Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
39. Akhri Ladai in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

39. Akhri Ladai in Hindi

Share Kukufm
162 Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
After the sad demise of Chiku, his legacy had to be taken forward. More light had to be thrown on the problem of stammering. Voiceover Artist : Raziya Khanum Author : Rohit Verma Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios Voiceover Artist : Razia
Read More
Transcript
View transcript

भाग दूसरे का पांचवा भाग आखिरी बार लडाई मुझको चीजों से झगडा कर मायके आए हुए तकरीबन दो हफ्ते से ज्यादा का समय हो गया था । उधर मेरे करीबी रिश्तेदारों को सब के बारे में पता चल जाता है और मेरे घर में इस बारे में पूछने के लिए आते हैं । लेकिन इन सबके बीच पम्मी मौसी की बातें आग में ठीक का काम कर रही थी । उनकी बातों से हमारी लडाई काम क्या सुना होने की तरफ जाने की बजाय और भी बढने लगती है । एक दिन मेरे ससुराल की तरफ से कुछ लोग हमारे घर आए जिनमें चीकू के मोहल्ले की दो करते हैं । एक उसकी बहन संध्या और एक उसके मोहल्ले का दोस्त । कपिल और उसके परिवार के दो सदस्य शामिल थे । मेरी मौसी वही हमारे पास बैठी थी । पहले तो कुछ नहीं बोलती लेकिन जब चीजों की तरफ से आए हुए लोग हमारे झगडे का सारा का सारा दोष मेरे ऊपर लगाते हैं तो मम्मी मौसी से भी रहा नहीं जाता हूँ । वो एक का एक उससे कहती है जी को बहुत बुरा लडका है । वो रोज रोज शराब पीकर हमारी बेटी मुक्ता के साथ झगडा और मारपीट करता है । वो कमाता भी कुछ नहीं है । उनके परिवार और मुक्ता के खर्चों के लिए हमने कई बार मुक्ता को रुपये भेजे हैं । वो मुक्ता को बात बात पर गालियाँ देता है । उसके परिवार का रवैया भी मुक्ता के प्रति ठीक नहीं है । वो हर समय हम से कुछ न कुछ मांग करते रहते हैं । इतना ही नहीं वो मुक्ता को बात बात पर ताने मारते हैं और मुक्ता की माने तो जैसे अपने ससुराल में नहीं बल्कि किसी जेल की कालकोठरी में रह रही हूँ । पानी मौसी की बातें सुनकर चीखों की तरफ से आए हुए लोग काफी दंग रह जाते हैं और वह चीजों पर लगाए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं । वो कहते हैं, चीज को और उसके परिवार को हम कब से जानते हैं । जब वह एक दो साल का था उसके द्वारा चीजों पर लगाए सभी आरोप बेबुनियाद हैं । आपको चीज को और उसके परिवार के प्रति कोई न कोई गलतफहमी हुई है । आप ही के ऊपर आरोप लगाती हूँ वो शराब पीता है और इसी शराब के नशे वन मुक्ता के साथ लडाई, झगडा, मारपीट करता है । ये सब झूठ हैं तो लेकिन मौसी कुछ गुस्से में आ जाती हैं और कहती हैं हमें कोई गलत फहमी नहीं हुई है । हाँ, एक गलती जरूर हुई थी । वो ये कि हमने अपनी बेटी की बात मानकर उसकी शादी उसकी मर्जी से कर दी । चीजों को हम सब उसके बचपन से जानते हैं और हमारा घर भी उनके घर के पास ही है । हम सब एक परिवार की तरह रहते हैं । हमारा दिन में कई बार चीकू के घर आना जाना लगा रहता है । अगर इस तरह की कोई भी बात होती तो सबसे पहले हम को यानी मोहल्ले वालों को पता चलती है । आप कहते हैं की चीज को एक बुरा लडका जबकि उस से अच्छा और शरीफ लडका हमारे पूरे मोहल्ले में दूसरा कोई नहीं है । और रही बात कामकाज करने की, पैसे कमाने की और आपके द्वारा मुक्ता को जीवन यापन के लिए पैसे भेजने की तो आप सरासर झूठ बोल रहे हैं । आप का ये काम तो सरासर गलत है और बेबुनियाद है । पडोस वाली महिला ने कहा इसके बाद दूसरी महिला ने कहा आप अपने बेटी को समझाने और उसका घर बसाने के बजाय उसका साथ दे रही हैं । आप उसके माता पिता हैं और उसके माता पिता होने के नाते आपका फर्ज बनता है कि आप अपनी बेटी के ससुराल में ज्यादा दखलंदाजी ना करें । अगर वो कुछ ज्यादा ही तंग करे तो बात कुछ अलग है । परन्तु चीकू के परिवार को हम काफी सालों से जानते हैं । उसके परिवार में ऐसी कोई बात नहीं हो सकती । मेरी मौसी और माँ उनकी एक बात नहीं सुनती और उल्टा चीकू और उसके परिवार वालों को ही बुरा भला कहने लगती हैं । काफी देर तक मार पम्मी मौसी से बयानबाजी और बहसबाजी होती रहती है । कुछ देर के बाद मेरी माँ वहाँ आई और सब मेहमानों से कहती हैं, हम आप सबकी बात बहुत देर से सुन रहे हैं । अब आप