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चैप्टर टू शादी का फैसला । इसके बाद चीकू और मैं दोनों अपने अपने घर आ जाते हैं । घर आकर अकेले समय में मैं अपने फैसले के बारे में सोचते लगती हूँ की क्या बच्ची को से शादी करने का फैसला नहीं जल्दबाजी में तो नहीं ले रही । मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाना चाहिए । लेकिन अगर मैं अपने उस मकसद के बारे में सोच हूँ तो मुझे मेरा फैसला बिल्कुल सही लग रहा था । चालीस हो मैं भी जगह दिल को सही थी । मैंने इतनी कोशिश कर दी थी वो कर ली । अब सारे खेल की बात और ठीक ओके हाथ पर टिकी । मेरे मकसद को पूरा करने के लिए मेरा चीजों से ही शादी होना जरूरी था परन्तु चीजों की शादी के बाद ये संभव नहीं था । लेकिन जब से मुझे जी को कि तलाक के बारे में पता चला था तो मुझे अपने मकसद को पूरा करने के लिए आशा की क्या नजर आई । बच्ची को से मिलने और बात करने के लिए काफी तक पर थी लेकिन मेरी चीजों से मुलाकात नहीं हो पा रही थी । लेकिन कहते हैं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं । आज जब मैं अपनी सहेली के साथ रेस्टोरेंट में जाती हूँ तो वहाँ मेरी मुलाकात चीकू से हो जाती है और मैं अपने मन की बात से बता देती हूँ । अब फैसला उसके हाथों में मुझे अपने मकसद का पूरा करने के लिए जी, उससे शादी करना जरूरी है । इसके अलावा मेरे पास कोई रास्ता भी तो नहीं । एक तरफ जहां मैं इसी उथल पुथल में थी और ये सब सोच रही थी वहीं दूसरी तरफ जी को मेरे इस फैसले पर विचार विमर्श करने के लिए अपने दादा जी से बात करनी है और उस से सलाह करने के लिए जाता है । ज्यादा दी मुझे आपसे बात कर दी जी को अपने दादा जी से कहता है बताओ बेटा क्या बात है दादा जी उसे कहते हैं दादा जी कुछ खास बात नहीं है, बस आपसे एक सलाह कर ली थी, जिन्होंने कहा बोला बेटा ब्लॅक बोलो क्या बात है दादा जी ने का वो दादा जी, बात ये है कि इसके बाद सीखो । रेस्ट में हुई शिखा से मुलाकात और उससे हुई सारी बातचीत दादाजी को बता देता है । अब आप ही कुछ बताइए कि मुझे क्या करना चाहिए? ठीक होने का बेटा जहाँ तक मेरा ख्याल है तो मैं उसके प्रस्ताव पर गौर करना चाहिए जानी उसकी बात को एक बार सुन लेना चाहिए ज्यादा जीने का परन्तु दादा जी कैसे हो सकता है क्योंकि अभी अभी तो छोड खाया हूँ और उसका जख्म अभी तक भरा नहीं है और आप एक बार फिर चोट खाने की बात कर रहे हैं । जी खोने दादा जी से कहा बेटा मैं तुम्हारी बात को समझ सकता हूँ परन्तु मेरा देखिए कहता है कि शिखर ऐसी लडकी नहीं है वो तो मैं धोखा नहीं दे सकती । बाकी तो आप बडे हो गए हूँ तो मैं दुनियादारी की समझ हो गई परन्तु मैं कहना चाहता हूँ मेरी बात पर भी गौर करें । दादा जी ने कहा आप क्या कहना चाहते हैं? उन्होंने पूछा बेटा तुम्हें एक ना एक दिन किसी ना किसी से शादी करो तो हैं क्योंकि तुम्हारे आगे पहाड जैसी जिंदगी खडी है इसे गुजारने के लिए तो मैं किसी न किसी जीवन साथी की जरूरत पडेगी । मेरा मतलब कि तुम शादी तो करोगी तो फिर क्यों ना जो लडकी तुम्हारे पास को चल कराई है हम उसे ही अपना । दादा जी ने कहा चलो ठीके दादा जी, मैं आपकी बात के बारे में विचार जरूर करूँगा ठीक होने का । कहते हैं जब सच्चे दिल से किसी काम को करने की ठान लो तो