Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
17. Pehla Interview in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

17. Pehla Interview in Hindi

Share Kukufm
228 Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
Read More
Transcript
View transcript

चैप्टर सेवन टीम पहला इंटरव्यू अगला हट के विषय को लेकर एक अध्यापक के तौर पर काम करते हैं । हमें बहुत समय हो गया था । इस दौरान हमें लोगों की विभिन्न विभिन्न प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं का सामना करना पडता था । परंतु सबके बावजूद हम हिम्मत नहीं हार रहे थे । कई परिस्थितियों में मैं कुछ कमजोर पड जाती है परंतु बच्ची को कभी कमजोर नहीं पडता था । वो हमेशा मेरा हौसला पडा था, रहता था । एक बार की बात है । चीजों को फोन आया । फोन एक अनजान शख्स का था । उसने चीजों से कहा चलो जी पी एस बी पंजाब स्टैमरिंग कब से तेजपालसिंह बोल रहा हूँ क्या मेरी बात अनिल जी से हो सकती है? हाँ जी हाँ जी मैं अनिल बोल रहा हूँ । बताइए मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ? जी को ने अपने परिचय देते हुए कहा मैंने आपके लिए एक अखबारों में पडे हैं और मैं कई दिनों से आपको फेसबुक पर भी देख रहा हूँ । कृपया आप अपने बारे में बताएंगे कि हकलाहट के ऊपर आपने कौन सा कोर्स किया है? तेजपाल सिंह ने कहा, जी माफ कीजियेगा, मैं कुछ समझा नहीं । आप क्या कहना चाहते हैं ठीक होने का । मेरे कहने का मतलब है कि क्या आपने हकलाहट पर कोई कोर्स किया है? आप इस पर विस्तार से मुझे बताएंगे । तेजपालसिंह ने का जी ऐसी तो कोई बात नहीं है । मैंने हकलाहट विषय पर ऐसी कोई और वगैरह नहीं किया है । जी को ने कहा तो फिर आप इस विषय पर इतना सब कुछ कैसे जानते हैं? तेजपालसिंह ने कहा, तेजपाल जी बात ये है कि मैं बचपन से हकलाहट की समस्या से पीडित था परन्तु अब मैंने काफी हद तक इस समस्या पर काबू पा लिया । याने अब मैं इस समस्या से पूरी तरह से ठीक हो चुका हूँ । यही वजह है कि मैं हकलाहट के विषय पर इतनी जानकारी जी को ने कहा । यानी आपने हकलाहट की समस्या संबंधित किसी प्रकार का कोई कोर्स हरियाणा नहीं किया है? तेजपाल सिंह जी ने पूछा, जी नहीं मैंने ऐसा कोई कोर्स वगैरह नहीं किया है । जी को ने कहा, परन्तु फिर तुम इस विषय पर कोर्स कैसे करवा सकते हो? अगर तुमने खुद कोई कोर्स नहीं किया है तुम्हारे पास इस संबंधी कोई डिग्री वगैरह भी नहीं होगी । देशपाल सिंह ने पूछा जी नहीं ये तो सीधी सी बात है । अगर कोई कोर्स नहीं किया है तो डिग्री कैसे मिलेगी? उन्होंने कहा तुमको पता है ना । अगर तुमने इस संबंध में कोई कोर्स नहीं किया है और अगर तुम्हारे पास कोई डिग्री नहीं है तो तुम किसी को कोई कोर्स नहीं करवा सकते । तेजपालसिंह ने कहा, मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है । उन्होंने कहा, अगर पता नहीं है तो पता करो नहीं तो आरसीआई वाले देख लेंगे । तेजपालसिंह कोई झगडालू होते हुए कहने लगा आरसीआई अब ये कौन है? जी को ने हैरान होते हुए कहा आरसीआई हकलाहट संबंधी कोर्स आरसीआई के देख रेख में होते हैं । अगर तुम कोर्स वगैरह करवाना चाहते हो तो आरसीआई से मान्यता प्राप्त डिग्री लेनी होगी । तेजपालसिंह ने कहा कि मैं आपकी बात को समझ गया हूँ परन्तु मुझे एक बात बताए कि आपके लिए किसी व्यक्ति का निजी अनुभव कोई मायने नहीं रखता । चीज होने का निजी अनुभव तेजपालसिंह ने हैरानी से पूछा । जी हां, निजी अनुभव दरअसल में बचपन से ही इस हकलाहट की समस्या का शिकार था और किसी न किसी प्रकार से मैंने समस्या पर काबू पा लिया था । इस रास्ते पर चलकर मैंने तीस मंजिल को हासिल किया था । यानी अपने हकलाहट की समस्या को काबू में लिया था । आज मैं इस समस्या से पीडित लोगों को वही रास्ता बताकर उनकी मदद कर रहा हूँ । ऍम तो