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13. Mukta kaa Prashchit in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

13. Mukta kaa Prashchit in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
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चैप्टर ट्वेंटी वन मुक्ता का प्रायश्चित एक दिन का विरोधी हुई । स्कूल से घर आई । मैं उसे देख कर डर गई । मैंने सचिव करवाया और उसके रोने का कारण पूछने लगी । कुछ देर के बाद उसने बताया कि उसकी एक सहेली के पास एक खिलाना है और वह भी एक वैसा ही खिलाना चाहती है । मैंने उसे चुप करवाया और उससे कहा कि मुझे शाम तक वो खिलाना लाख लेते होंगे । लेकिन मुझे जी को के पास अस्पताल भी जाना था क्योंकि उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुके हैं । किसी भी समय कुछ भी हो सकता था । अच्छा खेला छोडना नहीं चाहती थी । लेकिन अगर काव्या ने उसके सामने जाकर होते हुए उसे खडा होने के बारे में कहने लगी तो अच्छी को को बहुत ही दुख होगा । वो काव्या की आंखों में आंसू नहीं देख सकता । इसीलिए मैंने पहले वो खिलौना लेकर अस्पताल जाने का फैसला किया । मैं बाजार की ओर निकल गई और अपनी सासु माँ को शाम को काफी को लेकर अस्पताल आने के लिए कह दिया । बाजार में मुझे लगा कि जैसे कोई और मेरा पीछा कर रहे हैं । मैं जिस भी दुकान में जाती हूँ वही पीछे पीछे आ जाती है । शायद मुझे कुछ कहना चाहती थी, जब मुझे पक्का यकीन हो गया, मेरा पीछा कर रही है तो मैं रुक गई और उससे कहा, मैं देख रही हूँ कि आप लगातार मेरा पीछा कर रही हूँ । क्या काम है आप क्या चाहती है जी नमस्कार । उसमें कुछ करते हुए का नमस्ते कहीं । मैंने कहा लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं । उस औरत ने कहा माफ कीजिए आपने बिल्कुल सही का । मैंने आपको पहचाना नहीं । रहने का की आपका नाम शिखा है ना? उसने कहा हाँ, लेकिन आप कौन हैं? मेरा नाम दुखता है । मुक्ता के नाम सुनते ही मसल रह गई क्योंकि जिस मुक्ता के बारे में मैं जानती थी वह खूबसूरत और सुडौल युक्ति थी । लेकिन इस औरत की हालत बया करना मुश्किल था । इसका चेहरा मुरझाया हुआ था । जैसे कोई कर्जे के बोझ के तले दबे हुए किसी व्यक्ति का होता है । ये अपनी उम्र से बहुत बडी लग रही थी । बीच के कुछ बाल सफेद और चेहरे की झुर्रियां उसे बुढापे की ओर ले जा रही थी । मैं उसे देखी जा रही थी । कुछ समय रुककर मैंने उससे कहा, मुक्ता, ये तुम हो, तुम नहीं अपना क्या हाल बना रखा है मेरे इतना कहते ही वह होने लगी । मैंने उसे चुप कराया और कुछ देर बैठने को कहा । उसकी हालत देखकर हैरान थी । बहुत ही बदल चुकी थी । वो पहले से बहुत ही ज्यादा कमजोर थी । कुछ देर के बाद उसने मुझसे कहा, अगर आपको कोई ऐतराज नहीं हो तो क्या मैं आप से कुछ देर बात कर सकती हूँ? मेरा चीकू के पास अस्पताल में जाना बहुत जरूरी था तो मैंने उससे कहा मुख्तारी मैं माफी चाहती हूँ, आज नहीं । फिर कभी आज मुझे बहुत जरूरी काम है । मैं आपका ज्यादा वक्त नहीं होगी । मुझे बस चीजों के बारे में कुछ जानना है । भुगताने का क्या जानना चाहती हूँ । कहीं बैठ कर बात करें । भुगताने कहा ठीक है । उसके बाद हम दोनों पांसी के एक रेस्टोरेंट में चले गए और बातें करने लगे । हाँ बोलो क्या बात करनी है । मैंने पूछा था मुझे