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चैप्टर हो मेरे पिताजी की डायरी एक दिन चीखों ने मुझे कहा सिखाया मैंने तुमसे तुम्हारे पिताजी की डायरी पडने के लिए मांगी थी परंतु तुमने मुझे वो अभी तक नहीं क्या बात है मैं दुविधा में हूँ की क्या किया जाए क्योंकि मैं वह डायरी उसे पडने के लिए नहीं दे सकती थी क्योंकि मेरे अलावा ये डायरी किसी ने नहीं पडी थी और ना ही मैंने आज तक किसी को पढने के लिए ही दीदी क्योंकि मेरा मन था कि मेरे पिताजी की डायरी को पढ कर पढने वाला मुझे नफरत जरूर करने लगेगा । परन्तु फिर मैंने सोचा की चीजों को ये डायरी देने में हर ही गया है । फिर मैंने अपने पिताजी की डायरी चीजों को पढने के लिए दे दी । जी को उस डायरी को अपने क्लिनिक में ले गया जब शाम को लौटा दो खामोश था उसकी खामोशी देखकर मैं समझ गई अच्छी खूने वो डायरी पडी है । कुछ देर के बाद मैंने चीजों से कहा क्यों जी पडनी डायरी आपने यार वो डायरी थी उसे डायरी कहकर उसका अपमान मत करूँ । ये जो तुम्हारे पिताजी के जीवन के ऊपर लिखा वह गन्दा है क्योंकि समाज को नई दिशा दिखाने के साथ साथ समाज को ये सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या किसी व्यक्ति को हकलाहट की समस्या हो, ना आप है अगर वह हकलाहट की समस्या से पीडित है तो उसमें क्या दोष? सच में तो मानो या ना मानो तुम्हारे पिताजी की डायरी को पढते पढते मेरी आंखों में आंसू आ गए । तभी मैंने निश्चय किया की कुछ भी हूँ मैं तुम्हारे मकसद को पूरा करने में तुम्हारा साथ जरूर तो चाहे इसके लिए मुझे किसी से भी टकराना पडे हैं । अब ये मकसद केवल तुम्हारा नहीं, हम दोनों का है अच्छा ये फिल्मी डायलॉग बंद करो और हाथ मोड होकर खाना खाना । मैंने बात को पलटने के लिए मजाकिया लहजे से कहा क्या तुम मेरी मेरी बात को सुनती नहीं हूँ, हमेशा मेरी बात को काट देती हूँ । जी को लेगा अच्छा ठीक है । बाबा जाओ अब जाके हाथ मुंह धोकर खाना खा लो । चाहूँ मैं तुम्हारा इंतजार करें । मैंने बात को खत्म करने और चीजों का ध्यान कहीं और लगाने के लिए ऐसे से उसे कहा और उतना कहकर मैं रसोई घर में खाना बनाने के लिए चली गई । वहाँ जाकर बच्ची को के बारे में सोचने लगी । क्या वो भी इस समय वही दर्द महसूस कर रहा होगा? जिस तरह को पहले वो डायरी पढने के बाद महसूस किया था ये तो मैं नहीं जानती परन्तु इसका जवाब मैं आपसे जरूर जानना चाहूंगी । मैं अपने पिताजी की डायरी की उप बहु नकल को आपके सामने पेश कर रही हूँ ताकि इस सवाल का जवाब मैं आपसे जान सकता हूँ । ये सिर्फ एक टाइम ही नहीं बल्कि उनके जीवन की वो सच्ची कहानी है जिससे अभी तक कोई भी परिचित नहीं था । मेरी जीवन का था डायरी मेरा नाम आलोक है और मैंने एक अजीब बीमारी के साथ जन्म लिया था । को बीमारी जिसे आम बोल चाल की भाषा में हकलाना कहते हैं । लेकिन मेरी समझ में बीमारी आज तक नहीं आई कि आखिरकार ये क्या है और इसका इलाज किया है मेरे पूछे माता पिता जी ने । मुझे इस बीमारी से निजात पाने के लिए मुझे कई