बचपन से हकलाते थे । मेरे कहने का मतलब है कि तुम्हें भी ये समस्या थी । इस पाल सिंह ने हैरान होते हुए पूछा जी हाँ मुझे भी ये समस्या थी । जी को ने कहा तो तुमने इस समस्या को काबू में कैसे? क्या तेजपालसिंह ने कहा था जी एक लंबी कहानी है, फोन पर बताना मुश्किल है । कभी मिलकर बता दूंगा चीज खुलेगा, ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी चलो एक पल के लिए मान लेता हूँ कि तुम हकलाहट की समस्या से पीडित लोगों की मदद कर रहे । भले ही ये सही है परंतु कानून ये ठीक नहीं है क्योंकि तुम्हारे पास इस संबंधी कोई डिग्री वगैरह नहीं । देखो, मैं तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं हूँ । मैं तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहा हूँ । मेरी बात को समझने की कोशिश करो । तेजपालसिंह ने कहा जी मैं आपकी बात को समझ रहा हूँ परन्तु मैं क्या कर सकता हूँ? क्या मुझे अपना इस कार्य को बंद कर देना चाहिए? क्या मैं काबिलियत को परखने के लिए उसे कागज के टुकडे का होना जरूरी है? जी को नहीं । कुछ शिकायत भरे अंदाज में कम देखिए आप गुस्सा ना करें । आप जो कह रहे हैं वो बिल्कुल सही है परन्तु मैं ये सब आपके भले के लिए कह रहा हूँ क्योंकि भविष्य में आपको कोई समस्या ना हो इसलिए मैं पहले से आपको इसके बारे में अवगत कराना चाहता हूँ क्योंकि आप भले ही समाजसेवा के बाहर से ऐसा कर रहे हो परंतु लोग आपकी सेवा भाग को समझ नहीं पाएंगे । खास तौर पर आपके प्रतिद्वंदी मेरी बात को समझने की कोशिश करो । मैं ये सब आपके भले के लिए कह रहा हूँ । तेजपालसिंह ने कहा, ठीक है जी, मैं आपकी बात समझ गया हूँ और मैं इसका कोई न कोई हल जरूर निकालूंगा । जी को ने ये कहकर फोन बंद कर दिया मैं इसका फोन था । मैंने जी को से पूछा । पंजाब स्टैमरिंग सबसे किसी तेजपालसिंह का था । जी को ने कहा तो तुमने क्या गा? मैंने पूछा कहना क्या है? अगर देखा जाए तो बात तो सही कह रहा है । ठीक होने का क्या सही कह रहे हो । मैंने कहा यहीं की अगर ऐसा ही चलता रहा तो कल को हम किसी समस्या में पढ सकते हैं । जी को ने कहा तो अब क्या करने का इरादा है? मैंने कहा करना क्या है? फिलहाल तो वैसे ही चलने दो जैसा चल रहा है । बाद में इस बारे में सोचेंगे । वैसे एक बात बताऊँ, मैंने एक योजना सोची है । ठीक होने कहा कैसी योजना? मैंने पूछा क्यों ना हम टेलीविजन के किसी प्रोग्राम में अपना इंटरव्यू ॅ का प्रोग्राम में इंटरव्यू मैं तुम्हारी बात को समझे नहीं । मैंने कहा हाँ, इंटरव्यू तेजपालसिंह से बातें करते करते अचानक मेरे पास से खयाल आया । क्यों ना मैं टेलीविजन के किसी प्रोग्राम में हकलाहट की समस्या संबंधी इंटरव्यू जिससे व्यक्ति बात को लोगों तक पहुंचा सकूँ ताकि वह हकलाहट की समस्या को समझ सके । चीकू ने कहा, परन्तु अगर पिताजी को पता चल गया तो? मैंने कहा पिताजी को ये तो है परंतु चिकन फिर कहा, परन्तु क्या? मैंने उससे पूछा परंतु उसके अलावा हमारे पास और कोई रास्ता भी तो नहीं है । मेरे कहने का मतलब है हमारे मकसद के लिए ये काम जरूरी है । यानी टेलीविजन के लिए किसी प्रोग्राम में मेरी इंटरव्यू हमारे मकसद को पूरा करने में बहुत सहायक हो सकती है । जी खोने का तुम जो कह रहे हो वो तो ठीक है परंतु मुझे डर लग रहा है । अगर पिताजी को पता चल गया तो मैंने कहा तो क्या हम कौन सा चोरी कर रहे हैं? ये कोई बुरा काम कर रहे हैं जिससे उन को ऐतराज होगा । मैंने फैसला कर लिया है कि मैं इंटरव्यू के लिए किसी से संपर्क जरूर बनाऊंगा और अगर बात बन गई तो मैं इंटरव्यू जरूर । जो बाकी जो होगा वो देखा जायेगा । चीज होने का ठीक है जैसा तुम चाहो परन्तु ये संभव कैसे होगा? मेरे कहने का मतलब है कि तुम इंटरव्यू के लिए इस से संपर्क करोगे । मैंने कहा इस बात की चिंता तो मुझ पर छोड दूं । मैंने सब पता कर लिया है । उन्होंने कहा, क्या पता कर लिया है । मैं किसी दिन जालंधर शहर जाऊंगा और वहाँ जालंधर दूरदर्शन के दफ्तर में जाकर वहाँ के उच्चाधिकारी से मिलूँ और अपनी बात को उनके सामने रखूंगा । मुझे उम्मीद ही नहीं बल्कि इस बात का पक्का यकीन है कि वह मेरी बात को सुनेंगे और आपने किसी प्रोग्राम में इंटरव्यू करने का मौका जरूर देंगे । होने का तुम ऐसा बोल रहे हो । वो सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है परन्तु क्या यह सच में संभव है? संभव से क्यों संभव क्यों नहीं हो सकता है? उन्होंने पूछा था नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं । मैं तो बस ये सोच रही थी कि जो तुम कह रहे हैं अगर ऐसा हो जाए तो ये हमारे लिए कितना अच्छा होगा । हम काफी कम समय में मशहूर हो जाएंगे । फिर हमें दुनिया जानने लगेगी । हम जहाँ भी जाएंगे, लोग हमें ही देखेंगे । हमें मिलने के लिए उतावले हो जाएंगे । मैं सपने में खो गई । अरे अरे बस करो सपने की दुनिया से वापस आ जाऊँगी । को ने कहा । कुछ दिनों के बाद चीकू घर में कोई बहाना बनाकर जलंधर शहर जाता है और वहाँ दूरदर्शन के दफ्तर में जाकर वहाँ के उच्च अधिकारी से मिलकर आता है । उसके घर आते ही मैं उससे वहाँ के बारे में पूछने लगी । क्यों जी मिलाया? दूरदर्शन वाले से आम मिलाया जी को ने कहा क्या कहते हैं वो? मैंने पूछा कुछ नहीं । वो बोलते हैं कि जब कोई ऐसा प्रोग्राम होगा तो मुझे बुला लेंगे । चीकू ने कुछ मायूस होते हुए कहा, क्या हुआ बहुत उदास लग रहे हो । मैंने पूछा कुछ नहीं । उनके सामने में हकलाने लग गया था । उन्होंने कहा, तुम हकलाने लग गए थे । उनके सामने ये क्या कह रहे हो? तुम तो एकदम ठीक हो चुके हो । फिर भी सब कैसे क्या हुआ था मुझे पूरी बात पता हूँ । मैंने कहा यार जब मैं जलंधर दूरदर्शन के दफ्तर के अन्दर जाने लगा तो सबसे पहले वहाँ के चौकीदार ने मुझे रोक लिया और मुझे अंदर जाने की वजह पूछने लगा । जिन्होंने कहा फिर उसके बाद क्या हुआ? मैंने उत्सुकतावश पूछा, ऍम लेने दो, आराम से बताता हूँ । उसके बाद मैंने उसे अपने बारे में बताया और साथ में ये भी बताया कि मैं किस मकसद को लेकर यहाँ आया हूँ । वो भला मानुस मेरी बात को समझ गया और उसने मुझे मनोहर नाम के एक शख्स के बारे में बताया और कहा मुझे अपने इस कार्य के लिए मनोहर जी से मिलना चाहिए । उसके बाद मैं दस्तर के अंदर चला गया । वो दफ्तर मेरी कल्पना से भी पडा था । कुछ समय तक खोजबीन करने के बाद मैंने मनोहर जी का दस तक ढूंढ लिया और उनसे बात करने के लिए उनके कमरे के अंदर चला गया । परन्तु कुछ खबर आ गया जिससे मैं अपनी बात ठीक तरह से ना रख पाया । वो शायद मेरी दर्शक भाप किया और उन्होंने मुझे आराम से बात करने को कहा । मैंने मनोहर जी से अपने बारे में और अपने यहाँ आने के मकसद के बारे में उनको बताया । हम दोनों काफी समय तक हकलाहट के विषय को लेकर बातें करते रहे । काफी समय बातें करने के बाद उन्होंने मुझे ये आश्वासन दिया कि वह हकलाहट के विषय को लेकर मेरा इंटरव्यू आपने किसी ना किसी प्रोग्राम में जरूर करवाएंगे जी । उन्होंने कहा, अरे वाह, इसका मतलब कि तुम अब टेलीविजन पर आओगे तो बहुत मजा आएगा । हम लोग सेलिब्रिटी बन जाएंगे, मशहूर हो जाएंगे । मैंने कहा अरे रुक हो तो सपने देखना बंद करो क्योंकि उन्होंने सिर्फ आश्वासन दिया है । ये पक्का नहीं है कि वह मुझे अपने प्रोग्राम में लेंगे । जी को ने कहा चलो कोई बात नहीं । उम्मीद पर तो दुनिया कायम है । हमें उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए और फिर सपने देखने कौन से बुरी बात है । सपने भी तो उन्हीं की पूरे होते हैं । सपने देखते हैं । मैंने कहा । इसके बाद हम काफी दिनों तक मनोहर जी के फोन का इंतजार करते रहे तो तीन हफ्ते और उसके बाद महीने बीत गए । पर हम तो उनका कोई फोन नहीं आया । एक दिन मैंने चीजों से मनोहर जी को फोन करने के लिए कहा । पहले तो चीखों ने फोन करने को मना कर दिया परंतु कुछ देर बहसबाजी के बाद जी को उनको फोन करने के लिए मान गया । चलो क्या मेरी बात मनोहर जी से हो सकती है? सीखो ने कहा, हाँ जी, मैं मनोहर बोलूँ कौनसा बोल रहे हैं? मनोहर जी ने का जी मेरा नाम अनिल है । कुछ दिनों पहले में आपके पास हकलाहट के विषय को लेकर प्रोग्राम में इंटरव्यू के सिलसिले में आपके पास आया था । जी को ने कहा हाजी हाजी अनिल जी क्या हाल है आपका सब बढियां है ना? और बताइए कैसे याद किया । मनोहर जी ने कहा जी सब बढिया है । मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ । बोलो क्या पूछना चाहते हैं जी, मैं आपसे इंटरव्यू के सिलसिले में कुछ बात करना चाहता हूँ । अनिल जी बोलिए आप चिंता मत करो । मुझे सब याद है कि आपने इंटरव्यू के लिए बोला था । मैं और मेरी टीम उसी पर विचार कर रहे हैं और हम ने इस पर एक योजना भी बना लिए । मनोहर जीने का योजना ऐसी योजना सर जी को ने पूछा अनिल जी अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हकलाहट दिवस होता है तो हम उसी दिन एक प्रोग्राम करने का सोच रहे हैं जिसमें खासतौर पर आपको आमंत्रित किया जाएगा जिसमें हकलाहट के विषय को लेकर चर्चा होगी । हम इस प्रोग्राम में एक अध्यापक और एक डॉक्टर को भी आमंत्रित करने के बारे में विचार कर रहे हैं । जब यह योजना पूरी तरह से तैयार हो जाएगी तो हम आपको बता देंगे आप बेफिकर रहें । मनोहर जी ने कहा, बहुत बहुत धन्यवाद मनिदर जी आपका अगर ऐसा है तो मैं भी पूरी तैयारी के साथ जाऊंगा । जी को ने कहा, बाईस अक्तूबर आने को अभी बहुत दिन थे । तब तक मैं और चीज हूँ । इंटरव्यू की तैयारी करने में लग गए हमने जहाँ से भी संभव हुआ वहाँ से हकलाहट संबंधी जानकारी जुटा ली । जी को ने पहली बार कैमरे का सामना करना था जिसे लेकर उसके मन में अजीब सी शंका थी । वो कुछ डरा हुआ था और कुछ उत्साहित भी था । मैंने उससे इस सब का कारण पूछा तो उसने कहा यार मुझे डर इस बात का नहीं लग रहा है कि मैं पहली बार कैमरे के सामने जा रहा हूँ । बल्कि डर इस बात का है कि कहीं पिताजी को इस बारे में पता चल गया तो क्या होगा । बस इतनी सी बात पिताजी को पता नहीं लग सकता तो मैं इस बात से बेफिकर रहूँ । मैंने चीजों को समझाते हुए कहा क्यों पिताजी को क्यों नहीं पता लग सकता जिन्होंने हैरानी से पूछा पहली बात ये है कि तुम्हारे प्रोग्राम का प्रसारण जलंधर दूरदर्शन में होगा जो की हमारे टेलीविजन में आता ही नहीं । दूसरी बार तुम जलंधर शहर में जाओगे । ये बात तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगी । इसलिए तो बेफिक्र होकर प्रोग्राम में हिस्सा लोग जो होगा तो देखा जाएगा । मैंने कहा ठीक है जो होगा देखा जाएगा । वैसे भी कौन सा कोई अपराधी काम कर रहा हूँ । मैं जो होगा देखा जाएगा । जितने भी कहा उत्साह ये हुई ना बात मैंने कहा । खैर समय का चक्कर चला और चीजों को प्रोग्राम में आने का न्यौता मिल गया । ऐश्वर्या समय में प्रोग्राम वाली जगह पर यानी जलंधर दूरदर्शन के दफ्तर में पहुंच गया । वहाँ पर उसकी मुलाकात दिनेश दम अंथिया नाम की शक से हुई । उन्होंने चीजों को प्रोग्राम के बारे में बताया । उसके साथ दो और शक थे डॉक्टर राकेश कॉल और दूसरे थे मोहन जोकि हकलाहट की समस्या से पीडित थे । कुछ देर के इंतजार के बाद उन का प्रोग्राम शुरू हो गया । स्वस्थ भारत प्रोग्राम देख रहे सभी दर्शकों को मेरी तरफ से यानी दिनेश जमातिया की तरफ से आप सभी का स्वागत है । दोस्त तो आज इंटरनेशनल स्टैमरिंग है यानी अंतरराष्ट्रीय हकलाहट दिवस है और इस विषय पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं जानेमाने डॉक्टर समाजसेवी डॉक्टर राकेश कौन और साथ में है मेरे दोस्त है जो की खुद इसी समस्या से पीडित