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भाग - 4.01 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
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भारत चार यही है मेरा सब लोग । यही वह धरती हैं, जिस तरह पाओ रखने के लिए भारतवासी तरफ जाते हैं । मैं भी कितनी खुशकिस्मत हूं कि राम जैसा पति मिला और लंदन जैसा शहर मिला रहने के लिए नहीं, मन ही मन बन बता रही थी । कोच तेज रफ्तार से मोटर भी पर दौड रही थी और मैं खिडकी के बाहर चक्की दृष्टि से सब कुछ देख रही थी । बिल्कुल ऐसे ही जैसी की कोई गांव वाला पहली बार शहर आया हूँ । हीथ्रो हवाईअड्डे से बाहर निकलकर हम लोग विक्टोरिया सिटी टर्मिनल जाने वाली खोज में बैठ गई थी । वहाँ से भूमिगत रेल द्वारा हमें अपने घर जाना था । मैं बेहद खुश थी, पर मैं नोट कर रही थी । राम कुछ चिंतित से नजर आ रही थी । बीवी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो इतने गंभीर हो गए हैं । कोच से मुझे एक पहाडी सी पर बना किला नजर आया । मैंने नाम से पूछा ये क्या है? फॅस रामकेश्वर में तटस्थ था की मुझे ये शिक्षा खटक गई । मैंने उत्सुक होकर पूछा क्या बात है? आप कुछ उदास लग रहे हैं? नहीं तो नहीं । तो क्या आपके चेहरे से परेशानी साफ झलक रही है? नहीं ऐसी कोई खास बात तो नहीं? आम ही सही बताइए तो राम पल भर को मौन हो गई तो मुझे कुछ अटपटा सा लगा क्या? पत्नी बनकर भी मेनका विश्वास नहीं जीता हूँ । मैंने उदासर में कहा पति को कि हमें आज नहीं बना होगी तो जिंदगी कैसे काटोगे? राम अब तो हिन्दू ने एक है । जिंदगी की सुख दुख की समान रूप से भागीदारी करनी है । बताओ ना क्या बात है कोई खास नहीं । बस जरा मकान की दिक्कत है । आज कल में एक नाम रोड पर अपने मित्र के साथ रह रहा हूँ । वो डॉक्टर है, विवाहित है । उसके दो वर्षीय एक बच्चा है । दो कमरे के मकान में हम सबकी गुजर हो जाती है । मैं हर सप्ताह उसे रहने और खाने के पैसे देता हूँ । भारत आते समय मैं उसे कह कर आया था कि वो मेरे लिए कोई नई जगह तलाश कर के रखी । भाई ने कोई पत्र भी नहीं लिखा । पता नहीं उसने कोई जगह तलाश कर ली होगी या नहीं । बस इतनी सी बात पर परेशान हो गए । मैंने मुस्कुराकर था ये पी सी बात नहीं लेना । लंदन में आवाज की समस्या बडी विकट है और फिर भारतीयों के लिए तो राम ने बात को अधूरा ही छोड दिया । आधारहीन चिंताओं, बिना जन्मी परेशानियों को लेकर दुखी होना कहाँ की धीमानी हराम हो सकता है । अपने डॉक्टर मित्र ने कोई प्रबंध कर लिया हूँ । हाँ संभव है फिर अभी से परेशान हो रहे हैं । क्यूँकि कहकर राम ने अपनी बाहर मेरी गली में डाल दी । कोच विक्टोरिया टर्मिनस पर पहुंच गई । दो अॅान हमारे पास एक महीने पकड ली और दूसरी रानी हम दोनों बाहर आ गयी । वो सामने बोल देख रही हूँ । राम ने सडक की दाहिनी ओर कुछ दूरी पर इशारा किया । मुझे कुछ नहीं दिखाई दे रहा । चलो पास पहुंचने पर दिखाई दे जाएगा । क्या है विक्टोरिया क्यूब स्टेशन हम दोनों और पैदल चल दी । कुछ दूरी पर अंग्रेज किशोर किशोरियों का एक झुंड एक पक्के बाहर खडा था । किशोरों के सिर मुंडे हुए थे । किशोरियों ने गन्दी और विचलित सी ढीली ढाली पोशाके पहन रखी थी । उन्हें देखते ही राम ने तो फुटपाथ छोड दिया और दूसरे फुटपाथ पर चले गए । तभी रिमझिम रिमझिम वर्षा होने लगी । अब दूसरी ओर था पर जैसे ही हम लोग उसके सामने से गुजरे की उन लडकी लडकियों ने शोर मचाना शुरू कर दिया । कॅश अश्लील मुद्राएं प्रदर्शित कर रहे थे । उनके मुख पर हिंसा और घृणा की नंगी आकृतियाँ नाच रही थी । ये लोग करीब करीब घर जी क्या कह रहे हैं, उनकी तरफ मत देखो । अच्छा सामने देख रहे । आप चुपचाप सामने देखी चलिये हूँ उत्तर देने की आवश्यकता नहीं वरना खून खराबा हो सकता है । सामने घबराई सर में कहा मुझे लगा वो एक्टर नर्वस हो गए हैं । उनका चेहरा अकेला पडा हुआ था और उनकी चांस तेज हो गई थी । वो बार बार कनखियों से पक की ओर देख लेती थी । आखिर में इतना पुराने की क्या बात है? भारत में लडकी राहत चल की लडकियों को नहीं छुट्टी वही ना । ये वो बात नहीं है क्यांकि स्वर में खेलती थी और वह तेज चलने लगा । मुझे हटेगी लेकर इतना तेज नहीं चला जाता है । पता नहीं क्या चक्कर है आप पुरुष हैं । आपकी आश्रम में मुझे के साथ काम है जैसी कैसे लगाते हुए हम दोनों विक्टोरिया स्टेशन पहुंच गए । इलाज हमने चैन की सांस ली । ठंडी हवा और वर्षा की फुहारों के बावजूद यांग के माथे पर पसीने की बूंदें भराई थी । स्टेशन पर पहुंचकर वो कुछ आश्वस्त हुए । फिर वो धीरे से बडबडाई बच गए । मैं बुरी तरह रहसि की जाल में फंस गई थी । आखिर तो क्या चक्कर है । राम स्टेशन पर लगी एक मशीन के पास पहुंचे । उन्होंने जेब से कुछ छेलिंग निकले और इस मशीन में डाल दिए । मशीन से दो टिक्की निकल आई । फिर वह मुझ से बोली मेरे पीछे पीछे आ जाओ । राम ने दे कर लो । लाइन वाला बोर्ड पढा और लाल तीनों के शहरों पर चलने लगे । स्वचालित सीढियां दो एक्सीलेटर से उतरकर हम लोग प्लेटफॉर्म पर आ गयी । तीन मिनट में ट्रेन आ गई । दो तरह के देते एक सिगरेट पीने वालों के लिए दूसरी नो स्मोकिंग वाले हम लोग जुटे । बस सामने आया उसी में चढ गए । जैसे ही हमने कम्पार्टमेंट में प्रवेश किया दरवाजे स्वतः ही बंद हो गई और ट्रेन ने पलभर में तेज रफ्तार पकडेगी बडी सुंदर व्यवस्था है । महीने राम से कहा लंदन के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए कुल पंद्रह मिनट की जरूरत है जबकि दिल्ली की बसों के लिए तो पहले घंटों प्रतीक्षा करूँ । मैंने उत्सुकतापूर्वक पूरी कम्पार्टमेंट का निरीक्षण किया । डिब्बा लगभग आधा खाली था । एक होने में एक नवयुवक और एक नवयुवती आलिंगनबद्ध खडे थे और बीच बीच में एक दूसरे का चुंबन कर लेते हैं । मुझे आश्चर्य हो रहा था और में बार बार उन की ओर देख रही थी । इस तरह नहीं देखते रहना । राम मेरी मनोदशा तार गए क्यों? अंग्रेज लोग बडे रिजर्व होते हैं । वे दूसरों की व्यक्ति का जिंदगी में दखल नहीं थी । देखना आप हैं पापा कुछ नहीं, पर इस तरह