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अपना जीवन हाय हाय ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद शर्म आती हैं । जहाँ नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं । यहाँ कहावत उन्होंने सुनी तो है मगर कभी विश्वास नहीं किया । वरदो नारे धरती पर कभी पूंजी नहीं जाती हैं और अगर पूंजी भी गए तो डंडे और बलात्कार से दो मुझे जहाँ तक नारी वह देवता के सामने की बात है तो जब बेचारी नारी समता की बात कर नहीं सकती तो भला वह देवी देवता कि प्रतिष्ठत कहाँ से प्राप्त करेगी, जो इंद्रजीत गोसाई जी महाराज को दाद देते नहीं सकते? उन्होंने क्या खूब कहा ढोल, गवार, शुद्र पशु नारी ये सब ताडन के अधिकारी सीता को पूजनीय स्थान देकर इस तरी को ढोल गवार शुद्र पशु की पंक्ति में लाख खडा करने वाले तुलसीदास जी की जय हो बेचारे तुलसी ने दो वैसा ही कहा जैसा लोग करते आ रहे हैं अर्थात एक और तो नारी जाति को माँ बहन से लेकर चांदी वार सरस्वती के रूप में उन्होंने आकाश में पहुंचा दिया । दूसरी और बीवी के रूप में पाऊँ की जूती का दर्जा देकर न तो में धकेल दिया वाह! अरे लोग और उनकी खोपडी जिसने कभी भी औरत को कंधे से कंधा मिलाकर चलने का मौका नहीं दिया । मार्क्सवादी इसमें नारी का शोषण साहब देख सकते हैं और अमरीकी मानव अधिकार का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन ज्योतिंद्र का मानना है पुरुष प्रभावी इस समाज में इस तरी को स्वावलंबी होने के खतरे से हमेशा बचाया गया है । बचपन में उसे पिता का संरक्षण चाहिए । जवानी में पति का तो बुढापे में पुत्र का सहारा अनिवार्य है । जब वे लोग हैं ही तो आपको फिर करने की क्या जरूरत है क्या जो दिन को यह नहीं मालूम कि अगर आपको अपनी हालत पर छोड दिया गया तो मर जाती का ही अस्तित्व खतरे में पड जाएगा । आप अगला ही बने रही है । सुनते जाइए मर्द का तर्क और फिर देखिए ना दे जी आपको प्रकृति ने ही कितना दुर्बल कोमल बनाया है । उस कवि का भी क्या कहना जिसने कहा अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ज्योतिंद्र सोचते हैं और मिला तडफती रही चौदह वर्ष लक्ष्मण जी के वियोग में जिन्हे भारत है बच्चों से ज्यादा भारतीय विडियो कष्टकर प्रतीत हुआ । उधर सीता जी को जवाब नहीं कुछ अंश अशोकवाटिका में काटना पडा था और जब पिया मिलन का दौर आया भी तो बेचारे को श्रीराम के आदर्शों की बलिवेदी पर चढा । तपोवन में आपने युवावस्था होम करनी पडी । जोगेंद्र ने आगे कहा नारी तो माया है जब से उन्होंने हो संभाला । यही विचार उनके मन में कूट कूटकर भरा गया और किस लेन का एक रास्ता है दूर रहो इससे स्कूल कॉलेज में तो लडकियों की छाया से भी वे पडे रहे यार दो से चुटकी लेते हैं मिया साधु हो या नपुंसक । प्राचीन ऋषि मुनियों को ज्योतिंद्र साधुवाद देते हैं जिन्होंने प्राणी मात्र आपको इस तरी से दूर रहने का उपदेश दिया । बुद्ध का महाविनाश करमान अकारा नहीं यशोधरा को सोते में छोडकर हुआ । उन्हें डर था कि उसे जगाया । कीमो पांच में बने । इस अर्थ में तो बुद्ध ज्योतिंद्र से भी ज्यादा कायर है । इस तरी को कभी बुद्धम् शरणम् गच्छामि होने ही नहीं दिया । यहाँ तो आम्रपाली थी जो यशोधरा से ज्यादा तेज तर्रार निकली और वही हुआ जिसका बुद्ध को डर था । माया आई नहीं कि सारा बौद्ध संगठन छिन्न भिन्न हो गया । ज्योतिंद्र बोले और तेरह दूसरा नाम भेज गया है भला तो मानव कहा तो वो आपकी जाने वाली एक वस्तु है तो कहा नहीं दिखती कोठे पर चंद्र सीखो में और होटल में चंद नोटों पर तो पुरुषों की अमित भूख है । अतिरिक्त प्यास है विज्ञापनों में, फिल्मों में तेरह सौंदर्य नहीं, शरीर बिकता है । यूरोप में तो वस्त्रहीन मॉडलों के रूप में मिल जाएगी तेरी दूरदर्शन का जो तीन दिन से देखी नहीं जाती जो दिन आगे हाल बयां करते हैं और नारी स्वतंत्रता आन्दोलन भी क्या बला है? पेरिस में एक साहब अपने बीवी के शयन कक्ष में मैं जूते प्रवेश कर गए । वह श्रीमती जी की शान के खिलाफ था । उन्होंने श्रीमानजी पर मुकदमा ठोक दिया । तलाक का और तलाक मिल भी गया । विमेन स्लिप जिन्दाबाद जो दिन सुनाते हैं । कहावत है मर्द से उसका वेतन ना पूछे और इस तरह से उसकी आयु मुझे बचपन को दो सुविधा आपके पर लगे होते हैं और बुढापे को आते देर नहीं लगती । जवानी के इन चंद लम्हों में हसीना एक समा होती है जिस पर न जाने कितने परवाने मर मिटने को लालायित रहते हैं । इस उम्र की लगाम कैसे रहने के लिए हसीना क्या नहीं करती मेरे पडोस की एक महिला का तो ख्याल ये अनूठा है । वे तेरह सालों से अपना जन्मदिवस सत्रह मोमबत्ती अलग अगर बनाती आ रही है ज्योतिंद्र सुनाते हैं आप मिस बुलबुल को नहीं जानते होंगे । रात्रि में उनकी बंद खिडकी और दरवाजों से अगर उठा पटक की आवाज आये या ऐसा लगे कि कपडे की पिटाई हो रही है तो फौरन समझ लीजिए कि उनके श्रीमानजी पर सामान आ गई है । प्रेम करने से पूर्व अपने पति की वह नहीं करती है कि भूत भी भाग जाए । मनोविज्ञान में इसे परपीडक कहते हैं । डॉक्टर का अब सराना तेवर इतने से ही संतोष नहीं प्राप्त करता । बाजार करने जाएगी तो पति इस कदर पालतू कुत्ते की तरह दो मिलाते उनके पीछे पीछे होंगे कि पूछिए मत । उनके मिस्टर का बेरंग लिखा है कि भारतीय हो लिया देख ज्योतिंद्र वात्सायन के कामसूत्र में दी इस हिदायत पर चलने का निश्चय किया है की शादी करो तो समान स्तर की नारी से ।
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