है और हमारे तीसरे मेहमान है अनिल जी जो कि अगला हाथ से पीडित व्यक्तियों की मदद करते हैं और स्टैमरिंग टीचर के नाम से जाने जाते हैं । आइए शुरू करते हैं हम अपने प्रोग्राम स्वस्थ भारत इसका आज का विषय है स्टैमरिंग प्रॉब्लम यानी हकलाहट की समस्या तो शुरुआत करते हैं डॉक्टर राकेश कॉल जैसे राकेश जी ये हकलाहट की समस्या क्या है? हकलाहट की समस्या को दिमाग में केमिकल इम्बैलेंस के कारण होती है । इससे पहले की डॉक्टर साहब कुछ आगे बोले चीजों ने उनकी बात को बीच में काटते हुए कहा माफ कीजिए मैं डॉक्टर साहब की बात को काट रहा हूँ क्योंकि दिनेश जी ने पूछा है कि हकलाहट की समस्या क्या है? डॉक्टर साहब बता रहे हैं की समस्या कैसे होती है तो अगर किसी को कोई ऐतराज ना हो तो क्या मैं इस विषय पर कुछ बोल सकता हूँ, वहाँ क्यों नहीं? अनिल जी आप बताए कि हकलाहट की समस्या क्या होती है तो नहीं जीने का जी जो शख्स अपनी बात को करते वक्त रुक जाता है या रुक रुक कर बात करें जिसको आम बोल चाल की भाषा में अटक अटक कर बात करना कहते हैं ऐसी परिस्थिति को हकलाहट की समस्या कहते हैं और माफ करना ये समस्या हर किसी को होती है, किसी को कम होती है तो किसी को ज्यादा होती है । किसी को इस समस्या के बारे में पता होता है तो कभी कोई समस्या से जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करता है । यानी हर एक व्यक्ति इस समस्या से परेशान होता है । जिन्होंने का अनिल जी कुछ समझा नहीं और कोई समस्या का शिकार है वो कैसे दिनेश जीने का मैं अभी बताता हूँ हकलाहट क्या होती है यही ना कि बात बात पर रुक रुककर जानी अटक अटक कर बोलना यानी वो परिस्थितियां जिसमें कोई व्यक्ति बात करते समय का बनाया जाता है और डर के मारे रुक रुककर या अटक अटक कर बोलता है । तो अगर मैं किसी बहारी अंजान व्यक्ति को क्योंकि पूरी तरह से ठीक बोलता है, उस व्यक्ति को ले जाकर एक स्टेज पर खडा कर दो । जिसके सामने हजारों लोगों की तादाद नवीर हो, वहाँ एक छोटा सा भाषण देने के लिए कहूँ तो यकीनन उसे भी हकलाहट जैसी परिस्थिति का सामना करना पडेगा यानी वो भी रुक रुककर या अटक अटक कर बोलने लगेगा । चीज होने जवाब दिया तो उस परिस्थिति से कैसे निपटा जा सकता? मेरे कहने का मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी भी क्या यू कहे कि बहुत सारे लोगों के सामने बोलना हो तो उसे क्या करना चाहिए । दिनेश जी ने पूछा, बहुत आसान है देश पहले मुझे एक सवाल के जवाब दें क्योंकि मेरे सवाल के जवाब में ही आपके सवाल का जवाब छिपा है । जी को ने कहा, बोलो जी, दिनेश जी ने का जी जब आपने पहली बार कैमरे का सामना किया था तो कैसा महसूस हुआ था? उन्होंने पूछा अनिल जी सच कहूँ तो उस समय मैं बहुत ही नर्वस था । मैं डर गया था । मैंने अपने आप को बहुत मुश्किल से काबू में रखा था । मैंने इस चीज जवाब दिया और अब मेरे कहने का मतलब है कि अब जब आप कैमरे का सामना करते हो तो कैसा महसूस करते हैं । अब ठीक है । अब कोई समस्या नहीं होती दिनेश जीने का तो ये चमत्कार कैसे संभव हुआ? जी खोले पूछा कई दिनों के अभ्यास के बाद मुझे कैमरे का सामना करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती । दिन इस चीज जवाब दिया नरेश जी, आपने तो अपने सवाल का जवाब खुद ही दे दिया । यानी जिस प्रकार से आपने कई दिनों के अभ्यास से अपने कैमरे का सामना करने में महारत हासिल की, ठीक उसी प्रकार तेज में लोगों के सामने बोलने पर भी भारत हासिल की जा सकती है । ठीक होने का बहुत खूब अनिल जी एक बात बताइए आपके हिसाब से ये हकलाहट की समस्या क्या है और क्यों पैदा होती है? दिनेश जी ने पूछा दिनेश जी, अगला हर की समस्या क्या है, ये तो मैं पहले ही बता चुका हूँ । यानी जो शख्स बात करते समय रुक रुक कर बात करें या आम बोल चाल की भाषा में अटक अटक कर बात करें । ऐसी परिस्थिति