मेरी बात सुनो, ठीक है और उसके परिवार वालों से कह दो कि मुक्ता इस बार उनके घर नहीं आएगी और साथ ही ये भी कह देना की यहाँ पर आने की कोई जरूरत नहीं है । अगर चीकू और उनके परिवार में से कोई भी यहाँ आया तो हम से बुरा कोई नहीं होगा । अब हमारी मुलाकात कोर्ट में होगी । चीज और मेरी बेटी मुक्ता की जिंदगी का फैसला कोर्ट में होगा । उन सब के जाने के बाद मौसी मुझे ताने मारने के अंदाज में मेरी माँ को कहने लगती है । बहन जी मैंने तो पहले ही कहा था कि मुक्ता की शादी मेरी ननंद के बेटे के साथ कर दो लेकिन आप नहीं मानी । अब इसका अंजाम भुगत रहे होना क्या मिला आपको इस स्कूल जैसी बच्चे की शादी उस जाहिल से करके अगर कहीं इसकी शादी मेरे कहने पर मेरे ननंद के बेटे से कर दी होती । आज ही विदेश में मौज कर रही होती है । लेकिन अभी भी कुछ नहीं निकला । तुम्हारी कहने का क्या मतलब है? मैंने उनसे पूछा मेरी ननंद आज भी से अपनी बहु बनाने को तैयार है । अगर आप कहे तो बात चलाऊ लेकिन तुमने तो कहा था कि उस की शादी हो गई है । हाँ, लेकिन उसका तलाक का केस चल रहा है ना, वो क्यों? अरे कुछ नहीं । जब शादी हुई तो शादी के बाद वापस विदेश जाने लगा तो बीवी ने उसके साथ जाने की जिद की लेकिन वो नहीं माना और उसने अगली बार सात से ले जाने के लिए कह दिया । अगली बार जब वो लगभग एक साल के बाद वापस आया तो फिर वो अपनी पत्नी को अपने साथ लेकर नहीं गया । इस बात को लेकर दोनों झगडने लगे और गुस्से में उसने अपनी पत्नी को कह दिया कि वो उसे कभी भी विदेश लेकर नहीं जाएगा । इसी बात को लेकर उसकी पत्नी ने उस पर तलाक का केस कर दिया तो उनका ये केस खत्म कब होगा? खत्म तो तब होगा ना जब शुरू होगा । मतलब मैं कुछ समझी नहीं । अरे बीबी वह तो अगले ही दिन विदेश चला गया था और उसकी बीवी अपने मैं आ गयी । उसकी बीवी ने केस क्या है अपने मायके के शहर से और जब वो विदेश से वापस कभी भारत आएगा तभी तो केस चलेगा ना तो वो वापस कब आएगा जब आपका हूँ मतलब मेरा मतलब की जब भी मुक्ता की शादी उससे करने के लिए हाँ करेंगी तभी मैं उसे बता दूंगी । उसके बाद वो जल्द ही वापस आकर सबसे पहले अपना केस वाला चक्कर खत्म करेगा । उसके बाद मुक्ता से शादी तो मम्मी मौसी की ये योजना भी कमाल की थी । मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि वो मेरी तरफ दारी कर रही थी या अपने उस ननंद के बेटे की पानी । मौसी की बात सुनकर पहले तो दिल करता था कि उसे घर से निकाल कर बाहर कर दू लेकिन मैं खामोश रही । शायद मेरी खामोशी आगे चलकर मेरी बर्बादी का कारण बन गई लेकिन वो सब बाद में पहले तो मुसीबत गले पडी है जिससे तूने पड लू मानेका इस मुसीबत से निपटना तो तेरी पम्मी मौसी की बातें हाथ का खेल है अच्छा ये फिल्मी डायलॉगबाजी बंद कर और अगर कोई हाल है तो बता हूँ है ना वो अपना अनिल किस दिन काम आएगा? अनिल कौन? चीकू चीकू नहीं वो वकील जो कभी हमारे मोहल्ले में रहता था । हाँ वैसी के बारे में बात कर रही हूँ तो मैं भी अच्छी तरह से जानती हूँ । किसी दिनों से मिलने का प्रोग्राम बनाओ । एक बार उसकी राय भी ले लेते हैं । वो क्या कहता है जमात चाहूँ कुछ दिन के बाद मेरी मौसी मा ओवर में हम तीनों वकील से मिलने चले गए । नमस्कार वकील साहब मेरी मौसी ने वकील से कहा अरी बहना यहाँ मेरे गरीब खाने में धन्ने भाग हमारे जो आपके दर्शन हुए कहीं मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ की मेरी भांजी है । इसका नाम मुक्ता है और ये मेरी बहन तो आप जानते ही हैं । हाँ हाय नहीं, कौन नहीं जानता है नहीं मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ । वही जैसी आपने शकुंतला की सहायता की थी । बिल्कुल वैसा ही केस है । अच्छा अच्छा वाह शकुंतला! उसको तो दो करोड दिलाया था । बडा मुश्किल केस था लेकिन फिर भी जीत हमारी ही हुई । जी तो आपकी होनी थी, ये तो सकते थी आपसे कोई देख सकता है क्या? नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं । असल में इस जीत का असली हकदार हमारे भारत की कानून की व्यवस्था है । इसके बल बूते पर शकुंतला जैसी और एक केस जीत जाती हैं । क्योंकि भारतीय कानून की आप पढ तो पट्टी बंधी होती है । उसे तो जो कुछ हम जैसे वकील कहेंगे उसे तो वही मानना पडेगा । चलो बाकी की बात फिर कभी अब जरा मेरी भांजी के केस के बारे में बात कर ली । बात