से घुटने से साफ जाहिर हो जाता है की तो मुझे भी और विदेशी हो हूँ । बहस नहीं करते रहना जैसा मैं कहूँ वैसा करती हूँ । हर देश और हर समाज के कुछ नियम होते हैं । कुछ शिष्टाचार होते हैं, उसका उल्लंघन करना शालीनता के विरुद्ध होता है में उखडकर रह गई ही कैसे? बंधन है ही ऐसा शहर है जहां स्वच्छंदता और निर्भीकता से हम चल सकते हैं, देख सकते हैं वही धक्का सा लगा मेरे सिंधूरी सपनों का रंग पलभर में धूमिल पडने लगा नहीं मौन हो गयी । मुख्यद्वार के पास एक भारतीय खडे थे । ब्रिटिश रेल की यूनिफॉर्म पहनी नहीं, हाथ में झोला था जिसमें शायद सब्जी भरी हुई कि क्योंकि उसमें से मूली बाहर झांक नहीं ऍम ड्यूटी खत्म करके घर लौट रहे थे । हमारी सीट के ठीक सामने एक भारी भरकम अंग्रेज महिला बैठी हुई थी । उसने अपने विशालकाय और बेडौल स्तनों पर बाइबिल का एक छोटा सा संस्करण रखा हुआ था और वह से पडने में तल्लीन थी । उस महिला के पास ही एक अंग्रेज थी । बैठा था अधीर अवस्था साफ सुथरा सूट तो शाम का अखबार पढ रहा था । ट्रेन कल भर को हर एक स्टेशन पर रुकती फिर तेजी से चल पडती । वो अंग्रेज एक स्टेशन पर उतर गया पर अखबार को वहीं सीट पर छोड गया । लगता है वो लगता था महीने जी ने से कहा राम मेरी बात समझ गए मुस्कुराकर उन्होंने कहा जी नहीं दिल्ली में अखबार की रद्दी बिक जाती है । पर यहाँ नहीं अखबार दूध की वोट ले, कोका कोला आदि पेयपदार्थों की बोतलें एक बार प्रयोग करके नष्ट कर दी जाती हैं । उनका कोई मूल्य नहीं होता हूँ । अच्छा कमाल है । मैं आश्चर्यचकित रह गई । कमाल की कोई बात नहीं । यहाँ मानव श्रम बहुत महंगा है । जितना इन को एकत्र करने में खर्चा करना पडे उससे अधिक सस्ती पडती है । ये बोतलें भाई क्षेत्र देश है । मैं केवल नहीं कर पाई । लेबर हेड स्टेशन आ गया था । हम दोनों कैसी नहीं किया गई । बाहर जाने का मार्ग तीनों द्वारा प्रकाशित था । हम उन्हें तीनों के सहारे आगे बढ रहे थे । फिर स्वचालित सीढियों से हम लोग ऊपर आ गयी । गेट पर दोनों टिकटे देखकर हम लोग स्टेशन से बाहर आ गई । गेहॅू लेने के लिए एक मोटी निकालो महिला खडी थी । उसे देखकर में पल भर को डर गई । बस यहाँ से दस मिनट का पैदल रास्ता है । राम के स्वर में लंदन पहुंचने के बाद पहली बार मुझे क्लास की झलक दिखाई थी तो हम साथ हो तो दस मिनट । क्या मैं दस घंटे भी पैदल चल सकती हूँ । ये फिल्मी डायलॉग बोला कहाँ से सीखा फिल्मों से कहकर मैं ऍसे अच्छा फिर से सर सर कहकर में हंस पडी । राम भी हंस पडी हम लोग । महत्वपूर्ण मोटर भी एम फोर के पुल के नीचे से गुजर रही थी । अनायास मुझे विक्टोरिया स्टेशन के पास वाली घटना याद आ गई । यहाँ तो कोई खतरा नहीं । मैंने पूछा इस असंगत आकस्मिक प्रश्न में राम को चौका दिया । कैसा खतरा वैसा ही विक्टोरिया स्टेशन के पास वाला अरे नहीं ये खेत एकदम सुरक्षित है । पर उनकी वो बात की थी । मेरी समझ में तो कुछ नहीं आया । फिर कभी बता दूंगा अभी बचाने में क्या आपत्ति है? लंदन में पहले दिन ही अप्रिय बातें