डॉक्टरों, हकीमों, यहाँ तक कि कई ज्योतिषियों के पास लेकर गए परंतु सब व्यर्थ ही साबित हुआ । यानि उन सब के पास पैसा और समय बर्बाद करने के बावजूद मुझे इस बीमारी से निजात मिल सके । पैर आ तू आज मेरे स्कूल में पांचवीं कक्षा में पहला दिन है । ये नया स्कूल था । मुझे मेरी माँ स्कूल छोडने जा रही थी स्कूल पहुंचकर मेरी अध्यापिका जी ने मुझे मेरा नाम पूछा । मैं अपना नाम जानता था परन्तु बोल नहीं पा रहा था । अपने ही नाम को बोलने में इतनी तकलीफ । मैं अपना नाम बोलने की कोशिश में अपना तरह तरह काम बना रहा था । मेरी इस प्रतिक्रिया को देखकर मेरी अध्यापिका सहित बाकी मौजूद लोग भी हासिल नहीं तो वो मुझ पर हस रहे थे । मैं जानता था कि वह सब मुझ पर हस रहे हैं परन्तु उसके बावजूद भी कुछ नहीं कर पा रहा हूँ । व्यवस्था मेरी हकलाहट की समस्या जो क्यों बनी हुई थी । ये नहीं कि हमने समस्या के समाधान के हाल के बारे में सोचना छोड दिया । हमें जहाँ से भी कोई आशा की किरण नजर आती हम वहाँ दौर पर हैं परन्तु हर बार की तरह हमें निराशा ही हाथ लगती । पैरा थ्री आज मेरी कक्षा में मेरी अध्यापिका जी ने ब्लैक बोर्ड पर एक सवाल लिखा और सभी से उस सवाल का उत्तर पूछने लगे । मुझे उसका उत्तर मालूम है परंतु मैंने फैसला किया कि मैं नहीं बताऊंगा क्योंकि उत्तर बताते समय में हक लाऊंगा और हर बार की तरह वो सममुच पढाएंगे । ब्लैक बोर्ड पर लिखे सवाल का उत्तर कोई भी बोल नहीं रहा था तभी मेरी अध्यापिका जी ने मेरे एक सहपाठी को उत्तर बोलने के लिए खडा किया परन्तु वह सवाल का उत्तर बोल नहीं सका क्योंकि वह सवाल के उत्तर के बारे में नहीं जानता था । लेकिन मैं जानता था कि उस सवाल का उत्तर किया था लेकिन मैं अपनी समस्या के कारण बोलना नहीं चाहता था । एक तरफ किसी भी सहपाठी के द्वारा उत्तर न बताए जाने के कारण जहाँ अध्यापिका गुस्सा हो रही थी वहीं दूसरी तरफ मैं उत्तर के बारे में पता होने के बावजूद बोल नहीं रखने के कारण अपने आप को कोसना था । मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं उस सवाल के उत्तर के बारे में जानता था लेकिन बोल नहीं सकता था जिसके लिए मन ही मन भगवान और अपने आप को गालियां दे रहा था । ऍम ये नहीं कि मुझे कोई दिमागी समस्या है बल्कि मैं दिमागी रूप से एकदम ठीक ठाक हूँ । मैं पढने में काफी तेज हूँ । मैं जिस विषय को एक बार पढ और समझ लेता हूँ से झट से याद कर लेता हूँ परन्तु मैं उसे बोल नहीं पाता जिससे कक्षा में मेरी छवि एक नालायक विद्यार्थी के रूप में उभरती है । स्कूल में सब मुझे नालायक समझते हैं लेकिन केवल मैं जानता हूँ कि मैं क्या हूँ । मैं अपने आप को पहचानता हूँ । मैं ऐसा नहीं हूँ । ऐसा सब मेरे बारे में समझाते हैं । सब ने मेरे बारे में गलत पहली बार रखी है । जब सब मुझ पर हसते हैं और मेरा मजाक बनाते हैं, उन लोग को कुछ कह नहीं पाता । उस समय मैं बेबस और लाचार हो जाता हूँ लेकिन में हार नहीं मानता हूँ और उन सबके मजाक उपहास का जवाब परीक्षा में देता हूँ । मैं परीक्षा में