क्या करनी? किस पानी की तरह साफ है? आप सिर्फ मेरे सवालों का जवाब देते जाओ । जो भी मैं पूछो उसका सही सही जवाब देना पार्टी कैसी है? मतलब? अरे मतलब की पार्टी के पास पैसा वगैरह कितना है? ठीक ठाक है । ठीक था मतलब कितना पांच छह करोड की पार्टी होगी नहीं हाँ वो भी सकती है । चलो हम दो करोड मान चलते हैं । ठीक है एक करोड दिलवा दो पार्टी से मतलब बेटी तूने पति से तलाक लेना है और तुझे आगे का जीवन गुजारने के लिए पैसे तो चाहिए ना । ये वही पैसे हैं से कानूनी भाषा में गुजारा भत्ता बोलते हैं । लेकिन इतने सारे मेरा मतलब की दो करोड तो बहुत ही बडी रकम हैना हाँ, लेकिन अगर हम दो करोड रुपये की मांग करेंगे तब जाकर कहीं चालीस पचास लाख रुपये मिलेंगे । तो शकुंतला वाले जिसके इसका जिक्र अभिनय कर रहा था उसमें हमने दस करोड की मांग की थी । तब जाकर मामला दो करोड में खत्म हुआ । आप इसकी बात छोडिए आप अपनी कार्यवाही शुरू करें इसमें तो पहले जीना हराम कर रखा है । मम्मी मौसी ने कहा अच्छा तो आप मुझे अपने ससुराल पक्ष के सदस्यों के नाम और उनसे क्या रिश्ता है? वह बताऊँ ताकि हम उन पर कौन कौन सा इल्जाम लगा सकते हैं यह तय कर लें । मैं कुछ समझी नहीं बेटा इसमें समझने वाली क्या बात है? तुम्हारी ससुराल में कौन कौन से सदस्य हैं तो उन के बारे में बता दूँ ताकि हम उन पर इल्जाम तय कर लें । चलो ये काम ही मैं ही कर देता हूँ । जैसा कि तुम्हारी ससुराल में सात सौ सौ तो है ना तो उन पर मारपीट करने का दहेज मांगने का आरोप लगा देते हैं तुम्हारा कोई जेट यानि तुम्हारे पति का कोई बडा भाई है नहीं देवर तो होगा वहाँ एक है चलो । ये भी ठीक है उस पर तुम से छेडछाड करने का आरोप लगा देते हैं । लेकिन इन सब की क्या जरूरत है? बेटी हमें अपने केस को मजबूत करने के लिए ऐसे मनगढंत आरोपों की जरूरत है तभी हमें गुजारा भत्ता की रख मिल पाएगी । मेरी बात को ध्यान से सुनो । मैं पिछले कई सालों से वकील का काम कर रहा हूँ और मैं ज्यादातर तलाक के केस की देखता हूँ, वो भी लडकी के पक्ष की तरफ से क्योंकि इसमें जीतने की संभावना लडके के पक्ष की तुलना में कहीं ज्यादा होती है । वो क्यों? क्योंकि लडकी के पक्ष के लोग सौ प्रकार के इल्जाम लडके के पक्ष पर लगाकर जैसे दहेज मांगना, मारपीट करना, छेडछाड करना आदि । लेकिन इसके विपरीत लडके के पक्ष के लोग एक ही इल्जाम लडकी के पक्ष में नहीं लगा सकते । ऐसा क्यों? क्या इल्जाम लगाएंगे यही कि खाना नहीं बनाती । सुबह देर से उठती है, किसी की इज्जत नहीं करती, हर पल लडाई झगडे के लिए तैयार रहती है । लेकिन इन सब इल्जामों को कानून मान्यता नहीं देता हूँ । अगर ये कहे कि भारतीय कानून लडकी के पक्ष को ज्यादा ध्यान में रखता है तो गलत नहीं है । बस इसी बात का हम जैसे वकील लोग अपना फायदा उठाते हैं और अपनी रोजी रोटी चलाते हैं । अगर तुम कभी पता करो तो तुम्हें पता चल जाएगा कि पूरे भारत की कोर्ट कचहरियों में ऐसे केस भरे पडे हैं । लेकिन ये तो गलत होगा ना तुम सही गलत का फैसला करना बंद करो और अपने किस पर ध्यान दो, बहुत कर ली तो मैं अपनी मर्जी । अब यहाँ मेरा हो काम चलेगा और जैसा मैं कहती हूँ वैसा करती जा बडी आई सही गलत के बारे में सोचने वाली मम्मी मौसी ने मुझसे कहा हम काफी देर तक उस वकील के पास बैठे रहे । उसने चीजों पर केस दाखिल करने के लिए गुजारा भत्ता, दहेज, मारपीट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया । उसने कानून की धारा फोन नाइंटी एट ए के तहत चीकू और उसके परिवार के खिलाफ केस दाखिल कर दिया । मुझ पर एक इल्जाम था कि मैंने अपने बेटे को मारा था लेकिन ये सच नहीं था । मैं एक माँ थी और भला में अपने बेटे को क्यों मारूंगी? सच्चाई कुछ और थी । हुआ यूं कि हम अपने केस को लेकर कुछ व्यस्त थे । मम्मी मौसी भी हमारे घर पर आई हुई थी । ऐसे जब से मेरा केस चल रहा था तब से पम्मी मौसी अपना ज्यादा समय हमारे घर पर ही व्यतीत करती थी । पता नहीं क्यों वो मेरे इस केस में खास दिलचस्पी ले रही थी । उसी समय पम्मी मौसी को एक फोन आया और उसने फोन सुनने के बाद मेरी माँ से कहा बहनजी बधाई हो । अभी अभी अनिल का फोन आया है । उस ने कहा है कि उसने केस के सभी गावस् तैयार कर लिए हैं और हमें उस पर हस्ताक्षर करने के लिए बुला रहा है । उसमें कहा है कि केस इतना मजबूत कर लिया है कि मुक्ता के सुसराल