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हूँ । एमपी सूट पूछी नहीं मुझे नहीं चाहिए मुझे यामीन को दूर जादूगर की कैसे छुडाना की नाथ खुश होता हुआ पूरा । मैं तो सिर्फ तुम्हारी परीक्षा ले रहा था । तुम वाकई में एक नॅान इंसान हूँ इसलिए मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम यामीन को कैसे देख सकते हो । ये कहते हुए किरात खजूर के पेड से नीचे उतर नहीं लगा । उसी उतरता देखकर सुल्तान सुलेमान और तीन किलो भी जमीन पर आकर खडे हो गए । किराना होना मुझे सामने पेड हैं । उसके अंदर एक होटल है उस होटल में साथ नागमणि अगर तुम उन से एक ही नागमणि लाने में सफल हो गए तो तुम यामीन को देखता हूँ । ऍफ नागमणि होगी तो वहाँ पर नाग भी होगा सुलीमान नहीं । कहा नहीं । इस समय सभी नाग नागलोक हो गई हैं । अब बीस अपराध से पहले नहीं आएंगे तुम । पोर्टर के अंदर जाकर वह नागमणि लाकर मुझे दीदी । किरात की बात सुनकर सुल्तान जैसे ही कोटर की ओर जाने लगा, उसे लगा जैसे उसकी कान की पास कोई धीरे से फुसफुसाया हो । सुल्तान ध्यान से आवास के सुन नहीं लगा तभी उसे अपना नाम सुनाई दिया और है वोटर नहीं जाते जाते हैं रुक गया । फिर से धीमी सी आवाज आई तो कहाँ था नहीं यहाँ नहीं पर तुम तो मुझे दिखाई नहीं दे रही है । सुल्तान ने परेशान होती हुई कहा क्योंकि मुझे पूरी जादू करने अपनी जादू सी अदृश्य कर दिया है तो बिल्कुल चिंता मत करो । मैं अभी की रात को नागबनी लाकर दूंगा । ऍसे हमेशा के लिए आजाद हो जाउंगी । सुल्तान बोला नहीं नहीं ऐसा कभी मैं करता हूँ की की रात की में ही पूरा जाते थे जो अपना रूप बदलकर जहाँ पर तुम सबको कैद करने के लिए बैठा है । अगर तुम इसको होटल के अंदर गए टोमॅटो ही सीधा नागलोक ले जाएंगे और फिर तुम कभी वापस नहीं आता हूँ की सुल्तानी सुनकर खबर आ गया थोडा ऍम मैं क्या करूँ? उसकी धात के सिर में जो होंगे और हीरे वाली जगह है तो उसको काॅल जैसे ही जमीन पर में होंगी और धीरे पीछा चाहेंगे तुरंत अपनी असली रूप में आ जाएगा । ठीक है मैं ऐसा ही करता हूँ । तब वह सुल्तान की रात की पांच जानी लगा की रात सुल्तान को देखकर जोर से चीखते हुए बोला तो नागमणि लेने क्यों नहीं जल्दी सी कोटर के अंदर जाओ वहाँ तुम्हारा दोस्त थियामीन तुमसे कभी नहीं मिल पायेगा । तुम यामीन के लिए परेशान हो और अपनी जिंदा कर कहती हुई सुल्तान ने की रात कि जनता को झटका देकर जोर से खींचती पल भर में ही जगमगाते हुए कि रे और मूंगे बिखर कर चारों को फैल के चारों तरफ हल्के नीले रंग का धुआं छा गया और की रात की जगह वही बूढा चाहते करता था । अच्छा ऍम टू टू यासीन की आप वहाँ सही क्यों नहीं करते हुए सुल्तान ने आइना जमीन पर पूरी ताकत से बता दिया । आईने की टूटते ही सुलतान का हम शत्र जामी उसके सामने खडा था । सुल्तान को देखते ही यामीन दौड कर उसकी गले लग गया और उन्हें गले से बोला अगर तो नहीं आती तो मैं हमेशा के लिए इस आईने में कैद रहता । सुधान की आंखें भी नम हो गई । मैं यामीन की पीठ पर हाथ देते हुए पुल तुम बिल्कुल आसान हो और इस बूढी बॉल को हम ऊपर आसमान की सैर के लिए भी इस देते हैं, जहाँ से यह ही वहाँ पर सही या पायेगा । खेलो अचानक बोल पडा ये काम तो नहीं करूँगा । एक कहते हुए उसे उस बूढी जानबूकर को उठाया और घुमाती हुए आसमान की तरफ फेंक दिया । दूर हाँ होना बचाओ बचाओ चिल्लाता रहा हर बादलों के बीच में जहाँ नहीं कहाँ हो गया ऊपर जाती जाती भी उस बूढी ने सुल्तान के हमशक्ल यामीन को देखकर कुछ मंत्र बुदबुदाए पल भर में ही