भगवान स्वयं उसकी मदद करने लगते हैं । मुझे मेरा मकसद पूरा करने के लिए जी को से शादी करना बहुत जरूरी था क्योंकि चीजों को बचपन से हकलाहट की समस्या थी और उसने इस समस्या को लगभग बाईस साल तक झेला था जिससे उसको हकलाहट के विषय पर इतनी जानकारी थी तो किसी को भी नहीं । और वही एक इंसान था जिससे अपनी हकलाहट की समस्या स्वयं ठीक की नहीं । यानी अब उसने अपनी हकलाहट की समस्या को काबू कर लिया था । वो उसके बारे में काफी कुछ जानता था और उसकी यही जानकारी मेरे मकसद को पूरा करने में काम आ सकती थी । कुछ दिनों के बाद मेरी चीजों से एक बार फिर मुलाकात हुई । इस बार मैं स्वयं उसके पास उससे क्लिनिक में मिलने चली गई क्योंकि मेरा उससे मिलना जरूरी था ना उससे शादी करना चाहती थी । ये बात मैंने पहली मुलाकात नहीं उसे कह रही थी । आज मैं ठीक उसे उसकी राय जानना चाहती थी । बच्ची को से मिलने उसके कमरे में गई और उससे कहा हाँ जी जनाब कैसे है? वो सिखा क्या ले तुम्हारा जो अचानक कैसे आना हुआ? उन्होंने पूछा मैं तो एकदम ठीक हूँ और रही बात जो अचानक आने की मैं यहाँ से गुजर रही थी तो सोचा तुम से मुलाकात करती हूँ क्योंकि मैं आ नहीं सकती क्या? मैंने कहा नहीं नहीं, मेरा कहने का मतलब नहीं था । तुम कभी भी आ सकती हो ये तुम्हारा ही लिए । मेरा कहने का मतलब है कि ये तुम्हारा ही घर है तो तुम जब चाहो आ सकते जी खोलने का । तुमने अभी कहा कि ये में रहेगा तो मैं क्या इससे अपना घर बना सकती हूँ । मैं कुछ मजाक ॅ कहेंगे मैं कुछ समझा नहीं । तुम क्या कह रही है ठीक होने का तो इतने भी ना समझ नहीं हो जो मेरी बात का मतलब नहीं समझे नहीं तो जानबूझ कर ना समझ बनने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं । मैंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । मैंने तुम्हारी बात पर काफी गौर किया था परन्तु मैं भी दूसरी शादी को लेकर तैयार नहीं । उन्होंने कहा मेरा कहना बिल्कुल सही है तो मेरी बात का इशारा समझकर दिए ना समझ रहे है छोडो इस बात को मुझे कोई ठोस वजह बता दूँ जिससे कि तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते हैं तो मैं यहाँ से चली जाऊं । सच में वजह कोई एक हो तो बता हूँ ठीक होने का हमारे कहने का क्या मतलब है? कौन सी वजह है वो? मैंने कहा पहली वजह यह कि मेरा भी तलाक का केस कोर्ट में चल रहा है । यानी मेरा तलाक नहीं हुआ है । जिस वजह से मेरा नाम किसी और नाम के साथ अभी नहीं छोड सकता हूँ । जिन्होंने कहा वैसे कोई वजह नहीं मानती क्योंकि तलाक का केस चल रहा है तो एक ना एक दिन तलाक मिल जाएगा । तब तक मैं इंतजार कर लूंगी और रही बात तुम्हारा नाम किसी और के नाम के साथ जुडने की तो मैं शायद गलत पहनी है । मैंने कहा गलतफहमी कैसी? गलतफहमी ठीक होने का तो अभी तक ये सोचते हो कि तुम्हारा नाम किसी के नाम के साथ जुडा हुआ है तो तुम्हारी गलत सही नहीं तो है और क्या है? तोहरे नाम से वो नाम तभी अलग हो गया था जब तुमने कोर्ट में तलाक का दाखिला किया था । अब कोई और वजह है तो बताऊँ । मैंने कहा लेकिन मेरी कुछ और मजबूरियाँ हैं । ठीक होने का कैसी मजबूरी है । मैंने पूछा वो मैं नहीं बता सकता हूँ ठीक होने का क्यों? तो मुझे दोस्त होने के नाते तो बता सकते हो ना । मैंने कहा अगर ऐसी बात है तो सुना होगा । इसका पहला कारण ये है कि मुझ पर कई प्रकार के इल्जामात लगे हैं । जैसे कि मैं कुछ कमाता नहीं । मैं शराबी किस्म का इंसान और शराब के नशे में मैं अक्सर चाहता रहता हूँ वगैरह वगैरह । यही नहीं मेरा परिवार पर भी कई प्रकार के बेबुनियाद छोटे इल्जाम लगे हुए हैं । मैं जानता हूँ कि ये सब झूठ परन्तु इन सब इल्जामों को झूठ साबित करना । मेरे लिए मुझे कोई भी मेरे ऊपर ही जल्दी विश्वास नहीं करेगा । मान लो अगर हमारी शादी हो भी जाती है और तुम्हें इन सब के बारे में बाद में कहीं और से पता चल जाता है तो मेरे लिए और भी मुश्किल खडी हो सकती है ठीक होने का । हम इस बात की चिंता मत कर । मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार वालों को बचपन से जानते हैं । मुझे तुम पर कंधा विश्वास है । मैंने कहा लेकिन फिर भी मुझे कुछ समय चाहिए जी क्यों समय किस चीज के लिए चाहिए? तो मैंने पूछा मुझे कुछ बंद कर दिखा रहे हैं जिससे उन सब इल्जामों को झूठा साबित कर सकूँ । मैं नाम कमाना चाहता हूँ । अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता हूँ । इसके लिए मुझे कुछ समय चाहिए । जी को ने कहा अगर ये बात है तो तो मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और मेरे शादी के प्रस्ताव को तुरंत मान लेना चाहिए । मैंने कहा तुम्हारा कहने का मतलब क्या है? ठीक होने का मतलब बिल्कुल सीधा है । देखो मैं सीधे सीधे मुद्दे की बात करती हूँ । अगर तुम सही लगे तो ठीक है वरना जैसी तुम्हारी मर्जी तुम से ही शादी करने के पीछे मेरा अपना एक निजी स्वार्थ छुपायें । निजी फॅमिली बात को काटते हुए पूछा मेरी बात पूरी तो होने दो । मैंने कहा अच्छा अच्छा ठीके बोलूँगी खोने का । जैसा कि तुम जानते हो कि मेरे पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे । डॉक्टरों के अनुसार उनकी मृत्यु दिमाग की नस फट जाने के कारण हुई थी परन्तु उनकी मृत्यु की वजह में उनकी हकलाहट की समस्या को मानती हूँ और कहीं ना कहीं मेरा उनसे नफरत करना भी कारण था । इस वजह से मैं जब तक जीवित हो अपने आपको माफ नहीं कर सकते हैं । मैं आपको अपने पिता की बच्चों का दोषी मानती हूँ । मैं आप को दोषी मानती हूँ और नहीं इसका प्रायश्चित करने के लिए अपनी बाकी की जिंदगी हकलाहट की समस्या से पीडित लोगों की मदद करने में लगाना चाहते हैं । अगर हकलाहट की समस्या से पीडित किसी को भी उस की समस्या से निजात दिला सकने में कामयाब हो जाती है तो ये मेरे द्वारा के पास अप्रकाशित करने में मददगार साबित हो सकता है । लेकिन मेरी समस्या यह है कि मुझे हकलाहट की समस्या के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है जिससे मेरे मकसद को शुरू होने से पहले ही उसमे रुकावट आती है । परंतु जबसे मैंने तुम्हारे बारे में सुना था कि तुम्हारा तलाक का केस चल रहा है तो तभी मेरे दिमाग में एक योजना जन्म लेने लगे । वो ये है कि अगर मैं तुमसे शादी कर लो तो तुम मेरे मकसद को पूरा करने में मेरी मदद कर सकते हैं क्योंकि तुम्हें स्वयं यही समस्या थी और तुमने स्वयं ही इस समस्या पर काबू पाया था जिससे तो मैं इस विषय पर अच्छी खासी जानकारी हो गई । अगला हाथ की समस्या के विषय पर तुम्हारी यही जानकारी मेरे मकसद को पूरा करने में मेरी मदद कर सकती है । फैसला