हमेशा पहले स्थान पर आता हूँ । यही बात मेरे अध्यापक और सहपाठियों को हैरान कर ले और मुझे समझने के लिए काफी है । पैराग्राफ फाइव मैं सभी सामाजिक कार्यों में सदस् पीछे रहता हूँ जिस वजह से मेरे व्यक्तित्व पर नालायक और काम चोर होने की मुहर लग गई है । मैं कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मैं अपने दिल की बात खुलकर नहीं कह सकता हूँ । मेरी इस नालायक और काम चोर की छवि के पीछे मेरे हकलाहट की समस्या एक कारण है । मैं जानता हूँ परन्तु को इस बात को समझ नहीं पा रहा हूँ । अब मेरा कोई दोस्त भी तो नहीं है जिसके साथ मैं दिल की बात खुलकर कह सकता हूँ । ये नहीं की मुझे कोई दोस्त नहीं मिला । बहन तो मुझसे दोस्ती होने के कारण उसको भी मजाक और बेज्जती का सामना करना पडा । दोस्त ने भी मेरा हाथ छोड दिया । ऍफ सिख आज मैं अपने आप को अकेला महसूस कर रहा हूँ । मेरा कोई दोस्त नहीं है । फिर क्या हुआ अगर मेरा कोई दोस्त नहीं मैं अपने आप से दोस्ती करूँ । मेरा दोस्त मेरा दिन और मेरा दिमाग होगा । यही बात मैं आपसे करता हूँ और अपने आपको झूठी तसल्ली देता रहता ब्लॅक आज मेरी परीक्षा का परिणाम आने वाला है । मुझे नहीं पता कि मैं इसमें पास हो जाऊंगा या फिर फेल । क्योंकि मेरी परीक्षा पहले की अपेक्षा अच्छी नहीं गुजरी थीं जिस वजह से मुझे पास होने की अपेक्षा उसमें फेल होने का अंदेशा ज्यादा है । अगर मैं इसमें फेल हो गया तो ये पहली बार होगा परन्तु अपने फेल होने के पीछे मैं आप को दोषी नहीं मानता हूँ । मेरी पुरानी दोस्त बन यानी मेरी हकलाहट की समस्या मेरे फेल होने का कारण है । जी हाँ मैंने अपनी हकलाहट की समस्या को ही अपना दोस्त बना लिया है क्योंकि यही तो है जो हर पल मेरे साथ नहीं है । सुख हो या दुख खुशी हो या गम ये सादा मेरे साथ रहती है और आखिरकार मेरा अंदेशा सही निकलेंगे । मैं परीक्षा में फेल हो गया । परिवार वाले हैरान हैं । पिताजी डांट रहे हैं परन्तु सब फेल होने के पीछे की वजह को पहचान नहीं पा रहे हैं । पैराग्राफ स्टेट आज मैंने पढाई छोडने का फैसला कर लिया है । मैं आगे नहीं पडो ये बात नहीं की मैं पढना नहीं चाहता हूँ । मैं पढना चाहता हूँ मैं पढ सकता हूँ और पढ लिखकर एक डॉक्टर या वकील जैसी गद्दी हासिल कर सकता हूँ परन्तु में नहीं पडना चाहता हूँ क्योंकि मेरा दोस्त मेरी हकलाहट की समस्या मुझे बढने नहीं देगी । मेरा ग्राॅस मेरे सपने टूट चुके हैं । जब सपने टूटते हैं तो उनकी आवाज दिल की गहराई में गुम हो जाती है । बाहर वालों को इसकी आवाज सुनाई नहीं देती । मेरे सपने टूटने में मेरे दोस्त मेरे हकलाहट की समस्या का बहुत बडा हाथ है । मुझे अपने आप से नफरत है । मुझे इस समाज से नफरत है । काश मैं देखूंगा या अपाहिज ही पैदा होता हूँ । कम से कम समाज की सहानुभूति तो मिल जाती है । कोई मुझ पर तरस तो कर लेता हूँ लेकिन ऐसा नहीं हुआ । मैंने हकलाहट की समस्या के साथ चरण लिया है जैसे लोगों की सहानुभूति नहीं बल्कि उनकी हसी मिलती है । पाॅड आज मैं अपनी जिंदगी से तंग