यामीन तुरंत कबूतर पहन के उसकी कबूतर बनते ही ऐसी लगा जैसे चारों तरफ खाली आंचल किराएं हजारू कबूतर थी । चुनाव जाने कहाँ से आ गई थी । उन्होंने जैसी पूरा आकाश किया था तभी कबूतर पूना स्वाॅट आपने तुम्हारा आखिरी हमशक्ल जिसकी तलाश में तुम छुट्टी हुई तीन पूरा चुकी हूँ । जब तक मेरी बातों का प्रयास नहीं हूँ मैं शहीद कभी अपनी असली रूप में नहीं आ पाऊंगा । तभी महीने की बाहर आने के बाद भी मुझे कबूतर करना पडा । ये सुनकर सुल्तान और उसकी सभी साथ ही आश्चर्यचकित हो गए । सुल्तान उसे ढांढस बंधाते हुए बोला, मुझे पूरी बात बताओ तो मैं तभी तुम्हारी मदद कर पाऊंगा । कबूतर बोला झूठ बोलना उसी नाराज तथा प्रसारि गलती मेरी थी । अच्छा ऐसा तो नहीं क्या कर दिया था? सुलीमान ने पूछा क्योंकि मेरे करन ही उसका कछु पत्थर में बदल गया था । क्या मतलब? तीनों ने आश्चर्य से पूछा । मेरी ही इमरजेंसी मेरी साथी कबूतर बन गए हैं और उस बूढी आदमी का कछुआ पत्थर बन गया है तो मुझे मेरी ऍम मेरे साथियों को फिर से पहले जैसा ही करते । ये सुनकर सुलेमान कबूतर से बोला बहुत अच्छी हो तो मैं खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता है । फिर पहला कैसे तुमने उसकी कछुए को पत्थर में बदल दिया । हाँ, हो भी जाता है कि तुम सब कबूतर नहीं ऐसा भूरी से बिना पूछे रहा । नहीं किया हूँ तुम सामने कहाँ ठीक रही हो ना? कबूतर का हाँ, लेकिन ही जैसे कोई टोमॅटो दूरी आंकी मटकाते हुए बोली कबूतर नहीं जवाब दिया । वहीं छोड ही फिर मेरी करनी थी से पत्थर बन गया है । ये सुनकर दूरी हमेशा की तथा धरके मारे सुलेमान की कंधे पर जा रहे थे । कबूतर की बोला जीटॅाक था इसलिए इतनी बडी कछुए को देखकर मेरे मन में उसी पत्थर बनाने का भी जाना है । पर लगता है कि मैंने कुछ गलत मंत्र पडती जिससे बीजेपी अपनी असली रूप में नहीं आ पाया । और हम सब ठीक कबूतर सुल्तान नहीं है । सुन कर अपने साथियों को अपने साथ आने का इशारा किया और उसका छुट्टी के पास पहुंचा । लग रहा है ये ऍम तीनों ने कछुए के ऊपर प्यार से हाथ लेते हुए कहा हाँ ऐसा ही नहीं ना कि ये पत्थर का है बल्कि मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे ये अभी तो पडेगा । खेलो पीलू की बात का समर्थन करते हुए कहा दूरी सुलेमान से बोली तो होता ही है ऍम सुलीमान नहीं । कुछ सोचते हुए पूछा ऍम जिसके बारे में ये ऍम पर कोई वॅार यहाँ हूँ करती हुई सुलीमान खुश होते हुए बोला और उसने तुरंत अपनी कुर्ती की जीत से बो तार सुल्तान को पकडा थी और सुल्तान में उसका जल कछुआ पर छोड दिया । पल भर में ही वह कछुआ जिंदा हो गया और कबूतर बना सुलतान का हमशक्ल या मीन अपनी साथियों के साथ असली रूप में आ गया और उस बूढी बनी जादू कर को भी वापस ला दो ऍम देखकर बहुत खुश हो जाएगा । यामीन ने कहा बहुत दयालु और नहीं हो यामीन । अभी हमारी बांसुरी उसे आसमान से वापस ले आएगी । सुल्तान मुस्कुराते हुए बोला खुशी के मारे यामीन सुल्तान के गले से लिपट गया । वहाँ बोला तो मेरे साथ चल कर कुछ दिन रहो । सुलतान सुलतान हस्ता हुआ बोला अब तो तीन के लिए मेरे महल में आकर रहूँ कि ताकि अपने सभी हमशक्लों से मिल सके । सर यामीन बच्चों की तरह कुछ होता हुआ बोला था । मैं अपनी महल पहुंचकर तुम सबकी स्वागत की तैयारियां शुरू करता हूँ । मैं तो में अपने सभी दोस्त और हमारे हमशक्लों से भी मैं आऊंगा हमारे साथ हम चाहिए कहते हुए यामीन वहाँ का मार्कसंस पर खाना मित्र तुम जब हमारी महल में आओगे ना तो तुम हमारे सारे हमशक्लों से मिलती होगी । मैंने