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भाग - 06 in Hindi

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रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
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भारत है । डॉक्टर स्वरूप और आगंतुक की बातें सुनकर मेरी समझ में पूरी बात नहीं आई । पर इतना महसूस हुआ था कि इसमें जरूर कोई रहते हैं । कोई हायर कानूनी चक्कर है । नाश्ता खत्म होते ही कॉलबेल बजी । मैंने बाहर जाकर दरवाजा खोला । एक भारतीय नवयुवक बाहर खडा था । कहीं किसी मिलना है । डॉक्टर सरूपी ही रहते हैं । जी में पांच मिनट के लिए उस से मिलना चाहता हूँ आप एक मिनट रुकी । आकाश अपना मुझे जीती । शाह कहते हैं डॉक्टर साहब से परिचय नहीं है । अपने अंदर गई । डॉक्टर साहब को बताया । उन्होंने नवी वर्ग को अंदर लाने के लिए कहा । में शाह को अंदर ली वालाई नहीं मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? डॉक्टर साहब ने युवक से पूछा में वहीं खडी नहीं मुझे मुत्थुस्वामी ने भेजा है । ये चिट्ठी भी दी है अच्छा डॉक्टर साहब में शाह के हाथों में से एक छोटी सी फॅमिली और उसे पट्टी में मूल्य मिस्टर मुत्थुस्वामी को जैसे जानते हैं । वहीं कह रहा हूँ अच्छा अच्छा बैठिए । अरे लेना जी मिस्टर शाह के लिए पीने के लिए चलाइए ऍम मैं भी नाश्ता करके आ रहा है । शाहनी कुर्सी पर बैठे हुए कहा कितनी चाहिए आपको कम से कम सौ वैसे दो सौ का प्रबंध हो जाए तो आपकी बडी कृपा होगी । हो जाएगा ऍम बहुत बडी समस्या हल हो गई । पर मिस्टर शाह आजकल भाव काफी तेज चल रहा है । चौंतीस का भाव है पर मैं आपको बत्तीस नहीं दूंगा । पर डॉक्टर साहब मिस्टर मुत्तूस्वामी तो तीस बताया था । ठीक हैं पर उनके दो सौ रुपए के हिसाब से चार सौ कमीशन के कौन देगा? ठीक है मुझे मंजूर है । फिर मैं कल आऊँ । पहले काम कीजिए कि लीजिए मेरे घर का पता टेलीग्राम दे दीजिएगा । इस पते पर अपने घर वालों से छह हजार चार सौ जमा करने की सूचना दे दीजिए । जैसे ही मेरे पास इनके जमा होने की सूचना ही मैं आपके पास आकर दो सौ पहुँच जाऊंगा । ठीक है । मिस्टर शाह चली गई । पहली सबकुछ सुन लिया था । कुछ समझ में आ रहा था । अपने अपने कमरे में आ गयी । ग्राम तैयार हो रही थी । उन्हें एक नौकरी के लिए इंटरव्यू में जाना था । मैंने उन्हें अभी हुई घटना के विषय में बताया तो मुस्कुराकर बोले इसमें परेशान होने की क्या बात है? सरकारी रेट अठारह रुपये हैं । अठारह रुपये के फोन को बत्तीस रुपए में बेचना गैरकानूनी नहीं । सब चलता है ना भारत का अमीर आदमी लंदन में गरीब होता है । यदि भारतीय मेरी सेवा, विदेश यात्रा और प्रवास खरीदना चाहता है तो इसमें किसी को क्या आपत्ति होनी चाहिए तो ये ही चलता है । हम खूब जोरो से लगभग प्रतिशत भारतीय इसमें लगे हैं । एक से लेकर दस हजार काउंटर तो मिंटो में खरीद सकती हूँ । बस यहाँ भी पैसा भारत में भी पैसा इसे