में से कोई भी सदस्य बच नहीं सकता हूँ । कैसा की इस मेरे कहने का मतलब है कि किस प्रकार का किस तैयार किया है । मैंने कहा उसमें धारा फोन नाइंटी एट ए के तहत चीज हूँ और उसके परिवार के खिलाफ केस दाखिल किया है । और अगर इस धारा के तहत जो आरोप हम ठीक हूँ और उसके परिवार पर लगा रहे हैं, अगर वह सही साबित हो जाते हैं तो चीकू के परिवार के सभी के सभी सदस्य सारी जिंदगी के लिए जेल में जा सकते हैं । वो सब तो ठीक है लेकिन क्या तो मैं उससे फीस वगैरह की बात की है वो भी तय हो जाएगी । क्या कहता है वो तीस प्रतिशत बोला है । बीस प्रतिशत मतलब मतलब की के सीट ने पर जितना पैसा आपको चीजों के ससुराल वालों से मिलेगा उसका बीस प्रतिशत उसकी फीस होगी कि कुछ ज्यादा नहीं होगा । दीदी शकुंतला के केस में उसने तीस प्रतिशत लिया था । तीस प्रतिशत ही तो बहुत ज्यादा है । अच्छा ये सब बातें बाद में हो सकती हैं । सबसे पहले हमें जल्दी से वकील के पास जाना चाहिए लेकिन मैं नहीं जा सकती । मैंने कहा क्यों तुझे क्या हूँ? मम्मी मौसी ने पूछा पी को कुछ ठीक नहीं लग रहा है । क्यों? क्या हुआ उसको? पता नहीं सुबह से दूर नहीं दिया है और बस ऐसे ही चुप चाप लेता है तो इसकी फिर छोड और जल्दी से तैयार हो जाए । वकील के पास जाना है लेकिन मैंने कहा ना कि मैं ऐसे यूँ छोडकर नहीं जा सकती है । आपको अगर जाना है तो आप जा सकती हैं तो कैसे नहीं जाएगी । तेरह । तुम बात भी जाएगा वहाँ तलाक का केस तेरह चल रहा है किसी और का तो मुझे तो जाना ही होगा लेकिन एक दो दिन के बाद नहीं जा सकते । क्या नहीं अभी और इसी वक्त जाना है । इसके बाद में बुझे हुए मन से तैयार होने लगी । क्योंकि पीकू का बीमार होने का तो एक बहाना था । असलियत में चीज को और उसके परिवार पर मेरा केस वगैरह करने का मन नहीं था । लेकिन मैं पम्मी मौसी और माँ के दबाव में आकर सब कर रही थी । खैर कुछ समय के बाद हम तैयार होकर वकील के दफ्तर में चले गए और वहाँ पर तलाक के कागजात पर हस्ताक्षर कर के हम जल्दी ही वापस आ गए । वापस आकर में अपने कमरे में चली गई । मेरे कमरे के पास ही मेरी माँ का कमरा था जहाँ और मौसी दोनों बैठ कर बातें कर रहे थे । उनकी बातें मुझे साफ साफ सुनाई दे रही थी । फिर दीदी कैसे और कब करना है? मम्मी मौसी ने माँ से कहा क्या ऐसा करना जरूरी है? मैंने पूछा हाँ था क्योंकि इसके बिना हमारे पास और कोई रास्ता नहीं । लेकिन लेकिन को छोडो दीदी अपने भविष्य के बारे में सोचो । सुनो दो करोड का केस अनिल ने चीकू के परिवार पर क्या हुआ है? उसमें से कम से कम एक करोड तो मिल ही जाएगा । अनिल को अपनी फीस यानी बीस प्रतिशत तीस लाख लेना है तो कुल मिलाकर हमारे पास आ गए । पूरे अस्सी लाख तेरी सोचो पूरे अस्सी लाख रुपये और सारे के सारे हमारे । इसके बाद हम मुक्ता की शादी मेरे ननंद के बेटे के साथ कर देंगे । उसकी बात पैसे हमारे पास और मुक्ता उनके पास । लेकिन अगर तेरी ननंद के बेटे ने मुक्ता को शादी के बाद अपने साथ विदेश ले जाने से मना कर दिया तो तो फिर फाइनल केसिन कम आएगा और फिर हमारी मदद के लिए फोन नाॅट । हैना फिर से लगा देंगे उन पर और दीदी अगर ये चक्कर कहीं चल गया ना तो फिर दो करोड नहीं पूरे बीस करोड का केस होगा । बीस करोड तुम्हारी योजना तो कुछ कुछ ठीक है । अरे देवी कुछ कुछ नहीं, सब कुछ ठीक है । बस आप पार्टी को किसी तरह से निकाल दो । तरीक काटा तो आज रात को ही निकल गया समझो चीकू का पी को कल का सूरज कभी नहीं देखेगा । हाँ और मौसी की बातें सुनकर पहले तो मैं चुप चाप रही लेकिन जब उनके मुंह से मेरे बेटे को मारने की बात सुनी तो मुझ से रहा ना गया । तुरंत उनकी कमरे में गए और उनसे गुस्से में कहा ये बातें हो रही है । मैंने सब कुछ सुन लिया है और मेरी बात तो मंत्रा मौसी ध्यान से सुन लो अगर मेरे बेटे को कुछ भी हुआ तो तेरी जान ले लूंगी और अभी के अभी तुम्हारे सारे खेल के बारे में बताने अपने ससुराल चीजों के पास जा रही हूँ तो जाना रोका किस में हैं आप चुप रहना दीदी मैं बात करती हूँ तो जाना चाहती है ना तो और जरा जल्दी जाना । लेकिन जाने से पहले मेरे एक बात जरूर सुन लेना । पहली बात तो वो मेरी बात का विश्वास बिल्कुल नहीं करेंगे क्योंकि उन लोगों पर तुम्हें केस दाखिल किया है मैंने या किसी और ने नहीं वो तेरी बात कभी नहीं मानेंगे । दूसरी बात ये है कि आप बात