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20. Sagar ka E-Mail in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
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चैप्टर फिफ्टीन सागर का ईमेल एक दिन मैं और चीकू बैठ कर बातें कर रहे थे तभी चीज को एक फोन आया चलो जी क्या मैं अनिल जी से बात कर सकता हूँ? फोन करने वाले ने कहा आज ही में अनिल बोल रहा हूँ । बोलिए मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ की खोल लेता हूँ । मेरा नाम सागर है और मैं गोवा का रहने वाला हूँ । मैंने आपके बारे में फेसबुक पर पडा है कि आप हकलाहट संबंधी समस्याओं का इलाज करते हैं, फोन करने वाले निकले । जी हाँ हकलाहट की समस्या पर काम करता हूँ खुलेगा अनिल जी बात ये है कि मुझे बचपन से हकलाहट की समस्याएं आप मेरी मदद करोगे, सागर देता हूँ । फोन करने वाले का नाम सागर था और गोवा का रहने वाला था । उसको हकलाहट संबंधी समस्या रही इसलिए फोन पर काफी रुक रुककर बोल रहा था जिससे चीकू और मुझको उसकी बात समझने में काफी परेशानी हो रही थी । जी को उसकी समस्या को समझ गया और उसने कहा भाई मैं इस समय थोडा व्यस्त हूँ तो आप मुझे अपने और अपने हकलाहट की समस्या के बारे में एक ईमेल आईडी पर लिख की मेल करते हैं । मैं उसको पढकर जल्दी आपकी समस्या समाधान करूँ । ठीक है जी जल्दी ही अपनी समस्या और अपने बारे में आपको ईमेल आईडी भेज देता हूँ । सागर दिया सागर के फोन करने से कुछ दिनों के बाद उसकी तरफ एक ईमेल प्राप्त हुआ । उसकी मेल में सागर ने अपनी हकलाहट की समस्या के साथ साथ समाज के बारे में खुलकर अपने विचार रखे । उसने अपने हकलाहट की समस्या के बारे में ही नहीं बल्कि हकलाहट की समस्या के कारण उसकी जिंदगी में जो परेशानियाँ उनके बारे में भी उसने बताया । अंत में उसने अपनी समस्या को काबू में कैसे किया जाए, इस बारे में भी उसने अपने विचार रखे जोकि एक हक राहत की समस्या से पीडित व्यक्ति के लिए हाँ की महत्वपूर्ण है । सागर के ईमेल को मैंने उपन्यास में इसलिए शामिल किया क्योंकि पाठक अतराहट की समस्या से पीडित किसी व्यक्ति की तरफ को करीब जान सके । सागर । घर में कहीं में एक हकलाने वाले व्यक्ति की व्यथा दिखा खिलाने वाला व्यक्ति समझ सकता है । कभी कभी मेरे मन में ऐसा विचार आता है कि अगर मैं गूंगा होता तो बहुत अच्छा होता है क्योंकि लोग पहले से ही जानते हैं कि ये व्यक्ति बोल नहीं सकता हूँ । मेरा नाम सागर है और मैं काम से एक पुलिस वाला हूँ । आपको जान के हैरानी होगी कि एक हकरा आदमी पुलिस वाला कैसे बढ गया । इसके पीछे किस्सा है पर मैं तो इससे एक परमात्मा की देल्ही समझता हूँ कि मैं जब अंग्रेजी में बोलता हूँ मैं हकलाता नहीं और जब मेरा इंटरव्यू हुआ तब सीनियर लोगों ने मुझे अंग्रेजी में ही सवाल पूछा जिसके उत्तर मैंने आराम से देती है परंतु इंटरव्यू के एक घंटे पहले तो मेरे डर के मारे मोरसू क्या हैं जिनमें पुलिस वाला बना तो मेरे काफी दोस्त जरूर मुझसे जले होंगे क्योंकि उनका काम नहीं हुआ । यानी उनका पुलिस में चयन नहीं हुआ और मैं क्योंकि हकलाता