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Ep15 - Samajwad aa Gaya in Hindi

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AuthorJyotindra Prasad
समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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समाजवाद आ गया । ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद ने श्रोताओं से कहा आपको यकी हो या न हो, उन्हें तो पूरा विश्वास हो गया है कि संसार में समाजवाद आ गया है । बडे बडे चिंतको महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडिस, मधु लिमये और मार्क ट्वेन ने समाजवाद की व्यर्थ परिकल्पना की थी । वस्तुतः पूरे भारत और विश्व में समाजवाद बरकरार है । अब यही देखें । पटना की यातायात व्यवस्था अनूठी है । सडक पर पूरा समाजवाद है । पब्लिक से लेकर प्राइवेट सेक्टर तक के वाहन रहते हैं । कहाँ रहे, गिर सकती हैं, बस और ऍम रखते हैं । रिक्शा और ठेला भी रेस में शामिल हैं । भला हो वीआईपी का उन की इज्जत, आबरू की खाते ट्राफिक पुलिस रोड की नाकाबंदी कर देती है और उनके अद्रश्य होने पर सडकों पर आतंकवाद विराजमान हो जाता है । सब जाम में पड जाते हैं । यहाँ तक कि पटपटिया वाले भी महाजाम में बाइक की सवारी का प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं । और साइकल सवारों का अगला पहियां यदि किसी पैदलयात्री की दो टांगों के बीच में प्रकट हो जाता है तो तो इसमें कसूर किसी का नहीं, सब रोड समाजवाद है । अब घरों से नजदीक का सफर भी नीलो नजर आए तो यह सब समाजवाद है । उस पर तुर्रा यह कि दूध हुआ तो वाहनों के संगीत और कोहरे में सबकुछ सरोबार हो जाता है । लोगों को संगीत से भले ही प्रेम ना हो पर यहां सडकों पर बला की संगीत सुनने को मिलती है । उनके फेफडों को ऑक्सीजन मिले या ना मिले पर पटना की सडकों पर काॅप खजूर इंतजाम हैं । एक बार सडकों पर आइए तो ज्योतिंद्र आगे किस्सा यू सुनाते हैं यह नजारा हमने भारत की टेक्नोलॉजी राजधानी बेंगलुरु में भी देखिए । वहाँ तो दफ्तर में समय पर पहुंचने के लिए लोग अपना सुबह का पार्कों में पहला छोडकर भोर से ही सडकों पर उतरना शुरू कर देते हैं । इस भागम भागी में सभी दौडते नजर आते हैं । कुछ विचारक का भला हो जिसमें कहा कि आप दौडे दौडे नहीं तो रहेंगे पर चलते रही है । एक स्थान पर ये नहीं जाना कहाँ है । मालूम नहीं अपनी बगल की पतली गली में भी रेलम पेल हैं और हम समाजवाद की चर्चा कर रहे हैं । यातायात का यहाँ नजारा देख बडे बडे बाबाओं का जन्म जन्मांतर का आवागमन का उपदेश ज्यादा जाता है । बाबा लोग जीवन मरण के ट्रैफिक से मुक्ति का उपदेश देते हैं । यहाँ तो यातायात से मुक्ति मिले तब ना बेंगलुरु में उपयोग के सब सामान घर में बैठे मिल सकते हैं तो पटना में क्यों नहीं? बस थोडा सा ग्रह लक्ष्मियों को खटाल तक जाना होता है । इसमें उनके मर्दों को भले ही सुबह शाम कटहल आओ ना मिले और उन्हें तो मिलता है । इसमें राजधानी की आधी आबादी को भी समाजवाद का रस मिलता है । पटना में वैसे भी बहुत सी बीमारियाँ हैं । यदि वे कुछ बीमारियाँ दूध में लेकर आती है तो डॉक्टरों को भी समाजवाद में डुबकी लगाने का मौका मिल जाता है । खुदा खैर करे घटाल वालों का वे आपने बहसों के पीछे बीन बजाने के पहले अधिक दूध किसने की मंशा में उन्हें इंजेक्शन बहुत देते हैं । पटना नगर निगम को मेयर आयुक्त के विवाद से फुर्सत नहीं, वहाँ खटालों की फिक्र क्यों करें? आगे जो केंद्र कहते हैं रहा । सवाल खाकीवर्दी वालों का तो उन्होंने कुछ माह पूर्व न्यायालय में यहाँ शपथपत्र दायर किया कि उनके थाना के अंतर्गत कोई घाटा नहीं है । भरी होने क्या पटना पढाया न्यायालय को चाय बाल गोवा लोग उन्हें निशुल्क दूध देते होंगे, लेकिन न्यायाधीश भी कहाँ चुकते? उन का निर्देश आया और पुलिस लाडिया भर्ती नजर आई है । शहर में सबको रहने का अवसर प्रदत्त है । जय हो समाजवाद की होता हूँ । ज्योतिंद्र से यह सुनिए । रायपुर, बेंगलुरु और दिल्ली के पहाडगंज में बहुमंजली मारते हैं । इमारतों के बीच गरीबों की झोपडियां है । पटना में भी इससे महान चिंतकों के साथ अस्तित्व का सपना साकार नजर आता है । गरीबी रहे हैं और उनके ऊपर अमीर भी रहे हैं । अच्छा समाजवाद है अब सरकार ऐसा समाजवाद लाने पर हम ज्यादा है तो लाए । सरकार ने हाल ही में अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे में कहा की सरकार देश का नेतृत्व नहीं करती, जनता करती है अब जनता वो ऐसा समाजवाद पसंद है तो इस वक्त वो अपनी गर्दन बचाने की क्या जरूरत है । सरकार कल्याणकारी होती होगी । अब सरकार से कौन पूछे कि जब देश का नेतृत्व उनकी सरकार नहीं करती तो कल्याण कौन करेगा? जनता तो आत्मकल्याण करने से रही । अच्छा है जनता ने अपना पत्ता साफ कर लिया । सरकार चुनकर सरकार ने पल्ला झाड लिया । पिछली सरकारों के मध्य बढकर मार्क ट्वेन कह गए हैं कि पूरा पूरब है और पश्चिम पश्चिम दोनों का मिलन संभव नहीं । पर कांग्रेस और भाजपा ही सरकारों का कुछ ऐसा दौर रहा कि देश में ट्विन की उक्ति अब चरितार्थ नहीं होती है । अब पूर्व और पश्चिम काम मिला हो चुका है । अमेरिका और यूरोप के पूंजीनिवेश के लिए सरकारों ने इस कदर भारत का फाटक खोला की हम चौधरी आए बैठे हैं कि हम भारत में है कि अमेरिका में विश्व में समाजवाद आ गया है । आपको यकीन न हो तो हम क्या करें?

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समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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