Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
33. Chiku se Pehli Mulakaat in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

33. Chiku se Pehli Mulakaat in Hindi

Share Kukufm
584 Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
Read More
Transcript
View transcript

आप सुन रहे हैं तो खूब ऍम । कहानी का नाम है जी कुट्टू इसको लिखा है रोहित वर्मा रिंतु ने इसे आवाज आती है रात तक में कुकू ऍम सुने मनचाहे चाहते वन जी को से पहली मुलाकात मेरी चीकू से दोबारा मुलाकात होना भी एक संयोग था और उसका मेरी जिंदगी में वापस आना एक चमत्कार से कम नहीं था । हुआ यूं कि एक बार मैं अपनी एक सहेली के साथ एक रेस्टोरेंट में बैठी हुई थी । तभी मैंने एक जानी पहचानी आवाज सुनी । ये आवाज मेरे पीछे की कुर्सी पर बैठे एक शख्स की थी जो वेटर को बुलाने के लिए लगाई गई थी । मैंने जैसे ही पीछे मुडकर देखा तो मेरी खुशी और हैरानी का कोई ठिकाना नहीं है क्योंकि वह कोई और नहीं बल्कि चीकू था । मैं उसे देखकर बहुत खुश थी परन्तु यूँ अचानक से देख कर मैं हैरान भी थी । हाई क्या हाल है? मैं चीजों से बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा, हाथ के जी को ने मेरी बातचीत को नजरअंदाज करते हुए जवाब दिया और सुनाओ घर में सब बढिया है । मैंने बातचीत को बढाते हुए उससे पूछा हाँ ठीक है । उसने कहा क्या हुआ तो मुझे युवा क्यों कर रहे हो? मैंने उससे पूछा तुम्हारे कहने का क्या मतलब है कि हमने इससे पहले कभी कोई बातचीत की थी जो आज तुम इस बारे में मुझे पूछ रही हूँ । जी को ने कहा हाँ यार मान लिया मुझे गलती हो गई थी । मैं तो मैं समझ नहीं पाई । अब इसका मतलब ये तो नहीं की तो मुझे क्यों? अजनबियों जैसा व्यवहार कर अगर ढंग से बात नहीं करनी तो पहले बता दूँ मैं तुम से बात नहीं करती । मैंने कुछ गुस्से से कम नहीं है । ऐसी कोई बात नहीं है । एक तो मैं पहले से ही परेशान हूँ और दूसरा तुम वो अचानक से आकर मेरी परेशानी को और बढा रही । जिन्होंने कहा देखो अगर जाने अनजाने में मैंने तुम्हारा दिल दुखाया हूँ तो मुझे माफ कर दे । परन्तु क्या मैं तुम्हारी परेशानी की वजह के बारे में पूछ सकती हूँ । मैंने कहा क्या जानना चाहूंगी और अब हमारे बीच किसी किस्म का कोई रिश्ता ही नहीं रहा जिसके आधार पर मैं तो मैं अपनी परेशानी बात छक्कों ठीक होने कहा । माना कि अब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं रहा परंतु अगर तुम मना तो एक रिश्ता हमारे बीच है जो कहीं ना कहीं छिपकर सोया हुआ है । अगर तुम चाहूँ तो हम उस सोच रिश्ते को दोबारा जगह सकते हैं । मैंने कहा बातें अच्छी भी कर लेते हैं और बनाने लेती है । कहाँ से सीखी? ऐसी चालबाजी हो या अभी कैसे बुद्ध हूँ ऐसी चालबाज, बातें करना तो तुम लडकियों की फितरत नहीं है जी खोलेगा । लगता है काफी शिकायतें है तो मैं लडकी जाते थे जो हम पता नहीं कर रहे हो । मैंने कहा वाह चाय भी अच्छी कर लेती हूँ जी को ने मुस्कुराते हुए राणा मारने के लिए । ऐसे में मुझे कहा था अब बस करूँ ये बातें करना और हाँ, अगर मैं तुमसे कुछ पूछो तुम बुरा तो नहीं मानोगे । मैंने चीज हो सका बुरा मानने वाले काम तो मैंने कब के छोड दिए हैं? और फिर तुम सोए हुए रिश्ते का वास्ता देकर पूछ रही हूँ तो मैं बुरा क्यों मानूंगा? चीज होने का बातें तुम भी बहुत अच्छी बना लेते हैं । मैंने कहा तुम भी से