेल हुए हैं इस इम्तिहान में तो अकेले नहीं हो मेरे दोस्त प्यार में जान देने की पुरानी कहानियों में मत उलझो ये सब बने बनाए किससे हैं आजकल मोहब्बत में कोई नहीं मारता । कुछ लोग तो सारा दुःख दर्द खुद पीते हैं, कुछ बांटते हैं दुनिया में और कुछ ऐसे भी होते हैं जो फिर किसी और से दिल लगाने का बहाना ढूढते हैं । गम से भरी इस दुनिया में जीने का यही है घर जैसा देश वैसा भेज क्यों नहीं । तुम भी इन लोगों से सबक लेते हो । पागल मत बनो सारा जिसका नाम लेकर आत्महत्या की आत्महत्या के बाद वो भी नहीं मिला तथा कई बार ऐसा भी होता है जिसके खाते कदम उठाया वह जी उठा परन्तु कदम उठाने वाला वो बात का दृश्य नहीं देख सका । मार कर कोई भी जंग नहीं जीती जाती । न्याय चाहिए तो जिन्दा रहना ही पडेगा ही । हो गए डिफिकल्टी और सिचुएशन और क्राइसिस एम रन सवेरे लिप्स फ्लाइट बना दे । श्रीश्री एक सौ आठ की उपाधि साधु संतों के नाम के साथ एक सौ आठ तक परे जिस साधु महात्मा को चार वेदो, छह शास्त्रों, अठारह पुराणों अस्सी स्मृतियों का ज्ञान होता है । उन्हें साधु समाज श्री की उपाधि प्रदान करता है । चैप्टर तीस फर्क पडता है । पूरनमासी वाला दिन था । चंद्रमा अपनी भरपूर जवानी रात को दिखाने वाला था । समुद्र के किनारे ज्वारभाटा भी आ रहा था । समुद्र का पानी पूरे जोश के साथ दूर दूर से किनारों को छूकर वापस लौट रहा था । आते हुए पानी हजारों मछलियां लेकर आता तथा जाते हुए उन मछलियों को किनारे पर तडपती हुई छोड जाता । काफी लोग ज्वारभाटे का आनंद लेने किनारे पर खडे थे । तो क्या देखते हैं कि एक आदमी बार बार झुक झुक कर कुछ चीजें उठाकर समुद्र के पानी में सीख रहा है । यह सब कुछ देख कुछ एक लोगों को जिज्ञासा हुई और पास आकर क्या देखते हैं कि वो आदमी किनारे पर तडपती हुई मछलियों को उठा उठाकर पानी में वापस लिख रहा है । एक आदमी ने हैरानी से पूछा भाई साहब, आप क्या कर रहे हैं । उस आदमी ने शांत भाव में उस कर दिया । देखिए इस ज्वारभाटे से कितनी बडी संख्या में मछलियाँ किनारे पर तडक रही है । भजन की जान बचाने के लिए इनको वापस पानी में डाल रहा हूँ । उसी आदमी ने आश्चर्य से कहा लेकिन यहाँ तो हजारों मछलियां किनारे तडफ रही हैं । अन्य समुद्रतटों पर डेरो मछलियाँ किनारों पर तडप रही होंगी । यदि आप इस विधि से कुछ की जान बचा ही लेंगे तो उसे आखिर क्या फर्क पड जाएगा । उस आदमी ने सिर उठाकर उस पूछने वाले की आंखों में आंखें डालकर बडी शान्त मुद्रा में उत्तर दिया । आप शायद अपनी सोच अनुसार ठीक कह रहे हैं कि शायद इन से कुछ खास फर्क नहीं पडता लेकिन जरा सोचिए की मेरा ऐसा करने से जिन मछलियों की जान बच रही है उनको से कितना अधिक पडता है । सारांश यदि ऐसा करने से एक जीत की भी जान बन जाए तो इससे अच्छा काम दूसरा क्या भला हो सकता है । उत्तम विद्या उत्तम विद्या लीजिये, यद्यपि नीच में हुए पारो अपावन, ठौर में कंचन, रजत ना कोई अच्छा उत्तम विद्या ग्रहण कर लेनी चाहिए । चाहे शिक्षा देने वाला नीचे क्यों ना हो, जैसे पवित्र स्थान पर पडा हुआ सोना कोई नहीं छोडता
Sound Engineer
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