Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
भाग - 4.02 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

भाग - 4.02 in Hindi

Share Kukufm
345 Listens
AuthorMixing Emotions
रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
Read More
Transcript
View transcript

बातों ही बातों में घर आ गया । वहाँ पीटर का एक बोर्ड लगा हुआ था । डॉक्टर स्वरूप जीती । मन उदास सा हो गया था । फिर भी अपने आप को संयत कर मैं खुद को नये वातावरण में डालने के लिए तैयार कर रही थी । राम ने कॉलबेल बजाई । दो फल की प्रतीक्षा दरवाजा खुला सामने एक भारतीय महिला खडी थी अरे राम भाई तुम्हारे मैं तो घंटों से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही थी तो इसका मतलब है कि आपको मेरी चिट्ठी मिल गई थी । हाँ मेरी भाभी के साथ आई है भाई, कमाल की रुचि है तुम्हारी राम भाई भावी किया है, चार टुकडा है । अरे आओ मैं भी कैसी हूँ । बाहर खडे खडे ही बातें कर रही हूँ । इसे स्वरूप बेहद खुश नजर आ रही थी । उनके व्यवहार में ऐसी चपलता थी जैसी कई दिनों के भूखे व्यक्ति को अचानक ढेर सारा खाना मिल जाए । डॉक्टर साहब कहा है मुन्ना कैसा है? सब ठीक है ना । राम ने अंदर घुसते ही कहा सब ठीक है तो उनका हो । भारत में सब अच्छे हैं । में देवर भाभी के असम बांध और असामान्य वार्तालाप को सुन रही थी और उलझ गई थी । मैं इसे स्वरूप मुझे भावी कह रही थी, पर है तो वो काफी उम्र की महीने उन्हें काफी गौर से देखा । बडा बासी का व्यक्तित्व था उनका पिता पिता थका थका हारा हारा साल व्यक्तित्व सारा शरीर मुरझाया हुआ मुझे मुझे निष्प्राण सी आंखें, तेरा चेहरा अस्त व्यस्त, बालों के बीच अधिक मिट्टी सी सिंदूर की देखा । विचित्र से ढीली नाइट सौ किस्म की कोई चीज पहले हुई थी । मुझे लगा जैसे स्वरूप की जिंदगी ने जरूर कोई घर लगा हुआ है । अंडर पहुंचकर मैंने कमरों की दशा देखे तो मेरा मन डूब गया । व्यवस्था पसंद समाज में ऐसी व्यवस्था ये क्या हो गया, क्या सोचा था और क्या हुआ? वही चक्कर से आने लगे । शायद तुम्हें नींद आ रही है । राम ने मेरे सिर पर हाथ खेलते हुए कहा हाँ मुझे नहीं जा रही थी । मेरी कलाई पर बंधी घडी में बारह बज गए थे की सोच रही थी मम्मी पापा दीपक मांझी सब लोग खा पीकर आराम से सो रहे होंगे । हर यहाँ अभी डिनर बनने की तैयारी भी शुरू नहीं हुई थी । मेरी आंखें नीट के कारण बोझिल हुई जा रही थी और मान पर अवसाद का बोझ सारे शरीर को सुनने किये जा रहा था । मैंने अपनी कलाई पर बंधी घडी की ओर देखा तो राम बोली अब इसमें टाइम एडजस्ट कर लो । जल्दी क्या है बार बार इसे देख होगी तो अवचेतन मन इस परिवर्तित देशकाल से संबंधित हो सकेगा । जब हो जाएगा तो कर लूंगी । मेरे रूखे स्वर को सुनकर राम कुछ चिंतित हो गए । फिर गंभीर सर में वो बोली दो चार दिन में सब ठीक हो जाएगा । चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है । सब कुछ से उनका क्या मतलब था? मैं समझी नहीं । मैं आगे बातचीत करने की स्थिति में भी