आ गया हूँ । आत्महत्या करने की सोच रहा हूँ करूँ या ना करूँ क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है । मैं जिंदगी से निराश जरूर परन्तु मैं कायर नहीं हूँ । मैं ऐसा नहीं कर सकता । मैं नहीं मान सकता मैं जीत सकता हूँ । हाँ मैं जीत सकता हूँ । फॅमिली आज मेरे लिए एक रिश्ता है । ये रिश्ता मेरी मौसी लेकर आई है । लडकी उनके ससुराल में किसी रिश्तेदार में सिद्धि मेरी मौसी के साथ लडकी की मां भी आई थी । मौसी ने मुझे अपने पास पढाने से बुलाया और लडकी की । मां मुझसे मेरे बारे में कुछ सवाल करने लगी । जवाब देते समय कुछ डर गया और हकलाने लगा । मेरे हकलाहट की समस्या को देखते हुए लडकी की मां तुरंत ही वहाँ से चली गई । उन सब के जाने के कुछ दिनों के बाद पता चला कि लडकी की मां अ मेरी मौसी के बीच जमकर लडाई हुई । इसका कारण शायद में हकलाहट की समस्या थी क्योंकि लडकी की मां का कहना था मेरी मौसी ने जानबूझ कर उन्हें एक हकले यानी मेरे रिश्ते के बारे में बताया था । कुल मिलाकर ये रिश्ता टूट गया और इस वजह से मेरे पिताजी से मुझे काफी डांट पडी । पिताजी का मानना था कि मैं जान पूछकर ऐसे बोलता हूँ तो मेरी समस्या को जान नहीं पा रहे हैं । ऍम मैत्री समस्या को लेकर बहुत चिंतित रहने लगा । इसके साथ साथ मुझे मेरे भविष्य की चिंता भी सताने लगी । मैं अपना जीवन यापन कैसे करूंगा, परिवार का पेट कैसे पालूंगी? मैं मन ही मन घुटने लगा । आखिरकार मैंने अपने जीवन यापन करने का एक रास्ता ढूंढ लिया । मैं ढाबे में जाकर काम सीखने लगा ताकि भविष्य में मैं अपना खुद का दावा खोल कर अपना जीवन यापन आसानी से कर सकता हूँ । जीवन यापन के लिए ढाबे का काम सीखना मेरी मजबूरी थी क्योंकि मेरी समझ में यही एक काम था क्योंकि मैं हकलाहट की समस्या के रहते हुए भी आसानी से कर सकता था क्योंकि इसमें ज्यादा बोलने की जरूरत ही नहीं है । दिमाग तेज था और नहीं नहीं योजनाएं बनाने में । वैसे भी मैं माहिर था तो मेरा ढाबा चलने लगा परन्तु आस पास के लोगों के बीच मेरी हकलाहट की समस्या छुप कर सके जिससे मेरे ढाबे का नाम पंजाबी ढाबे से शाहरुख खान का दावा पड गया क्योंकि शाहरुख खान बोलते समय हकलाता था और मैं भी हक लाता हूँ जिस कारण शायद मैंने ढाबे का नाम उनके नाम पर पड गया । लेकिन इस बात से मैं कभी निराश नहीं हुआ बल्कि मैंने ढाबे से पंजाबी धावन राम का पुराना बोंड उदार करो, नया बोर्ड लगा दिया और अपने ढाबे का नाम शाहरुख खान का दावा रख दिया । पैराग्राफ थर्टीन कहते हैं, एक अक्लमंद आदमी वही होता है जो कि अपने ऊपर फेंकी गई थी तो से ही अपनी कामयाबी के लिए बना सके । मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है । लोगों ने मेरे हक लेपन का मजाक बनाने के लिए मेरे ढाबे का नाम बदल दिया परंतु मैंने इसी नाम के सहारे अपना ढावा मशहूर कर लिया । दिमागी तौर पर मैं शुरू से ही तेज था । मैं अपने ढाबे पर नए नए प्रयोग करने लगा । मैंने देखा कि लोग मेरे हकलाहट का मजाक बनाने के नजरिए से मेरे ढाबे पर आते