Made with in India
नमस्कार ऍम पर मैं रश्मि शर्मा आप सुन नहीं जा रहे हैं । डॉक्टर मंजरी शुक्ला द्वारा लिखे सुल्तान सुलेमानकी जादुई कारनामों के किस्से सुल्तान सुलेमान और साथ शहरों का रहस्य ऍम सुनी जो मन चाहे ऍन मूल्य वघासी या कोई रेशमी का नि संतान बच्चों की तरह खुश होते हुए कहा हॅूं हम हुई के पास पर चल रही हैं । सुलेमान मुस्कुराता हुआ बोला तुम्हें पता है कि तुम मेरी सिर्फ से अच्छे दोस्त हो । सुल्तान ने सुलेमान का हाथ का करते हुए कहा सुलीमान मुस्कुरा दिया । सुल्तान बोला चलो डॉट लगाते हैं, देखते है सामने वाले आम पीढी को कौन सबसे पहले चलेगा मेरे मुँह से तेज तो कोई दौड ही नहीं सकता । सुनी मानने थोडी गर्व से कह रहा हूँ वो तो अभी पता चल जाएगा सुलेमान क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं तुमसे काफी तेज हूँ । सुल्तान हंसते हुए बोला डॉट पडा सुलेमान उसके पीछे भाग रहा था । सुल्तान ऍम तो बेटी हो ऍम भर्ती में मैं बगीचे के कोने तक पहुंच गया । तब ये सुधान को नन्दा जी से उसके पहले किसी ने अपनी हाँ टूसी बस टूटी से पता नहीं है दिल की महारानी उसकी ठीक नहीं करके उसने घबराते हुई अपनी बहनों की तरफ देखा तो कुछ भी दिखाई नहीं दिया । फिर उसकी पहलुओं पर किसी के हाथों की पकड और मजबूत होती जा रही थी । उसकी मारी सुलतान का था तो उसी समझ भी नहीं आ रहा था कि वहाँ किसके लिए कौनसी क्यों पकडी हुई हैं । सिनेमा सुल्तान जोर से चीखा तो सुलीमान ने उसकी तरफ देखा तक नहीं तो उसके पीछे ना भाग कर दूसरी आम की पीढी की ओर खाता चला जा रहा था । तो हमारी ऍम क्योंकि ऍम हूँ वो भी तुम्हारी आवाज नहीं सुन ऍम सुल्तान जनता था की फिलहाल तो अकेला है और इस मुसीबत का सामना उसी खुद अकेले ही करना होगा । अब तक सुल्तान का डर थोडा कम हो चुका था इसलिए उसने हिम्मत करते हुए पूछा था तो तुम कौन हो और मुझे क्यों परेशान कर रही हो? सुजॅय परेशान नहीं कर रहा हूँ । मैं तो तो मुसीबत नहीं हूँ । मैं तुम्हारा है । हम शत्रु हूँ । परसो हंसी ऍम तो हूँ तो हमारी मदद कैसे कर सकता हूँ? सुल्तान ने पैर छुडाने की कोशिश करते हुए पूछा तो ही मेरी मदद हो हो । फॅस सुल्तान कुछ कहता इससे पहले उसे और भी कई आवाजें सुनाई देने लगीं । चीखते हुए उसे बुला रही थी । फॅमिली हूँ हूँ हूँ सुल्तान नीचे ऐसे ही फिर से दौडने की कोशिश की तो पैर बंधे होने के कारण मैं भाग नहीं है और वही जमीन पर किस पाना जाने दो मुझे तो मुझे तो छोडो अचानक उसके चारों तरफ से इस तरह की आवाज फॅमिली की भी कुछ समझता था । उसने देखा कि सामने से एक बडा सा पत्थर लुढकता हुआ उसकी तरफ आ रहा था । सुल्तान चाहकर भी अपनी जगह से हिल नहीं पा रहा था । पत्थर सुल्तान के और करीब आ चुका था । सुल्तान ने गौर से देखा तो सी महसूस हुआ कि उस लुढकते हुई पडी इसी पत्थर की दो हाथ ऍम और उसकी दो बडी बढियां की नाक और मुंह भी थे वे तेजी से अब सुल्तान की तरफ लुढकता हुआ रहा था तो ही बचाओ हूँ ऍम ऍम सुल्तान को तुम्हारी जरूरत है । भारती