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तलाक के बाद केस खत्म होने के बाद यानी चीफ उसे तलाक मिलने के बाद हम सब घर वापस आ गए । लेकिन मम्मी मौसी हमारे साथ घर नहीं आई तो सीधा अपने घर चली गई । शायद किसी बात से निराश थी । उसकी निराशा की वजह मैं जानती थी । मेरे तलाक के केस में उसको भारी पैसों के मिलने की उम्मीद थी । लेकिन केस के दौरान बहुत ही कम रख मिलने पर उसकी उम्मीद टूट गई । मेरी माँ ने उसे कई बार फोन पर घर आने के लिए कहा लेकिन वो हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें टाल देती क्यूँ कहेंगे । वो अब हम से दूरी बनाना चाहती थी । मैंने भी अब उनकी परवाह करना बंद कर दी थी और माँ से भी उनके मेल झोल रखने से मना कर दिया था । चीजों से अलग होने के बाद यारी उनसे तलाक लेने के बाद कुछ दिन तो ठीक ठाक रहने लगी थी । उसके लिए पैसों से मौत करने लगी परन्तु कुछ दिनों के बाद ही उसे खोने का एहसास होने लगा । अकेली होने के कारण उसके साथ बिताया हुआ समय याद आने लगा । उसकी जुदाई का नाम मुझे सताने लगा । मुझे रह रहकर अपनी बेटी की याद आने लगी । मैं अपनी बेटी के बारे में कल्पनाएं करने लगी । क्या वह कैसी दिखती होगी? कैसी शरारतें करती होगी? एक तरफ मुझे चीखों से भी झडने का था और दूसरी तरफ समाज की मानसिकता का जुल्म था । यानी तलाक के पहले जो लोग हमारा साथ देते थे, तलाक के बाद वही लोग हम से कन्नी कतराने लगे । मेरे सामने आते ही लोग मुझ से हमदर्दी करते और मेरे जाते ही मेरी पीठ पीछे मेरी बातें करने लगते हैं । तलाक के बाद कई लोगों ने हम से नाता तोड दिया । मोहल्ले के लोगों ने तो पहले ही हम से बोल चाल बंद कर दी थी लेकिन मेरी सहेलियों ने भी मुझ से नाता तोड दिया । कुल मिलाकर में अकेली पड गई थी । ये मेरे बुरे दिन आने का शारदा था । तलाक के कुछ दिनों के बाद मेरे लिए शादी के रिश्ते आने लगे । लेकिन मैं उन सबको मना करती रही क्योंकि उन सभी में ज्यादातर वो लडके थे जिनकी दूसरी या तीसरी शादी थी और सभी का कोई ना कोई बच्चा था । इस वजह से मैं मना करती रही और जो लडका मुझे पसंद आता वो मुझे ये कहकर मना कर देता हूँ कि जिसने पहले ही अपनी बेटी को छोड दिया वो मेरी और रात को क्या प्यार देगी । ये कडवा सच था । ठीक ओके प्यार के साथ साथ में अपने बेटे के प्यार को भी छोड कर आई थी । वो मेरी बेटी जो ठीक प्रकार से बोल भी नहीं सकती थी । सिर्फ अपनी आंखों से मुझे सब कुछ कहती थी । मैं उसकी माँ थी जो की उसकी हर हरकत से वाकिफ थी लेकिन अब मैं उससे जुदा हो गई थी । गलती मेरी थी मैं ये मानती हूँ परन्तु अफसोस यह है कि मुझे अपनी गलती का है । सास उस वक्त हुआ जब मैं सब कुछ हार चुकी थी, गलती की थी और इसकी सजा भी मिलनी थी जो इस गलती का सबसे बडा जिम्मेदार था । यानी मेरा घर बर्बाद करने के पीछे जिस शख्स का हाथ था उसे अपनी किए की सजा मिल गई । वो मेरी माँ थी । हाँ, मेरी माँ जिस के कहने पर ही मैं जी को और उसके परिवार के साथ हमेशा बुरा बर्ताव करती थी । जिस के कहने पर मैंने अपनी जिंदगी में तलाक जैसा बडा फैसला किया । जो मेरी ऐसी जिंदगी के लिए जिम्मेदार है वो मेरी माँ थी । वो कहते हैं ना कि भगवान की मरी हुई लाठी में कोई आवाज नहीं होती और इंसान को अपने किए कर्मों का हिसाब किताब यही देना होता है । वहीं हमारे साथ भी हुआ मेरी माँ को कैंसर हो गया । कैंसर शब्द हमारी जिंदगी में आते ही हमारे बुरे दिन शुरू हो गए । ये हमारे नर्क जैसे जीवन का शुरूआती चरण था । घर की सारी जमा पूंजी हमने माँ के इलाज में खर्च कर दी । यही माँ के इलाज के लिए हमने अपना घर तक गिरवी रख दिया । परन्तु बीमारी ऐसी थी जो कि हमारे जीवन में एक ऐसी सैलाब बनकर आई की हमारा सब कुछ अपने सात वहाँ कर ले गई जब हमारे पास माँ के इलाज में लगाने के पैसे खत्म हो गए । अब हमने और पैसों के इंतजाम