हैं । जब मैं कुछ बोलता और बोलते समय हकलाने लगता तो मुझे देखकर छोटे छोटे बच्चे खुश होने लगते हैं । मैं इस बात से निराश नहीं हुआ और बल्कि मैंने अपनी कमजोरी यानि अपनी हकलाहट की समस्या को अपनी कामयाबी किसी भी बना लिया । मैंने उस हर व्यक्ति को अपने ढाबे पर नौकरी देने शुरू कर दी क्योंकि हकलाहट की समस्या से पीडित हो समय के साथ साथ मेरा ढाबा एक रेस्टोरेंट में बदल गया जहाँ दूर दूर से लोग मेरे ढाबे पर आने लगे और ये सब मेरे हकलाहट की समस्या की बदौलत ही था । ऍम आज मेरी बुआ घर पे आई वो मेरे लिए एक लडकी का रिश्ता लेकर आई । वैसे तो इस से पहले मुझे कई लडकियों ने ना पसंद कर दिया था परंतु मेरे ढाबे वाले काम के कारण मुझे काफी रिश्ते आने लगे हैं । अब मैं उन्हें परख रहा हूँ क्योंकि मेरे पैसे को देख कर आ रही है । अब उल्टी गंगा बह रही थी और ये सब मेरे हकलाहट की वजह से संभव क्योंकि मेरे हकलाहट की समस्या की वजह से मेरा ढाबा दिन दोगुनी और आप चौगनी उन्नति कर रहा था । ये नहीं कि मेरा दावा जो क्या बिग रेस्टोरेंट का रूप ले चुका था, वहाँ पर आने वाला हर शख्स मेरी हकलाहट का मजाक बनाने ही आता है । कुछ बुद्धि जीवी लोग मुझे अच्छी प्रकार से जान गए थे । मेरे दिल से जब भी करते थे हूँ मेरी बुआ जी जो रिश्ता लेकर आई थी उसको लेकर मैं मेरा सारे परिवार उस पर विचार विमर्श कर रहा था । मैंने बुआ के सामने एक ही बात रहें कि मुझे तहज वगैरह में कोई दिलचस्पी नहीं है । परमात्मा का दिया हुआ सब कुछ है । मुझे तो मेरे साथ निभाने वाला जीवन साथी चाहिए । जिसके लिए बुआ ने स्पष्ट कह दिया कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले यानी लडकी वालों को रिश्ते के लिए हाँ बोलने से पहले मैं लडकी से चंद्र बातें करना । चाहूँ बुआ ने कह दिया कि जैसा मैं चाहूंगा वैसा ही होगा । पैराग्राफ्स फॅस आज मैं अपने लिए लडकी देखने जा रहा हूँ । मेरे साथ मेरा पूरा परिवार जा रहा है । कुछ देर में हम लडकी वालों के घर पहुंच जाते हैं तो बहुत ही मिलनसार हैं । उन्होंने हमारे स्वागत में कोई कसर नहीं छोडी । कुछ समय के बाद लडकी भी आ जाती है । पहली नजर में देखने पर वो बहुत सुंदर लगती है । गरिमा बहुत उतावली है । मेरे भाई तो उनसे भी ज्यादा उताबले । मेरी माँ ने मुझसे पूछा बगैर लडकी को हाँ बोल दिया और उनकी मंजूरी मिलते ही मेरे भाई लोग उस लडकी के साथ तस्वीरें खींचने लगे । कुल मिलाकर जैसा मैंने सोचा था कि मैं लडकी से कुछ बातें वगैरह करूंगा । ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । मैं घर वापस आ गया और अपने मन की बात में किसी से नहीं कह पाया । मैंने सब कुछ भगवान के भरोसे पर छोड दिया यानी जो होगा तो देखा जाएगा । ऍम मेरी शादी हो चुकी है और परमात्मा की दया से मेरा जीवन साथी जैसा मैंने चाहा था वैसा ही मुझे मिला । मैं बहुत खुश हूँ और इसके लिए उस परमात्मा का बहुत ही धन्यवाद करता हूँ । ऍम मेरी पत्नी को मेरी हकलाहट की समस्या के बारे में पता है परंतु इसे लेकर उसे कोई ऐतराज