था । इसके बावजूद भी पुलिस की नौकरी पा गया परन्तु आगे का सफर आसान नहीं था । मैं आगे का कुछ बताऊँ । इससे पहले मैं अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ बताना चाहूँगा । मेरी माँ के हिसाब से जब मैं छोटा यानी सात आठ साल का था, अभी मैं बोलने में हकलाता था । घर की परिस्थिति में खास अच्छी नहीं नहीं मेरे पिता माता मुझे किसी स्पीच स्पेसलिस्ट को दिखाते हैं या फिर मेरे ऊपर ध्यान दे पाते । हमारा संयुक्त परिवार होने के कारण जब कभी मैं थोडी बहुत शरारत करता तो मेरे माता पिता, चाचा चाची ये बहनें मुझे पुलिस वालों का डर या कहीं किसी भूत कटक दिखाकर डराते थे । मैं चाचा का लडका जिसका नाम प्रदीप था जो कि शराब पीकर हर रात जोर जोर से हम बच्चों को डराता था । पर यहाँ पे अगर हम पढाई नहीं करेंगे तो मेरी माँ प्रदीप कटर दिखाती और कहती है कि अगर मैंने पढाई नहीं की तो उसे बोल दूंगी या फिर वो तो मैं मारेगा । तो इसी डर की वजह से मैं बचपन में खुल नहीं पाया और आगे हकलाने की वजह से सहमा सहमा रहने लगे । यही हकलाहट आगे जाकर आदत बन गई । जब पढाई का वक्त आया तो मैं तो पढाई में होशियार था । पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक पहले स्थान पर ही रहता था और दसवीं कक्षा में भी पहले स्थान पर ही आया था । फिर स्कूल में मेरे अध्यापक जब थी मेरे से सवाल करते थे । तब मैं जवाब जानकर भी जानबूझकर नहीं बोलता था । हमारे स्कूल में हर शनिवार को हर विषय का बुक रीडिंग होता था । तब मैं इतना घबराया होता था जैसे कि मेरी कुर्सी के नीचे किसी टाइम बॉल लगा दिया हूँ और जैसे जैसे मेरी बारी नजदीक आती बेहतर की धडकन तेज होना है । मेरी बारी आती ही मेरे सभी सह पार्टी मेरी तरफ देखने लगते हैं और जब मैं हकलाते हुए बोलता तो बाद में स्कूल से घर आते वक्त मेरा मजाक उडाते मैं भी उनके साथ हूँ परन्तु मन ही मन में बहुत दुखी होता है । ईश्वर से रोज बोलता कि तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया और रोज अपनी ठीक होने के बीच मैं कक्षा में अपने सहपाठियों को उडाए गए मजाक का जवाब इम्तिहानों में पहले स्थान पर रह कर देता हूँ । कभी कभी तो मेरे अध्यापक भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं की कक्षा में एक भी उत्तर न देने वाला पहले स्थान पर कैसे आ जाता है । धीरे धीरे समय के साथ मेरे सभी अध्यापक को हूँ । मेरे हकलाकर बोलने के बारे में पता चल गया और इसके बाद उन्होंने बोलने वाला काम मुझे नहीं दिया । जब थोडा बडा हुआ तो दुनियादारी किसी खाई तब अपनी हकलाहट की समस्या को कुछ हद तक मैंने काबू कर लिया । नहीं नहीं जब कोई मेरा मजाक बनाने के लिए मुझे कॉलेज के नाटक में काम करने के लिए बोलता तो उससे कहता हूँ कि आया तो मैं तो बताया नहीं कि मैं हकलाता हूँ । जो नाटक की वाट लगाने मिलाया और अगर कोई दोस्त मजाक उडा था तो मैं मेरी हकलाहट की समस्या के ऊपर चुटकले बनाता है तो उसके साथ मैं भी आया था क्योंकि मैं जान गया था इससे मैं दूर नहीं भाग सकता हूँ । मुझे ऐसे कंट्रोल करना सीखना होगा । किसी नए आदमी के