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संया भाई पत्रकार ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद चकित होकर कहते हैं और सरकार भी क्या जीव है देखने में तो है वैसे आदमी की शकल सूरत का और उठता बैठता पशुओं के बीच हूँ । इस लोमडी के लिए अंगूर खट्टे हैं, कौन भी मीडिया आया चिल्ला रहा है बाद कहाँ घट मैं आदि आदि की खबर इसे रखनी पडती है । इस तरह से शहर जहाँ उसका अखबार है की वहाँ जबरदस्त कडी है । जाहिर है कि जब शहर में लोग लिख लो, हाँ और बडे पत्थर है तो उसका अखबार जंगल में बिकता होगा तो उसे बहुत कुछ करना पडता है । तोड मरोडकर पेश करना होता है और कभी कभी समाचार में नमक, मिर्च बेल लगना लाजमी हो जाता है क्योंकि विचरना है उसे जनरल में ही है । और जैसा कि जंगल का कानून है सर्वशक्तिमान और योग्यतम का अस्तित्व उसे भी अपनी नौकरी और प्लानों की रक्षा करनी होती है । ऐसी जगह अगर मानव रूप लेकर भी वह उल्लू की आंखों से देख रहा है, कौवे के कान से सुन रहा है, चमगादड के पैरों से योग दिखा रहा है तो गलती उसकी नहीं उसके रचियता ईश्वर की है । जिस बिरादरी के पक्ष में यह स्थिति हो रही है यहाँ वार्ताकार भी उसी में आता है । संवाददाता सम्मेलन पाँच सितारा होटल में भी होता है और गुरजीत दी हड्डी ढाबा में भी मुद्दा जोलन है दोनों में मगर मजाल है जो दिन उनके सहयोगी ढाबे की रिपोर्टिंग कर दें । सितारा होटल में उनका स्वागत मुगलई बिरयानी, मलाई कोफ्ता, टूटी फूटी जाम और हसी शाम से होती है और हम अपना स्वागत कराने जाते हैं । वहाँ समाचार लेने नहीं । अखबार दो वैसे भी छपेगा । ज्योतिंद्र जी का यह अनुभव है कि एक रात के ही किसी प्रेस में अखबार में थोडी सी जगह खाली रह गयी । उपसंपादक में संपादक को खबर क्या संपादक ने कुछ सोच समझकर कहा समाचार बनाते हो कि एक साहब ने एक बार में चार मच्छर मार दिए । उन्हें पुरस्कार मिले । उपसंपादक ने कहा महाशय जगह फिर भी बढ जाती है । जवाब आया लिख दो कि यह समाचार गलत था । एक दिन शीर्षस्थ समाचार के लिए कोई सनसनी समाचार नहीं मिला तो यह छप गया । जो है बिल्ली को खाया । किसी ने कहा मगर यह तो झूठी खबर है । कैसे झूठी खबर है । संपादक में घुसा मेज पर मारा था । कहीं ना कहीं या घटना जरूर हुई होगी । यहाँ तो वही खबर के अंदर की बात है । अब ये बाहर देखें । लूटमार की रिपोर्टिंग करते एक बार हम खुद पहुँच गए । पुलिस ने पूछा वारदात से पहले आप घटनास्थल पर मैं कैमरा घूम रहे थे, घूम रहे होंगे । हमने लापरवाही से कहा हमारा आपका काम तो यही है कि घटना से पहले घूमें । घटना के बाद में आरक्षी ने पूछा मगर क्यों धरते रहेगी? ज्योतिंद्र हैरान हैं । यह तो गले बढ गया वो क्या जाने की उनके घूमने के बाद वारदात हो जाएगी । पर मारा गया पत्रकार क्योंकि जहाँ अंधेर नगरी है और राजा है चौपट! क्योंकि लुटेरे छोडने जा पा रहे और छह दिन छोटा करने वाले गिरोह के बताया जाते हैं तो इसलिए मामूजान को उनकी उम्र पर ऐतराज था । मगर ज्योतिंद्र जैसे पैसे वैसे निकल भी आए ना तो वह चारों मजूमदार के तेले साबित हुए और उनकी गर्दन मोटी निकली । इसलिए वे अपनी पीठ खुद ठोकते हैं । पिताजी की गर्दन मोटी करो की हिदायत की । कभी उन्होंने अवहेलना की थी । कवींद्र रवींद्र तरीके केशराशि में उन्हें ज्योतिंद्र का गला पतला नजर आता था । पहलवान सा कटोरा कट बाल रखने पर ज्योतिंद्र जैसे फॅमिली को की गर्दन मोटी देखेगी । ऐसा उन्हें विश्वास था, ज्योतिंद्र सुनाते हैं । बहरहाल, अपनी गर्दन पतली रखी और अंधेरनगरी और चौपट राज्य के चन्दन से निकल आए । श्रोता इस बात पर गौर फरमाएं कि उनकी गर्दन तकलीफ क्यों है? धुँधला बदली न हो तो क्या होगा? क्या खाकर पत्रकार गला मोटा करेगा? सब तो खाने में व्यस्त हैं और एक बेचारा । वह दिन रात उनके खाने की रिपोर्टिंग में व्यस्त है । अब वहाँ दिन लग गए जब संसद में धमाका हुआ करता था कि हिंदुस्तान के बत्तीस अदद पत्रकार सीआईए के वेतनमान पर हैं भाई । अपवाद तो हर जगह है, पर यह सत्य सर्वव्यापी है कि पत्रकार को कोई घास भी नहीं डालता । घुसकी कौन मुझे बेचारा जीता है, मर्ज में मरता है कर्ज में जो दिन रहते हैं । इसलिए संवाददाता सम्मेलन में यदि सभी बैठे हो और रिपोर्टर्स वी । आई । पी । के सम्मान में खडे हो जाए तो समझ लीजिए वे भी कुछ कृपा चाहते हैं । उनसे ।
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