नहीं है । वो मेरे साथ बहुत खुश हैं परन्तु मेरे ससुराल वाले मेरी समस्या का जमकर मजाक बनाते हैं । जिस वजह से मेरी पत्नी ने अपने मायके जाना बहुत कम कर दिया । मेरी पत्नी की पहले अक्सर मेरी हकलाहट का मजाक बनाती है । इस वजह से उन सब की मेरी पत्नी के साथ कहासुनी होती रहती है । ऍम मेरी शादी हुए, आज दो साल हो गए । आज मेरे घर एक नदी परिक आगमन हुआ है । मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है । मैं बेटी का पाप बन गया हूँ । मेरी माँ ने उसका नाम शिखा रखा है । मैं शिखा को बेटी के रूप में पाक बहुत खुश हूँ । मैं अपना ज्यादातर समय उसी के साथ बताता हूँ ऍम आज मेरे पास सब कुछ है । एक अच्छा परिवार कारोबार भी बढिया है और इस सब कुछ मेरे हकलाहट की समस्या की वजह से । आज मेरा मजाक बनाने वाले मेरी इस कामयाबी को देखकर मुझे चलने लगे कि सबकुछ उन्हीं की मेहरबानी है क्योंकि वो मेरा मजाक बनाने के लिए मेरे ढाबे में आने लगे और मैंने उनसे कमाई करके अपने धाबी को एक रेस्टोरेंट रोक दे दिया । ऍम मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरी बेटी बडी हो गई है । आज मैं मेरी पत्नी उसे स्कूल में छोडने जा रहे हैं । आज स्कूल में उसका पहला दिन हैं, स्कूल के बाहर रो सकता से बात कर रहा हूँ परन्तु अपनी आदत के अनुसार में बात करते समय हकला रहा हूँ । मुझे इस प्रकार हकलाते देख कर मेरे पीछे खडे बच्चे मुझ पर हस रहे हैं तभी मेरी बेटी का ध्यान उन हसते हुए बच्चों पर गया और वो वहाँ से अपनी क्लास की हो गयी । वो क्यों भागी? शायद उसे उन बच्चों द्वारा मेरा मजाक उडाना पसंद नहीं है । मैं उसका इस प्रकार का रवैया देखकर हैरान था क्योंकि वो इतनी छोटी सी उम्र में भी ये सब सोच सकती थी । पैराग्राफ ट्वेंटी मेरी बेटी बडी हो गई थी । वो आप बडी क्लास में पडने लगी थी । एक दिन वो अपनी माँ से स्कूल न जाने की जिद करने लगी । जब उसकी माँ ने स्कूल न जाने का कारण पूछा तो उसने बताया कि स्कूल में सब उसे चलाते हैं । सब उसे अगले की बेटी कहकर बुलाते हैं । ये सुनकर में सकपका गए । मेरे हकले होने की सजा मेरी बेटी को मिल रही थी । मैंने यह निश्चय किया कि मैं ये सब नहीं होने दो । मैंने इस बारे में बेटी के स्कूल में जाकर बात करने का निश्चय किया । अगले दिन में स्कूल गया । स्कूल की मुख्य अध्यापिका से इस बारे में बात करने लगा । उन्होंने मेरी बातें तुसली परन्तु मेरे हकलाने के अंदाज से बोलने के कारण वो मंद मंद मुस्कुरा मिल रही थी । काफी देर बात करने के बाद उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वो इस मसले पर गौर करेंगे । परन्तु उनके आश्वासन देने के अंदाज से मैं समझ गया कि वह ऐसा कुछ नहीं करने वाली क्योंकि मेरा मजाक बनाने वालों की कतार में वो भी खडी है । ऍम मेरी बेटी मुझसे नफरत करने लगी थी और उसकी वजह क्या हो सकती है? क्या मेरी हकलाहट की समस्या इसकी वजह से या फिर मेरी हकलाहट की समस्या की वजह से मेरी बेटी का मजाक बनाया जाना इसकी वजह थी । नए हकलाहट की