कहते हैं । दोनों दुनियाओं के ऐश्वर्या हमारी मुट्ठी में है । कुछ भी कुछ अच्छा नहीं लगा । मैं यहाँ के बात करती है कि जहाँ आ गई तीन छुट्टियाँ थी मेरे ना मम्मी की चिट्ठी आई कि घर पर सब ठीक की । दीपक को मियादी बुखार हो गया था । अब ठीक हो चुका था, पर कमजोरी थी । काका मेरी बहुत याद करते थे तो बहुत उदास रहने लगी थी । दूसरी चिट्ठी आग्रह वाले भी देखी थी मैंने लंदन पहुंचकर जबकि चेकपोस् काल भेजा था तो उन्हें मिल गया था और मेरे और मेरे नहीं जीवन के विषय में विस्तार से जानना चाहती थी । कैसी है, कैसा वातावरण है, कैसा घर है लंदन की जलवायु कैसी है लंदन के लोग कैसे हैं ये सारे प्रश्न आत्मीयता भाई उत्सकता से उपजे मैं क्या उत्तर होंगी? अगर ईमानदारी से उत्तर लिखने बैठी तो क्या उन्हें पढकर देवी प्रसन्न होगी? तीसरा पत्र खोला तो भीषण रूप से चौक नहीं । वो शेखर का था । उसी बढा तो कलेजा धक से रह गया । मालूम नहीं उस ने मेरा तथा कहाँ पाया था । शायद घर फोन करके दीपक से ले लिया होगा । शेखर लंदन आ रहा था । उसी कंपनी में उच्च पद की नौकरी मिल गई थी तो कंपनी सरकारी कांट्रेक्ट लिखी थी । इमारतों में प्लास्टिक के प्रयोग का अध्ययन करने के लिए वो कंपनी शेखर को तीन महीने के लिए कुछ यूरोपीय देशों के दौरे पर भेज रही थी । शेखर को लगभग एक दो महीने इंग्लैंड में रुकना था । मेरा नाम क्षेत्र का पत्र ताकत उदास हो गया । थोडी सी आशंका मैंने उनकी कहीं उसने यहाँ कर अजीब को दोहराने की कोशिश की या फिर दुष्टतापूर्ण तरीके से राम को पिछले सब कोई बता दिया तो क्या होगा? फिर उसके मन में मेरे जीवन की एक विचित्र सी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन की तस्वीर होगी । वो यहाँ आएगा देखेगा । मेरे जीवन को कितनी निराशा होगी, उसे मेरी प्रतिष्ठा धूल में मिल जाएगी । किसकी चींटियां हैं, क्या कोई खास बार है? मुझे कुछ सुनाई नहीं पडा । शेखर को आने में डेढ दो महीने थी । काश तक राम को नौकरी मिल जाती । हम लोग किसी नई और दो कमरे वाले अच्छे से अपार्टमेंट में शिफ्ट कर लेते तो कितना अच्छा था । क्या बात है ना घर पर । सब ठीक है तो मैं कोई कोई सी लग रही हूँ । पास आकर राम ने कुछ और मेरे कंधे पर अपना हाथ रख दिया । मेरी चेतना लौटाई नहीं, नहीं बनावटी मुस्कान भी खेल जब कैंसर में इसने खोलकर बोली कोई खास बात नहीं । फिर से चिट्ठी आई हैं । दीपक को टाइफाइड हो गया था । काका मम्मी को मेरी बहुत याद सताती है या हम सिर्फ मुस्कुरा दिए । मैं पहुँच गयी कहीं कि थी के बारे में ये पूछ रहे थे । मैंने कहा क्यों मुस्कुराने की क्या बात है? टोरी में आकर्षण होता है ना? भारत में होती तो मम्मी पापा का कहते क्या अपने घर सुखी रहे । किसी ने हमें संतोष है पर इतनी दूर आ गई हो तो उन्हें तुम्हारी यहाँ सटाणा स्वाभाविक है । अच्छा इन बेकार की बातों को छोडी और ये बताइए इंटरव्यू कितने बजे हैं? ग्यारह बजे दस बज रहे हैं । जरा