नहीं थी । तुम कुछ थकी सी लग रही हो, जाकर अपने कमरे में आराम करो । मैं खाना वहीं पहुंचा दूंगी । मिसेस स्वरूप मुन्नी को दूर खिलाकर रखी और मुझसे इसमें ये भरे स्वर में बोली अपना कमरा । मेरा तो इस घर में दम कट रहा था । लगभग दस बाई बारह के दो कमरे । उनमें ठेस सारा सामान भरा हुआ था । कहीं दिल रखने की भी ज्यादा नहीं थी । मैं स्वरूप को इतनी अव्यवस्था पसंद थी की सारी चीजें अस्त व्यस्त रूप से पडी थी । मुझे तो ये दृश्य एकदम अविश्वसनीय लगा । टेलीविजन के ऊपर भी मैंने ब्लाउज, पेटीकोट और बनियान पडे हुए थे और मेरा कमरा उसमें सिर्फ एक पलंग था । चारों तरफ फर्ज पर चीजें लिखी हुई थी । इस असामान्य और अप्रत्याशित परिस्थिति से समझौता करने के अलावा कोई और चारा भी तो नहीं था । मेरे पास नहीं उठी । अपने तथाकथित कमरे में जाकर पलंग पर पड रही । जहाँ मैं लेती थी वहाँ से निचे स्वरूप के कमरे का दृश्य स्पष्ट दिखाई दे रहा था । उस कमरे में राम डॉक्टर स्वरूप तथा मिसेस स्वरूप बैठे कुछ मंत्रणा कर रही थी । पर अभी कुछ देर पहले ही पर अभी तक कुछ देर पहले हुए एक रहस्य उद्घाटन के धमाके से मेरा मन अभी तक सुनने सा हो रहा था । हम लोग चाय पानी खत्म नहीं कर चुके थे कि डॉक्टर साहब आ गए । मुझे देखकर वो अत्यंत प्रसन्न हुए । मेरी बडी प्रशंसा की उन्होंने । मुझे लगा डॉक्टर स्वरूप निहायत ही समझदार और सुलझे हुए व्यक्ति हैं । उनके मुख पर निश्चितता और नैसर्गिक शांति थी । भाई राम तुम तो अपना काम कर आए पर इन दिनों इतनी दौड धूप करने के बावजूद हम तुम्हारे लिए कोई मकान नहीं खोज पाए । ये तो गडबड वाली बात हो गई । फिर हम के चेहरे पर चिंता की रेखाएं भराई । मैंने भी ये सुना तो मेरा दिल टूट गया । अरे इसमें जल्दी के साथ की है फुटपाथ पर बैठे हो तुम लोग अपना घर है बने रहो जब कोई ढंग का मकान मिले तो बदल लेना फिर कोई हमारा तुम्हारे ऊपर एहसान हैं । अरे रहने खाने का पैसा देते हो राम शीला ठीक कह रही है भावी आई है जरा दस पांच दिन इन्हें इस दुनिया की सैर कराओ । घुमाओ फिराव फिर फसाना ने चूल्हे चौके के चक्कर में इतने वर्षों के बाद तो लगा है जैसे घर के पतझड में बाहर आई है । कोई तो मिला बोलने चालने वाला कुछ दिन तो सबके कटेंगे में से स्वरूप के स्वर में गहरी आत्मीयता की डॉक्टर साहब और में से स्वरूप का नेता, डॉक्टर साहब और में से स्वरूप का आत्मीयता और इसमें भरा ये व्यवहार मुझे कहीं बहुत अंदर तक भी हो गया ने आज तक हो गई । तो इसीलिए आप लोगों ने इस विषय में गंभीरतापूर्वक तलाश नहीं कि राम ने तटस्थता भरे स्वर में पूछा । नहीं राम ऐसी बात नहीं है । मैंने बहुत तलाश की । कई अपार्टमेंट देखे । बडे महंगे हैं । डबल अपार्टमेंट का किराया कम से कम पंद्रह पहुँच सकता ही है । पंद्रह । ॅ राम अवाक रह गया । पंद्रह पॉंच यानी की तीन सौ रुपये । मैंने मन ही मन हिसाब लगाया । फिर धीमी सर में कहा इतना तो हम लोग खर्च करने की स्थिति में है । मैंने मन ही मन हिसाब लगाया । फिर धीमी सर में मैंने कहा इतना तो हम लोग खर्च करने