बहुत ज्यादा बिगड चुकी है तो हो सकता है वो तो मैं देकर तुम्हारे साथ मारपीट करें । ऐसा होना कोई बडी बात नहीं है । मेरी बात सुन हम तेरे दुश्मन नहीं तेरह भला चाहने वाले हैं । हमारी बात माल और जैसा हम कह रहे हैं उसे मान जाते हैं । लेकिन कुछ भी हो मैं अपने बच्चे को नहीं मार सकती तो मुझे ऐसा नहीं करना है तो मत कर तेरी मर्जी लेकिन तुझे तो पता ही है कि शादी के बाद तुम अपने बच्चे को साथ नहीं ले जा सकती । साथ नहीं ले जा सकते, लेकिन किसी को पालने के लिए तो दे सकती हो ना । हाँ ऐसा हो सकता है ये ठीक रहेगा । लेकिन तब तक तो मैं जैसा हम कह रहे हैं वैसा ही करना होगा । इसी में हम सबकी भलाई है । देख तेरी माँ दिल की मरीज । जब तो मैं ऐसी बातें की तो मेरी तो दिल की धडकन ही तेज हो गई । लगता था अभी रुक जाएगी और मेरा काम तमाम हो जाएगा । मार मौसी की बातें सुनकर मेरा तो दिल करता था कि मैं उन दोनों को जान से मार दो । कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वो कर क्या रही हैं । मुझे इस्तेमाल करके मेरे ससुराल वालों से पैसा वसूल कर रही हैं । लेकिन क्यों वो ऐसा क्यों कर रही हैं? लेकिन माँ और मौसी की बातों ने मेरे दिमाग में एक ऐसा पर्दा डाल दिया था जिससे मैं अपना भला बुरा समझने की शक्ति गवाह चुकी थी । उनकी कुछ बातों ने मुझे डरा दिया था । इससे की मैं चीजों के पास जाने के अपने फैसले को नहीं बदल बैठे । उस समय के बारे में मैं आज भी सोचती हूँ कि काश अगर में उस दिन हिम्मत करके चीजों के पास पहुंच जाती हैं और उससे माफी मांग लेती तो शायद मेरी जिंदगी कुछ और होती है । मैं अपने कमरे में वापस आ गई और अपने बेटे फीको के साथ खेलने लगी । उस समय एक पल के लिए मैंने सोचा कि अगर मेरी मौसी ने पी को के साथ कोई ऐसा वैसा कदम उठा लिया होता तो कि आज मेरे पास ना होता है । सोचकर ही मैं सहम गई । मैं ऐसे खोना नहीं चाहती लेकिन वो तो मेरी दूसरी शादी की बात कर रहे हैं । इसमें एक शर्त रखी जा रही है कि जिसके तहत मुझे अपने बेटे पीको को उसकी परवरिश के लिए किसी और को सोचना होगा । क्या में ये सहन कर पाउंगी क्या में अपने बेटी की जुदाई बर्दाश्त कर पाउंगी? लेकिन ऐसा पहली बार तो नहीं कर रही । मैंने ऐसा पहले भी किया है । इससे पहले भी मैंने अपनी हालत को अपने से जुडा । क्या मैं एक अच्छी माँ नहीं हूँ? क्योंकि मैंने अपने बेटी पारी को अपने से जुडा क्या तो मेरे बारे में क्या सोचती होगी? वो कुछ बडी हो गई है । उसे मेरी याद जरूर आती हूँ । ऐसा नहीं है कि वह मुझे भूल गई होगी । उसके जहन में मेरी कोई ना कोई याद तो बाकी होगी । मैं उसकी जुलाई कैसे बर्दाश्त कर सकती हूँ? क्या मैं इतनी बुरी हूं? चीखों से तलाक के बाद मेरा क्या होगा? मेरे पास तो कुछ भी नहीं बचेगा । परिवार के नाम पर बस चंद काउंसि रिश्ते होंगे । बच्ची को जिसे मैं कभी अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थी वो भी मेरे पास नहीं होगा । मेरी बेटी परी मुझसे सदा के लिए जुदा हो जाएगी और बेटा पीकू तो मुझ से छीन लिया जाएगा । नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती । तलाक लेने का घिनौना कदम नहीं उठा सकती । मैं अपना परिवार देखे नहीं सकती । नहीं, मैं ऐसा नहीं करूंगी । उस समय मैंने मन ही माननीय फैसला कर लिया । चाहे जो भी हो जाए । मैं सुबह होते ही अपने मैं की मैं बिना किसी को बताए ठीक ओके पास जाउंगी और उसके पास पकडकर में माफी मांग होंगी । किसी भी कीमत पर अपना परिवार टूटने नहीं दूंगी हूँ । लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था । रात की आठ बज चुके थे । मुझे अपने बेटे फीको को दूध पिलाना था । अपने कमरे से बाहर बेटे के लिए दूध लेने के लिए गई । लेकिन मुझ से पहले ही मेरी माँ पीको के लिए दूध लेकर आ रही थी । पहले तो मुझे उनकी इस बात पर हैरानी हुई क्योंकि इससे पहले उन्होंने कभी पीकू के लिए दूध तैयार नहीं किया था । लेकिन मैंने उनकी इस बात को नजरअंदाज कर दिया और उनसे दूध लेकर अपने कमरे में चली गई । प्रतीकों को दूध पिलाने लगी और दूध पिलाते समय मैं कल के बारे में सोचते लगी । पी को दूध पीते पीते अचानक से बेहोश होने लगा लेकिन मैंने उसे सोया समझकर अपने पास बिस्तर पर लिटा लिया । मैंने उसका बिस्तर वगैरह अच्छी तरह से लगा दिया और उसके साथ में लेट गई । कुछ समय के बाद