चलती कीजिए ना, मैं तो तैयार हूँ पर सोचता हूँ क्या? तो भी साथ चले तो कैसा रही? मैं क्या करूंगी? इंटरव्यू आपको देना है मुझे अगर लंदन में नौकरी के इंटरव्यू के लिए पति पत्नी दोनों के जाने की प्रथा है तो मैं भी चली चलती हूँ । राम मुस्कुरा दी और फिर बोले इंटरव्यू में तो सिर्फ पांच मिनट रहेंगे । तब तक तुम बाहर प्रतिक्षालय में बैठना कर इससे आने जाने में तो साथ रहेगा । पेशेंट पर तैयार हो गयी । हम दोनों बाहर आई हल्की बूंदाबादी हो रही थी । मैंने बरसाती पहनी हुई थी और राम ने छात्रा लगाया हुआ था क्यों में बेहद भीड थी । सुबह शाम इन गाडियों में तिल रखने की भी जगह नहीं मिलती । जैसे जैसे हम लोग एक क्यूब में घुस गए हम दोनों सटकर खडे थे । महीने चीनी से राम से कहा अगर ही नौकरी आपको मिला है तो बस आ जाएगा । क्यों अच्छा मजा नहीं आ रहा है । पहले आपको कहाँ से कहाँ ले जाते हैं । मेरा मतलब था कि आपको नौकरी मिल जाए तो हम लोगों के जीवन की नई शुरुआत हो जाएगा । अपना अलग घर होगा, स्वतंत्रता होगी, जो चाहो करूँ, किस मेहमान को चाहो कह रहा हूँ क्या कोई मेहमान आने वाला है? अभी अभी मत बुलाओ, कुछ तो ऐश कर लो । एक बार मेहमानों की देखभाल में फंसी नहीं की क्या सब समझ में आ जाएगा ना । एक्टर जी शुरू हुआ, बारी बारी से सबको बुलाया जाने लगा । मेरा नाम बनाया । मैं इंटरव्यू वाले कमरे में दाखिल हुआ । बोर्ड में तीन व्यक्ति थे । मुझे देखते ही जैसे उनका उत्साह हो गया । बीच में बैठे अधूरे से व्यक्ति ने पूछा क्या टोमॅटो इंडियन हूँ? जी नहीं, पर आपका नाम मिस्टर रेम से कैसे है? यूरी आप ये नौकरी के जाते हैं? नहीं । इस निरर्थक प्रश्न सुनकर छिड गया । मैंने एक स्वर में कहा अब के खाने कपडे, घर के खर्च को पूरा करने के लिए । पर उसके लिए आपको और पच्चीस नौकरियाँ मिल सकती है । इस नौकरी में क्या खराबी है? क्या मैं नौकरी के लिए? क्वालिफाइड नहीं? आपने मेरी योग्यता के विषय में मेरे प्रार्थना पत्र में पडा । हाँ, आप योग्य है पर इस महत्वपूर्ण पद पर किसी अश्वेत को नहीं लगाया जा सकता । क्यों अपनी कंपनी की नीतियों के औचित्य पर प्रकाश डालने के लिए हम बात ही नहीं है । फिर आपको विज्ञापन में ये स्पष्ट कर देना चाहिए था कि ये नौकरी केवल श्वेतों के लिए सुरक्षित है । वे लोग निरुत्तर हो गए । मैं वापस लौट आया । मेरा मन डूब गया तो लैंड भी रंगीन की नीति के अधिशासी से पीडित है । भारत में हम दक्षिणी अफ्रीका के विषय में पढा करते थे । इंग्लैंड के विषय में ऐसा कुछ नहीं सुना था । थोडा बहुत अमेरिका में होने वाले नीग्रो मेरी की लोगों के साथ संघर्ष के बारे में सुना था । तरफ पता लगा कि दुनिया भर वाले क्षेत्र में ही नहीं काले गोरों के बीच में ही बनती हैं । क्या किसी अश्वेत को नौकरी मिलना इतना कठिन है का राम तो कुछ और ही कहते रहे हैं । पहले डाॅक्टर में कहा हूँ पर आपका अक्सर कहते हैं कि यहाँ नौकरियों की नहीं आदमियों की