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Ep2 - Kya Haal Hai in  |  Audio book and podcasts

Ep2 - Kya Haal Hai

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समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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क्या हाल है । बेचारे लाल ने पूछा ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद में कहना जहाँ हालत खस्ता है यार बीवी रोड कर मैं चली गई है करदार रोज सुबह अगर बांध दे रहे हैं मुन्ना स्कूल में फिर फेल हो गया है । पर ज्योतिंद्र ने कहा आप सुनाइए । बेचारे लाल ने ज्योतिंद्र के चेहरे के बिगडे नक्शे पर कोई ध्यान नहीं दिया । वे चलते बने यह कहकर ठीक है मेरा भी ज्योतीन्द्र ने सोचा यहाँ अच्छा नहीं हुआ । बेचारे लाल ने जो केंद्र की कोई नोटिस नहीं ली, ज्योतिंद्र को हकीकत बयान करती । शायद सहानुभूति के दो शब्द मिल जाते हैं, इसलिए नहीं ऐसे क्या की? इस बार कोई हाल पूछेगा तो हल्का हल्का सब गूगल दूंगा । ज्योतिंद्र ने एक किलो नमक खरीदा और घर लौटने लगे । रास्ते में टिंबकटू टकरा गए । बोले मत वो जो भैया किस मुसीबत में हूँ । मुर्गी अंडा नहीं दे रही इसलिए घटकर सहारे सत्तर किलो का हो गया हूँ जायेंगे । जो लात मारी है तो गोवा गोवा दुख रहा है । दफ्तर में साहब की चाकरी करता हूँ और घर में बीवी की । इसी तरह किस्मत क्या जुल्मोसितम जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब मैं खुदागंज पहुंचाऊंगा हो । जरा मेरा भी हाल सुन लीजिए । ज्योतिंद्र रोककर कहा, कीमत तो बोले आपका हाल तो ठीक ही रहता है । जो दिन ने कहा क्या सुना है? टिंबकटू ने कहा तो मैं कह रहा था मेरी मुर्गी । वे बिना कोमा विराम के जारी हो गए । ज्योतिंद्र उन्हें सब है । बिना सुनाए सुने और फिर अपनी राहाली ज्योतिंद्र ज्यादा हो रहे हैं । अपना हाल किसी को सुनने है तो कोई हमदर्द मिल जाए । इसी बीच जरूरी लाल बगल से गुजर गए । जो तीन मिलने पुकारा हैं वो बोलते हैं । तब तक से बोले तो ये क्या हाल है? ज्योतिंद्र बोले मैं परेशान हो । जरूरी लाल ने कहा था क्यों? क्या हुआ? ज्योतिंद्र जारी हो गए । बीवी माइके पलायन कर गई है । नन्ने बहादुर टांड थोडे बैठा है लेंडर पीछा नहीं छोडते । गो वाला खाली दूध देने लगा है । बडा बुरा जमाना आ गया है और और मगर जरूरी लाल को उन्हें सुनने की फुर्सत नहीं थी । जरूरी लाल ने फर्राटे से कहा जरा सुनाई दिया हम जल्दी में है तुम्हारी तंगदस्ती का हाल फिर सुनेंगे । वे ऐसे भागे जैसे कुत्ते पीछे पड गए हूँ । ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद परेशान हो गए । मुझे कोई सुनना ही नहीं चाहता । फिर ज्योतिंद्र सोचा लगे हो तो क्यों ना फोकट माल पर अपनी किस्मत आजमा ली जाए, उनसे ही कहकर मन की भडास उधार ली जाए । उनका घर रास्ते में ही पडता था । ज्योतिंद्र दरवाजा खटखटाया, वे झांकें कौन है? फॅमिली बोले ज्योतिंद्र ने कहा मैं हूँ हो भाई, ज्योतिंद्र क्या हाल है? फोकट माल ने कहा । ज्योतिंद्र बोले हाल नासाज है । बीवी मायके भाग गई है साहब ज्यादे फेल किए बैठे हैं । पढाई के लिए पैसे नहीं, साहू का रोज धमकाकर चला जाता है । वो वाला आजकल खाली दूध देने लगा है । वो