सभी को आमंत्रित किया है । सुल्तान यामीन सुविधा लेकर अपनी सभी साथियों के साथ महल की ओर निकल पडा । सुल्तान के ख्वाबों की यात्रा अब हकीकत में समाप्त हो चुकी थी । नहीं जाने क्यों रहे रहकर भी उसे अपने सभी हम शत्रुओं की बहुत याद आ रही थी । पर घर के लिए भी किसी को नहीं बोल पा रहा था । मुस्कुराता हुआ आगे कदम बढा ही रहा था कि सुलेमान बोला क्या सोचकर मुस्कुरा रही हूँ । हमें भी बता दो तो हम भी खुश हो नहीं । पीलू हसते हुए पूरा खर्च नहीं । वैसे यात्रा के बारे में सोच कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था की सभी आजाद हो गए । हर हम भी अब सही सलामत घर पहुंचने वाले हैं । तब सुल्तान की बातें सुनकर मुस्कराती तभी हमेशा की तरह पूरी सुल्तान की कंधे पर से कूद बोली फॅालो तो दोनों में से किसी को भी अपने बारे में कुछ बताया ही नहीं हरी तुम किसी को बोलने का मौका दो, तभी तो कोई कुछ बता पाएगा ना? सुलेमान मुस्कुराता हुआ बोला सुल्तान ये सुनकर हंस दिया और तीनों की तरफ देखते हुए बोला, मेरे सभी हमशक्लों को आजाद कराने में ही हम लोग इतना व्यस्त रहे । तुम दोनों से तुम दोनों के बारे में कुछ कुछ ही नहीं पाए । खेलो खुश होते हुए बोला, हम तुम्हारे शुक्रगुजार हैं कि तुम सब ने हमें अपना उसकी बातें सुनकर सभी मुस्कुराने की । पर मैं तो कब से अपनी पारी लोग के बारे में तो भी बताना चाहता था । घरेलू सबके मुसी आश्चर्य के साथ एक साथ निकला । पी लूँ और किलो असल में कोई आदमकद जब बडे काट के नहीं थी । हर साल में वो दो फुट के बोली थी । इंडिया सीम शक्तियां जब चाही तब अपनी कट को बढा या घटा सकती थी । सुलीमान दोनों की तरफ देखते हुए बोला, हमी अंजीर तेज जाने में अभी काफी वक्त लगेगा । हम भी सुने ही तुम दोनों की क्या कहानी? पीलू ने मुस्कुराते हुए कहा तीन तीन मैं और किलो बहुत कुश्ती लडकियों की रानी ने हमसे वादा किया था कि वह हम ही एक जादुई किताब की । मैं एक ऐसी दूध किताब होगी, जो आज कल किसी नहीं देखी हूँ । मैं सुनी होगी । इसलिए मैं खीरू खुशी के मारे पूरी महल का चक्कर लगाते हुए खुशी से उछल रही थी । तभी हमें पर ईरानी आती हुई दिखाई दी । खेलो बोला ही रहने के तो हाथ खानी । ये सुनकर मैंने धीरे से कहा लगता है कि मामला ना बोल गए । तभी रानी हमें इस तरह उसको जाते हुए देखकर मुस्कुराते बोली, तुम लोग चिंता मत करो । मुझे अपना किताब बना वादा याद है । मैंने कहा तो आपके हाथ में कोई किताब ही नहीं । पर ईरानी ने अपनी जादुई छडी हवा में लहराई आना जाना कि कि सारे शहरीकरण होने नहीं की हाँ तो नहीं । जैसी ही खुश होते हुए कहा । तभी सारी इस नहीं लेकर । आपस में जो नहीं लगी और एक सुनहरी रंग की चेक मंगाती नहीं, किताब में पता चल जाएगा हम दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ । तो ये ये ये हम ऐसी कितना बन गया? खेलो ने खुश होते हुए ताली बजाते हुए कहा हम हम इस की आपको तभी कहीं ले जाने की जरूरत नहीं पडेगी जब भी इसी पढना हूँ, बस ये जादुई छडी हवा में हिला देना क्योंकि तब आ जाएगी खरीद । यानी नहीं हम सबसे का हम कैसे भी हो सकती है । खेलो ने हवा में झूलती हुई किताब क्यों देखते हुए पूछा, पर ईरानी मुस्कराते हुए बुरी हाँ तुम लोग इसे ली जा सकते हो । मैंने किताब तक खेलो नहीं । जादुई छडी । हम दोनों ने कुछ होते हुए पर ईरानी के चारों ओर एक चक्कर लगाया और महल की बाहर की ओर दो शादी पर ईरानी हमारी उत्सुकता खुशी देखकर हंसती हूँ ।
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