तो नहीं है । परंतु बच्ची को के बारे में एक बात जानना चाहती हूँ । मुक्ता ने कहा क्या जानना चाहती हूँ तो मुझे चीजों की बीमारी के बारे में पता चला है । क्या वह बात सच है? गुप्ता ने पूछा क्या पता चला है तो यही कि उसे कैंसर है क्या ये बात सच है । मुक्ता ने कहा था सचिन की उसे कैंसर ऍम इतना सुनते ही वह होने लगी । उसको रोते देखकर मैंने उससे कहा तुम क्यों रो रही, किसके लिए हो रही हूँ, वो तुम्हारा क्या लगता है जिसके लिए तो वैसे हो रहे हैं । ऐसा मत करो । माना कि मुझसे गलती हो गई थी । परंतु इसका मतलब ये नहीं कि मुझे प्यार नहीं था । मुक्ता ने रोते हुए कहा ब्यास कौन से प्यार? इसके बाद मुक्ता चुप हो जाती है । कुछ देर की खामोशी के बाद प्रमुखता से कहती हूँ, खैर छोडो इन सब बातों को तुम बताओ ये तुमने अपना क्या हाल बना रखा है? मैंने बात को पलटने के लहजे में कहा । मतलब फट जाने का मतलब यही कि जिस मुक्ता के बारे में मैंने सुना था, तुम मुक्ता नहीं लगती हो । तुम जरूर कुछ छुपा रही हो । क्या बात है मैंने गांव । इसके बाद मुक्ता अपनी व्यथा सुनने लगी जी खु से अलग होने के बाद यानी उससे तलाक लेने के बाद कुछ दिन तो ठीक ठाक हो रही उसके लिए पैसों से खूब मौजूद हैं । परन्तु कुछ दिनों के बाद ही उसे खोने का एहसास होने लगा । अकेले होने के कारण उसके साथ बिताया हुआ समय याद आने लगा । उससे जुदाई के गम मुझे बताने लगा, एक तरफ मुझे चीफ उसे बिछडने का काम था और दूसरी तरफ समाज की मानसिकता का सुना था । यानी तलाक के पहले जो लोग हमारा साथ देते थे, तलाक के बाद वही लोग हम से कन्नी कतराने लगे । मेरे सामने आते हैं लोग मुझे हम दर्जी करते । हमारे जाते ही मेरे पीठ पीछे मेरी बातें करने लगे । तलाक के बाद कई लोगों ने हम से नाता तोड दिया । मोहल्ले के लोगों ने तो पहले से ही हम से बोल चाल बंद कर दी थी । मेरी सहेलियों ने भी मुझसे संपर्क तोड दिया था । कुल मिलाकर मैं अकेली पड गई थी । ये मेरे बुरे दिनों का शाहरा था । तलाक के कुछ दिनों के बाद मेरे लिए शादी के रिश्ते आने लगे परंतु मैं उन सबको मना कर दी गई क्योंकि उन सभी में ज्यादातर वो लडके थे जिनकी दूसरी या तीसरी शादी थी और सभी का कोई न कोई बच्चा था जिस वजह से मैं मना करती रही और जो लडका मुझे कुछ पसंद आता है मुझे ये कहकर मना कर देता है कि जिसने पहले से ही अपनी बेटी को छोड दिया है तो मेरी और आपको क्या प्यार देगी । ये कडवा सच था । ठीक ओके प्यार के साथ साथ में अपनी बेटी के प्यार को भी छोड कर आई थी । वो बेटी जब ठीक प्रकार से बोल भी नहीं सकती थी सिर्फ अपनी आंखों से मुझे सब कुछ कहती थी । मैं उसकी माँ थी जो उसकी हर हरकत से वाकिफ थी लेकिन अब मैं उससे ज्यादा हो गई थी । गलती मेरी ही थी मैं मानती हूँ परन्तु अफसोस यह है कि मुझे अपनी गलती का एहसास उस वक्त हुआ जब मैं सब कुछ हार चुकी थी, गलती की थी और इसकी सजा भी मिल नहीं थी जो गलती का सबसे बडा जिम्मेदार था । यानी मैं घर बर्बाद करने के पीछे जिस शख्स का हाथ था उसे अपने किए की सजा मिल गई तो मेरी माँ थी हाँ, मेरी माँ जिस के कहने पर ही बच्ची को और उसके परिवार के साथ हमेशा बुरा बर्ताव करती थी । जिस के कहने पर मैंने अपनी जिंदगी में तलाक जैसा बडा फैसला लिया । जो मेरी ही बत्तर जिंदगी के लिए जिम्मेदार है वो मेरी माँ थी और वह कहते हैं ना