होंगी तो मन उदास हो जाएगा । अब तो यहाँ भी गई हूँ । उदास होने की क्या बात है । वास्तविकता का मुकाबला करने के लिए साहस और धैर्य जुटा होंगी । यदि आप मुझे अज्ञान के अंधेरे में रखेंगे तो फिर मेरा कायर और डब्लू बनना स्वाभाविक हो जाएगा तो उनसे बहस नहीं, कोई नहीं देख सकता हूँ । आठ के पास बसे किए थे एकमात्र स्तर होता है अब सुनाइये ना तो तुझे मालूम ही है कि आज इंग्लैंड में लगभग छह लाख भारतीय हैं । स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले जब भारत में अंग्रेजों का राज्य था तो लगभग प्रत्येक अंग्रेज का कोई ना कोई सजा संबंधी भारत में होता था । पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्थिति एकदम बदल गई । अब प्रत्येक भारतीय का कोई ना कोई रिश्तेदार इंग्लैंड में मौजूद है तो क्या हुआ? अंग्रेजों को भारतीय की इस बढती हुई जनसंख्या से चिंता होने लगी । उन्होंने उनके आगमन का विरोध करना शुरू कर दिया । इंग्लैंड की पत्र पत्रिकाएं भारतीयों के विरुद्ध घटना का विश्व मन करने लगी । एक पत्र में तो यहाँ तक लिखा गया था कि भारतीयों को मुर्गी के बच्चों की तरह इसी तरह बढने दिया गया तो वो दिन दूर नहीं की जनसंख्या के आधार पर एक भारतीय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री चुन लिया जाएगा । पर इस घृणा के प्रचार ने नई उम्र के अंग्रेज लडके, लडकियों को हिंसा के मार्ग पर लाकर खडा कर दिया । लडकों ने स्किन है मतलब बना लिए । उनके मुंडे हुए सिर्फ हमारे प्रति उनकी घटना के प्रतीक है । घृणा और उपहार से हमें करीब करीब गाल अर्थात रसेदार भोजन करने वाला लडका लडकी कहते हैं । जहाँ कहीं लोग का दुख का भारतीय को देखते हैं, उस पर हमला कर देते हैं, भारतीयों की दुकानों को लूट लेते हैं । अखबारों ने सारे समाचार नहीं सकते, पर ही सच है कि अनेक भारतीय इसी क्लब के सदस्यों के हाथों मारे गए हैं । मैं कहाँ थी, मैंने आशंका से भर गया । एक सुरक्षा और अपमान की भावना ने लंदन आगमन की उत्तेजना को ठंडा कर दिया । लंदन में लोगों के कुछ खास गढ हैं । उदाहरण के लिए लंदन का ईस्ट एंड भारतीयों के लिए कब्रिस्तान है । सरकार कुछ नहीं कर रही, इस विषय में था थोडा बहुत अंकुश रखे हुए हैं । पर सरकार कैसे सफल हो सकती है यदि जनमत उनके साथ हो

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रीना की शादी इंग्‍लैंड में बसे राम से होती है, तो उसे यह सब स्‍वप्‍न लोक जैसा सब लगता है। लेकिन जब वह इंग्‍लैंड जाती है, तो वहां होने वाले भारतीयों के प्रति व्‍यवहार और भेदभाव से उसे कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ता है। परदेश में क्‍या इतना सब लोग केवल पैसे के लिए सहते हैं? क्‍या इसीलिए सहते हैं कि अपने देश में संगे-संबंधियों के बीच अपनी संपन्‍नता का रौब दिखा सकें। इन सवालों ने रीना को बेचैन कर दिया। तो क्‍या रीना वापस अपने देश भारत आएगी या फिर समय के साथ समझौता कर लेगी?
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