के लिए अपने रिश्तेदारों का रुख किया । यानी हम अपने रिश्तेदारों से पैसों की मदद मांगने लगे परन्तु कुछ एक को छोडकर हमारी मदद किसी ने भी नहीं की । फिर आखिरकार दस महीनों की लंबी और दर्द नाम बीमारी के बाद मेरी माँ की मौत हो गई । माँ को तो अपने किए की सजा मिल गई परन्तु हम सबको सजा मिलना अभी बाकी था । घर में पैसों के नाम पर जो कुछ था तो माँ की बीमारी में लग गया । हमारा घर तक गिरवी था माँ की बीमारी के बाद पिताजी को शिविर घात की समस्या हो गयी । डॉक्टर ने उन्हें आराम करने के लिए कह दिया । यानी कमाने वाले ने भी अब बिस्तर पकड लिया था । अब घर की सारी जिम्मेदारी भाई पर आ गई थी । लेकिन भावी को ये सब ठीक नहीं आया और वह भाई को हम सबसे अलग रहने की जिद करने लगी । लेकिन भाई ने हमसे अलग रहने से मना कर दिया । जिससे नाराज होकर भावी अपने माइके चली आई । घर में आर्थिक तंगी अपनी चरम सीमा पर थी । इसके चलते भाई ने हमसे अलग रहने में ही अपनी भलाई समझी और वो कहीं दूर शहर किराये पर रहने लगा । घर में अब मैं और मेरे बीमार पिताजी बच्चे थे । माँ की मृत्यु के बाद मेरा मेरे ननिहाल वालों से संपर्क टूट चुका था । अब बाकी बचे रिश्तेदारों ने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया था । हम कर्ज में डूब गए । मम्मी मौसी जो कभी हमसे दूर नहीं जाती थी, जिसकी दखलंदाजी हमारे घर में बहुत ज्यादा थी, अब उस से मुलाकात किए हुए कई वर्ष बीत गए । वो कहाँ है और क्या करती है इसके बारे में मुझे पता नहीं । यानी मेरे पास इसकी कोई खबर नहीं । ये एक दौर था जो कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था । माँ की बीमारी में लिया हुआ कर्जा बढने लगा था जिसके चलते हमें अपना घर बेचना पडा । मैं पिताजी को लेकर पांच ही के किराये के मकान में रहने लगी लेकिन मेरी सजा का दौर अभी थमा नहीं था । एक दिन अचानक पिताजी के हृदय हाथ से मृत्यु हो गई और मैं बिल्कुल खेली हो गई । आज मेरे पास मेरा साथ देने वाला कोई नहीं है । अपने इस जीवन से मैंने एक पांच करोड सीखी थी और वह ये थी कि तमाशाबीन ओके इस शहर में तुम्हें तमाशाबीन बहुत मिलेंगे लेकिन जिसे तुम अपना कह सको गे तो कभी कभार ही मिलेगा । भगवान हर किसी को एक मौका जरूर देता है अपना जीवन सुधर के और ये हमारे ऊपर निर्भर है कि हम इस मौके को पहचान कर उसे संभाल पाते है या नहीं । अगर इस मौके को पहचान का समय रहते सामान लिया जाए तो बाकी का सारा जीवन सुधर जाता है । पढना सारी जिंदगी पछताने के सिवा आपके पास और कोई चारा नहीं रहता हूँ । अंत में मैं यही कहना चाहूंगी की मेरी कहानी जैसे कि मैंने खास मकसद के लिए लिखा है । अगर किसी ने भी से पढकर अपनी शादीशुदा जीवन में चल रहे तनाव एवं खींचातानी को कुछ काम कर दिया तो मेरा ये कहानी लिखने का मकसद पूरा हो सकता है । मेरी कहानी को पढकर अगर किसी ने ऐसे कुछ सीखकर आपने शादीशुदा जीवन में सुधार करने की थोडी बहुत कोशिश भी शुरू की हो तो मेरा ये कहानी लिखना साठ तक होगा । दोस्तो, शादीशुदा जिंदगी में उतार चढाव आते रहते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने रिश्ते को टूट जाने की कगार तक पहुंचाने, रिश्तों को संभालने के लिए कई बार झुक जाना बेहतर होता है । शादीशुदा जीवन को बेहतर ढंग से जीने के लिए दोनों पक्षों के बडे सदस्यों का अहम रोल होता है । जब किसी एक पक्ष का बडा सदस्य अपनी जिम्मेदारी को भूलकर नकारात्मक भूमिका निभाने लगता है तब रिश्तों में दरार का पड जाना स्वाभाविक होता है । इस समय पति और पत्नी का ये फर्ज बनता है कि आपने उस पारिवारिक सदस्य की नकारात्मक भूमिका की पहचान करके अपने आपको मानसिक तौर पर तैयार कर लें और उनकी भूमिका को नजर अंदाज करके अपने टूटे हुए रिश्तों को बचाने की कोशिश करेंगे । धन्यवाद
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