कि भगवान की मरी हुई लाठी में कोई आवाज नहीं होती है । पर इंसान को अपने किए कर्मों का हिसाब किताब नहीं देना होता है । वही मेरे साथ हुआ क्या हुआ? मैंने हैरान होकर पूछा मेरी माँ को कैंसर हो गया । कैंसर शब्द हमारी जिंदगी में आते ही हमारे पूरे दिन शुरू हो गए । ये हमारे नर्क जैसे जीवन का शुरूआती चरण था । घर की सारी जमापूंजी हमने माँ के इलाज में खर्च कर दी । यही नहीं माँ के इलाज के लिए हमने अपना घर तक गिरवी रख दिया । परंतु बीमारी ऐसी थी कि हमारे जीवन में ऐसे सैलाब बनकर आए कि हमारा सब कुछ अपने साथ वहाँ कर लेंगे । जब हमारे पास माँ के इलाज में लगाने के पैसे खत्म हो गए तब हमने और पैसे के इंतजाम के लिए अपने रिश्तेदारों का रुख किया जाने अमत्तर रिश्तेदारों से पैसे की मदद मामले लगे परन्तु कुछ को छोडकर हमारी मदद किसी ने भी नहीं मुफ्त आने का । फिर मैंने पूछा । फिर आखिरकार दस महीने की लंबी और दर्दनाक बीमारी के बाद गरिमा की मौत हो गई । वहाँ तो आपने की की सजा मिल गई परंतु हम सबको सजा मिलनी अभी बाकी थी । घर में पैसे के नाम पर जो कुछ था कुमार बीमारी में लग गया । हमारा घर तक गिरवी था । माँ की बीमारी के बाद पिताजी को हृदयघात की समस्या हो गयी । डॉक्टर ने उन्हें आराम करने के लिए कह दिया । यानी कमाने वाले ने भी अब बिस्तर पकड लिया था । अब घर की सारी जिम्मेदारी भाई पर आ गई लेकिन भाभी को सब ठीक नहीं भाया और वह भाई को हम सबसे अलग रहने की जिद करने लगी । लेकिन भाई ने हमसे अलग रहने से मना कर दिया । जिससे नाराज होकर भाभी अपने माइके चली गई । घर में आर्थिक तंगी अपने चरम सीमा पर थी जिसके चलते भाई ने हमसे अलग रहने में ही अपनी भलाई समझी और वो कहीं दूसरे शहर किराये पर रहने लगा । घर में अब मैं मेरे बीमार पिताजी बचे हुए थे । माँ की मृत्यु के बाद मेरा ननिहाल वालों से भी संपर्क टूट चुका था । अब बाकी बचे रिश्तेदारों ने भी अपना हाथ से खींच लिया । हम कर्जे में डूब गए थे । एक दौर था क्योंकि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था । वहाँ की बीमारी के लिए हुआ कर्जा बढने लगा था जिसके चलते हमें अपना घर बेचना पडा । मैं पिताजी को लेकर पास ही किराये के मकान में रहने लगी हो । ये तो बहुत बुरा हुआ । मैंने कहा बुरा होना तो अभी बाकी था । मुक्ता ने कहा मतलब मैंने हैरानी से पूछा मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई है । गुप्ता ने कहा कब किसी अभी कुछ ही दिन हुए हैं । दिल का दौरा पडा था । मुक्ता ने कहा हो तुम कहाँ और किसके साथ रहती हो । मैंने कहा अब मैं बिल्कुल अकेली रहती हूँ । मुक्ता ने कहा है अकेले मैंने हैरानी से पूछा हाँ । अकेली वक्ता ने कहा लेकिन तुम्हारा भाई वो कहाँ रहता है? मैंने पूछा उसको छोड कर गए हुए हैं तो बहुत दिन हो गए । आखिरी बार पिताजी की मृत्यु पर आया था । उसके बाद वो आया नहीं । अपना किराये के मकान में अकेली रहती हैं । गुप्ता ने बताया तो फिर तुम्हारा गुजारा कैसे होता है? तुम अपना जीवन यापन कैसे करती हूँ तो मैं फांसी के स्कूल में अध्यापक की नौकरी करती हूँ । शाम को बच्चों को ट्यूशन पढाकर अपना गुजर बसर कर लेती हूँ । भुगताने कहा वो मेरी इच्छा है क्या तुम मेरी वो इच्छा पूरी करोगी । मुक्ता ने नीचे गठन करते हुए शर्मिंदा भरे लहजे में कहा कैसी अच्छा और फिर ये भी कोई कहने