तुम्हारा क्या मतलब? चलो तुम नहीं है तो माना कि और कोई भी बातें बना सकता है । छोड इन सब बातों को उनकी पूछना चाह रही थी । बताओ क्या पूछना है ठीक होने का । अगर तुम बुरा ना माने तो मैं तुमसे तुम्हारे शादीशुदा जीवन के बारे में कुछ पूछना चाहूँगा । मैंने कहा शादीशुदा जीवन तुम्हारे कहने का क्या मतलब है? घबराओ नहीं खुल कर बात कर रहा हूँ मैं तुम्हारी किसी भी बात का कोई बुरा नहीं मालूम । अच्छी होने का सुनने में आया है । तुम्हारा तुम्हारी बीवी के साथ तलाक का केस चल रहा है । क्या ये बात सही है? मैंने कहा तो मैं किसने बताया? उन्होंने कहा किसी ने भी बताया हूँ तो मेरी बात का जवाब तो मैंने कहा हाँ ये बात बिल्कुल सही है जी । उन्हें एक लंबी सांस लेते हुए कहा और उसे कहते के साथ ही चुप हो गया । उसकी चुप्पी मैं समझ सकती हूँ परन्तु मैं इसमें उसकी मदद नहीं कर सकती थी । मैंने उससे फिर पूछा क्यों क्या बात हो गई थी तो मैं अपनी शादीशुदा जिंदगी को बीच रास्ते में खत्म करना पडा । क्या बात हो सकती थी और हम तुम्हारी जानकारी के लिए मैं तुम्हें बता दूँ कि तलाक का ये फैसला मैंने नहीं बल्कि मुझे मजबूरन लेना पडा । ठीक होने का मजबूरन क्या मजबूरी थी? मैंने कहा क्या मजबूरी हो सकती थी । वैसे तुम क्या समझती हूँ? क्या मेरे इस फैसले के पीछे क्या मजबूरी हो सकती थी जिन्होंने का माफ करना मुझे नहीं मालूम । मैंने कहा क्योंकि जिस से तो मैं मेरे तलाक के केस के बारे में बताया है । क्या उसने इसके कारण के बारे में नहीं बताया? जी को उन्हें कुछ गुस्से से कहूँ यार तुम तो गुस्सा हो गए मैंने तो एक दोस्त के नाते तुम से पूछ रही हूँ मेरा इतना भी हक नहीं है कि मैं तुमसे कुछ पूछ सकूँ । मैंने कहा अगर दोस्ती वाली बात है तो सुन तुमने अक्सर देखा या सुना होगा कि लडके पक्ष के लोग अक्सर लडकी पक्ष से कुछ न कुछ मांगा करते रहते हैं । अगर आसान भाषा में बात करें तो लडके पक्ष के लोग लालची किस्म के होते हैं परन्तु मेरे केस में इससे बिल्कुल ऍम मेरी बीवी और उसके परिवार वालों को सिर्फ पैसे से प्यार का उसने मुझसे शादी मेरे पैसे के कारण की थी । इस बात का अंदाजा तो इस बात से लगा सकती हो कि मेरी बीवी से मेरी पहली लडाई हमारे सुहागरात की रात को ही हो गई थी । उसने अपने लालची तेवर उसी रात में दिखाने शुरू कर दिए थे जी होने का जी को अपनी कहानी यानि अपनी आपबीती सुनाया जा रहा था और उसकी आपबीती सुनकर मैं हैरान थी । मैं यह सोच भी नहीं सकती थी कि मुक्ता के परिवार जैसे लोग इस दुनिया में होते हैं, ऍम थी और कुछ कहने की हालत में नहीं थी । फिर भी मैंने कुछ हिम्मत जुटाकर जी को से कहा यार सच में हैं हमारे साथ बहुत बुरा हुआ । मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम जैसे लडके के साथ भी कोई लडकी किस प्रकार का बुरा बर्ताव करेंगे । हाँ यार ये बात सच है क्योंकि इस प्रकार के धोखे हमेशा मुझ जैसे शरीफ लडकों के साथ ही होते हैं और कुदरत का करिश्मा तो देखो मेरे साथ हुए बुरे बर्ताव के बारे में वो लडकी खुद कह रही है जिसने किसी समय में मेरे साथ इस प्रकार के बर्दास् की शुरुआत की थी ठीक होने का मैं तुम्हारी बात को समझे नहीं आखिरकार तुम कहना क्या चाहते हो? मैंने कहा क्योंकि भूल गई या फिर याद दिला ऊँची को ने कहा क्या याद दिलाना चाहते हो? मैंने कहा खडक सिंह के खडकने से खडकती है । फिर क्या खिडकियां खडकने से खडकता है । खडा ठीक होने का ठीक हूँ । जो कहना चाह रहा था मैं बहुत पहले ही समझ चुकी थी परंतु मैं जानबूझकर समझकर भी ना समझ बनने की कोशिश कर रही थी । परंतु आखिरकार उसने उसके साथ मेरे द्वारा किए गए बता उसके बारे में इशारों ही इशारों में कहना शुरू किया । उसकी बात का जवाब देने के लिए मैंने उससे कहा यार, तुम मिला क्या? पुरानी बातों को लेकर अभी बैठ गए । मैं तो उन बातों को कब का भूल चुकी हूँ । उस बात को हुए तो बहुत समय बीत गया है । इतने समय में तो पुरानी से पुरानी घास को भी भर दिया जाता है । अब जाने भी दो मैं कैसे जाने दो मैडम, यह शरीर पर तलवार से लगा घाव नहीं जो भर जाएगा कि तुम्हारी जुबान से मेरी आत्मा पर लगा भाव है तो उस समय के साथ साथ गहरा होता जाता है ठीक होने का जी को कि कहीं बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि गलती मेरी थी । मैंने ही उसका दिल दुखाया था । मैंने चीजों से माफी मांगने के लहजे में कहा अब जाने भी दो उस बात को मैं तुमसे बात की माफी मांगती है और अपनी उस गलती के लिए पश्चताप करने को भी तैयार । पश्चताप कैसा पचाता जी को ने कहा है मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ । मैंने झट से कहा तो होश में हूँ तो पता है ना तुम क्या कह रही थी उन्होंने मुझसे गुस्से में काम । हाँ मुझे पता है कि मैं क्या किया है मैंने तुम जिस बातों में बहकर फैसला ले रही हूँ तुम्हें पता है ना कि मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ और मैंने तलाक तक केस कोर्ट में दाखिल कर दिया । मुझे सब पता है और मैं ये फैसला बहुत सोच समझ कर ले रही है और इससे पहले कि तुम मेरे फैसले पर अपना फैसला सुना हूँ मैं तो मैं साफ तौर पर बता दूँ मैं तुमसे शादी करने में मेरे फैसले के पीछे मेरा निजी स्वार्थ छिपा हुआ है । विश्वास है ऍसे खोलेगा क्या तुम्हें पता है कि मेरे पिताजी की मृत्यु हो चुकी है? सच में मुझे माफ करना । मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता था । क्या हो गया अंकल को ठीक होने का । पिताजी को दिमागी दौरा बडा था परन्तु जब मैंने उनकी डायरी पडी तो उससे मुझे पता चला कि उनकी मौत की जिम्मेदार मैं हूँ । मैं कुछ समझा नहीं तो कहना क्या चाहती हूँ और तो मतलब आपको अपने पिता की मौत का जिम्मेदार केसमान सकती हूँ । मेरे पिताजी को हकलाहट की समस्या थी जिससे सब उनका मजाक बनाते हैं और यही नहीं उनकी इस समस्या के कारण उनकी सही लिया । मेरा मजाक बनाती थी । स्कूल में मेरे पिताजी की नकल उतारकर मुझे क्या करते हैं जिस वजह से मैं पिताजी से नफरत करने लगी थी और उनको अपने स्कूल आने से मना भी करती थी । अपने पिता की हकलाहट की समस्या की वजह से मैं अक्सर उनसे दूरी बनाए रखते हैं परन्तु मेरे इस बताओ पर मेरे पिताजी के दिल पर क्या गुजरती होगी, इस बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था । एक दिन मेरे पिता जी रात को सोते परन्तु सुबह नहीं उठाएगा । डॉक्टरों के अनुसार उन्हें सोते हुए दिमागी दौरा पड गया था । इस वजह से उनकी मृत्यु हो गई । उनके जाने का ना तो मुझे कुछ नाम था और ना ही कोई खुश हैं । शायद इसलिए क्योंकि मेरा उनके साथ लगाव काफी कम था । एक दिन उनकी अलमारी को साफ करते समय मुझे एक डायरी मिली । मेरे पिताजी की राय दी थी मैंने उत्सुकता वर्षों से पढना शुरू किया और डायरी में पिताजी ने अपने दर्ज के बारे में जिक्र किया था । उधर जिसकी जिम्मेदार नहीं थे, मेरा बर्ताव उनके दर्ज को और बढा रहा था । क्या तुम मुझे वो डायरी पडने को दे सकती हूँ? चीकू ले मेरी बात को बीच से काटते हुए कहा, वहाँ क्यों नहीं तो बढ सकते हो । मैं जल्द तो मैं वो डायरी दे दूंगी । मैंने कहा परन्तु मुझ से ही शादी करने वाली क्या बात है । मेरा कहने का मतलब है कि मुझसे शादी करने के पीछे तुम्हारे स्वास्थ्य क्या है हूँ । मेरे पिताजी की मृत्यु दिमागी दौरे की वजह से हुई थी परंतु इसमें कहीं ना कहीं मेरा व्यवहार, उनकी हकलाहट की समस्या का भी योगदान था । परन्तु अपने पिताजी की मृत्यु का जिम्मेदार मैं अपने आप को मानती हूँ । उनकी डायरी पढने के बाद मैंने फैसला किया कि मैं अपना जीवन हकलाहट की समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करके और इस समस्या से पीडित लोगों की मदद करने में लगा दु नहीं । शायद मेरा ऐसा करने से पिताजी की आत्मा को शांति मिल जाएगी और इसमें मैं अपनी भूल का पश्चाताप भी कर सकता हूँ । मैंने कहा मैं तुम्हारी बात से पूर्ण था, सहमत हूँ परन्तु मुझे एक बात समझ में नहीं आई क्या बात मैंने कहा यही इसी बीच मुझसे शादी करने वाली बात यह समझ गई यानी मुझे सारी करने में तुम्हें क्या फायदा होगा? उन्होंने कहा तो मैं भी हकलाहट की समस्या थी । मैंने कहा तो आप तो मेरा मजाक बनाने के लिए जैसे शादी करूँ जी को ने फिर मेरी बात को काटते हुए कम यार तो महत्व पूरी होने तो तो मैं पहले ही मेरी आधी अधूरी बात को काट देते हैं । मैंने चीजों को टोकते हुए का अच्छा अच्छा बोलो क्या बात हचीको ने कहा मेरे कहने का मतलब था तो मैं भी बचपन से हकलाहट की समस्या थी और समय के साथ साथ हमारी की समस्या कम होती गई । तुमने इस समस्या को काबू में करने के लिए इसके भी को अपनाया था । मैं उस विधि को अपनाकर इस समस्या से पीडित लोगों की मदद करना चाहते हैं । मैंने कहा परन्तु उसके लिए मुझे शादी करने की क्या जरूरत है? ये काम तो मैं तुमसे बिना शादी के बगैर भी कर सकता हूँ । जी को लेकर मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ । प्यार और मुझे कब से चिकन हैरान होते हुए का बचपन से मैंने का बचपन से हमारे कहने का क्या मतलब है? उन्होंने हैरानी से कहा हूँ कि सच है कि मैं तो मैं बचपन से प्यार करती हूँ । तुम्हें याद होगा जब हम एक बार अस्पताल में मिले थे और मैंने तुम्हारी हकलाहट की समस्या का मजाक बनाते हुए हैं उनसे अपशब्द कहे मेरे इस व्यवहार पर मेरे पिताजी से मुझे बहुत डांट पडी नहीं परंतु मैंने उनकी एक न सुनी और इसके कुछ दिनों के बाद ही पिताजी का देहांत हो गया परन्तु मेरा रवैया तुम्हारे और तुम जैसे लोगों के प्रति नहीं बदला । लेकिन अपने पिताजी की डायरी पढने के बाद मेरी मानसिकता जैसे बादल ही गई । मुझे अपने किए पर पछतावा होने लगा । अपने पिता की मैं और उनकी डायरी को पढने के बाद मुझे कुछ बदलाव आया है । एक तो मैं अपने पिताजी का निरादर करने की वजह से उनकी मृत्यु का जिम्मेदार स्वयं को मानने लगी और इस वजह से मैं रह रहे कर अपने आप को दोषी मान ले लेंगे । मुझे पश्चताप करने की सोच सिद्ध पकडने लगी और दूसरा ये है कि मैंने तुम्हारे सच्चे प्यार को ठुकरा दिया । तो इसलिए क्योंकि तो मैं भी मेरे पिताजी की तरह हकलाहट की समस्या देंगे और इस वजह से मेरी आंखों में पट्टी बन गई जिससे मुझे तुम्हारा वो प्यार दिखाई नहीं दिया । परंतु जान मेरी आंखों