सामने बात करते वक्त जब थोडा बहुत हकलाने लगता तो उसी समय उसे अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में बोल रहे हैं जिससे मुझे फायदा ये होता मेरी काफी टेंशन कम हो जाते हैं और मैं काफी हद तक आसानी से बात कर लेता हूँ । वैसे मुझे साथ या शाम शब्द के उच्चारण में बहुत हकलाहट होती थी और जीरो बोलने में तो बहुत ही तकलीफ होती नहीं । जैसे कि मेरा मोबाइल नंबर ॅ सिक्स वन फाइव है । तो जब मैं अपने मोबाइल में पैसे डलवाने जाता है तो दुकानदार को अपना मोबाइल नंबर बताने के बाद एक एक तो आसानी से बोल देता परंतु जीरो बोलने के वक्त मेरे पसीने छूट जाते हैं । नजदीक खडे लोग भी मेरी तरफ देखते हैं, ऍम मुस्कुराने लगते हैं । जैसे तैसे मैं जीरो को बोल नेता तो बाकी आगे के नंबर बोलने में मुझे कोई परेशानी नहीं होती थी । अभी आजकल काफी अभ्यास करने की वजह से मैं पूरा नंबर बिना रुके बोल सकता हूँ । ये थी संक्षेप में मेरी पुलिस वाला बनने की पहले की कहानी । अभी पुलिस वाला बने हुए मुझे लगभग दस साल बीत गए । मेरी हकलाहट की समस्या के बारे में मेरे सभी सहकर्मी यानी पुलिस वाले जानते हैं कि मैं चलता हूँ इसलिए उनसे बात करना आसान होता है । मेरे हकलाहट की समस्या कठिन परिश्रम से ठीक हुई है, जिसका विवरण अंत में करना चाहूंगा । फिर भी मैं जानता हूँ कि मेरी पीठ पीछे मेरी बातें जरूर होती हूँ परन्तु में किसी की परवाह नहीं करता क्योंकि मैं जानता हूँ कि कोई भी आदमी कितना भी अच्छा क्यों ना हो कि समाज उसकी बुराई करेगा । आई इसलिए मैं ज्यादा समाज पर ध्यान नहीं देता क्योंकि जो मुझे प्यार करता है, जिसकी सच्चाई देखती है, मैं उसको चौकना प्यार करता हूँ और जो होंगी, है ना, उनसे दूर ही रहता हूँ । मैं जानता हूँ कि एक पुलिस वाला होने के नाते मुझे सौ फीसदी फिट होना चाहिए और उससे रूप से बात करनी चाहिए । परंतु उसके उलट जब पुलिस की वर्दी में किसी से बात करता हूँ तो जहाँ भी मैं हकलाने लगता हूँ, वहीं मेरी बात सुनने वाला मेरे ऊपर मेरे सामने हसने लगता है उस समय मुझे गुस्सा तो बहुत आता है परंतु में असहाय रहता हूँ । मजबूर मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ । लेकिन मैंने एक बात ठान ली कि मैं अपनी समस्या पर से विजय प्राप्त करके एकदम होगा और आज मैं अपनी मंजिल के बहुत करीब पहुंच चुका हूँ । जिस प्रकार से मैंने अपने हकलाहट की समस्या पर जीत प्राप्त हैं । मैं ईमानदारी से तो सब बातें लिख रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि अगर किसी को हकलाहट की कोई समस्या है तो ये सब बातें उसके कम हो सकती है । सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें, शहर करने को जाएंगे ना एक नास्तिक हूँ परन्तु उसके बावजूद मैं गीता और कुरान पडता हूँ । इसके दो फायदे होते हैं । एक तो थोडा बहुत काम की बातें पता चल जाती हैं और दूसरा वो कब ही हो जाता है । सुबह रोज रहा है । इससे मन प्रसन्न रहता है और आगे दिन भी अच्छा जाता है । सुबह सात संबंधी व्यायाम बहुत ही गुणकारी है । मैंने ऐसा सुना है मैं ये नहीं करता परंतु