की बात है तो मेरी बहन हो । मैं तुम्हारी मदद जरूर कर होंगे और रही बात तुम्हारी इच्छापूर्ति की । अगर तुम्हारी इच्छा पूरी करना मेरे वर्ष में होगा तो मैं उसे जरूर पूरा करेंगे । तुम बोलो तुम क्या कहना चाहती हूँ? मैं एक बार चीकू से मिलना चाहती हूँ । उस से मिलकर अपने किए पटकी माफी मांगना चाहती हूँ । माना कि मेरे द्वारा क्या आप माफी मांगने के काबिल नहीं हैं? परन्तु फिर भी मैं एक बार चीकू से मिलना चाहती हूँ और मिलकर चीकू से माफी मांगना चाहती हूँ । मुक्ता ने कहा मैं तुम्हारी मानसिकता को समझ सकती हूँ लेकिन इस संभव नहीं है । मैंने कहा क्यों? मुक्ता ने हैरानी से काम तो मैं तो पता है ना जी को को कैंसर है? हाँ मुझे पता है हम तो मैं तो सिर्फ माफी मांगने की बात कह रही हूँ । मैं एक बार चीजों से मिलना चाहती हूँ, उसे देखना चाहती हूँ लेकिन ये संभव नहीं है क्योंकि चीजों का कैंसर अब उसकी आखिरी स्टेज पर हैं । डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी समय उसे कुछ भी हो सकता है इसलिए मैं चीजों के इस आखिरी वक्त पर उसके दिल को तो खाना नहीं जाते हैं । अगर ये सही बात है तो मेरा चीज उसे मिलना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर मैं उससे माफी ना मान सके तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाओगे । मुक्ता ने कहा अगर ये बात है तो मैं तुम्हारी मदद जरूर करूँगा । अभी मेरे साथ चलो बच्चे कुछ बात करके हमारी मुलाकात उससे करवा देती हूँ । मैंने कहा अभी मुक्ता ने हैरानी से पूछा अभी चलो मेरे साथ? मैंने कहा । उसके बाद मैं मुक्ता को साथ लेकर अस्पताल आ गई । अस्पताल आकर मैंने मुक्ता को बाहर ही रहने को कहा, क्योंकि मैं पहले उससे बात करना चाहती थी । उसके बाद उसकी मुलाकात चीकू से करवाना चाहती नहीं । उधर जीटॅाक अवस्था में थी । उस की इस व्यवस्था को देखकर नाम उक्ता की मुलाकात उससे करवाना नहीं चाहती थी । परंतु मैंने मुक्ता की जगह पर अपने आपको पाया तो मैंने उन दोनों की मुलाकात करवाना ही ठीक समझा । क्योंकि अगर मुक्ता चीकू से मुलाकात करके उससे माफी नामांक पाई तो उसके साथ साथ मैं भी अपने आपको माफ नहीं कर रहा हूँ । अस्पताल के कमरे के अंदर आते ही मैंने चीजों से कहा चीकू उठो, आके खुली, देखो तुम से कौन मिलने आया है? कौन आया है, जिन्होंने धीरे से का मुक्ता आई है । मैंने कहा कौन मुक्ता तो मैं नहीं पता कौन से? मुक्ता मैंने कहा तो यहाँ क्यों आई है? ठीक होने कहा तो तुम से कुछ कहना चाहती है । अब क्या कहना चाहती है । जिन्होंने पूछा तुम से माफी मांगना चाहती है माफी किस बात की, माफी ठीक होने का पता नहीं तुम खुद ही पूछ लो मैं उसे अंदर आने को कहती हूँ । ठीक है कहता हूँ जिन्होंने कहा, मैंने मुक्ता को अंदर आने के लिए कहा । मुक्ता को देखते ही जी को ने उससे कहा तुम यहाँ क्या कर रही है? मैं तुम से माफी मांगने आई है । गुप्ता ने कहा माफी इस बात की माफी जी को ने हैरान होते हुए का मुझे माफ कर दूँ । गुप्ता ने कहा कौन होता हूँ सिखा यहाँ कौन? जब मुझसे माफी मांग रही है और कौन से रिश्ते से ऐसा बोल रही है । चिकू ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा, इतना सुनते ही मुख्तार होने लगी यार अब रोने धोने कटा मत करो, मेरे सामने तीस मत करो क्योंकि मैं तुम्हारे सामने से अच्छी तरह