की कोशिश में सुल्तान धडाम से नीचे गिर पडा । उसके गिरने की आवाज सुनकर उसे महसूस हुआ कि कुछ लोग उसके आस पास इकट्ठे हो चुकी है । लगता है आप कोई सपना देखा है सुल्तान आपकी तो ही कहते हुए महामंत्री ने सुल्तान की माँ थी पर बिहार से हूँ । सुल्तान की मंत्री हुई तुरंत उठ कर बैठ के अपने आस पास खडे महामंत्री पर एक टू नौकरों को ठीक कर उसे महसूस हुआ कि वे अपनी कमरे में है यानी कि उसने झूठ कुछ सुना था । कोई सपना था तो शायद सपना ही था सुल्तानपुर उठाया और अपनी ऍम हूँ क्या हुआ सुल्तान आपकी तो लगता है आपने कोई भयानक सपना देखा है । महामंत्री ने सुल्तान की घबराई चेहरे को देखते हुए पूछा सुल्तान खामोश ना पर आपकी कपडो तो मिट्टी लगी हुई है । पास खडी सैनिक ने हैरत से का । सुल्तान ने तुरंत अपने कपडों की तरफ देखा और तो ना इतनी मिट्टी तो ली है, किसी बात की है । महामंत्री सहित वहाँ सभी लोग ही देखकर खबर आकर महामंत्री इधर उधर देखते हुए बोला सुल्तान, आप बिल्कुल सुरक्षित हैं । आप चिंता न करें । तुरंत इस कक्ष से दूसरी जगह चलिए सुल्तान में जैसे ही चलने के लिए कदम बढाया । वेदर जैसी ठीक ही था । क्या हुआ वो महामंत्री ने सुलतान का हाथ पकडते हुए चिंतित घर में पूछा ऐसा लग रहा है जैसे मेरे पैरों में चोट लगी हुई है । सुल्तान दर्द सियांग बंद करते हुए बोला । महामंत्री ने पास खडे एक सिपाही को इशारा किया । सिपाही ने तुरंत चुगकर राजकुमार का चूडीदार पजामा तकनी से थोडा ऊपर किया तो क्योंकि निशान देखकर हैरान रह गया । ये उंगलियों के निशान कैसे आ रहे? महामंत्री ने हैरानी से पूछा तो मैं नहीं जानता । सुल्तान ने धीरे से कहा कहाँ पलन पर बैठ जाइए मैं राजवैद्य से अभी कोई अच्छा सा मार हम नहीं कराता हूँ । एक असैनिक कमरे से बाहर चला गया । महामंत्री ने सुलतान का पैर अपनी गोदी में रखा और देखा कि पैर पर उंगलियों की मजबूत पकड के निशान अभी तक दिखाई दे रहे थे । सुल्तान धीरे से पूना । इसका मेन ट्रक एक कोई सपना नहीं था । मेरी हमशक् ली थी जो किसी जादूगर की कैद में है ही कुछ भी हो जाए मुझे उनकी मदद करनी हूँ की हमशक्ल जादूगर और किस की मदद सुल्तान आप किसकी बात कर रहे हैं? महामंत्री ने हैरानी से पूछा मुझे मुझे अभी सुलेमान से मिलना है । आप आप जल्दी सुलेमान को बुलाइए । सुल्तानी आदेश दिया । यही कहानी उतनी ही जाती है जितना कि हम सोते समय सपनों में महसूस कहते हैं । मैं इसे तो बडे बुजुर्गों का मानना है कि जादू जैसी कोई चीज नहीं होती । लेकिन जरूरी तो नहीं कि जो बडे मानी मैं अच्छी हूँ । इस दुनिया में जादू और तेल इसमें जैसी ऐसी कई सारी कहानियां हमने कई बार सुनी । कुछ पर विश्वास किया है । कुछ पर अन्वेष ये कहानी भी उन्हें जादुई और दिलस्पी कहानियों की तरह बहुत ही टोमॅटो बहुत समय पहले की बात है । एक बहुत ही मशहूर देश हुआ करता था जिसका नाम था एनजीटी बडा ही प्यारा । खूबसुरत सा ऐसा कि कोई उसे देखें तो बस एकटक देखता ही रही है । उस देश की ख्याति दुनिया की कोनी कोनी