की स्थिति में हैं । मैंने ये हिसाब लगा के समय सोचा था कि दो हजार रुपये साप्ताहिक आये वाला व्यक्ति आसानी से तीन सौ रुपये मकान पर खर्च कर सकता है । यह तो आय के दस प्रतिशत से भी कहीं काम है । भारत में तो किराया उससे कहीं अधिक है । मेरी बात संकट डॉक्टर साहब मुस्कुरा दिए । उस मुस्कुराहट में कुछ ऐसी अर्थहीनता व्यंग और बाहर था की मैं घर गयी । दोनों पुरुषों ने मेरी बात को पहली बना दिया था । पर तभी में से स्वरूप ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी । वो बोली अभी राम भाई सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत कुल दस कौन साप्ताहिक पा रहे हैं । हाँ अच्छी नौकरी लगते ही तुम दोनों कोई अच्छा सा मकान तलाश करके शिफ्ट कर लेना । पर एक बात है भाभी बुरा ना मानो तो कहता हूँ राम भैया को नौकरी मिलने के बाद भी तुम लोग इतना महंगा मकान लेने की स्थिति में नहीं, आप आओगी नहीं । जैसे आकाश से पृथ्वी पर आ गई तो राम बेकार है । आठ हजार रुपये मैकेनिकल इंजीनियर क्या वह बडा धोखा था? क्या हुआ? एक भयंकर झूठ था सर की की बहुत छूट ही मेरे माथे पर पसीने की बूंदें भराई । मुझे लगा मेरी आंखों के सामने चितकबरे धब्बे नाच रहे हैं । रीना मुझे गलत, मैं समझना । इंग्लैंड में लोग नौकरियाँ ऐसे बदलते हैं जैसे हर सुबह हम अपनी मैली कमीज में भारत जाने से पूर्व जिस समय काम करता था, उन्होंने मुझे दो महीने की छुट्टी देने से इंकार कर दिया । बस मैंने नौकरी को लात मार दी । अब देखना दो चार दिन में नौकरियों की लाइन लग जाएगी । राम ने मुझे समझाने की कोशिश की । मैं कुछ नहीं बोली । केवल पथराई दृष्टि से शून्य ताकती रही । भावी जी राम ठीक कह रहा है, यहाँ कोई ज्यादा दिन बेकार नहीं रह सकता । यहाँ काम ज्यादा है और आदमी काम है । डॉक्टर साहब ने राम का समर्थन किया । शायद में से स्वरूप ने स्थिति की भयावहता को पहचान लिया था । उन्होंने खोरकर राम को देखा फिर मेरे कंधे पर अपना । इसने ये भरा हाथ टक्कर बोली भाभी, तुम सैनिक की चिंता मत करो । क्या ये सब आ के राम भाई ने तो में पहले नहीं बताई । नहीं अनायास मेरे मुंह से निकल गया । बस यही खराबी है । हम भारतीयों में तडी बाजी में हमारा मुकाबला नहीं । हम लोग भारत जाएंगे । अपने नाते रिश्तेदारों पर वो ड्रॉप जमाएंगी कि बस पूछो मत । पता नहीं अपनी आपको तो बताकर इन लोगों को क्या मिल जाता है । शादी हो जाती है पर बस में कह गई रीना राम लगभग ठीक पडे । ठीक खोमद्राम भाई । डॉक्टर साहब बोले तो क्या इसका मतलब था कि मैं सच्चाई बचाकर अविवाहित रह जाता है । राम को क्रोध आ गया था । मैं अपने पांव पर खुद कुल्हाडी नहीं मारना चाहती थी । दो बाहर के व्यक्तियों के सामने अपने वैवाहिक जीवन को तमाशा नहीं बनाना चाहती थी । जो कुछ दिन गया था वो मोटी था । असली या नकली । जो भी था तो मोती था । मैं दिन अमृतसर में बोली यहाँ मैं क्षमा चाहती हूँ । पुलिस मुझे गलत न समझें । मेरा मतलब नहीं था जो तुम समझे । मैं तो सिर्फ ये कहना चाहती थी कि मेरी बात को