से वाकिफ हूँ ठीक होने का । एक बार इस बेचारे की बात तो सुन लो । वो क्या कहना चाहती है उसे अपनी बात कहने का मौका तो मैंने जी को को समझाते हुए कहा चलो बोलो से ये क्या कहना चाहती कहे ठीक होने का मुझे माफ कर दूँ भुगताने का फिर वही बात किस बात की माफी मांग रही हो तो बता तो उन्होंने कहा मैंने तुम्हारे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था । मुक्त कनिका तुम क्या कर रही हो और क्या कहना चाहती हूँ, मेरी समझ के बाहर है परन्तु फिर भी तो मगर माफी मांगना चाहती हो तो अच्छी बात है । मैं तो मैं माफ कर सकता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है ठीक होने का शर्त । मुक्ता ने पूछा था शायद कैसी हो? मेरे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब मैं तुमसे चाहता हूँ । अगर तुम मेरे सवालों का जवाब दे सकती हो तो मैं शाहिद तो मैं माफ करने के बारे में सोच सकता हूँ । ठीक होने का है कैसे? सवाल मेरे कहने का मतलब है कि कौन से सवाल । मुक्ता ने कहा है कुछ ऐसे सवाल जिनका जवाब सिर्फ तो भी दे सकती हूँ । अगर ऐसी बात है तो पूछता हूँ क्या पूछना चाहते । मुक्ता ने कहा मुझे छोड सेवा यानी मुझे तलाक लेते वक्त जो पैसे मुझ से मिले थे उन पैसों में से कितने पैसे बचे हैं तुम्हारे पास । जी को ने कहा जी को की बात का कोई जवाब ना होने के कारण खामोश हो जाती है । उसके बाद जी को फिर से अपना प्रश्न दोहराता है । बोलो जवाब क्यों नहीं दे रही हो? छह लाख दिए थे मैं दे दूँगा तो उन छह लाख में से तुमने अभी तक कितना बचा लिया है । मुक्ता फिर से खामोश रहती है । उसकी खामोशी को भाग खर्चे को कहता है चलो छोडो इस बात को मेरे अगले सवाल का जवाब दो । हमारे तलाक में सहायक सदस्य के तौर पर काम करने वाले तुम्हारे पारिवारिक सदस्य यानी तुम्हारी मौसी और तुम्हारा भाई वगैरह कहाँ है? आज तुम जिस परिस्थिति का सामना कर रही हूँ मैं उस से भलीभांति परिचित हूँ । तुम्हारी इस परिस्थिति में मैं तुम्हारा साथ देने वाला कोई नहीं है । मैं ये भी जानता हूँ कि तुम अब अकेली पड गई हूँ । मेरी सवाल तुमसे ये है कि जिन रिश्तेदारों की खातिर कजिन की बातों में आकर तुमने मुझे तलाक लेने जैसा बडा फैसला लिया था वो कहाँ है? है कोई जवाब इस बात का मुक्ता के पास जी को की बातों का कोई जवाब नहीं । जी को की दिल में जो बातें सवाल तब हुए थे उन सवालों को एक एक करके मुक्ता पर ताक रहा था । अच्छा ये बताओ क्या? तो मैं कभी पारी की याद आई । मैं पारी को तुम्हारी बेटी कहकर संबोधित नहीं कर सकता क्योंकि वो अब तुम्हारी बेटी नहीं है तो मुझे उसे पैदा करने की कीमत ले चुकी हूँ तो ये बताओ कि कभी तुम्हारा दिल नहीं चाहा कि वो लडकी जिसको तुमने पैदा किया है, उसके खाते हैं, अपना फैसला बदल लूँ तो मैं कभी उसकी याद नहीं है । तो यहाँ भी कितना बे स्कूल हूँ तुमने तो प्यार ही पैसे से किया था तुम्हारे लिए । जब पति, सास, ससुर और ननद जैसे रिश्ते मायने ही नहीं रखते तो तुम एक हूँ ये माँ बेटी का रिश्ता तुम्हारे लिए क्या मायने रखता है । वैसे एक बात बताऊँ तो माफी किस मुँह से मांगने चली आई थी । तुम्हारी हालत पर तो मुझे तरफ भी नहीं आता । चलो चीज को ये सब बात छोडो पुरानी बातें माफ कर दो, उस पर जारी हुआ । तुम्हें नहीं पता अभी किस हालत में जूझ रही है । मैंने बात को