समस्या का शिकार था परन्तु इसकी सजा मेरी बेटी भुगत रहे थे । पूरे स्कूल के बच्चे अगले की बेटी कहकर उसे चलाने लगे थे जिस वजह से मुझे बात भी नहीं करती थी । मैं उसकी लसत का शिकार बन रहा था । जैसे जैसे मैं बडी हो रही थी वैसे वैसे मेरे प्रति उसकी नफरत बढती जा रही थी । कुल मिलाकर हकलाहट की समस्या के प्रति समाज ऐसी सोच मेरे और मेरी बेटी के बीच दरार का काम कर रही थी । ऍफ ट्वेंटी टू आज तो मेरी बेटी ने नफरत की सारी हदें पार कर दिए हैं । आज उसके स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग है । यानी स्कूल में मुझे मेरी पत्नी को जाना है । लेकिन वही अजीत विकसित कर रही है तो मुझे अपने साथ नहीं लेकर जाना चाहती हूँ । मेरी पत्नी जब उससे पूछा तो उसने साफ तौर पर कह दिया कि वह एक अगले को अपने साथ नहीं लेकर जाना चाहती हूँ । उसकी बात सुनकर जितना मुझे तो पहुंचा उससे कहीं ज्यादा मेरी पत्नी को बुरा लगा । उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और बहुत से मारने पीटने लग गई । मैंने बेटी को छुडाने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी मेरी पत्नी ने उसे काफी चोटिल कर दिया । वो हो रही है पर होते हुए भी अपनी जिद पर कायम थी । अंत में हम दोनों उसकी जित के सामने हार गए । बहुत स्कूल में अपनी माँ को ले गई । मैं बहुत दुखी था परन्तु लगी बस था । मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता था । फॅमिली उस दिन के बाद हम दोनों यानी मैं और मेरी बेटी कभी भी बाहर इकट्ठा नहीं गए । इस बात का दुख मुझे आज तक है । मुझे और कोई चिंता नहीं । चिंता बस इस बात की है । मेरी हकलाहट की समस्या मेरी बेटी की शादी में रुकावट ना बन जाए क्योंकि कोई भी लडका टिकट ले का सामान बनना पसंद नहीं करेंगे । मेरी जिंदगी तो खराब हो ही गई है लेकिन मेरी वजह से मैं अपनी बेटी की जिंदगी पर बात में ही होने दूंगा । ऍफ ट्वेंटी फोर अंत में मैं सबसे माफी मांगना चाहूंगा और मुख्यता अपनी बेटी है क्योंकि मेरी वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हो रही थी । जब मेरी बेटी शिखा मेरी ये जीवन गाथा यानी मेरी डायरी पड रही होगी तो हो सकता है । उस वक्त मैं इस दुनिया को अलविदा कह चुका होगा । ऍम मैं शिखा से माफी मांगना चाहता हूँ । मेरी बेटी तुम्हारी जिंदगी के लिए मैं जिम्मेदार हूं परंतु इसके बावजूद इसमें मेरा दोष रही है । दोष किसका है ये मैं नहीं जानता परन्तु एक बात में आप सबसे पूछना चाहूंगा कि मैं हकलाता हूँ, उसमें मेरा दोस्त हो सकता है परन्तु मेरा या मेरे परिवार का क्या दोष? हमने ज्यादा कुछ नहीं लग सकता हूँ क्योंकि आप मुझे इस दुनिया को अलविदा कहकर दूसरी दुनिया में जाना है । ऍफ ट्वेंटी सिक्स अंतिम बार आठ सभी से मैं चाहूंगा कि आप मेरी अंतिम रसम पर श्रद्धांजलि देने आए तो और कुछ करें या ना करें । एक प्रार्थना अवश्य करना कि भगवान इस हकले को अपने चरणों में स्थान जरूरतें धन्यवाद ।
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