भविष्य में जरूर करना चाहूँ अपने आप को सर्वोच्च समझे आपकी आजाद मिल रही है अपने आप को कमजोर ना समझे तब भी जवाब की जेब में कुछ हूँ । आपने मोटिवेशनल हीरो की फिल्में देखें जिससे आपको ऊर्जा मिलती रहे हैं । दोपहिए वाहन पर जाते समय कोई भी गाना अवश्य कोन बनाए क्योंकि इस समय सुनने वाला कोई नहीं होता और यही एक समय होता है जब आप खोल कर बात कर सकते हैं । खराब लेकर बात करें और अपनी आदत में शामिल करे । जितना बोलना जरूरी है उतना ही बोले शराब, गुटका, पान आदि पैसे से अपने आप को जो रखें, जितना हो सके उतना ठंडा रहने की कोशिश करें । यानी गुस्से को अपने पास नहीं है । जिन शब्दों को बोलने में आपको समस्या आती है, उन शब्दों को बार बार बोले धन्यवाद सागर करबे के सौजन्य से तो कुल मिलाकर यह जान के चलिए की हकलाने वालों की जिंदगी बहुत ही संघर्षपूर्ण होती है जो रात को सोने के बाद खत्म होती है और अगले दिन फिर खिलाई सवेरे के साथ नए चैलेंज से दिन की शुरुआत करने पडते हैं । सागर के इस ईमेल को पढने के बाद हमारी सोच में कुछ बदलाव आया । अब हम अगला हट की समस्या को खत्म करने के बारे में सोचने की अपेक्षा इस समस्या के होने के मुख्य कारण के बारे में सोचने नहीं सागर की इसकी मेल को पढने के बाद चीजों ने मुझसे कहा तो शिखर उनका सोचती हूँ मेरा मतलब है तुम्हारा क्या विचार है सागर के बारे में मैं तो एकदम चुप हो गई हूँ । पहले अपने पिताजी की डायरी और अब इस सागर नाम के लडके का ईमेल पढकर मेरी तो कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं है । मैंने कहा क्या सोचती हूँ कि सागर की इस समस्या का मुख्य कारण क्या हो सकता है? ठीक होने का सच कहूँ तो सागर के इस ईमेल को पढकर मेरा तो दिमाग काम नहीं कर रहा है तो बताओ सागर के बारे में जानकर एक बात तो साफ हो जाती है कि उसकी जिंदगी में आई परेशानियों की सबसे बडी वजह उसकी हकलाहट की समस्या नहीं है । नहीं थी वो समाज है तो उसके हकलाने की वजह से उसकी जिंदगी के हर मोड पर उसके लिए परेशानी खडी कर देता है । सागर की बातों से पता चलता है कि सागर का दिमाग बहुत तेज है परन्तु ये समाज उसके तेज दिमाग को उसकी हकलाहट की समस्या की वजह से अनदेखा कर रहा है । लेकिन इस सबके बावजूद वो एक योद्धा के भारतीय इस समाज से लड ही नहीं रहा बल्कि पुलिस वाला बनकर उसने जीतकर भी दिखा दिया । एक बहुत उसमें बहुत खास है, बाहर नहीं हूँ । यही नहीं जैसे जैसे उसने अपने हकलाहट की समस्या का हल भी निकाल लिया जी खोलेगा । सागर के इस ईमेल ने हमें हमारे मकसद को नहीं दिशा की ओर मोड दिया । अब हम हकलाहट की समस्या से पीडित लोगों का उनकी इस समस्या को काबू करने के साथ साथ समाज को हकलाहट की समस्या से पीडित लोगों के जीवन में उनकी वजह से आने वाली परेशानियों के बारे में जागरूक करने लगे । यानी समाज को हकलाहट की समस्या संबंधी जागरूक करना अब हमारे मकसद में शामिल हो गया ।

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Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
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