को हकलाहट की समस्या कहते हैं और ये जो पैदा होती है, इसके बारे में अलग अलग विद्वानों का अलग अलग आकलन हैं । कोई इसे मानसिक समस्या बताता है तो कोई उसे दिमाग में किसी कैमिकल इंबैलेंस का कारण बताता है । जिन्होंने कहा, इससे आगे जी को कुछ बोल पाता कि डॉक्टर राकेश कॉल जी ने उसके बाद को काटते हुए कुछ गुस्से के लहजे से चीज उसे पूछा तो फिर आप ही बताइए कि आपके हिसाब से हकलाहट की समस्या क्या है? आप इसको किस प्रकार की समस्या मानते हैं? डॉक्टर साहब, मैं इसको कोई समस्या नहीं मानता हूँ, बल्कि एक स्टैमरिंग टीचर याने हकलाहट का अध्यापक होने के नाते इसको एक विषय के तौर पर लेता हूँ ठीक होने का आप अपने आपको अध्यापक कैसे मानते? डॉक्टर राकेश जी ने का जी मैं अपने आप को एक अध्यापक मान सकता हूँ क्योंकि एक अध्यापक की परिभाषा के अनुसार जो शख्स किसी अध्याय का अध्ययन करके उसका अध्यापन करवाता है वह अध्यापक कहलाता है । तो हकलाहट की समस्या को मैंने एक विषय मानकर इस तक कई वर्षों तक निजी अनुभव किया और अब उसका अध्यापन कर रहा हूँ । ठीक उन्हें कुछ गर्मजोशी के साथ इसका जवाब दिया दिनेश जी समझ गए चीकू और डॉक्टर राकेश के बीच बहस बाजी कर्म हो गई तो उन्होंने इस बहस बाजी को खत्म करते हुए बातचीत करो । वहाँ पर आए तीसरे मेहमान जोकि हकलाहट की समस्या से पीडित थे उस की ओर मोड दिया और उनसे कहा मोहित जी आपके क्या विचार है इस बारे में? आप के अनुसार हकलाहट की समस्या से पीडित जीवन कैसा है तो नहीं जी, मेरे हिसाब से तो हकलाहट की समस्या से पीडित किसी व्यक्ति का जीवन नर्क समान है । आपने निजी अनुभव के आधार पर अगर मैं बात करूँ तो ये बहुत बुरा अनुभव है क्योंकि किसी अपाहिज पर तो ये समाज कुछ तरज कर जाता है परन्तु किसी हकलाहट की समस्या से पीडित व्यक्ति पर ये समाज बिल्कुल लेकिन वो भी कुछ तरह नहीं खाता बल्कि जब भी समाज को मौका मिलता है तो उसका उपहास या मजाक बनाने लगता है । यही नहीं फिल्मों या धारावाहिकों में हादसे रस को दिखाने के लिए भी हकलाहट की समस्या का प्रयोग किया जाता है । कुल मिलाकर अगर कहे तो अगला हाथ की समस्या से पीडित किसी व्यक्ति का जीवन नर्क से पत्थर होता है । मोहित ने कुछ हकलाते हुए कहा अनिल जी आपके इस बारे में क्या विचार है? जैसा की मोहित ने बताया कि हकलाहट की समस्या से पीडित किसी व्यक्ति का जीवन नर्क के समान है । इसके लिए समाज की क्या भूमिका है? दिनेश जी ने कहा दिनेश जी मैं सोचता हूँ कि हकलाहट की समस्या का पैदा होना कुदरत का एक तोहफा है क्योंकि ये समस्या उस व्यक्ति को ही होती है जो की तेज दिमाग काम मालिक होता है । आप किसी भी मंदबुद्धि व्यक्ति को हकलाते हुए नहीं देखेंगे लेकिन एक सत्य ये भी है इस समस्या को बढाने में समाज अपनी अहम भूमिका निभाता है । ठीक होने का मैं कुछ समझा नहीं । आप क्या विस्तार से बताएंगे जिन्हें जीने का जी बिल्कुल । मैं एक उदाहरण के द्वारा कोशिश करता हूँ । मोहित जी जो कि हमारे साथ मेहमान के तौर पर बैठे हैं, सभी जानते हैं कि ये हकलाहट की समस्या से पीडित है । ये अपनी क्लास में बैठे हैं । अध्यापिका जी क्लास में आए और आते ही सामने ब्लैकबोर्ड पर एक सवाल लिखने लगी । अब इस सवाल का जवाब मोहित को आता है और वह सवाल जो की अध्यापिका जी ब्लैकबोर्ड पर लिख रही है लेकिन खत्म होने से पहले ही जवाब देने के लिए खडा हो जाता है । अध्यापिका जी खुश हो जाती है क्योंकि कोई तो है जिसको जवाब आता है लेकिन जवाब देने की जल्दबाजी और अपने हकलाने की आदत के कारण मोहित जी जवाब नहीं दे पाते हैं और अपने आप से लडने लगते हैं । इनके दिमाग में जो जवाब देने का तूफान था वो थम जाता है । जब वह अपने अंदर की दुनिया से बाहर आकर अपने आसपास की दुनिया को देखते हैं । सभी को अपने ऊपर हस्ता हुआ पाते हैं, बिना कुछ गए चुपचाप बैठ जाते हैं । उसको जवाब