से पश्चाताप के आंसू के वह वजह भी पहन गई और मेरी आंखों पर पट्टी खुली तो मुझे तुम्हारा उस अच्छा तैयार दिखाई हो । मैं अपने किए पर बच्चा लगे और तुम्हें मनी जानी है परन्तु मैं अपने मन की बात मैं ना कह पाई क्योंकि एक तो हमारे मुलाकात नहीं हो पा रहे हैं और अगर एक दो बार मुलाकात हुई तो मुझे तुमसे बात करने की हिम्मत नहीं हूँ । मैंने कहा मेरी तुमसे मुलाकात कब? उन्होंने पूछा बहुत सालों पहले एक दो बार जब तुम हमारे शहर आए थे, मैंने तो देखा था । मैंने तो बुलाना भी चाहा था परन्तु मैं तो मैं बुलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई कि सच है कि किसी समय मैंने तुम्हारा दिल दिखाया था । परन्तु ये भी सच है कि मैं तुमसे बेहद प्यार करते हैं । क्या तुम मेरे इस प्यार को अपना होंगे? मैंने कहा ये तुम क्या कर रही है? मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा है और मेरे साथ क्या हो रहा है ये तो मुझे बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा है ठीक होने का, इसमें समझने वाली क्या बात है? सीधी सी बात है मैं तुमसे प्यार करती हूँ और मुझे तुमसे शादी करनी है । मैंने कहा तुम्हारे लिए सीधी सी बात होगी परंतु मेरे लिए थे । अजीब सी बात है ठीक होने का अजीब सी बात मैं हमारे कहने का मतलब नहीं समझे । मैंने कहा अजीब से बात ही तो है । अब देखो जिससे पहला प्यार हुआ उस प्यार को ना पासा का । यानी उस से शादी नहीं हुई । उसके प्यार को भूल न सका और पागल सा होने लगा । उस प्यार को बोलने के लिए किसी और से प्यार करने की कोशिश की । परंतु पहला वाला तैयार बाहर बार याद आ रहा है उस पहले प्यार को बोलने का मेरे पास एक ही रास्ता था की पूरी तरह से दूसरे प्यार में खो जाओ । मैंने ऐसा ही किया परन्तु दूसरे प्यार में धोखा दिया । उसको मुझसे नहीं बल्कि मेरे पैसे से प्यार था । मैंने उसे छोडने का फैसला करके कभी भी शादी न करने का फैसला किया । परन्तु अब पहला प्यार फिर से री जिंदगी में वापस आने की कोशिश कर रहा है । ये अजीब बात ही तो है जी खोलेगा ये तुम किस गणित में पड गए । जो बीत गया उसे भूल जाओ जो आने वाला है उस समय के बारे में सोचो । मैंने कहा तो जानती हो ना कि तुम क्या कह रही है । मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ । मेरी बेटी भी है । तुम्हारे फैसले पर हमारे रिश्तेदार और परिवार वाले क्या कहीं अभी सोचा है तुमने इस बारे में ठीक हूँ । मैं अच्छी तरह से जानती हूँ कि मैं क्या कह रही है । तुम पहले से शादीशुदा हूँ, मुझे पता है परंतु शादी सिर्फ तन की थी, मन की नहीं । ये तुम भी जानते हो । तुम्हारी एक बेटी भी है वो भी मुझे पता हैं परन्तु तुम्हारी से लडाई में बिचारी । उस लगने से जान का क्या कसूर । शादी के बाद वो तुम्हारी बेटी नहीं बल्कि हमारी बेटी होगी । फिर वही बात रिश्तेदारों और परिवार वालों की । तो मुझे यकीन है कि मेरे इस फैसले पर मेरे परिवार वाले अपनी मुहर अवश्य लगा दी । रिश्तेदार और लोगों के बारे में मैं नहीं सोचती कि वह क्या करेंगे, क्या नहीं करेंगे । मुझे उनकी परवाह नहीं है । मैंने कहा फिर भी तो मैं ना सही परन्तु मुझे तो सोचने के लिए वक्त हूँ ठीक होने का कैसा वक्त? मैंने कहा यार पहली बात तो ये है कि मेरे तलाक का केस अभी भी कोर्ट में जिसका फैसला होना अभी बाकी है और दूसरी बात मैं तो ठंडे दूध जिला हूँ । अब तो छाछ को भी खूब करीब