तो चलता ही रहता है जो केंद्र और क्या हाल है । फॅमिली ने पूछा । बाकी जब भी गए, ज्योतिंद्र ने मायूसी से कहा । फॅमिली बोले की इधर का रुख हैं तो घर जा रहा हूँ । जो उन्होंने कहा होकर मलने । आगे जोडा और सुनाओ क्या हाल चाल है बाकी सब तो ठीक है, पर इधर पाॅच इसकी शिकायत है । ज्योतिंद्र ने कहा हूँ साहब की हो जाएगा यार ऍम अल बोले और हाय जाए ठीक रहना भी चाहिए । तब सब ठीक कॅाल ने कहा । ज्योतिंद्र ने जवाब में कहा हाँ, सब ठीक ही ठाक है । अच्छा ठीक है तो टहलने दरवाजा बंद कर लिया । आगे बढे हैं तो तुम दुनिया से जो तीन दो चार हो गए । ज्योतिंद्र ने पूछा । सब हालचाल ठीक हूँ । टुनटुन बोले आपने ठीक रखा है जो तीन फिल्में उबासी ली कहाँ हम ठीक रखते हैं । टुनटुन याने ठंडी साल भरी और अपनी राह ली संध्या हो गई थी, जो दिन घर की और जल्दी जल्दी डक भरने लगे । तभी मियां गुडी सामने से आते दिखे । ज्योतीन्द्र ने हाथ जोड दिए चीजे नहीं बोरी तथा हाल चाल पूछने के पहले ही कह दिया सब ठीक है, आप सुनाइए । गुडिया बोले ऍफआईआर वालिद खान का बताया है । ज्योतिंद्र ने तपाक से कहा तारे उन्हें आप पर कैसे भी हराया वे जो आपके प्रेम विवाह से खबर रिश्ता तोडे बैठे । मिया गुरूजी ने कहा खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान यही देखो दस रुपए की लॉटरी निकली है । ज्योतिंद्र बधाई दी उन्हें और आश्चर्य प्रकट किया कि वे तो कभी लॉटरी का टिकट खरीदते भी नहीं थे । सही फरमाते हो यार मियां गुड्डी ने कहा अब इसे जुआ नहीं समझता । जबसे गोवा गया ज्योतिंद्र चीन के गोवा कब ब्रूडी बोले जमाना हुआ मेरी जहाँ है क्या आप वादियाँ है वहाँ की क्या फिर जाए हैं? क्या हो उसमें है वहाँ की जी करता है कि वहीं बस जाओ माॅक मगर मगर ज्योतिंद्र ने तो का गुड बडी चालू हो गए । मगर रुकसाना नहीं यहाँ बच्चा जन्म दिया है, मार दिया है की आवाज है ज्योतिंद्र । पिछले बेटा मुबारक हो । नियाजी बोले शुगर यहाँ शुक्रिया है जरा में कुछ दिनों के लिए अंडमान जा रहा हूँ । मेरे घर की खबर लेते रहेगा । क्यों नहीं? क्यों नहीं ज्योतिंद्र ने तत्परता से कहा आपका घर मेरा घर है । नियाजी ने कहा मेरे बेटे को पोलियो का टीका लगवा लेना । जी जरूर आपका बेटा मेरा बेटा है । ज्योतिंद्र ने कहा और सुनो जरा मेरी बीवी की भी खबर गुडी बोले जो तीन बेलो बोले आप फिक्र में करे जनाब, आपकी बीवी मेरी बीवी है । इत्तेफाक गरनिया बोले कहाँ यह वाला आपकी होती तो वैसे आपका दिल दरिया है और मान समंदर जरूरत है । मुझे गोता लगाने की बगल फॅार गया । ज्योतिंद्र ने दुबारा पनपने बोला जितना जो दिन मैंने कहा अरे फन बनी ये मिया बुड्ढी है और हजरत ये फन बनी है । कबूतर वाला मीडिया गुड बडी चकित्सा बोला आए आपका उधर वाले हैं नहीं है गुड बडी के पनपनी से मुखातिब होते ही ज्योतिंद्र वहाँ से किस लिए कोई बीस मिनट में घर पहुंचे । याद आएगी माचिस लाना तो भूल ही गए । फिर बाजार लाभ के रास्ते में देखा । पनपनी की जगह कोई दूसरा शख्स खडा है और गुड गुड मिया उसे अपना हाल सुनाया जा रहे थे ।

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समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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