पता होने के बावजूद भी कुछ नहीं बोल पाते । कुछ समय के बाद अध्यापिका अगला सवाल ब्लैकबोर्ड पर लिखती है तेज दिमाग काम मालिक मोहित उस सवाल का भी जवाब जानता है लेकिन अपना मजाक बनाए जाने के डर से उच्च चुपचाप बैठा रहता है । जले में नमक छिडकने की अपनी आदत के अनुसार अध्यापिका उसे मजाकिया लहजे में उठाती है और सवाल का जवाब पूछती है लेकिन वह चुप रहता है । सभी सह पार्टी उस पर हस रहे होते हैं । कोई भी मोहित की मानसिकता को नहीं समझ पाता और उसका मनोहर पहले से और भी ज्यादा गिर जाता है । अब आप ही फैसला करें कि इस सब में दोस्त किसका है जी होने का जी दोष ये कहकर दिनेश जी चुप कर गए जी मैं बताता हूँ इसमें सारा दोष उस अध्यापिका का है जो की मोहित की मानसिकता को समझ नहीं पाई । मोहित ने जवाब दिया वो कैसे मैनेज जीने का? क्योंकि अध्यापिका उसकी मानसिकता समझ नहीं पाई । भाई सीधी सी बात है । अगर मोहित पहले ही सवाल का जवाब देने के लिए खडा हो गया है लेकिन किसी कारण जवाब दे नहीं पा रहा है तो उनको समझ जाना चाहिए कि उसको जवाब आता है लेकिन वह दे नहीं पा रहा है तो इस अध्यापिका को चाहिए कि उसका मजाक बनाने के बजाय उसका उत्साह बढाते हुए उसको जवाब देने के लिए प्रेरित करें या फिर लिखकर जवाब देने को कहे ना कि उसको मंदबुद्धि समझकर उसका मजाक बनाए । मोहित ने कहा वाह क्या बात है ऍम इस पर आपको क्या कहना है दिनेश जी ने का? दिनेश जी मुझे लगता है कि हकलाहट की जिस समस्या की बात आप कर रहे हैं वो मेरे विषय से बाहर है क्योंकि ये ना तो मानसिक समस्या है ना ही सामाजिक समस्या है । मेरे हिसाब से ये दोनों का मिला जुला रूप है क्योंकि हकलाहट की समस्या का होना एक मानसिक समस्या है और इस समस्या का समाज की वजह से पढ जाना एक सामाजिक समस्या है । डॉक्टर साहब ने बात को गोलमोल कुमार कर इसका जवाब दिया जिसका अंदाजा दिनेश जी ने पहले से ही लगा लिया था । इसके बाद उन्होंने डॉक्टर साहब से कम और चीकू और मोहित से ज्यादा सवाल करेंगे । अनिल जी हकलाहट की समस्या क्या है? आप हमारे दर्शकों को ये बताएं कि इसका इलाज किया है । यानी अगर कोई व्यक्ति हकलाहट की समस्या से पीडित है तो क्या करना चाहिए? दिनेश जी ने पूछा नहीं जी हकलाहट की समस्या का कोई इलाज नहीं है क्योंकि किसी किसी की कोई बीमारी नहीं है । ये एक आदत है और आप तो जानते ही हैं कि इलाज बीमारी का होता है आदत का नहीं । जिन्होंने कहा मैं आपकी बात से सहमत हूँ । कृपया आप हमारे दर्शक वो आदत से छुटकारा पाने का कोई उपाय बताए । यानी अगर किसी को ऐसी समस्या है तो उसे सबसे पहले क्या करना चाहिए? दिनेश जी ने पूछा दिनेश जी अगर किसी को हकलाने की समस्या है तो सबसे पहले उसे इस समस्या को स्वीकार करना होगा । उसे इस अच्छाई माननी होगी कि वह हमला की समस्या से पीडित है कि उन का जी मैं समझा नहीं । दिनेश जी ने कहा जी मैं बताता हूँ अगला हाथ की समस्या से छुटकारा पाने का सबसे पहला चरण है स्वीकार करना । आमतौर पर देखा गया है कि हकलाहट की समस्या से पीडित व्यक्ति समाज के सामने स्वीकार नहीं करता कि वह हकलाहट की समस्या से पीडित वो अपनी समस्या को छुपाता है जिससे इस समस्या और भी ज्यादा बढ जाती है । मेरे पास कई ऐसे केस आए हैं जिनमें हकलाहट की समस्या से पीडित व्यक्ति कहता है कि मैं हकलाता हूँ परन्तु ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं । चीकू ने कहा अनिल जी मेरी समझ में आपकी बात नहीं आई कि अगर व्यक्ति हकलाता है तो अपनी हाॅट छुपा कैसे सकता है । दिनेश जी ने का जी ऐसा अक्सर होता है । ऐसे व्यक्ति कम बोल कर ये किसी बात का जवाब न देकर अपनी हकलाहट की समस्या को छुपा लेते हैं । जैसे कि आपने कोई प्रश्न पूछा तो सामने वाले को अगर ऐसी समस्या है तो वह आपकी प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी चुप रहेगा जी को