Made with in India
आप सुन रहे हैं फॅमिली किताब का नाम है फैशन बाद जिंदाबाद । जिस लिखा है ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद जी ने और मैं आपका दोस्त हरीश दर्शन शर्मा दोस्तों नए रिसोर्ट के लिए हरीदर्शन शर्मा को फॉलो करें और इस स्टोरी को अपनी लाइब्रेरी में एड करें । कुछ हुए थे सुने जो मन चाहे तो पुस्तक परिचय ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद ने पुस्तक का परिचय देते हुए कहा यहाँ व्यंग रचना है । जिंदगी की व्याख्या लेखकों द्वारा पूर्व में की जा चुकी है । अपने दृष्टिकोण के साथ यह पुस्तक प्रस्तुत है । समाज को आइना दिखाने का प्रयास है । पेंशन, वाद जिन्दाबाद, अति आधुनिकता की दौड में हमारा स्वस्थ कहीं पीछे छूट गया है । क्या यह दुनिया इतनी पागलपन भरी है? आज से ढाई हजार साल पहले जिंदगी इस कदर जटिल नहीं थी कि गौतम मोदी को कहना पडा जिंदगी विद्रूपता विडंबना और विरोधाभासों से भरी पडी है । ज्योतिंद्र ने आगे कहा, आधुनिक युग इधर है । एक तटस्थ भाव से इन विरोधाभासों को झेलने का उपदेश दिया था बुद्ध ने । भगवान श्रीकृष्ण ने भी यही बात दोहराई । जीवन के उतार चढाव में स्थिर प्रज्ञ हो । ज्योतीन्द्र ने समझाया इस युग में द्वंद्वों को कमतर किया जा सकता है । बस हमें अपने भीतर झांकने की जरूरत है । आप पाएंगे कि आपके अंदर भी दोहरे मानदंड है यह चंद नोटों पर दूल्हे का बिकना हो या घर से बाहर निकलने पर विभिन्न स्तरों का मुखौटा लगाना पडेगा या नेताओं के पैतरे से जनता बदहाल हो अथवा जाति का नंबर हो या अपनी खैरमकदम के पीछे सामाजिकता के आवरण में दर्द छुपा हो, साहित्य में गुटबंदी हो या पोंगा पंडितों की भरमार हूँ या पत्रकारिता के व्यवसायिकरण में एक रिपोर्टर की व्यवस्था हो, इन सब में वहाँ जटिलता हम है जिसे हमने खुद जन्म दिया है और अब इसके सरलीकरण की तीव्र जरूरत महसूस की जा रही है । रोजाना हम चार तरह के अनुभवों से गुजरते हैं । सब कुछ अच्छा है, सब खराब है । मैं कुछ अच्छा है और न खराब, अच्छा अच्छा है और खराब भी । और एक वह भी स्थिति है जब हम खराब को ठीक करने में जुट जाते हैं । यही प्रयत्न चाहिए प्रयत्न की स्वयं को बदलने की । दूसरी बात जो ज्योतिंद्र में कहीं वहाँ यू है आज की भागम दौड की जिंदगी बडी एकरस और नीरज है कुछ चटपटा हो जाए ये छूट के लिए शाब्दिक वार्ड आपके अधरों पर मुस्कान लादे, दूसरों पर हसते की बजाय खुद पर फैसले । यही कदाचित व्यंगकार की सफलता है । ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद
Voice Artist
Writer