बीच में ही काटकर राम ने कहा छोडो इस बात को सन्तो लो । भारत में कोई पत्र पत्रिका ले लो, उसमें रेवाही विज्ञापन भरे मिलेंगे । उनमें से अधिकांश ऐसे नवयुवकों के होते ही जो विदेश में जाकर बस गए होते हैं । उन में से किसी को पांच से दस हजार रुपये मासिक से कम की आमदनी नहीं होती । उनमें से कोई इंजीनियर, डॉक्टर या सीनियर जी के किसी काम नहीं । क्या ये हमेशा सच होता है? झूठ की ये तीसरी दुनिया बस करो । रीना मेरे ख्याल से भाभी तुम बिल्कुल ही कह रही हूँ । भोली भाली भारतीय लडकियाँ और उनके माता पिता इस साल में ऐसे फसते हैं कि बस पूछो मत । विदेश में आकर ही लडकी का स्वप्न भंग हो जाता है । जिसे स्वरूप हुई । अरे छोडो, इस अप्रिय वाद विवाद को मैं ही ना भावी को एक बात का विश्वास दिलाना चाहूंगा । अपना राम अडीबाज भले ही हो, पर झूठा नहीं । डॉक्टर साहब ने उफनदी दूध ठंडे पानी के छींटे मानत थी । मैं भी मौन हो गई । अब पिता बढाने से लाभ जो कुछ हो चुका था उसे मिठाइयाँ नहीं जा सकता था । एक भाग कर सुना था काले बादलों में प्रकाश की एक देखा हूँ । मिस्टर और मिसेज स्वरूप के रूप में ईमानदार हमदर्द मिली थी । पलंग पर लेटकर में सोना पाई मछली बार बार शेखर की बात किया जा रही थी वो अक्सर कहाँ करता था? ऍम फॅारेन क्या है? कितनी ही अप्रिय बात हो जाएगी । हमेशा मुस्कुराते रहो । मैंने मुस्कुराने की कोशिश की । परमिशन नहीं हुआ । मैं मुस्कुरा नहीं सकी । मैंने दूसरे कमरे में दृष्टि डाली । वहां का दृश्य देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गई । यहाँ डॉक्टर साहब भर में से स्वरूप एक छोटी गोल में इसके इर्दगिर्द बैठी थी । नीरज पर शराब की बोतल रखी थी । तीन गिलास तीनों की उंगलियों में फंसी सिगरेटें । इसी स्वरूप ने तो आरंभ से ही मुझे बहुत प्रभावित किया था । उनके इस रूप को देखकर मन हो गया । मैंने जो उनकी तस्वीर बनी थी, वह धूमिल पडती । कुछ देर में उनका शराब पीने का दौर खत्म हो गया । में से स्वरूप उठी । शायद उन्हें खाना बनाना था । मैंने सोचा मैं क्यों? इनके ऊपर बोझ मुझे उनका हाथ बटाना चाहिए । इस श्रम विभाजन से घर की शांति बनी रह सकती है । मैं उठी दूसरी कमरे में आ गई । क्यों? ॅ नहीं नहीं आई । राम ने उत्सुकतापूर्वक पूछा नहीं गए हैं । ऐसा हो ही जाता है । इसी स्वरूप पर्दों का कपडा लेकर बैठे हैं । ये क्या कर रही है? मैंने पूछा । अरे तुम्हारी कमरे के लिए दो पर्दे तैयार करने रह गए तो इस समय लेंगी सीना किया है, पांच मिनट लगेंगे पांच मिनट । हाँ, चारों तरफ से मोडकर एक सॉल्यूशन लगाकर प्रेस कर देना है । बस कर देते यार कमाल है । मैंने आश्चर्य से भर कर कहा फिर में बोली टीवी यदि आपकी आगे हो तो किचन में आपका कुछ हाथ बटा दो अभी से कितनी भी जल्दी क्या है । जरा तो ऐश कर लो थे हार बताने के लिए । यहाँ इंसान की जरूरत नहीं, मशीनें ही काफी है । वो देखो खोने में घर साफ करने की बिजली की नही । अंदर रसोई घर में ऑटोमेटिक ओवन है । उसमें खुद आता मर जाता है । खुद ही रोटियाँ मिल जाती