कमी है । ठीक कहता हूँ लेना यहाँ नौकरियों की कमी नहीं जरा ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर निकल जाओ । हर डिपार्टमेंट, स्टोर, हर व्यापारिक संस्थान के बाहर आवश्यकता है । कब बोर्ड मिलेगा पर उच्च्पर श्वेतों के लिए सुरक्षित है । शारीरिक श्रम वाली असम की नौकरियाँ हैं जिनके लिए श्वेतों को गुलामों की जरूरत है और वे उन्हें मिल ही जाते हैं । एशियाई अफ्रीकी देशों में असंख्य काले लोग इन नौकरियों के लिए तरफ जाते हैं । क्यों ना नरसिंह सफेद कॉलर वालों से ज्यादा पैसे मिलते हैं तो फिर इस नौकरी के मिलने की बहुत कम संभावना है । नहीं नहीं आशंकित होकर पूछा थारी ना फिर भी प्रयत्न कर असफल हो जाना प्रयत् न करने से लाख गुना अच्छा है । नाइट्सब्रिज स्टेशन आ गया । हम दोनों ट्यूब से उतर गए । भूमिगत स्टेशन से बाहर आए तो देखा धूप निकल आई थी । पता लगा ही सच्चाई के लोग हैं । उस विशाल आधुनिकतम इमारत के मुख्यद्वार पर जैसे ही हम दोनों ने कदम रखे, स्वचालित दरवाजे अपने आप खुल गए । हम अंदर दाखिल हुए तो दरवाजे अपने आप ही बंद हो गए । ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध इंजीनियरिंग फॉर्म साइमन ऍम का मुख्य दफ्तर था । वो अंदर बेहद सफाई थी । हर वस्तु चंचल समझ रही थी । हल्की सुगंध भी वातावरण में रची । बसी की मैंने गौर से राम को देखा । वो काफी खूबसूरत लग रहे थे । उनका व्यक्तित्व उभरा हुआ था । उन्होंने बर्टन के यहाँ से पैंतीस फोन में खरीदा हुआ स्टील गृहं का सूट पहना हुआ था । उसी में मैच करती टाई रूमाल, जूते, ऊपर चमकीली कॉलेज और होटों पर विजय भरी मुस्कान उन्होंने घडी में देखा । ग्यारह बजने में तीन चार मिनट थे । हम लोगों ने स्वागत कक्ष की ओर देखा । एक बेहद सुंदर, पूरे बालों और नीली आंखों वाली नवयुवती वहाँ बैठी सिगरेट पी रही थी । हम दोनों के पास पहुंचे तो वो उठ खडी हुई । स्वर्ण, विनम्रता और मिठास भरकर बोली । क्रिकेट मानी । मैं आपकी क्या सहायता कर सकती हूँ? फॅमिली स्पोर्ट से ग्यारह बजे मेरा इंटरव्यू है । राम ने अंग्रेजों के लहजे में कहा, उस महिला ने डेस्क कर रखी, एक मोटी सी डायरी को खोला । फिर उसमें कुछ तलाश करने लगी । पल भर के बाद उसने पूछा आप मिस्टर रहती है भी? मैंने देखा उस महिला के मुख पर असंतोष अविश्वास और वितृष्णा के भाव करने लगे थे । उसने फोन उठाकर कोई नंबर डायल किया । फिर अपने विशिष्ट अंग्रेजी लहजे में किसी से बातचीत करने लगी । उसको चारन इतना छोटा था और इतनी थी में बोल रही थी । मेरी समझ में कुछ नहीं आया । उसने फोन पर बातचीत खत्म की और काउंटर से बाहर आकर शुल्क स्वर में बोली कि कराइए । तीसरे फ्लोर पर मिस्टर स्मिथ फोना की प्रतीक्षा कर रहे हैं । वो महिला अपनी ऊंची सैंडलों को फट फट करके चल रही थी । साधारण था उस जैसी कोमलांगी की चाल में एक लक्ष्य एक अदा और एक नजाकत होनी चाहिए थी । पर वो तो जैसे किसी मजदूरी के कारण दो पशुओं को घसीट