मैंने महसूस किया कि पी को कोई हरकत नहीं कर रहा हूँ । मैंने उसे हिलाया लेकिन फिर भी उसने कोई हरकत नहीं की । अभी मुझे शक हुआ के मैंने कमरे में शोर मचाना शुरू कर दिया । मेरा शोर सुनकर सबसे पहले मम्मी मौसी कमरे में आई और उनके पीछे माँ । वो दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगी । पीको को उठाने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन वो नहीं रहा था । कुछ समय तक जब पी को नहीं उठा तो मैं और मौसी के साथ उसे मोहल्ले की डॉक्टर के पास ले गए । लेकिन डॉक्टर ने जब उस की प्राथमिक जांच की उसे मृत घोषित कर दिया । मेरा बेटा पी को आप इस दुनिया में नहीं रहा । मैं अपने बेटे की मृत्यु के सदमे में अपना दिमागी संतुलन खो चुकी थी और एकदम पत्थर सी बन गई थी । मुझे पता नहीं चल रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है । मेरी तो जैसे सारी दुनिया ही पलट गई थी । मेरी माँ और मौसी ने उसी समय पीकू के मृत शरीर को अस्पताल से उठाया और मुझे सात लेकर शमशान घाट की तरफ जाने लगे । उन्होंने रातोरात पीको का अंतिम संस्कार कर दिया । उसके बाद हम सीधा पम्मी मौसी के घर चले गए । शायद उन्हें पता था की चीज को वहाँ जरूर आने वाला था । हम दोपहर तक वहीं बैठे रहे । तभी पम्मी मौसी को अनिल वकील का फोन आया हलो आप अपनी मौसी जी बोल रही हूँ । हाँ मैं भी बात कर रही हूँ । मम्मी मौसी ने कहा मम्मी जी की मैं क्या सुन रहा हूँ वो मुक्ता का बेटा मर गया । हाँ वो कुछ बीमार थाना इसीलिए इस दुनिया को छोड गया । अमित जी आप मुझसे सच्चाई छुपा नहीं सकती । मुझे सब पता चल गया है कि उसके साथ क्या हुआ है । आपको पता है आपने ऐसा करके अपने केस को और कमजोर कर दिया है । अब तो आपके इस लडने से पहले ही हार गई लेकिन ऐसे कैसे हार गई? केस ऐसा कैसे हो सकता है? आपको कुछ अंदाजा भी है कि आपने क्या किया जी को । अपने बेटे के मरने की खबर सुनकर पहले तो वहीं बेहोश हो गया । उसके बाद उसे अस्पताल में लेकर गए जहां उसे कुछ होश आया । घर आकर उसने सोशल मीडिया यानी फेसबुक पर आपकी सारी कहानी लिख कर पोस्ट कर दी और दुनिया को आपके द्वारा किए गए इसके उन्होंने काम के बारे में बता दिया । ढाई । राम अब क्या होगा वो तो अब आपका रान ही जाने की क्या होगा कि मजाक करने का समय नहीं । ये बताओ के अब हम आगे क्या करेंगे । अब आपको आगे कुछ नहीं करना है । बस कुछ दिनों के लिए चुप रहना वरना और केस हार जाओगे । वो कैसे? जब चीजों का वकील आप सभी पर उसके बेटे की मृत्यु का केस करेगा तो आप अदालत में क्या साबित करोगी कि कैसे मारा? और तो और आपने रातोरात चारों की तरफ से उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया । आप जो कुछ मर्जी कर लो अब आप केस हार चुकी हूँ । अब तो आप सभी को जेल में जाने से कोई नहीं रोक सकता । ऐसा मत कहूं । कोई ना कोई तो रास्ता होगा ना एक रास्ता है । वो क्या अगर किसी तरह पता लग जाएगा कि आपके इस कारनामे की वजह से चीज को और उसके परिवार वाले क्या कदम उठा रहे हैं । फिर उसी के अनुसार हम अपना किस तैयार कर सकते हैं । क्योंकि अभी हमने बिना सोचे समझे कोई भी कदम उठाया तो वो हम पर भारी पड सकते हैं । ठीक है जैसा आप कहें लेकिन एक बात करूँ ये जो आपने अभी कारनामा किया है ना आपको कभी नहीं करना चाहिए था । ये तो आपने आपने पहरों पर ही कुल्हाडी मारी है । फिर इसके बाद हम सभी अपने घर वापस आ जाते हैं । घर आकर में अपने कमरे में चली जाती हूँ, वहाँ अपने बेटे के कपडों और बाकी का सामान देखकर रोने लग जाती हूँ । मैंने क्या सोचा था और क्या हो चुका था । मेरे कारण मेरा बेटा पी को इस दुनिया में नहीं था । जानती थी कि उसको जान से मारने के पीछे किसका हाथ है लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी क्योंकि मैं अपनी माँ के खिलाफ कैसे जा सकती थी । अब तो मैं उनके द्वारा किए गए गुनाहों की बराबर की हिस्सेदार बन गई थी । समय बीतता गया । एक दिन मेरी मौसी ने चीकू के पिता को फोन किया और उनसे मुलाकात करने को कहा ताकि हम दोनों के बीच हो रहे झगडे को खत्म कर सके । उसने चीखों के पिता को हम दोनों में सुलह करवाने की पेशकश की और चीजों के पिता ने पम्मी मौसी को घर पर आने को कहा ताकि उनकी बात बिहार से सुनी जा सके । क्या मुझे इस बात का पता चला तो मैं खुशी से झूम गई । मुझे आशा की