में फैली हुई थी । ऐसा कहा जाता था की ऊंची देश की कहानियां, हर काम और दूसरी देशों में मई अपनी बच्चों को सुनाई थी । ये कहते हैं कि इस देश में अजीब अजीब कहानियां और किस्से मशहूर हुई थी । ऐसे ही निराले देश की कई सारी बातें बडी ही मशहूर जैसी की देश में पूरी कडी चाहते हो कर रहा करती थी । यहाँ तक कि ये किसी भी मशहूर था कि जो शहर में जाता है वह शहर का डी ऍम चाहता है । ऐसा लगता है कि यह विषय है उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर रहा है । टी टी सी चुंबक की तरह इस कहानी का मुख्य किरदार थी अपनी देश की कहानी की तरह ही फॅमिली । यही कहानी है एंजे देश के राजकुमार जिसका नाम था सुनता हूँ यही नाम था उसका शक्ल भी और बहुत की नहीं थी । जाने की वो एक तीन उसी एक बडी अच्छी सी सनक सवार उसके जैसे साथ चेहरी पृथ्वी पर ऍम जब सीसीपी हमशक्ल को सपने में देखा तो उसे उन बाकी चेहरों से मिलने की उत्सुकता बढ नहीं नहीं । पहले तो उसने अपने खास लोगों से पूछना शुरू किया जिनमें सबसे अच्छा दोस्त था उसका नौकर सुलेमा तीन नाम भी सुल्तान में एक दिन बचपन नहीं उसे खेल खेल में ही देते हुए कहा था मैं सुलतान हर आज से तुम मेरी सुलेमा सुल्तान का सिनेमा । जैसे जैसे हम बडे होंगे हमारी टोस्टी और भी गहरी होगी कि नाम हमेशा मशहूर होगा । एक खास दोस्ती के लिए दोस्ती गहरी हूँ । ये सुनकर नाॅन बहुत हंसा था । शायद ये सोच रहे हैं कि पहला ऍफ का कैसा में? सुल्तान की बातें सुनकर कुछ नहीं बोला और गौर से सुल्तान के आंखों कि जलते हुए नहीं झुकने को देखता रहा जिनमें तू वह पर एक सच्चा टू हाँ देना चाहता था । जो हीरे, मूर्ति और छूट की दुनिया की साई सी उन के साथ साथ उनकी दोस्ती भी आगे बत्ती गए । सुल्तान ने अपना वादा पूरी ईमानदारी के साथ निभाया । उसने सुलीमान को कभी नहीं करने ही समझा । इधर सुलेमान भी हर कदम पर आती मुश्किलों को काटकर खुद ही ढूंढ लेता और सुल्तान को और दोस्ती की दूसरा ले के अन्दर हलकी कश्मीर देता हुआ बाहर की सर धाम आऊँ और बर्फ की छूटी नौ अकेले टुकडों से हमेशा सुरक्षित रखा था जी! तीन सुल्तान को पता चला कि उसकी शक्ल के साथ आठवीं और ही तो उसने सुलेमान को अपने पास बुलाया और कहाँ नहीं नहीं सुना है कि हर आदमी की क्षेत्र के सात लोग इस पृथ्वी पर होती हैं । सोचो एक कितनी चित्र बात है? सुलेमानी सुनकर बहुत हंसा हर इतना हंसा की उसकी आंखों से मुँह नहीं और उसी तेज खांसी आने लगी और उसकी जैसे सांसी उखड गया फॅर हूँ ऍम हूॅं नहीं किया ऍर रहा हस्ता मैं बस बार बार सुलतान का चीरा ठीक तरह । सुल्तान ने ये देख कर चांदी की जमती हुई गिलास कुछ है और दोना थाने पीले मेरे भाई हर आराम से बताओ कि तुम मेरी बात से कितना सहमत हूँ । सूर्य मानने एक ही फ्रांस भी पूरा गिलास खाली करते हुए सुल्तान चिडी की तरफ देखा जहाँ केवल संजीदगी के भाव थी । यही ठीक कर सुलीमान थोडा सा डर क्या क्योंकि बचपन से साथ रहते हुए तो सुल्तान की गुस्से की भारी नहीं थी, जानता था उसी धीरे से