तुम्हारे हाथों में मैं ठीक हूँ से बिना कोई बात छिपाए सबकुछ गई लेकिन तुम ने ऐसा क्यों कहा था कि मुझे तुम्हारी शादी के प्रस्ताव को तुरंत मान लेना चाहिए । तुमसे शादी करके मेरा क्या फायदा हो सकता है ठीक होने का मैंने जो योजनाएं बना रखी है उस से तो मैं अपनी अलग पहचान बनाने में सहायता मिल सकती है । और फिर जैसा की तुमने पहले बताया है कि तुम नाम कमाना चाहते हूँ, अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं तो ये सब तुम कैसे करूँ? ये तो अकेले तो नहीं कर सकते हैं । मेरा और तुम्हारे मकसद को हम दोनों अपना मकसद बना सकते हैं । हम दोनों मिल कर ही समाज में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं जिससे हम दोनों के मकसद पूरे हो सकता । यानी हकलाहट की समस्या से पीडित लोगों की समस्या का समाधान करते हुए जहाँ एक ओर यात्री मकसद में कामयाब हो कर अपने किए पापों का प्रायश्चित कर सकती हूँ, वहीं दूसरी हो तुम हकलाहट के विषय को लेकर हकलाहट के अध्यापक के तौर पर समाज में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं । ऍम मेरे इस लम्बे चौडे भाषण का असर कुछ कुछ ठीक ऊपर होने लगा और आखिरकार काफी जद्दोजहद के बाद मुझे शादी करने के लिए मान्य तुम्हारी तलाक की आखिरी तारीख किया है । मैंने चीजों से पूछा क्यों क्या हुआ? उन हैरानी से पूछा कुछ नहीं मैं तो वैसे ही पूछ रही हूँ । मैंने कहा आने वाली सोलह दिसंबर कुछ खोने का तारीख भी क्या बढिया चुनी है तुमने तलाक के लिए? मैंने कहा माफ कर रहे हो । कोई गलतफहमी हो रही है तलाक के लिए तारीख मैंने नहीं चाहिए । कोर्ट की तरफ से भी हुई तारीख पैसे इसमें बढिया वाली क्या बात है ठीक होने का जो तो नहीं जानते । मैंने हैरानी से पूछा । नहीं ऐसा क्या खास तारीख जी खोलेगा । यहाँ इस महीने में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और सोलह दिसंबर के दिन पाकिस्तान ने भारत के सामने हथियार डाल दिए थे । मैंने कहा वो मैं जानता हूँ । इस बारे में खोले का एक बात कहूं मानव । मैंने कहा हाँ बोलो क्या बाद ठीक होने का? हमारे तलाक के दिन मैं तुम्हारे साथ कोर्ट में जाना चाहती हूँ । मैंने कहा तुम क्यों क्या बात है? उन्होंने पूछा नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । बस ऐसे ही । मैंने कहा नहीं ये मुमकिन नहीं है । ठीक होने का क्यों मुमकिन? क्यों नहीं मैंने पूछा लोग क्या सोचेंगे और तो और मेरे और तुम्हारे परिवार वाले क्या सोचेंगे? उन्होंने कहा लोगों की परवाह मैं नहीं करती रही बात तुम्हारे और मेरे परिवार की । मेरे परिवार में मैंने अपनी माँ को तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया । उन्हें तुम से कोई ऐतराज नहीं है । बस तुम्हारे परिवार के बारे में मुझे कुछ पता नहीं लेकिन तुम इसकी चिंता मत कर । हमारे तलाक के बाद मेरी माँ खुद तुम्हारे घर रिश्ता लेकर आ जाएंगे । है तो बात की बातें हैं । मैं तुम्हारे साथ कोर्ट में आ रहे हैं । मैंने का देखो मुझे नहीं पता कि तुम ऐसी क्यों करेंगे । लेकिन ऐसा करने से मेरा पलडा कमजोर पड सकता है । समझो जी को ने कहा मैं तुम्हारी बात समझिए मिलेगा । बात ये है कि अगर तुम उस वक्त वहां मौजूद होगी तो मुक्ता के परिवार वालों के हाथ एक बात और लग जाएंगे । यानी