हुआ । मेरे कहने का मतलब है कि मुझे कुछ समय चाहिए । ठीक होने का ठीक है जैसे तुम्हारी मर्जी परन्तु कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार सोचना जरूरी । मैं तुम्हारी पत्नी नहीं बल्कि एक जीवन साथी बन कर हमारे साथ हूँ । मैंने कहा ये सब कह करने वहाँ से अपने घर की ओर चलने लगी । कर जाते समय पूरे रास्ते मैंने अपने किए हुए फैसले के बारे में सोचेंगे । मैं आपसे सवाल करने लगी क्या मैं सही करेंगे? क्या जल्दबाजी में लिया मेरा ये फैसला सही? क्या मैं अपने लिए फैसले को सही साबित करता हूँ? और इस प्रकार के कई सवाल थे जो मेरे लिये सहन में तूफान मचा ले रहे हैं । क्योंकि ये फैसला मुझे अकेले को लेना था क्योंकि ये लडाई मेरी अपनी थी । मेरे मन की शांति के लिए ये लडाई थी क्योंकि मैं अपने पिता की मच्छी का कारण अब जयाकुमार नहीं और ये सच भी था कि मेरे पिताजी की मृत्यु मेरे कारण ही हुई थी । मेरी ना समझे के कारण हूँ नहीं । इन सवालों के जवाब के लिए किसी की भी मदद तो नहीं मान सकती थी? हाँ, मैं इसके लिए अपनी सहेली सूचिका से मदद मांग सकती हूँ । यही सब सोचते सोचते मैंने अपना रुख अपने घर के बजाय रुचिका के घर की ओर करती है । अगर बच्चे का क्या हाल है? मैंने रोचिका को कहा चलो जी मैं ठीक हूँ तो मतलब अचानक आज कैसे आना होगा । तो चिपकाने का बस यही अचानक मिलने का दिल किया तो सोचा तुमसे मिलने । असल में मुझे तुमसे जरूरी काम नहीं । मैंने समय बर्बाद न करते हुए सीधे काम की बात करने की सोची । ऍम एक जरूरी सलाह ले । नहीं मैंने कुछ हिचकी चाहते हो जाएगा । अब बोलोगे भी यही पहेलियां बुझाते हूँ तो चिपकाने का आज मैक्सिको से मिली । मैंने कहा बच्चों का जी को के बारे में जानते हैं क्योंकि मैं उसके साथ चीजों के बारे में बातें किया करती थी । बात क्या बात है तो जनाब आज आपने मोहब्बत से मिलकर आ रही हैं । रुचिका ने मजाकिया लहजे लगा हाँ यार आज अचानक ही मेरी मुलाकात चीज पीछे हो गए । फिर मैंने पूछा उसके बाद मैं रुचि तक हो । मेरे और चीजों के बीच हुई सब बातचीत के बारे में बता दिया । फिर मैंने उससे कहा अब बताऊँ तुम्हें क्या लगता है बच्ची को मेरे शादी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगा? याद एक इस बारे में तो मैं कुछ नहीं कह सकते हैं परंतु अगर मैं चीजों की जगह पर होती है तो इस प्रस्ताव को झट से मान लेती । खैर तुम चिंता ना करो और भगवान पर भरोसा रखो क्योंकि तुम्हारा कर्तव्य है कोशिश करना और उसके बाद तुम सब कुछ भगवान के भरोसे छोड दो, जो होगा तो अच्छा ही होगा । सूचिका ने कहा रुचिका की बातों से मुझे कुछ शांति तो मिली परंतु में अब भी अधर में लटकी हुई थी । आखिरकार मैं ये सोच कर वहाँ से चली गई की जो होगा वो देखा जाएगा । अगर सब कुछ भगवान पर छोडा है तो अब वही देखेंगे । यानी अब मुझे जी को के फैसले का इंतजार था ।

Details

Sound Engineer

यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट कि समस्या से पीड़ित है और अपनी इस समस्या के कारण उसे कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और साथ ही यह बताने की कोशिश कि है की कैसे उसने अपनी इस समस्या के साथ संघर्ष करते हुए अपनी ज़िन्दगी व्यतीत की और कैसे उसने अपनी इस समस्या से छुटकारा पाया । Voiceover Artist : Raghav Dutt Author : Rohit Verma Rimpu Producer : Theremin Studios
share-icon

00:00
00:00