एक किरण नजर आने लगी क्योंकि मैं चीजों को अच्छी तरह से जानती थी । कुछ भी हो वो मुझे माफ जरूर कर देगा और मैं ठीक हूँ और अपनी बेटी परी के साथ आगे का जीवन खुशी खुशी विदा होंगे । खैर वो समय आ गया जब मम्मी मौसी ने चीकू के घर जाने की बात कही । मैंने उनसे कहा मौसी, पिछली जिंदगी में जो कुछ भी हुआ है मैं उसे भूल जाने के लिए तैयार हूँ । बच्ची को से कहना कि मुझे माफ कर दे, मैं वापस घर आना चाहती हूँ और सब कुछ अब आप के हाथ में है । आपको याद होगा कि आपने एक दिन मुझे अपनी बेटी माना था बस उसी का में आपको वास्ता दे रही हूँ । मुझे अभी भी अपनी बेटी ही समझना । मुझे आप से कोई शिकायत नहीं है । प्रसाद ठीक हूँ और उसके परिवार को किसी प्रकार मना लो । प्रसारि जिंदगी आपकी बहुत ये एहसान मंदिर होंगे तुम चिंता मत करो । बेटी मैं भी चीजों के घर जाकर उसे समझाएंगी । मुझे विश्वास है वो मेरी बात बिल्कुल नहीं डालेगा । वो मेरा कहाँ मान जाएगा और जल्द ही तो मैं वापस अपने घर बुला लेगा । अभी जाकर जल्द ही तुम्हें खुशखबरी सुनाती हूँ और तुम्हारी बात फोन पर्ची को से करवाती हूँ । उसके बाद मम्मी मौसी जी को के घर रवाना हो गई । मेरे लिए ये समय बहुत ही भारी पड रहा था । एक एक पल एक एक साल सामान लग रहा था । मौसी के फोन का इंतजार कर रही थी लेकिन उनका कोई फोन नहीं आ रहा था । काफी समय बीत गया लेकिन मौसी का कोई फोन नहीं आया और ना ही वो खुद आई । कुछ समय के बाद घर के दरवाजे की घंटी बजी और दरवाजा खोलने पर मौसी को सामने पाया । वो मुझे लटकाते हुए घर के अंदर आने लगी । मैंने कहा क्या हुआ आप योगी आ गई । मैं तो आपके फोन का इंतजार कर रही थी । क्या हुआ जी को नहीं मिला क्या? बात हुई वहाँ पर बताओ तो फॅस तो लेने में भी सब बताती हूँ । मैं उसके घर गई और उस से मिलकर से कहा बेटा आप गुस्सा छोडो और मुक्ता के परिवार से सुलह कर लोग मौसी जी अब उनसे सुलह वाली कोई बात नहीं । अगर उसने सुना ही करनी थी तो मेरे बच्चे को क्यों मारा था? चीकू ने कहा बेटा, उसने जानबूझ कर ऐसा काम नहीं किया । इसमें उसकी कोई मजबूरी रही होगी । मौसी ने कहा मैं आपकी बात पर बिल्कुल भी सहमत नहीं हूँ क्योंकि इससे पहले भी मुक्ता माइकर के फोन के कहने पर जानबूझ कर अपना गर्भपात करा चुकी है क्योंकि उसके पहले गर्व काल के दौरान उसे जिस बात के लिए मना किया जाता था, मुक्ता जानबूझकर वहीं काम करती थी । इसकी जिम्मेदार सीधे तौर पर उसकी माँ और उसकी मौसी है । उस लडकी से अब कोई वास्ता नहीं रखना चाहता हूँ, जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में अपने पति की न हो सकी, जो अपनी माँ के कहने पर मुझे कठपुतली की तरह नहीं चाहती रही । जिसने अपनी दूधमुही बच्चे के बारे में इस बार नहीं सोचा जो अपनी माँ की तो हर बात मानती हैं परन्तु अपनी कोख से जन्मी अपनी डेढ साल की बच्ची को माँ का प्यार नहीं दे सकती । ऐसी लडकी मुझे नहीं चाहिए जो की मुझे और मेरे सारी परिवार को अपने परिवार के आगे नीचा दिखाने पर तुली हो । बेटा तुम एक बार से मिल तो लोग खबरदार अगर आपने मुझे उससे मिलने के बारे में कहा था । लेकिन लेकिन लेकिन कुछ नहीं । मेरा अभी उसके साथ कोई रिश्ता नहीं है । मेरा और उसका रिश्ता तो तभी खत्म हो गया था जब उसने अपने बेटे पीको को मारा था । मेरे लिए तो उसी दिन मर गई थी वो । और हाँ, आखिरी बार आप कान खोलकर सुन लो । कभी भी भूलकर भी मेरी मुलाकात उससे करवाने की कोशिश मत करना । मेरे सामने उसे लेकर मत आना वरना में उसी समय उसे जान से मार दूंगा । इसके बाद चाहे मुझे कोई भी सजा क्यों ना भुगतनी पडी, मैं उसे मारकर हसते हुए हर सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ । इसके बाद मौसी होने लगती हैं । रोते हुए मुझसे कहती है बेटी ये मैं जानती हूँ मैंने वहाँ वो समय कैसे काटा मेरा वहाँ पर एक पल निकलना मुश्किल हो रहा था । ठीक होने मुझसे बहुत बुरा बर्ताव किया उसने तो तुम्हारे बारे में ऐसी ऐसी बातें कहीं की मैं बता नहीं सकती । मेरी बात मान बेटी अब तो उसके पास वापस जाने का खयाल अपने दिमाग से निकाल दें तो उससे तलाक ले ले । उसके बाद मुझे जहाँ शादी करनी है वहीं कर मैं तेरी माँ तो उस पर इस मामले को लेकर कोई दबाव नहीं डालेंगे । तो मुझे मेरी ननंद के बेटे से शादी नहीं करनी है तो मत कर लेकिन चीजों का ख्याल अब अपने मन से