टीवी भागे जा रही थी । कुछ दूर चलकर हम लोग सचालित लिफ्ट में तीसरी मंजिल पर पहुंच गए । फिर एक लंबा गलियारा । हम लोग उस महिला के पीछे लगभग भागते रहे । उसने एक बार भी हम दोनों को नहीं देखा । वो एक बडे से कमरे के बाहर रुक गई । पल भर को उसने राम को ऊपर से नीचे तक देखा हूँ । फिर हूँ अंदर जा सकती हूँ । मेरी ओर देखकर तो मुस्कराई कुछ मुस्कान में कुछ ऐसी लोकेशन मिली थी कि मैं तिलमिला गई तो बोली आप उधर लाउंज भी जाकर प्रतीक्षा कर सकती हैं । फिर तेजी से लिफ्ट की ओर बढ गई । महिलाओं में आकर एक गुनगुने सोफे पर बैठ गई । निहाई थी । सुंदर ढंग से सजाया था । वो टीवी लगा था । सेंटर केबल पर अनेक अखबार और पत्रिकाएं करीने से सजी थी । आॅस्ट्रेलिया रखी थी । एक कोने में छाती और बरसाती टांगने के लिए स्टैंड था । वहाँ मंदिर जा चुके थे । मेरा मन ज्यादा आशंकित नहीं था । परिणाम का पूर्वाभास मुझे हो चुका था । फिर भी अंधेरी निराशा की अपेक्षा आशा की एक ही प्रकाश रेखा देखने की मैंने आदत डाली थी । क्या आप भारत से आई है? ये प्रश्न सुनकर में चौक पडी । मैं अपने आप में इतनी हुई हुई थी कि मुझे पता ही नहीं चला की बगल के सोफे पर एक अंग्रेज महिला बैठी हुई हैं । तो बराबर मुझे हो रही थी । मैंने मुस्कुराकर उसकी ओर देखा और बोली, जी, आपका अनुमान सही है, यहाँ कैसे आई हैं? उस अपरिचित महिला की अंग्रेजी अटपटी सी थी । उच्चारण भी विजिट था । बोलने में अटक रही थी वो । मैंने कहा मेरे पति के इंटरव्यू के लिए आए हैं । उन्हीं के साथ आई थी ये अंग्रेज लोग कितने धुत्त होते हैं, बेकार का तमाशा करते हैं । वो आगे भी कुछ कहने वाली थी पर ना जाने क्या सोचकर चुप हो गई । आप का मतलब में समझी नहीं, कुछ नहीं मैं तो बस यही मेरा मतलब था कि आपने समझ गयी । वो अपने आप को स्पष्ट नहीं करना चाहती थी । मैंने भी उसे ज्यादा को लेना उचित नहीं समझा । मैंने बात को बदलकर कहा आप कैसे आई हैं मैं पति पहले सत्तर में थे, उसी संबंध में कुछ कागजात लेने हैं । अरे हाँ में ये तो बताना भूल ही गए कि अभी तीन दिन हुए तो भारत गए हैं । भारत गए हैं के सिलसिले में हाइडलबर्ग विश्वविद्यालय ने धनबाद क्षेत्र में शोध योजना आरंभ कि है । उन्हें उसमें लगाया गया है । वहाँ कितने दिन रहेंगे? दो वर्ष की योजना है, वैसे आते जाते रहेंगे । वो आप नहीं गए, उनके साथ नहीं किससे जा सकती थी । क्यों? मेरे पास छह महंगाई देवी है तो क्या हुआ? हमने सुना था कि भारत में अच्छी किस्म का देवी मिल पडा । नहीं मिलता मैं आपने पहले देवी का जीवन खतरे में नहीं डालना चाहती थी । नहीं रह गई । महिला क्या कह रही थी कि हमारे विदेशी प्रचार व्यवस्था इतनी कमजोर है? मैंने उस महिला से कहा ये आपसे किसने कहा? भारत में टेंशन ओं तरह के बीडी मिलफोर्ड मिलते हैं । उनमें से जो कई हम निर्यात करते हैं, ऐसा उस महिला ने आश्चर्य से पूछा । जी हां, भारत के विषय में लोगों को बहुत गलत फहमियां