कहा माफ करना सुनता तुम्हारी प्रति सुनकर हंसी आ गई । तो क्या तुम हमारी बात से सहमत नहीं हूँ? ऍम तब तूने एक बार तो बताया था लेकिन तुम्हारी इस बात में कितनी सच्चाई है ये मैं पुख्ता तौर पर नहीं कह सकता हूँ । खिला किसी इंसान के वहाँ कई साथ चेहरे होते होंगे मुझे तो ये ऍम सुल्तान क्या तुम सच में कहना चाहती हूँ की आप वहाँ पे ही तुम्हारी फॅार सुनी मानने अपना सर खुजाते हुए पूछा तो कल रात मेरी सपने में वो सारी हमशक्ल है जो इस समय बहुत मुसीबत में है । सुलेमान और मेरी मदद मान रहे हैं । सुल्तान ने सलमान की तरफ देखते हुए कहा क्या कहाँ सुनता तो तुम से मदद मांग रहे हैं । सुलीमान ने आश्चर्य से पूछा हाँ सुलीमान ये तो भी चित्र बनाए थे । हाँ निश्चित ही बच्चा सुलेमा एक बात बताओ क्या तुम्हारे मन में कभी नहीं आया कि तुम खुद से मिलो पर सुल्तान ही बात तो अलग हुई ना । सिर्फ शक्ल मिलने से हमारी किस्मत, आदत और परिवार वाले सभी थोडी ही ना हो जाते हैं तो सुनिए महान चेहरा तो ये कहना संतान अपनी बात पर जोर देता हुआ बोला इसीलिए सब तो तब पता चलेगा ना, वो तो मैं कुछ बताएगा । सुलेमानकी चेहरी पर अचरज भरी भाव देखकर सुल्तान में आगे बोलना शुरू किया । अच्छा आप मान लो तो मेरे कमरे में आए और मेरी जगह मेरा हमशक्ल बैठा है तो तुम उसी अपना दोस्त मानूंगी ना । सुलेमान ताली पीता हूँ, बोला समझ गया सब समझ गया कैरी कि आज समाज के तो ये ही है कि अब तक मुझसे का होगी कि हम उन चेहरों को ढूंढे इस बात में हंसू नहीं तो क्या करूँ? सुल्तान तो मार्च अच्छी खासी मजाक ऍम भी हूँ । सुलेमान की बातें सुनकर सुल्तान अपनी जगह से उठ के मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ तो दिमाग नहीं जा रहा हूँ मेरे साथ हमशक्लों को ढूंढने के लिए तो मेरी बात पर विश्वास नहीं करना है तो मैं चलो तो पर तो सुनता हूँ तो माँ के लिए कैसे जाऊ की सुलीमान अचानक जमीन से उचककर खडा हो गया मानो उसने पिछली का कोई तार छू लिया हूँ । तुम्हारा दिमाग तो करा नहीं हो गया है । मैं तो मैं इतनी लंबी यात्रा पर अकेले नहीं जाने दूंगा और रंजीत देश से बाहर जाकर हमें किसी तरह की मुसीबत मोल नहीं लेनी चाहिए । सुनता सुलीमान अगर तुम मेरे सपने और मेरी बातों पर ये तीन नहीं है तो भी शक तुम यही आराम से रूको तो मेरे सावधानी की कोई जरूरत नहीं है । लेकिन मैंने यह निश्चय कर लिया है कि मैं उन सात चीजों को ढूंढ लूंगा और उनकी मदद जरूर करूँगा । अरे सुल्तान तो समझ नहीं रही हूँ, मैं तो बस किसी अनजान खतरे से सुरक्षित रखना चाहता हूँ । सुलेमान ने इतना ही कहा था कि सुल्तान में उसे बीच में रोकते हुई काम हम मुसीबतों से कब से डर नहीं लगे । सुलेमान है अब हमें इस विषय में कोई बात नहीं करेंगे । सुल्तान मेरी बात का गलत मतलब मत निकालो सुलीमान । तुम आप जा सकती हूँ तो मुझे सुकून से गुलाब के फूलों की भीनी भीनी खुशबू में अकेले रहना है । तो सुल्तान अपनी बीच कीमती कपडों पर एक तरह लगता हुआ हूँ ।
Voice Artist
Producer