लेकर । यानी कुल मिलाकर सबसे पहले तो ये स्वीकार करना है कि मुझे हकलाहट की समस्या है । चलो मैंने ये स्वीकार कर लिया कि मुझे ऐसी समस्या है उसके बाद क्या मतलब? मेरे कहने का मतलब है कि उसके बाद अगला चरण किया है मैंने किसी ने पूछा नहीं जी समस्या को स्वीकार करने के बाद अगला चरण है इस समस्या का समाधान खोजना । और आप शायद ये नहीं जानते होंगे कि हकलाहट की समस्या एक ऐसी समस्या है । इसका समाधान पीडित व्यक्ति के पास ही होता है । जानी आसान भाषा में अगर कहे तो हकलाहट की समस्या से पीडित व्यक्ति अपनी समस्या को स्वयं हाल कर सकता है । इसके लिए वो ध्यान साधना की मदद ले सकता है । जी को लेकर ध्यान साधना जी क्या है? क्या कोई तपस्या करनी हूँ । दिनेश जी ने मजाकिया लहजे में कहा, नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है । ध्यान साधना मतलब की हर रोज किसी भी समय, ज्यादातर सुबह को ध्यान लगाकर समाधि लगाने की स्थिति में बैठना और उस समय आत्ममंथन करना यानी अपने आप से सवाल जवाब करना । जैसे कि मैं क्यों अगला क्यों मैं करता हूँ या मुझे आत्मविश्वास की कमी है । अगर मैं डर के कारण हकलाता हूँ तो मुझे डर किस से लगता है? क्यों मैं सामने वालों से? डॉक्टर अगर ऐसा है तो मैं आगे से नहीं करो । मैं अपने कोई हुए आत्मविश्वास को वापस ले आऊंगा । मुझे अपने आत्मविश्वास को वापस लाना ही होगा । मुझे जीना है मैं किसी से कम नहीं हूँ । मैं सबसे श्रेष्ठ जी को ने कहा अनिल जी मैं सबसे श्रेष्ठ ऐसा कहने से इनकार नहीं ऍम जीने का रेट जी मैं सबसे श्रेष्ठ हूँ । विवाह के आज तो विश्वास पैदा करता है और सिर्फ मैं ही सबसे श्रेष्ठ हूँ । यहाँ के अहंकार को पैदा किया हूँ ठीक होने का । वहाँ मान गए भाई आपको अच्छा चलो, पहला चरण स्वीकार्यता और दूसरा चरण आत्ममंथन । ध्यान साधना हो गया । अब इसके आगे क्या जाने । उसके बाद दिनेश जिले का जी तीसरा चरण है गले और आवाज संबंधी व्यायाम करना जिससे कि कुछ महीनों में ही पीडित व्यक्ति को काफी अच्छा महसूस होता है । जी को ने कहा कि आप वो व्यायाम हमारे दर्शकों को बता सकते हैं तो किसी ने का तेरे जी । यहाँ उन व्यायामों की व्याख्या करना संभव नहीं है क्योंकि उसके लिए समय और माहौल व्यायाम करने के अनुकूल होना चाहिए । जी को ने कहा, ठीक है जी जैसा ठीक समझे तो स्वास्थ्य भारत प्रोग्राम बेच रहे सभी दर्शकों को मैं एक बार फिर से बताना चाहूंगा कि आज हमारा विषय हकलाहट की समस्या पर आधारित था । इस विषय को लेकर और भी चर्चा होगी । लेकिन समय अब हमें इसकी इजाजत नहीं देता तो उसकी चर्चा हम करेंगे अपने अगले धारावाहिक में । तब तक अमित इजाजत दीजिए । लेकिन जाने से पहले मैं अपने दर्शकों को एक बार फिर से दौराना चाहता हूँ कि हकलाहट की समस्या को काबू करने के लिए मुख्यता तीन चरण पहला चरण स्वीकार करना, दूसरा चरण साधना करके आत्ममंथन करना और तीसरा चरण गले और आवास संबंधी व्यायामों को करता हूँ और अब समय हो गया है आप सभी से इजाजत लेने का । मेरे साथ इस प्रोग्राम में मेहमान थे । अनिल जी जोरदार तालियां डॉक्टर राकेश, कॉल जी और भी जोरदार गालियाँ और मोहित अगली बार इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे । इसी समय इसी वक्त तब तक के लिए इजाजत दीजिए । धन्यवाद । आप का दिन शुभ रहे । शाम को जी को घर वापस आ गया और उसके चेहरे की खुशी देखकर मैंने अंदाजा लगा लिया कि उसकी इंटरव्यू बहुत बढिया हूँ । चीजों के इस कदम के बाद हमारा उत्साह और भी पड गया और हमने इस प्रोग्राम को अपने फेसबुक पेज के जरिए इंटरनेट पर फैला दिया जिसकी हमें बहुत ही तारीफ मिली और हम अगला हाथ की समस्या से पीडित लोगों में एक अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे ।

Details

Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
share-icon

00:00
00:00