हैं । हमने हर क्षेत्र में काफी प्रगति की है । हम इतनी पिछडे हुए नहीं । कितना पश्चिम के लोग सोचते हैं हमारी जर्मनी । मैं तो यही धारणा प्रचलित है कि भारत में अभी भी बैलगाडियां चलती हैं । वहाँ के लोग आज के युग में भी भूख से मारते हैं । वहाँ मक्खी मच्छर, सांपो का के क्षेत्र साम्राज्य हैं । अभी कुछ दिन पूर्व बीसीसी टेलीविजन पर भारत के विषय में कुछ फिल्में देखी थी । ये सभी पक्षी कितने हैं? निर्मूल धारणाएँ हैं । असल में जितनी तरह की हम लोगों ने मेरी बात पूरी भी नहीं हुई कि महीने देखा राम बाहर आ गए थे । कृपया मुझे क्षमा करें कहकर में तेजी से उठी आजाम की ओर लगभग कर पहुंची । उतावले सर में मैंने पूछा कहीं जा रहा हूँ बाहर चलो सब कुछ बताता हूँ । राम ने तटस्थ स्वर में कहा मैंने राम के मुक्कों गौर से देखा था । आशा निराशा के संगत में उत्पन्न उलझन मौजूद थी । वहाँ मैं कुछ भी नहीं समझ पाई । हम लोग लिफ्ट से नीचे आए । गलियारा लांघकर हम बाहर जाने वाले द्वार तक पहुंच गई । तभी अचानक रामपट्टी मेरा हाथ पकडकर स्वागत कक्ष की ओर आ गए । उस महिला के होठों पर उपहास नहीं मुस्कान थी । ईरान ने उसी उपहास भरे स्वर में कहा धन्यवाद मैडम, आपको संकर खुशी होगी की मुझे नौकरी मिल गई है क्या वो महिला जैसे तिलमिला गई । आवेश में भरकर वह खडी हुई और तेज सफर में बोली नहीं ऐसा मत कहिए । धन्यवाद बाई बाई की । कल राम ने में बगल में हार डाला और दरवाजे की ओर बढ गए । क्या ये सबसे अच्छी राम मैंने अविश्वास भरे स्वर में पूछा । जैसे सब करो सब बताता हूँ हम लोग बाहर आ गई । फिर बूंदाबादी हो रही थी । तभी मुझे खयाल आया कि नहीं अपनी बरसाती वहीं लाउंज छोड आई हूँ । काम तेजी से अंदर गए और उसे ले आए । बताइये बिना क्या हुआ क्यों व्यर्थ में जासूसी फिल्मों की तरह रहस्य रोमांच की सृष्टि कर रहे हो । कहीं बैठा जाये कहाँ बैठेंगे? फांसी पर था । वहीं जाकर हम लोग बैठ गए । सामने अपने लिए भी और मेरे लिए लेमन स्क्वैश का ऑर्डर कर दिया । फिर वो बोली मैं अंदर घुसा तो देखा तीन गुडी अंग्रेज शमशान घाट में विश्राम करते गिद्धों की तरह बैठे थे । मेरी अंदर घुसते ही बीच में बैठे सर्जन उठे । मुझ से हाथ मिलाया और अपने दोनों साथियों से मेरा परिचय कराया । मैं बैठ गया । बडे ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में मेरा इंटर भी शुरू हुआ । उसी व्यक्ति की बातों में रूचि नहीं किसी की बात कर रहा हूँ । आ रहा हूँ समुद्र सही । तभी बीएल और स्पेशल आ गयी । राम ने बीयर के दो बहुत भरकर कहना शुरू किया । उन्होंने मेरी योग्यता आदि के विषय में पूछा । फिर उन्होंने इंजीनियरिंग के विषय में प्रश्न पूछने शुरू किए । मेरा विश्वास करो रीना एक भी प्रश्न ऐसा नहीं था जिसका में उत्तर नहीं दे पाया । फिर फिर क्या इंटरव्यू की औपचारिकता समाप्त हो गई । बीच में बैठे सज्जन ने अपने सहयोगियों से कुछ मंत्रणा की और फिर बोले, मिस्टर रैमजे, हम