हो तो में लेकर मुझ पर कई तरह के इल्जाम लगा सकते हैं । वो ये भी कह सकते हैं कि मेरी शादी से पहले हमारे साथ कोई चक्कर था जिस वजह से उन्हें तलाक चाहिए । उनकी ये बात मेरे केस को कमजोर कर सकती है । ठीक है, ठीक है जैसा तुम चाहूँ परन्तु मैं ऐसा करूंगी कि कोर्ट में मौजूद जरूर हूँ परन्तु तुम्हारे आस पास नहीं । जब तुम केस जीत जाओगे यानि तुम्हारा तलाक हो जाएगा तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊं । मैंने कहा हमारी बात तो ठीक है परंतु तो ऐसा क्यों करना चाहती हूँ ठीक होने का । क्योंकि मैं मुक्ता जैसे लडकियों की फितरत अच्छी तरह से जानती हूँ । तुमसे तलाक लेने और तलाक के दौरान पैसे मिलने के बाद वो जरूर खुश होगी तो समझेगी कि वह जीत गई तुरंत उस वक्त मैं तुम्हारे पास आकर उसको ये एहसास करवाना चाहूँगी कि वह जीत कर भी हार गई और दो हार कभी जीत गया हूँ । मैंने कहा ठीक है जैसा तुम जाओ ठीक होने कहा । मैं कोर्ट में जाना चाहती थी क्योंकि मेरे मन में कुछ सवाल थे जो मेरे मन में कोहराम मचा रहे थे । एक ये अच्छी को प्रमुखता कि तलाक में जी को की क्या भूमिका नहीं जानी कि इस सब में चीकू या उसके परिवार की कोई गलती थी कि नहीं? और दूसरा इस सब में मैं मुक्ता की प्रतिक्रिया को जानना चाहती हूँ । अमुक्ता के तलाक में जी को या उसके परिवार सदस्यों का कोई कसूर नहीं था । ये बहुत मुझे पहले से ही उनके एक रिश्तेदार से पता लग गई । परंतु अपने दूसरे सवार यानी मुक्ता की प्रतिक्रिया जानने के लिए मेरा कोर्ट में जाना जरूरी था । उसके बाद मैंने पहले से तय की गई योजना के अनुसार काम किया । यानी मैं तयशुदा समय पर कोर्ट में पहुंच गई । परंतु मैंने चीजों से दूरी बनाई रखी है, उसके पास नहीं । मैं ये जानना चाहती थी कि तलाक के नाम पर मुक्ता की क्या प्रतिक्रिया? क्योंकि लडकों के लिए तलाक शब्द शायद कुछ मायने नहीं रखता परन्तु यही शब्द लडकियों की जिंदगी के बहुत ही भयानक साबित होता है । मेरे कोर्ट में जाने के पीछे मेरा मकसद यही था कि मैं इस मामले में मुक्ता की प्रतिक्रिया जान सकता हूँ । मैं ये जानना चाहती थी कि कहीं मुक्ता किसी दबाव में आकर तलाक का फैसला तो मिले और फिर वो अपने पीछे अपनी दुधमुंही बच्ची यानी पारी को भी छोड रहे हैं । मेरे लिए वक्त तक ये बात हैरान करने वाली थी क्योंकि मुक्ता कैसी भी है परंतु वो माँ उसका ही है । अपनी बेटी को छोडने के लिए कैसे मना होगा? यही कुछ बातों ने मेरे मन में तूफान सलाह दिया था । आपने इन्हें सवालों का जवाब जानने के लिए प्रकोष्ठ में जाना चाहती थी । मुझे मालूम था कि मुक्ता बहुत ही उदास या दुखी होगी क्योंकि जब मैं अपने आप को उसकी जगह पर रखती हूँ तो तलाक शब्द के बारे में सोचकर ही डरने लगती हूँ । कुछ समय के बाद मुक्ता कोर्ट में दाखिल होती है न मुक्ता की प्रतिक्रिया जानने के लिए चोरी छुपे उसकी ओर देखने लगती हूँ । परंतु मुक्ता की प्रतिक्रिया मेरे अंदाज इस बिल्कुल उलट नहीं तो उदास दुखी नहीं थी, बल्कि वो खुश थी और अपने साथ आए लोगों के साथ बहुत ही हस रही थी । उसकी इस प्रकार की प्रतिक्रिया देखकर मेरा चीजों पर विश्वास और गहरा हो गया और मन ही मन मैंने चीजों से शादी करने का फैसला कर लिया ।
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