निकाल दें । ठीक है जैसा आप कहेंगे मैं वैसा ही करेंगे । वो तो ठीक है मम्मी लेकिन अब आगे क्या करना चाहिए? मानी पूछा आगे क्या करना है? वहीं तो हमने सोच रखा है । मैंने चीजों के घर से आते समय वकील को फोन करके सारी बात बता दी थी । उसने क्या कहा? उसने कहा कि अब हमें दे नहीं करनी चाहिए और जल्दी से केस दाखिल कर देना चाहिए क्योंकि अब लडाई आरपार की स्थिति पर आ पहुंची है । ये समय दबाव में आने का नहीं है । फिर फिर क्या मैंने चीज को और उसके परिवार पर केस दाखिल करने की हामी भर दी है और उसने तभी से केस दाखिल कर लिया । अब जल्दी कोर्ट में हमारा केस लग जाएगा । हमारे केस को लगे हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे तभी एक दिन मेरे मामा क्योंकि हमारे पास ही में रहते थे वो हमारे घर पर आए और आते ही मेरी माँ पर गुस्सा करने लगे । दीदी आप तो बर्बाद हो ही रही हैं लेकिन साथ में हमें क्यों बर्बाद कर रहे हैं? क्यों क्या हुआ? तुमने पूछा तेरे दामाद में मेरे संबंधी के साथ मिलकर मुझ पर दहेज उत्पीडन का केस करवा दिया है और साथ ही ये धमकी दी है की अगर उसके ससुराल वालों ने उस पर फोन नाइंटी एट ए के तहत किए गए केस को वापस नहीं लिया तो वह मेरे संबंधी के साथ मिलकर हम सबके ऊपर इसी धारा के तहत केस कर देंगे । ऐसा कैसे हो सकता है । मुझे ये सब नहीं पता लेकिन अगर ऐसा हो गया तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा । तुम चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा । अब ये लडाई आर पालकी है मैं उसे जिंदा नहीं छोडेंगे । माँ ज्यादा गुस्से में आने की कोई जरूरत नहीं है । जैसा वह कह रहे हैं वैसा कर दो । मैंने कहा तो चुप कर जब देखो बीच में बोलती रहती है । मैं चुप ही तो रही थी जो ये सब हो गया । मालूम आखिरकर चाहती क्या हूँ पैसा तो मैं अपनी बेटी की जिंदगी से कोई प्यार नहीं है । ये सब लालच छोड दो, तुम्हारे लालच ने मेरे बेटे की बलि ले ली है । अब और क्या चाहिए तुम्हें तेरे कहने का मतलब है कि तेरे बेटे को मैंने मारा । मैं ये तुम भी जानती हूँ और मैं भी जानती हूँ की उस दिन क्या हुआ था । इस बात को यही दाग दो तो आपके लिए ही अच्छा होगा क्योंकि हम सब ने मिलकर ये पाप किया है और उसकी सजा हमें जरूर मिलेगी । कानून से ना सही लेकिन उसके ऊपर वाले से हमें अपने किए कि पाप की सजा जरूर मिलेगी । अरे माँ, कुछ तो डरो बस करो अब तुमने और तुम्हारी बहन ने मिलकर मेरी जिंदगी तो बर्बाद कर दी । अब तो मामा की जिंदगी बर्बाद क्यों कर रही हूँ? क्यों तो मैं इस लडाई को बढावा दे रही हूँ । मामा आप बेफिकर रहूँ और चीकू के परिवार से कह दो कि जैसा आप कहोगे वैसा ही होगा । हम अपना फोन नाइंटी एट ए वाला केस वापस लेते हैं और एक साधारण तलाक का केस कोर्ट में दाखिल करने के लिए तैयार है । मेरा भविष्य तौर पर बाद हुई चुका है । लेकिन अब मैं मेरी वजह से किसी और का भविष्य बर्बाद नहीं कर सकती । मैं लडाई को जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहती हूँ । इसके बाद मेरे मामा वहाँ से चले गए और मेरा ये संदेश ठीक ओके परिवार तक पहुंच गया । जिसके बाद उन्होंने मामा पर केस वापस ले लिया । हमने भी अपना केस वापस लेकर एक साधारण तलाक का केस कोर्ट में दाखिल कर दिया और छह महीने के अंतराल के बाद कोर्ट ने हमारा तलाक मंजूर कर लिया । मेरे और चीखों का प्यार मेरे परिवार की वजह से शुरू हुआ था और ये मोबाइल फोन की मदद से आगे बढा । लेकिन विडंबना देखो आज इसी परिवार की वजह से मेरा प्यार तलाक तक पहुंच गया और इसमें भी मदद एक मोबाइल फोन ने की । मेरी इस प्यार कांत करने में बेशक मेरी मौसी या मेरी माँ का हाथ रहा होगा लेकिन मैं खुद को इसकी जिम्मेदार मानती हूँ क्योंकि दिल और दिमाग की वजह से मैंने चीज को से प्यार किया । आज इसका इस्तेमाल मैंने वो प्यार बचाने में नहीं किया । में स्वस्थ्य दिमाग की मालिक होते हुए भी अपनी माँ और मौसी के हाथ की कठपुतली बनकर रह गई

Details

Sound Engineer

After the sad demise of Chiku, his legacy had to be taken forward. More light had to be thrown on the problem of stammering. Voiceover Artist : Raziya Khanum Author : Rohit Verma Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios Voiceover Artist : Razia
share-icon

00:00
00:00