लोग आपसे पूरी तरह संतुष्ट हैं । आप योग्यता, अनुभव आदि के आधार पर इस पद के लिए पूरी तरह से होगी । पर एक समस्या है आपको इस पद पर लगाने का अर्थ होगा लगभग दो सौ अंग्रेज कर्मचारियों के ऊपर आपका नियंत्रन । इससे हमारी कंपनी में सदियों से चले आने वाले सुनियोजित मानवीय संबंधों में व्यतिक्रम आने की पूरी संभावना है । पर आपकी योग्यताओं को देखकर हम आपको एक अन्य पर दे सकते हैं । इसमें आपकी अंग्रेजों से टक्कर होने की कोई संभावना नहीं तो आप ने स्वीकार कर लिया । नहीं । मैंने उनसे कल तक निर्णय करने का समय मांगा है । तरह आज ही स्वीकृति दे सकते थे । रीना तो कुछ समझती तो हो नहीं । आवेश में भरकर राम ने बियर का पूरा माल खाली कर दिया । फिर वो खेसर में बोली सालों ने इंटरव्यू के लिए बुलाया था । किस पोस्ट के लिए बुलाया और कौनसी पोस्ट ऑफर की? क्या बहुत फर्क है । महीने साहस जुटाकर पूछा किस के लिए बुलाया गया था वो पद हे सत्तर पहुंच साप्ताहिक का । उसमें कुछ तो है पर वो ऑफर कर रहे । ऐसा पर जिसमें पूरे महीने का बेटा सत्तर फोन है । मैं पल भर को उलझन में पड गई । कहीं कुछ ऐसा ऐसा कह दिया तो राम नाराज ना हो जाए । इंटरव्यू तो तमाशा था उन्होंने मेरा नाम देखकर मुझे स्वीट संख्या होगा इसीलिए बुला लिया । पर जब मैं वहां पहुंचा तो सालों के दिल टूट गए होंगे । अब क्या सोचा है अपनी रीना, रंगभेद और घृणा के जंगल में मैं रह भटक गया हूँ । मुझे कुछ नहीं सोच रहा हूँ । आपकी अर्थ ने इतने परेशान हो रहे हैं । सत्तर पाउंड में बखूबी गुजारा चल सकता है । फिर अगर जरूरत हुई तो मैं भी । मैंने भय के कारण अपनी बात अधूरी छोड दी । राम एक तक मेरी और देखते रह गए । उनकी आंखों में क्रिकेट सी अनुराग भरी छमा को भी वो टी मेरे वालों को चुनकर बोले, तुम जैसा हम सफर साथ हो तो रास्ते अपने आप नहीं जाते हैं । चलो राम काउंटर पर गए और दिल के पैसे चुका दिए । हम लोग पक से बाहर आ गए । वर्ष बंद हो गई थी । सुनहरी धूप खिल उठी थी तो हम शायद हाँ कर देंगे । मैंने साहस जुटाकर पूछ लिया तो हम ये कह रहे हैं मैं समझती हूँ बेकारी से तो ये पद स्वीकार करना अच्छा ही होगा । फिर कोई अच्छी नौकरी मिलेगी तो बदल लेंगे तो ठीक है कहकर राम उदास हो गए । नाइट्स ब्लॅक स्टेशन से हम लोग ट्रेन में सवार हो गए क्योंकि लगभग खाली थी । मैं राम की बगल में बैठी थी । अचानक मेरी नजर सामने डिब्बे की दीवार पर लगे एक विज्ञापन पर्यटक गई । ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस को इतवार या अन्य छुट्टियों के दिन पोस्ट ऑफिस में काम करने के लिए पांच टाइम कर्मचारियों की आवश्यकता थी । जब तक गंतव्य स्टेशन नहीं आ गया, मेरी दृष्टि उसी विज्ञापन में चिपकी रही । हाँ,

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Sound Engineer

रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
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