हैं । चोला भी सचालित है । दस मिनट में कोई चीज पकती हो तो दस मिनट के लिए सेट कर दो, अपने आप हो जाएगा । कपडे धोने की मशीन है, कपडे सुखाने की मशीन है, ऑटोमेटिक प्रेसर है जिसमें कपडे खुद खुद हो जाते हैं । सच्ची ना भावी तकनीकी दृष्टि से ये देश बहुत उन्नत है । किसान की कमी को मशीनों ने पूरा कर दिया है । पर किसी स्वरूप ने अपनी बात को अधूरा ही छोड दिया पर किसानी से गिरा दिया है । अपनी तकनीकी अधूरी बात को डॉक्टर साहब की पूरा कर दिया । डिनर खत्म करके या और डॉक्टर साहब ताश खेलने बैठे । टेलीविजन चल रहा था । उसमें कोई अच्छी सी फिल्म चल रही थी । अपने अपने कमरे में आकर पलंग पर लेट गए । इससे पूर्व झूठे बर्तन साफ कराने में मैंने निचे स्वरूप की मदद कर दी थी । मुझे स्वरूप ने मुन्नी को दूध पिलाकर सुला दिया था । वो मेरे पास पलंग पर आकार लेना गई । देर तक हम दोनों की बातें होती नहीं । मेरे और मेरे परिवार के विषय में विस्तार से पूछती नहीं बीबी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं । पर एक बार कुछ कुछ । आप अपनी उम्मीद से अधिक क्या लगती हैं? तीनों कहकर को कुछ उदास हो गई पल भर के बाद तो फिर बोली ये ऍम क्यों सुनोगी तो मन उदास हो जाएगा । आज नहीं तो कल पता तो लगता ही है बहना मंत्री ना अब यहाँ आ ही गई हो तो साहस से काम लेना होगा । यहाँ हम लोगों की जिंदगी भौतिक सुख सुविधाएं और पैसों की चारदीवारी में कैद है । श्री सिद्दीकी क्या है? आजीवन कारावास का दंड भोग रहे हैं हूँ वो साडी चांदी के चंद टुकडों से ये लोग हमारा श्रम खरीदते हैं । पर अभी भी हम चांदी के चंद टुकडों सी ये लोग हमारा श्रम खरीदते हैं । पर अभी भी इनके दिमाग से यह बात नहीं नहीं थी कि हम इनके गुलाम थी । यहाँ हम से ना कोई बोलने वाला है नहीं चलने वाला बस अकेले घर में सडके रहूँ । ना कोई मनोरंजन, ना कोई साथी । अंग्रेज लोग हमारे साथ खेलना करते हैं । बस ये ही अकेलापन नासूर बनकर जीवन को विश्व में बना देता है । नी अवसाद विश्व में भविष्य की कल्पना से मेरा सारा शरीर होता जा रहा था । हो गई ठीक है, सो जाओ, थकी हारी हो । मैं अभी नाम को भेजती हूँ । मुझे लगा ये शब्द भावी नहीं बोल रही । किसी कहाँ से आ रहे हैं मुझ पर तंद्रा सी छाने लगी थी । हो गई कोई मेरी बगल में आकर हो गया था । कौन था वो ही तो मुझे पता नहीं । पर किसी के होने का ऐसा जरूर था । मैं सोई पडी रही । न जाने कितनी देर तक सोती नहीं और फिर अचानक मेरी आंखों गई लगा में अपनी पूरी नहीं ले चुकी हूँ । मुझे याद था कि मेरी नीट में अनेक भयानक सपने आई थी । आप खुली तो अपनी चारों तरफ कहना नहीं जा पाया । कलाई बंदी घडी में देखा रेडियम युक्त अक्षय चंकी साढे सात बज रही हैं । इस समय तो धूप खिलखिला आती हैं । खिरिया नहीं था क्यों? तभी मुझे याद आया अंधेरा है क्योंकि मैं भारत में नहीं इंग्लैंड में हूँ । मैं फिर से सोने की कोशिश करने लगी

Details

Sound Engineer

रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
share-icon

00:00
00:00