पलटने के लिए । ऐसे में कहा मुझे सब पता है मैं इसके हालत से भलीभांति परिचित हूँ और फिर मेरे माफ कर देने से क्या हो जाएगा? क्या इसके हालत सुधर जाएंगे? और फिर ये अपने इस हालत के लिए खुद जिम्मेदार है तो मैं माफ कर देने वाला कौन होता हूँ? अगर इसे माफी मांग नहीं है तो ये क्या मेरी अजन्में बच्चे जिसको उसने पैदा होने से पहले ही मार दिया था । उसने नहीं आत्मा से माफी मांग सकती है । क्या मेरी बेटी पर इसे माफी मांग सकती है जिसको इसने बिना दूध पिलाए, धोखा छोडकर अपने ही अहंकार में चूर होकर उसे छोड दिया था । वो बेचारी जब भी किसी लडकी को देखती तो उसमें अपने माँ को ढूँढने लगती उसकी आंखे हर पल अपनी माँ कोई खोजती रहती हैं ये तो मैं जानती हूँ या फिर मेरे पारिवारिक सदस्य जानते हैं कि हमने बरी को किन हालातों में पाना है जी होने का, अब बस भी करो, माफ कर तो बेचारी को मैंने चीजों से कहा ये बेचारी अपने खुद की वजह से बिचारी बनी है । सब कुछ था इसके पास परन्तु अपने अहंकार और मुझे नीचा दिखाने की जिद में सब कुछ खो दिया । इसने जी माफी के काबिल नहीं है क्योंकि गलती माफ करने की भी एक हद होती है । इसमें बहुत पार करती है बाकी रही बात माफ करने की तो मैं ऐसे माफ करने वाला होता कौन मेरी अकेले की गुनेहगार होती तो मैं माफ कर देता हूँ परन्तु मेरे साथ साथ अपनी औलाद आपने एक अजन्मी क्लास के गोलाकार उनसे कैसे माफी मांगी की जिस होने का तुम्हारी बात ठीक है । जी, तुम सबके गुनाहगार है और इसकी सजा इसे और इसके परिवार को मिल चुकी है । अब पिछली बातों को याद करने से क्या फायदा है? अब तो उसे माफ कर तो चीज मैंने बात को खत्म करने के लिए ऐसे नहीं चल पाल के लिए मान लो । मैंने से माफ कर दिया । अब क्या मेरी माफ करने से इसके बीते हुए दिन वापस आ सकते हैं । मैं भी एक लडकी का पिता हूँ और मैं ये नहीं चाहूंगा कि जैसा बर्ताव तुमने मेरे और मेरे परिवार के साथ क्या है । मेरी बेटी भी ऐसा बर्ताव अपने ससुराल में जाकर करें, उसका घर बताना चाहूंगा ना कि उसका घर उजाडना चाहूंगा । इसके लिए मैं अपनी बेटी के ससुराल में खनन दाजी नहीं करूंगा । बेटी का घर बसाने में उसके मायके वालों की बहुत ही अहम भूमिका होती है । अगर तुम्हारे मायकेवाले जाते तो आज तुम्हारा इस तरह का होता है । अगर तुम्हारी माँ हमारी शादीशुदा जीवन में दखलंदाजी न करती तो आज हम खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं । अगर तुम्हारे पिता अपने पिता होने का और परिवार का मुखिया होने का सही फर्ज निभाते तो मैं समझा बुझाकर लडाई को आगे ना बढाते तो हमारा तलाक की नौबत ही लाते हैं । लेकिन मैं दिल से तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का धन्यवाद करता हूँ । क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की वजह से मैं जिस मंजिल को प्राप्त करना चाहता था, मैंने उस मंजिल को प्राप्त कर लिया है । आज मेरे नाम को विश्व भर में लोग जानते हैं, पहचानते हैं और वजह तुम और तुम्हारा परिवार है । क्योंकि किसी व्यक्ति की कामयाबी में मदद करने वाले तो बहुत होते हैं । पर हम तो उसकी कामयाबी की वजह से कोई एक होता है और वो एक तो आज मैं जो कुछ भी हो तुम्हारी वजह से हो । क्योंकि अगर तो मुझे तलाक देकर छोड करना जाती तो मेरे जीवन का कोई मकसद नहीं मिलता है । मैं शायद उतना कामयाब ना होता । कितना की मैं आज हूँ । हाँ मैं आज कामयाब हूँ और मुझे मेरा पहला प्यार सच्चा प्यार यानी सिखाना मिलते दिखा । मेरी पत्नी नहीं बल्कि मेरी दोस्त मेरा । हम सफर बनकर मेरे साथ रही । उसके बिना मैं अपने मकसद में कामयाब होने की सोच भी नहीं सकता था । पर ये सब तुम्हारी वजह संभव हुआ । तुम्हारे तलाक देने के फैसले की वजह से संभव हुआ । यही एक बच्चा है कि मैं तो मैं कर रहा हूँ क्योंकि अब मेरे पास तुमसे और ज्यादा लडने का समय नहीं है । मैं दुनिया को छोड कर जा रहा हूँ लेकिन इस वायदे के साथ कि मैं वापस जरूर आऊंगा । मेरा इंतजार कर रहे हैं । ठीक होने कहा ऐसा मत करो, भगवान करे मेरी उम्र भी तुम्हें लग जायेंगे । भुगताने का तुम्हारी ये बात सुनने में तो अच्छी लगती है परंतु असल जिंदगी में सही नहीं लगती । जो अटल है वो होकर ही रहेगा । मेरे पास समय बहुत कम है । मेरी कही बातों को गुस्सा मत करना । मेरी आखिरी इच्छा थी की मरने से पहले खतम से एक बार में लूँ और तुम से मिलकर अपने मन की । महाराज ने कहा सकते भगवान ने मेरी इच्छा भी पूरी करती है । अब मैं बिना किसी इच्छा के चैन से मार सकता हूँ लेकिन तुमने मेरे सवालों का जवाब अभी तक नहीं दिया । ठीक होने का कुछ सवालों के जवाब नहीं होते । उनका सिर्फ प्रायश्चित होता है । मैं मानती हूँ की मैंने जो बात किए हैं उसकी सजा जितनी भी मुझे मिली वो कम है । परन्तु मैं अपनी आगे वाली जिंदगी में अपने पापों को प्रायश्चित करने में बताना चाहते हैं । मुक्ता ने कहा ऍम किस प्रकार की जिंदगी तुम बताना चाहती हूँ जो समय बीत गया है क्या तुम वो पीता हूँ, इस समय वापस ला सकती हूँ । जिन्होंने कहा मैं तुम्हारी कही बातों से सहमत हूँ । जो समय बीत गया है उसे वापस नहीं ला सकती । लेकिन अपनी बीती हुई जिंदगी और तुम्हारी कही बातों को मन में लगाकर जो एक सीट मिली है, उससे मुझे मकसद मिल गया है । अब टूटते हुए घरों को बचाना ही मेरा मकसद होगा । मेरा बीता हुआ जीवन एक संदेश होगा ऐसे माता पिता के लिए जो अपनी बेटी के जीवन में दखलंदाजी करके उसका जीवन पर बात कर देते हैं । मैं अपने जीवन गाथा के बारे में सब को बताउंगी क्योंकि मेरे जीवन गाथा एक उदाहरण होगी उन लडकियों के लिए जो की शादी के बाद अपने पीहर का मोहन है । क्या पानी, पीहर, मोह और अहंकार वर्ष अपने पति को नीचा दिखाने की कोशिश करती है? अपने मायके के रिश्तेदारों की बातों में आकर अपना जीवन पर बात कर देती है और अगर मैं एक भी जीवन तलाक की वजह से बर्बाद होने से बचा पाने में कामयाब हो गई तो मैं समझूंगी की तुमने मुझे माफ कर दिया और यही मेरे पास का प्रायश्चित होगा । मैं ये प्रण करती हूँ कि मैं अपना अगला जीवन लोगों की शादी शुदा जिंदगी बचाने में लगा दूंगा । भुगताने का अगर ऐसी बात है तो मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं । आपने बिना किसी बात का बोझ लिए, आराम से संतुष्ट होकर इस दुनिया को अलविदा कह सकता हूँ । जिन्होंने कहा ऐसी बातें मत करो तो मैं कुछ नहीं होगा भुगतान का मैंने पहले भी कहा है कि ये मेरे जीवन की कडवी सच्चाई है जिसे तुम सबको मानना ही होगा । मेरे पास समय बहुत कम है । अगर तुम ये चाहती हूँ की मैं दिल से तो मैं बात करूँ तो जैसा तुम ने कहा है वैसा ही करूँगा । दो हफ्ते हुए घरों को बचाने के लिए समाज में अपना योगदान डालो जिससे तुम्हारे जीवन पर लगे कलंक धुल सकें । जिन्होंने कहा मैं ऐसा ही करेंगे । क्या अपनी बेटी पर इसे मिल सकती हूँ । अब तो काफी बडी हो गई होगी । मुक्ता ने कहा आप और काफी बडी हो गई है परंतु तुम उस से नहीं मिल सकती है जिन्होंने कहा परंतु क्यों मैं अपनी बेटी पर इसे क्यों नहीं मिल सकती है । तुमने मुझे अब तक माफ नहीं किया । गुप्ता ने कहा मुझे गलत मत समझो । मैं नहीं चाहता की परीकर सच्चाई के बारे में पता चले और वो तुमसे नफरत करने लगे । पर यह तुम्हारी बेटी नहीं है तो मैं सच्चाई को मानना होगा ताकि भविष्य में उसे तुम्हारी वजह से किसी परेशानी का सामना नहीं करना पडेगा । ठीक होने का कैसी परेशानी? मुक्ता ने हैरानी से पूछा कुछ बातें ऐसी होती है जिन्हें समझना नामुमकिन सा होता है । बस तुम ऐसा समझ लो कि तुम पर इसे उसकी माँ के रूप में नहीं मिल होगी । जिन्होंने कहा मतलब मैं तुम्हारी बात को समझ नहीं पाए । बताने का बच्चा भी है कि अगर तुम्हें उससे मिलना है तो मैं उसकी माँ बनकर नहीं बल्कि उस की मौसी का आंटी बनकर मिलना होगा और मुझे एक वादा करो कि तुम उसे सच्चाई के बारे में पता नहीं चलने देंगे । जी को लेगा मुक्ता कोई उदास देखकर मैंने झट से का आज से तो मेरी सहेली हो और तुम अपनी सहेली की बेटी यानी मेरी बेटी का वैसे तो मिल ही सकती हो ना । अब इससे किसी को ऐसा राष्ट्र नहीं होगा । अगर ऐसी बात है तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है । जिन्होंने कहा कहा है पर मैं उस से मिलना चाहती हूँ । मुक्ता ने कहा तो बाहर अस्पताल के पार्क में बच्चों के साथ खेल रही है । अगर तुम उससे पहचान सकती हो तो जाऊँ जाकर मिल हूँ । मैंने मुक्ता से कहा मुक्त तुरंत भाग कर उस पार्क में पहुंच गई जहां काव्या खेल रही थी । वहाँ बहुत से बच्चे मौजूद थे । लेकिन मुक्ता ने झट से काव्या को पहचान लिया और वो उसके पास जाकर खडी हो गए । काफी अभी उसकी ओर देखे जा रही थीं । मुक्ता काव्या के बहुत पास खडी थी लेकिन उससे कुछ कह नहीं रही थी । अचानक मुक्ता वहाँ से अस्पताल के मुख्य दरवाजे की ओर जाने लगे । हम ये सब ना सारा कमरे की खिडकी से देख रहे थे । मुक्ता काव्या को मिले बगैर ही वहाँ से जा रही थी । मैं भाग प्रमुखता के पास गई और उससे कहा क्या हुआ? तुम यूज हो चली आई । परी पहचान में नहीं आई । ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि एक मां अपनी बेटी को पहचानना सके । मुक्ता ने कहा, अगर तुमने उसे पहचान लिया था तो तुमने उसे उठाया क्यों नहीं? उसे प्याज क्यों नहीं किया? मैंने हैरानी से पूछा था किस मुझे उठाती? इस मुझसे उसे प्यार करते हैं । उस की सबसे बडी गुणागार तो मैं वो उसके सामने आने के लायक नहीं हूँ । मुझे जाने तो मुक्ता ने कहा तो क्या तुम सारी जिंदगी उससे नहीं मिल होगी? मैंने कहा जब मैं अपने मकसद में कामयाब हो जाऊंगी और जब मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित कर लूँ, जब मुझे लगेगा कि अब मैं उसके सामने आ सकती हूँ, मैं तभी उसे मिल होंगी । मुक्ता ये कहकर वहाँ से चली गई परन्तु अब उसमें एक बदलाव साफ नजर आ रहा था । उसकी बातों में आत्मविश्वास था और आंखों में एक अजीब से चमक थी ।

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
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